मम्मी की करतूतें देख भाई से चुदी-2

मैं प्रिया राठौड़, अपनी कहानी का दूसरा हिस्सा लेकर हाजिर हूँ। अपने भाई रवि के साथ बाथरूम में हुई उस चुदाई ने मेरे जिस्म की सारी हदें तोड़ दी थीं। उस दिन के बाद मेरी चूत की प्यास और बढ़ गई थी। रवि का लंड मेरे दिमाग में दिन-रात घूमता रहता था। उसकी गर्मी, उसकी सख्ती, और मेरी चूत में उसका लावा—सब कुछ मुझे पागल कर रहा था। हम दोनों अब हर मौके की तलाश में रहते थे, जब हम अपनी वासना की आग को एक-दूसरे के जिस्म से बुझा सकें। लेकिन मम्मी का घर में होना हमारे लिए सबसे बड़ी मुश्किल था। मम्मी की रंगरेलियाँ तो चलती ही रहती थीं, लेकिन अब हम भाई-बहन भी पूरी तरह खुल चुके थे।

कहानी का पिछला भाग: मम्मी की करतूतें देख भाई से चुदी-2

उस दिन बाथरूम में चुदाई के बाद जब मैं बाहर निकली, तो मेरा जिस्म अभी भी रवि के लंड की गर्मी से सुलग रहा था। मेरी चूत में उसका गर्म रस अभी भी महसूस हो रहा था, और मैं बार-बार उस पल को याद करके सिहर उठती थी। मेरी चूचियाँ तन रही थीं, और मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी। लेकिन तभी मम्मी घर आ गईं। आज वो जल्दी लौट आई थीं, शायद उनका कोई प्रोग्राम कैंसिल हो गया था। हमने मम्मी के साथ बैठकर खाना खाया। मम्मी इतनी थकी हुई लग रही थीं कि खाना खाते ही वो अपने कमरे में चली गईं। मैं और रवि एक-दूसरे को देख रहे थे, हमारे चेहरों पर मायूसी थी। हमारी आँखें बोल रही थीं कि आज रात कुछ नहीं हो सकता।

मम्मी के घर में होने की वजह से हम दोनों का मूड खराब था। मम्मी के आशिकों का रात में आना-जाना लगा रहता था, और अगर वो हमें पकड़ लेतीं तो सब कुछ बिगड़ सकता था। रवि की आँखों में शरारत थी, और मैं समझ गई कि उसके दिमाग में कुछ चल रहा है। उसने मुझे इशारे से चुप रहने को कहा और किचन की ओर चला गया। मैं अपने कमरे में चली गई, लेकिन मेरी चूत की गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही थी। मैंने मोबाइल उठाया और कामुक कहानियाँ पढ़ने लगी। हर कहानी मेरे जिस्म को और भड़का रही थी। मेरी उंगलियाँ मेरी चूचियों पर चली गईं, और मैंने धीरे-धीरे अपनी कमीज़ उतारी। मेरी ब्रा भी नीचे गिरी, और मेरे चूचे आजाद हो गए। मैंने अपने निप्पल्स को मसला, और मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं। मेरी चूत इतनी गीली थी कि मैंने अपनी सलवार और पैंटी भी उतार फेंकी।

मैंने बेड के पास रखा खीरा उठाया और उसे अपनी चूत में डाल लिया। खीरे की ठंडक ने मेरी चूत को थोड़ा राहत दी, लेकिन वो रवि के लंड का मुकाबला कहाँ कर सकता था। मैं खीरे को अंदर-बाहर करती रही, और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं एक बार झड़ गई, लेकिन मेरी प्यास अभी भी वैसी की वैसी थी। मैं रवि के लंड की गर्मी को फिर से महसूस करना चाहती थी। तभी रवि ने अपने कमरे से आवाज़ लगाई। मैंने जल्दी से कपड़े पहने, अपने बाल संवारे, और चुपके से मम्मी के कमरे की ओर गई। मम्मी गहरी नींद में थीं। उनके कपड़े भी नहीं बदले थे, जो वो अक्सर नंगी होकर सोती थीं। मुझे यकीन हो गया कि रवि ने कुछ जादू किया है।

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मैं फटाफट रवि के कमरे में घुस गई। लेकिन वहाँ का नजारा देखकर मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। रवि चादर ओढ़कर सो रहा था! मैंने गुस्से में उसकी चादर खींची, और वो जोर से हँस पड़ा। वो पूरा नंगा था, और उसका लंड पहले से ही तनकर खड़ा था। मैंने उसे डाँटा, “चुप कर, मम्मी जाग जाएगी!” रवि ने मुस्कुराते हुए कहा, “दीदी, मम्मी को इतनी भारी डोज दी है कि वो सुबह तक मूतने भी नहीं उठेंगी।” उसकी बात सुनकर मैं भी हँस पड़ी। उसने बताया कि उसने डिनर के बाद मम्मी को पानी के गिलास में नींद की गोली मिलाकर दी थी। उसकी इस चालाकी ने मेरी चूत में फिर से आग लगा दी।

रवि ने मुझे अपनी ओर खींचा और बोला, “अब हँसती रहेगी या कुछ और भी करेंगे?” मैंने नखरे दिखाते हुए कहा, “और क्या करना है?” वो मेरे ऊपर झपट पड़ा और बोला, “वही जो मम्मी अपने आशिकों के साथ करती है। आज मैं अपनी दीदी की चूत की पूरी आग बुझाऊँगा।” उसकी बातों ने मेरी चूत को और गीला कर दिया। हम दोनों पकड़म-पकड़ाई का खेल खेलने लगे। रवि ने दौड़ते-दौड़ते मेरे कपड़े फाड़ दिए। मेरी कमीज़ के बटन टूट गए, और मेरी ब्रा आधी लटक रही थी। मैं थककर उसकी बाहों में गिर गई। रवि ने मुझे कसकर जकड़ लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं भी उसका साथ देने लगी। हमारी जीभें एक-दूसरे से लिपट रही थीं, और मेरी चूत में आग भड़क रही थी।

तभी डोरबेल बजी। मैं घबरा गई। रवि नंगा था, तो मुझे ही दरवाजा खोलना पड़ा। दरवाजे पर मम्मी का एक आशिक अंकल था। उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा, और मुझे ख्याल आया कि मेरे कपड़े तो फटे हुए हैं। मेरी चूचियाँ आधी बाहर झाँक रही थीं। मैंने जल्दी से कहा, “मम्मी आज बाहर गई हैं,” और दरवाजा बंद कर दिया। मेरे दिल में एक अजीब सी हलचल हुई, लेकिन मैंने उसे दबा दिया और रवि के कमरे में वापस चली गई।

रवि ने अपनी अंडरवियर भी उतार दी थी। उसका लंड फनफनाता हुआ खड़ा था, जैसे मेरी चूत को सलामी दे रहा हो। मैंने उसे मुँह में लेना चाहा, लेकिन रवि ने मुझे रोका और मेरे बाकी कपड़े उतारने शुरू किए। कुछ ही देर में मैं सिर्फ पैंटी में थी। रवि ने मुझे बेड पर पटक दिया और मेरे जिस्म को चूमने लगा। उसने मेरे चूचों को जोर-जोर से मसला, मेरे निप्पल्स को चूसा, और फिर मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को चाटने लगा। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… रवि… और चाट… मेरी चूत को खा जा…” उसने मेरी पैंटी उतार दी, और मैंने अपनी टाँगें फैला दीं। रवि ने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मैंने उसे खींचा और 69 की पोजीशन में आ गई। अब उसका लंड मेरे मुँह में था, और मेरी चूत उसके मुँह में। मैंने उसके लंड को चूसना शुरू किया, और वो मेरी चूत को चाट रहा था। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मैं हर बार उसे और गहराई तक ले रही थी। मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, लेकिन रवि का स्टैमिना गजब का था। उसका लंड अभी भी सख्त था।

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रवि ने मुझे अपने ऊपर से हटाया और फर्श पर लेट गया। वो बोला, “दीदी, मुझे बहुत प्यास लगी है। मुझे पानी पिला दो।” मैं पानी लाने के लिए उठी, लेकिन उसने मुझे रोका और बोला, “बाहर कहाँ जा रही हो? मुझे तो तुम्हारी चूत का पानी चाहिए।” मैं उसका इशारा समझ गई। मैं उसके मुँह के ऊपर बैठ गई और अपनी चूत को उसके होंठों पर रगड़ने लगी। मेरी चूत का पानी उसके मुँह में गया, और वो उसे चाटने लगा। फिर उसने कहा, “अब मेरी बारी है।” मैंने मना किया, लेकिन उसने मेरे ऊपर अपना मूत छोड़ दिया। मैं पूरी गीली हो गई, लेकिन मेरी वासना और बढ़ गई।

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रवि ने मुझे फर्श से उठाया और बेड पर लिटा दिया। मैंने अपनी टाँगें फैलाईं, और वो मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका लंड मेरी चूत के छेद पर था। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और मैं चीख पड़ी, “उह माँ… रवि… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी…” लेकिन वो नहीं रुका। वो बोला, “दीदी, ये चूत तो मेरी है। आज इसे चोद-चोदकर इसका भोसड़ा बना दूँगा।” मैंने भी उसे उकसाया, “हाँ भाई, चोद दे अपनी दीदी को… फाड़ दे मेरी चूत को… बन जा बहनचोद…” रवि ने मेरी चूत में अपने लंड को पूरी ताकत से पेलना शुरू किया। उसका हर धक्का मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था। मेरी चूचियाँ हिल रही थीं, और मैं उन्हें मसल रही थी। रवि ने मेरे एक चूचे को मुँह में लिया और चूसते हुए मुझे चोदने लगा। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… रवि… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे…” करीब 30 मिनट तक वो मुझे चोदता रहा। मैं इस दौरान चार बार झड़ चुकी थी, और मेरी चूत का पानी बेडशीट पर फैल गया था।

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अब रवि का शरीर अकड़ने लगा। वो बोला, “दीदी, मेरा होने वाला है… कहाँ छोड़ूँ?” मैंने कहा, “मेरे मुँह में छोड़ दे… मैं तेरा रस पीना चाहती हूँ।” उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। कुछ ही पलों में उसका गर्म लावा मेरे मुँह में भर गया। मैंने उसका सारा रस चाट लिया और उसके लंड को साफ किया।

हम दोनों थककर बेड पर लेट गए। मम्मी सुबह 8 बजे से पहले नहीं उठने वाली थीं, तो हमने 6 बजे का अलार्म सेट किया और नंगे ही सो गए। सुबह अलार्म बजा तो हम दोनों की आँखें खुलीं। रवि का लंड फिर से खड़ा था, और मेरी चूत भी तैयार थी। मैंने उसका लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। वो इतना सख्त हो गया कि मैं रुक नहीं पाई। मैंने कहा, “भाई, एक बार और चोद दे अपनी दीदी को।” उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया। वो डॉगी स्टाइल में मुझे चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी। करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। रवि ने अपना सारा माल मेरी चूत में छोड़ दिया।

हमने जल्दी से कपड़े पहने और अपने-अपने कमरे में चले गए। सुबह मम्मी उठीं तो उन्हें कुछ पता नहीं था। मैंने चुपके से उनके कमरे से एक गर्भनिरोधक गोली खा ली, ताकि कोई रिस्क न रहे। मम्मी घर के काम में लग गईं, और हम दोनों भाई-बहन अपनी चुदाई की गर्मी को दिल में दबाकर सामान्य दिखने की कोशिश करने लगे।

कुछ दिन बाद वो रात वाला आशिक अंकल फिर से हमारे घर आया। उस वक्त मम्मी घर पर नहीं थीं। उसने मुझे फिर से ऊपर से नीचे तक देखा, और मेरे दिल में एक अजीब सी हलचल हुई। मेरे मन में ख्याल आया कि अगर मम्मी की तरह मैं भी… लेकिन फिर मैंने अपने आपको रोका। आगे क्या हुआ, वो मैं अगली कहानी में बताऊँगी।

कहानी का अगला भाग: मम्मी के चोदू यार से चुदी

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