बस में सब ने मिलके चोदा

दोस्तों, मैं आपकी प्यारी सी लंड को एक जोरदार चुम्मा देती हूँ! मुझे पता है आप यहाँ क्यों आए हो। हिलाना है ना? अपना लंड मेरे मुँह में डालना चाहते हो? मेरी चूचियों को दबाना है? या फिर मुझे चोदना है? बिल्कुल, आप मुझे चोद सकते हो, लेकिन पहले आपको मुझे खुश करना होगा। मेरी इस दर्द भरी, मगर मस्ती से भरी कहानी को पढ़ो, अपने लंड को हिलाओ, और अगर मजा आए तो मेरे नाम का माल निकाल देना! मैं आज अपनी एक और सच्ची, चटपटी कहानी लेकर आई हूँ। बस पढ़ते रहो और मजे लेते रहो।

मैं ओडिशा में सॉफ्टवेयर डेवलपर हूँ। हमारे ऑफिस स्टाफ ने एक बार बाहर घूमने का प्लान बनाया। सब कुछ फाइनल हो गया, और हमें उस रात 11 बजे की बस पकड़नी थी। लेकिन मुझे ऑफिस से आने में थोड़ा लेट हो गया, तो मैं हड़बड़ाते हुए आखिरी में बस स्टैंड पहुँची। बस में चढ़ी तो देखा कि सारी सीटें फुल थीं, सिवाय पीछे की एक सीट के। मैं जल्दी से जाकर वहाँ बैठ गई। बस छोटी थी, सिर्फ 22 सीटों वाली, और हम सब उत्साह में थे।

मैं पीछे की सीट पर बैठी थी, और मेरे दोनों तरफ दो लड़के थे—किसान और मनोज। दोनों मेरे ऑफिस के दोस्त थे, तो हमारी बातचीत शुरू हो गई। बातों-बातों में वो कभी मेरे हाथ को, कभी मेरी जाँघों को छू लेते। बस में एसी नहीं थी, और गर्मी इतनी थी कि पसीना चू रहा था। मैंने ऊपर का कुर्ता और दुपट्टा उतार दिया, सिर्फ टॉप और जींस में रह गई। किसान और मनोज ने देखा तो बोले, “अगर गर्मी लग रही है, तो हमारे कंधों पर हाथ रख दो, थोड़ा अच्छा लगेगा।” मैंने उनकी बात मान ली और दोनों के कंधों पर अपने हाथ रख दिए। अब मेरा टॉप थोड़ा टाइट था, और मेरी चूचियाँ साफ दिख रही थीं। वो दोनों बार-बार मेरी चूचियों को घूर रहे थे, और कभी-कभी जानबूझकर हाथ लगा देते।

कुछ देर तक ये सब चलता रहा। पीछे सिर्फ हम तीन ही थे। किसान को नींद आ रही थी, तो वो सिर झुकाकर सोने लगा। लेकिन मनोज मुझसे बातें करता रहा। उसने कहा, “अगर मैं शर्ट उतार दूँ, तो तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा?” मैंने कहा, “नहीं, बिल्कुल नहीं।” उसने अपनी शर्ट उतार दी, और अब वो सिर्फ बनियान में था। मैं भी थोड़ा और कम्फर्टेबल होने के लिए अपने टॉप को थोड़ा ऊपर खींच लिया, जिससे मेरी कमर और नाभि दिखने लगी। गर्मी में थोड़ा सुकून मिल रहा था।

हम दोनों बोर हो रहे थे, तो मैंने मनोज से उसका मोबाइल माँगा और उसमें वीडियो देखने लगी। स्क्रॉल करते-करते मुझे पता चला कि उसके फोन में ब्लू फिल्में भी थीं। मैंने मजाक में एक वीडियो खोल लिया—वो एक ब्लोजॉब का वीडियो था। मनोज मेरी तरफ देखकर मुस्कुराया और बोला, “क्या देख रही हो? बुरा तो नहीं लग रहा ना?” मैंने हँसते हुए कहा, “नहीं, बिल्कुल नहीं।” वीडियो देखते-देखते मनोज गर्म होने लगा। वो अपनी पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को सहलाने लगा। कुछ देर बाद उसने पैंट की ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकाल लिया। यार, क्या मस्त लंड था उसका! लंबा, मोटा, और एकदम कड़क। मेरे मुँह में पानी आ गया। मैं बस उसे देख रही थी, और वो मुझे। मैंने वीडियो बंद कर दिया और उसकी तरफ देखने लगी।

वो बोला, “क्या देख रही हो? मेरा लंड अच्छा नहीं लगा?”
मैंने शरमाते हुए कहा, “बोहत बड़ा है तेरा, मनोज।”
वो हँसा और बोला, “देख, कितना बेताब है ये वीडियो देखकर।”
मैंने मस्ती में कहा, “हाँ, बोहत मस्त है। हिला इसे अच्छे से।”
वो बोला, “तू भी तो मदद कर दे।”
मैंने पूछा, “मैं क्या करूँ?”
वो बोला, “जो मन में आए, कर दे। सब तेरा ही है।”

मैंने हिम्मत करके उसका लंड पकड़ लिया और धीरे-धीरे हिलाने लगी। उसका लंड मेरे हाथ में गर्म और सख्त लग रहा था। वो बोला, “वाह, बोहत अच्छा कर रही है। और जोर से हिला ना!” मैंने और तेजी से हिलाना शुरू कर दिया। तभी मुझे एहसास हुआ कि कोई मेरी चूची को पकड़ रहा है। मैंने पलटकर देखा तो किसान था। वो जाग चुका था और उसका हाथ मेरे टॉप के अंदर था, मेरी चूची को दबा रहा था।

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मैंने कहा, “ये क्या कर रहे हो, किसान?”
वो बोला, “तू हमें प्यार कर रही है, और हम तुझे ना करें?”

ये कहते ही दोनों ने मिलकर मेरा टॉप उतार दिया और मेरी ब्रा भी खींचकर निकाल दी। अब मैं सिर्फ जींस में थी। दोनों मेरी चूचियों को इतनी जोर से दबा रहे थे कि दर्द होने लगा। मैं चिल्लाना चाहती थी, लेकिन डर थी कि कहीं कोई सुन ना ले। मैं चुपचाप सहती रही। मनोज ने मेरे सिर को पकड़ा और बोला, “चल रंडी, अब मेरा लौड़ा चूस!” उसने मेरे सिर को अपने लंड पर दबा दिया। मैं कुतिया की तरह उसका लंड चूसने लगी। बस की आखिरी सीट पर, खिड़की की तरफ मुँह करके मैं चूस रही थी। मेरा सिर मनोज की गोद में था, और मेरा शरीर पीछे की सीट पर लेटा था। मेरा पैर किसान की तरफ था, जो सामने वाली सीट पर बैठा था।

किसान ने मेरी जींस का बटन खोला और उसे नीचे सरका दिया। फिर मेरी पैंटी भी उतार दी। उसने अपना लंड निकाला और मेरी गांड पर रगड़ने लगा। मैं मनोज का लंड जोर-जोर से चूस रही थी, और तभी किसान ने अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया। वो मेरे ऊपर लेटकर मुझे चोदने लगा, और मैं मनोज का लंड चूसती रही। उसका लंड इतना बड़ा था कि मेरा मुँह पूरा भर गया। मैं साँस भी मुश्किल से ले पा रही थी, लेकिन मनोज ने मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को अपने लंड पर दबाए रखा।

करीब दस मिनट तक ये सब चला। किसान ने तेज-तेज धक्के मारे और फिर मेरी गांड में ही अपना माल छोड़ दिया। वो हाँफते हुए उठा और अपनी सीट पर बैठ गया। मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो मुस्कुरा रहा था। अब मैं सिर्फ मनोज का लंड चूस रही थी। उसने मेरे बाल इतनी जोर से पकड़े थे कि मेरा मुँह उसके लंड से हट ही नहीं रहा था। करीब पंद्रह मिनट बाद, जब उसका निकलने वाला था, उसने मेरे सिर को और जोर से दबाया और सारा माल मेरे मुँह में डाल दिया। वो बोला, “सब पी जा, रंडी!” मैंने मजबूरी में उसका सारा माल पी लिया। फिर भी उसने मुझे उसी पोज में रखा और बोला, “चूसती रह!” मैं फिर से चूसने लगी। तीन मिनट बाद उसने कहा, “रुक जा।”

तभी उसने मूतना शुरू कर दिया। मेरे सिर को पकड़कर उसने अपना लंड मेरे मुँह में रखा, और मुझे उसका सारा मूत पीना पड़ा। मैं घृणा से भर गई, लेकिन कुछ कर नहीं सकी। इसके बाद मैं उठी और अपनी सीट पर बैठ गई। मैंने जल्दी से अपनी जींस पहन ली, लेकिन मनोज ने मेरी ब्रा खिड़की से बाहर फेंक दी और बोला, “सिर्फ टॉप पहन, वरना सबको बता दूँगा।” मजबूरी में मैंने सिर्फ टॉप पहना। वो मेरे पास आया और बोला, “अब गर्मी लग रही है?” मैंने कहा, “हाँ, बोहत।” उसने आधा पानी का बोतल मेरी छाती पर डाल दिया और हँसने लगा। बोला, “अब ठंडा लगेगा, सो जा।” किसान भी ये सब देखकर हँस रहा था। दोनों ने मेरे टॉप के अंदर हाथ डालकर मेरी चूचियों को पकड़ लिया और सो गए। लेकिन मुझे इस सबके बाद नींद कहाँ आने वाली थी? मैं सारी रात बस सोचती रही कि ये क्या हो गया।

सुबह सात बजे हम लोग अपनी मंजिल पर पहुँच गए। किसान और मनोज ने मुझसे कहा, “तू हमारे साथ ही रहेगी।” मैं डर के मारे हाँ कह दी। मजबूरी में हम तीनों ने एक ही कमरा लिया, और बाकी ऑफिस स्टाफ अपने-अपने कमरों में चले गए। वो दोनों मेरा सामान भी अपने साथ ले गए। मुझे बाहर कुछ काम था, तो मैंने वो निपटाए और जब कमरे में वापस आई, तो मैं दंग रह गई। दोनों बिल्कुल नंगे थे, और मेरा बैग खुला पड़ा था। मैंने पूछा, “मेरा बैग क्यों खोला?” किसान बोला, “हमने तेरी सारी ब्रा कूड़ेदान में फेंक दी। अब तू इस ट्रिप में बिना ब्रा के घूमेगी।” दोनों जोर-जोर से हँसने लगे।

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उन्होंने मुझे नंगा होने को कहा। मैंने अपना टॉप, जींस, और पैंटी उतार दी। दोनों मेरे पास आए और मेरी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगे। फिर बोले, “चल रंडी, साथ में नहाते हैं।” हम तीनों नंगे बाथरूम में गए। नियम ये था कि मैं दोनों को नहलाऊँ, और वो मुझे। मैंने दोनों को नहलाना शुरू किया। उनके पूरे शरीर पर साबुन लगाया, उनके लंड को अच्छे से साफ किया, और उनकी गांड भी धोई। मुझे बहुत घिन आ रही थी, लेकिन मजबूरी थी। वो दोनों मेरी चूचियों को दबाते रहे, मेरी गांड पर थप्पड़ मारते रहे, और मेरी चूचियों को भी थप्पड़ मारे। मुझे बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन वो मजे ले रहे थे। फिर उन्होंने मुझे नहलाना शुरू किया। तभी दोनों को पेशाब आया। किसान बोला, “अब मैं तेरे मुँह में मूतूँगा। चल, मुँह खोल!” मैंने मुँह खोलकर बैठ गई। उसने मेरे मुँह में मूतना शुरू कर दिया, और मनोज ने मेरी चूचियों पर मूत दिया। मैं नहाने आई थी, लेकिन वो मुझे फिर से गंदा कर गए।

दोनों मूतकर चले गए, और मैं नहाकर बाहर आई। मैंने तौलिया लपेटा हुआ था। जब मैं कमरे में आई, तो देखा कि वहाँ ऑफिस के दो और स्टाफ थे। वो सब बातें कर रहे थे। मैं जैसे ही अंदर आई, किसान ने दौड़कर मेरा तौलिया खींच लिया। मैं सबके सामने नंगी खड़ी थी। मैंने अपनी चूचियाँ और चूत को हाथों से ढकने की कोशिश की, लेकिन वो चारों मेरे पास आए।

मैं घबरा गई। मेरी आँखों में आँसू थे, लेकिन मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी भी थी। वो चारों मुझे घूर रहे थे, और उनके चेहरों पर हवस साफ दिख रही थी। किसान ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला, “डर मत, हम तुझे ऐसा मजा देंगे कि तू जिंदगी भर याद रखेगी।” मनोज ने मेरे हाथ हटाए और मेरी चूचियों को जोर से दबाया। बाकी दो लड़के, जिनके नाम राहुल और संजय थे, मेरे पास आए। राहुल ने मेरी कमर पकड़ी और मेरी नाभि पर अपनी जीभ फिराने लगा। मैं सिहर उठी। संजय ने मेरे बाल पकड़े और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका चुंबन इतना गहरा था कि मैं खुद को रोक नहीं पाई। मेरे शरीर में आग लग रही थी।

किसान ने मुझे बेड पर धकेल दिया। मैं नंगी बेड पर लेटी थी, और वो चारों मेरे चारों तरफ खड़े थे। राहुल ने मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी चूत पर अपनी उंगलियाँ फिराने लगा। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों को सहलाने लगीं, और मैं सिसकारियाँ लेने लगी। मेरी चूत पहले से ही गीली थी। संजय मेरे ऊपर आया और मेरी चूचियों को चूसने लगा। वो मेरे निप्पलों को अपने दाँतों से हल्के-हल्के काट रहा था, और मुझे दर्द के साथ-साथ मजा भी आ रहा था। मनोज ने अपना लंड निकाला और मेरे मुँह के पास लाया। वो बोला, “चूस इसे, रंडी।” मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मैं उसकी हर हरकत का जवाब दे रही थी।

इसी बीच, राहुल ने मेरी चूत पर अपनी जीभ रख दी। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… ऊह्ह… और चाटो…!” किसान मेरे पास आया और मेरी दूसरी चूची को चूसने लगा। वो मेरी चूची को इतनी जोर से खींच रहा था कि मुझे लग रहा था वो उसे नोंच लेगा। लेकिन दर्द में भी एक अजीब सा नशा था। राहुल ने अब अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं और उन्हें तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। मेरी चूत से पानी निकल रहा था, और मैं झड़ने के करीब थी।

तभी राहुल ने अपना लंड निकाला। उसका लंड इतना मोटा और लंबा था कि मैं उसे देखकर डर गई। उसने मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ा और एक जोरदार धक्का मारा। उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया, और मैं दर्द से चीख पड़ी। संजय ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया ताकि मेरी आवाज बाहर ना जाए। राहुल ने दूसरा धक्का मारा, और अब उसका पूरा लंड मेरी चूत में था। मेरी चूत फट रही थी, लेकिन वो रुका नहीं। वो तेज-तेज धक्के मारने लगा, और मैं दर्द और मजा दोनों में डूब गई।

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मनोज ने मेरे मुँह से अपना लंड निकाला और मेरे ऊपर आ गया। उसने मेरी चूचियों के बीच अपना लंड रखा और उन्हें दबाकर चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूचियों को रगड़ रहा था, और वो मस्ती में सिसकारियाँ ले रहा था। किसान ने मेरी गांड के नीचे एक तकिया रखा और मेरी गांड के छेद पर तेल डाला। उसने अपनी उंगली मेरी गांड में डाली और उसे ढीला करने लगा। मैं डर गई, लेकिन मेरे पास कोई चारा नहीं था। किसान ने अपना लंड मेरी गांड पर सेट किया और धीरे-धीरे उसे अंदर डालने लगा। दर्द इतना था कि मेरी आँखों से आँसू निकल आए, लेकिन वो धीरे-धीरे मेरी गांड चोदने लगा।

अब मेरी चूत में राहुल का लंड, मेरी गांड में किसान का लंड, और मेरी चूचियों के बीच मनोज का लंड था। संजय मेरे मुँह में अपना लंड डालकर चुदाई कर रहा था। चारों मिलकर मुझे चोद रहे थे, और मैं एक रंडी की तरह उनके नीचे पड़ी थी। मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… ऊह्ह… चोदो मुझे… और जोर से!” मैं बार-बार झड़ रही थी, और मेरी चूत से पानी की धार निकल रही थी। राहुल ने मेरी चूत में तेज धक्के मारे और अपना सारा माल मेरी चूत में डाल दिया। उसका गर्म माल मेरी चूत को भर रहा था। किसान ने भी मेरी गांड में अपना माल छोड़ दिया और हाँफते हुए बेड पर लेट गया।

मनोज ने मेरी चूचियों से अपना लंड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। उसने तेजी से मेरे मुँह को चोदा और सारा माल मेरे गले में डाल दिया। मैं उसका माल पी गई। संजय ने मेरे मुँह से अपना लंड निकाला और मेरी चूत में डाल दिया। उसने इतनी तेजी से धक्के मारे कि बेड हिलने लगा। मैं फिर से झड़ गई, और उसने भी मेरी चूत में अपना माल डाल दिया। चारों ने मुझे बारी-बारी से चोदा, और मैं थककर बेदम हो गई।

इसके बाद वो चारों हँसते हुए कमरे से बाहर चले गए। मैं नंगी बेड पर पड़ी थी, मेरा शरीर उनके माल से सना हुआ था। मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन मेरे शरीर में एक अजीब सी तृप्ति भी थी। मैंने अपने कपड़े पहने और बाथरूम में जाकर नहाया। लेकिन मनोज और किसान ने मुझसे कहा कि ये ट्रिप खत्म होने तक मैं उनके साथ रहूँगी। मैं डर के मारे कुछ बोल नहीं पाई। अगले कुछ दिन तक वो मुझे बार-बार चोदते रहे। कभी कमरे में, कभी जंगल में, कभी रात को। मैं उनकी रंडी बन चुकी थी, और मुझे इस बात का अहसास हो गया था।

दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? अगर मजा आया, तो मुझे जरूर बताना। अगर आप मुझसे कुछ पूछना चाहते हो या कोई मदद चाहिए, तो मेरे ईमेल पर लिखो। मैं आपका इंतजार कर रही हूँ, अपनी चूचियाँ और गांड दिखाते हुए। चुम्मा!
मेरा ईमेल है: [email protected]
अगर आप ढेर सारे मेल भेजेंगे, तो मैं इस गैंगबैंग की बाकी कहानी भी पूरी करूँगी। प्यार आप सबको!

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