Belt punishment sex story – Papa ne gand maari sex story: घर पहुँची तो पापा नहीं थे। सारे कपड़े फेंके और उनके बिस्तर पर लेट गई। जिस्म पर डॉक्टर का थूक और माल अभी भी चिपचिपा था। नहाकर काली जालीदार ब्रा-पैंटी पहनी, पापा की फेवरिट।
कहानी का पिछला भाग: चूत में कॉपर टी लगाने वाले डॉक्टर से चुदी- 2
खाना बनाकर इंतज़ार करने लगी। फोन पर नोटिफिकेशन आया। डॉक्टर ने साले ने पूरी HD फुटेज भेज दी थी। लैपटॉप खोला, वीडियो प्ले किया और उल्टी लेटकर देखने लगी।
जैसे ही डॉक्टर ने मेरी चूत चाटी, मेरा जोश फिर भड़क उठा। तकिया चूत के नीचे रखकर कमर हिलाने लगी। वीडियो में मैं झड़ रही थी, इधर मैं आँखें बंद कर उसी सीन में खो गई।
पता ही नहीं चला कि पापा कब आकर दरवाजे पर खड़े हो गए। जब आँख खुली तो पापा का चेहरा आग उगल रहा था।
मैं लपककर लैपटॉप बंद करने को हुई, पापा ने बाल पकड़कर पीछे खींच लिया, “अब शर्मा रही है रंडी? बहुत मजा आया ना उस हरामी का लंड लेते हुए?”
उनकी आँखें लाल थीं। मेरे मुँह पर तीन जोरदार थप्पड़ पड़े, “चट्टाक… चट्टाक… चट्टाक…” कान बज गए।
फिर मुझे बेड पर मुँह के बल पटक दिया। ब्रा-पैंटी फाड़कर फेंकी। बेल्ट निकाली और लात मारकर घोड़ी बनने को कहा।
मैं डर से काँपते हुए घोड़ी बन गई। पापा ने बाल पकड़े, चूतड़ फैलाए और बिना तेल-सेल के पूरा लंड गांड में पेल दिया।
“आआआह्ह्ह्ह्ह… पापा… नहह्हीईई…” मेरी चीख निकली, पर पापा नहीं रुके।
बेल्ट मेरी कमर और चूतड़ों पर बरसने लगी, “तड़ाक… तड़ाक… तड़ाक…” हर मार के साथ मैं सिसक रही थी। मेरी ब्रा-पैंटी मुँह में ठूँस दीं।
पापा जानवर बन चुके थे। बाल खींचकर गांड चोद रहे थे, “ले रंडी… ले… आज तेरी गांड फाड़ दूँगा…”
दर्द इतना था कि कुछ ही मिनट में मैं बेहोश हो गई।
होश आया तो पापा मुझे सीने से चिपकाए रो रहे थे। शराब की महक आ रही थी। मुझे देखते ही फूट-फूटकर रोने लगे, “माफ कर दे बेटी… मैं पागल हो गया था…”
मैंने भी उन्हें गले लगाया। हम दोनों देर तक रोते रहे।
फिर पापा ने गर्म पानी से नहलाया, दवा खिलाई, खाना खिलाया और नंगे ही लिपटकर सुला दिया। उनका खड़ा लंड मेरी जाँघों में दबा था, पर किसी ने छेड़ा नहीं।
अगले तीन दिन मैं रूठी रही। पापा टूट गए। तीसरे दिन शाम को मेरे पैरों में गिर पड़े, “जो सजा देगी मंजूर है… बस माफ कर दे…”
मैंने टाँगें फैलाईं। पापा ने चूत पर मुँह रख दिया। मैंने लोअर-पैंटी उतार दी।
“वो वीडियो वाला लड़का याद है?” पापा चूत चाटते हुए बोले, “हाँ…”
“मुझे उससे चुदवाना है… और आप अपने हाथों से उसका लंड मेरी चूत में डालोगे।”
पापा रुक गए, मेरी आँखों में देखने लगे।
मैंने मुस्कुराकर कहा, “कन्यादान तो बाप का फर्ज होता है ना पापा?”
पापा समझ गए। मैंने टॉप उतारा, चूचे हिलाए और बोली, “बचपन से जो माँगा आपने दिया… आज बेटी दो लंड माँग रही है… दोगे ना?”
पापा मुस्कुराए, सहमति में सिर हिलाया और मुझे गोद में उठाकर बेतहाशा चोदने लगे। तीन बार झड़े, तीनों बार चूत में ही।
अब बस डॉक्टर को बुलाने की तैयारी थी।
प्यारे पाठकों, अगले भाग में देखिए कैसे पापा ने अपने हाथों से डॉक्टर का लंड मेरी चूत में डाला और हम तीनों ने मिलकर रात भर चुदाई की।
कहानी का अगला भाग: अपनी कन्या की चूत गैरमर्द के लंड को दान