पति पत्नी की अदला बदली चुदाई

यह कहानी एक छोटे से शहर की है जो कि दो जोड़ों के बीच हुई एक अनजान चुदाई की है, विनय और उसकी पत्नी गरिमा, अरविंद और उसकी पत्नी नम्रता के बीच की। दोस्तों, विनय और गरिमा लखनऊ में रहते हैं और उनकी लाइफ बिल्कुल सही चल रही थी। विनय ब्यूरो में काम करता है तो उसकी वाइफ घर पर रहती है।

विनय अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता है और गरिमा भी उससे उतना ही प्यार करती है, लेकिन जिस तरह से एक आदमी की भूख सिर्फ प्यार से नहीं भरती, विनय भी वैसा ही था। उसे भी जिस्म की भूख थी, ऐसी भूख जो सिर्फ एक जिस्म से पूरी नहीं हो सकती थी। विनय हमेशा चाहता था कि वो ग्रुप सेक्स करे।

लेकिन वो डरता था कि इससे उसके जीवन में बहुत मुश्किलें आ सकती थीं। वो अपनी बीवी के साथ ग्रुप सेक्स करना चाहता था, लेकिन वो चाहकर भी ऐसा नहीं कर पा रहा था, क्योंकि गरिमा बहुत शरीफ और भगवान को मानने वाली थी। वो यह सब बिल्कुल गलत मानती थी और विनय को यह बात अच्छे से पता थी।

विनय ने अपने दिल की इस इच्छा को काफी हद तक मार लिया था। इस बीच एक दिन विनय को पता चला कि उसे किसी काम से इंदौर जाना पड़ रहा है और उसे करीब तीन-चार महीने लगेंगे। उसने गरिमा को यह सब बताया और दो दिन बाद वो इंदौर के लिए निकल पड़ा।

इंदौर पहुंचकर उसने ऑफिस जाकर काम शुरू किया। एक दिन जब वो शाम को ऑफिस से अपने रूम पर जा रहा था, तभी एक आदमी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, “और अरविंद, क्या हाल है?” विनय उसकी बात सुनकर एकदम चकित हो गया और बोला, “भाई साहब, आपको कोई गलतफहमी हुई है, मेरा नाम विनय है।”

वो आदमी हंसकर बोला, “मजाक कर रहा हूँ यार!” और मजाक में विनय को गाली दे दी। विनय भड़क गया और उससे झगड़ा करके वहां से चला गया। अपने रूम पर पहुंचकर वो इस बारे में सोचने लगा। उसे लगा कि हो न हो, उसकी ही शक्ल का कोई और आदमी है, जिसका नाम अरविंद है और वो इसी शहर में रहता है।

विनय सोचने लगा कि क्या यह अरविंद सही में मेरे जैसा दिखता है? अब उसके मन में भी उससे मिलने की इच्छा होने लगी। फिर उसने इस बात को कुछ देर सोचकर दिमाग से निकाल दिया।

कुछ दिनों बाद वही आदमी उसे दोबारा दिखा। विनय उसके पास गया और बोला, “और, तुम कैसे हो?” उस आदमी ने थोड़ा नाराज होकर कहा, “क्यों, उस दिन तो मुझे पहचानने से इनकार कर रहे थे, आज कैसे पहचान लिया?”

विनय: “यार, प्लीज मुझे माफ कर दे। उस दिन मेरा दिमाग थोड़ा खराब था। मेरे एक बॉस ने मेरी गांड में डंडा कर रखा है, उसी चक्कर में तुम पर गुस्सा निकल गया।” Husband Wife Swapping Sex Sory

वो आदमी: “चल, कोई बात नहीं यार। तू भी ऐसे उदास हो जाता है। चल, अब कोल्ड ड्रिंक पीते हैं।”

विनय: कोल्ड ड्रिंक पीते हुए विनय ने कहा, “भाई, मैंने तुम्हें एक मैसेज किया था, तुमने जवाब नहीं दिया?”

वो आदमी: “मुझे तो ऐसा कोई मैसेज नहीं मिला।” (वो अपना मोबाइल निकालकर मैसेज दिखाने लगा।)

विनय: “क्यों, दिखा?” (विनय ने उसका मोबाइल लेकर अरविंद का एक मैसेज खोला और उसका नंबर मन ही मन याद कर लिया।) “हाँ यार, पता नहीं क्यों नहीं पहुंचा?”

विनय वहां से अपने रूम पर आया और उस नंबर की सारी जानकारी निकलवाई। वो उसी काम में था, तो उसे जानकारी निकालने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। अब उसे अरविंद के बारे में सब पता चल गया।

दोस्तों, अरविंद एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था। उसकी पत्नी का नाम नम्रता है। उनकी शादी को तीन साल हो चुके थे। विनय को उसके घर का पता भी मिल गया। अगले दिन उसने अरविंद को फोन लगाया।

अरविंद से मिलने की बात कही तो वो मान गया। अगले दिन वो एक होटल में मिले। विनय पहले ही पहुंच गया था। जब अरविंद ने उसे देखा, वो आश्चर्यचकित हो गया और बोला, “तुम तो एकदम मेरे जैसे लग रहे हो! मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं आइना देख रहा हूँ।”

विनय: “हाँ, मुझे भी बिल्कुल ऐसा ही लग रहा है।”

अरविंद: “लेकिन तुम्हें कैसे पता कि मैं तुम्हारे जैसा दिखता हूँ?”

विनय ने उस दिन की पूरी बात विस्तार से बताई। उस दिन से दोनों अच्छे दोस्त बन गए। जाने से पहले विनय ने अरविंद से कहा, “तुम इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताना। हम लोगों को बेवकूफ बनाएंगे।” अरविंद मान गया।

अरविंद और विनय गहरे दोस्त बन गए। एक दिन विनय ने अरविंद को अपने घर खाना खाने बुलाया। दोनों ने खूब दारू पी, मस्ती की, सेक्स की बातें की और ब्लू फिल्म भी देखी। ब्लू फिल्म देखते हुए अरविंद बोला।

अरविंद: “यार विनय, इस ग्रुप सेक्स में कितना मजा आता होगा ना?”

विनय: “भाई, मुझे तो बिल्कुल पता नहीं, क्योंकि मैंने कभी ऐसा किया ही नहीं।”

अरविंद: “भाई, अगली बार एक रंडी लाते हैं। फिर हम मिलकर उसके मजे लेंगे।”

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विनय: “हाँ ठीक है भाई, हम दोनों उसके साथ मस्त मजे करेंगे।”

अरविंद: (दुखी होकर) “भाई, मैं तो अपनी जिंदगी से बहुत दुखी हो गया हूँ। मेरा मन करता है कि कहीं भाग जाऊँ। यह दुनिया अब मुझे काटने को दौड़ती है।”

विनय: “हाँ भाई, मेरा भी यही हाल है।”

फिर दोनों सो गए। अगला दिन रविवार था, तो ऑफिस की कोई टेंशन नहीं थी। सुबह दोनों देर से उठे और बातें करने लगे। विनय ने कहा, “यार, रात को तुम्हें बहुत नशा हो गया था। क्या हुआ, लाइफ में सब ठीक तो है ना?” अरविंद ने कहा, “नहीं यार, मैं इस लाइफ से बहुत पक गया हूँ। कुछ दिनों की छुट्टी चाहता हूँ।”

विनय: “मेरे पास एक आइडिया है, जिससे तू अपनी लाइफ से छुट्टी ले सकता है।”

अरविंद: “भाई, मुझे मरना नहीं है।”

विनय: “नहीं यार, देख, हम दोनों अपनी लाइफ एक-दूसरे से बदल लेते हैं। तू इस बारे में क्या कहता है?”

अरविंद को यह बात बहुत अच्छी लगी, लेकिन उसने शर्त रखी कि विनय उसकी पत्नी को हाथ नहीं लगाएगा। विनय ने भी कहा कि वो अरविंद की पत्नी को हाथ नहीं लगाएगा। दोनों मान गए।

विनय ने कहा कि उसे चार-पांच दिन में लखनऊ जाना है, तो अरविंद तैयार रहे। कुछ दिनों बाद विनय ने अरविंद को रेलवे स्टेशन बुलाया और सब समझा दिया। अरविंद ने भी उसे सब बताया—घर कैसा है, कितने रूम हैं, प्यार से अपनी पत्नी को क्या कहता है, सब कुछ।

दोनों पब्लिक बाथरूम में गए और कपड़े, आईडी, पास, सब बदल लिया। अरविंद लखनऊ के लिए निकल गया और विनय अरविंद के घर के लिए। दोस्तों, अब विनय सोच रहा था कि वहां क्या होगा?

विनय, जो अब अरविंद बन चुका था, अरविंद के घर पहुंचा और घंटी बजाई। नम्रता ने दरवाजा खोला। विनय उसे देखता रह गया। वो गोरी-चिट्टी थी, लंबाई करीब 5.6 फीट, मस्त उभरे हुए बूब्स, पतली कमर, और मस्त गांड। उसका फिगर करीब 34-30-36 होगा। विनय के होश उड़ गए।

नम्रता ने देखा कि वो बाहर खड़ा है, तो बोली, “अंदर भी आओगे या यहीं खड़े रहोगे?” तब विनय को होश आया। अंदर जाते-जाते उसे अरविंद की शर्त याद आई (तुम मेरी बीवी को हाथ नहीं लगाओगे)।

नम्रता: “क्या बात है, आप आज बड़ी जल्दी आ गए?”

विनय: “हाँ, आज काम थोड़ा जल्दी खत्म हो गया था, तो मैं जल्दी आ गया।”

नम्रता: “आप फ्रेश हो जाइए, मैं आपके लिए चाय और नाश्ता बना देती हूँ।”

विनय: “हाँ, ठीक है।”

विनय बेडरूम की बजाय लिविंग रूम की तरफ जाने लगा। नम्रता ने कहा, “आप वहां कहाँ जा रहे हैं?” विनय को होश आया। उसने बात संभाली, “वो, कल मैंने एक फाइल रखी थी, वही ढूंढ रहा हूँ।”

नम्रता: “उसे बाद में ढूंढ लेना, पहले फ्रेश हो जाओ।”

विनय ने घर को ध्यान से देखा और बेडरूम में गया। कपड़े बदलकर बाथरूम में फ्रेश होने गया। वहां नम्रता की ब्रा और पेंटी पड़ी थी।

विनय खुद को रोक नहीं पाया। उसने नम्रता की पेंटी और ब्रा को हाथ में लिया, महसूस करने लगा। उसका नजरिया बदलने लगा। वो नम्रता के साथ सेक्स के बारे में सोचने लगा। लेकिन उसे डर था कि कहीं अरविंद उसकी पत्नी के साथ चुदाई न कर दे।

फिर उसने सोचा, वो भी कौन-सा दूध का धुला है, जो मेरी बीवी को नहीं चोदेगा। यह सोचकर विनय ने नम्रता की पेंटी सूंघी, फिर रख दी और फ्रेश होकर बेडरूम में आया। नम्रता चाय और नाश्ता लेकर इंतजार कर रही थी।

दोनों चाय पी रहे थे। नम्रता कुछ बता रही थी, लेकिन विनय का ध्यान उसके जिस्म पर था। नम्रता ने बड़े गले की ढीली मेक्सी पहनी थी, जिससे उसकी छाती साफ दिख रही थी। वो चाय की चुस्की के साथ उसे निहार रहा था।

नम्रता ने पूछा, “है ना?” विनय ने कहा, “हाँ, सही बात है।” चाय खत्म हुई। नम्रता किचन में खाना बनाने चली गई। विनय टीवी देखने लगा, लेकिन उसका ध्यान नम्रता पर ही था। वो सोच रहा था, कहाँ से शुरू करूँ?

रात का खाना खाकर दोनों सोने की तैयारी करने लगे। विनय खुद को काबू में रखकर सोने लगा, लेकिन नींद कहाँ थी? रात करीब बारह बजे उससे रहा नहीं गया। वो नम्रता के बदन को देखने लगा।

नम्रता पीठ के बल सोई थी। उसकी सांसों के साथ उसके बूब्स ऊपर-नीचे हो रहे थे, जो विनय को पागल कर रहे थे। उसने आराम से नम्रता की मेक्सी के ऊपर के तीन बटन खोल दिए। नम्रता ने ब्रा नहीं पहनी थी। उसके बूब्स बेपर्दा हो गए।

विनय ने एक हाथ उसके बूब्स पर रखा और धीरे-धीरे सहलाने, दबाने लगा। उसे मजा आ रहा था। तभी नम्रता ने नींद में कहा, “आप यह क्या कर रहे हैं?” विनय ने तुरंत हाथ हटा लिया।

नम्रता: “प्लीज, मुझे सोने दीजिए। यह कौन-सा टाइम है? प्लीज, कल कर लेना।”

विनय को एहसास हुआ कि वो अब अरविंद है। वो खुश होकर बाथरूम गया, नम्रता के नाम की मुठ मारी और उसके साथ लिपटकर सो गया।

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अगले दिन विनय उठा तो नम्रता चाय बनाकर ले आई। वो बोली, “उठ गए आप? क्या बात है, रात को बड़ा प्यार आ रहा था?” विनय ने उसका हाथ पकड़कर उसे खींच लिया और बोला, “क्या, मैं अब तुमसे प्यार भी नहीं कर सकता?”

वो नम्रता की गर्दन पर किस करने लगा। नम्रता बोली, “छोड़िए, आप भी ना! सुबह-सुबह क्या बात है? आजकल जनाब के मिजाज बदले-बदले हैं।” इतना कहकर वो चली गई। उस दिन रविवार था। नाश्ते के बाद विनय को रात की बात याद आई।

वो किचन में गया, नम्रता को पीछे से पकड़ा और उसकी गर्दन पर किस करने लगा। नम्रता बोली, “कल से देख रही हूँ, जनाब बड़े आशिकाना हो रहे हैं। क्या बात है?”

विनय: “ऐसा कुछ नहीं, बस तुम पर प्यार आ रहा था।”

वो नम्रता को गोद में उठाकर बेडरूम ले जाने लगा। नम्रता बोली, “यहाँ खाना कौन बनाएगा?” वो कह रही थी, तभी विनय ने उसे किस करना शुरू किया। नम्रता धीरे-धीरे गरम होने लगी।

विनय ने नम्रता को बेड पर लिटाया, उसके ऊपर लेट गया और पूरे बदन पर किस करने लगा। उसने नम्रता की मेक्सी उतार दी और उसके बूब्स को किस करने, चूसने लगा। नम्रता पूरी तरह गरम हो रही थी।

विनय उसकी पेंटी की तरफ गया और एक जोरदार झटके में पेंटी उतार दी। वो उसकी चूत को चाटने लगा। नम्रता बोली, “यह आप क्या कर रहे हैं?” विनय: “इससे सेक्स में ज्यादा मजा आता है।”

नम्रता को यह सुनकर अजीब लगा, लेकिन वो कामवासना की आग में जल रही थी, इसलिए चुप रही। विनय उसकी चूत चाट रहा था। फिर उसने अपने कपड़े उतारे और नम्रता के ऊपर चढ़ गया। उसने अपना लंड नम्रता की चूत पर लगाकर एक जोरदार झटका मारा।

आधा लंड चूत में चला गया। नम्रता दर्द से सिहर गई। एक और झटके के साथ पूरा लंड चूत में था। विनय ने लगातार झटके मारने शुरू किए। कमरे में “पच-पच, फच-फच” की आवाजें और नम्रता की “आह… ओह…” की सिसकारियां गूंजने लगीं।

नम्रता: “आह, धीरे करो ना, जान ले लोगे क्या?”

विनय: “जानू, तेरी चूत का मजा ही अलग है। ले, और ले मेरा लंड।”

कुछ देर बाद नम्रता चूतड़ उठाकर चुदाई का मजा लेने लगी। उसका शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गई। उसकी चूत और फिसलन भरी हो गई। विनय का लंड तेजी से अंदर-बाहर होने लगा। उसने धक्कों की रफ्तार बढ़ाई और कुछ देर में नम्रता की चूत में झड़ गया। वो उसके ऊपर लेट गया।

नम्रता: “आजकल आप बहुत जोश में सेक्स करने लगे हो।”

विनय उसे किस करने लगा, उसके बूब्स दबाने लगा। वो उसे फिर चुदाई के लिए गरम करने लगा। नम्रता बोली, “प्लीज, अब छोड़ो।” लेकिन विनय नहीं रुका। उसने नम्रता को पेट के बल लिटाया, उसकी कमर को किस करने लगा, गांड को दबाने लगा, गांड में उंगली करने लगा।

नम्रता को यह अजीब लगा, क्योंकि अरविंद कभी उसकी गांड को नहीं छूता था। वो बोली, “आप यह क्या कर रहे हो? प्लीज, वहां मत करिए।” लेकिन विनय पर हवस सवार थी।

वो नम्रता के ऊपर लेट गया। नम्रता मना करती रही, “नहीं, वहां नहीं, प्लीज!” विनय ने अपने लंड पर थूक लगाया और नम्रता की गांड पर लंड लगाकर जोरदार झटका मारा। लंड फिसल गया। नम्रता चिल्लाने लगी, “आह, नहीं!”

विनय: “प्लीज जानू, बस एक बार करने दे। इसके बाद कभी नहीं करूंगा।”

नम्रता मना करती रही। विनय ने फिर लंड गांड पर लगाया और जोरदार झटका मारा। लंड का सुपाड़ा गांड में चला गया। नम्रता की चीख मुंह में अटक गई। एक और झटके में आधा लंड गांड में था। नम्रता की गांड फट गई। खून निकलने लगा। वो दर्द से बेहोश-सी हो गई। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे।

विनय ने थोड़ा रुककर धीरे-धीरे झटके मारने शुरू किए। कुछ देर बाद नम्रता भी गांड में लंड का मजा लेने लगी। “आह… ओह…” की सिसकारियां निकलने लगीं। लेकिन विनय ज्यादा जोश में था। कुछ देर बाद वो नम्रता की गांड में झड़ गया और थककर उसके ऊपर लेट गया। वो उसकी गर्दन पर किस करता रहा।

विनय: “प्लीज, मुझे माफ कर दो।”

नम्रता: “आपने मेरे साथ ऐसा जबरदस्ती क्यों किया? आप तो मेरे साथ कभी ऐसा नहीं करते थे।”

विनय: “प्लीज डियर, माफ कर दो। मैं कुछ अलग सेक्स के मजे लेना चाहता था। मुझे लगा तुम मना करोगी, इसलिए जबरदस्ती कर दी।”

नम्रता: “आप एक बार पूछते तो सही।” दोनों वैसे ही लेटे रहे।

दोस्तों, अरविंद अब लखनऊ पहुंच चुका था। वो विनय के घर गया और घंटी बजाई। गरिमा ने दरवाजा खोला। अरविंद उसे देखता रह गया। वो मस्त, गोरी, पहाड़ी लड़की जैसी थी। उसका फिगर न ज्यादा बड़ा, न कम।

गरिमा ने अरविंद को विनय समझकर गले लगा लिया। अरविंद सकपका गया, लेकिन उसने भी गले लगा लिया। तभी उसे अपना वादा याद आया (वो विनय की पत्नी को हाथ नहीं लगाएगा)। वो गरिमा से अलग हो गया और सामान लेकर अंदर चला गया।

गरिमा को यह अटपटा लगा। उसने सोचा, शायद सफर की थकान होगी। वो चुपचाप अंदर गई और अरविंद के लिए चाय-नाश्ता बनाकर लाई। अरविंद ने थोड़ी बात की ताकि गरिमा ज्यादा सवाल न करे।

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रात का खाना खाकर दोनों सोने की तैयारी करने लगे। विनय और गरिमा सेक्स में खुलकर बातें करते थे, लेकिन गरिमा ग्रुप सेक्स के लिए कभी राजी नहीं थी। गरिमा बोली, “आज मेरा बड़ा मन हो रहा है। प्लीज, चलो ना करते हैं। कितने दिन हो गए।”

यह सुनकर अरविंद गरम हो गया, लेकिन उसे शर्त याद आई। उसने बहाना बनाया, “मैं थक गया हूँ, बहुत नींद आ रही है।” गरिमा ने सोचा, शायद सच में थके होंगे।

अगले दिन से अरविंद विनय की लाइफ जीने लगा। उसे मजा आ रहा था। वो लखनऊ घूमता, कभी मसूरी जाता। लेकिन वो गरिमा की तरफ खिंच रहा था। उसने अपने मन को काबू में रखा।

एक सुबह अरविंद उठा तो देखा, गरिमा बाथरूम से टॉवल लपेटकर बेडरूम में आई और उसके सामने कपड़े बदलने लगी। अरविंद उसकी जवानी देखकर पागल होने लगा। लेकिन वो कुछ नहीं करना चाहता था। वो बाहर चला गया।

गरिमा को उसका व्यवहार बुरा लगा। अरविंद बाथरूम में गया और गरिमा के नाम की मुठ मारकर शांत हुआ। शाम को जब वो वापस आया, गरिमा प्यार के मूड में थी। उसने अरविंद को गले लगाया, प्यार करने लगी। लेकिन अरविंद ने उसे दूर हटा दिया।

गरिमा ने फिर कोशिश की, उसे पीछे से पकड़ा, हग किया। अरविंद ने फिर अलग कर दिया। गरिमा उदास हो गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अरविंद ऐसा क्यों कर रहा है। वो अपनी जवानी उस पर उड़ेलना चाहती थी, लेकिन अरविंद उसे नकार रहा था।

गरिमा उसके सामने गई, अपने बूब्स खोलकर बोली, “क्या हो गया तुम्हें? मुझमें क्या कमी है? ध्यान से देखो, मैं तुम्हारी वही पुरानी गरिमा हूँ।”

अरविंद: “हाँ, मैं सब जानता हूँ।”

गरिमा: “तो तुम मुझसे ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हो, जैसे मैं कोई अजनबी हूँ?”

अरविंद: “ऐसी कोई बात नहीं है।”

गरिमा: “फिर क्या बात है? मैंने तुम्हें परखा है। तुम जब से आए हो, मुझे ध्यान से देख भी नहीं रहे।”

अरविंद: “क्यों, देख तो रहा हूँ। तुम बताओ, मैं कैसे देखूं?”

गरिमा: “क्या देख रहे हो? तुम मुझे प्यार क्यों नहीं करते? तुम्हें क्या हो गया है?”

गरिमा ने अरविंद का हाथ पकड़ा और अपने बूब्स पर रख दिया, बोली, “प्यार करो, मैं पूरी तरह तुम्हारी हूँ।” अरविंद के बदन में करंट-सा दौड़ा। लेकिन उसने हाथ हटा लिया और घर छोड़कर चला गया। गरिमा रोती रह गई।

गरिमा समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे। उसने ठान लिया कि वो अपने पति को हर हाल में मना लेगी। रात दस बजे अरविंद आया और सीधा सो गया।

गरिमा तैयार थी। उसने अरविंद को प्यार करना शुरू किया। कभी किस करती, कभी उसके लंड को रगड़ती। अरविंद का काबू धीरे-धीरे छूटने लगा।

गरिमा ने अरविंद का लंड पेंट से निकाला और मुंह में डाल लिया। वो लोलीपॉप की तरह चूसने लगी। अरविंद तड़पने लगा। उसने गरिमा का सिर पकड़कर लंड पर दबाया। गरिमा और तेजी से चूसने लगी। अरविंद कई दिनों से सेक्स से दूर था। दस मिनट में उसका लंड गरिमा के मुंह में झड़ गया। गरिमा ने सब पी लिया।

अरविंद ने गरिमा की मेक्सी उतारकर फेंक दी। उसने जीभ से उसके पूरे बदन को चाटा। कोई जगह नहीं छोड़ी। वो गरिमा के जिस्म पर टूट पड़ा।

उसका लंड फिर खड़ा हो गया। गरिमा की “आह… ओह…” की सिसकारियां लंड को चूत में बुला रही थीं। अरविंद ने लंड गरिमा की चूत पर लगाया और जोरदार धक्का मारा। आधा लंड चूत में चला गया। गरिमा चीख पड़ी, “आह!”

अरविंद: “ले मेरी जान, तेरा यह मस्त जिस्म मेरा लंड मांग रहा था।”

गरिमा: “आह, धीरे करो ना! उफ, कितना मोटा है।”

अरविंद पर हवस हावी थी। वो गरिमा का दर्द, चीखें, शर्त, कुछ नहीं देख रहा था। कमरे में “थप-थप, पच-पच” की आवाजें और गरिमा की “आह… ओह… चोदो मुझे!” की सिसकारियां गूंज रही थीं।

अरविंद का बदन अकड़ गया। वो गरिमा की चूत में झड़ गया और उसके ऊपर गिर गया। दोनों उसी हालत में सो गए। सुबह अरविंद पहले उठा। उसने खुद को नंगी गरिमा के ऊपर पाया। उसे लगा, उसने क्या कर दिया? वो खुद को दोष देने लगा।

दोस्तों, आपको यह कहानी कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसी अदला-बदली की कल्पना की है? अपने विचार कमेंट में जरूर बताएं।

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