Choti behan sex story – First time incest sex story: हेलो दोस्तों, मेरा नाम सुनयना है और मैं हरियाणा के एक छोटे से गाँव की रहने वाली हूँ, ये मेरी पूरी तरह सच्ची कहानी है, जो मेरे और मेरे बड़े भाई अनिल के साथ हुई, हमारे यहाँ जॉइंट फैमिली है, ताऊ-ताई, उनका बेटा अनिल भाई, उनकी बेटी कविता दीदी और हमारा परिवार, मम्मी-पापा, मैं और मेरी छोटी बहन नैनू, दीदी और भाई चंडीगढ़ में रहते हैं, दीदी के दो बच्चे हैं, एक बेटा एक बेटी, बाद में पता चला कि दोनों बच्चे भाई के ही हैं।
एक दिन बुआ की बेटी की शादी थी, पूरा परिवार जाना था, लेकिन मैं नहीं जाना चाहती थी, इसलिए दीदी और भाई गाँव आए, ताकि घर पर कोई रहे, सब लोग दोपहर में शादी के लिए निकल गए, मैं अपने कमरे में आराम करने चली गई, दीदी और भाई भी थकान की वजह से सोने चले गए, दोपहर के करीब दो बजे मुझे कुछ अजीब सी आवाजें आईं, मैं उठी तो आवाजें दीदी और भाई के कमरे से आ रही थीं, दरवाजा बंद था, मैंने खिड़की से झाँका और जो देखा, मेरे होश उड़ गए।
दीदी और भाई दोनों पूरी तरह नंगे थे, भाई ने अपना मोटा सा लंड दीदी की चूत में पूरा घुसाया हुआ था और तेज-तेज झटके मार रहे थे, दीदी की आहें पूरे कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह्ह… और तेज अनिल… फाड़ दो आज मेरी चूत… ह्ह्ह… ओह्ह्ह येस्स्स…”, दीदी की बड़ी-बड़ी चुचियाँ उछल रही थीं, भाई उनके निप्पल चूस रहे थे, फिर कुछ देर बाद भाई दीदी के ऊपर लेट गए, लंड अंदर ही था, दोनों पसीने से तर थे, जब भाई उठे तो दीदी की चूत से ढेर सारा गाढ़ा सफेद वीर्य बह रहा था, दीदी ने उँगलियों से साफ किया और दोनों कपड़े पहन कर बाहर आ गए।
लंच के समय मैंने दीदी से पूछ ही लिया, “दीदी, तुम दोनों ये क्या कर रहे थे?”, दीदी ने पहले तो हिचकिचाई, फिर सब बता दिया, दीदी के पति की मौत के बाद भाई ने उन्हें संभाला, दोनों ने गुपचुप शादी कर ली, ताई जी को भी सब पता है, बाहर दुनिया के लिए भाई-बहन, घर में पति-पत्नी, चंडीगढ़ में तो कोई जानता तक नहीं कि वो सगे भाई-बहन हैं, ये सुनकर मेरी चूत में अजीब सी गुदगुदी होने लगी, मैंने दीदी से कहा, “दीदी, क्या मैं भी एक बार भाई से…?”, दीदी ने मना कर दिया, “नहीं, वो मेरे पति हैं, किसी और औरत को नहीं दूँगी”, मैंने बहुत मनाया तो दीदी बोलीं, “ठीक है, अगर तुम खुद कर सको तो कर लो, मैं मदद नहीं करूँगी”।
दीदी का फिगर 38-26-38 था, मेरी चुचियाँ 36 की थीं, लेकिन बहुत उभार वाली और टाइट, कमर पतली, गांड गोल-गोल, मैंने प्लान बनाया, शाम को भाई जब घर लौटे तो मैं झाड़ू लगाने के बहाने उनके सामने झुकी, गले वाला सूट पहना था, मेरी गहरी क्लीवेज साफ दिख रही थी, भाई की नजर मेरी चुचियों पर अटक गई, वो बार-बार देख रहे थे, मैं मन ही मन मुस्कुराई।
फिर मैं नहाने गई, सिर्फ टॉवल लपेट कर बाहर निकली, टॉवल जानबूझकर छोटा चुना था, भाई टीवी देख रहे थे, मैंने टॉवल गिरा दिया, जैसे गलती से गिर गया हो, मैं पूरी नंगी, मेरी साफ-सुथरी गुलाबी चूत और भरी हुई चुचियाँ भाई के सामने, मैंने टॉवल उठाया और बिना लपेटे ही दौड़कर अपने कमरे में चली गई, बालों में तेल लगा रही थी, अभी भी नंगी थी, थोड़ी देर बाद भाई चुपके से कमरे में आए, पीछे से मुझे जकड़ लिया, उनकी पैंट में लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था, मेरी गांड में चुभ रहा था।
मैंने नाटक किया, “भाई ये क्या कर रहे हो, मैं तुम्हारी छोटी बहन हूँ, छोड़ो मुझे”, लेकिन भाई ने मुझे कस कर पकड़ा और मेरे होंठ चूसने लगे, मैं छुड़ाने की कोशिश करती रही, फिर भाई ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, उनका 7 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा लंड मेरे सामने लहरा रहा था, मैंने पहली बार इतना बड़ा लंड देखा था, भाई बोले, “सुनयना, मैं तुमसे प्यार करता हूँ”, मैंने भी कह दिया, “मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ भाई”, और हम दोनों लिप-लॉक हो गए, 5-6 मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे, जीभ अंदर-बाहर।
फिर भाई ने मेरी चुचियाँ दबानी शुरू कीं, निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगे, “आह्ह्ह… भाई… हल्के से… ओह्ह्ह…”, मैं पागल हो रही थी, भाई ने कहा, “जान, मेरा लंड चूसो ना”, मैंने शर्मा कर मना कर दिया, भाई ने मुझे बेड पर लिटाया, मेरी टाँगें चौड़ी कीं और चूत चाटने लगे, “चप चप… स्लर्प स्लर्प…”, उनकी जीभ मेरी क्लिट पर घूम रही थी, मैं कँप रही थी, “आह्ह्ह… भाई… क्या कर रहे हो… ओह्ह्ह गॉड… बहुत मज़ा आ रहा है… ह्ह्ह… आह्ह्ह…”, मैंने उनका सिर दबा लिया, 2 मिनट में ही मैं झड़ गई।
फिर भाई ने फिर कहा, “प्लीज एक बार मुँह में ले लो”, मैंने उनका लंड हाथ में लिया, गर्म-गर्म, नसें फड़ी हुईं, मैंने धीरे से मुँह में लिया, “ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गों गों…”, भाई की आहें निकलने लगीं, “ओह्ह्ह सुनयना… तुम बेस्ट हो… कविता कभी मुँह में नहीं लेती… आह्ह्ह येस्स… और गहराई तक…”, मैंने पूरा लंड गले तक ले लिया, भाई ने मेरे सिर को पकड़ कर धक्के देने शुरू कर दिए, 4-5 मिनट बाद भाई बोले, “जान मैं झड़ने वाला हूँ, पूरा पी जाना”, मैंने मुँह नहीं हटाया, भाई का गाढ़ा वीर्य मेरे गले में उतर गया, मुझे बहुत स्वादिष्ट लगा।
लंड सिकुड़ गया था, मैंने पूछा, “भाई ये छोटा क्यों हो गया?”, भाई हँसे, “कुछ देर में फिर खड़ा हो जाएगा”, वो तेल लेकर आए, मैंने फिर से चूसना शुरू किया, “ग्ग्ग्ग… गों गों गोग…”, लंड फिर से पत्थर जैसा हो गया, भाई ने मुझे गोदी में उठाया, बेड पर लिटाया, तेल से मेरा और अपना लंड चिकना किया, फिर मेरे होंठ चूसते हुए एक जोरदार झटका मारा, “आअह्ह्ह्ह… भाई… मर गई… बहुत दर्द हो रहा है…”, आधा लंड अंदर चला गया था, मेरी आँखों से आँसू निकल आए, भाई रुके, फिर धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर ठूँक दिया, मेरी चूत से खून बहने लगा, मैं चीखी, “निकालो भाई… फट जाएगी… आह्ह्ह…”, भाई ने सांत्वना दी, “बस पहली बार ही दर्द होता है, अब मज़ा आएगा”।
धीरे-धीरे भाई ने स्पीड बढ़ाई, अब दर्द के साथ-साथ मज़ा भी आने लगा, “आह्ह… ह्ह्ह… ओह्ह्ह भाई… और तेज… हाँ ऐसे ही… आह्ह्ह…”, मैं उनकी पीठ नाखूनों से खुरच रही थी, 8-9 मिनट बाद मैं फिर झड़ गई, मेरी चूत ने भाई के लंड को कस लिया, लेकिन भाई नहीं रुके, 20-25 मिनट तक लगातार चोदते रहे, फिर हम दोनों एक साथ झड़े, भाई ने सारा माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया, गर्म-गर्म वीर्य अंदर भर गया, लंड अभी भी मेरी चूत में था, जब निकाला तो खून और वीर्य का मिश्रण बह निकला।
भाई फिर से मेरी चुचियाँ चूसने लगे, लंड फिर खड़ा हो गया, इस बार भाई ने मुझे घोड़ी बनाया, पीछे से लंड एक ही झटके में पूरा पेल दिया, “आह्ह्ह्ह… भाई… कितना मोटा है… फाड़ दोगे… ओह्ह्ह येस्स… और ज़ोर से…”, भाई मेरी गांड थपथपा रहे थे, चुचियाँ मसल रहे थे, 30 मिनट तक लगातार चुदाई चली, मैं तीन बार झड़ चुकी थी, आखिर में भाई ने फिर मेरी चूत में सारा माल उड़ेल दिया, हम दोनों पस्त होकर लेट गए।
तभी दीदी कमरे में आईं, मुस्कुराते हुए बोलीं, “बस बहुत हो गया, अब डिनर कर लो”, भाई ने लंड निकाला, दीदी ने मेरी चूत पर किस किया, सारा खून-पानी साफ किया और बोलीं, “अब तुम मेरी सौतन बन गई”, हम तीनों नंगे ही डिनर करने लगे, रात में फिर तीनों ने मिलकर खूब चुदाई की, लेकिन वो अगले पार्ट में बताऊँगी।