मेरा नाम काजल विश्वकर्मा है। मैं वाराणसी के एक कॉलेज में पढ़ती थी, जहाँ मेरी जिंदगी ने वो मोड़ लिया, जिसके बारे में मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। मेरी उम्र उस वक्त 21 साल थी, और कॉलेज की चकाचौंध ने मुझे शराब, पार्टी और सेक्स की ऐसी लत लगा दी थी कि मैं हर वक्त उसी की तलब में रहती थी। जब लंड न मिलता, तो मैं अपनी चूत में उंगली या डिल्डो डालकर अपनी आग बुझाती। मेरे पास कई बड़े-बड़े डिल्डो और वाइब्रेटर थे, जो मैंने ऑनलाइन ऑर्डर किए थे। रात को अपने हॉस्टल के कमरे में मैं घंटों अपनी चूत को डिल्डो से चोदती, और वो मस्ती भरा अहसास मुझे जन्नत की सैर कराता। लेकिन ये कहानी उस रात की है, जब मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल गई, और मेरे अपने सगे पापा ने मुझे शीशे के सामने चोदकर मेरी सारी हदें तोड़ दीं।
गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने घर वाराणसी लौटी। घर में सिर्फ मैं और पापा थे, क्योंकि मम्मी अपने मायके गई थीं। मुझे नहीं पता था कि पापा ने पूरे घर में सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे। मेरे कमरे में भी एक छोटा सा कैमरा छिपा था, जो मेरी हर हरकत को रिकॉर्ड कर रहा था। उस रात, मैं अपने बिस्तर पर पूरी तरह नंगी लेटी थी। कमरे की लाइट धीमी थी, और बाहर बारिश की फुहारें खिड़की पर टकरा रही थीं। मेरे हाथ में मेरा फेवरेट 8 इंच का डिल्डो था, जो मैंने अपनी गीली चूत में धीरे-धीरे डालना शुरू किया। मेरी सांसें तेज हो रही थीं, और मैं “…आह्ह… स्स्सी… ओह्ह…” करके कराह रही थी। मैंने अपनी टांगें चौड़ी कीं और डिल्डो को और गहराई तक धकेला। मेरी चूत इतनी गीली थी कि डिल्डो आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और कल्पना करने लगी कि कोई जवान लड़का मुझे पेल रहा है। करीब 20 मिनट तक मैं अपनी चूत को डिल्डो से चोदती रही, और जब मेरा माल छूटने वाला था, मेरी कराहें और तेज हो गईं। तभी अचानक मेरे कमरे का दरवाजा खुला, और पापा अंदर आ गए।
मैं एकदम डर गई। मेरे हाथ में डिल्डो था, मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मैं पूरी तरह नंगी थी। पापा की आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। मेरे माल छूटने की कगार पर थी, और मैं खुद को रोक नहीं पाई। पापा के सामने ही मेरी चूत से पिचकारी निकली, और मैं “…आह्ह… उफ्फ…” करके तड़प उठी। मेरी सांसें तेज थीं, और मैं शर्म से पानी-पानी हो रही थी। मैंने जल्दी से चादर खींचकर अपनी चूत और बूब्स छ मेरी चूत और बूब्स को ढकने की कोशिश की, लेकिन पापा ने मुझे चुपके से देखा और बोले, “बेटी काजल… ये जो तू कर रही है, ये गलत है!”
मैंने शर्मिंदगी से सिर झुका लिया और बोली, “पापा… मैं क्या करूँ? मुझे चुदाई की इतनी जोर की तलब लगी थी। यहाँ कोई लड़का तो है नहीं जो मेरी रसीली चूत में अपना लंड डाल दे। इसलिए मैं डिल्डो से काम चला रही थी।” मेरी आवाज में शर्म थी, लेकिन साथ ही एक बेबसी भी। मैंने सोचा कि पापा मुझे डांटेंगे, लेकिन इसके बजाय वो मेरे पास आए, मेरे गाल को सहलाया, और मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन दे दिया। मैं हैरान थी, लेकिन उनके गर्म होंठों का स्पर्श मुझे अजीब सा सुकून दे रहा था। मेरे अंदर की आग और भड़क उठी। पापा ने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं भी धीरे-धीरे उनके चुम्बन का जवाब देने लगी।
पापा मेरे साथ मेरे बिस्तर पर लेट गए। ये वही बिस्तर था, जो उन्होंने मुझे मेरे पिछले जन्मदिन पर गिफ्ट किया था। बड़ा, मुलायम, और चुदाई के लिए एकदम परफेक्ट। पापा ने मेरे दोनों हाथों को कसकर पकड़ लिया ताकि मैं हिल न सकूँ। वो मेरे रसीले होंठों को चूस रहे थे, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार को खा रहा हो। उनकी सांसें गर्म थीं, और उनका मर्दाना जिस्म मेरे नंगे बदन से चिपक रहा था। कुछ देर बाद मुझे भी मजा आने लगा, और मैंने भी उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। हम बाप-बेटी की जोड़ी उस रात सारी हदें पार करने वाली थी। पापा ने मेरे होंठों को चूसने के बाद मेरे गले पर चुम्बन देना शुरू किया। उनकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर महसूस हो रही थीं, और मैं “…स्स्सी… आह्ह…” करके कराह रही थी।
पापा ने मेरे बूब्स की तरफ ध्यान दिया। मेरे 34 इंच के बूब्स गोल, रसीले, और इतने टाइट थे कि पापा की आँखें चमक उठीं। उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे बूब्स पर रखे और धीरे-धीरे दबाने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स को मसल रही थीं, और मैं “…आह्ह… पापा… स्स्सी… और जोर से…” करके चिल्ला रही थी। पापा ने मेरे एक बूब को अपने मुँह में लिया और चूसने लगे, जैसे कोई बच्चा अपनी माँ का दूध पी रहा हो। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं उनके बालों में अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी। मेरी चूत फिर से गीली हो रही थी, और मैं चाह रही थी कि पापा जल्दी से मुझे चोदें।
“बेटी काजल… चूत देगी?” पापा ने मेरे कान में फुसफुसाते हुए पूछा। उनकी आवाज में एक अजीब सी भूख थी।
“हाँ पापा… बिल्कुल दूँगी। मेरी चूत तो आपके लंड की प्यासी है। यहाँ कोई जवान लड़का नहीं है, तो आप ही मेरी चूत की आग बुझाओ,” मैंने उसी बेबाकी से जवाब दिया, जो मेरे अंदर कॉलेज की लाइफ ने भरी थी।
पापा ने तुरंत अपनी शर्ट उतारी, फिर जींस, बनियान, और अंडरवियर भी निकाल फेंका। उनके जूते और मोजे बिस्तर के पास बिखर गए। अब वो पूरी तरह नंगे थे, और उनका 12 इंच का लंड तनकर खड़ा था। मैंने उनके लंड को देखा तो मेरे मुँह में पानी आ गया। वो इतना मोटा और लंबा था कि मेरी चूत में खुजली होने लगी। पापा मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरे नंगे जिस्म को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत के पास रुकीं, और उन्होंने मेरी गीली चूत को धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया। मैं “…उफ्फ… पापा… आह्ह…” करके तड़प रही थी।
पापा ने फिर से मेरे बूब्स को चूसना शुरू किया। वो मेरे दोनों बूब्स को बारी-बारी से दबा रहे थे और चूस रहे थे। मेरे निप्पल्स इतने सख्त हो गए थे कि दर्द और मजा दोनों एक साथ हो रहे थे। मैंने अपने पैर और चौड़े किए ताकि पापा मेरी चूत तक आसानी से पहुँच सकें। उनकी जीभ मेरे बूब्स से नीचे की तरफ बढ़ी, और वो मेरी नाभि पर चुम्बन देने लगे। उनकी गर्म जीभ मेरी त्वचा पर रेंग रही थी, और मैं “…आह्ह… स्स्सी… पापा… और…” करके कराह रही थी। पापा 40 साल के थे, लेकिन उनका जिस्म अभी भी जवान और ताकतवर था। उनका लंड मेरी जांघों से टकरा रहा था, और मैं चाह रही थी कि वो जल्दी से मेरी चूत में घुस जाए।
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“बेटी… आज मैं तुझे शीशे के सामने चोदना चाहता हूँ,” पापा ने कहा, उनकी आवाज में एक जुनून था।
“ठीक है पापा… जैसा आपका दिल करे, वैसे मुझे पेलो। मेरी चूत तो आपके लंड की दीवानी है,” मैंने उसी बिंदास अंदाज में जवाब दिया।
हम दोनों बिस्तर से उठे और मेरे कमरे में लगे बड़े शीशे के सामने आ गए। ये वही शीशा था, जहाँ मैं रोज मेकअप करती थी। मैं पूरी तरह नंगी थी, और शीशे में अपनी गुलाबी चूत और रसीले बूब्स को देखकर मैं थोड़ा शरमा गई। सुबह ही मैंने अपनी चूत को शेव किया था, और वो बिल्कुल चिकनी और गुलाबी दिख रही थी। पापा मेरे पीछे खड़े थे, और उन्होंने मुझे अपनी बाहों में कस लिया। उनका लंड मेरी गांड से टकरा रहा था, और मेरी चूत फिर से गीली हो रही थी।
“बेटी… अपनी चूत को मत छिपाओ। यही तो तेरी असली खूबसूरती है,” पापा ने मेरे कान में फुसफुसाया और मेरी चूत को शीशे में दिखाने के लिए मेरे हाथ हटाए।
मैं शीशे में अपनी चूत को साफ-साफ देख रही थी। पापा ने मेरी कमर को कसकर पकड़ा और मेरे गाल पर एक गहरा चुम्बन दिया। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों पर फिरने लगीं, और वो धीरे-धीरे मेरी चूत को सहलाने लगे। मैं “…आह्ह… पापा… स्स्सी…” करके तड़प रही थी। पापा ने मुझे शीशे के सामने एक मेज से सहारा देकर थोड़ा झुकाया और घुटनों के बल बैठ गए। फिर उन्होंने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिर रही थी, और वो मेरी चूत को चूस रहे थे जैसे कोई प्यासा पानी पी रहा हो। मैं शीशे में खुद को देख रही थी, और ये नजारा मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मैंने अपने हाथ पापा के बालों में डाले और उनकी जीभ को अपनी चूत में और गहराई तक धकेला।
“…उफ्फ… पापा… और चाटो… मेरी चूत को खा जाओ…” मैं कराह रही थी। पापा की जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और वो मेरे क्लिट को चूस रहे थे। मैं तड़प रही थी, मेरी टांगें कांप रही थीं, और मैंने अपनी एक टांग मेज पर रख दी ताकि पापा को मेरी चूत और अच्छे से मिले। पापा किसी चुदक्कड़ कुत्ते की तरह मेरी चूत चाट रहे थे, और मैं “…आह्ह… स्स्सी… उफ्फ…” करके चिल्ला रही थी। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और पापा उसे चाट-चाटकर पी रहे थे।
करीब 15 मिनट तक पापा ने मेरी चूत चाटी, और मैं दो बार झड़ चुकी थी। मेरी सांसें तेज थीं, और मैं चाह रही थी कि अब पापा मुझे चोदें। पापा खड़े हुए और मुझे थोड़ा और झुकाया। उन्होंने अपना 12 इंच का लंड मेरी चूत के मुंह पर रखा और एक तेज धक्का मारा। उनका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया, और मैं “…आह्ह… मम्मी… उफ्फ…” करके चिल्ला उठी। पापा ने मेरे कंधों को पकड़ा और मुझे शीशे के सामने पेलना शुरू किया। उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और हर धक्के के साथ मेरे बूब्स तेज-तेज हिल रहे थे।
“…उफ्फ… पापा… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो…” मैं चिल्ला रही थी। पापा धांय-धांय मुझे पेल रहे थे, और शीशे में हमारी चुदाई का नजारा मुझे और जोश दिला रहा था। मेरी चूत इतनी गीली थी कि उनका लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ एक ‘पच-पच’ की आवाज कमरे में गूंज रही थी। पापा ने मेरी कमर को कसकर पकड़ा और मुझे और तेजी से चोदने लगे। मैं “…आह्ह… स्स्सी… हा… हा… ओह्ह…” करके कराह रही थी। मेरे बूब्स हवा में लटक रहे थे, और शीशे में उनका हिलना मुझे और उत्तेजित कर रहा था।
पापा ने करीब 20 मिनट तक मुझे शीशे के सामने खड़े-खड़े चोदा। उनकी सांसें तेज हो रही थीं, और मैंने महसूस किया कि वो झड़ने वाले हैं। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह के पास लाए। मैंने तुरंत उनका लंड अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उनका लंड मेरे रस से गीला था, और उसका स्वाद मुझे और पागल कर रहा था। मैंने उनकी गोलियों को सहलाया और उनके लंड को गले तक लिया। पापा “…आह्ह… बेटी… तू तो रंडी से भी बड़ी चुदक्कड़ है…” कहकर कराह रहे थे। कुछ देर बाद वो मेरे मुँह में झड़ गए, और उनका गर्म माल मेरे गले से नीचे उतर गया।
लेकिन पापा का जोश अभी खत्म नहीं हुआ था। उन्होंने मुझे देखा और बोले, “बेटी… अब तेरी गांड चाहिए।”
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मैं थोड़ा घबरा गई, क्योंकि मैंने पहले कभी गांड नहीं मरवाई थी। लेकिन पापा के लंड की दीवानी हो चुकी थी, और मैं उनकी हर बात मानने को तैयार थी। “ठीक है पापा… लेकिन धीरे से,” मैंने कहा।
पापा ने मेरे कमरे में रखी बड़ी डाइनिंग टेबल को शीशे के सामने खींचा और मुझे उस पर लिटा दिया। मेरी टांगें हवा में थीं, और मेरी गांड टेबल के किनारे पर थी। पापा नीचे झुके और मेरी गांड के छेद को चाटने लगे। उनकी जीभ मेरे छेद पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं “…उफ्फ… पापा… ये क्या कर रहे हो…” करके तड़प रही थी। पापा ने मेरी गांड को अच्छे से गीला किया और फिर अपना लंड मेरे छेद पर रखा। उन्होंने धीरे से धक्का मारा, लेकिन उनका लंड इतना मोटा था कि मेरी गांड में घुसते ही मैं “…उई… मम्मी… दर्द हो रहा है…” करके चिल्ला उठी।
पापा ने मेरी कमर पकड़ी और धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गांड में डालना शुरू किया। दर्द के साथ-साथ मुझे एक अजीब सा मजा भी आ रहा था। कुछ देर बाद उनका लंड मेरी गांड में पूरा घुस गया, और वो धीरे-धीरे मुझे पेलने लगे। मैं शीशे में अपनी गांड की चुदाई देख रही थी, और ये नजारा मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मैंने अपनी टांगें और ऊपर उठाईं ताकि पापा को और आसानी हो। पापा अब तेज-तेज मेरी गांड मार रहे थे, और मैं “…आह्ह… स्स्सी… पापा… और जोर से…” करके चिल्ला रही थी।
पापा ने करीब 30 मिनट तक मेरी गांड चोदी। उनकी सांसें तेज थीं, और उनका पसीना मेरे जिस्म पर टपक रहा था। आखिरकार वो मेरी गांड में झड़ गए, और उनका गर्म माल मेरी गांड में भर गया। मैं थक चुकी थी, लेकिन इतना सुकून और मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला था। पापा ने मुझे अपनी बाहों में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। हम दोनों नंगे लेटे थे, और हमारी सांसें अभी भी तेज थीं।
“बेटी… मजा आया?” पापा ने हांफते हुए पूछा।
“पापा… आपने तो मेरी चूत और गांड दोनों की बैंड बजा दी। आप तो असली मर्द हो,” मैंने हंसते हुए कहा।
उस रात के बाद, जब भी मम्मी घर पर नहीं होतीं, हम बाप-बेटी शीशे के सामने चुदाई का खेल खेलते। मेरी चूत और गांड अब पापा के लंड की आदी हो चुकी थीं, और हर बार वो मुझे नए-नए तरीके से चोदते। कभी बाथरूम में, कभी किचन में, लेकिन शीशे के सामने चुदाई का मजा ही अलग था। हमारी ये चुदाई की कहानी हम दोनों के बीच का राज बन गई, और मैं हर बार पापा के लंड से जन्नत की सैर करती।