Broke virginity on valentine sex story – first time sex: दोस्तों, आज मैं आपको अपनी गर्लफ्रेंड सोनी के साथ अपनी पहली चुदाई की पूरी सच्ची कहानी सुना रहा हूँ, वो पल आज भी मेरे रोंगटे खड़े कर देते हैं।
लगभग दो साल पहले की बात है, मैं उस वक्त कॉलेज के साथ-साथ एक प्राइवेट कंपनी में पार्ट टाइम जॉब करता था, ऑफिस से लौटते वक्त रोज एक घर के सामने से गुजरता था, वहीं खड़ी लड़की को देखते ही मेरे अंदर आग लग जाती थी। उसका नाम था सोनी। गोरा रंग, संगमरमर जैसी चिकनी त्वचा, संतरे जैसे उभरे हुए बूब्स, पतली कमर और गोल-मटोल भरी हुई गांड, उसकी नशीली आँखें और मासूम चेहरा देखकर मैं पहली नजर में ही पागल हो गया था। वो अभी-अभी 19 साल की हुई थी, कॉलेज फर्स्ट ईयर में थी, जवानी अपने पूरे शबाब पर थी। मैंने उसी पल ठान लिया था कि इस लड़की को किसी भी कीमत पर पटाकर रहूँगा।
हर रोज मैं उसे देखता, वो घर के बाहर बाल बनाती या खड़ी रहती, मैं सिर्फ मुस्कुराकर निकल जाता। फिर गणेशोत्सव आया। हमारे ऑफिस में हर साल गणेश जी की स्थापना होती थी, मुझे ये पहली बार पता चला। एक दिन अचानक बॉस ने ऊपर से बुलाया कि आरती शुरू होने वाली है, मैं नीचे आया तो देखा सोनी अपनी छोटी बहन के साथ सजी-धजी खड़ी थी। गुलाबी सलवार-कमीज में वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। उसने मुझे देखकर हल्के से मुस्कुराया, मैंने भी जवाब में स्माइल दी।
आरती के दौरान वो घंटी बजाते हुए गा रही थी, मैं कोने में खड़ा बस उसे निहारता रहा। उसने मुझे हाथ जोड़कर सीधा खड़े होने का इशारा किया, मैं तुरंत उसकी बात मान गया, वो मेरी फुर्ती देखकर शरमाई और मुस्कुरा दी। आरती खत्म हुई तो प्रसाद बाँटने की बारी आई, मैंने जानबूझकर सबसे पहले उसे प्रसाद दिया, उसका हाथ छुआ तो जैसे बिजली का झटका लगा। उसके बाद सात दिन तक गणपति जी हमारे ऑफिस में रहे, रोज वो आरती करने आती और हमारी बातें होने लगीं। वो हैरान थी कि मैं कॉलेज के साथ जॉब भी करता हूँ, उसकी नजरों में मेरे लिए इज्जत और बढ़ गई। विसर्जन के दिन उसने मुझे अपनी मम्मी से मिलवाया, मम्मी बहुत ओपन माइंडेड थीं, हमें कोई रोक-टोक नहीं।
उन सात दिनों में हम अच्छे दोस्त बन चुके थे। अब मैं रोज ऑफिस जल्दी पहुँचता और रास्ते में रुककर सोनी से बातें करता, शाम को घंटों साथ बैठते। फ़ोन पर भी रात-रात भर बातें होने लगीं, प्यार भरे मैसेज आते-जाते। वो मुझे चिमटी काटती, गाल खींचती, कमर में उंगली चुभोती, मैं बस हँसकर टाल देता। हम बाहर घूमने लगे, शॉपिंग करने लगे, सब कुछ बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा था।
फरवरी आया, वेलेंटाइन डे नजदीक था। सोनी बार-बार कहती, “सूरज, तुम भी किसी को गुलाब दे देना 14 फरवरी को”। मैं जानबूझकर मज़ाक करता, “हाँ, रोज तुम्हें ही दे दिया करूँगा”। वो मुँह फुला लेती, पर मुझे पता था वो चाहती है कि मैं उसे प्रपोज करूँ।
14 फरवरी को मैंने ऑफिस नहीं गया, फ़ोन स्विच ऑफ रखा। वो पूरे दिन बेचैन रही, मेरे दोस्तों से भी पूछती रही। रात आठ बजे मैं उसके घर पहुँचा, उसे एक तरफ अंधेरे कोने में ले गया, उसका हाथ पकड़ा और कहा, “सोनी, आई लव यू” और लाल गुलाब थमा दिया। उसकी आँखें भर आईं, “आई लव यू टू सूरज” कहते हुए वो मेरी बाहों में झूल गई। मैंने उसके आँसू पोंछे और उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। पहला किस्स इतना गहरा था कि पाँच मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे, जीभ आपस में लिपट गई, साँसें तेज हो चुकी थीं।
उस रात के बाद हमारा मिलना पूरी तरह बदल गया। अब एक-दूसरे को देखते ही जिस्म में आग लग जाती, हम अकेले में मिलने की तलाश में रहते।
फिर उसकी कॉलेज की परीक्षाएँ नजदीक आ गईं। उसकी मम्मी ने मुझसे कहा, “बेटा, रोज थोड़ा टाइम निकालकर सोनी को पढ़ा दिया करो”। मैं खुशी से मान गया। पहले घर में पढ़ाता था, पर छोटे भाई-बहन शोर बहुत करते थे। फिर मम्मी ने पास के बंद पड़े कॉलेज के एक कमरे की चाबी का जुगाड़ कर दिया, वहाँ हम रोज अकेले दो-तीन घंटे रहते।
एक शाम मैं उसे लेने गया तो सोनी ने बताया कि मम्मी और सारे भाई-बहन नानी के यहाँ गए हैं, रात दस बजे तक आएँगे और मुझे ही उसे पढ़ाने को कहा है। मैं समझ गया कि आज मौका परफेक्ट है।
हम उस कमरे में गए, दरवाजा बंद किया और बेड पर बैठ गए। आज सोनी कुछ ज्यादा ही चुलबुली थी, बार-बार आँख मार रही थी, गुदगुदी कर रही थी, मेरे कान में दाँत गड़ा दिए और फिर चूम लिया। मेरे अंदर का जानवर जाग गया। मैंने उसे बेड पर धकेल दिया, उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ पागलों की तरह चूसने लगा। वो भी पूरा साथ दे रही थी, “म्म्म्ह… सूरज… आह्ह…”। मैं उसके गले पर, कंधों पर, कान पर किस्स करने लगा, उसकी साँसें तेज हो गईं, “ओह्ह… सूरज… कुछ हो रहा है…”।
मैंने उसका टॉप ऊपर किया, सफेद ब्रा में उसके संतरे जैसे बूब्स उछल पड़े। मैंने ब्रा के ऊपर से ही चूसना शुरू किया, वो सिहर उठी, “आह्ह… जोर से…”। मैंने ब्रा का हुक खोला, दोनों बूब्स आजाद हो गए, गुलाबी निप्पल एकदम खड़े। मैंने एक को मुँह में लिया, जोर-जोर से चूसा, दूसरे को उँगलियों से मसलता रहा, कभी दाँतों से हल्का काटता, वो चीख पड़ती, “आअह्ह्ह… मार गई… मजा आ रहा है सूरज…”।
फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींचा और उतार दिया। नीचे सफेद पैंटी में गीलापन साफ दिख रहा था। मैंने पैंटी के ऊपर से ही चूत पर उंगली फेरनी शुरू की, वो काँपने लगी, “ओह्ह्ह… सूरज… अब नहीं सहा जाता…”। मैंने पैंटी उतारी, उसकी चूत बिल्कुल गुलाबी और चिकनी थी, हल्के रोएँ ही थे। मैंने उसकी जाँघों को चूमते हुए चूत तक पहुँचा, जीभ से चाटा तो वो झटका खाकर ऊपर उठ गई, “आआह्ह्ह… क्या कर रहे हो… मर गई…”। मैंने क्लिट पर जीभ घुमाई, दो उँगलियाँ अंदर डालकर तेजी से अंदर-बाहर करने लगा, चर-चर की आवाज आने लगी, वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी, “आह्ह… और जोर से चाटो… मैं झड़ने वाली हूँ…”। मैंने और तेज चाटा, वो काँपते हुए झड़ गई, उसका रस मेरे मुँह में भर गया।
अब मैंने अपने सारे कपड़े उतारे, मेरा 7 इंच का लंड पूरी तरह तना हुआ था। सोनी ने देखा तो डर गई, “ये इतना बड़ा… फट जाएगी मेरी…”। मैंने उसे चूमा, “आराम से डालूँगा जान”। मैंने लंड उसके चूत के मुँह पर रगड़ा, वो फिर सिसकने लगी, “डालो ना सूरज… अब और इंतजार नहीं…”। मैंने धीरे से सुपारा अंदर किया, वो चीखी, “आअह्ह्ह… दर्द…”। उसकी सील थी, मैंने एक जोर का धक्का मारा, आधा लंड अंदर चला गया, खून निकलने लगा, वो रोने लगी। मैं रुक गया, उसके बूब्स चूसता रहा, जब दर्द कुछ कम हुआ तो धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा।
धीरे-धीरे वो भी साथ देने लगी, “आह्ह… अब मजा आ रहा है… और तेज सूरज… चोदो मुझे…”। मैंने स्पीड बढ़ाई, पूरा कमरा फच्च-फच्च और हमारी सिसकारियों से गूँजने लगा, “आह्ह… ओह्ह… ह्ह्ह… और जोर से… आह्ह्ह…”। मैंने उसकी टाँगें अपने कंधे पर रखीं, गहराई तक पेलने लगा, उसके बूब्स उछल रहे थे, वो नाखून मेरी पीठ पर गड़ा रही थी, “आअह्ह्ह… मैं फिर झड़ने वाली हूँ…”। मैं भी हद पर था, लंड बाहर निकाला और उसके पेट पर पूरा गाढ़ा माल गिरा दिया।
हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे से लिपट गए। उसने मुझे सीने से चिपकाते हुए कहा, “सूरज… मैं हमेशा के लिए तुम्हारी हो गई”। हमने एक-दूसरे को साफ किया, बेडशीट पर खून और वीर्य के दाग थे, मैंने चाय बनवाई और दाग पर गिरा दी ताकि किसी को शक न हो। फिर थोड़ी देर पढ़ाई की, रात साढ़े दस बजे मम्मी आ गईं और मैं घर चला गया।
दोस्तों, ये थी मेरी सोनी के साथ पहली चुदाई की पूरी सच्ची कहानी, आज भी जब याद करता हूँ तो लंड अपने आप खड़ा हो जाता है।