आंटी ने पहली बार देखा मेरा 8 इंच का लंड

Neighbor aunty sex story – Padosan ki pelai sex story: हैलो दोस्तों, मेरा नाम राजेश है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ, उम्र 21 साल, कद 5 फुट 9 इंच, तंदरुस्त बदन और मेरा लंड 7 से 8 इंच तक पूरा खड़ा हो जाता है, बहुत मोटा और सख्त। यह बात आज से करीब एक साल पहले की है, जब मैंने कॉलेज पूरा कर लिया था और घर वापस आ गया था।

मेरे सामने वाले मकान में रेखा आंटी रहती थीं, उम्र 33 साल के करीब, कद 5 फुट 4 इंच, थोड़ा गोरा-गोरा मोटा-मोटा बदन, फिगर करीब 34-30-36, बड़े-बड़े रसीले बूब्स, मोटी-मोटी जाँघें, कोई भी देखे तो लंड खड़ा हो जाए। उनके पति 40-42 के थे, दो बच्चे भी थे, पर आंटी अभी भी पूरी जवान और मादक लगती थीं।

पहले मैं बाहर हॉस्टल में रहता था, इसलिए उनसे खास बातचीत नहीं हुई थी, लेकिन अब रोज़ घर पर था तो नज़रें मिलने लगीं। एक सुबह नहाकर आया, कमरे में तौलिया लपेटे खड़ा था, चड्डी पहनने ही वाला था कि खिड़की से नज़र पड़ी, आंटी सामने वाले बरामदे में झाड़ू लगा रही थीं। हमारी नज़र मिली और ठीक उसी वक़्त मैंने तौलिया खोला, मेरा अर्ध-नंगा बदन और लंड लटकता हुआ उन्होंने देख लिया, मैं शर्मा कर हट गया, जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और बाहर निकल गया।

शाम को लौटा तो आंटी मेरी मम्मी के पास बैठी थीं, मुझे देखते ही मुस्कुराई और बोलीं, “अरे राजू, कब आया बेटा? बड़ा हो गया है तू तो” और हंस दीं, उनके हंसने में कुछ शरारत थी, मैं फिर शर्मा गया, कुछ नहीं बोला और कमरे में चला गया।

अगली सुबह मैंने जान-बूझकर खिड़की खोल रखी, नहाकर आया और आराम से तौलिया खोलकर खड़ा हो गया, लंड हल्का सख्त था। थोड़ी देर बाद आंटी फिर बरामदे में आईं, झाड़ू लगाते हुए मेरी तरफ देखने लगीं, इस बार मैं नहीं हटा, बल्कि मुस्कुराया, आंटी भी हल्का सा मुस्कुराई और झाड़ू लगाती रहीं।

तीसरे दिन मैंने और हिम्मत की, नहाकर तौलिया खोलकर पूरा नंगा खड़ा हो गया, लंड अब पूरा तन गया था, आंटी नीचे झुककर झाड़ू लगा रही थीं, साड़ी का पल्लू सरक गया था, गहरी क्लीवेज साफ दिख रही थी, मैंने लंड पकड़कर एक-दो बार हिलाया, आंटी ने ऊपर देखा और मेरे नंगे लंड को ऐसे देखा जैसे होश उड़ गए हों, फिर शर्मा कर अंदर भाग गईं, मैं मन ही मन बहुत खुश था।

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फिर एक दिन मैं छत पर किताब पढ़ रहा था, नीचे कंपाउंड में आंटी कपड़े धो रही थीं, साड़ी घुटनों तक चढ़ाई हुई थी, गोरे-गोरे पैर चमक रहे थे, पानी के छींटे से पूरा ब्लाउज़ गीला हो गया था, ब्रा की शक्ल साफ दिख रही थी, बूब्स उछल-उछल रहे थे। मेरा लंड पत्थर हो गया। फिर आंटी ने वहीं नहाना शुरू कर दिया, साड़ी उतारी, सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज़ में, पेटीकोट जाँघों तक ऊपर चढ़ा लिया, गोरी जाँघें और पैंटी की लाइन साफ दिख रही थी।

मैं हैरान, पहली बार लाइव ऐसा नज़ारा देख रहा था। फिर आंटी ने ब्लाउज़ भी उतार दिया, लाल ब्रा में बड़े-बड़े बूब्स हिल रहे थे, साबुन लगाते हुए ब्रा भी उतार फेंकी, वाह क्या मस्त गोल-गोल बूब्स थे, गुलाबी निप्पल तने हुए, मैंने तुरंत पैंट खोली और मुठ मारना शुरू कर दिया। आंटी ने पेटीकोट भी उतार दिया, एक सेकंड के लिए उनकी गुलाबी चूत की झलक मिली, बाल हल्के-हल्के साफ किए हुए, मैंने स्पीड बढ़ाई और पूरा माल छत पर ही गिरा दिया। अब दिमाग में सिर्फ एक ही ख्याल था, इस आंटी को किसी भी तरह चोदना है।

अगले दिन सुबह मैंने फिर खिड़की खोल दी, आंटी आईं तो मैंने सीधे तौलिया खोला, 8 इंच का पूरा तगड़ा लंड हवा में लहरा रहा था, आंटी की नज़र उस पर जम गई, मुंह खुला का खुला रह गया, मैंने लंड पकड़कर आगे-पीछे किया, आंटी शर्मा कर अंदर चली गईं, लेकिन खिड़की से झांकने लगीं। मैंने गोलियां पीछे खींचकर पूरी लंबाई दिखाई, फिर हवा में किस किया और इशारे से उनके बूब्स दिखाने को कहा। पहले तो मना किया, फिर धीरे-धीरे ब्लाउज़ के बटन खोले, लाल ब्रा में बूब्स बाहर निकाले और दबा-दबा कर दिखाने लगीं।

मेरा खून खौल रहा था, मैंने इशारे से पेटीकोट ऊपर करने को कहा, पहले ना-नुकुर की, फिर हार मान ली, पेटीकोट ऊपर उठाया, काली पैंटी में उनकी मोटी चूत एकदम उभरी हुई, मैंने इशारा किया कि घर में कोई नहीं है, आ जाओ। आंटी ने पहले मना किया, फिर बोलीं, “थोड़ी देर में आती हूँ”। मेरा लंड बैठने को तैयार नहीं था।

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दस मिनट बाद डोरबेल बजी, दरवाजा खोला तो रेखा आंटी नीली साड़ी में मादक मुस्कान लिए खड़ी थीं, हल्का मेकअप, लिप्स्टिक लगाई हुई, जैसे तैयार होकर आई हों। मैंने तुरंत अंदर खींच लिया, दरवाजा बंद किया, आंटी ने शरारत से पूछा, “बुलाया क्यों है राजू?” मैंने कहा, “आंटी तेरे आमों का रस पीने का मन कर रहा था”। वो हंस पड़ीं और नाटकीय अंदाज़ में मेरे पीछे भागीं, मैं बेडरूम में भागा, वो पीछे से आईं और गले लगाकर बोलीं, “तो पी ले ना रस, जल्दी शुरू कर”।

बस फिर क्या था, मैंने उन्हें दीवार से सटा कर रसीले होंठ चूसने शुरू कर दिए, आंटी भी पूरी तरह साथ दे रही थीं, उनकी जीभ मेरे मुंह में, मैंने उनके बूब्स जोर-जोर से दबाने शुरू कर दिए, आंटी सिसकारियाँ ले रही थीं, आह्ह्ह राजूूउ, मैंने साड़ी का पल्लू खींचा, फिर पूरी साड़ी नीचे गिरा दी, ब्लाउज़ के बटन खोलते हुए उनके गले, कंधे, कानों को चूम रहा था। लाल ब्रा में बूब्स उछल रहे थे, मैंने ब्रा का हुक खोला, दोनों बड़े-बड़े बूब्स आज़ाद हो गए, मैंने एक को मुंह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा, आंटी के मुंह से आवाज़ें निकलने लगीं, आअह्ह्ह ह्ह्ह्ह राजा जोर से, दूसरा भी चूस, आज तक किसी ने ऐसे नहीं चूसा।

मैंने नीचे पेटीकोट का नाड़ा खींचा, पेटीकोट गिर गया, सिर्फ लाल पैंटी बाकी थी, मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया, पैंटी के ऊपर से ही चूत रगड़ने लगा, आंटी तड़प रही थीं, आह्ह्ह्ह इह्ह्ह्ह्ह जल्दी राजूूउ, मैंने पैंटी फाड़ दी, उनकी गुलाबी चूत पूरी गीली थी, उंगली डाली तो चूत ने पूरा निचोड़ लिया, आंटी चिल्लाईं, आआअह्ह्ह्ह्ह्ह ऊउइइइ मर गयीीी। मैंने झुककर चूत चाटना शुरू किया, जीभ अंदर तक डाल-डाल कर चूस रहा था, आंटी कमर उछाल रही थीं, आह्ह्ह्ह ह ह ह ह्हीईईई आअह्ह्ह्ह राजा बस कर, अब नहीं सहन होता, लंड डाल दे।

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उधर आंटी ने मेरी पैंट खोली और मेरा 8 इंच का मोटा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगीं, फिर मुंह में लिया, ग्ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग गी गी गों गों गोग, पूरा गले तक ले लिया, मैं कंट्रोल खोने लगा, आह्ह्ह्ह मादरचोद आंटी, कितना मज़ा दे रही है। फिर मैंने उन्हें सीधा लिटाया, घुटने मोड़कर पैर फैलाए, लंड चूत पर रखा और एक जोरदार झटका मारा, आधा लंड अंदर चला गया, आंटी चीखीं, आआअह्ह्ह्ह्ह धीरेेे मेरे शेर, बहुत मोटा है तेरा, चूत फट जाएगी। मैंने धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर किया, चूत एकदम टाइट और गर्म थी, फिर धीरे-धीरे चोदना शुरू किया, आंटी की सिसकारियाँ तेज़ होती गईं, आह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह ऊओओह्ह्ह्ह राजा जोर से, फाड़ दे चूत को।

फिर मैंने स्पीड बढ़ाई, दनादन धक्के मारने लगा, बेड हिल रहा था, आंटी नीचे से कमर उछाल-उछाल कर पूरा साथ दे रही थीं, आह्ह्ह्ह ह ह ह हााा जोर से मेरे राजा, आज तक किसी ने ऐसा नहीं चोदा, आह्ह्ह्ह्ह ऊइइइइ मर गयीीी, मैं भी पूरा जोश में था, उनके बूब्स दबा रहा था, निप्पल चुटकियाँ ले रहा था, फिर पोजीशन बदली, आंटी को घोड़ी बनाया, पीछे से मोटी गांड पकड़कर और ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा, आंटी चिल्ला रही थीं, आअह्ह्ह्ह बस कररर, बहुत तेज़ है तेरा लंड, चूत की चटनी बना दे।

अंत में मैंने फिर मिशनरी में लिटाया और पूरा ज़ोर लगाकर तेज़-तेज़ धक्के मारे, आंटी की चूत से पानी निकलने लगा, वो झड़ने वाली थीं, मैंने भी कंट्रोल छोड़ दिया और गहराई तक लंड घुसेड़ कर अपनी पूरी वीर्य की फव्वारा उनकी चूत में छोड़ दिया, आह्ह्ह्ह्ह्ह राजूूउउ भर दे, दोनों एक साथ झड़े, आंटी की चूत से हमारा मिला हुआ रस बह रहा था।

हम दोनों हांफते हुए लेटे रहे, आंटी मेरे सीने पर हाथ फेर रही थीं, बोलीं, “राजेश, आज जन्नत दिखा दी तूने”। उसके बाद जब भी मौका मिला, छत पर, किचन में, रात को जब उनका पति बाहर गया तो पूरी रात चुदाई की, आज तक हमारा सिलसिला चल रहा है, जब मन करता है आंटी खुद बुला लेती हैं।

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