पापा से चुदकर सुकून मिला मुझे

Papa ki pari ki choot chudai: मैं रिशिता मंसूरी, 21 साल की एक हसीन, गोरी-चिट्टी लड़की, अपनी गर्म और जवां चूत को खोलकर आप सभी का अपनी इस कहानी में स्वागत करती हूँ। मेरा फिगर 34-28-36 है, मेरे काले, घने बाल कमर तक लहराते हैं, और मेरी बड़ी-बड़ी चमकती आँखें किसी का भी दिल चुरा लेती हैं। मेरे गुलाबी होंठ और चिकनी त्वचा हर मर्द को मेरे पीछे दीवाना बना देती है। आज मैं शादीशुदा हूँ, लेकिन मेरे ससुराल में कोई ऐसा मर्द नहीं जिसका लंड मैंने न चखा हो। पर ये कहानी उस वक्त की है जब मैं 19 साल की थी, जवानी की आग में जल रही थी, और मेरे जिस्म में हर वक्त एक सनसनी सी दौड़ती थी। मेरे पापा, रमेश, 42 साल के हैं, 5 फीट 10 इंच के गठीले मर्द, जिनके सीने पर हल्के बाल और मोटा, 8 इंच का लंड मेरी ज़िंदगी का पहला प्यार बनने वाला था। मेरी मम्मी, रीना, 38 साल की हैं, 36-30-38 के भरे-पूरे जिस्म वाली औरत, जिनके बड़े-बड़े चूचे और मटकती गांड देखकर कोई भी मर्द पागल हो जाए। ये कहानी मेरी ज़िंदगी का वो सच है जिसने मुझे लड़की से औरत बनाया।

बात उस वक्त की है जब मैं 19 साल की होने वाली थी। मेरी जवानी उफान पर थी, मेरे चूचे सख्त और गोल थे, गुलाबी निप्पल्स हर वक्त तने रहते थे। मेरी चूत चिकनी और गुलाबी थी, जिसे मैं हर रात उंगलियों से सहलाती थी। एक रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैंने एक हल्की गुलाबी रंग की साटन की नाइटी पहनी थी, बिना ब्रा और पैंटी के, क्योंकि मुझे अपने जिस्म की गर्मी को आज़ाद छोड़ना पसंद था। मैं किचन में पानी पीने गई। वापस आते वक्त मुझे मम्मी-पापा के बेडरूम से कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई दीं। “आह्ह… रमेश… और ज़ोर से…” मम्मी की सिसकारियाँ थीं। दरवाज़ा बंद था, तो मैंने उनके कमरे की खिड़की से झाँकने की कोशिश की। खिड़की का पर्दा हल्का सा खुला था, और अंदर का नज़ारा देखकर मेरी साँसें थम गईं।

मम्मी और पापा पूरी तरह नंगे थे। मम्मी बिस्तर पर लेटी थीं, उनकी टाँगें हवा में थीं, और पापा उनके ऊपर चढ़े थे। पापा का मोटा, 8 इंच का लंड, जिसका सुपारा गहरा गुलाबी और चमकदार था, मम्मी की चूत में ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर हो रहा था। धप्प-धप्प की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। मम्मी की चूत गीली थी, और उसमें से चिकना पानी लंड के साथ बाहर आ रहा था। “उफ्फ… रमेश… चोदो मुझे… और गहरा…” मम्मी सिसकार रही थीं। पापा के कूल्हे रिदम में हिल रहे थे, और उनका लंड मम्मी की चूत को चीरता हुआ अंदर जा रहा था। मैं ये सब देखकर पागल सी हो गई। मेरी चूत में अचानक गीलापन महसूस हुआ। मैंने अपनी नाइटी ऊपर की और देखा कि मेरी गुलाबी चूत से चिपचिपा, सफेद पानी टपक रहा था। उसकी खुशबू इतनी मादक थी कि मैं अपने आप को रोक न सकी।

मैं अपने कमरे में भागी, बिस्तर पर लेटी, और अपनी चूत को सहलाने लगी। मेरी उंगलियाँ मेरे दाने को रगड़ रही थीं, और मेरी आँखों के सामने पापा का वो मोटा लंड तैर रहा था। “आह्ह… उह्ह…” मैं सिसकारी, और कुछ ही देर में मेरा जिस्म अकड़ गया। मेरी चूत ने पानी की पिचकारी छोड़ दी, और मैं थककर बिस्तर पर पड़ी रही। उस रात मुझे इतना मज़ा आया कि मैंने तय कर लिया कि मैं रोज़ मम्मी-पापा की चुदाई देखूँगी। हर रात मैं चुपके से उनकी खिड़की के पास जाती। कभी मम्मी पापा के लंड को चूस रही होतीं, कभी पापा मम्मी की चूत को जीभ से चाट रहे होते। उनकी सिसकारियाँ, धप्प-धप्प की आवाज़, और लंड-चूत का खेल मेरी चूत में आग लगा देता था।

इसे भी पढ़ें  बहनों की चुत और भैया का मोटा हथियार – 3

जब मैं 19 साल की हुई, मैंने ठान लिया कि मुझे पापा का लंड चाहिए। मैं चाहती थी कि जिस तरह मम्मी चिल्ला-चिल्लाकर मज़े लेती हैं, मैं भी वैसा मज़ा लूँ। मैंने पापा को पटाने की योजना बनाई। मैं उनके पास ज़्यादा समय बिताने लगी। कभी उनकी गोद में बैठती, कभी जानबूझकर अपनी नाइटी ऊपर कर देती ताकि मेरी चिकनी टाँगें दिखें। एक दिन मैंने लाल रंग की टाइट फ्रॉक पहनी, बिना ब्रा और पैंटी के, और पापा की गोद में बैठ गई। उनकी जाँघों पर मेरा चूतड़ रगड़ रहा था, और मुझे उनके लंड की गर्मी महसूस हो रही थी। “उफ्फ… पापा…” मैं धीरे से सिसकारी। पापा ने मेरे चूचों को हल्के से दबाया और बोले, “मेरी परी, कितनी हसीन हो रही है तू।” मैं शरमाते हुए मुस्कुराई, लेकिन मेरी चूत गीली हो रही थी।

एक दिन मम्मी को उनके मायके जाना था क्योंकि उनकी बहन की शादी थी। पापा ने मुझे अपनी गोद में बिठाकर कहा, “परी, कल तेरी मम्मी दो हफ्तों के लिए जा रही हैं। फिर मैं तुझे वो मज़ा दूँगा जो तू चाहती है।” उनकी बात सुनकर मेरी चूत में करंट सा दौड़ गया। मैं रात को सो नहीं पाई। मैंने सोचा क्यों ना मम्मी-पापा की चुदाई देख लूँ। मैंने पहले ही पापा से कह रखा था कि वो खिड़की खुली रखें ताकि मैं देख सकूँ। उस रात मैं खिड़की के पास गई। मम्मी एक काले रंग की कुर्सी पर बैठी थीं, उनकी साड़ी कमर तक ऊपर थी, और उनकी टाँगें खुली थीं। पापा नीचे बैठकर उनकी चूत को जीभ से चाट रहे थे। मम्मी की चूत गीली थी, और उनका दाना सख्त होकर बाहर निकल आया था। “आह्ह… रमेश… और चाटो… मेरी चूत को खा जाओ…” मम्मी सिसकार रही थीं। पापा ने अपनी जीभ को चूत के अंदर-बाहर किया, फिर खड़े हुए और अपना लंड मम्मी की चूत पर सेट किया। एक ज़ोरदार धक्के में पूरा लंड अंदर पेल दिया। “आह्ह… मार डाला… रमेश…” मम्मी चीखीं। धप्प-धप्प की आवाज़ गूँज रही थी। पापा ने मम्मी को 20 मिनट तक चोदा, फिर लंड बाहर निकाला और हिलाने लगे। उनके लंड से गर्म पिचकारी निकली जो मम्मी के पेट से होती हुई उनके मुँह तक गई। मम्मी ने लंड को चाटकर साफ किया। मैं बाहर खड़ी अपनी चूत को मसल रही थी, और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया।

सुबह जब मैं उठी, मैंने वही गुलाबी साटन की नाइटी पहनी थी। पापा मेरे बिस्तर पर थे। वो मेरे चूचों को दबा रहे थे, और उनका लंड मेरी चूत से टच हो रहा था। वो मेरे होंठ चूस रहे थे। मैंने आँखें खोलीं और कहा, “गुड मॉर्निंग, पापा। आई लव यू।” पापा बोले, “गुड मॉर्निंग, मेरी परी। आज मैं तुझे लड़की से औरत बनाऊँगा। बस मम्मी को छोड़कर आता हूँ, फिर रात को देख, क्या धमाल होगा।” उनकी बात सुनकर मेरी चूत लंड के लिए तड़पने लगी।

जब पापा मम्मी को छोड़ने गए, मैंने फिर खिड़की से देखा। मम्मी नीचे बैठकर पापा का लंड चूस रही थीं। उनका मुँह लंड के सुपारे पर ऊपर-नीचे हो रहा था। “उम्म… रमेश… कितना मोटा है तेरा लंड…” मम्मी बोलीं। पापा ने लंड बाहर निकाला, और मम्मी ने मुँह खोलकर उनका सारा पानी पी लिया। फिर वो लंड को चाटकर साफ करके चली गईं।

इसे भी पढ़ें  बीवी को मिला नया आशिक़

अब मैं घर में अकेली थी। मैंने नहाकर एक हल्की नीली फ्रॉक पहनी, बिना ब्रा और पैंटी के। मेरे चूचे फ्रॉक में सख्त दिख रहे थे, और मेरी चूत पापा के लंड के लिए तरस रही थी। मैं सोफे पर बैठकर अपनी चूत को रगड़ रही थी, पापा के लंड के बारे में सोच रही थी। तभी डोरबेल बजी। मैंने सोचा पापा आए होंगे। मैंने जल्दी से नीली निकर डाली और दरवाज़ा खोला। लेकिन सामने मिंटू खड़ा था, वो मोहल्ले का 22 साल का लड़का, 5 फीट 8 इंच का, जिसके पीछे वो मेरी चूत के लिए दीवाना था। वो बोला, “कैसी है, मेरी जान? तेरे मम्मी-पापा को जाते देख लिया। आज तू अकेली है।” मैंने कहा, “पापा थोड़ी देर में आएँगे। तू जा यहाँ से।” लेकिन मिंटू ने दरवाज़ा बंद कर लिया और मुझे अपनी बाहों में कस लिया।

वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे होंठों पर थी, और उसका हाथ मेरी फ्रॉक के ऊपर से मेरे चूचों को दबा रहा था। “उफ्फ… मिंटू… धीरे…” मैं सिसकारी। मैंने सोचा, पापा से पहले इससे चुदकर प्रैक्टिस कर लेती हूँ। मैंने भी उसे चूमना शुरू किया। उसका हाथ मेरी फ्रॉक के नीचे गया, और वो बोला, “साली, पैंटी तो पहनी ही नहीं। तेरी चूत तो बिल्कुल भट्टी की तरह गर्म है।” मैंने कहा, “साले हरामी, अब जल्दी चोद, पापा आ जाएँगे।” मिंटू बोला, “पहले मेरा लंड चूस, साली।” मैंने मना किया, लेकिन उसने कहा, “चूस ले, नहीं तो लंड मुश्किल से जाएगा।” मैं नीचे बैठी और उसका 4 इंच का लंड चूसने लगी। उसका सुपारा छोटा और गुलाबी था, और मैं उसे आसानी से चूस रही थी। “उम्म… रिशिता… तू तो रंडी की तरह चूस रही है…” मिंटू बोला।

फिर उसने मुझे सोफे पर लिटाया, मेरी फ्रॉक ऊपर की, और मेरी एक टाँग उठाई। उसने अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और एक धक्के में अंदर पेल दिया। “आह्ह…” मुझे हल्का सा दर्द हुआ। उसका लंड छोटा था, लेकिन चुदाई का मज़ा मुझे समझ आ गया। वो ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा, और मैं आँखें बंद करके मज़े लेने लगी। “उफ्फ… मिंटू… और ज़ोर से…” मैं सिसकारी। फिर उसने मुझे सीधा बिठाया, मेरी दोनों टाँगें ऊपर उठाईं, और फिर से चोदने लगा। इस बार उसका लंड थोड़ा गहरा गया, और मुझे दर्द होने लगा। “आह्ह… धीरे… मर गई…” मैं चीखी। लेकिन वो मस्ती में चोदता रहा। “साली, तेरी चूत कितनी टाइट है…” वो बोला। एक मिनट बाद उसने मेरी चूत में पानी छोड़ दिया और चला गया।

मैंने अपनी फ्रॉक ठीक की और पापा का इंतज़ार करने लगी। मिंटू की चुदाई ने मुझे चुदने का तरीका सिखा दिया, लेकिन उस छोटे लंड ने मेरी चूत में आग और बढ़ा दी। मैं सोच रही थी कि पापा का मोटा लंड कितना मज़ा देगा। तभी पापा आए। मुझे नीली फ्रॉक में देखकर वो पागल हो गए। वो मेरे पास आए, मेरे चूचे दबाए, और बोले, “चल, मेरी बेटी, अब तुझे जवानी का मज़ा देता हूँ।” मैंने भोली बनकर कहा, “पापा, रात की तो बात थी ना?” वो बोले, “जब मम्मी नहीं होती, दिन में भी रात होती है। जाओ, मम्मी के रूम से क्रीम लाओ।”

इसे भी पढ़ें  सेक्स की कहानियाँ पढ़ा कर टीचर ने चोदा - भाग 3

मैं क्रीम लेकर आई और टेबल पर रख दी। पापा ने मुझे कुर्सी पर बिठाया और मेरे पीछे आकर मेरे चूचे मसलने लगे। “उफ्फ… पापा…” मैं सिसकारी। उन्होंने मेरी फ्रॉक के बटन खोले और मेरे नंगे चूचों को सहलाने लगे। मेरी गुलाबी निप्पल्स सख्त हो गई थीं। “पापा, मज़ा आ रहा है…” मैंने कहा। वो बोले, “ये तो कुछ भी नहीं, मेरी परी। आज तुझे रंडी बना दूँगा।” फिर उन्होंने मेरी फ्रॉक पूरी तरह उतार दी। मेरे चूचे हवा में तन गए। पापा ने मेरे चूचों को चूसना शुरू किया, उनकी जीभ मेरी निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी। “आह्ह… पापा… और चूसो…” मैं सिसकारी।

फिर उन्होंने मुझे पूरी नंगी कर दिया। मैंने अपनी टाँगें उठाईं, और पापा मेरी चूत को चूमने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने पर लगी, और मैं “आह्ह… उह्ह…” सिसकारने लगी। मेरी चूत गीली हो गई थी। पापा ने मेरी चूत में उंगली डाली और बोले, “बेटी, ये क्या? तू पहले किसी से चुद गई?” मैं डर गई, लेकिन भोली बनकर बोली, “नहीं पापा, ये अपने आप निकल रहा है।” वो हँसे और अपने कपड़े उतार दिए। उनका 8 इंच का लंड मेरे सामने था, सुपारा गहरा गुलाबी और चमकदार। मैं डर गई और बोली, “पापा, ये तो बहुत बड़ा है। मैं कैसे लूँगी?” वो बोले, “बेटी, चूत में हर लंड समा जाता है। चल, इसे चूस।”

मैंने उनका लंड मुँह में लिया। वो इतना मोटा था कि मेरा मुँह पूरा नहीं खुल रहा था। मैं 20 मिनट तक चूसती रही, और मेरी चूत गीली होती गई। “उम्म… पापा… आपका लंड कितना मोटा है…” मैं बोली। फिर पापा ने मुझे सोफे पर लिटाया, मेरी दोनों टाँगें उठाईं, और लंड मेरी चूत पर सेट किया। “लंबी साँस ले, बेटी,” वो बोले। फिर एक ज़ोरदार धक्के में आधा लंड अंदर पेल दिया। “आह्ह… पापा… मर गई…” मैं चीखी। वो रुके नहीं और धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर डाल दिया। धप्प-धप्प की आवाज़ गूँज रही थी। “उफ्फ… पापा… और ज़ोर से…” मैं सिसकारी। पापा ने मुझे 30 मिनट तक चोदा, फिर मुझे कुर्सी पर बिठाया और पीछे से लंड डाला। “आह्ह… पापा… ये तो बहुत गहरा जा रहा है…” मैं चिल्लाई। वो बोले, “बेटी, तेरी चूत तो रंडी की तरह टाइट है।” उनकी गंदी बातें मुझे और गर्म कर रही थीं। फिर उन्होंने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और पीछे से चोदा। मेरी चूत में मिंटू का पानी और खून निकल रहा था। आखिरकार पापा ने मेरी चूत में पानी छोड़ दिया, और हम दोनों थककर सो गए।

पूरी रात पापा ने मुझे अलग-अलग पोज़ में चोदा। कभी कुत्तिया बनाकर, कभी गोद में उठाकर। उनकी हर धक्के के साथ मेरी चूत मजे में चिल्ला रही थी। जब मम्मी वापस आईं, पापा रात को पहले मम्मी को चोदते, फिर मेरे रूम में आकर मुझे चोदते। मैं उनकी परी बन गई, जिसे वो दिल भरकर चोदते थे।

Related Posts

Leave a Comment