Didi ki choot sex story – Sister brother sex story: ये मेरी उस समय की कहानी है जब मैं 18 साल की थी, मैं बारहवीं क्लास में पढ़ती थी, घर में मम्मी-पापा और मेरा छोटा भाई था, भाई छठी क्लास में था और सिर्फ 12 साल का था, घर में सबसे छोटा होने की वजह से सब उससे बहुत प्यार करते थे, मैं तो अपने भाई से बहुत ज्यादा प्यार करती थी, हर छोटे-बड़े काम के बाद मैं उसे पप्पी देती थी, बात-बात पर उसे सीने से लगाना मुझे बहुत अच्छा लगता था, बदले में जब वो मुझे पप्पी देता तो और भी मजा आता था।
अब बाकी की कहानी मेरे भाई की जुबानी सुनो, लव यू भाई।
हम दोनों साथ-साथ ट्यूशन जाते थे, मैं उसकी स्कूटी पर पीछे बैठती थी, नहीं, उस दिन दीदी स्कूटी चला रही थी और मैं पीछे बैठा था, मैंने पीछे से दीदी को पकड़ रखा था, बारिश का मौसम था, अचानक तेज बारिश शुरू हो गई, मैंने दीदी से कहा कि रुक जाओ ना, बारिश बंद होने तक इंतजार कर लेते हैं, दीदी बोली नहीं, भीगते हुए ही चलेंगे, बारिश और तेज हो गई, दोपहर का समय था इसलिए सड़क पर कोई बाइक वाला नहीं था, सिर्फ कारें आ-जा रही थीं।
मुझे डर लगने लगा तो दीदी बोली मुझे कसके पकड़ो, मैंने पीछे से कसके पकड़ लिया, उसकी कमर पर हाथ लपेट दिए, मैं दीदी के पीछे एकदम चिपक गया, दीदी पूरी तरह भीग चुकी थी, उसकी ब्रा और टी-शर्ट शरीर से चिपक गए थे, वो बोली ऐसे ढीले-ढाले क्यों पकड़े हो, गिर जाओगे, थोड़ा ऊपर से टाइट पकड़ो, मैंने हाथ थोड़ा ऊपर किया तो दीदी के बड़े-बड़े दूध में हाथ टच होने लगे।
खाली सड़क पर दीदी स्कूटी को दायें-बायें झुला रही थी, मुझे बहुत डर लग रहा था, मैंने दीदी को और जोर से पकड़ रखा था, दीदी फिर बोली ठीक से पकड़ो वरना गिर जाओगे, और ऊपर पकड़ो, मैं शरमा रहा था तो दीदी ने खुद अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ा और अपने दोनों दूध के ऊपर रख दिया, बोली अब जोर से पकड़के बैठो, मैंने जोर से दबा लिया।
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दीदी ने और तेज स्कूटी भगानी शुरू कर दी, डर के मारे मैं और जोर-जोर से दबा रहा था, दीदी के दूध इतने बड़े थे कि मेरे छोटे हाथों में भी पूरा नहीं आ रहे थे, बहुत सॉफ्ट और मुलायम थे, जब दीदी दायें झुकाती तो बायां दूध जोर से दब जाता, बायें झुकाती तो दायां दूध मसल जाता, उसी बीच मुझे पेशाब का जोर लगने लगा, मेरा लंड एकदम टाइट हो गया, दोस्तों ने बताया था इसे लंड कहते हैं, घर में सब मुन्ना कहते थे।
मैंने दीदी से कहा दीदी पेशाब लगी है, स्कूटी रोक दो, दीदी ने नहीं रोका, मैं बर्दाश्त करता रहा, फिर जोर-जोर से चिल्लाने लगा, तब तक हम घर के पास आ गए थे, बीच में एक बड़ा क्रिकेट मैदान था, उसके आसपास कोई घर नहीं था, बारिश की वजह से मैदान बिल्कुल खाली था, मैंने फिर कहा अब तो रोक दो, दीदी ने स्कूटी रोकी और मेरे गाल पर किस करके बोली जल्दी कर के आ, घर जाना है।
मैं पेशाब करके लौटा तो बारिश अभी भी तेज थी, मैं दीदी के पास आकर बोला दीदी चेन बंद नहीं हो रही, दीदी बोली ला मैं बंद कर देती हूँ, जैसे ही चेन खींची मेरा लंड चेन में फंस गया, मैं जोर से चिल्लाया, दीदी डर गई, फिर धीरे से चेन नीचे की और लंड छुड़ाया, फंसने की वजह से लाल हो गया था और दर्द भी हो रहा था, दीदी ने बिना कुछ सोचे मेरा लंड मुँह में ले लिया और धीरे-धीरे चूसने लगी, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गों.. गों.. मैंने पूछा ये क्या कर रही हो, दीदी बोली उंगली में चोट लगे तो मुँह में डालते हैं ना दर्द कम हो जाता है, वही कर रही हूँ, सच में दर्द कम हो गया।
फिर दीदी ने लंड को आराम से पैंट में डाला और चेन बंद कर दी, मेरी आँखों में आंसू थे, दीदी बोली रो मत मैं तुझे झप्पी देती हूँ, फिर मुझे अपने सीने से जोर से लगा लिया, मेरा चेहरा उसके दोनों बड़े दूध के बीच फंस गया, इतने मुलायम थे कि क्या बताऊँ, दीदी ने मेरे सिर को और जोर से दबाया, फिर पूछा अब ठीक हुआ, मैंने कहा नहीं दीदी अभी भी दर्द है, दीदी बोली कुछ और करती हूँ और मेरे होठों पर लंबा किस कर दिया, मेरे लंड में फिर खड़े होने की वजह से दर्द बढ़ गया, मैंने मना किया तो दीदी ने छोड़ दिया, फिर हम घर आ गए।
घर पहुँचे तो बुआ आई हुई थीं, उनकी शादी हो चुकी थी, मैंने प्रणाम किया तो उन्होंने गाल चूम लिया, मैंने भी उनका गाल चूम लिया, वो हँसते हुए बोली अभी भी वैसा ही शैतान है तू, उनका एक साल का बेबी था, मैं उसे गोद में लेने लगा तो मम्मी ने डाँटा, पहले गीले कपड़े बदलो वरना बीमार पड़ जाओगे और बेबी को भी गीला कर दोगे।
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मैं अपने कमरे में गया, मेरा और दीदी का एक ही कमरा था, अंदर घुसा तो दीदी कपड़े बदल रही थी, मुझे देखकर चिल्लाई अबे क्या कर रहा है, देख नहीं रहा मैं कपड़े बदल रही हूँ, जल्दी दरवाजा बंद कर, मैं अंदर आकर दरवाजा बंद कर दिया, बोला मुझे क्या पता, तुम दरवाजा बंद नहीं कर सकती थी, दीदी ने घाघरा पहना था और ब्रा पहन रही थी, कमर पर हाथ रखकर बोली ज्यादा शैतान बनेगा तो अभी कान के नीचे दो लगा दूँगी, मैं उसकी ब्रा से बाहर झांकते बड़े दूध को घूर रहा था।
दीदी ने मुझे घूरते देखा और बोली ऐसे क्या घूर रहा है, चल जल्दी कपड़े उतार वरना बीमार पड़ जाएगा, कहते हुए मेरे पास आई और मेरा शर्ट खोलने लगी, शर्ट के बाद पैंट भी खोल दी, अब मैं उसके सामने पूरा नंगा खड़ा था, दीदी ने मेरा लाल हुआ लंड देखा, छुआ तो मुझे हल्का दर्द हुआ, आह निकल गई, दीदी ने मुझे गोद में उठाया और बेड पर खड़ा कर दिया, अब उसका चेहरा मेरे लंड के सामने था।
दीदी ने लंड हाथ में लेकर पूछा अभी भी दर्द है, मैंने कहा हाँ, छूने से हल्का-हल्का, दीदी बोली सॉरी मेरी गलती से तुझे तकलीफ हो रही है और रोने लगी, मुझसे लिपट गई, उसका गाल मेरे लंड से टच हो रहा था, मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा, दीदी को एहसास हुआ तो गाल हटाया और बोली इसे फिर मुँह में लेकर सहला देती हूँ, फिर लंड मुँह में लेकर चूसने लगी, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गों.. गों.. गोग, मुझे लगा जैसे लॉलीपॉप चूस रही हो, मैंने पूछा ऐसे क्यों चूस रही हो, दीदी बोली ये लड़कियों के लिए लॉलीपॉप ही है, मैंने पूछा तो लड़कों के लिए क्या, दीदी खड़ी हुई और अपने दूध दिखाते हुए बोली ये, मैंने कहा मुझे भी चूसाओ, दीदी हट गई और टॉप पहनकर बाहर चली गई।
मैंने अलमारी से कपड़े निकाल कर पहने और बाहर आया, दीदी मम्मी से कुछ कह रही थी, मम्मी मेरी तरफ देख रही थी, मम्मी मेरे पास आई और बोली दिखा कहाँ चेन लगी है, मैंने मना किया तो एक थप्पड़ मार दिया, बोली जवान होकर भी शरमाता है, दीदी और बुआ हँसने लगीं, मम्मी ने झटके से पैंट खोल दी, मलहम लाकर लंड पर लगाया, जलन थोड़ी कम हुई, मम्मी बोली अभी डॉक्टर से दवा लेकर आती हूँ, बुआ बोली मैं भी चलती हूँ, शाम की ट्रेन से जाना भी है, बेबी सो रहा था तो उसे सोता छोड़कर दोनों चली गईं।
मम्मी के जाने के बाद दीदी बोली मुझसे तो शरमाता नहीं, मम्मी के सामने क्यों शरमाया, मैंने कहा तो क्या तुम मेरे सामने शरमाती हो, पास पड़ा तकिया उठाकर दीदी पर फेंका, वो उसके दूध पर जा लगा, दीदी चिल्लाई जानबूझकर मारा ना, मैंने मना किया पर वो नहीं मानी, मैं गुस्से में कमरे में चला गया और कुर्सी पर बैठकर पढ़ने का नाटक करने लगा।
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दीदी पीछे-पीछे आई, पीछे से मुझे बाहों में जकड़ लिया और ऊपर से झुककर मेरे होठों पर किस किया, मैं गुस्से में बोला मत करो, दर्द होता है, दीदी ने मेरी पैंट पर हाथ रखकर बोली यहाँ दर्द होता है, मैंने कहा हाँ, दीदी बोली इसे मैं ठीक कर दूँगी जैसे पहले किया था, फिर मुझे गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया, खुद मेरे बगल में लेट गई, मेरी पैंट खोली और लंड को धीरे-धीरे सहलाने लगी, मेरा लंड फिर टाइट हो गया, हल्का दर्द भी था पर मुझे बहुत मजा आ रहा था इसलिए चुप रहा।
दीदी सहलाते-सहलाते मुझे किस करने लगी, पहले कानों को चूमा, फिर गालों पर, फिर होठों पर लंबा किस, पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने पलटा और दीदी को बाहों में जकड़ लिया, दीदी ने लंड सहलाना छोड़कर मुझे कसके गले लगाया, मेरा सिर उसके दूध के बीच फंसा हुआ था, दीदी लंबी-लंबी साँसें ले रही थी, उसने अपना टॉप उतार दिया, उसके बहुत बड़े-बड़े दूध सामने थे, गुलाबी निप्पल एकदम खड़े थे, मैंने पूछा दीदी ये क्या है, दीदी बोली निप्पल है, तुझे भी तो है, मैंने कहा मेरा तो काला है, तुम्हारा गुलाबी और फूला हुआ है, मैंने उंगली से छुआ तो निप्पल और सख्त हो गया।
मैंने दूध हाथ में लेना चाहा पर पूरा नहीं आया, एक हाथ से एक दूध दबा रहा था तो दीदी बोली दोनों दबा ना, मैं उठकर बैठ गया, दीदी के पेट पर जाकर बैठ गया, दीदी चित लेटी थी, मैंने दोनों हाथों से दोनों दूध जोर-जोर से दबाने लगा, मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया, दीदी ने कहा थोड़ा पीछे होकर बैठ, मैं पीछे हुआ तो मेरा लंड दीदी की नाभि में टच करने लगा, दीदी की नाभि बहुत गहरी थी, दीदी ने खुद मेरा लंड पकड़ा और अपनी नाभि के छेद में घुसा दिया, बोली धीरे-धीरे आगे-पीछे कर, पर मैं तो दूध मसलने में व्यस्त था।
अचानक दीदी ने आह भरी, आह्ह्ह, मुझे लगा मैंने जोर से दबा दिया, मैंने दबाना छोड़ दिया, दीदी ने आँखें खोलकर बोली क्या हुआ, रुक क्यों गया, अब सिर्फ दबाएगा या पिएगा भी, मैंने दूध दबाना छोड़कर एक दूध को मुँह में लेकर चूसने लगा, गों.. गों.. चुप.. चुप.. चूसते हुए मैं झुका तो मेरा लंड दीदी की चूत में फिसल गया, दीदी ने दोनों हाथों से मेरा सिर अपने दूध में जोर से दबा लिया, मैंने सिर छुड़ाया और दीदी के होठों पर किस कर दिया, अब दीदी ने मेरा सिर पकड़कर मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए।
पूरे शरीर में अजीब सी सिहरन दौड़ने लगी, मैं अपने आप तेज-तेज झटके देने लगा, दीदी की साँसें भी तेज थीं, आह इह्ह ओह्ह, आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह, दीदी चिल्ला रही थी आह्ह मेरे छोटे राजा भाई आह्ह और तेज करो, उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर थे, नाखून गड़ रहे थे, मैं और तेज हो गया, अचानक लगा मुझे बहुत जोर से पेशाब आ रही है, मैंने कहा दीदी बहुत जोर से सुसू आ रही है, दीदी ने प्यार से कहा ये सुसू नहीं है अंदर ही कर दो, मैंने दीदी को कसके पकड़ लिया, आह्ह्ह्ह दीदी ये क्या हो रहा है, इतना मजा पहले कभी नहीं आया, और सारा माल दीदी की चूत में छोड़ दिया, दीदी की चूत गर्म माल से भर गई, मैं उसके ऊपर लेट गया, ठंडी-ठंडी साँसें ले रहा था, दीदी भी।
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दीदी ने मुझे गले लगाया, प्यार से होंठ चूमे और बोली आज से तू मेरा राजा भाई है, तभी डोरबेल बजी, शायद मम्मी-बुआ आ गए थे, दीदी झट से उठी, कपड़े पहने और दरवाजा खोलने चली गई, ये कहानी अभी आगे भी जारी है।