आंटी की चूत की खुशबू

Aunty ke saath sex ये कहानी उस वक्त की है, जब मैं कॉलेज में पढ़ता था, उम्र होगी कोई 21 साल। नाम मेरा विशाल है, साधारण सा लड़का, न ज्यादा हैंडसम, न ज्यादा स्मार्ट, पर हाँ, मेहनती और थोड़ा शर्मीला जरूर था। उस समय मेरी जिंदगी में बस किताबें, इम्तिहान और मम्मी-पापा की डांट ही थी। लेकिन वो सात दिन, जो मैंने अपने दूर के रिश्तेदार शोभा आंटी के घर बिताए, उन्होंने मेरी जिंदगी को ऐसा रंग दिया कि आज भी उसकी महक मेरे दिल-दिमाग में बसी है।

मेरे कॉलेज के एग्जाम का सेंटर मेरे शहर से बाहर पड़ा था। सात पेपर्स थे, और रोज अप-डाउन करना नाक में दम कर देता। पेट्रोल का खर्चा, समय की बर्बादी, और ऊपर से थकान। मम्मी-पापा ने सुझाव दिया कि मैं अपने दूर के रिश्तेदार, यानी शोभा आंटी और उनके पति रमेश अंकल के घर रुक जाऊं। वे उसी शहर में रहते थे, जहाँ मेरा सेंटर था। पापा ने अंकल से फोन पर बात की, और अंकल ने तुरंत हाँ कर दी। सात दिन की बात थी, सो अंकल ने कोई आपत्ति नहीं की।

मैं एग्जाम से तीन दिन पहले उनके घर पहुँच गया। अंकल रमेश, उम्र में करीब 55-60 के होंगे, थोड़े गंभीर, थोड़े थके-थके से। रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी थे, और अब घर में ही अखबार पढ़ते, टीवी देखते, और कभी-कभार पुराने दोस्तों से मिलने निकल जाते। लेकिन शोभा आंटी… उफ्फ, क्या बताऊँ! उम्र होगी कोई 38-40 साल, पर लगती थीं 30 की। गोरा रंग, लंबे काले बाल जो उनकी कमर तक लहराते थे, और एक ऐसी मुस्कान जो दिल को सीधे चोट करती थी। उनका फिगर… बस यही कहूँगा, साड़ी में उनकी गोल-मटोल गांड और भरे हुए मम्मे किसी का भी ध्यान खींच लेते। साड़ी को वो ऐसे बांधती थीं कि उनका हर कर्व साफ दिखे। हाउसवाइफ थीं, पर घर के काम में भी उनकी अदा ऐसी थी, मानो कोई मॉडल रैंप पर चल रही हो।

पहले तीन दिन तो मैं पढ़ाई और एग्जाम में उलझा रहा। सुबह जल्दी उठता, नहाता-धोता, और सेंटर चला जाता। आंटी रोज मेरे लिए टिफिन बनातीं, और रात को खाना खिलातीं। अंकल ज्यादातर अपने कमरे में रहते, और मैं अपने कमरे में रिवीजन करता। लेकिन चौथे दिन, कुछ ऐसा हुआ कि मेरी दुनिया ही बदल गई।

रात के करीब 11 बज रहे थे। मैं अपने कमरे में बैठा, अगले दिन के पेपर की तैयारी कर रहा था। दिमाग भन्ना रहा था। एक तरफ पढ़ाई का तनाव, दूसरी तरफ शोभा आंटी की वो मादक हंसी और उनकी साड़ी में लिपटा हुआ बदन बार-बार मेरे दिमाग में घूम रहा था। तभी आंटी कमरे में आईं। वो एक पतली सी नाइटी पहने थीं, जिसके नीचे कुछ भी नहीं दिख रहा था। नाइटी इतनी टाइट थी कि उनके कर्व्स साफ झलक रहे थे। उनके बाल खुले थे, और जांघें हल्की-हल्की दिख रही थीं। मैंने नजरें झुकाईं, पर दिल में आग सी लग गई।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

“अरे विशाल, अभी तक पढ़ रहा है? सो जा बेटा, थक जाएगा,” आंटी ने बड़े प्यार से कहा, और मेरे पास आकर खड़ी हो गईं। उनकी आवाज में एक अजीब सी मिठास थी, जो मेरे कानों में शहद की तरह घुल रही थी।

“हाँ आंटी, ये पेपर बहुत टफ है। पूरे साल पढ़ाई की, फिर भी लगता है कुछ याद ही नहीं। पागल हो जाऊंगा इस टेंशन में,” मैंने थोड़ा गुस्से में, थोड़ा मजाक में कहा।

आंटी हल्का सा मुस्कुराईं, और बोलीं, “अरे, ऐसा मत बोल। तू पास हो जाएगा। रुक, मैं तेरे लिए चाय बनाकर लाती हूँ।”

“नहीं आंटी, इतनी रात को क्यों तकलीफ कर रही हैं? रहने दें,” मैंने मना किया।

“अरे, इसमें तकलीफ कैसी? बस दो मिनट में आई,” ये कहकर वो चली गईं। लेकिन जाते वक्त उनकी गांड का मटकना… हाय, ऐसा लगा मानो वो मुझे जानबूझकर ललचा रही हों। उनकी नाइटी में उनकी गांड का हर उभार साफ दिख रहा था, और मेरे लंड में हलचल शुरू हो गई।

इसे भी पढ़ें  बेशर्म बाप ने बेटी से झांट छिलवाया

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

कुछ मिनट बाद आंटी चाय लेकर आईं। मैंने चाय पी और कहा, “आंटी, आप तो कमाल की चाय बनाती हैं। और खाना भी… सच में, आपका जवाब नहीं।”

आंटी ने एक गहरी सांस ली और बोलीं, “हाय बेटा, ये सब तो मैं सालों से कर रही हूँ। अब तो जैसे मशीन बन गई हूँ। सुबह उठो, झाड़ू-पोंछा, बर्तन, कपड़े, फिर खाना बनाओ, फिर वही चक्कर। कोई तारीफ ही नहीं करता। तूने आज तारीफ की, तो दिल को सुकून मिला।” उनकी आवाज में एक उदासी थी, और उनकी आँखें हल्की-हल्की नम हो गईं।

मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा, “आंटी, हर घर में शायद यही होता है। घर के काम को कोई इज्जत नहीं देता। लेकिन आप बहुत अच्छी हैं, सच में।”

आंटी मुझे देखने लगीं। उनकी आँखों में कुछ था—शायद उदासी, शायद चाहत। अचानक उन्होंने मुझे अपनी बांहों में खींच लिया। “विशाल, हम दोनों एक-दूसरे को थोड़ी सी राहत दे सकते हैं,” ये कहते हुए उन्होंने मेरे बालों में उंगलियाँ फेरनी शुरू कीं। उनकी नाइटी के नीचे कुछ भी नहीं था, और मेरा चेहरा उनकी जांघों के पास था। उनकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं। मेरे लंड में आग सी लग गई।

उन्होंने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों में लिया और मुझे अपनी छाती से चिपका लिया। मैंने साइंस में पढ़ा था कि जब मर्द-औरत एक-दूसरे को गले लगाते हैं, तो हॉर्मोन्स रिलीज होते हैं, जो अच्छा महसूस कराते हैं। लेकिन ये तो बस किताबी बात थी। असल में जो मैं महसूस कर रहा था, वो कुछ और ही था। मैंने हिम्मत करके आंटी की कमर पकड़ी और उन्हें कसकर अपनी बांहों में ले लिया। मेरे हाथ उनकी पीठ पर फिसलने लगे, और फिर मैंने हौले से उनकी मुलायम गांड पर हाथ रखा। मैंने उनके चूतड़ों को जोर से दबाया।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

“आहह…” आंटी की सिसकारी निकल गई। उनकी सांसें तेज हो गईं। हम दोनों कई मिनट तक एक-दूसरे की बांहों में खोए रहे। मेरे लंड में तनाव बढ़ता जा रहा था, और आंटी की गर्माहट मुझे पागल कर रही थी।

फिर आंटी मुझसे अलग हुईं और एक कातिलाना मुस्कान के साथ बोलीं, “हाय, इतने सालों बाद किसी ने मुझे ऐसे गले लगाया। तेरे अंकल को तो ये सब आता ही नहीं। तेरी बांहों में तो मैं बिल्कुल हल्की हो गई।”

मैं उन्हें वासना भरी नजरों से देख रहा था। मेरे चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा था। आंटी ने हँसते हुए कहा, “अरे, ये क्या? तेरे माथे की लकीरें तो बाहर निकल आईं। इतना तनाव क्यों लेता है?”

“हाँ आंटी, पढ़ाई का स्ट्रेस है। दिन-रात बस किताबों में सिर घुसाए रहता हूँ,” मैंने कहा।

“अरे मेरा प्यारा, इतना क्यों पढ़ता है? कोई गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बनाता? मन हल्का हो जाएगा,” आंटी ने चहकते हुए कहा।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

“हाय आंटी, गर्लफ्रेंड मेरे बस की बात नहीं। लड़कियां पटाना मेरे से होता ही नहीं। मैं तो अपनी तन्हाई में ही खुश हूँ,” मैंने थोड़ा शर्माते हुए कहा।

आंटी ने मेरी आँखों में देखा और बोलीं, “ऐसा मत बोल। चाहे तो मेरे साथ वो सब कर सकता है।” ये कहते हुए वो थोड़ा शरमा गईं।

मैं चौंक गया। “आंटी, आप सीरियस हैं? लेकिन ये गलत है ना? हमारा रिश्ता…”

“क्या फर्क पड़ता है, विशाल? एक औरत को जब प्यार ही नहीं मिलता, तो उसकी जवानी का क्या फायदा? आ जा मेरी बांहों में, और थोड़ा मजा ले ले। पेपर्स को भूल जा,” आंटी ने कहा, और उनकी आवाज में एक अजीब सी बेचैनी थी।

इसे भी पढ़ें  पैसों के लिए कुंवारी बहन को गांव के जमींदार से चुदवाया

“आंटी, अगर मैं आपके चक्कर में फेल हो गया तो?” मैंने हँसते हुए कहा।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

आंटी जोर से हँसीं। “अरे पागल, टेंशन मत ले! पास हो जाएगा।” ये कहते हुए वो मेरी गोद में आकर बैठ गईं। उनकी गोल गांड मेरे लंड से टकराई, और फिर उन्होंने अपने रसीले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।

आह… क्या गर्मजोशी थी उस चुंबन में। मेरे लंड में मानो आग लग गई। पहली बार किसी औरत ने मुझे किस किया था, और वो भी ऐसी औरत, जो भूखी शेरनी की तरह मेरे होंठों को चूस रही थी। मेरे लंड ने पैंट में टेंट बना लिया। वो इतना कड़क हो गया कि आंटी की गांड से टकराने लगा।

“हाय रे… ये क्या है? तेरा लंड है या कोई खंबा?” आंटी ने हँसते हुए कहा, और उनकी खिलखिलाहट ने माहौल को और गर्म कर दिया।

मैं बस उन्हें देखता रहा, मेरी आँखों में वासना साफ झलक रही थी। फिर आंटी मेरी गोद से उठीं और नीचे बैठ गईं। उन्होंने मेरी पैंट का बटन खोला, और जैसे ही जिप नीचे की, मेरा 7 इंच का गुलाबी लंड सटाक से बाहर निकला और उनके गाल पर लग गया। मेरा लंड थोड़ा सा मुड़ा हुआ था, जैसे केला, और सुपारा एकदम चमक रहा था।

“बाप रे… ये तो बिल्कुल मोटा केला है! कितना कड़क है!” आंटी ने हैरानी से कहा और हौले से मेरे लंड को हाथ में लिया। “ऊई माँ… ये तो गुलाबी सुपारा है। इसे तो मैं काटकर खा जाऊँगी!”

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

“हाँ आंटी, ले लो। ये आपका ही है,” मैंने हिम्मत करके कहा।

आंटी ने अपना मुँह खोला और मेरे लंड को पूरा निगल लिया। उनके गर्म, रसीले होंठ मेरे लंड पर फिसलने लगे। वो लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं, और उनकी जीभ मेरे सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थी। “आहह… ऊह्ह…” मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं। ऐसा लग रहा था मानो मैं अभी झड़ जाऊँगा।

“आंटी, थोड़ा धीरे… पहली बार है मेरा। कहीं जल्दी झड़ गया तो मजा खराब हो जाएगा,” मैंने हाँफते हुए कहा।

आंटी ने मेरे लंड को मुँह से निकाला और बोलीं, “अरे, तू टेंशन मत ले। चल, मेरे ऊपर आ!” ये कहते हुए उन्होंने फटाक से अपनी नाइटी उतारी। उनका नंगा बदन मेरे सामने था—गोरे, चिकने मम्मे, जिनका साइज होगा कोई 36D, और उनकी चूत, जो हल्की-हल्की गीली चमक रही थी। वो पलंग पर लेट गईं और अपने पैर फैला दिए।

“ले, मेरी चूत चाट। इसका पानी निकलेगा, पर तेरा मजा नहीं बिगड़ेगा। चाट ले, बेटा… आह…” आंटी सिसकने लगीं।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैं 69 की पोजीशन में उनके ऊपर लेट गया। उनकी चूत की खुशबू… हाय, क्या नशीली थी। मैंने उनकी चूत पर जीभ रखी और चाटना शुरू किया। “आहह… ऊह्ह… ऐसे ही… हाय…” आंटी की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। उनकी चूत से क्रीम जैसा पानी निकल रहा था। मैंने उनकी क्लिट को जीभ से चाटा, और वो तड़पने लगीं। उनके दोनों पैरों ने मेरे सिर को जकड़ लिया, और मेरा चेहरा उनकी चूत में घुस गया।

“आह… विशाल… चाट… और जोर से…” आंटी की आवाज में वासना भरी थी। मैंने उनकी चूत को और तेजी से चाटा। उनकी चूत का पानी दो बार निकला, और चादर गीली हो गई। “हाय… कितना मजा दे रहा है तू…” आंटी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं।

फिर आंटी ने कहा, “बस अब… जल्दी से अपना केला डाल दे। घबरा मत, जी भर के चोद ले मुझे!” मैंने हौले से अपना लंड उनकी चूत में डाला। “आह…” उनकी चूत इतनी गीली थी कि लंड आसानी से सरक गया। “धीरे-धीरे कर, विशाल… जल्दी मत करना…” आंटी ने कहा।

मैं हौले-हौले धक्के मारने लगा। उनकी चूत की गर्मी और गीलापन मुझे पागल कर रहे थे। “आह… ऊह्ह… ऐसे ही… हाय…” आंटी की सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। करीब 15 मिनट तक मैंने धीरे-धीरे चोदा। फिर आंटी बोलीं, “अब स्पीड बढ़ा… जोर से कर… आह… फक मी हार्ड, बेबी…”

इसे भी पढ़ें  हॉट कामवाली की सेक्सी चुदाई लम्बे लंड से की

मैंने स्पीड बढ़ाई। “चट… चट…” लंड उनकी गीली चूत में रगड़ता हुआ आवाज कर रहा था। “आह… हाँ… फक मी… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे…” आंटी चिल्ला रही थीं। उन्होंने मेरी गांड पकड़ी और मुझे अपने पैरों से जकड़ लिया। मिशनरी पोजीशन में वो मुझे कसकर पकड़े हुए थीं। “चोद बेटा… फुल स्पीड से चोद… मेरी चूत का भोसड़ा बना दे… आह…”

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैंने पूरी ताकत से धक्के मारने शुरू किए। “चट… चट… फच… फच…” कमरे में सिर्फ हमारी सिसकारियाँ और चुदाई की आवाजें गूंज रही थीं। आंटी की चूत में मेरा लंड फिसल रहा था, और करीब 20 धक्कों बाद मेरा गर्म वीर्य उनकी चूत में छूट गया। “आहह… ऊह्ह…” मैंने लंड अंदर ही रखा और आंटी से चिपक गया। वो मुझे कसकर पकड़े रही, जब तक मेरा लंड ढीला नहीं हो गया।

हम दोनों थककर चूर हो गए और सो गए। अगली चार रातें भी ऐसी ही बीतीं। आंटी अंकल को नींद की गोलियाँ खिलाकर मेरे कमरे में आतीं, और हम अलग-अलग पोजीशन में चुदाई का मजा लेते। डॉगी स्टाइल में उनकी गोल गांड को देखकर तो मैं पागल हो जाता। “पट… पट…” उनकी गांड पर मेरे धक्के पड़ते, और वो चिल्लातीं, “हाय… और जोर से… मेरी गांड मार दे… आह…”

सातवां दिन आया, और मुझे वापस जाना था। दोपहर को मैं सामान पैक कर रहा था। आंटी दरवाजे पर खड़ी थीं, उनकी आँखें नम थीं। “विशाल, तूने मुझे वो सुख दिया, जो मैंने सालों से नहीं लिया। तू मुझे छोड़कर मत जा,” वो रोते हुए मेरी बांहों में आ गईं।

“आंटी, समझो ना… हम एक-दूसरे के नहीं हो सकते। लेकिन आपने जो प्यार दिया, वो मैं कभी नहीं भूलूँगा,” मैंने कहा। हमने आखिरी बार एक-दूसरे को गले लगाया, किस किया, और मैं घर के लिए निकल गया।

उस रातों का असर ऐसा हुआ कि मेरा स्ट्रेस गायब हो गया, और मेरा रिजल्ट शानदार आया। शायद ये आंटी के प्यार का कमाल था।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

कुछ साल बाद, आंटी की सौतेली बेटी, ममता, जो बाहर पढ़ रही थी, उससे मेरी शादी की बात चली। आंटी ने ही ये रिश्ता तय किया। ममता भी अपनी माँ की तरह गदराई थी—वही गोरा रंग, वही गोल गांड। लेकिन मेरे मन में हमेशा आंटी की याद रही। जब भी मैं ससुराल जाता, आंटी अकेले में मुझे छू लेतीं, प्यार कर लेतीं।

आज सात साल बाद भी मेरी बीवी को नहीं पता कि उसकी माँ मेरे साथ कितनी बार चुद चुकी है। अंकल अब इस दुनिया में नहीं हैं, और आंटी मेनोपॉज की वजह से थोड़ी चिड़चिड़ी हो गई हैं। वो अब सेक्स के लिए नहीं बुलातीं, पर फोन पर कहती हैं, “ममता को रोज प्यार करना, विशाल। औरत बिना प्यार के जी नहीं सकती।”

तो ये थी मेरी और शोभा आंटी की चुदाई की कहानी। आपको कैसी लगी, प्लीज कमेंट करें और बताएँ!

Related Posts

Leave a Comment