हाय दोस्तों, मेरा नाम अभिषेक है, मैं पंजाब में रहता हूँ और पंजाबी फैमिली से हूँ। मेरे घर में मैं और मेरे पापा रहते हैं, मम्मी की डेथ हो चुकी है। मैं अब अपनी कहानी पर आता हूँ, ये बिल्कुल सच्ची कहानी है, इसमें ज़रा भी झूठ नहीं है।
मैं 19 साल का हूँ, और मेरी कजिन सिस्टर, यानी दीदी, 30 साल की हैं। मेरी बॉडी काफ़ी अच्छी है, जिम में पसीना बहाकर मैंने इसे तराशा है। मेरा लंड Greg 3 built by xAI 5.6 इंच का है, मोटा और तगड़ा, किसी देसी स्टड की तरह। दीदी की गांड तो बस, क्या कहने, इतनी भारी और गोल कि किसी पॉर्नस्टार को भी मात दे। उनके बूब्स भी बड़े और रसीले हैं, लेकिन उनकी गांड का तो जवाब नहीं। ये बात कुछ महीने पहले की है। मेरे पापा को एक दिन के लिए किसी काम से बाहर जाना था, तो उन्होंने दीदी को फोन करके मुझे संभालने के लिए बुला लिया।
दीदी पास की दूसरी कॉलोनी में रहती हैं। सुबह-सुबह वो हमारे घर आ गईं, और पापा निकल गए। मैं पहले ही बता दूँ कि मेरे और दीदी के बीच पहले से ही फिजिकल रिलेशन था, लेकिन हमने कभी चुदाई नहीं की थी। दीदी मेरे साथ बहुत ओपन हैं। कभी-कभी वो काम करते वक़्त मेरे लंड पर हल्के से थप्पड़ मार देती हैं, या मैं उनके बूब्स पकड़ लेता हूँ। वो कभी-कभी मना नहीं करतीं, लेकिन कभी-कभी टोक देती हैं। मैंने उनके बूब्स कई बार चूसे हैं, लेकिन हम इतने बिंदास नहीं कि आँखों में आँखें डालकर ये सब करें या खुलकर कुछ बोलें। लेकिन उस दिन तो कुछ और ही मंज़र बनने वाला था।
मेरा लंड सुबह से ही उछल रहा था, जैसे कोई जंगली घोड़ा। दोपहर का टाइम था, हम दोनों एक ही बेड पर लेटे थे। दीदी सीधी लेटी थीं, उनकी साँसें हल्की-हल्की चल रही थीं। मेरा लंड थोड़ा खड़ा था, मैंने दीदी के बूब पर हाथ रखा और सहलाने लगा। दीदी की आँखें बंद थीं, लेकिन उन्हें पता था कि मैं क्या कर रहा हूँ। फिर भी वो बोलीं, “हट पीछे, मुझे काम करना है,” और उठकर किचन में चली गईं। मैंने अपना पुराना पजामा पहना, जिसमें नीचे छेद था। मैंने वो पहन लिया और लंड बाहर निकालकर मूठ मारने लगा।
दीदी किचन में थीं, उस दिन वो बहुत खुश थीं, जैसे कोई पुराना गाना गुनगुना रही हों। फिर वो मेरे कमरे में आईं और बेड पर बैठ गईं। आज हमें शरम नहीं आ रही थी। मैंने टाँगें खोलकर लेट गया, छेद वाली साइड दीदी की तरफ़ करके। दीदी को मेरा लंबा, तगड़ा लंड साफ़ दिख रहा था। दीदी उठीं और मेरे पास आईं। मैं बेड पर पीठ टिकाकर बैठ गया। मैंने अपनी टाँगें दीदी की गोद में रख दीं। दीदी ने पहली बार मेरा लंड सहलाया, उनकी आँखें मेरी आँखों में थीं। मैं हैरान था, गर्मी भी चढ़ रही थी। दीदी बोलीं, “तेरा लुल्ला तो बहुत बड़ा हो गया है,” और लंड को धीरे-धीरे सहला रही थीं। मुझे शरम आ रही थी, लेकिन मैं किसी तरह हिम्मत करके उनकी आँखों में देख रहा था।
दीदी ने फिर कहा, “इसे और मोटा कर, सांडे का तेल लगाकर मालिश किया कर,” और नॉटी स्माइल दे रही थीं। मैं बस उनके हाथों को अपने लंड पर महसूस कर रहा था, जैसे नशा चढ़ रहा हो। दीदी ने कहा, “क्या, तेरा लंड अब पहले जैसा है या कुछ चेंज हुआ है?” ये कहते-कहते दीदी ने मेरा पजामा धीरे-धीरे खोलना शुरू कर दिया। मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं। मैं सोच रहा था, पहले तो दीदी अपने बूब्स चुसवाते वक़्त मेरी आँखों में नहीं देखती थीं, और आज बेशर्मों की तरह मेरी आँखों में देखकर मेरा लंड सहला रही थीं। दीदी ने पजामा खोलते हुए कहा, “खोल दे इसे, इतनी गर्मी है।”
दीदी ने मेरा लंड पकड़ा और ललचाई नज़रों से देखने लगीं। फिर उन्होंने उसे ज़ोर से पकड़ लिया, कभी मुझे देखतीं, कभी लंड को। मेरी तो ज़ुबान ही नहीं चल रही थी। मैंने हिम्मत करके कहा, “ज़रा दूसरा हाथ साइड करो।” दीदी ने हाथ हटाया, मैंने एक हाथ से उनका बूब पकड़ लिया, कुरती के ऊपर से ही। दीदी अब थोड़ा शरमा रही थीं, लेकिन उनकी आँखों में वो रंडी वाली चमक थी। दीदी बोलीं, “रुक एक मिनट,” और उठकर अपनी कुरती उतार दी, फिर ब्रा भी। अब दीदी सिर्फ़ पजामी में थीं। दीदी ने कहा, “ले, पकड़ ले अब मेरे आम।” मैं तो हैरान पर हैरान था, आज दीदी को क्या हो गया है? उनके साफ़ेद, बड़े, रसीले बूब्स देखकर मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। मेरा बदन थोड़ा काँप रहा था।
दीदी बेड के सामने कुर्सी पर बैठ गईं और बोलीं, “मेरे पर्स में सांडे का तेल पड़ा है, निकाल ज़रा।” मैंने तेल निकाला। दीदी बोलीं, “तेरे लिए लाई हूँ, भेनचोद।” फिर कहा, “चल, आ, मेरे मम्मों पर तेल की मालिश कर।” मैंने तेल हाथ में लिया और उनके बूब्स पर मालिश शुरू कर दी। दीदी ने मेरा लंड पकड़ लिया और हल्के-हल्के सहलाने लगीं। वो बोलीं, “तेरे पास कोई ब्लू फिल्म नहीं है?” मैंने कहा, “है, दीदी।” दीदी बोलीं, “चल, लगा।” मैंने फोन में कुछ वीडियोस निकाले और दिखाने लगा। दीदी मेरी गोद में बैठ गईं। मेरा नंगा लंड उनकी गांड के क्रैक में था, लेकिन उनकी पजामी अभी भी थी। हम ब्लू फिल्म देख रहे थे। दीदी ने फोन बंद किया और बोलीं, “तू बोर नहीं होता ये देखकर?” मैंने कहा, “हो तो जाता हूँ।”
अब हम दोनों गर्म हो रहे थे। मुझे लग रहा था कि दीदी बस अपने बूब्स चुसवाएँगी या चूत में उंगली करवाएँगी। लेकिन आज तो कुछ और ही होने वाला था। दीदी ने अपनी गांड मेरे लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया और बोलीं, “तू बस आराम कर, तेरी बहन का आज दिमाग़ गर्म है। कुछ मत बोलना, बस जब तक मैं ना कहूँ।” दीदी ने अपनी गांड ज़ोर-ज़ोर से रगड़ना शुरू किया। उनकी पजामी की वजह से मुझे दर्द हो रहा था। मेरा लंड लाल हो रहा था, जैसे कोई उसे रगड़कर छील रहा हो। मैंने कहा, “दीदी, धीरे करो।” लेकिन दीदी तो पूरी गर्म हो चुकी थीं। वो बोलीं, “चुप, भेनचोद। जब मेरे आम चूसता है, तब कुछ कहती हूँ? अब बैठा रह।” दीदी के मुँह से आवाज़ें निकल रही थीं, “आआह्ह… ओह्ह… स्स्स्स…”
मैं भी अब गर्म हो गया था। दर्द हो रहा था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था। मैंने भी साथ देना शुरू किया और पीछे से दीदी के बूब्स पकड़कर दबाने लगा। दीदी बोलीं, “हाँ, दबा, ज़ोर से दबा, साले। अपनी बहन के मम्मे दबा, आज सारी गर्मी निकालूँगी तेरी।” मैंने उनकी पजामी खोल दी। अब मेरे लंड उनकी नंगी गांड के क्रैक में रगड़ रहा था। दीदी उठीं और बोलीं, “आज हम पूरा मज़ा करेंगे। तू बस वैसे ही कर, जैसा मैं बोलूँ।” मैंने उनके बूब्स सहलाते हुए कहा, “ठीक है।”
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दीदी ने मेरा लंड पकड़ा और चूसना शुरू कर दिया। उनकी जीभ मेरे लंड पर साँप की तरह फिसल रही थी। मुझे तो मज़ा ही मज़ा आ रहा था। गर्मी का मौसम था, हम दोनों पसीने में भीग चुके थे, लेकिन वो पसीने की ख़ुशबू कमाल की थी। दीदी उठीं, मेरा सिर पकड़कर मुझे बेड पर लिटाया और मेरे मुँह पर अपनी चूत रखकर बैठ गईं। वो बोलीं, “चाट मेरी फुद्दी, आआह्ह…” मैंने चाटना शुरू किया। पहले तो अजीब सा टेस्ट लगा, लेकिन वो स्वाद मुझे और गर्म कर रहा था। दीदी बोलीं, “अपने लंड को हिला।” मैं लंड हिलाने लगा। दीदी अपनी गांड पर तेल लगा रही थीं।
फिर दीदी दीवार के साथ टिककर गांड बाहर निकालकर खड़ी हो गईं। वो सीन क्या था! इतनी बड़ी, गोल गांड देखकर मैं पागल हो रहा था। मैंने कहा, “दीदी, आपकी फुद्दी मारनी है।” दीदी बोलीं, “आज मेरे पास कंडोम नहीं है, किसी और दिन मार लेना। तू बस जल्दी आ, भेनचोद। मेरी गांड फाड़ दे।” मैं गया, अपनी लंड उनकी गांड पर रखा और धीरे-धीरे डालने लगा। लेकिन उनकी गांड इतनी टाइट थी कि लंड अंदर जा ही नहीं रहा था।
मैं तेल उठाने लगा, लेकिन दीदी बोलीं, “इधर आ, साले। तेल नहीं लगाना।” मैं समझ गया कि दीदी रफ सेक्स चाहती हैं। मुझे डर लग रहा था, लेकिन दीदी ने अपने हाथ पर ढेर सारा थूक लिया और मेरे लंड पर लगा दिया। फिर बोलीं, “अब डाल।” मैंने दो-तीन बार कोशिश की, लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था। दीदी चिल्लाईं, “भेनचोद, जल्दी डाल गांड में, भोसड़ीके। इतना ही दम है क्या?” मैंने चौथी बार ज़ोर से धक्का मारा और लंड अंदर चला गया। दीदी की चीख निकली, “आआआआ… आह्ह्ह्ह…” फिर बोलीं, “शाबाश, मेरे भाई। आआह्ह… स्स्स्स… चल, अब ज़ोर लगा।”
मैंने जटके मारना शुरू किया। थूक की वजह से थोड़ा दर्द हो रहा था, लेकिन दीदी की बातें सुनकर मैं इतना गर्म हो गया कि ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। मेरे मुँह से “आह… आह…” की आवाज़ें निकल रही थीं। दीदी भी गुस्से में चिल्ला रही थीं, “तेज़ कर… आआह्ह… और तेज़ कर, साले…” मैंने जटके और तेज़ कर दिए। उनके बूब्स को दबाते-दबाते मैंने लाल कर दिया। हम दोनों जंगली जानवरों की तरह चुदाई कर रहे थे।
तभी दीदी ने मेरे लंड को बाहर निकाला और फर्श पर डॉगी स्टाइल में बैठ गईं। वो बोलीं, “चोद अब इस कुतिया को।” मैंने डॉगी स्टाइल में शुरू कर दिया। उनकी गांड का हर धक्का मुझे जन्नत दिखा रहा था। दीदी की गांड लाल हो रही थी, और मेरा लंड भी। दर्द हो रहा था, लेकिन मज़ा उससे कहीं ज़्यादा था।
फिर दीदी पलटीं और फर्श पर लेट गईं। उन्होंने अपनी टाँगें उठाकर मेरे कंधों पर रख दीं और बोलीं, “मैं झड़ने वाली हूँ, तेज़ कर।” अब हम दोनों इतने तेज़ हो गए थे कि कमरा गूँज रहा था। मेरा लंड और दीदी की गांड लाल हो चुके थे। हम बीच-बीच में थूक लगाते थे, लेकिन दर्द और मज़े का मेल गज़ब का था। दीदी अपनी चूत में उंगलियाँ डाल रही थीं और चिल्ला रही थीं, “आआआ… आह्ह्ह… स्स्स्स…”
मैंने कहा, “दीदी, मेरा निकलने वाला है।” दीदी बोलीं, “गांड के अंदर ही निकाल दे।” और देखते ही देखते हम दोनों झड़ गए। हम फर्श पर ही लेट गए। मेरा लंड दीदी की गांड के अंदर ही था। थोड़ी देर बाद वो ख़ुद ही बाहर आ गया। हम दोनों पसीने और मज़े में डूबे हुए थे, जैसे कोई जंग जीत लिया हो।
तो दोस्तों, ये थी मेरी कहानी। बिल्कुल सच्ची, इसमें कोई झूठ नहीं है।