बच्चे के लिए डॉक्टर ने चोदा मुझे

मेरा नाम नम्रता है। मैं 23 साल की हूँ, गोरी, 5 फीट 4 इंच की हाइट, 34C-28-36 की फिगर। मेरी चूचियाँ गोल, भारी और रसीली हैं, जिनके गुलाबी निप्पल उत्तेजना में सख्त हो जाते हैं। मेरी चूत पर हल्के-हल्के काले बाल हैं, जो गीली होने पर चमक उठते हैं। मेरा पति अश्वनी, 25 साल का, 5 फीट 10 इंच का हैंडसम मर्द, जिसका 6 इंच का लंड मेरी चूत को हर रात तृप्त करता था। मेरे ससुर रमेश, 50 साल के, फिट बॉडी, सफेद बालों वाला 7 इंच का लंड, जो उम्र के बावजूद ताकतवर है। मेरा देवर राहुल, 22 साल का, 5 फीट 8 इंच का जवान, हवसी लड़का, जिसका 8 इंच का लंड मेरे लिए बाद में हैरानी का सबब बना। डॉक्टर संजय, 30 साल का, 6 फीट का स्मार्ट आदमी, जिसका 9 इंच का मोटा लंड मेरी ज़िंदगी को हवस की आग में झोंक देगा। मेरी सास शांति, 48 साल की, सख्त मिज़ाज, गाँव की औरत, जो मेरी खाली गोद पर ताने मारती थी।

जब मेरी शादी हुई, मैं 18 साल की थी। सुहागरात को मैं शरम से लाल थी। अश्वनी ने मेरी लाल साड़ी को धीरे-धीरे उतारा, उसकी उंगलियाँ मेरी कमर पर रेंग रही थीं। मेरी ब्रा का हुक खोलते वक्त उसने मेरी आँखों में देखा। मेरी पैंटी उतारते हुए उसने मेरी चूत को चूमा। “नम्रता, तेरी चूत कितनी मस्त है!” उसने कहा। मैं शरम से सिर झुकाए थी। उसने अपना 6 इंच का लंड मेरी चूत में डाला। “आह्ह… उफ्फ… धीरे!” मैं चीखी, मेरी चूत में पहली बार दर्द हुआ। “थप… थप…” की आवाज़ कमरे में गूँजी। वो मुझे मिशनरी स्टाइल में चोद रहा था, मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। “आह्ह… अश्वनी, धीरे करो!” मैं कराह रही थी। उसने मेरे निप्पल चूसे, मेरी चूत में धीमे-धीमे धक्के मारे। 15 मिनट बाद वो मेरी चूत में झड़ गया। उसका गर्म वीर्य मेरे अंदर बह रहा था। मैं हाँफ रही थी, शरम और मज़े के बीच झूल रही थी।

अगले तीन साल हमने हर रात चुदाई की। कभी मैं उसकी गोद में बैठकर उसके लंड पर उछलती, कभी वो मुझे दीवार से सटाकर चोदता। “नम्रता, तेरी चूत मेरे लंड को निचोड़ देती है!” वो हाँफते हुए कहता। मैं जवाब देती, “आह्ह… चोदो मुझे, अश्वनी!” लेकिन तीन साल बाद भी मेरी गोद खाली थी। सास शांति ने ताने मारने शुरू किए, “नम्रता, अब तो डॉक्टर को दिखा, कुल की नाक कटवाएगी क्या?” मैं और अश्वनी यकीन रखते थे कि हम में कोई कमी नहीं। फिर भी, सास की ज़िद और रिश्तेदारों के ताने सुनकर अश्वनी ने कहा, “मेरा दोस्त संजय डॉक्टर है। तुम उसके पास जाओ।”

अगले दिन मैं और सास संजय के क्लिनिक गए। छोटा सा क्लिनिक, सफेद दीवारें, दवाइयों की हल्की गंध। मैं घबराई हुई थी, मेरे हाथ ठंडे थे। सास बाहर बैठ गईं। संजय ने मुझे अकेले में बुलाया। उसकी नीली शर्ट और काली पैंट उसे और आकर्षक बना रही थी। “नम्रता, सब सच बताओ,” उसने गंभीर स्वर में कहा। “अश्वनी का लंड तुम्हारी चूत में कितना गहरा जाता है? क्या वो तुम्हें पूरा मज़ा देता है?” मैं शरम से लाल हो गई, मेरे गाल जल रहे थे। “मुझे… नहीं पता,” मैंने हकलाते हुए कहा, मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। उसने कहा, “कपड़े उतारो, मुझे चेक करना है।”

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मेरी साँसें रुक गईं। “क्या?” मैंने डरते हुए पूछा, मेरी आवाज़ काँप रही थी। “ये मेडिकल प्रोसीजर है, डरो मत,” उसने भरोसा दिलाया। मैं हिचक रही थी, मेरे दिमाग में सवाल उठ रहे थे—ये सही है? लेकिन सास के ताने और बच्चे की चाह ने मुझे मजबूर किया। मैंने धीरे-धीरे अपनी गुलाबी सलवार और कुरता उतारा। मेरी काली ब्रा और पैंटी अब उसके सामने थी। “ये भी उतारो,” उसने कहा। मेरी उंगलियाँ काँप रही थीं। मैंने ब्रा खोली, मेरी 34C की चूचियाँ बाहर आईं, निप्पल सख्त। फिर पैंटी उतारी, मेरी चूत नंगी थी। मैं शरम से मर रही थी, अपने हाथों से चूत को ढकने की कोशिश की।

वो मेरे पास आया, मेरी चूत को उंगलियों से सहलाया। उसका स्पर्श गर्म था, मेरी चूत में सिहरन होने लगी। “आह्ह…” मैंने अनचाहे कराहा। “तुम्हें उत्तेजित होना होगा,” उसने कहा। उसने एक 7 इंच का रबड़ का लंड मुझे दिया। “चूसो इसे।” मैंने हिचकते हुए उसे मुँह में लिया। “ये गलत है,” मैंने सोचा, लेकिन मेरी चूत गीली होने लगी। “उम्म… आह्ह…” मेरी कराहें कमरे में गूँज रही थीं। संजय ने मेरी चूत में 5 इंच का रबड़ का लंड डाला। “आह्ह… उफ्फ…” मैं कराह उठी। फिर 6 इंच, फिर 8 इंच। हर बार मेरी चूत में दर्द और मज़ा बढ़ रहा था। मैं हवस में डूब रही थी, लेकिन मन में शर्म और डर भी था।

अचानक उसने अपनी पैंट खोली। मैंने आँखें खोलीं तो दंग रह गई। उसका 9 इंच का लंड, 3 इंच मोटा, मेरे सामने था। “ये क्या?” मैंने डरते हुए कहा, मेरी आवाज़ काँप रही थी। उसने बोला, “नम्रता, मैंने अश्वनी को चेक किया। वो कभी बाप नहीं बन सकता। तुम माँ बन सकती हो। मैं तुम्हें रोज़ चोदूंगा, जब तक तुम प्रेग्नेंट नहीं हो।” मैं चीख पड़ी, “नहीं! ये पाप है!” मैंने कपड़े उठाए और भागने की कोशिश की। उसने मेरा हाथ पकड़ा, “नम्रता, अगर तुमने मना किया, तो मैं सास को बता दूँगा कि तुमने चेकअप से इंकार किया। फिर ताने और सुनो।” उसकी ब्लैकमेल ने मुझे तोड़ दिया। मैं रो रही थी, लेकिन रुकी।

अगले दिन सास की ज़िद पर फिर गई। संजय ने मुझे फिर समझाया, “ये तुम्हारे लिए ज़रूरी है। कोई नहीं जानेगा।” मेरे पास कोई चारा नहीं था। उसने मुझे टेबल पर लिटाया। मैंने अपनी नीली सलवार और कुरता उतारा, फिर सफेद ब्रा और पैंटी। मेरी चूत नंगी थी। संजय ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे दाने को चूस रही थी। “आह्ह… संजय… नहीं!” मैं चीखी, लेकिन मेरी चूत गीली हो रही थी। उसने मेरी चूचियाँ दबाईं, निप्पल काटे। “आह्ह… ये गलत है!” मैंने कहा, लेकिन मेरी कराहें रुक नहीं रही थीं।

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उसने अपना 9 इंच का लंड मेरी चूत पर रगड़ा। “तैयार हो?” उसने पूछा। मैंने रोते हुए हाँ कहा। उसने धीरे से लंड डाला। “आआह्ह… उफ्फ… बहुत बड़ा है!” मैं चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। हल्का खून निकला। “ओह्ह… धीरे!” मैं चिल्लाई। उसने धक्के बढ़ाए। “थप… थप…” की आवाज़ गूँज रही थी। “आह्ह… संजय, मेरी चूत फट जाएगी!” मैं कराह रही थी। उसने मेरी चूचियाँ ज़ोर से दबाईं, मेरे होंठ चूसे। “नम्रता, तेरी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही है!” वो बोला। मैं शरम, डर और हवस के बीच थी। “आह्ह… और ज़ोर से!” मैं अनचाहे चीखी।

उसने मेरे पैर अपने कंधों पर रखे, गहरे धक्के मारे। उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा, मेरे निप्पल खींचे। “उफ्फ… संजय, चोदो!” मैं चिल्ला रही थी। उसने मुझे पलटकर डॉगी स्टाइल में चोदा। उसका लंड मेरी चूत की गहराई छू रहा था। “आह्ह… ओह्ह…” मेरी कराहें कमरे में गूँज रही थीं। उसने मेरी गांड में उंगली डाली, मैं चीखी, “नहीं, वहाँ नहीं!” लेकिन वो नहीं रुका। 40 मिनट बाद वो चीखा, “नम्रता, ले मेरा माल!” उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में भरा। मैं हाँफ रही थी, मेरी चूत दर्द और मज़े से थरथरा रही थी।

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रात को अश्वनी ने मुझे चोदा। उसका 6 इंच का लंड मेरी चूत में आसानी से जा रहा था। “कुल्टा, तू कहीं और चुदवाकर आई है?” उसने गुस्से में कहा। मैं डर गई, “नहीं, डॉक्टर ने रबड़ का लंड से चेक किया।” वो मान गया। हमने उस रात तीन बार चुदाई की। लेकिन अब मैं हर दिन संजय से चुदवाने जाती। उसका 9 इंच का लंड मेरी चूत को नई हवस देता। एक बार उसने मुझे अपने डेस्क पर बिठाया, मेरी टाँगें फैलाईं, मेरी चूत को चाटा। फिर उसने मेरे मुँह में अपना लंड डाला। “चूस, नम्रता!” उसने कहा। मैंने उसका लंड चूसा, मेरी चूत में उसकी उंगलियाँ थीं। “आह्ह… संजय, मेरी चूत में डालो!” मैंने कहा। उसने मुझे डेस्क पर चोदा, मेरी चूचियाँ हिल रही थीं।

एक दिन अश्वनी अमेरिका चले गए। राहुल मुझ पर गंदी नज़र रखता था। एक रात, मैं अपनी हल्की गुलाबी नाइटी में बेडरूम में गई, लाइट बंद हो गई। मैं डर गई। अंधेरे में बेड पर कोई था। “कौन है?” मैंने काँपते हुए पूछा। कोई जवाब नहीं। अचानक किसी ने मुझे बाहों में लिया, मेरे होंठ चूमने लगा। मैंने सोचा अश्वनी है। उसने मेरी नाइटी खींचकर उतारी, मेरी पैंटी फाड़ दी। मैंने उसकी पैंट उतारी। उसका 8 इंच का लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा था। “आह्ह… अश्वनी, चोदो!” मैंने कहा।

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उसने मेरी चूत में लंड डाला। “आह्ह… उफ्फ… कितना गहरा!” मैं कराह रही थी। “थप… थप…” की आवाज़ गूँज रही थी। “आह्ह… और ज़ोर से!” मैं चीखी। उसने मेरी चूचियाँ दबाईं, मेरी गांड पर थप्पड़ मारे। 30 मिनट बाद वो मेरी चूत में झड़ गया। दूसरी बार उसने मुझे बेड के किनारे लिटाया, मेरी टाँगें हवा में उठाईं। “आह्ह… मेरी चूत को फाड़ दो!” मैं चिल्लाई। मुझे शक हुआ। “तुम अश्वनी नहीं!” मैंने कहा। उसने मेरे होंठों पर होंठ रखे, फिर से चोदा। तीसरी बार उसने मेरी गांड में उंगली डाली, फिर लंड। “उफ्फ… नहीं!” मैं चीखी। सुबह मैं जागी तो राहुल मेरी बाहों में था। मैंने लंड निकाला, वीर्य बहने लगा। मैं बाथरूम भागी। राहुल पीछे आया, मुझे शावर में चोदा। “आह्ह… राहुल, ये पाप है!” मैंने कहा, लेकिन मेरी चूत मज़ा ले रही थी। ससुर ने हमें देख लिया, राहुल को डाँटा।

दोपहर को ससुर नंगे बेडरूम में थे। उनका 7 इंच का लंड खड़ा था। “नम्रता, मेरे लंड की प्यास बुझा, वरना अश्वनी को सब बता दूँगा,” उन्होंने धमकाया। मैं रोने लगी। मैंने हाँ कहा। उन्होंने मेरी चूत चाटी। “आह्ह… ससुर जी, नहीं!” मैं कराह रही थी। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में डाला। “थप… थप…” की आवाज़ गूँज रही थी। “नम्रता, तेरी चूत कितनी रसीली है!” वो बोले। लेकिन वो जल्दी थक गए।

मेरी ज़िंदगी चुदाई के इर्द-गिर्द घूमने लगी। रात को अश्वनी, दिन में ससुर, हफ्ते में दो बार संजय। जब अश्वनी नहीं होते, राहुल मेरी चूत की प्यास बुझाता। आज मेरे तीन बच्चे हैं—दो लड़के, एक लड़की। लेकिन मुझे नहीं पता इनका बाप कौन है।

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