पिछला भाग पढ़ें:- खेल-खेल में बेटी को चोदा-6
सुबह मैंने अशोक के सामने अपनी रंडी बीवी अणिमा को चोदा। मेरी बेटी नम्रता और किरण ने हमारी चुदाई देखी। जैसे ही अशोक ने बताया कि उसने रात में नम्रता को दो बार चोदा, मेरी बेटी वहाँ से चली गई। लेकिन किरण मेरे बगल में बैठी रही। एक घंटा चोदने के बाद मैं अणिमा के मुँह में लंड पेलकर गंदी बातें करने लगा। अणिमा समझ गई कि मैं उसे शर्मिंदा करना चाहता हूँ। उसने मेरा लंड मुँह से निकाला, और बोली, “दिखाती हूँ, मैं कितनी बेशर्म हूँ।” Maa beti ek sath chudae khania
वो अशोक का लंड चूसने लगी। मैंने उसे 5-7 मिनट चूसने दिया, फिर खड़ा हुआ, और उसे कुतिया बनाया। लंड उसकी गांड के छेद पर रखा, और जोर से धक्का मारा। हर हफ्ते उसकी गांड मारता था, तो पहला धक्का आसानी से डेढ़ इंच अंदर गया। चार-पाँच धक्कों में पूरा लंड उसकी गांड में समा गया। मैं दनादन पेलते हुए बोला, “अशोक, अणिमा की चूत तो मजा देती ही है, लेकिन इसकी गांड का मजा और कम औरतें दे सकती हैं।”
उधर अशोक झड़ गया। अणिमा गुस्से में बोली, “कैसा नामर्द है! लंड तना नहीं, और झड़ गया। घर जा, नम्रता को चोदना हो, तो दो बजे आ। अभी मुझे गांड मरवाने दे।” अशोक बेडरूम गया, 10-12 मिनट बाद तैयार होकर निकल गया। मैं तब भी अणिमा की गांड पेल रहा था। किरण बैठकर देख रही थी। 40 मिनट गांड मारने के बाद मैंने लंड निकाला, और उसकी चूत में पेल दिया। 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया। लंड निकाला, तो अणिमा खड़ी हुई, और गुस्से में बोली, “अब देख, मैं क्या करती हूँ।”
वो कमरे की ओर जाने लगी। मैंने चिल्लाया, “जो मन है कर, लेकिन आज रात तुझे प्रेम को खुश करना है।” किरण को हमारे झगड़े से मतलब नहीं था। उसने 3-4 घंटे मेरे साथ बिताने की गुजारिश की। मैंने उसे दो बजे संगम होटल आने को कहा। वो खुश होकर अपने घर चली गई।
मैं नंगा ही नम्रता के कमरे में गया। वो बेड पर बैठी थी। मुझे देखते ही बोली, “पापा, मम्मी को सब पता है। यकीन करो, मैं अशोक से चुदवाना नहीं चाहती थी, लेकिन मजबूरी थी।” मैंने उसे गले लगाया, उसकी चूचियाँ मसलीं, और होंठ चूमकर कहा, “मेरी रानी, मैं तुझसे नाराज नहीं हूँ। मैं चाहता हूँ कि तू नए-नए मर्दों, नए-नए लंडों का मजा ले, फिर फैसला कर कि तुझे कौन पसंद है। तेरी माँ 24 साल से अलग-अलग मर्दों से चुदवाती है, लेकिन आज तक फैसला नहीं कर पाई।”
अणिमा कमरे में आ गई। मेरे लंड को मसलते हुए बोली, “मुझे पता है मेरा पसंदीदा मर्द कौन है। दुनिया के लिए तू मेरा पति है, लेकिन मेरा असली मर्द राघव और तेरे बाबूजी थे। अब राघव है। तूने नम्रता को चोदा, लेकिन चिंता मत कर, तू बेटीचोद नहीं है। नम्रता और विनोद तेरे बच्चे नहीं, दोनों राघव के हैं। कल हमारी डील हुई थी, तो आज मैं प्रेम को प्यार से चोदूँगी। लेकिन कल से राघव मेरे साथ रहेगा। तू किरण, संध्या, या किसी और को चोद, लेकिन मेरे और राघव के बीच मत आ। और आज तुझे पूरी छूट है—जितना चाहे चोद, गांड मार। कल से मुझे छू भी नहीं सकता।”
अणिमा बेड पर आई, और नम्रता को समझाने लगी, “मैं कॉलेज के फाइनल ईयर में थी। एक सुनसान जगह पर पाँच मजदूर लड़के मुझे तंग कर रहे थे। नरेन ने मुझे बचाया। मैं तेरी और किरण की तरह इसकी मर्दानगी में फँस गई। दिन में उसने मुझे बचाया, और रात में मेरे घर में चोद दिया। मैं कुंवारी थी। साला पता नहीं क्या जादू किया, मेरी पहली चुदाई एक घंटे से ज्यादा चली। मैंने अपनी माँ से शिकायत की, तो उस रंडी ने कहा कि वो इसे समझाएगी। मैं बाहर बैठी थी, और मेरी कुतिया माँ नंगी होकर नरेन को समझाने गई। उसने नहीं सोचा कि जिस लड़की की सील तोड़ी, उसकी माँ को नहीं चोदना चाहिए। दोनों ने पूरी रात चुदाई की, और मैं बाहर सोई। सुबह माँ ने कहा कि मैं खुशकिस्मत हूँ, जो इतना मस्त चोदने वाला मिला।”
नम्रता ने पूछा, “जब तुझे पता चला कि इसने तेरी माँ को चोदा, तो तूने शादी क्यों की?” अणिमा बोली, “मैं बेवकूफ थी। माँ और नरेन की बातों में आ गई। नरेन की माँ ने भी कहा कि धीरे-धीरे मुझे उसकी चुदाई पसंद आएगी। बाद में पता चला कि नरेन अपनी माँ और दोनों बहनों को भी चोदता था।”
नम्रता ने कहा, “अगर माँ और बहनें चुदवाती हैं, तो वो मर्द जबरदस्त चोदता होगा।” मैंने नम्रता को बेड पर लिटाया, और उसकी चूत चूसने-चाटने लगा। अणिमा ने रोका नहीं, और बोली, “मुझे चुदाई का असली मजा तब मिला, जब नरेन के बाबूजी ने चोदा। शादी के एक महीने बाद नरेन ट्रेनिंग के लिए गया। उसी रात तेरे ससुर नंगे मेरे कमरे में आए। बोले, एक बार चुदवा लो, पसंद न आए, तो फिर नहीं आएँगे। मैं नहीं मानी, लेकिन जब बोले कि नरेन ने अपनी माँ को चोदना शुरू किया, तब से उन्होंने किसी को नहीं चोदा, तो मुझे दया आ गई। मैंने चुदवा लिया। बेटी, एक बार क्या, उस रात चार बार चुदवाया। एक महीने में सौ बार से ज्यादा चुदाई की।”
मुझे भनक नहीं थी कि मेरे बाबूजी ने अणिमा को चोदा। मैंने चूत चूसना छोड़कर चिल्लाया, “छी, कैसी औरत है! मरे हुए को बदनाम कर रही है!” अणिमा ने अपनी चूत की फाँकें फैलाईं, गुलाबी मांस दिखाते हुए बोली, “इस चूत के मैदान पर तेरे बाबूजी ने 20 साल बैटिंग की। अगर वो जिंदा होते, तो नम्रता की चूत में पहला शॉट वो मारते। यकीन न हो, तो अपनी रंडी बहनों या भूमिका से पूछ। सैकड़ों बार मैं, भूमिका, और तेरी बहनें नंगी लेटीं, और तेरे बाबूजी और राघव ने हमारी चूत और गांड में लंड पेला। तू एक घंटे में सेंचुरी मारता है, वो 15-20 मिनट में मारते थे। तुझे लगता था कि मेरी माँ तेरे लिए पागल थी। मैंने उसे भी बाबूजी से चुदवाया, तो वो दिन में तीन-चार बार चुदवाने लगी। जब भूमिका ने मुझे राघव से चुदवाया, तो मेरी और माँ की जिंदगी स्वर्ग हो गई।”
अणिमा ने आगे कहा, “तेरे बाबूजी हर महीना अपनी बीवी को तुझसे चुदवाने आते थे। तू अपनी माँ को चोदता, और बाबूजी हम माँ-बेटी को। तू ऑफिस जाता, और बाबूजी तेरी माँ के सामने हमें पेलते। तू ट्रेनिंग पर जाता, तो राघव और बाबूजी मेरी चूत में प्रैक्टिस करते। बच्चे स्कूल जाते, और मैं अपने यारों के लिए नंगी रहती। आज तूने मुझे बेइज्जत करने के लिए किरण और अशोक के सामने मेरी गांड मारी। मेरी गांड में पहला लंड तेरे बाबूजी का था। तू मुझे अकेले चोदता है, लेकिन बाबूजी और राघव ने हजारों बार मेरी चूत और गांड में डबल सवारी की।”
वो इतने यकीन से बोल रही थी कि न मानना मुश्किल था। अणिमा बोली, “तेरे बाबूजी और राघव के अलावा मैंने 27 मर्दों से चुदवाया। अशोक को छोड़, बाकी सब राघव और बाबूजी को खुश करने के लिए। आज प्रेम से चुदवाऊँगी। जितना चाहे चोद, कल से मर भी जाए, तो तुझसे नहीं चुदवाऊँगी। नम्रता, तू जिससे चाहे चुदवा, बस प्रेगनेंट मत हो।”
उसकी बात सुनकर मेरा जोश ठंडा पड़ गया। लंड ढीला हो गया। अणिमा ने लंड दबाकर कहा, “बेटी, तेरा कुत्ता दुखी है। चूसकर, चुदवाकर इसे खुश कर। दो बजे अशोक के साथ तेरा मैच है।” वो चली गई। मैं उदास था, लेकिन सामने ताजा माल था। मैं नम्रता के ऊपर 69 पोज में आया। वो लंड चूसने लगी। मैं उसकी चूत कुरेदते हुए चाटने लगा। नम्रता चिल्लाई, “पापा, चोद ना!” मैंने उसे कुतिया बनाया, लंड चूत में पेला, और दाहिनी बीच वाली उंगली उसकी गांड में घुसेड़ दी।
“पापा, दर्द हो रहा है!” वो चिल्लाई, लेकिन मैं रुका नहीं। लंड और उंगली एक साथ चूत और गांड में पेलता रहा। 7-8 मिनट बाद गांड चिकनी लगने लगी। मैंने दूसरी उंगली भी घुसेड़ दी। नम्रता ने शिकायत नहीं की, सिसकारियाँ भरते हुए कमर हिलाने लगी। अणिमा वापस आई, और बोली, “बिल्कुल अपने बाप का बेटा। जिस दिन बाबूजी ने मुझे चोदा, अगले दिन तूने मेरी गांड फाड़ दी, ठीक वैसे ही। अभी दो उंगलियाँ पेल रहा है, फिर तीन डालेगा, और लंड से मारेगा। नम्रता, डर मत, गांड मरवाने में मजा आता है। जो औरत गांड मरवाती है, मर्द उसे ज्यादा प्यार करते हैं।”
हमने जवाब नहीं दिया। अणिमा ने नम्रता के लैपटॉप में पेनड्राइव लगाई, और वीडियो चलाया। मेरे गाल मसलते हुए बोली, “यकीन न हो, तो देख, तेरे बाबूजी हमारी चुदाई और गांड कैसे मारते थे।” पहले सीन में बाबूजी अणिमा को चोद रहे थे, और राघव मेरी सास की चूत पेल रहा था। नम्रता ने लैपटॉप बंद किया, और चिल्लाई, “कुतिया, तेरी घटिया चुदाई हमें नहीं देखनी! सारी औरतें पापा से चुदवाने को मरती हैं, और तुझे पापा अच्छे नहीं लगे? अगर पापा मस्त नहीं चोदते, तो तू उन कुत्तों से चुदवाने के बाद भी पापा से क्यों चुदवाती है? तू सड़क की कुतिया से भी बदतर है। पता नहीं मैंने कल डरकर अशोक से क्यों चुदवाया। अगर तूने मुझे अपने यारों से चुदवाने की कोशिश की, या हमें तंग किया, तो तेरे 27 मर्दों के चुदाई वीडियो हमारे पास हैं।”
नम्रता की बातों ने मेरा जोश बढ़ा दिया। मैंने तेज धक्के मारते हुए उसकी चूत पेली। वो चिल्लाई, “जब तक पापा के लंड में दम है, मेरी चूत और गांड में सिर्फ पापा का लंड शॉट मारेगा।” मैंने उसकी गांड से उंगलियाँ निकालीं, और लंड उसकी चूत से निकालकर गांड में पेल दिया। नम्रता सिसकारी, “पापा… और जोर से!” मैंने 30 मिनट उसकी गांड मारी, और चूत में लंड डालकर झड़ गया।
उस दिन के बाद नम्रता मेरी बीवी की तरह मेरे साथ रहने लगी। अणिमा राघव के साथ चली गई। मैं और नम्रता संगम होटल में किरण को चोदते, और घर आकर एक-दूसरे की चूत-गांड पेलते। मेरी रानी ने साबित कर दिया कि वो अपनी माँ से बढ़कर चुदक्कड़ है।
समाप्त