मेरी बुर की सील मम्मी ने पापा से तुड़वाई

हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम अवंतिका है। ये कहानी इतनी हॉट है कि तुम्हारी चूत चुदाई के लिए पागल हो जाएगी। ये सेक्सी बेटी की कहानी आज से 9 साल पहले की है, जब मैं 18 साल की जवान लड़की थी। मेरी चुदाई की शुरुआत ऐसी हुई कि फिर रुकने का नाम ही नहीं लिया।

मैं अपनी सहेलियों से चुदाई की ढेर सारी कहानियाँ सुन चुकी थी। उनकी बातों से मैं चुदाई के बारे में सब कुछ जान गई थी। सहेलियों की चुदाई की गर्म गर्म बातों के अलावा मैंने कई बार अपनी मम्मी को पापा के साथ चुदाई करते देखा था। उनकी चुदाई देखकर मेरी चूत में उंगली डालना मेरे लिए आम बात हो गई थी। स्कूल में मैं अपनी सहेलियों से चूत में उंगली डलवाती, उनकी चूत रगड़वाती और मजे लेती। जब मेरी चूत की आग और बढ़ी, तो मैं सहेलियों को घर लाने लगी। उनके साथ मैं लेस्बियन सेक्स की तरह मस्ती करती। हम एक दूसरे को किस करते, सिक्स्टी नाइन पोजीशन में चूत चाटते। उनकी चूत मेरे मुँह में होती और मेरी चूत उनके मुँह में।

एक दिन मेरी सहेली ने मुझसे मजाक में कहा, “अवंतिका, मैं तेरी मम्मी को चोदूँगी!” मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “हाँ यार, वो तो बड़ी वाली चुदक्कड़ हैं। तुझे उनके साथ बहुत मजा आएगा, साली!” ये सुनकर वो जोश में आ गई और सीधा मेरी मम्मी के पास जाकर बोली, “आंटी, आपके चूचे कितने मस्त और बड़े हैं! ये इतने बड़े कैसे हुए?” मम्मी उसकी बात सुनकर हँस पड़ीं और बोलीं, “ये सब तेरे अंकल का कमाल है, बेटी!” इतना कहकर मम्मी किचन में अपने काम में लग गईं।

सहेली की इस बात से मुझे एक शरारती आइडिया आया। उस शाम मैंने मम्मी से नाराजगी भरे लहजे में कहा, “मम्मी, आपने अपनी सहेली को तो बता दिया कि आपके चूचे इतने बड़े और सेक्सी कैसे हुए, लेकिन मुझे कुछ नहीं बताया! मैं क्या आपकी दुश्मन हूँ?” ये कहकर मैंने मुँह फुला लिया। मम्मी मेरे पास आईं, मेरे गाल पर प्यार से चूम लिया और सॉरी बोलकर मुझे मनाने लगीं। मैं झट से खुश हो गई और शरारत भरे अंदाज में मम्मी को खींचकर पलंग पर गिरा दिया।

मम्मी कुछ समझ पातीं, उससे पहले ही मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें किस करने लगी। एक पल के लिए मम्मी हड़बड़ा गईं, लेकिन जल्द ही वो भी मेरा साथ देने लगीं। मम्मी तो अनुभवी चुदक्कड़ थीं, उन्होंने मजे को और बढ़ाने के लिए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं उनकी जीभ चूसने लगी, और हम दोनों लेस्बियन सेक्स की दुनिया में खो गए। मम्मी ने मेरे चूचे जोर से मसल दिए, तो मैंने भी उनके बड़े बड़े मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। मम्मी ने मेरा एक चूचा मुँह में लिया और चूसने लगीं। उनके चूसने से मेरी चूत में सनसनी सी दौड़ गई। मैं सिसकारियाँ लेते हुए बोली, “आह मम्मी… क्या मस्त चूस रही हो… मजा आ गया!”

मम्मी हँसते हुए मेरी चूची चूसती रहीं और दूसरी चूची के निप्पल को उंगलियों से मसलने लगीं। मैंने उनसे पूछा, “पापा भी आपके चूचे ऐसे ही चूसते हैं?” मम्मी हँस पड़ीं और बोलीं, “क्या तूने हमें चुदते नहीं देखा?” मैं भी हँस दी और बिंदास बोली, “हाँ मम्मी, मैंने तो पापा को आपका लंड चुसवाते भी देखा है!” मम्मी ने तुरंत पूछा, “क्या तुझे भी लंड चूसना पसंद है?” मैंने शरमाते हुए कहा, “अभी तो मौका ही नहीं मिला कि किसी का लंड चूस सकूँ!”

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मम्मी ये सुनकर चौंक गईं और बोलीं, “तो इसका मतलब तू अभी तक सीलपैक माल है?” मैंने हाँ में सिर हिलाया। मम्मी ने शरारती अंदाज में कहा, “तो चल, तेरी सील खुलवाते हैं!” मेरी चूत की गर्मी अब बेकाबू हो चुकी थी, तो मैंने तुरंत हामी भर दी। मैंने झट से मम्मी के सारे कपड़े उतार दिए और उनकी बड़ी बड़ी चूचियों के फूले हुए निप्पलों से खेलने लगी। मैं एक निप्पल को दाँतों से काटने लगी और दूसरे को उंगलियों से मसलने लगी। मम्मी भी मेरे कपड़े उतारने लगीं, और देखते ही देखते हम दोनों पूरी नंगी हो गईं।

हम 69 की पोजीशन में आ गए। अब हमारी सारी शर्म खत्म हो चुकी थी। मैं मम्मी की बड़ी सी चूत के दाने को काटकर चूसने लगी, और मम्मी मेरी टाइट चूत को अपनी जीभ से चाटने लगीं। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को टटोल रही थी, और मेरे बदन में करंट सा दौड़ रहा था। मैंने मम्मी की चूत को और जोर से चाटा, उनके चूत के रस को अपने मुँह में भरा। हम दोनों की अकड़न बढ़ती जा रही थी, और तभी हमारी चूत ने एक साथ पानी छोड़ दिया। मम्मी मेरी बुर का सारा रस चाट गईं और अपने मुँह में भर लिया। फिर वो मेरे पास आईं और अपने होंठ मेरे होंठों पर रखकर मेरी चूत का रस मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने अपने रस का स्वाद लिया और फिर उसे वापस मम्मी के मुँह में डाल दिया। हम दोनों इस खेल में मस्त होकर सारा रस निगल गए।

मम्मी उठीं और बोलीं, “अब तेरे चूचे भी बड़े करवाने पड़ेंगे!” मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ मम्मी, मुझे भी आपके जैसी चुदक्कड़ बनना है!” मम्मी ने शरारती अंदाज में कहा, “ठीक है, तेरी चुदाई की शुरुआत तेरे पापा से करवाते हैं!” ये सुनकर मेरे चेहरे पर रौनक आ गई। मैंने पूछा, “क्या पापा मुझे चोदने के लिए मान जाएँगे?” मम्मी हँस पड़ीं और बोलीं, “अरे, वो तो कई बार मुझसे तेरी चूत चोदने की बात कर चुके हैं। मैंने ही उन्हें रोका था कि जब मेरी बेटी अपने बाप से चुदने को तैयार होगी, तभी उसे छूना!” मैंने बिंदास कहा, “मम्मी, मुझे आज रात ही पापा से चुदना है!” मम्मी ने हँसकर कहा, “बस तू देख, आज रात घर में धमाल मचने वाला है!” इतना कहकर मम्मी अपने काम में लग गईं।

रात को हमने खाना खाया। खाने के बाद मम्मी पापा को लेकर अपने कमरे में चली गईं। थोड़ी देर बाद मम्मी ने मुझे आवाज दी, “अवंतिका बेटा, इधर आ!” मैं तुरंत उनके कमरे में पहुँच गई। मम्मी ने मजाकिया लहजे में कहा, “बेटा, इधर बैठ। तेरे पापा तेरे लिए लड़का देख रहे हैं। बता, तुझे कैसा लड़का चाहिए?” मैंने शरारत भरे अंदाज में कहा, “पापा जैसा!” मम्मी हँस पड़ीं और बोलीं, “तो फिर तू इनसे ही शादी कर ले!” मैं भी हँसते हुए बोली, “अगर आपको कोई दिक्कत नहीं, तो मैं अपने पापा की बीवी बनने को तैयार हूँ!”

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मम्मी ने चुटकी लेते हुए कहा, “अरे, अपने पापा से तू परेशान हो जाएगी!” मैंने पूछा, “क्यों?” मम्मी बोलीं, “इन साहब को चुदाई का इतना शौक है कि तेरी माँ चुद चुदकर थक गई। तू तो फिर भी नई फसल है!” मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “मैं तो पापा के खेत की फसल हूँ। बिस्तर पर मैं पापा को हरा दूँगी!” ये सुनकर पापा जोर से हँसे और मुझे अपनी बाहों में खींचकर बोले, “चल बेटी, फिर शुरू करते हैं!” मैंने शरारत से कहा, “रुको पापा!”

मैंने अपनी लोअर में हाथ डाला और चूत में डाला हुआ बैंगन बाहर निकाला। चूत के रस से सना बैंगन देखकर मम्मी और पापा दोनों चौंक गए। मम्मी ने हँसते हुए कहा, “वाह बेटी, तू तो अपनी माँ से भी आगे निकल गई!” मैं लपककर पापा के लंड पर टूट पड़ी। उनके पजामे से उनका 8 इंच का मोटा लंड बाहर निकाला और सहलाने लगी। मैंने लंड को मुँह में लिया और चूसना शुरू कर दिया। उसका नमकीन स्वाद मेरे मुँह में घुल रहा था। मैं लंड को जीभ से चाट रही थी, टोपे को चूस रही थी, और पापा की गोलियों को हल्के हल्के दबा रही थी।

इधर मम्मी ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरी गीली चूत को चाटने लगीं। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को रगड़ रही थी, और मैं जन्नत में थी। मैं पापा का लंड गले तक ले रही थी, और पापा मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को चोद रहे थे। दस मिनट की चुसाई के बाद पापा का गर्म गर्म माल मेरे मुँह में छूट गया। मैंने सारा माल निगल लिया और फिर से लंड चूसने लगी। पापा मेरे करतब देखकर हैरान थे।

इसी बीच मम्मी ने मेरी चूत चाट चाटकर मेरा पानी निकाल दिया। उन्होंने मेरा सारा रस अपने मुँह में भरा और मेरे होंठों पर डाल दिया। मैंने अपना रस चखा और उसे निगल लिया। थोड़ी देर बाद पापा का लंड फिर से तैयार हो गया। मैंने उनका माल अपने मुँह में भरा और पापा के होंठों से होंठ मिलाकर उनका माल उनके मुँह में डाल दिया। पापा और मैं एक दूसरे के मुँह में माल डालते रहे, और आखिर में पापा ने सारा माल पी लिया।

अब पापा मेरी चूत चूसने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने मम्मी की चूत को अपने मुँह में लिया और चाटने लगी। उनकी चूत का रस मेरे मुँह में बह रहा था। हम तीनों की चुदाई की चौकड़ी चल रही थी। मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया, और पापा ने मेरा सारा रस पी लिया।

अब पापा मेरी चूत पर आए। उन्होंने अपना मोटा लंड मेरी चूत के मुँह पर रगड़ना शुरू किया। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह पापा… डाल दो ना… मेरी चूत तड़प रही है!” पापा ने हल्का सा धक्का मारा, और उनका लंड मेरी टाइट चूत में आधा घुस गया। दर्द से मेरी चीख निकल गई, लेकिन मम्मी ने मुझे सहलाते हुए कहा, “बस बेटी, थोड़ा दर्द होगा, फिर मजा आएगा!” पापा ने एक और धक्का मारा, और उनका पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक उतर गया। मेरी सील टूट गई, और थोड़ा सा खून निकला। पापा रुके नहीं, उन्होंने फुल स्पीड में मेरी चुदाई शुरू कर दी।

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पापा का लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और मैं दर्द और मजा दोनों में डूबी थी। मम्मी मेरे पास आईं और अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ने लगीं। मैं उनकी चूत चूस रही थी, उनके चूचे मसल रही थी, और पापा मेरी चूत को पेल रहे थे। मैं सातवें आसमान पर थी। मेरी चुदाई की इच्छा पूरी हो रही थी। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं और पापा एक साथ झड़ गए। पापा ने अपना माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया। हम तीनों थककर लेट गए।

तभी मैंने मम्मी को इशारा किया। मम्मी ने लपककर पापा का लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं। मैं हँस पड़ी। पापा का लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने अपनी चूत पापा के मुँह पर रख दी और मम्मी के निप्पल चूसने लगी। मम्मी पापा के लंड पर चढ़ गईं और उछल उछलकर चुदने लगीं। पापा मेरी चूत चूस रहे थे, और मुझे बड़ा मजा आ रहा था। थोड़ी देर बाद मैं फिर से झड़ गई। पापा ने मेरा पानी मेरे मुँह में डाला, और मैंने सारा रस पी लिया।

उस रात हम तीनों ने 5 बार चुदाई की। पापा थक गए और उन्होंने अपनी बेटी से हार मान ली। मैंने जीत की खुशी में पापा की अलमारी से दारू की बोतल निकाली। मैं नंगी ही लेट गई और अपनी चूत में दारू डालकर मम्मी को इशारा किया, “मम्मी, जीत की खुशी मनाओ!” मम्मी झट से मेरी चूत पर मुँह लगाकर सारी दारू पी गईं। फिर मैंने एक ग्लास में दारू डाली, पापा का लंड उसमें डुबाया और चूसकर साफ कर दिया। मैंने पूरा ग्लास एक साँस में पी लिया और मम्मी को किस करने लगी।

हम माँ-बेटी अपनी चुदाई से इतनी खुश थीं कि फूली नहीं समा रही थीं। चुदाई के बाद हमने दारू पार्टी की, सिगरेट के कश लगाए, और फिर तीनों नंगे ही सो गए। कब नींद लग गई, पता ही नहीं चला।

इसके बाद हम तीनों ने कब, कैसे, और किस-किस से चुदाई के मजे लिए, वो मैं अपनी अगली कहानी में बताऊँगी।

आपकी अवंतिका

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