खाली ट्रेन में साली के साथ रात भर चुदाई

Married sali sex story – Train sex story: दोस्तों, नमस्ते, उम्मीद है आप सब ठीक होंगे। काफी दिनों बाद आपसे मिल रहा हूँ, माफ़ करना, काम में बहुत व्यस्त था। मैं झूठी कहानियाँ नहीं लिखता, जो लिखता हूँ वो मेरे साथ सच में हुआ होता है। अब जो ताज़ा घटना घटी, वो आपके सामने रखता हूँ।

मेरे ताया जी के लड़के की साली अंजलि की शादी को डेढ़ साल हो चुके हैं। उसका पति धीरज हमारे ही शहर में नौकरी करता है। अंजलि अभी सिर्फ़ 20 साल की है, स्लिम बदन, गोरा रंग, 34 के मस्त उभरे हुए बूब्स, देखते ही लंड खड़ा करने वाली माल। शादी से पहले हम दोनों के बीच बहुत कुछ हो चुका था, घूमना-फिरना, चूमना-चाटना और खूब चुदाई भी। शादी के बाद भी जब-तब मज़ाक चलता रहता था।

दीपावली के दिनों में मुझे ऑफिस के काम से रांची जाना पड़ा। वापसी में धीरज का फ़ोन आया, बोला, “हैरी भाई, अंजलि पटना अपने मायके गई है, अगर तुम ला सको तो बहुत मेहरबानी।” मैंने चेक किया तो एक स्पेशल ट्रेन में ढेर सारी सीटें खाली थीं। मैंने तुरंत दो टिकट बुक कर लिए। अंजलि को ख़बर कर दी गई।

शाम सवा पाँच बजे मैं पटना पहुँचा। ट्रेन दो घंटे लेट थी। अंजलि और उसके पापा स्टेशन पर इंतज़ार कर रहे थे। पापा से बातें कीं, पुराने दिन याद आए, फिर ट्रेन आई। हमारी बोगी थर्ड एसी थी, लेकिन हैरानी हुई, पूरी बोगी में बस चार-पाँच लोग।

ट्रेन चली, रात गहराती गई, बोगी और भी सूनी होती गई। 11 बज गए, सिर्फ़ हम दोनों और दो अजनबी दिख रहे थे। टीटी आया, टिकट चेक किया। मैंने पूछा, “सर, इतनी खाली ट्रेन में डर लग रहा है, मेरे साथ लड़की है।” टीटी बोला, “घबराओ मत, लेकिन चलो मैं तुम्हें फर्स्ट एसी में शिफ्ट कर देता हूँ, वहाँ चार परिवार हैं, दरवाज़ा बंद कर लेना।”

इसे भी पढ़ें  खेत में माँ के साथ पेला पेली

हम फर्स्ट एसी में आ गए। दरवाज़ा लॉक किया, थोड़ी राहत मिली। अंजलि बोली, “हैरी, अभी भी डर लग रहा है।” मैंने हँस कर कहा, “आ जाओ मेरे पास सो जाओ, मैं हूँ ना।”

वो मेरे बगल में लेट गई, एकदम चिपक कर। उसकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं। पुराना शैतान फिर जाग गया। मैंने धीरे से उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए। अंजलि ने टोका, “हैरी, छोड़ो ना, अब मैं शादी-शुदा हूँ।” मैंने कान में फुसफुसाया, “एक रात की तो बात है जान, कोई नहीं जानने वाला।”

वो चुप हो गई। मैंने उसके ब्लाउज़ के बटन खोल दिए, ब्रा ऊपर सरका दी, दोनों गोरे-गोरे बूब्स आज़ाद हो गए। निप्पल एकदम टाइट। मैंने एक को मुँह में लिया, ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। अंजलि की सिसकियाँ शुरू हो गईं, आह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह… हैरी… वो खुद मेरे सिर को अपने बूब्स पर दबाने लगी।

फिर उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली, मेरा लंड बाहर निकाला और मुठ्ठी में लेकर सहलाने लगी। मैंने उसकी साड़ी ऊपर उठाई, पैंटी के ऊपर से चूत पर उँगलियाँ फेरने लगा। पैंटी पूरी गीली थी। मैंने पैंटी साइड की, दो उँगलियाँ अंदर डाल दीं। अंजलि तड़प उठी, आह्ह्ह्ह… ह्ह्हा… हैरी… बहुत दिन हो गए…

हम दोनों नंगे हो गए। अंजलि ने मेरा लंड मुँह में लिया, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… चूसने लगी। मैंने उसका सिर दबा कर गले तक लंड उतारा। वो खाँसते हुए भी नहीं हटी, पूरा मज़ा ले रही थी।

फिर मैंने उसे लिटाया, उसकी टाँगें चौड़ी कीं, चूत एकदम चिकनी और फूली हुई थी। मैंने जीभ से चाटना शुरू किया। अंजलि की कमर अपने आप ऊपर उठने लगी, आआह्ह्ह… ह्ह्हा… हैरी… चाटो… और ज़ोर से… ऊईईई… उसका रस मेरे मुँह में भर गया।

इसे भी पढ़ें  बहन से लण्ड चुसवाया - आइसक्रीम का लालच देकर

अंजलि बोली, “हैरी अब नहीं सहन होता, डाल दो।” मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा। वो सीट पकड़ कर झुक गई, गांड ऊपर कर के। उसकी चूत चमक रही थी। मैंने लंड पर थूक लगाया और एक झटके में पूरा अंदर कर दिया। अंजलि चीखी, आआआह्ह्ह्ह… मादरचोद… पूरा घुस गया…

ट्रेन की रफ्तार और मेरे धक्कों का तालमेल बन गया। हर धक्के में उसकी गांड अपने आप पीछे आकर लंड निगल रही थी। वो ज़ोर-ज़ोर से गांड हिला रही थी, आह्ह्ह… ह्ह्हा… और तेज़… हैरी… फाड़ दो आज… कुछ ही मिनटों में वो झर गई, उसकी चूत ने लंड को ज़ोर से जकड़ लिया, आआआईईईई… बस… मर गई…

मैं रुका नहीं, लंड निकाला, उसे लिटाया और मिशनरी में फिर घुसेड़ दिया। अब वो नीचे से कमर उछाल-उछाल कर साथ दे रही थी। दोनों पैर मेरी कमर पर लपेट लिए। मैंने स्पीड बढ़ाई, आह्ह्ह… आह्ह्ह… अंजलि… ले… ले मेरा माल… वो बोली, “अंदर ही डाल दो… आज सेफ डेज़ हैं…”

मैंने आखिरी झटके मारे, उसकी बाहों में कस कर जकड़ा और सारा माल उसकी चूत में उड़ेल दिया। दोनों हाँफ रहे थे, पसीने से तरबतर। थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहे, लंड उसकी चूत में डला हुआ।

रात में दो बजे फिर मन मचला। अंजलि को जगाया, इस बार उसने खुद घोड़ी बन गई। दूसरी चुदाई और भी वाइल्ड थी। सुबह दस बजे उठे, नाश्ता किया, एक बजे अपने स्टेशन पहुँचे। धीरज मोटरसाइकिल लेकर अंजलि को लेने आया था। अंजलि चलते वक़्त मुस्कुरा कर बोली, “थैंक यू हैरी भाई, बहुत अच्छे से पहुँचा दिया।” मैंने भी मुस्कुरा कर कहा, “कोई भी टाइम, बस बुला लेना।”

इसे भी पढ़ें  माँ, मैं कुछ करता हूँ

बस दोस्तों, यही थी मेरी ताज़ा सच्ची कहानी। कैसी लगी, ज़रूर बताना।

Leave a Comment