मैं राजकुमार, अपनी सबसे गर्म कहानी लेकर आया हूँ(कहानी का पिछला भाग: सेक्सी बहन को बीवी बनाया-2)। मेरी बहन पूजा, जो मेरी बीवी बनी, मेरे बच्चे की माँ बनने वाली थी। गोवा में मैंने उसे दुल्हन बनाकर चोदा, रंडी बनाकर चोदा। हर रात उसकी चूत में लंड पेलकर वासना बुझाई। मगर अब गर्भावस्था ने उसकी चुदाई बंद कर दी। मेरी आग बेकाबू थी। पूजा ने रास्ता निकाला—माँ की चूत। ये कहानी उसी चुदाई की है, जो घर से ट्रेन तक सुलगी।
पूरा ने माँ को सब बता दिया—हमारा प्यार, हमारी चुदाई, और उसका गर्भ। माँ ने मुझे दामाद मान लिया। अगली सुबह पूजा मेरे पास आई। “राज, तुम पापा और मामा दोनों बनने वाले हो,” उसने हँसकर कहा। मैंने उसे बाँहों में खींचा। उसका गाउन धीरे-धीरे उतारा। उसकी गोरी चूचियाँ ब्लाउज में उभर रही थीं। मैंने ब्रा के हुक खोले, उसकी चूचियाँ आजाद हो गईं। निप्पल सख्त थे, जैसे दो रसीले अंगूर। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया, धीरे-धीरे चूसा। “आह्ह… राज… आराम से… मेरे पेट में तेरा बच्चा है,” पूजा ने सिसकारी भरी। मैंने उसकी पैंटी सरकाई। उसकी चूत गीली थी, नमकीन खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने उंगलियों से उसकी चूत की फाँकों को सहलाया, उसका पानी मेरी उंगलियों पर चिपक गया। “पूरा, तेरी चूत अभी भी जल रही है,” मैंने कहा। मैंने उसकी टाँगें फैलाईं, उसकी चूत पर लंड रगड़ा। धीरे-धीरे लंड अंदर डाला, हर इंच के साथ पूजा की सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। “आह्ह… धीरे… मेरी चूत… तेरा लंड…,” उसने चीखा। मैंने धीमे धक्के मारे, उसकी चूचियाँ मेरे सामने उछल रही थीं। मैंने उसकी कमर पकड़ी, उसे और गहरा चोदा। पंद्रह मिनट बाद मैं उसकी चूत में झड़ा। हम हाँफते हुए लेट गए। “माँ कहाँ है?” मैंने पूछा। पूजा बोली, “सासू माँ कहो। उन्होंने तुझे दामाद बना लिया।”
चोदते-चोदते मैंने कहा, “एक महीने बाद मैं किसे चोदूँगा? तुझे तो नहीं चोद सकता।” पूजा हँसी। “पीछे कर लेना। या रंडी चोद ले।” मैं बोला, “रोज रंडी नहीं चोद सकता। सौतन तो ला नहीं सकता।” पूजा बोली, “सौतन नहीं, घर में एक और चूत है—माँ की चूत।” मैं चौंका। “पागल है? वो माँ है मेरी।” पूजा बोली, “बहन को बीवी बना लिया, माँ को क्यों नहीं? वो मेरे ऊपर छोड़ दो।”
उस दिन से पूजा ने खेल शुरू किया। उसने सेक्सी कपड़े पहनने शुरू किए—छोटी स्कर्ट, शॉर्ट मिडी, और रात में बिना ब्रा का नाइट गाउन। हम कहीं भी शुरू हो जाते। पूजा ने माँ के लिए सूट और मैक्सी लाए, जो धीरे-धीरे बोल्ड हो गए। माँ पार्लर जाने लगी। उनकी त्वचा चमकने लगी, जवानी लौट आई।
माँ ने घर खरीदने को कहा। गाँव की जमीन बेचकर पैसे जुटाने का प्लान था। मैंने चाचा से बात की, उन्होंने सौदा पक्का कर दिया। माँ अब सेक्सी कपड़े पहनने लगी। एक दिन मैंने पूजा से कहा, “शाम को माँ को मूवी ले जाना।” पूजा बोली, “मैं तैयार कर दूँगी।” ऑफिस से लौटा, तो किचन में दौड़ा। मैंने पीछे से किसी को पकड़ा, उसकी गर्दन चूमी, चूचियाँ दबाई। वो पलटी—माँ थी। स्लीवलेस मिडी में उनकी गांड चमक रही थी। “माँ, तुम तो बहुत सेक्सी लग रही हो,” मेरे मुँह से निकला। माँ शरमाकर कमरे में चली गई।
पूरा आई। मैंने कहा, “ये सब क्या चल रहा है?” पूजा बोली, “तेरे लिए छह महीने का इंतजाम कर रही हूँ।” मैं बोला, “सही है। अब चलो, मूवी के लिए। माँ को बुलाओ।” माँ आई, तो देखा उन्होंने कपड़े बदल लिए। पूजा बोली, “कपड़े क्यों बदले?” माँ बोली, “दामाद जी ने मुझे…” आगे कुछ नहीं बोली। पूजा बोली, “कोई बात नहीं, चाय पी लो, फिर बदल लेना।” माँ ने चाय पीकर फिर मिडी पहनी। हम मूवी देखने गए।
माँ शायद पहली बार मूवी देखने आई थी। लोग उन पर लाइन मार रहे थे। मूवी में सेक्सी सीन थे। मैं पूजा की चूचियाँ दबा रहा था। इंटरवल के बाद पूजा ने माँ से सीट बदली, क्योंकि उसे दिक्कत हो रही थी। मुझे नहीं पता था। मैंने फिर मस्ती शुरू की—माँ की चूचियाँ दबाई, उनकी चूत सहलाई। किसिंग सीन में मैंने माँ को लिप किस किया। उनकी साँसें तेज हो गई, चूत गीली हो गई। मूवी खत्म हुई, तो माँ की मिडी का पिछवाड़ा भीगा था। मैंने पूजा को दिखाया।
गाड़ी में पूजा और माँ पीछे बैठी। पूजा बोली, “क्या हुआ, माँ?” माँ बोली, “तुम्हारे चक्कर में मेरी हालत खराब हो रही है।” घर लौटे। पूजा माँ के कमरे में गई, देर बाद लौटी। मैंने पूछा, “क्या चल रहा है? माँ को क्या घुट्टी पिलाई?” पूजा ने बताया, “मैंने माँ को हमारी गोवा की चुदाई की वीडियो दिखाई। वो गर्म हो गई। मैंने कहा, वो मजे कर सकती हैं। माँ ने बाहर संबंध बनाने से मना किया। मैंने कहा, पार्लर जाओ, एक्सरसाइज करो। अब वो तेरे छूने से पापा का लंड याद करने लगी हैं।” मैं बोला, “पूरा, तू माँ को चुदवाकर मानेगी। मैं दो दिन बाद गाँव जा रहा हूँ।” पूजा बोली, “माँ को ले जाओ। उन्हें खूब मजे कराओ। चोदने की खुशखबरी देना।” मैं बोला, “ठीक, कोशिश करता हूँ।”
पूरा ने माँ से कहा, “मेरी कोख में राज का बच्चा है। मैं नहीं जा सकती। मेरी जगह जाओ। बुरा न मानो, तो चुदवा भी लेना। मुझे दिक्कत नहीं। तुम्हें लंड का सुख मिलेगा।” माँ बोली, “मैं कुछ नहीं करूँगी। वो पहल करे, तो मना नहीं करूँगी।” सुबह मैंने पूजा से पैकिंग के लिए कहा। पूजा ने माँ को पार्लर ले जाकर मसाज और वैक्सिंग करवाई। शाम को माँ बाहर आईं—डायमंड टॉप, पीछे डोरी, छोटी स्कर्ट, जो गांड मुश्किल से ढक रही थी। स्टॉकिंग्स और हाई हील्स में वो रंडी लग रही थी।
हम स्टेशन पहुँचे। ट्रेन में हमारा केबिन खाली था। टीटी बोला, “एन्जॉय करो, दरवाजा बंद कर लो।” माँ की पैंटी दिख रही थी। रात हुई। माँ बोली, “बेटा, सो जा।” मैं बोला, “नींद नहीं आ रही।” वो बोली, “मेरी गोद में लेट।” मैं उनकी गोद में लेटा। उनकी चूचियाँ मेरे सामने थीं। मेरा लंड तन गया।
“माँ, तुझे चोदना है,” मैंने कहा। माँ बोली, “नहीं, मैं तेरी माँ हूँ।” मैं बोला, “कपड़ों में कॉल गर्ल लग रही है। पूजा ने कहा, छह महीने मेरी बीवी बन।” माँ बोली, “हाँ, ख्याल रखूँगी।” मैंने कहा, “कपड़े फाड़ दे।” मैंने उनका टॉप खींचकर फाड़ा। स्कर्ट चिथड़े हो गई। हाफ ब्रा और जी-स्ट्रिंग फाड़ दी। माँ नंगी थी। उनकी चूचियाँ भारी थीं, जैसे दो रसीले तरबूज। मैंने उनकी कमर पकड़ी, उनके होंठ चूसे। माँ की साँसें तेज हो गई। “बेटा… ये गलत है,” उन्होंने फुसफुसाया। मैंने उनकी चूचियाँ दबाई, निप्पल मुँह में लिए। “माँ, तेरी चूचियाँ कितनी मुलायम हैं,” मैंने कहा। मैंने धीरे-धीरे उनकी जांघें सहलाई, उनकी चूत तक उंगलियाँ ले गया। वो गीली थी, नमकीन खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। “माँ, तेरी चूत कितनी प्यासी है,” मैंने कहा। मैंने उनकी चूत की फाँकों को उंगलियों से खोला, उनकी क्लिट को सहलाया। “आह्ह… बेटा… मत छेड़…,” माँ सिसकारी। मैंने उनकी चूत पर जीभ फेरी। उनका पानी मेरे मुँह में टपक रहा था। मैंने उनकी क्लिट चूसी, उनकी चूत को जीभ से चोदा। “बेटा… मैं पागल हो जाऊँगी… चोद दे,” माँ चीखी।
मैंने माँ को सीट पर लिटाया। उनकी चूत टाइट थी। मैंने लंड उनकी चूत पर रगड़ा। “बेटा… डाल दे… मेरी चूत 18 साल से प्यासी है,” माँ बोली। मैंने लंड धीरे-धीरे डाला, मगर आधा गया। “मेरी चूत का मुँह बंद है,” माँ बोली। मैंने आधे लंड से धक्के शुरू किए। “आह्ह… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी,” माँ चीखी। मैंने उनकी चूचियाँ चूसी, उनके निप्पल काटे। धीरे-धीरे पूरा लंड पेल दिया। माँ की चीख निकली, आँसू बहे। “बेटा… मेरी चूत… चोद दे,” माँ सिसकारी। मैंने धीमे धक्के मारे, उनकी चूत गीली थी, फच-फच की आवाज गूंज रही थी। मैंने माँ को पलटा, घोड़ी बनाया। उनकी गांड मेरे सामने उभरी। मैंने उनकी गांड थपथपाई, फिर चूत में लंड डाला। “18 साल की प्यास बुझा… मेरी चूत मार,” माँ चीखी। मैंने 69 किया, उनकी चूत चाटी, उनका पानी मेरे मुँह में बहा। माँ ने मेरा लंड चूसा, जैसे कोई भूखी रंडी। आधे घंटे में माँ तीन बार झड़ी। मैं उनकी चूत में झड़ा।
18 घंटे के सफर में मैंने माँ को पाँच बार चोदा। एक बार उनकी चूत चाटकर, एक बार उनके मुँह में लंड देकर, एक बार घोड़ी बनाकर, एक बार मिशनरी में, और एक बार माँ ने मेरे लंड पर सवारी की। उनकी सिसकारियाँ ट्रेन की खटखट से मिल रही थी।
गाँव पहुँचे। चाचा के घर रुके। अगले दिन जमीन का सौदा हुआ। 5 लाख नकद, बाकी डीडी। रजिस्ट्री हो गई। दोपहर तीन बजे काम खत्म। मैंने माँ से कहा, “तीन दिन का प्लान था, अब क्या?” माँ बोली, “मुझे हनीमून करा, जैसा पूजा के साथ।” मैंने पूजा को फोन किया, “माँ सरप्राइज देना चाहती है।”
ट्रेन कैंसिल कर दिल्ली से गोवा की फ्लाइट ली। एयरपोर्ट पर माँ ने टॉप और जीन्स शॉर्ट पहना, चूचियाँ और चूत मुश्किल से ढक रही थी। “सबके लंड खड़े कर दिए,” मैंने कहा। माँ बोली, “पूरा ने पहनाया।” गोवा में हनीमून स्वीट बुक किया। रात को रेस्तरां में वाइन और खाना लिया। रूम लौटे। मैंने माँ का टॉप फाड़ा, शॉर्ट उतारा। जी-स्ट्रिंग फाड़ दी। उनकी चूचियाँ मेरे सामने थी। मैंने उनकी कमर पकड़ी, उनके होंठ चूसे। “बेटा… और चूस…,” माँ सिसकारी। मैंने उनकी चूचियाँ मसली, निप्पल चूसे। उनकी जांघें सहलाई, चूत तक उंगलियाँ ले गया। “माँ, तेरी चूत गीली है,” मैंने कहा। मैंने उनकी चूत चाटी, उनकी क्लिट को जीभ से छेड़ा। “आह्ह… बेटा… चोद दे…,” माँ चीखी। मैंने माँ को बेड पर लिटाया। उनकी टाँगें फैलाईं, लंड उनकी चूत पर रगड़ा। “डाल दे… मेरी चूत जल रही है,” माँ बोली। मैंने धीरे-धीरे लंड डाला, उनकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया। “आह्ह… बेटा… और गहरा…,” माँ सिसकारी। मैंने धीमे धक्के मारे, उनकी चूचियाँ उछल रही थी। मैंने माँ को पलटा, घोड़ी बनाया। उनकी गांड थपथपाई, चूत में लंड पेला। “चोद… मेरी चूत फाड़…,” माँ चीखी। मैंने माँ को मेरे ऊपर बिठाया, वो मेरे लंड पर उछलने लगी। उनकी चूचियाँ मेरे मुँह के सामने थीं। आधे घंटे में माँ दो बार झड़ी। मैं उनकी चूत में झड़ा। हम नंगे सो गए।
सुबह बेड टी आई। “माँ, नंगी दरवाजा खोल,” मैंने कहा। माँ नंगी गई। वेटर ने उनकी चूचियाँ देखी। चाय पीकर मैंने माँ को बेड पर लिटाया। “तेरी गांड मारूँगा,” मैंने कहा। माँ चौंकी। मैंने तेल लिया, उनकी गांड पर मला। “बेटा… धीरे… मेरी गांड वर्जिन है,” माँ बोली। मैंने उनकी गांड की छेद को उंगली से सहलाया, तेल डाला। धीरे-धीरे लंड डाला। “हरामी… बता दे… मेरी गांड फट गई,” माँ चीखी। मैंने धीरे धक्के मारे, उनकी गांड ने मेरे लंड को जकड़ लिया। दस मिनट में माल निकला। माँ बोली, “दर्द हो रहा है। आगे चोद।” मैंने उनके मुँह में लंड दिया। माँ ने चूसा, जैसे कोई रसीला फल। लंड खड़ा हुआ, तो मैंने उनकी चूत में पेल दिया। “आह्ह… बेटा… मेरी चूत… और जोर से,” माँ चीखी। मैंने उनकी टाँगें कंधों पर रखी, गहरे धक्के मारे। उनकी चूत का पानी बह रहा था। बीस मिनट बाद मेरा माल निकला। हम हाँफते हुए लेटे। नहाकर मार्केट निकल गए।