हैलो दोस्तों, मैं पुष्पा, 40 साल की एक स्कूल टीचर, अपनी जिंदगी की सबसे चटपटी और गर्म कहानी आपके सामने ला रही हूँ। मेरा फिगर 36-34-38 है, और मेरी भरी-पूरी चूचियाँ, पतली कमर, और गोल-मटोल गांड गाँव के मर्दों की नजरों का शिकार बनी रहती हैं। मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में रहती हूँ, जहाँ खेतों की हरी-भरी लहरें और तंग गलियाँ हर राज को अपने सीने में छुपा लेती हैं। मेरे घर में मेरी सास, जो अब बूढ़ी और बीमार रहती हैं, और मेरा 18 साल का बेटा अभिषेक है। अभिषेक गठीले बदन का मालिक है, लंबा, चौड़ा सीना, और मजबूत बाहें, जो खेतों में काम करते वक्त पसीने से चमकती हैं। मेरे पति की चार साल पहले एक कार दुर्घटना में मौत हो गई थी, और तब से मेरी रातें सूनी और जिस्म की आग बेकाबू थी। लेकिन इस कहानी में वो तूफान है, जो मेरे बेटे ने मेरे जिस्म और दिल में मचाया। Mom Son Sex Story
मेरी जिंदगी में मसाला तब आया, जब मेरे कॉलेज की दोस्त शालिनी ने मुझे एक नया रास्ता दिखाया। शालिनी, 41 साल की, मेरी तरह ही अकेली थी, क्योंकि उसका तलाक हो चुका था। हम दोनों स्कूल की स्टाफ रूम में घंटों गप्पें मारते, हर बात शेयर करते, लेकिन सेक्स की बातें हमेशा छुपी रहतीं। मुझे हमेशा लगता कि शालिनी इतनी खुश कैसे रहती है, बिना किसी मर्द के। एक दिन, कॉलेज के कैंटीन में चाय पीते वक्त, मैंने उससे पूछ ही लिया, “शालू, तू इतनी मस्त कैसे रहती है? जिस्म की आग को कैसे काबू करती है?” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “पुष्पा, उंगलियों का कमाल है।” मैंने हंसकर कहा, “अरे यार, उंगलियाँ वो सुख कहाँ दे पाती हैं, जो एक मोटा लौड़ा दे सकता है।” शालिनी ने आँख मारते हुए कहा, “सही तरीका आना चाहिए। इंटरनेट का सहारा ले।” मैंने जिद की, “सीधे-सीधे बता ना, क्या करती है?” उसने कहा, “रात को एक चैट साइट पर आ। मैं लिंक भेजूँगी।” मैंने हैरानी से पूछा, “कैसी साइट? क्या करना होगा?” शालिनी ने हँसते हुए कहा, “बस लिंक पर क्लिक कर, सब समझ आ जाएगा।”
उस रात, मैंने डिनर बनाया, सास को दवा दी, और अपने कमरे में आकर बेसब्री से शालिनी का मैसेज इंतजार करने लगी। रात 10 बजे उसका लिंक आया। मैंने फोन खोला, लिंक पर क्लिक किया, और अपना नाम डालकर साइट में घुसी। मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। वहाँ लोग खुलेआम परिवार वालों के साथ गंदी-गंदी बातें कर रहे थे। मैं पहले भी चोरी-छिपे सेक्स कहानियाँ पढ़ चुकी थी, लेकिन ये तो हद थी। तभी एक अनजान लड़के का मैसेज आया। उसने पूछा, “कहाँ से हो? क्या करती हो? उम्र?” मैंने सच बताया, “यूपी से, टीचर हूँ, 40 की।” उसने लिखा, “इतनी उम्र में तो बहुत आग लगती होगी।” मैंने हँसकर जवाब दिया, “तुझे कैसे पता? तेरी माँ भी इतनी ही है क्या?” उसने बेशर्मी से कहा, “हाँ, मेरी माँ में भी यही गर्मी है।” मैंने पूछा, “तुझे कैसे पता?” उसने जवाब दिया, “बताऊँगा, पहले ये बता, तू किससे चुदती है?” मैंने कहा, “किसी से नहीं।” उसने पूछा, “क्यों?” मैंने कहा, “विधवा हूँ।” उसका अगला मैसेज मेरे दिल में आग लगा गया, “तो तुझे लौड़ा खाने का बहुत मन करता होगा, रानी।” मैं चुप हो गई, लेकिन सोचा, ये तो अनजान है, कौन सा मुझे जानता है। मैंने लिखा, “हाँ।” उसने पूछा, “तो अपनी बुर की आग कैसे बुझाती है?” मैंने कहा, “हाथ से।” उसने ताना मारा, “किसी से चुदवा क्यों नहीं लेती?” मैंने गुस्से में कहा, “मैं सड़कछाप नहीं, जो किसी के सामने बिछ जाऊँ। इज्जतदार परिवार से हूँ।” उसने हँसते हुए लिखा, “तो घर में ही चुद जा, माँ रानी।” मेरी बुर में गुदगुदी होने लगी। मैंने पूछा, “घर में कैसे? किससे?” उसने बेधड़क कहा, “अपने बेटे से।” मैंने कहा, “ये बोलने में आसान है, करना नामुमकिन।” उसने जवाब दिया, “नामुमकिन क्यों? मैं तो अपनी माँ को चोदता हूँ।” मैंने अविश्वास में पूछा, “कैसे यकीन करूँ?” उसने कहा, “यकीन करना पड़ेगा। अभी मेरी माँ मेरे पास नंगी लेटी है, मेरा लौड़ा सहला रही है, और मैं उसकी बुर में उंगली कर रहा हूँ।” मेरी साँसें तेज हो गईं। मैंने फोन रखा, अपनी साड़ी उठाई, और बुर में उंगली करने लगी। कुछ ही पलों में मेरा पानी निकल गया, और मैं गहरी नींद में सो गई। Mummy ki chudai
अगले दिन स्कूल में शालिनी से मिली। उसने आँख मारकर पूछा, “कैसी रही रात, मैडम?” मैंने शरमाते हुए कहा, “यार, तेरा साइट तो कमाल का है।” उसने हँसकर कहा, “बस, अब मजा ले।” उस दिन से मेरी रातें बदल गईं। हर रात मैं उस साइट पर जाती, अनजान लोगों से गंदी बातें करती, और अपनी बुर की आग उंगलियों से बुझाती। लेकिन एक रात, मेरी जिंदगी पलट गई। एक लड़के का मैसेज आया, जिसका नाम था अभिषेक। उसने लिखा, “हाय।” मैंने जवाब दिया, “हैलो।” उसने पूछा, “मैं यूपी से हूँ, तुम?” मैंने झूठ बोला, “मुंबई से।” उसने कहा, “मेरी माँ का नाम भी पुष्पा है।” मैंने हँसकर कहा, “अच्छा, नाइस।” मैंने पूछा, “तेरी माँ क्या करती है?” उसने मेरे कॉलेज का नाम, गाँव, और मेरे बारे में सारी सच्ची बातें बता दीं। मेरे होश उड़ गए। ये मेरा बेटा अभिषेक था। मैंने दिल थामकर पूछा, “तुझे अपनी माँ पसंद है?” उसने कहा, “बहुत ज्यादा। मैं उसे चोदना चाहता हूँ, लेकिन वो बहुत सख्त और सीधी है।” मैंने गर्मी महसूस करते हुए लिखा, “अगर तेरी माँ भी तुझसे चुदना चाहे तो?” उसने उत्साह से पूछा, “लेकिन पता कैसे चलेगा?” मैंने चालाकी से कहा, “जा, देख अपनी माँ क्या कर रही है, क्या पहने है।” उसने कहा, “ठीक है, रुक।”
मैंने फोन रखा। तभी दरवाजे पर आवाज आई, “माँ!” मैंने दरवाजा खोला। अभिषेक खड़ा था। मैंने अनजान बनते हुए पूछा, “क्या हुआ, बेटा?” उसने कहा, “माँ, स्कूल के लिए कुछ पैसे चाहिए।” मैंने कहा, “सुबह ले लेना।” उसने कहा, “ठीक है, गुड नाइट।” वो चला गया। मैंने दरवाजा बंद किया और फोन उठाया। अभिषेक का मैसेज आया, “माँ हरी साड़ी में है, शायद सोने जा रही है।” मैंने पूछा, “तेरी माँ ने किस रंग की साड़ी पहनी थी?” उसने कहा, “हरी।” अब मुझे यकीन हो गया कि ये मेरा बेटा ही है। मेरी बुर में आग लग गई। मैंने लिखा, “मैं तेरी माँ को तुझसे चुदवा सकती हूँ।” उसने उत्साह से पूछा, “कैसे?” मैंने कहा, “मुझे अपनी माँ की फोटो भेज। मैं तांत्रिक हूँ, तेरी माँ को तेरे वश में कर दूँगी।” उसने मेरी ही एक फोटो भेज दी। मैं खुशी से पागल हो गई। मैंने लिखा, “कल इसी वक्त बात करेंगे। बाय।”
अगले दिन मेरे दिमाग में वही बातें घूम रही थीं। गाँव में शादी थी, और मेरे घर में कुछ मेहमान रुके थे। मैंने सोचा, मेहमानों के जाने के बाद अभिषेक को अपनी बुर सौंप दूँगी। शादी में मैं सज-धजकर गई। लाल साड़ी, गहरे गले का ब्लाउज, और चटक लिपस्टिक में मैं किसी जवान औरत से कम नहीं लग रही थी। अभिषेक की नजरें मुझ पर टिकी थीं। मैं अंदर-ही-अंदर मुस्कुरा रही थी, और मेरी बुर गीली हो रही थी। रात 11 बजे मैं कुछ रिश्तेदारों के साथ बैठी थी। अभिषेक कहीं दिख नहीं रहा। मुझे लगा, शायद सो गया। मैं बोर होकर फोन निकाला और साइट खोली। देखा, अभिषेक ऑनलाइन था। उसने लिखा, “तुम्हारा तंत्र-विद्या बेकार है। दो दिन हो गए, माँ में कोई बदलाव नहीं।” मैंने पूछा, “क्यों?” उसने कहा, “वो मुझे देखती तक नहीं।” मैंने ताना मारा, “क्या चाहता है, माँ आज ही तुझसे चुदवा ले?” उसने उत्साह से कहा, “हाँ!” मैंने लिखा, “ठीक है, मैं कुछ करती हूँ। तैयार रह।”
मैंने सोचा, मेहमानों का इंतजार क्यों? आज ही चुदवा लेती हूँ। मैंने व्हाट्सएप पर अभिषेक को मैसेज किया, “हाय, बेटा।” उसने जवाब दिया, “माँ, इतनी रात को क्या बात है?” मैंने लिखा, “मुझे तुझसे चुदवाने का मन कर रहा है।” उसने हैरानी से पूछा, “माँ, क्या बोल रही हो?” मैंने खुलकर कहा, “बेटा, उस साइट पर मैं ही थी। कोई तंत्र-विद्या नहीं। मैं भी तेरा लौड़ा लेना चाहती हूँ।” उसने कहा, “माँ, घर में तो ढेर सारे लोग हैं।” मैंने ताना मारा, “तो रहने दे। बाद में मत कहना, मैंने बोला नहीं।” उसने कहा, “माँ, एक आइडिया है, अगर बुरा न लगे।” मैंने पूछा, “बता।” उसने कहा, “हमारे घर के पीछे गन्ने के खेत में चलें।” मैंने हँसकर कहा, “खड़े-खड़े अपनी माँ की बुर में लौड़ा डालना है क्या, बेटा?” उसने कहा, “माँ, मैं चादर ले चलूँगा।” मैंने कहा, “पागल हो? ये कैसे होगा?” उसने जिद की, “माँ, मैं सब जुगाड़ कर लूँगा। तुम्हें फोन करूँगा।” मैंने चेतावनी दी, “बेटे, वहाँ रिस्क है। किसी ने देख लिया तो?” उसने कहा, “टेंशन मत लो, माँ। मेरे फोन का इंतजार करो।”
उसके शब्दों ने मेरी बुर में आग लगा दी। मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी। कुछ देर सोचने के बाद मैंने कहा, “जो होगा, देखा जाएगा।” तभी अभिषेक का फोन आया। उसने कहा, “माँ, घर आ जाओ। पीछे के दरवाजे से खेत में घुस जाना। मैं बीच खेत में हूँ, हल्की लाइट दिखाऊँगा।” मैंने कहा, “ठीक है, बेटा।” फोन काटकर मैंने रिश्तेदारों से कहा, “मैं घर जा रही हूँ।” घर पहुँची, मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। फिर भी हिम्मत जुटाकर मैंने पीछे का दरवाजा खोला और गन्ने के खेत में उतर गई। मैंने अभिषेक को फोन किया, “बेटे, मैं खेत में आ गई। कहाँ आना है?” उसने कहा, “मम्मी, खेत के बीच में आ जाओ। मैं हल्की-हल्की लाइट दिखा रहा हूँ।” मैं डरते-डरते आगे बढ़ी। गन्ने की पत्तियाँ मेरे जिस्म को छू रही थीं, और मेरी बुर में गुदगुदी हो रही थी। कुछ देर बाद हल्की लाइट दिखी। मैं समझ गई, ये अभिषेक है। मैं वहाँ पहुँची। उसने फोन बंद किया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे बिठाया। मैंने देखा, उसने एक पुराना गद्दा और तकिया बिछा रखा था। Maa Bete ki chudai
मैंने डरते हुए पूछा, “बेटा, किसी ने हमें देखा तो नहीं? हमारी बदनामी हो जाएगी।” उसने कहा, “नहीं माँ, इतनी रात को यहाँ कौन आएगा?” उसने मेरी जाँघों पर हाथ फेरना शुरू किया। मैं चुपचाप बैठी थी, मेरा दिल धक-धक कर रहा था। तभी अभिषेक ने इशारे से मुझे खड़ा होने को कहा। मैं खड़ी हुई, और उसने मुझे जोर से बाँहों में भर लिया। मैंने भी उसे कसकर जकड़ लिया, अपनी 36 की चूचियाँ उसकी छाती में दबा दीं। अचानक उसने मेरे होंठों पर चूम लिया। मैंने भी जवाब में उसे चूमा। उसने मेरे होंठ चूसने शुरू किए, और मेरी गांड को अपनी तरफ दबाने लगा। उसका मोटा लौड़ा मेरी बुर के ठीक सामने था। मैंने अपनी बुर को उसके लौड़े पर रगड़ दिया। वो और जोश में आ गया, मेरे होंठ चूसते हुए मेरा ब्लाउज खोलने लगा। मैंने उसकी मदद की। उसने मेरी साड़ी और पेटीकोट भी उतार दिया। अब मैं अपने बेटे के सामने सिर्फ सफेद ब्रा और काली पैंटी में थी। मैंने उसका टी-शर्ट उतारा। वो सिर्फ लोअर में था। उसने फिर मुझे जकड़ लिया, मेरी गांड दबाते हुए मेरे होंठ चूसने लगा। मैंने लोअर के ऊपर से उसका लौड़ा पकड़ लिया।
उसने मुझे गद्दे पर लिटा दिया और पीछे हाथ ले जाकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। मेरी भारी चूचियाँ आजाद हो गईं। उसने मेरी चूचियों को दबाना और चूमना शुरू किया। उसने मेरी बायीं चूची मुँह में ली और दायीं को मसलने लगा। मैं पागल सी हो रही थी। सालों बाद किसी मर्द का जिस्म मेरे ऊपर था, और वो मर्द मेरा अपना बेटा था। इस एहसास ने मेरी बुर को पानी-पानी कर दिया। मैंने उसके लोअर में हाथ डाला। उसने अंडरवियर नहीं पहना था। उसका लौड़ा गर्म, मोटा, और कम से कम 8 इंच लंबा था। मैं उसे सहलाने लगी। मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह… उह्ह…” उसने मेरी चूचियाँ छोड़ीं और मेरे पेट को चूमता हुआ मेरी बुर तक पहुँचा। उसने पैंटी के ऊपर से मेरी बुर को सूँघा, मसला। मैं सिसकारियाँ भर रही थी। उसने मेरी पैंटी उतारने की कोशिश की। मैंने कमर उठाकर उसकी मदद की। उसने मेरी पैंटी उतारी, और मैंने उसका लोअर झटके से खींचकर फेंक दिया।
वो मेरी टाँगों के बीच आया और मेरी बुर को चूमने लगा। उसकी जीभ मेरी बुर के होंठों पर फिसल रही थी। मैं मदहोश हो रही थी। उसका लौड़ा मेरे हाथ में था, और मैं उसे सहला रही थी। उसके दोनों हाथ मेरी चूचियों को मसल रहे थे। उसकी जीभ मेरी बुर के अंदर तक जा रही थी। मेरा जिस्म अकड़ने लगा। मैं जोर से सिसकारी, “आह… बेटा… उह्ह…” और उसके मुँह में ही झड़ गई। उसने मेरी बुर को चाट-चाटकर साफ किया। मैं फिर से गर्म हो गई। मैंने उसे इशारा किया ऊपर आने का। वो झट से मेरे ऊपर आया। मैंने हाथ नीचे ले जाकर उसके लौड़े को अपनी बुर के मुँह पर सेट किया और फुसफुसाई, “बेटा, चोद ले अपनी माँ को।”
उसने जोर का धक्का मारा। उसका पूरा 8 इंच का लौड़ा मेरी बुर में घुस गया। मैं चीखने ही वाली थी कि उसने मेरे मुँह में अपना मुँह डाल दिया। मैं दर्द से बिलबिला उठी, “गु… गु… गु…” सालों बाद मेरी बुर में लौड़ा गया था। दर्द के साथ-साथ एक अजीब सा सुख भी था। कुछ देर बाद दर्द कम हुआ, और मुझे मजा आने लगा। मैं भी तो चुदाई की भूखी थी। उसने मुझे चोदना शुरू किया। हर धक्के के साथ मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “उई… माँ… आह… उह्ह…” उसने धीरे-धीरे चोदना शुरू किया, कभी मेरे होंठ चूसता, कभी मेरी चूचियाँ मसलता। मुझे लगा, वो अब झड़ने वाला है। मैं भी उसी एहसास में झड़ने लगी। मेरी बुर ने उसका लौड़ा कस लिया। वो भी जोर से धक्का मारकर मेरी बुर में झड़ गया। हम दोनों हाँफते हुए गिर पड़े। Maa Beta Sex Story
कुछ देर बाद मैंने उसे बाँहों में भरा और कहा, “बेटा, तू पूरा मर्द है।” मैंने उसके लौड़े पर हाथ रखकर कहा, “ये तेरे बाप से भी बेहतर है।” उसने मुझे जोर से जकड़ लिया। उसका लौड़ा फिर खड़ा हो गया। इस बार उसने मुझे कुतिया बनाया। मैंने अपनी गांड पीछे की, और उसने पीछे से मेरी बुर में लौड़ा डाल दिया। उसने मेरी कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मेरी चूचियाँ हवा में झूल रही थीं। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… बेटा… चोद… उह्ह… और जोर से…” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा, जिससे मेरी बुर और गीली हो गई। उसने मेरे बाल पकड़े और मुझे और तेज चोदा। मैं फिर झड़ गई। उसने भी मेरी-dot- मेरी बुर में लौड़ा डालकर चोदा।
उस रात उसने मुझे चार बार अलग-अलग तरीकों से चोदा। पहले मिशनरी, फिर कुतिया, फिर मेरे ऊपर चढ़कर, और आखिर में मेरी गांड में उंगली डालकर। हर बार उसका लौड़ा मेरी बुर को फाड़ता हुआ लगा। मैं हर धक्के के साथ चीख रही थी, “आह… बेटा… मर गई… उह्ह… धीरे…” लेकिन वो रुका नहीं। उसने मेरी चूचियाँ मसलीं, मेरे होंठ चूसे, और मेरी गांड को थप्पड़ मारे। आखिरी बार उसने अपना माल मेरी बुर में ही छोड़ दिया। हम दोनों थककर चूर हो गए। हमने कपड़े पहने और घर चले गए।
अब तो हम हर रात चुदाई करते हैं। मैं अपने बेटे का लौड़ा अपनी बुर में लेकर सोती हूँ। उसकी गर्मी मेरे जिस्म की आग को शांत करती है। अगले हिस्से में बताऊँगी कि कैसे मैंने अभिषेक से शालिनी को भी चुदवाया, और हमने थ्रीसम का मजा लिया। Mmmy Beta Sex Story
पेटीकोट उतारकर सेक्स करने में उतनी माज़ा नही आती है ,जितनी साया उठाकर चोदने में अति है कमर पर साया रहने से उत्तेजना बढ़ जाती है,कभी पेटीकोट के ऊपर से चुत में गाड़ में लन्ड डाल कर माज़ा ले
ये सेक्स साइड ही है जो अपने को ही करीब लाने का मौका मिलता हैं ओर खुल कर बात होती ओर चूत और लन्ड का मिलन हो जाता है में भी इस साइड का दीवाना हु