भाई ने रात में छत पर कुंवारी सील तोड़ी और गांड मारी

Cousin rough fuck sex story – Cousin ki pehli chudai sex story: हैलो दोस्तों, मेरा नाम नरेन्द्र है, दिल्ली-गुड़गाँव में रहता हूँ, अभी 28 साल का हूँ, लेकिन ये बात उस वक्त की है जब मैं सिर्फ 18 का था। दोस्तों के साथ बैठता तो बस सेक्स की ही बातें होतीं, उनकी हर कहानी सुनकर मेरा लंड पैंट में खड़ा हो जाता, मन करता कि काश मेरे साथ भी ऐसा हो। रंग थोड़ा सांवला था इसलिए लगता था कि कोई लड़की मुझे भाव नहीं देगी, पर किस्मत ने कुछ और सोच रखा था।

एक दिन चाचा की लड़की के ससुराल गया तो वहाँ उनकी जेठानी की बेटी नेहा आई हुई थी। ठीक 18 साल की, लम्बा कद, गोरा रंग, सूट में छोटी-छोटी नुकीली चुचियाँ साफ उभरी हुईं, पतली कमर और भारी-भारी चूतड़, देखते ही दिल में आग लग गई। वो मुझे भैया कहती थी, दिन भर उससे हँसी-मजाक करता रहा, उसे फ्रैंक करने की कोशिश की, शाम को सोने का टाइम हुआ तो जानबूझकर अपनी चारपाई उसके बिल्कुल पास बिछा ली। उस घर में सिर्फ एक कमरे में कूलर था, बाकी कमरों में लाइट का काम चल रहा था, इसलिए सब उसी कमरे में सोने लगे।

रात गहराई, लाइट बंद हुई, सब सो गए, पर मेरी आँखों में नींद कहाँ थी। नेहा का दुपट्टा साइड में सरक गया था, उसकी नुकीली चुचियाँ साफ दिख रही थीं, उसने टाँगें मोड़ रखी थीं, सूट ऊपर चढ़ गया था, गोरी-गोरी जाँघें और चूतड़ चाँदनी में चमक रहे थे। हिम्मत करके अपना हाथ उसकी चारपाई पर रखा, फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ाया, आखिरकार मेरी हथेली उसकी चुचियों पर पहुँच गई। दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, हथेली के नीचे उसके सख्त निप्पल महसूस हो रहे थे। पहले तो बस हाथ रखा रहा, फिर हल्के-हल्के मसलने लगा, जब वो नहीं जागी तो दोनों चुचियों को बारी-बारी दबाया, निप्पल्स को उँगलियों से खींचा, मेरा 8 इंच का लंड पैंट फाड़ने को बेताब था।

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अपनी चारपाई से उतरा, उसके बिल्कुल पास बैठ गया, होंठ उसके होंठों पर रख दिए, उसकी गर्म-गर्म साँसें मेरे मुँह में आ रही थीं, मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए, एक हाथ से चुचियाँ मसलता रहा। अचानक वो करवट बदली, मैं डर के मारे पीछे हट गया। थोड़ी देर इंतजार किया, फिर वापस उसके पीछे लेट गया, अब उसकी कमर मेरी तरफ थी, सलवार चूतड़ों से नीचे सरक गई थी, मैंने अपना तना हुआ लंड उसके चूतड़ों के बीच में दबा दिया, एक हाथ ऊपर से डालकर चुचियाँ मसलने लगा, कमर हल्के-हल्के हिलाने लगा, लंड उसके गैप में रगड़ खा रहा था।

हाथ नीचे ले गया, सलवार का नाड़ा खोल दिया, पैंटी के ऊपर से चूत सहलाने लगा, फिर पैंटी साइड की और उँगली उसकी कुंवारी चूत पर फेरी, छोटे-छोटे मुलायम बाल, गर्मागर्म फाँक, जैसे ही मैंने चूत को मुट्ठी में लिया उसकी नींद खुल गई। वो पीछे मुड़ी और उठकर बैठ गई, धीरे से बोली भैया ये क्या कर रहे हो, मैंने मिन्नत की कि पास में सोने दे, पहले तो डराने लगी कि दीदी को जगा दूँगी, फिर मान गई लेकिन दूर रहने को कहा। मैं फिर उसके पीछे लेट गया, अपना पैर उसके ऊपर रख दिया, लंड फिर से चूतड़ों पर दबा दिया, वो बोली हटाओ, मैंने सॉरी बोला और लंड सटाए रखा, वो चुप हो गई।

अब मैं धीरे-धीरे कमर हिलाने लगा, लंड उसके छेद पर दबाव बनाने लगा, हाथ फिर से चुचियों पर पहुँच गया, वो कसमसाने लगी पर मना नहीं कर रही थी, मैं और सट गया, होंठ उसके होंठों पर रखकर चूसने लगा, जीभ अंदर डाल दी, वो भी हल्के-हल्के साथ देने लगी। कुर्ता ऊपर कर दिया, ब्रा नहीं थी, दोनों नुकीली चुचियाँ बाहर आ गईं, मैंने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा, चट-चट की आवाजें आने लगीं, निप्पल्स लाल हो गए, वो सिसक रही थी, आह्ह भैया कुछ हो रहा है मुझे। मेरा हाथ पैंटी में घुस गया, उँगली चूत में अंदर-बाहर करने लगा, वो बुरी तरह तड़प रही थी, आह इह्ह्ह ऊईई भैया।

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मैंने कहा छत पर चल, यहाँ कोई जाग जाएगा, पहले तो मना करती रही, मैं उठकर चला गया, दो मिनट बाद वो भी ऊपर आ गई। मैंने उसे दीवार से सटा लिया, फिर लम्बी-लम्बी किसिंग की, सारे कपड़े उतार दिए, वो बिल्कुल नंगी खड़ी थी, चाँदनी में उसका गोरा बदन चमक रहा था। मैंने भी सारे कपड़े उतारे, मेरा 8 इंच का मोटा लंड देखकर वो डर गई। मैंने उसे नीचे बिठाया, लंड उसके होंठों पर रगड़ा, पहले मना किया फिर मुँह खोल दिया, मैंने धीरे-धीरे अंदर किया, ग्ग्ग्ग गी गों गों, उसका मुँह पूरा भर गया, सिर पकड़कर अंदर-बाहर करने लगा।

फिर उसे लिटाया, दोनों टाँगें चौड़ी कर दीं, चूत पर जीभ फेरी, वो चिल्ला उठी आह्ह्ह भैया चूसो ना, मैंने खूब चाटा, पूरा मुँह उसकी चूत में गढ़ा दिया। फिर लंड चूत पर रगड़ा, खूब थूक लगाया, सुपारा अंदर किया, वो चीखी आह्ह्ह निकालो बहुत मोटा है फट जाएगी, मैंने उसके होंठ बंद कर दिए और एक जोर का धक्का मारा, आधा लंड अंदर चला गया, वो रोने लगी आह्ह्ह्ह मर गई सीईईई निकालो, मैं रुका नहीं, कसकर पकड़ा और पूरा लंड अंदर ठूँस दिया। पहले धीरे-धीरे हिलाया, फिर तेज, दस-पंद्रह धक्कों बाद वो भी मचलने लगी, आह्ह और तेज भैया।

उसकी दोनों टाँगें ऊपर उठाकर कंधों पर रख दीं, पूरा जोश लगाकर ठोकने लगा, पछ-पछ पछा-पछा की आवाजें गूँज रही थीं, उसकी छोटी चुचियाँ तेजी से हिल रही थीं, वो चिल्ला रही थी ऊईई माँ मार डालो मुझे। फिर उसे पलट दिया, कमर ऊपर उठाई, पीछे से लंड घुसाया, गांड पर जोर-जोर से थप्पड़ मारते हुए खूब ठोका, वो और पागल हो गई, आह्ह्ह ऐसे ही भैया। फिर वापस सीधा किया, उसकी टाँगें मोड़कर छाती से लगाईं और तेज-तेज धक्के मारे, आखिर दोनों झड़ गए, मैंने सारा गर्म माल उसकी चूत में छोड़ दिया, वो हाँफते हुए लेटी रही।

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थोड़ी देर बाद फिर से खड़ा हो गया, मैंने उसकी गांड करने की इच्छा जताई, पहले बहुत डरी लेकिन फिर मान गई। खूब थूक लगाया, उँगली से छेद ढीला किया, फिर लंड सटाया, धीरे-धीरे दबाव बढ़ाया, वो चीखी आह्ह्ह्ह फट गई गांड, मैंने पीछे से और जोर लगाया, पूरा लंड अंदर चला गया। पहले धीरे-धीरे हिलाया, फिर तेज, दस मिनट बाद वो भी मजा लेने लगी, आह्ह्ह गांड में भी इतना मजा आ रहा है भैया और तेज मारो, मैंने खूब मारा, गांड लाल कर दी, फिर से दोनों झड़ गए।

दो दिन तक वहीं रुका, हर रात चूत भी मारी और गांड भी, वो कहने लगी कि गांड मारने में चूत से भी ज्यादा मजा आता है। उसके बाद भी जब-जब मौका मिला, नेहा की खूब चुदाई की, दोनों ने भरपूर लुत्फ उठाया। धन्यवाद।

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