शराबी चाची ने खुद टांगे खोल दी चुदवाने को

मेरे घर के बगल में एक चाची रहती है। उनका नाम सलमा है। वो बहुत सुंदर और सेक्सी माल हैं पर उनके अंदर एक ही कमी है कि वो ड्रिंक करती हैं। उनकी इसी हरकत के कारण उनके पति ने उनको छोड़ दिया और दूसरी शादी कर ली। सलमा चाची के सभी बच्चों की शादी हो चुकी है और अब वो अपने घर में अकेले रहती हैं। एक दिन उन्होंने मुझे किसी काम से बुलाया।

“आओ अरबाज़ !! आओ तुम्हारे लिए एक जाम बनाती हूँ!!” सलमा चाची बोली।

हम दोनों ने एक-एक ड्रिंक किया। चाची ने गुलाबी रंग की मैक्सी पहन रखी थी। उसमें बड़े-बड़े फूल बने हुए थे।

“क्या काम है चाची बोलो???” मैंने जाम पीते हुए कहा।

“बेटा अरबाज़ !! अभी गैस वाले का फोन आया था वो बस अड्डा पर खड़ा है! बेटा जाओ मोटर साइकिल से ये खाली सिलेंडर ले जाओ और भरा ले आना! ये लो बेटा पैसे और किताब” सलमा चाची बोली।

मैं कुछ देर तक तो उनकी सेक्सी मैक्सी में उनके बड़े-बड़े ३६ इंच के बूब्स ताड़ता रहा। फिर मैं गैस लाने चला गया। दोस्तों, बहुत धूप थी। जब मैं लौटकर भरा गैस सिलेंडर लेकर आया तो मेरे चेहरे कड़क धूप से बिल्कुल लाल हो चुका था। मेरे चेहरे पर पसीना ही पसीना था।

“अरे बेटा अरबाज़ !! आ गए तुम बेटा!! बहुत बड़ा काम कर दिया तुमने! आज बैठो! तुम्हारे लिए एक जाम और बनाती हूँ।” मेरी शराबी सेक्सी सलमा चाची बोली। मुझे भी शराब पीना बहुत पसंद था और चाची को भी बहुत पसंद था। धीरे-धीरे हम दोनों पूरी १ बोतल गटक गए। मुझे चढ़ गई और मेरा दिल चाची को चोदने का करने लगा। मैंने देखा कि चाची को भी चढ़ गई थी। उनकी आँखें लाल हो गई थीं।

“ऐ सलमा चाची !! बड़े दिन से कोई चूत नहीं मारी !! प्लीस मेरे लिए कहीं से चूत का इंतजाम कर दो!!” मैंने नशे में लड़खड़ाती आवाज़ में कह दिया। एक सेकंड के लिए तो चाची भौचक्की रह गईं।

“बेटा!! अगर तुझे चोदना है तो मुझे ही चोद ले!! मैंने भी कबसे नहीं चुदवाया है!…इसलिए तू मुझे ही चोद ले! तेरा काम भी बन जाएगा और मेरा काम भी बन जाएगा,” चाची ने हल्की झिझक के साथ कहा, उनकी आवाज़ में नशा और हवस दोनों झलक रहे थे।

फिर क्या था दोस्तों। मैंने चाची के पैर पर अपना हाथ रख दिया। धीरे-धीरे मैं उनके पास चला गया और उनको छूने लगा। चाची ३६ साल की थीं पर देखने में अभी भी बस २२-२३ की लगती थीं। शराब का नशा चढ़ने से मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था। मेरे दिल में थोड़ा डर था कि कहीं चाची बुरा न मान जाएँ, लेकिन उनकी आँखों में वही चुदास देखकर मैंने हिम्मत जुटाई।

१० मिनट बाद मैंने पाया कि मैं चाची को किस कर रहा हूँ। हम दोनों शराबियों के मुँह से शराब की बू आ रही थी, पर हमें दोनों में ये बहुत अच्छी लग रही थी। धीरे-धीरे मैंने चाची की मैक्सी पर से उनके बूब्स दबाने लगा। कुछ देर बाद तो मैं जोर-जोर से उनके आम दबाने लगा। चाची की सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह… अरबाज़… धीरे बेटा… थोड़ा प्यार से…”

सलमा चाची ने बहुत लंबी सी बिंदी लगा रखी थी जिससे उनका लंबा चेहरा और ज्यादा तीखा और सेक्सी लग रहा था। मैं मैक्सी पर से उनके बूब्स दबा रहा था। सलमा चाची के बूब्स बहुत ज्यादा जूसी और सेक्सी थे। मैंने उनको दबा रहा था और मुझे बहुत मज़ा मिल रहा था। कुछ देर बाद मेरा मन चाची को बिना कपड़ों में देखने का था।

“चाची! जब आपको चुदवाना ही है तो ये पर्दा कैसा??? प्लीस अपनी मैक्सी निकालो प्लीस!!” मैंने दुलार करते हुए कहा, मेरी आवाज़ में हल्की सी घबराहट थी।

उन्होंने तुरंत अपने दोनों हाथ ऊपर किए और गुलाबी मैक्सी निकाल दी। अब वो मेरे सामने बिना कपड़ों में थीं और पटाखा माल लग रही थीं। मैं उनसे चिपक गया और उनके बड़े-बड़े एक्स्ट्रा लार्ज दूध पर मैंने हाथ रख दिया।

“वाह चाची !! तुम माल तो बिल्कुल सॉलिड हो???” मैंने कहा, मेरी आँखें उनकी नंगी खूबसूरती पर टिकी थीं।

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“हाँ! बेटा! उसके बाद भी तो कोई मुझसे प्यार करने वाला नहीं है। मेरे पास कौन है, मैं और मेरी तन्हाई,” सलमा चाची बोलीं, उनकी आवाज़ में उदासी और हवस का मिश्रण था। वो बिल्कुल लंबी कंटीली बिंदी में एकदम सेक्सी चुदासी कुतिया लग रही थीं।

“चाची !! आपका ये भतीजा है ना !! जब भी तुमको लंड खाने का दिल करे, मुझे कॉल कर दिया करना। मैं आकर तुमको खूब चोदूंगा और मज़ा दूंगा!” मैंने जोश में कहा, मेरा लंड अब पूरी तरह तन चुका था।

उसके बाद मैं उनके दूध को अपने हाथों से छूने लगा। उनकी चूत मारने में मेरा लंड तड़प रहा था। आज कितने दिनों बाद किसी औरत को मैं चोदने वाला था। इसके अलावा ज्यादा उम्र की अधेड़ औरतों को चोदने में कुछ खास मज़ा मिलता है।

सलमा चाची ने आसमानी रंग की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी। उनकी छाती बहुत भारी-भारी थी। कबूतर बहुत बड़े-बड़े थे। उनका क्लीवेज बहुत हैवी था। मैंने चाची के ३६” के कबूतर पर हाथ रख दिया तो उनका बदन थरथरा गया। फिर मैंने चाची को अपनी तरफ झुका लिया और हम दोनों एक-दूसरे को किस करने लगे।

मैंने उनके मुँह पर अपना मुँह रख दिया। हम दोनों एक-दूसरे के होठ मज़े से पीने लगे। मेरा एक हाथ सलमा चाची के कंधे पर था, और दूसरा उनके बूब्स पर था। मैंने उनके विशाल आकार के चुच्चे दबाते-दबाते चाची के होठ पीने लगा। उनकी साँसें मेरी साँसें बन गईं। “आह्ह… बेटा… कितना मज़ा आ रहा है…” चाची ने सिसकारी भरी।

चाची ने मेरे दोनों कंधों पर अपने हाथ रख दिए और मेरा होठ पीने लगीं। कुछ देर बाद उनका हाथ मेरी जींस पर पहुँच गया। मेरा लंड खड़ा हो चुका था और इतना सख्त हो चुका था जैसे मेरी जींस पैंट को फाड़कर बाहर निकल आएगा। बिल्कुल लोहे जैसा सख्त हो गया था लंड मेरा।

सलमा चाची मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड पर अपना हाथ रगड़ने लगीं। मुझे बहुत अच्छा लगा। हम दोनों बड़ी देर तक मुँह से मुँह और लब से लब सटाकर एक-दूसरे का गर्मागर्म चुम्बन करने लगे। मन तो कर रहा था कि इस छिनाल की ब्रा-पैंटी फाड़ के रख दूँ और इस कुतिया को जल्दी से चोद लूँ, पर मैंने अपने आपको कंट्रोल कर लिया।

मैंने चाची के होठ जीभरके पिए। मेरा हाथ फिर चाची की चूत पर चला गया। पैंटी के ऊपर से मैं उनकी चूत छूने लगा और सहलाने लगा। फिर मैंने उनकी ब्रा खोल दी और निकाल दी। सलमा चाची के दोनों बड़े-बड़े कबूतर अब आज़ाद थे। अब उनपर कोई बंदिश नहीं थी।

मैंने चाची के नंगे मम्मों को हाथ में ले लिया और जोर-जोर से दबाने लगा। चाची “आई… आआई… आउ… आउ…” करने लगीं। फिर मैंने उनको बिस्तर पर लिटा दिया और उनके दूध पीने लगा। हम दोनों की आँखें बंद हो गईं। क्योंकि मुझे उनके दूध पीने में और उनको मुझे दूध पिलाने में मज़ा मिल रहा था।

चाची के कबूतर अब आज़ाद थे और बहुत बड़े-बड़े थे। मैं जोर-जोर से दोनों हाथों से उनके बूब्स को दबा रहा था और पी रहा था। “आह्ह… बेटा… और जोर से दबा… मेरे मम्मे फाड़ दे…” चाची ने हवस भरी आवाज़ में कहा। कुछ देर बाद मैंने शराबी चाची की पैंटी निकाल दी और अपने सारे कपड़े मैंने निकाल दिए। अब मैं और वेट नहीं कर सकता था। मुझे इसी समय चाची की बुर लेनी थी।

उन्होंने चुदवाने के लिए खुद ही अपने दोनों पैर खोल दिए। चाची भले ही ३६ साल की थीं, पर देखने में २२-२३ से ज्यादा की नहीं लगती थीं। मैं झुककर उनकी बुर पीने लगा। चाची की झांटें बहुत बड़ी-बड़ी थीं। झांटों में ज्यादा उम्र की अधेड़ औरतें और भी ज्यादा सेक्सी लगती हैं, उन्हें पेलने में और भी ज्यादा मज़ा मिलता है।

इसलिए मैं झुककर सलमा चाची की झांटों से भरी बुर पीने लगा। फिर उसमें उंगली करने लगा। जैसे-जैसे मैं चाची की चूत में उंगली करने लगा वो कांपने लगीं और उनका जिस्म थरथराने लगा। “आह्ह… अरबाज़… क्या कर रहा है… मेरी चूत में आग लग रही है…” चाची ने सिसकारी भरी। फिर मैं जोर-जोर से चाची का चूत का दाना घिसने लगा और दूसरे हाथ से चूत में उंगली करने लगा। जितने जोर-जोर से मैं चूत में उंगली करने लगा सलमा चाची उतनी ही मस्त होने लगीं।

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वो अपनी कमर उठाने लगीं। उनको जैसे मधहोशी छा रही थी। वो अपने दूध को खुद अपने हाथों से जोर-जोर से दबाने लगीं और अपने मम्मे अपने मुँह की तरफ झुकाकर खुद जीभ से चाटने लगीं। ऐसा करते हुए वो एक परफेक्ट चुदासी कुतिया लग रही थीं। मैंने मुँह लगाकर उनकी चूत पीने लगा और मज़े से उनका चूत का दाना घिसने लगा।

साथ में मैं चाची की बुर में उंगली भी कर रहा था। “आह्ह… ओह्ह… बेटा… और तेज़… मेरी चूत फाड़ दे…” चाची चिल्लाईं। दोस्तों, मैंने आधा घंटे तक अपनी प्यारी छिनाल शराबी चाची को ऐसे ही तड़पाया और खूब मज़ा लिया। उसके बाद मैंने अपना १२” लंड चाची के भोसड़े में डाल दिया और उनको चोदने लगा। “घप… घप… घप…” की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी। धीरे-धीरे हम दोनों चाची-भतीजे का अच्छा संतुलन बन गया और मस्त चुदाई होने लगी।

सलमा ने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर में लपेट दीं और दोनों हाथ मेरी पीठ में डाल दिए और मस्त “आह… आह… आह… अई… अई!!” करके चुदवाने लगीं। दोस्तों, मुझे मेरे लंड पर बड़ा मीठा-मीठा लग रहा था। बहुत ही गज़ब का अहसास था वो। मेरा १२” का लंड पूरा का पूरा उनकी चूत में उतर गया था और गचागच उनको पेल रहा था।

“लगे रहे भतीजे !! लगे रहो!! आज फाड़ दो अपनी छिनाल चाची की बुर!! फाड़ दो बेटा!! आज जीभर चोद दो मुझे बेटा!! कि मैं रोज़ तुमको बुला-बुलाकर चुदवाऊँ!!” चाची ने हवस में डूबी आवाज़ में कहा।

मैंने उनको बहुत तेज़ रफ्तार में पेल रहा था। मैं बहुत ज्यादा चुदासा था इस वक्त। मैंने २-४ तमाचा चाची के गोल-मटोल दूध पर चट-चट मार दिया जिससे उनको खूब मज़ा मिला। “आह्ह… मार और ज़ोर से… मेरे मम्मों को लाल कर दे…” चाची ने कहा। फिर मैंने चाची के मुँह पर ५-६ तमाचे कस-कसके मार दिए चट-चट। इससे भी बहुत किक मुझे मिली दोस्तों।

चाची मार खा-खाकर चुद रही थीं। मैंने उनके गले में अपना सीधा हाथ डाल दिया और उल्टा हाथ चाची के कंधे पर रख दिया और घपाघप उनको किसी रंडी की तरह पेलने लगा। “घप… घप… घप…” की आवाज़ और तेज़ हो गई। दोस्तों, उनके गले में हाथ डाल देने से मुझे बहुत अच्छी पकड़ चाची के बदन पर मिल रही थी।

मैं उनको गहराई में पेल पा रहा था। इससे वो आगे फिसल नहीं पा रही थीं और मज़े से चुद रही थीं। मैं उनको लगातार बिना रुके ठोक रहा था। चाची बार-बार अपने दूध को पकड़ के खुद ही पी रही थीं। उनकी हालत बता रही थी कि उनको चुदवाने में खूब मज़ा मिल रहा था।

“आआआ… ब…ब…बेटा!! आज चोद दो अपनी चाची को हुसड़ के!!… च…च…चोद दो इस छिनाल को बेटा!! … और मेरी हवस में हमेशा-हमेशा के लिए शांत कर दो!!” चाची बोलीं, उनकी आवाज़ में हवस और तड़प साफ झलक रही थी।

मैं उनको ठोंकता रहा। सलमा चाची ये बात नहीं जानती थीं कि हवस कभी शांत नहीं होती है। कोई लंड की प्यासी औरत जितना ज्यादा चुदवाती है उसे लंड खाने की भूख उतनी ज्यादा लगती है। ये बात चाची को शायद पता ही नहीं थी। मैंने जितना ज्यादा उनको पेल रहा था उनकी चुदवाने की इच्छा उतनी ज्यादा प्रबल हो रही थी।

सलमा चाची की बुर तो बिल्कुल मक्खन-मलाई जैसी थी। मेरे मोटे १२” के लंड खाने से उनकी चूत के बड़े-बड़े होठ किनारे को खिसक गए थे। आह क्या मलाई जैसी चूत थी यारों। “आह्ह… ओह्ह… बेटा… तेरे लंड ने तो मेरी चूत को पागल कर दिया…” चाची ने सिसकारी भरी। कुछ देर तक चाची को पेलने के बाद मैं उनकी चूत में आउट हो गया। फिर ५ मिनट में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।

मैंने बेड पर लेट गया और मैंने उनको अपने लंड पर बिठा लिया। चाची के नाखून खूब बड़े-बड़े थे। उनपर लाल रंग की चटक नेल पॉलिश लगी हुई थी। चाची को जब मैं अपने लंड पर बैठाकर चोदने लगा तो उनके तेज़ बिल्ली जैसे नाखून मेरी कमर और हाथ पर किसी कांटे की तरह चुभ गए। पर मुझे ये बहुत सेक्सी लगा दोस्तों।

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वो चुदाई की क्या जिसमें औरत के नाखून मर्द को ना चुभे और खून ना निकले। धीरे-धीरे सलमा चाची ने मेरे सीने पर अपने दोनों हाथ रख दिए और किसी अल्टर माल की तरह उचक-उचक कर खुद ही मज़े से चुदवाने लगीं। “आह्ह… ओह्ह… बेटा… तेरा लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा है…” चाची ने कहा।

मेरे सीने में फिर से उनके तेज़ नाखून गड़ गए। पर चाची को चोदने में मुझे जन्नत का मज़ा मिल रहा था। दोस्तों, मैं जितना समझ रहा था सलमा चाची उससे ज्यादा समझदार और चुदक्कड़ निकलीं। उनकी कमर तो नागिन की तरह मेरे लंड पर अपने आप नाचने लगी।

“चाची !! आपने इस तरह कमर मटका-मटकाकर चुदवाना कहाँ सीखा???” मैंने पूछा, मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं।

“बेटा अरबाज़ !! जब मेरे पति मुझे छोड़कर चले गए थे तो पास वाले ठेके पर मैं रोज़ रात को शराब लेने जाती थी। वहाँ के मर्द ही मुझे इस तरह लंड पर बैठाकर भांजते थे। बेटा वही सीखा था मैंने इस तरह कमर चला-चलाकर चुदवाना!!” चाची ने कहा, उनकी आँखों में शरारत और हवस चमक रही थी।

दोस्तों, चाची की कमर अपने आप मेरे लंड पर आगे-पीछे होकर नाच रही थी। ओह्ह्ह्ह देखने में ही कितना मज़ा मिल रहा था। ऐसा लग रहा था चाची किसी घोड़े पर सवार हैं और घोड़ा कबड़-कबड़ तेज़ रफ्तार से दौड़े जा रहा है। फिर मैं भी अपनी तरफ से धक्के देने लगा और चाची को चोदने लगा। “घप… घप… घप…” की आवाज़ फिर से गूंजने लगी।

चाची अब बहुत हल्की लग रही थीं मेरे लंड पर बहुत आराम से ऊपर-नीचे हो रही थीं। चुदते-चुदते उनकी चूत से माल निकल आया जो मेरे लंड पर अच्छे से चुपड़ गया। इससे मेरा लंड और ज्यादा चिकना हो गया और सलमा चाची मज़े से चुदने लगीं। मैंने उनकी कमर पकड़ ली और उनके गोल-मटोल पुट्ठों को अपने हाथों में भर लिया।

“ओह्ह गॉड!!… अरबाज़ !! फक मी हार्ड!!” चाची बोलीं, उनकी आवाज़ में तड़प थी।

मैंने उनके लंबे खुले रेशमी बाल पकड़ लिए और अपने सीधे हाथ में गोल-गोल लपेट लिए और लंड की प्यासी अपनी शराबी चाची को घपा-घप मैं पेलने लगा। उनके बाल पकड़ने से मेरी चाची के चुदासे जिस्म पर गहरी पकड़ मिलने लगी। वो किसी ऊँट की तरह मेरे लंड पर उछलने लगीं और मैं मज़े से उनको चोदने लगा। मैं जिस तरह से उनके बाल कसके पकड़ रखे थे, उनका सर दाईं तरफ झुका जा रहा था और मैं नीचे से उनकी चूत में एक के बाद एक हमला किए जा रहा था।

चाची को सर में दर्द भी हो रहा था पर फिर भी वो उछल-उछलकर चुदवा रही थीं। “आह्ह… बेटा… और ज़ोर से… मेरी चूत को रगड़ दे…” चाची चिल्लाईं। जैसे मिर्ची तीखी होती है, पर फिर भी उसके दीवाने सू-सू करके उसे खाते रहते हैं। ठीक उसी तरह चाची आह-आह करके अपने बाल खिंचवाकर चुदवा रही थीं। दोस्तों, कुछ देर बाद सलमा चाची और मैं दोनों लोग एक साथ झड़ गए। मैंने चाची को अपने सीने से लगा लिया और २ घंटे तक हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर नग्न अवस्था में लेटे रहे और चुम्बन करते रहे।

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