सेठानी की भूखी चूत और नौकर का खड़ा लौड़ा

Servant sex story – Naukar malkin sex story – Sethani ki chudai sex story: हाय दोस्तों, मेरा नाम राज है, उम्र 27 साल, मैं कोयम्बटूर, तमिलनाडु में एक बड़े कपड़े के सेठ के यहाँ नौकरी करता हूँ और उनके घर पर ही रहता हूँ। सेठजी के परिवार में सिर्फ़ चार लोग हैं, सेठजी, उनकी 32 साल की ख़ूबसूरत पत्नी, आठ साल का उनका बेटा और मैं। दुकान पर और कर्मचारी हैं, पर वो शाम को अपने घर चले जाते हैं, सिर्फ़ मैं रात को यहीं सोता हूँ।

सेठजी 40 साल के हैं, लेकिन दिन-रात दुकान में लगे रहने और सेहत का ध्यान न रखने की वजह से 50 के लगते हैं, जबकि सेठानी बला की ख़ूबसूरत हैं, रोज़ ब्यूटी पार्लर, योगा और जिम करती हैं, फिगर 38-26-38, दूध जैसा गोरा रंग, भरी-भरी चूचियाँ, पतली कमर और मटकती हुई गोल गांड, देखते ही लंड खड़ा हो जाता है।

हर दोपहर मैं दुकान से घर आता हूँ, सेठानी के हाथ का लज़ीज खाना खाता हूँ और सेठजी का टिफ़िन लेकर वापस चला जाता हूँ। एक दिन जब मैं घर पहुँचा तो बाथरूम से ज़ोर की चीख़ आई, “उई माँ… मर गई!” मैं घबरा कर दौड़ा, दरवाज़ा खटखटाया तो सेठानी बोलीं, “पाँव फिसल गया, मोच आ गई, जल्दी आयोडेक्स लाओ और मुझे सहारा देकर बाहर निकालो।”

मैं अंदर गया, सेठानी सिर्फ़ पतला सा गाउन पहने थीं जो पानी से भीगा हुआ था और शरीर से चिपक गया था, ब्रा-पैंटी की पूरी आकृति साफ़ दिख रही थी। मैंने उनकी कमर में हाथ डाला, वो मेरे कंधे पर हाथ रखकर लंगड़ाती हुई बाहर आईं। उनकी नरम-गरम कमर को छूते ही मेरा लंड पैंट में उछलने लगा। मैं उन्हें हॉल के सोफ़े पर बिठाकर आयोडेक्स लेकर आया और उनके गोरे-चिकने पाँव पर मलने लगा। हाथ काँप रहे थे, मन बार-बार कह रहा था कि और ऊपर चढ़ जाऊँ।

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सेठानी ने आँखें बंद कर लीं और बोलीं, “अरे ढंग से मलो ना, जोर से दबाओ तभी आराम आएगा।” इतना कहते हुए उन्होंने खुद गाउन को घुटनों से ऊपर सरका दिया। गोरी-गोरी मुलायम जाँघें मेरे सामने थीं, मैं तो मदहोश हो गया। मालिश करते-करते मेरा हाथ धीरे-धीरे ऊपर खिसकने लगा, सेठानी ने हल्की सी सिसकारी ली, “आह्ह…”

जब हाथ घुटने से और ऊपर पहुँचा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा, “ये क्या कर रहे हो राज?” मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “सेठानी जी, आप इतनी हसीन हैं कि आज मैं खुद को रोक नहीं पा रहा, प्लीज़ मुझे एक बार मौक़ा दे दो।” वो शर्मा कर बोलीं, “कोई देख लेगा तो?” बस ये सुनते ही मैं समझ गया कि खेल पक्का है। मैंने तुरंत दरवाज़ा बंद किया और सेठानी को गोद में उठा लिया, वो हल्के से चिहुँक उठीं पर हाथ मेरी गर्दन में लपेट लिए।

बेडरूम में ले जाकर मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और पूछा, “सेठजी आपको चोदते हैं?” वो हँसते हुए बोलीं, “कभी-कभार करते भी हैं तो दो मिनट में झड़ जाते हैं, फिर मैं खुद ऊँगली से काम चलाती हूँ, वो खर्राटे भरते रहते हैं।” फिर आँखें मटकाकर बोलीं, “दरअसल आज बाथरूम में मेरा पाँव नहीं फिसला था, ये सब तुम्हें फँसाने का बहाना था, जिस दिन तुम यहाँ आए उसी दिन से मैं तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही थी।”

ये सुनकर मेरा लंड पत्थर हो गया। मैंने उनका गाउन एक झटके में ऊपर से खींचकर उतार दिया, काली ब्रा और लाल पैंटी में सेठानी किसी बॉलीवुड हीरोइन से कम नहीं लग रही थीं। वो खुद मेरे कपड़े उतारने लगीं, जैसे ही अंडरवियर नीचे किया, मेरा सात इंच का मोटा लंड बाहर लपका तो उनकी आँखें चमक उठीं, “वाह राज… ये तो घोड़े जैसा है।” फिर बिना देर किए मुँह में ले लिया और चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी गी गों गों गोग, जीभ सुपारे पर घुमा रही थीं, हाथ से अंडों को सहला रही थीं, मैं तो जन्नत में पहुँच गया।

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मैंने उनकी ब्रा खोल दी, भारी-भारी 38 के दूध बाहर आए, गुलाबी निप्पल तने हुए। मैंने एक चूची मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा और दूसरी को मसलने लगा, सेठानी मादक सिसकारियाँ ले रही थीं, “आह्ह राज… जोर से चूसो… ह्ह्ह… इह्ह…” फिर मैंने पैंटी उतारी, एकदम चिकनी गुलाबी चूत, हल्के बाल, रस से लथपथ। दो उँगलियाँ अंदर डालते ही उनकी कमर उछल गई, “आह्ह्ह्ह… ह ह ह ह्हीईई… आअह्ह्ह…” मैंने झुककर चूत चाटनी शुरू की, जीभ क्लिट पर फेरते ही वो पागल हो गईं, “आह्ह राज… खा जाओ मेरी चूत को… ऊउइ… ऊईईई…” पैर मेरे सिर पर कस लिए।

अब वो बर्दाश्त नहीं कर पाईं और चीख़ पड़ीं, “बस अब नहीं सहा जाता… जल्दी अपना मोटा लौड़ा मेरी चूत में पेल दो।” मैंने कहा, “पहले आप ऊपर आओ।” वो तुरंत मेरे ऊपर सवार हो गईं, लंड को हाथ से पकड़कर चूत पर रगड़ा और धीरे-धीरे बैठ गईं, “आह्ह्ह… मर गई… कितना मोटा है… चूत फट जाएगी…” पर फिर भी पूरा अंदर ले लिया। ऊपर-नीचे होने लगीं, भारी दूध उछल रहे थे, मैंने दोनों चूचियाँ पकड़कर मसलते हुए नीचे से जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए, फच्च… फच्च… फट… फट की आवाज़ें गूँजने लगीं, सेठानी चिल्ला रही थीं, “आह्ह चोदो राजा… जोर-जोर से… ह्ह्ह… आअह्ह्ह… ऊउइईई…”

दस मिनट तक वो ऊपर रहीं, फिर मैंने उन्हें नीचे लिटाया, दोनों पैर कंधों पर रखकर मिशनरी में पूरा लंड जड़ तक पेल दिया। हर धक्के में उनकी गांड उछल रही थी, “आह्ह… ह ह ह… हाय राज… फाड़ दो मेरी चूत को… आज तक ऐसा मज़ा नहीं मिला…” मैं तेज़-तेज़ पेल रहा था, पसीना छूट रहा था, कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ों से भर गया, आह्ह… इह्ह… ओह्ह… ओह… आह्ह्ह… ह्ह्ह्ह… ऊईईई…

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अचानक सेठानी बोलीं, “बस अब मैं झड़ने वाली हूँ… मुझे ज़ोर से पकड़ो…” मैंने भी कहा, “मैं भी आ गया सेठानी जी…” और हम दोनों एक साथ झड़े, मैंने सारा गरम माल उनकी चूत के अंदर उड़ेल दिया, वो काँपते हुए बोलीं, “आह्ह्ह्ह… मर गयी… कितना माल है…”

कुछ देर हम नंगे लिपटकर पड़े रहे, फिर सेठानी ने प्यार से कहा, “अब जब मन करे मुझे चोद लेना, मैं तेरी रंडी बनकर रहूँगी।” उस दिन के बाद जब भी मौक़ा मिलता, मैं सेठानी को खूब चोदता, कभी किचन में, कभी रात को सेठजी के सोते ही उनके कमरे में घुस जाता। वो मुझे तरह-तरह के पकवान बनाकर खिलातीं, मेरी हर ख्वाहिश पूरी करतीं। सेठजी को आज तक भनक नहीं लगी।

सेठ मेरे काम से खुश, सेठानी मेरे लंड से खुश, मुझे मुफ़्त की चुदाई, लज़ीज खाना और भरपूर तनख़्वाह, सच में दोनों हाथों में लड्डू।

कहानी आपको कैसी लगी दोस्तों?

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