मैं सविता, मेरठ की रहने वाली हूँ, बेहद सेक्सी और मस्तमौला लड़की हूँ, मेरा फिगर कमाल का है, मेरे मम्मे 36 साइज के हैं, भरे-भरे, भारी-भारी, काले लम्बे घने बाल, जब भी रोड पर निकलती हूँ तो लड़के सीटियाँ मारते हैं, कॉलोनी के सारे जवान लड़के मुझे चोदने के सपने देखते हैं।
बी.कॉम फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था, सारे टीचर अच्छे थे, मैंने पूरी लगन से पढ़ाई की, कभी क्लास बंक नहीं की, फिर भी फर्स्ट ईयर में फर्स्ट डिवीजन नहीं आई, मैं जोर-जोर से रोने लगी, इन्द्रेश सर ने देखा तो बोले, सविता मेरे केबिन में चलो।
सर का केबिन था, वो बहुत अच्छे टीचर थे, सब उनकी तारीफ करते थे, बोले, सविता अभी दो साल बाकी हैं, हर शाम सात बजे मेरे घर आ जाया करो, मैं इतनी मेहनत से पढ़ाऊँगा कि फर्स्ट डिवीजन पक्की हो जाएगी, ये कहते हुए उन्होंने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरा, मैं खुश हो गई, उसी शाम से उनके घर ट्यूशन शुरू कर दिया।
पहले दिन से सर ने बड़ी मेहनत से पढ़ाना शुरू किया, कोई फीस की बात नहीं की, एक दिन पढ़ते-पढ़ते मुझे पेशाब लगी, मैंने पूछा सर टॉयलेट कहाँ है, उन्होंने बताया, मैं गई, सलवार-कुर्ती में थी, चड्ढी उतारी और छल-छल मूतने लगी, वापस आई तो सलवार पर दो-चार बूंदें लगी थीं, सर ने देख लिया, हल्के से मुस्कुराए, मैं शरमाकर हँस दी।
फिर एक दिन बोले, सविता अगर तुम्हारे हाथ की गर्म-गर्म चाय मिल जाए तो मजा आ जाए, रोज एक प्याली चाय पिला करो, यही मेरी फीस होगी, मैं खुशी-खुशी किचन में गई, दो कप चाय बनाकर लाई, दोनों ने पी, फिर पढ़ाई जारी रही।
एक महीना बीत गया, कोई फीस नहीं ली, बस चाय बनवाते रहे, एक दिन भयंकर गर्मी थी, पढ़ने का मन नहीं था, सर बोले, चलो आज कोई फिल्म देख आते हैं, मैं मान गई, उनकी कार में बैठी, बाल्कनी की टिकट ली, हॉरर फिल्म थी, डर के मारे मैंने उनका हाथ पकड़ लिया, एक भूत का सीन आया तो मैं पूरी तरह उनके सीने से चिपक गई, उनकी छाती की गर्मी मेरे बदन में समा गई।
उसके बाद हम आये दिन फिल्म, मॉल, मेला, नुमाइश जाने लगे, मुझे भी अच्छा लगने लगा, एक दिन मॉल में घूमते हुए सर ने मेरा हाथ चूमा, मुझे बुरा नहीं लगा, बल्कि अच्छा लगा, फिर कभी वो मेरा हाथ चूमते, कभी मैं उनका, धीरे-धीरे प्यार हो गया।
एक शाम जब मैं ट्यूशन पर गई तो सर ने मुझे पकड़ लिया, सविता मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकता, मैंने भी कहा, सर मैं भी आपसे प्यार करती हूँ, हम दोनों एक-दूसरे के इतना करीब आ गए कि सर ने मुझे गले लगा लिया, मैंने भी कसकर गले लगाया, फिर हम बेडरूम में चले गए।
सर ने मुझे बिस्तर पर लिटाया, खुद मेरे पास लेट गए, हम पूरी तरह लिपट गए, सर ने मेरे रसीले होंठ चूसने शुरू कर दिए, मैंने भी उनके होंठ पीने शुरू किए, मेरी साँसों की सुगंध उनके बदन में घुलने लगी, सर ने धीरे से अपनी जींस की बेल्ट खोली, उनका मोटा, लम्बा लण्ड बाहर निकल आया, मैं तो जैसे सम्मोहित हो गई।
पता नहीं कब मैं उनके लण्ड से खेलने लगी, जब होश आया तो मैं उनका लण्ड मुँह में लेकर चूस रही थी, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गों.. गों.. पूरा लण्ड गले तक ले रही थी, सर ने मेरी सलवार खोल दी, पैंटी के अंदर हाथ डालकर मेरी चूत सहलाने लगे, फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए, दोनों नंगे हो चुके थे।
सर मेरी चूत को पागलों की तरह चाट रहे थे, मैं उनके लण्ड को गले तक ले रही थी, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. जब मेरी चूत थोड़ी सूखी लगी तो सर ने मुझ पर थूक दिया, फिर मजे से चूसने लगे, मैंने भी उनके लण्ड पर ढेर सारा थूक लगाया और रंडियों की तरह चूसने लगी, आह्ह.. सर.. बहुत मजा आ रहा है।
फिर सर का जोश चढ़ गया, उन्होंने मेरे गाल पर दो-तीन हल्के थप्पड़ मारे, छिनाल मुँह खोल, पूरा लण्ड मुँह में ठूँस दिया, मैं साँस नहीं ले पा रही थी, सर मेरे मुँह को चोदने लगे, हप्प.. हप्प.. हप्प.. जैसे मेरी छोटी सी मुँह को चूत समझ लिया हो, मेरी चूत से पानी बहने लगा, आह्ह.. इह्ह.. ओह्ह सर।
फिर सर ने लण्ड निकाला और मेरे मुँह पर, गाल पर, मम्मों पर जोर-जोर से थप्पड़ मारने लगे अपने मोटे लण्ड से, मैं निहाल हो गई, आह्ह.. मारो सर.. और मारो, फिर दोबारा मुँह चोदा, मेरे मम्मों को दबाया, चूसा, काटा।
अब सर ने मेरी चूत पर पूरा ध्यान दिया, मैंने कुछ दिन पहले ही झांटें साफ की थीं, मेरी गुलाबी-काली चूत फूली हुई थी, सर ने उसे ऐसे देखा जैसे पहली बार कोई चूत देख रहे हों, फिर प्यार से पप्पियाँ देने लगे, उंगलों से फाँकों को फैलाया, जीभ अंदर तक डालकर चाटने लगे, आह्ह.. ह्हा.. सर्र.. बहुत.. अच्छा.. लग रहा है.. ऊईईई.. मम्मीईई..
मैं सिसकियाँ लेने लगी, सर ने देखा कि मैं कुंवारी हूँ, उनकी खुशी दोगुनी हो गई, फिर अपना पहलवान लण्ड मेरी चूत के दरवाजे पर रखा, मैं डर से आँखें बंद कर ली, पहला धक्का मारा तो लण्ड फिसल गया, दूसरी बार भी, तीसरी बार ढेर सारा थूक लगाया और जोरदार धक्का मारा।
लण्ड बर्फ तोड़ने वाली मशीन की तरह अंदर घुसा, मेरी सील टूट गई, खून बहने लगा, मैं चीख पड़ी, आअह्ह्ह.. मर गई.. सर्र.. बहुत दर्द हो रहा है, सर ने दूसरे धक्के से पूरा लण्ड अंदर ठूँस दिया, मैं तड़प रही थी, सर ने धीरे-धीरे हल्के-हल्के धक्के शुरू किए, कुछ देर में दर्द कम हुआ और मजा आने लगा।
फिर सर ने लण्ड निकालकर दोबारा मेरी चूत चाटी, सब नॉर्मल हुआ, दूसरी बार लण्ड डाला तो बिलकुल दर्द नहीं हुआ, अब मुझे स्वर्ग दिखने लगा, आह्ह.. सर और जोर से.. हाँ.. ऐसे ही, सर तेज-तेज पेलने लगे, मैंने टाँगें फैला दीं, कमर ऊपर उठाने लगी, सर पूरा लण्ड जड़ तक घुसेड़ रहे थे।
एक घंटे तक चुदाई चली, फिर मैं खुद चिल्लाने लगी, सर आज जी भर के चोद लो, आपने मुझे इतना पढ़ाया, कोई फीस नहीं ली, आज मेरी चूत आपकी गुरुदक्षिणा है, सर और जोश में आ गए, मैंने टाँगें उनकी कमर पर लपेट दीं, हच.. हच.. हच.. पूरा बेड हिलने लगा, आह्ह.. ऊईई.. मर गई.. और जोर से सर.. फाड़ दो आज मेरी चूत।
उस दिन सर ने मुझे सात बार चोदा, उसके बाद तो लत लग गई, मैं शाम पाँच बजे ही पहुँच जाती, पहले दो-तीन राउंड चुदाई, फिर ट्यूशन, और हाँ, अगले दो साल मैं फर्स्ट डिवीजन के साथ टॉप भी करती रही।