Bhai Behan sex – Maa Beta Chudai Sex Story: ये कहानी है रवि और बिल्ला की, दो जवान भाइयों की, जो एक छोटे से गाँव में रहते हैं। दोनों आवारा किस्म के लड़के हैं, लेकिन उनके कसरती बदन और दस इंच के काले, मोटे, तगड़े लंड की बात गाँव में मशहूर है। जिस औरत की नजर इनके लंड पर पड़ जाए, उसकी चूत और मुँह में पानी आ जाए। रवि, 25 साल का, लंबा, चौड़ा सीना, काली घनी मूछों वाला, ऐसा लगता था जैसे जंगल का शेर। उसकी कलाइयों में मोटी नसें उभरी रहती थीं, और जब वो अपनी लुंगी में चलता, तो उसका काला लंड लुंगी के ऊपर से साफ झलकता। बिल्ला, 23 साल का, थोड़ा छोटा लेकिन ताकत में किसी से कम नहीं। उसकी आँखों में शरारती चमक और चेहरे पर हमेशा एक चालाक मुस्कान रहती थी, जैसे वो हर वक्त कोई नया शिकार ढूंढ रहा हो। दोनों भाई गाँव की औरतों को देखकर गंदी बातें करते और अपनी लुंगी के ऊपर से अपने लंड को मसलते रहते।
इनके घर के ठीक सामने एक हैंडपंप था, जिसे कई साल पहले इनके बाप मनोहर और काका किशन लाल (सुधिया का पति) ने मिलकर लगवाया था। भले ही दोनों परिवारों में लड़ाई हो गई थी, लेकिन दोनों घर की औरतें उसी हैंडपंप से पानी भरती थीं और खुलेआम वहीं नहाती भी थीं। आसपास की कुछ औरतें, जो सुधिया या कमला से दोस्ती रखती थीं, भी वहां नहाने आतीं। गाँव में औरतें ज्यादातर लहंगा-चोली पहनती थीं, और पैंटी-ब्रा तो गाँव की संस्कृति में थी ही नहीं। रवि और बिल्ला सुबह-सुबह अपने घर के सामने लुंगी पहनकर कुर्सी डालकर बैठ जाते। वहां से वो नदी की ओर जाती औरतों या हैंडपंप पर नहाती औरतों को घूरते, चूत-लंड की गंदी बातें करते, और लुंगी के ऊपर से अपने मोटे लंड को मसलते रहते। दोपहर होते ही वो अपनी माँ कमला के साथ जंगल चले जाते, लकड़ियाँ काटने। शाम को लौटकर फिर वही घर के सामने कुर्सी डालकर बैठ जाते। रात होने पर दोनों भाई पुलिया पर जाकर दारू पीते, और जब रात के सन्नाटे में खाना खाने की आवाज आती, तो घर की ओर चल पड़ते। बस यही उनकी जिंदगी का ढर्रा था।
एक सुबह, दोनों भाई घर के बाहर कुर्सी पर बैठे थे। बिल्ला ने रवि की ओर देखते हुए कहा, “यार रवि, देख ना, संध्या भाभी लाल घाघरे-चोली में क्या मस्त लग रही है!” रवि ने अपनी लुंगी के ऊपर से लंड मसलते हुए जवाब दिया, “हाँ बिल्ला, इसकी चूत भी उतनी ही लाल और रसीली होगी। उसका पति मदन तो शहर में लंड पकड़ता रहता है, और ये बेचारी यहाँ लंड के लिए तरस रही है।” बिल्ला ने हंसते हुए कहा, “यार, अगर इसकी चूत को हमारा काला लंड मिल जाए, तो इसका भी काम बन जाए और हमारा भी। ये तो हमें दुआएं देगी कि कोई तो इसकी चूत की प्यास बुझाने वाला मिला!” संध्या हैंडपंप के पास पानी भरने आई। उसने अपना घाघरा नाभि से काफी नीचे बांधा था, जिससे उसका चिकना पेट और गहरी नाभि साफ दिख रही थी। उसकी मोटी-मोटी चूचियां चोली में उभरी हुई थीं, जैसे अब फटकर बाहर आ जाएंगी। हैंडपंप से कुर्सी की दूरी करीब 20 मीटर थी, फिर भी दोनों भाइयों की नजरें संध्या के गदराए बदन पर टिकी थीं।
रवि ने बिल्ला से कहा, “यार, इसको एक बार अपना काला, मोटा लंड दिखा दूं क्या? साली पानी भरते-भरते पानी-पानी हो जाएगी।” बिल्ला ने हंसते हुए जवाब दिया, “देख, जब ये हैंडपंप चलाती है, तो इसकी चूचियां कैसे ऊपर-नीचे उछलती हैं! अगर इसे बता दें कि जिस हैंडपंप के डंडे को ये पकड़ रही है, वो हमारे लंड जितना ही मोटा है, तो डर के मारे डंडा छोड़ देगी और फिर कभी पानी भरने नहीं आएगी!” रवि हंस पड़ा, “हा हा, तू ठीक कहता है, बिल्ला। इतना मोटा डंडा तो बस सुधिया काकी ही पकड़ सकती है, पर वो भोसड़ी की कहीं गाँड मरवाने गई होगी, दिख ही नहीं रही!” तभी संध्या अपनी बाल्टी लेकर अपने आँगन में चली गई।
उसी वक्त सुधिया काकी, जो 50 साल की थी, अपने मोटे-मोटे चूतड़ मटकाती हुई बाहर बरामदे में झाड़ू लगाने आई। उसके चूतड़ इतने बड़े और गोल थे कि दोनों भाइयों के लंड लुंगी में जhatke मारने लगे। बिल्ला ने रवि से कहा, “हाय रवि, क्या मस्त गाँड है इसकी! एक बार इस घोड़ी की गाँड मिल जाए, तो साली की गाँड मार-मारकर लाल कर देंगे!” सुधिया काकी ने उनकी ओर मुँह करके झाड़ू लगाना शुरू किया, जिससे उसकी मोटी-मोटी चूचियां, जो चोली से आधी बाहर लटक रही थीं, और उसका चर्बी वाला उभरा हुआ पेट और गहरी नाभि साफ दिखने लगी। दोनों भाइयों के हाथ अपने लंड पर और तेजी से चलने लगे। बिल्ला ने कहा, “यार रवि, ये नंगी कितनी मस्त लगेगी! मेरा तो सोच-सोचकर पानी निकलने को हो रहा है!” रवि ने जवाब दिया, “चिंता मत कर, थोड़ी देर में भोसड़ी की नहाने आएगी, तब आधी नंगी तो होगी ही!” दोनों चुपके से अपने लंड मसलने लगे।
थोड़ी देर बाद सुधिया काकी अपनी चोली और घाघरा लेकर हैंडपंप पर आ गई। उसने अपना घाघरा घुटनों के ऊपर चढ़ाया और कपड़े धोने बैठ गई। उसकी गदराई पिंडलियां और मोटी, गोरी जांघें देखकर दोनों भाइयों के मुँह में पानी आ गया। जब सुधिया कपड़ों को ब्रश से घिसती, तो उसकी पपीते जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां तेजी से ऊपर-नीचे हिलतीं। रवि ने बिल्ला से कहा, “मादरचोद, 50 साल की है, लेकिन इसका गदराया बदन देखकर लंड लुंगी फाड़कर बाहर आने को तैयार है!” तभी सुधिया ने अपनी चोली के हुक खोलने शुरू किए। उसने दोनों हाथ ऊपर उठाकर चोली उतारी, और उसकी बालों से भरी बगलें और पहाड़ जैसे मोटे-मोटे दूध दोनों भाइयों के सामने आ गए। दोनों भाई एक साथ चिल्लाए, “आह्ह, मजा आ गया!” सुधिया ने पलथी मारकर बैठते हुए अपने गदराए पेट, गहरी नाभि, और मोटी चूचियों को और उभारा। वो इतनी मस्त लग रही थी कि अगर कोई बेटा भी अपनी माँ को ऐसी हालत में देख ले, तो उसका मन उसे नंगा करके चोदने को करे। रवि और बिल्ला का हाल भी कुछ ऐसा ही था। उनके मोटे लंड से हल्की-हल्की पानी की बूंदें टपकने लगी थीं।
सुधिया ने दो-चार मग पानी अपने नंगे बदन पर डाला और साबुन से अपनी चूचियां और पेट रगड़ने लगी। जब वो अपनी मोटी चूचियों पर साबुन लगाती, तो वो इतनी बड़ी थीं कि उसके हाथों में समाती ही नहीं थीं। साबुन की रगड़ से उसकी चूचियां इधर-उधर छटक जातीं। फिर उसने अपने उभरे हुए पेट पर साबुन लगाना शुरू किया। रवि ने कहा, “ये भोसड़ी की अपने पेट को ऐसे सहला रही है, जैसे कह रही हो, ‘आ, मेरी चूत में लंड डालकर मेरा पेट और उभार दे!’” बिल्ला ने जवाब दिया, “हाय रवि, क्या मस्त घोड़ी है! मेरा तो पानी छूटने की कगार पर है!” तभी सुधिया ने एक टांग लंबी करके अपना घाघरा जांघ की जड़ तक चढ़ा लिया। उसकी जांघें इतनी मोटी और गोरी थीं कि कसी हुई लग रही थीं। बिल्ला ने कहा, “इतनी मोटी जांघें तो दो हाथों में भी न समाएं! फिर इसके चूतड़ पकड़ने के लिए कितने हाथ चाहिए होंगे?” रवि ने हंसते हुए कहा, “यार, औरत की उम्र ढल जाती है, पर उसकी गाँड और जांघों की चिकनाहट वैसी ही रहती है। क्या मस्त चोदने लायक माल है! इसकी चूत और गाँड को तो हमारे जैसे मोटे काले लंड ही मस्त कर सकते हैं!”
सुधिया ने एक जांघ पर साबुन लगाया, फिर दूसरी जांघ को मोड़कर उस पर भी साबुन लगाने लगी। अब वो ऊपर से लेकर पेट और कमर तक नंगी थी, और उसका घाघरा उसकी चूत और जांघों की जड़ तक सिमट गया था। वो अपनी दोनों जांघें फैलाकर अपनी एड़ियों को पत्थर से घिस रही थी। रवि ने कहा, “देख बिल्ला, ऐसी जांघें फैलाकर बैठी है, जैसे कह रही हो, ‘आ, मेरे भोसड़े में घुस जा!’” तभी सुधिया दोनों पैरों के बल बैठकर एक बाल्टी पानी अपने सिर पर डालकर खड़ी हो गई। उसका घाघरा गीला होकर उसकी गाँड से चिपक गया, और गाँड की दरार में फंस गया। उसकी मोटी गाँड साफ झलक रही थी, जैसे दो बड़े-बड़े तरबूज थोड़े गैप में रखे हों। रवि ने अपना लंड मसलते हुए कहा, “यार, जाकर अपना लंड इसकी गाँड में फंसा दूं क्या?” बिल्ला ने जवाब दिया, “हाय रे, क्या चूतड़ हैं! ये तो हमारी जान लेने पर तुली है!”
रवि ने कहा, “यार बिल्ला, हमने इसे हर बार आधी नंगी नहाते देखा, पर इसका भोसड़ा और मोटी गाँड नंगी कभी नहीं देखी। कुछ चक्कर चलाकर इसकी गाँड और उसका छेद देखने का बड़ा मन कर रहा है।” बिल्ला ने जवाब दिया, “यार, मेरे दिमाग में एक आइडिया है। ये रोज पुलिया के पीछे खेत में सैंडास करने जाती है। वहां आसपास ढेर सारे पेड़ हैं। कल हम वहां छुपकर इसकी गाँड देखेंगे।” रवि ने कहा, “ठीक है, कल इसकी गाँड का पूरा मजा लेंगे और वहीं मुठ मारेंगे!” गाँव में औरतें अक्सर अपनी चोली खोलकर हैंडपंप पर नहा लेती थीं। सुधिया ने अब मग से पानी अपने ऊपर डालना शुरू किया, फिर अपना घाघरा ढीला करके एक-दो मग पानी अपनी चूत के ऊपर भी डाला। तभी गाँव की दो-चार और औरतें आ गईं और वो भी कपड़े धोने और चोली उतारकर नहाने लगीं। उनके दूध और गाँड का मजा लेकर जब हैंडपंप पर कोई नहीं बचा, तो बिल्ला ने कहा, “अब लंड हिला लें क्या?” रवि ने जवाब दिया, “नहीं यार, जब तक माँ को नंगी नहीं देख लेते, तब तक हमारा माल निकलता ही कहां है!” दोनों ने अपनी गर्दन घुमाकर अपने घर के आँगन की ओर देखा।
कमला, उनकी माँ, आँगन में झाड़ू मार रही थी। कमला, 45 साल की, गदराई औरत थी, जिसके मोटे-मोटे चूतड़ पूरे गाँव में बेमिसाल थे। उसके चूतड़ इतने बड़े और गोल थे कि लहंगे में भी साफ उभरकर दिखते। उसकी जांघें केले के तनों जैसी मोटी और चिकनी थीं, और जब वो झुककर झाड़ू मारती, तो उसके चूतड़ और भी ज्यादा बाहर निकल आते। बिल्ला ने कहा, “यार रवि, माँ की गाँड जैसी गाँड इस दुनिया में कहीं नहीं होगी। इन चूतड़ों को देखकर तो लगता है, मेरा लंड फट जाएगा!” रवि ने जवाब दिया, “हाँ यार, मुझे तो लगता है, अभी जाकर माँ का घाघरा उठाकर अपना मोटा लंड इसकी गाँड में फंसा दूं!” दोनों भाई अपनी माँ की गाँड देखकर पागल हो रहे थे। रवि ने कहा, “यार, अगर माँ नंगी हमारे सामने आ जाए, तो इसे दिन-रात चोदते रहें!” बिल्ला ने जवाब दिया, “हाँ रवि, माँ नंगी कैसी लगेगी, सोच! मैं तो इसे पूरी नंगी देखने के लिए मरा जा रहा हूँ!”
तभी कमला झाड़ू मारकर सीधी हुई और उसका उभरा हुआ पेट दोनों भाइयों के सामने आ गया। उसने अपना घाघरा अपनी चूत से बस दो इंच ऊपर बांधा था। उसका पेट चर्बी से इतना उभरा हुआ था कि देखकर अच्छे-अच्छे तपस्वियों का लंड टपकने लगे। उसकी नाभि इतनी बड़ी और गहरी थी कि किसी जवान लंड का टोपा उसमें फिट हो जाए। रवि ने कहा, “देख बिल्ला, माँ का पेट कितना गदराया है! लगता है, जैसे छह महीने की गर्भवती हो!” बिल्ला ने जवाब दिया, “सोच रवि, जब इसका पेट और नाभि इतने मस्त हैं, तो इसकी चूत कितनी फूली और बड़ी होगी!” रवि ने कहा, “और माँ के दूध! एक-एक दूध पांच-पांच किलो का होगा। और निप्पल कितने बड़े और तने हुए हैं!”
पिछली बार जब उन्होंने कमला को हैंडपंप पर नहाते देखा था, तो उसके मोटे दूध और निप्पल देखकर दोनों का मन हुआ था कि एक-एक दूध को दोनों हाथों से पकड़कर दबाएं, फिर भी वो उनके हाथों में न समाए। बिल्ला ने कहा, “यार, इसके निप्पल तो बड़े-बड़े बेर जैसे हैं। अब भी इसके दूध में कितना रस भरा होगा!” रवि ने जवाब दिया, “जब माँ कल नहा रही थी, तो इसकी जांघें देखकर मेरा मुँह लार टपकाने लगा। ऐसी मोटी, गोरी जांघों को हाथों से मसलने में कितना मजा आएगा!” बिल्ला ने कहा, “चिंता मत कर, आज फिर इसका नहाने का टाइम हो रहा है। आज फिर इसके गदराए बदन को देखकर लुंगी में ही पानी छोड़ देंगे!” रवि ने कहा, “यार, मुझे तो याद नहीं, कितनी बार माँ की मस्त जवानी देखकर मुठ मारी होगी। माँ की फूली चूत और मोटी गाँड की खुशबू कैसी होगी! मैं तो इसे नंगी करके चढ़ने के लिए मर रहा हूँ!” दोनों भाइयों के लंड अपनी माँ की गदराई जवानी देखकर लार टपका रहे थे।
तभी कमला कुछ कपड़े लेकर हैंडपंप की ओर आई और बोली, “क्यों रे, तुम दोनों नहीं नहाओगे? चलो, जल्दी नहा लो, फिर हमें जंगल भी जाना है।” वो हैंडपंप के पास बैठकर कपड़े धोने लगी। रवि और बिल्ला के लंड खड़े थे। दोनों सोच रहे थे कि लुंगी उतारकर सिर्फ कच्छे में कैसे जाएं, उनका लंड तो तना हुआ है। रवि ने बिल्ला से कहा, “चल, आज माँ को अपने मोटे लंड के दर्शन करवा देते हैं। शायद इसकी फूली चूत भी हमारे काले डंडे देखकर फड़कने लगे। अगर ये हमसे चुदवा ले, तो घर में ही मोटी गाँड और चूत का जुगार हो जाएगा।” दोनों भाई अपनी जगह से उठे और हैंडपंप के पास जाकर पानी भरने लगे। कमला ने कपड़े धो लिए और बोली, “लाओ, तुम्हारी बनियान और लुंगी भी दे दो, धो देती हूँ।” दोनों ने अपनी बनियान और लुंगी उतार दी। उनका लंड अब थोड़ा ढीला पड़ चुका था।
कमला ने उनकी लुंगी और बनियान धो दी और बोली, “अब खड़े क्या हो, जल्दी नहा लो!” फिर उसने अपनी चोली के हुक खोलने शुरू किए। जैसे ही उसने दोनों हाथ उठाकर चोली उतारी, उसके मोटे-मोटे पपीते जैसे दूध बाहर उछल पड़े। उसका गदराया पेट और गहरी नाभि देखकर दोनों भाइयों का लंड फिर से खड़ा हो गया। कमला की नजर अपने बेटों के मोटे, लंबे लंड पर पड़ी, और उसका मुँह खुला रह गया। दोनों भाई अपनी नंगी माँ को देखकर अपने लंड को खड़ा होने से रोक न सके। उनके लंड पूरे शबाब पर थे और जhatke मार रहे थे। कमला एकटक उनके लंड को देख रही थी। दोनों भाई जल्दी से पलथी मारकर बैठ गए और अपनी माँ की मोटी चूचियों और उभरे पेट को देखने लगे। कमला का चेहरा उनके मोटे लंड देखकर लाल हो गया था। उसे अहसास हुआ कि उसके बेटे उसके गदराए बदन को घूर रहे हैं। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।
कमला को चुदे हुए जमाना बीत गया था। मनोहर लाल अपनी जवानी में ही शराब के चक्कर में पड़ गया था। उसने कमला की जवानी को सुलगाकर छोड़ दिया था। कमला अपनी फूली चूत की प्यास को मन में दबाकर जी रही थी। लेकिन आज, अपने हट्टे-कट्टे बेटों के मोटे, झूलते लंड देखकर उसकी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। वो अपना संयम खोने लगी थी। उसका हाथ अनजाने में अपनी चूत को घाघरे के ऊपर से खुरेदने चला गया। दोनों भाई उसकी इस हरकत को देखकर उसके मन की हालत समझ गए। उनके लंड कच्छे में तंबू की तरह तने हुए थे। वो बिना कमला की परवाह किए अपने शरीर पर साबुन मलते हुए अपनी माँ की मोटी चूचियों को देखकर मजा ले रहे थे। कमला की नजरें बार-बार उनके लंड पर टिक रही थीं।
वो खुद को रोक न सकी और अपने गदराए बदन पर पानी डालकर अपनी चूचियों पर साबुन लगाने लगी। वो अपनी चूचियों को कसकर रगड़ रही थी और कहने लगी, “सारा दिन झाड़ू-पोंछा करके कितना मैल जम जाता है!” उसने अपने हाथ उठाकर अपनी बालों से भरी बगलें सहलाईं। रवि और बिल्ला ने अपनी माँ की बगलें देखीं, तो उनके लंड जhatke मारने लगे। दोनों साबुन लगाते-लगाते बीच-बीच में अपने लंड को भी मसल लेते थे, जो कमला की चूत से पानी बहाने के लिए काफी था।
कमला ने अपनी दोनों जांघें थोड़ी फैलाईं और घाघरा घुटनों की जड़ तक चढ़ाकर अपनी गोरी पिंडलियों और गदराई जांघों पर साबुन लगाने लगी। दोनों भाइयों का मन कर रहा था कि अपनी माँ को यहीं लिटाकर उसके नंगे बदन पर चढ़ जाएं और चोद डालें। कमला बीच-बीच में अपने घाघरे को, जो उसकी चूत के पास सिमट गया था, अपनी चूत पर दबाकर अपनी जांघें दिखा-दिखाकर रगड़ रही थी। फिर उसने कहा, “अरे बिल्ला, जरा मेरी पीठ तो रगड़ दे!” बिल्ला बोला, “अच्छा माँ,” और खड़ा हो गया। उसका मोटा लंड उसकी माँ के सामने तन गया। कमला उसे देखकर सिहर गई, और उसकी चूत से पानी बहने लगा। बिल्ला जल्दी से अपनी माँ की नंगी पीठ के पीछे अपने पैरों के पंजों पर बैठ गया और उसकी गोरी, गदराई पीठ को बड़े प्यार से सहलाने लगा।
कमला बोली, “अरे बेटा, थोड़ा जोर से रगड़, पीठ पर बड़ा मैल जमता है!” बिल्ला अपनी माँ की पीठ से पूरी तरह चिपक गया और जोर-जोर से उसकी गदराई पीठ पर हाथ फेरने लगा। उसका खड़ा लंड उसकी माँ की कमर पर चुभने लगा। अपने बेटे के मोटे लंड की चुभन महसूस करते ही कमला का हाथ अपने बस में न रहा। उसने अपने पंजों से अपनी चूत को दबोच लिया। बिल्ला अपनी माँ की पीठ रगड़ते हुए उसकी बगलों तक हाथ ले जाने की कोशिश करने लगा। कमला ने अपने हाथ थोड़े फैलाए, जिससे बिल्ला उसकी उभरी चूचियों को साइड से महसूस करने लगा। कुछ देर पीठ रगड़ने के बाद कमला बोली, “चल, अब जल्दी नहा लो, फिर जंगल जाना है!” वो खड़ी होकर अपना नाड़ा खोलने लगी। उसने मग से पानी भरकर अपने बेटों के सामने अपने घाघरे के अंदर दो मग पानी डाला और घाघरे के ऊपर से अपनी चूत को दो-तीन बार मसला। फिर दूसरा घाघरा उठाकर अपने सिर से डाल लिया और भीगा घाघरा उतार दिया।
दोनों भाई नीचे बैठे थे, तो उन्हें दो सेकंड के लिए अपनी माँ की कमर से लेकर पैरों तक पूरी नंगी चूत और मोटी जांघें दिख गईं। उसकी गदराई जवानी और फूली हुई चूत देखकर उनके लंड जhatke मारने लगे। कमला ने उनके चेहरों को देखकर हल्के से मुस्कुराया और कपड़े उठाने के लिए झुकी। उसकी मोटी गाँड उनके मुँह से सिर्फ चार इंच दूर थी। दोनों फटी-फटी आँखों से उसे देख रहे थे। तभी कमला ने अपना हाथ अपनी गाँड के पीछे ले जाकर अपनी गुदा को अपनी चारों उंगलियों से रगड़ा, जैसे गीली गाँड का पानी पोंछ रही हो। फिर कपड़े उठाकर खड़ी हो गई और अपने घर के दरवाजे की ओर चल दी। उसका घाघरा उसकी गाँड की दरार में फंस गया, और वो अपने मोटे-मोटे चूतड़ मटकाती हुई चली गई। दोनों भाइयों का हाल बेहाल हो चुका था। वो अपनी माँ के मटकते चूतड़ और उसमें फंसे घाघरे को देखकर बर्दाश्त न कर सके और अपने लंड हिलाने लगे। कमला के घर के अंदर जाने तक दोनों उसकी गाँड देखते रहे और तेजी से मुठ मारकर अपना पानी छोड़ दिया। दोनों ने एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “यार, आज तो मजा आ गया!” फिर नहाकर, लुंगी पहनकर, कुल्हाड़ी और रस्सी लेकर अपनी माँ के साथ जंगल की ओर चल पड़े।
जंगल जाते वक्त कमला आगे-आगे अपने भारी-भरकम चूतड़ मटकाती चल रही थी। रवि और बिल्ला पीछे-पीछे उसकी गाँड पर नजरें गड़ाए चल रहे थे। उनके लंड लुंगी में तने हुए साफ दिख रहे थे। कमला उनके ठीक आगे थी, तो वो चुप थे, लेकिन उनकी नजरें अपनी माँ की मटकती गाँड पर थीं। वो मंद-मंद मुस्कुराते हुए एक-दूसरे से आँखों-आँखों में बात कर रहे थे। वो कमला की गाँड में इतने खोए थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कमला ने पीछे मुड़कर उनकी नजरें देख ली थीं। उसने उनके तने हुए लंड भी देख लिए थे। सुबह अपने बेटों के लंड देखने के बाद से कमला की चूत एक तगड़े लंड के लिए तड़प रही थी। उसे अपने बेटों की नजरों से अपनी गाँड देखे जाने में अजीब सा मजा आ रहा था। वो जानबूझकर अपनी गाँड को और मटकाने लगी। उसकी इस मटकन को देखकर दोनों भाई रस से भरने लगे। उन्हें अपनी माँ घाघरे में भी नंगी नजर आ रही थी। वो चलते-चलते अपने लंड को मसल रहे थे।
कमला बीच-बीच में अपनी गाँड में खujli करती, जिसे देखकर रवि और बिल्ला को लगा कि वो अभी अपनी माँ को नंगी करके यहीं चोद डालें। कमला की मटकती गाँड और उसकी खujli देखकर वो पागल हो रहे थे। जब वो लोग गाँव की पुलिया पार करके आम के बगीचे में पहुंचे, तो कमला जानबूझकर नीचे गिरे आम उठाने के लिए झुकी। उसने अपनी मोटी गाँड अपने बेटों को दिखा-दिखाकर मजा लिया। बगीचा पार करते ही जंगल शुरू हुआ। तभी कमला के पैर में कांटा चुभ गया। वो “आह्ह… आह्ह…” करती हुई झुककर कांटा निकालने लगी। दोनों भाई ऐसे मौके की तलाश में रहते थे। वो झट से अपनी माँ की गाँड पर हाथ फेरते हुए बोले, “क्या हुआ माँ?” कमला बोली, “कुछ नहीं बेटा, बस कांटा चुभ गया।” वो झुकी हुई कांटा निकाल रही थी, और दोनों भाई उसकी गाँड को प्यार से सहला रहे थे। घाघरा पतला होने की वजह से बिल्ला ने बड़े प्यार से उसकी फूली चूत को अपने पूरे पंजे से सहलाते हुए कहा, “निकला माँ?” कमला सिहर गई और बोली, “नहीं बेटा, अभी नहीं निकला।” कांटा निकल चुका था, लेकिन बिल्ला ने जैसे ही अपनी माँ की चूत से हाथ हटाया, रवि ने अपनी हथेली उसकी चूत पर रखकर दबाते हुए कहा, “नहीं निकल रहा क्या माँ?” कमला की चूत से पानी निकल चुका था, जो रवि के हाथ में लग गया। कमला सीधी होकर चलने लगी। रवि ने अपने हाथ पर लगे पानी को सूंघा और बिल्ला को भी सूंघने को दिया। कमला ने अपने बेटों को अपनी चूत का पानी सूंघते देख लिया, और उसकी चूत लंड के लिए और ज्यादा फड़कने लगी।
कमला की चूत पूरी गीली हो चुकी थी। उसे अब रहा नहीं जा रहा था। इतने सालों की चुदास अचानक अपने बेटों के मोटे लंड देखकर जाग उठी थी। जंगल में थोड़ा और आगे बढ़ने पर कमला बोली, “बेटा, मुझे बहुत जोर की पेशाब लगी है।” ये सुनकर दोनों मस्त हो गए। कमला ने कहा, “यहां कोई जगह दिख नहीं रही। तुम दोनों उधर मुँह घुमा लो, मैं पेशाब कर लूं।” दोनों बोले, “अच्छा माँ,” और मुँह दूसरी ओर घुमा लिया। कमला जानती थी कि ये दोनों मुड़कर जरूर देखेंगे। उसने जानबूझकर उनकी ओर पीठ करके अपना घाघरा कमर तक उठा लिया। दोनों भाइयों ने झट से सर घुमाया और उनकी आँखें फट गईं। उनकी माँ पूरी नंगी थी। उसके मोटे, फैले हुए चूतड़, लंबी, गदराई जांघें, और थोड़े फैले पैरों के बीच उसका फूला हुआ भोसड़ा और गहरी गाँड का छेद साफ दिख रहा था। उसकी चूत की फांकों के बीच गुलाबी रंग का बड़ा सा छेद देखकर दोनों के लंड जhatke मारने लगे। उनकी लुंगी तंबू की तरह तन गई। कमला अपने भारी चूतड़ फैलाकर पेशाब करने बैठ गई। दोनों भाई अपनी माँ की मोटी गाँड को फटी आँखों से देखकर अपने लंड लुंगी से निकालकर मसलने लगे। उनके दस इंच के काले, मोटे लंड पूरे शबाब पर थे।
कमला की चूत से एक मोटी धार सीटी की आवाज के साथ निकली। ये देखकर दोनों भाइयों के लंड के टोपे लाल हो गए। वो तेजी से अपने लंड हिलाने लगे। करीब दो मिनट तक कमला आराम से मूतती रही। फिर खड़ी होकर अपने घाघरे से अपनी चूत को पोंछने लगी। दोनों भाइयों ने फिर से मुँह दूसरी ओर घुमा लिया। कमला मंद-मंद मुस्कुराते हुए बोली, “चलो बेटा, मैंने पेशाब कर लिया।” रवि बोला, “माँ, हमें भी पेशाब करना है। तुम भी मुँह घुमा लो।” कमला बोली, “ठीक है, कर लो।” दोनों भाई जानबूझकर थोड़ा सा मुड़े ताकि उनकी माँ उनके लंड को आराम से देख सके। उन्होंने अपने काले, मोटे लंड बाहर निकाले। कमला उनके लंड देखकर ठिठक गई। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसने अपने जीवन में इतने बड़े और मोटे लंड कभी नहीं देखे थे। दो-दो काले डंडे और उनके बड़े, कत्थई सुपाड़े देखकर उसकी चूत फड़कने लगी। दोनों भाई अपनी माँ के लाल चेहरे को देख रहे थे। फिर उन्होंने अपने लंड लुंगी में छुपा लिए।
कमला ने जल्दी से मुँह आगे किया। दोनों भाई उसके पास पहुंचे और एक-एक हाथ से उसकी गाँड को छूकर धक्का देते हुए बोले, “चल माँ, हम पेशाब कर चुके।” कमला के चूतड़ छूते ही दोनों सिहर गए। घाघरा इतना पतला था कि ऐसा लग रहा था जैसे कोई कसी हुई गाँड वाली औरत सिर्फ साड़ी पहने हो। कमला अपनी गाँड मटकाती हुई चल रही थी, जैसे अभी अपनी गाँड मरवा लेगी। दोनों भाइयों के लंड बैठने का नाम नहीं ले रहे थे। वो अपनी माँ की मटकती गाँड को देखते हुए पीछे-पीछे चल रहे थे। जंगल पहुंचकर दोनों ने अपनी लुंगी जांघों तक मोड़कर बांध ली और पेड़ पर चढ़कर सूखी टहनियां काटने लगे।
कमला नीचे बैठकर लकड़ियां समेटने लगी। दो घंटे तक लकड़ियां काटने के बाद कमला बोली, “अब तुम दोनों नीचे आ जाओ, खाना खा लो।” उसने अपनी लाई हुई रोटियां और साग निकाला और दोनों बेटों को दिया। खुद भी खाने लगी। खाना खाने के बाद कमला एक पेड़ की छांव में लेट गई। दोनों बेटे उसके पैरों की ओर पेड़ से टिककर बैठ गए। कुछ देर बाद कमला ने आँखें बंद करते हुए कहा, “बेटा, मैं थोड़ी थक गई हूँ। एक घंटा सो लेती हूँ। तुम दोनों कहीं जाना नहीं।” बिल्ला बोला, “ठीक है माँ, तुम सो जाओ, हम यहीं बैठे हैं।” कमला ने आँखें बंद कर लीं, लेकिन उसकी आँखों में नींद कहां थी। उसके दिमाग में तो अपने बेटों के काले लंड लहरा रहे थे, और उसकी चूत चिपचिपा रही थी।
कमला पीठ के बल लेटी थी, दोनों पैर मोड़े हुए। बिल्ला ने रवि की ओर इशारा किया, जो कमला के पैरों के पास बैठा था। रवि ने उसका इशारा समझा और धीरे से अपनी माँ के घाघरे को घुटनों तक चढ़ा दिया। अब कमला की दोनों टांगों के बीच का घाघरा पूरी तरह उठ गया। दोनों भाई चुपके से एक-एक करके अपनी माँ की टांगों के बीच मुँह घुसाकर उसका फूला हुआ भोसड़ा देखने लगे। उनका मुँह खुला रह गया। कमला की चूत पावरोटी की तरह गदराई और फूली हुई थी, जिसके बीच एक लंबी लकीर उसकी चूत को चीरकर गाँड के छेद तक जा रही थी। ये नजारा देखकर उनके लंड जhatke मारने लगे। दोनों ने अपने लंड लुंगी से निकालकर हिलाने शुरू कर दिए।
बिल्ला धीरे से बोला, “यार रवि, माँ की चूत कितनी गदराई है! मेरा लंड इसको फाड़ने के लिए मचल रहा है!” जंगल के शांत माहौल में उनकी कामुक बातें कमला को साफ सुनाई दे रही थीं। उसने धीरे से आँखें खोलकर देखा। अपने बेटों के काले, मोटे लंड देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। वो अब रहा नहीं जा रही थी। उसने अपनी जांघें और फैलाईं, जिससे उसकी चूत की फांकें पूरी तरह खुल गईं। उसका गुलाबी, रस से भरा छेद दोनों भाइयों के सामने आ गया। ये देखकर उनके लंड और तेजी से जhatke मारने लगे। दोनों अपनी माँ की फटी चूत देखकर मुठ मारने लगे। कमला उनके लंड देखकर बेचैन हो रही थी। उसका मन कर रहा था कि अभी इनके मोटे लंड उसकी चूत को फाड़ डालें।
तभी रवि ने धीरे से कहा, “माँ… माँ…” और उसकी दोनों जांघें और खोल दीं। कमला ने भी अपने पैर पूरी तरह फैला दिए। उसकी चूत का गुलाबी कटाव और तना हुआ लहसुन साफ दिखने लगा। बिल्ला घुटनों के बल आया और अपनी माँ के घाघरे में मुँह घुसाकर अपनी नाक को उसकी चूत के पास ले गया। उसने तेजी से सांस खींचकर उसकी चूत की मादक खुशबू सूंघी और पागल हो गया। वो जोर-जोर से सांस लेकर उसकी चूत की गंध सूंघने लगा। जब उसकी सांस भर जाती, तो वो सांस छोड़ता, जिससे कमला की खुली चूत पर गर्म हवा पड़ने लगी। कमला समझ गई कि उसका बेटा उसकी चूत की गंध सूंघ रहा है। वो इतनी बेचैन हो गई कि उसकी चूत से पानी बहकर उसकी गाँड के छेद तक पहुंच गया।
रवि ने बिल्ला को इशारा किया। बिल्ला ने अपना मुँह घाघरे से निकाला, और रवि ने अपनी माँ की चूत की खुशबू सूंघना शुरू कर दिया। करीब आधे घंटे तक दोनों भाई बारी-बारी से अपनी माँ की चूत सूंघते रहे। वो कह रहे थे, “यार, माँ की चूत कितनी मस्त और फूली हुई है! अगर ये एक-एक बार हम दोनों का लंड अपनी चूत में ले ले, तो हम इसे दिन-रात नंगी रखकर इसकी चूत मारेंगे!” कमला अपनी चूत मारने की बात सुनकर सिहर गई। उसे लगा जैसे पड़े-पड़े उसकी चूत से पेशाब निकल जाएगा। दोनों भाई अपनी माँ को चोदने की खुली बातें करके पागल हो रहे थे। जब उनसे बर्दाश्त न हुआ, तो उन्होंने अपनी माँ की चूत देखते हुए अपने लंड हिलाए और अपना सारा माल छोड़ दिया।
कमला को अहसास हुआ कि दोनों ने उसकी चूत देखकर मुठ मार ली। वो थोड़ा कसमसाकर सोने का नाटक करते हुए उठ बैठी। बोली, “तुम दोनों कहीं गए तो नहीं थे?” दोनों बोले, “नहीं माँ, हम तो तेरे पैरों के पास ही बैठे थे।” कमला बोली, “अच्छा, चलो, लकड़ियां रस्सी से बांधो और चलने की तैयारी करो, नहीं तो शाम हो जाएगी।” दोनों भाई अपनी लुंगी ठीक करते हुए लकड़ियों के गट्ठर बनाने लगे। उन्होंने सबसे छोटा गट्ठर अपनी माँ के सिर पर लाद दिया और बड़े-बड़े गट्ठर अपने सिर पर लादकर कमला को आगे चलने को कहा। वो उसकी गदराई गाँड को देखते हुए घर की ओर चल पड़े।
रात को कमला अपनी खाट पर पड़ी-पड़ी अपने बेटों की बातों को याद करके अपनी चूत सहला रही थी। उसकी चूत खूब फूल चुकी थी। उसका मन अपने बेटों की बातें सुनने का हुआ। वो चुपके से दरवाजे के पास कान लगाकर सुनने लगी। अंदर रवि और बिल्ला अपने लंड सहलाते हुए बात कर रहे थे। रवि बोला, “यार, माँ की चूत कितनी फूली हुई है! देखकर मेरा लंड पागल हो रहा था!” बिल्ला बोला, “हाँ यार, और उसकी मोटी गाँड! उसकी चूत और गाँड मारने का मजा ही कुछ और होगा। कितना पानी छोड़ती होगी उसकी फूली चूत!” रवि ने कहा, “जब उसकी चूत से पेशाब की धार निकली, तब से मेरा लंड उसके गुलाबी छेद में घुसने को तड़प रहा है।” बिल्ला बोला, “माँ को पूरी नंगी करके देखने का कितना मन कर रहा है! उसकी मोटी जांघें, और चूतड़ जब मटकते हैं, तो मन करता है, सीधे उसकी गाँड में लंड डाल दूं और मार-मारकर उसका छेद ढीला कर दूं!”
रवि ने कहा, “यार, अगर माँ हम दोनों से चुदवा ले, तो मैं उसकी चूत मारूंगा, तू उसकी गाँड। उसके दोनों तरफ से हमारे मोटे लंड के जhatke खाकर वो भी मस्त हो जाएगी। तू उसकी चूत दबाना, मैं उसकी गाँड में लंड डालूंगा। वो हमारे लंड पर झूला झूलते हुए खड़े-खड़े मूतने लगेगी!” कमला अपने बेटों की चुदाई की बातें सुनकर पागल हो रही थी। उसने अपना घाघरा उठाकर मूतने के अंदाज में बैठ गई और अपनी चूत को चारों उंगलियों से चोदने लगी। वो कल्पना करने लगी कि उसके बेटे उसे पूरी नंगी करके कैसे जोर-जोर से उसकी चूत और गाँड मार रहे हैं। बिल्ला बोला, “कैसे भी करके माँ को चोदने के लिए पटाना होगा। एक बार चुद गई, तो हम इसे दिन-रात नंगी रखकर चोदेंगे!” दोनों भाई दारू के नशे में अपनी माँ की चूत मारने की बातें करके अपने लंड हिला रहे थे। कमला उनकी बातें सुनकर अपनी चूत को कस-कसकर चोद रही थी। कुछ देर बाद दोनों ने अपने लंड हिलाकर माल छोड़ दिया। कमला भी अपनी चूत में उंगलियां चलाकर झड़ गई। फिर तीनों सो गए।
सुबह दोनों भाई अपनी योजना के मुताबिक आम के बगीचे में एक पेड़ के पीछे छुप गए। सुधिया काकी वहां सैंडास करने आती थी। जब वो 20 मीटर की दूरी पर उनकी ओर गाँड करके बैठी, तो दोनों उसकी मोटी गाँड देखकर पागल हो गए। उन्होंने अपने लंड निकालकर उसकी गाँड देखते हुए मुठ मार ली और जल्दी से घर लौट आए। हैंडपंप पर दातुन करते हुए वो सुधिया की गाँड की बातें करने लगे। बिल्ला बोला, “यार, सुधिया काकी के चूतड़ कितने भारी हैं! मेरा तो उसकी गाँड मारने का दिल कर रहा है!” तभी सुधिया उनके पीछे आकर खड़ी हो गई और उनकी बातें सुन ली। वो गुस्से में बोली, “हराम के जने, कुत्तों! शर्म नहीं आती मेरी गाँड मारने की बात करते हुए? जाओ, अपनी अम्मा की गाँड मारो! उसकी गाँड तो पूरे गाँव में सबसे मोटी है! हरामियों, तुम कभी नहीं सुधरोगे। आखिर अपने बाप की औलाद जो ठहरे!” इतना कहकर वो बड़बड़ाती हुई अपने घर चली गई।
दोनों भाइयों का मूड खराब हो गया। बिल्ला बोला, “यार रवि, इस मादरचोद की गाँड तो अब किसी भी हाल में मारनी पड़ेगी! बहुत माँ चुदा रही है। इस रंडी की गाँड मारकर फाड़ देंगे, तभी चैन आएगा!” दोनों घर लौट आए। कमला आँगन में झाड़ू मार रही थी। दोनों भाई चाय पीते हुए उसकी मोटी गाँड को मटकते देख रहे थे। कमला समझ रही थी कि उसके बेटे उसकी गाँड को देखकर मजा ले रहे हैं। वो और जोर से गाँड मटकाकर झाड़ू मारने लगी। दोनों भाइयों को लग रहा था कि अभी उसका घाघरा उठाकर उसकी गाँड में मुँह घुसा दें। तभी रवि खड़ा होकर अपना लंड बाहर निकालने लगा। बिल्ला ने उसका हाथ पकड़कर उसे बैठने को कहा और धीरे से बोला, “सब्र कर यार, तू तो माँ की गाँड में लंड फंसाने को मर रहा है! ये हमारी माँ है, इतनी आसानी से गाँड नहीं मरवाएगी। इसकी गाँड चोदने के लिए बड़े जतन करने होंगे। लेकिन चिंता मत कर, एक दिन इसकी गाँड हम दोनों ही चोदेंगे!”
कमला उनकी खुसपुसाहट सुन रही थी। वो अपनी गुदा सहलाते हुए कचरा फेंकने बाहर चली गई। बिल्ला बोला, “यार, कुछ दिन से माँ की गाँड बहुत खujलाने लगी है। मुझे लगता है, हमारे मोटे लंड देखकर इसकी चूत और गाँड में खujली बढ़ गई है। अगर हम थोड़ा संयम रखें, तो ये हमें अपनी गाँड और चूत आसानी से दे देगी। बस इसकी चूत का पानी बहाना है।” रवि बोला, “मेरे दिमाग में एक आइडिया है। पहले ये पता लगे कि ये हमारे लंड के लिए तड़प रही है या नहीं।” बिल्ला बोला, “वो तो आसान है। अगली बार जंगल जाएंगे, तो पेशाब के बहाने फिर से इसे लंड दिखाएंगे। अगर ये हमारा लंड देखने की कोशिश करे, तो समझ लेना, ये हमसे अपनी चूत और गाँड मरवाने को तड़प रही है।” तभी कमला घर में आ गई, और दोनों चुप हो गए।
कमला बोली, “अरे बेटा, तुम्हारी बहन के गाँव से एक आदमी आया था। वो बता रहा था कि तुम्हारी बहन शीला अपने पति के साथ शहर में रहने लगी है। तुम्हारे जीजा की शहर में नौकरी लग गई है। तुम दोनों शहर जाकर अपनी बहन का हालचाल ले आओ। अगर तुम्हारे जीजा मान जाएं, तो उसे कुछ दिन के लिए लेते आना। वैसे भी, आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है, तो मैं जंगल नहीं जाऊंगी। तुम दोनों आज ही शहर चले जाओ और रात शीला के यहाँ रुक जाना। सुबह अगर जीजा कहें, तो उसे साथ लेते आना।” रवि बोला, “ठीक है माँ, तू हमारे लिए रोटियां बांध दे, हम अभी चलते हैं।” दोनों भाई शहर की ओर चल पड़े।
शहर पहुंचकर बिल्ला बोला, “यार रवि, बहुत दिन से कोई पिक्चर नहीं देखी। क्यों न एक फिल्म देख लें, फिर शीला के घर चलें?” रवि बोला, “ठीक है, चलते हैं।” दोनों टिकट लेकर सिनेमा देखने बैठ गए। फिल्म में एक सीन था, जिसमें विलेन हीरोइन को किडनैप करके अपने गोदाम में ले जाता है और उसे चोदना चाहता है। हीरोइन चिल्लाकर विरोध करती है। विलेन कहता है, “तू नखरे दिखा रही है। अब मैं तेरी ऐसी हालत करूंगा कि तू खुद मुझसे चुदवाएगी!” वो हीरोइन को पलंग पर लिटाकर उसके हाथ ऊपर की ओर बांध देता है और दोनों पैर फैलाकर बांध देता है। हीरोइन बहुत छटपटाती है, लेकिन कुछ नहीं कर पाती। विलेन धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारता है। वो शर्म से रोती है और छोड़ने की भीख मांगती है। विलेन उसकी एक नहीं सुनता और उसे पूरी नंगी कर देता है। वो और जोर से चिल्लाती है। विलेन उसके निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगता है। हीरोइन विरोध करती है, लेकिन विलेन उसकी चूचियां चूसता रहता है। फिर वो उसकी चूत में मुँह लगाकर चाटने लगता है।
हीरोइन रोती है, लेकिन जैसे-जैसे विलेन उसकी चूत चाटता है, वो कसमसाने लगती है। पांच-दस मिनट चाटने के बाद वो सिसकारियां लेने लगती है। उसकी चूत से पानी निकलने लगता है, और वो अपनी कमर विलेन के मुँह पर मारने लगती है। फिर अचानक वो झड़ जाती है। उसका बदन ढीला पड़ जाता है, लेकिन विलेन उसकी चूत चाटता रहता है। दो मिनट में हीरोइन फिर सिसकारियां लेने लगती है। विलेन धीरे-धीरे अपनी शर्ट और कपड़े उतारकर नंगा हो जाता है। हीरोइन उसके लंड को देखकर आँखें बंद कर लेती है। विलेन उसकी चूत को कसकर चूसता रहता है। वो तड़पने लगती है। विलेन उसका एक हाथ खोल देता है, फिर दूसरा। जैसे ही वो उसके ऊपर लेटता है, हीरोइन उसे अपनी बाहों में कस लेती है। विलेन उसे चूमता है, तो वो उससे चिपक जाती है। फिर विलेन उसके बंधे पैर खोल देता है। हीरोइन उसे कसकर पकड़ लेती है और अपनी जांघें फैला देती है। विलेन उसकी चूत में लंड डाल देता है, और वो उसे चिपकाकर चुदवाने लगती है। इस तरह विलेन उसकी मर्जी से उसे चोदता है।
दोनों भाई ये सीन देखकर उत्तेजित हो गए। फिल्म खत्म होने पर वो बाहर आए। बिल्ला बोला, “यार रवि, देखा, विलेन ने कैसे हीरोइन को चोदा! कितना नखरा कर रही थी, पर विलेन ने क्या आइडिया लगाया, और वो खुद चुदवाने को तैयार हो गई!” रवि बोला, “हाँ यार, अगर हम सुधिया काकी को ऐसे बांधकर उसकी चूत चाटें, तो वो भी हमसे चुदवाने को तैयार हो जाएगी। जोर-जबरदस्ती करेंगे, तो वो गाँव में हल्ला मचा देगी।” दोनों अपनी योजना से खुश हो गए और शीला के घर की ओर चल पड़े।
शीला के घर पहुंचे, तो एक घाघरा-चोली पहने औरत ने दरवाजा खोला। दोनों भाई उसे एक पल के लिए पहचान न सके। तभी वो बोली, “भैया!” और दोनों से चिपक गई। उसकी कसी हुई मोटी चूचियां दोनों के सीने से दब गईं। शीला, 22 साल की, गदराई जवानी वाली लड़की थी। उसकी चूचियां पपीतों की तरह बड़ी और कसी हुई थीं। उसकी गाँड मटकती थी, और उसका चेहरा ऐसा था कि कोई भी उसे देखकर पागल हो जाए। दोनों भाइयों के लंड खड़े हो गए। शीला की मादक खुशबू ने उनकी नसों में खून की रफ्तार बढ़ा दी। उन्होंने बिना मौका गंवाए उसके चूतड़ों पर हाथ रखकर उसे अपनी ओर खींचा और बोले, “ओह मेरी प्यारी बहना, तू कितनी बड़ी हो गई! चार-पांच महीने बाद देख रहे हैं, तू इतनी बदल गई कि एक पल को तो हम तुझे पहचान ही नहीं पाए!” दोनों ने उसके गालों को चूम लिया।
शीला उनका हाथ पकड़कर अंदर ले गई और बोली, “भैया, आप दोनों बैठो, मैं पानी लाती हूँ।” वो अंदर की ओर गई। उसकी मटकती गाँड देखकर दोनों के लंड जhatke मारने लगे। बिल्ला बोला, “यार रवि, शीला की गाँड देख! चार महीने पहले इतनी गदराई नहीं थी। और इसके दूध, जैसे बड़े-बड़े पपीते! इसकी खुशबू कितनी मादक है! अगर इसके जism की खुशबू इतनी मस्त है, तो इसकी चूत और गाँड की खुशबू कैसी होगी!” रवि बोला, “लगता है, जीजा जी इसका खूब चोदते होंगे। तभी तो इतनी गदराई है। हमें तो पता ही नहीं था कि हमारा माल इतना तगड़ा है, नहीं तो पहले ही इसकी चूत और गाँड मार लेते!” बिल्ला बोला, “अब क्या बिगड़ा! अब तो इसकी जवानी का असली फूल खिला है। अगर ये चुदवाए, तो मजा आ जाएगा!” दोनों अपनी बहन की गदराई जवानी की कल्पना करके अपने लंड मसलने लगे।
तभी शीला पानी लेकर आई और मुस्कुराते हुए दोनों को पानी पिलाया। फिर उनके बीच बैठ गई। बोली, “अच्छा भैया, माँ कैसी है? गाँव में सब ठीक है ना?” रवि उसकी चूचियों को देखते हुए बोला, “माँ ठीक है, गाँव में भी सब ठीक। लेकिन तू कितनी बड़ी हो गई!” बिल्ला ने उसकी जांघ पर हाथ फेरते हुए कहा, “शीला, अब तो तू पूरी औरत लगने लगी है!” शीला थोड़ा शरमाकर बोली, “भैया, शादी के बाद लड़कियां औरतों जैसी ही लगने लगती हैं।” बिल्ला बोला, “हाँ, वही तो! हमारी प्यारी बहन अब पूरी औरत बन चुकी है!” उसने उसके गाल सहलाए और दोनों ने उसे अपनी बाहों में कस लिया। रवि बोला, “शीला, जीजा जी कहां हैं?” शीला बोली, “वो काम पर गए हैं। रात को देर से आएंगे। चलो, आप दोनों हाथ-पैर धो लो, मैं खाना बनाती हूँ।” बिल्ला बोला, “नहीं शीला, हम गाँव से खाना खाकर आए हैं। रात को जीजा जी के साथ खाएंगे।” शीला बोली, “जैसी आपकी मर्जी।” रवि बोला, “तू हमारे साथ गाँव चलेगी ना? माँ ने कहा था, शीला को लेते आना।” शीला बोली, “हाँ भैया, लेकिन जीजा जी से बात करनी पड़ेगी।” रवि बोला, “तू फिकर न कर, मैं बात कर लूंगा।” दोनों हाथ-पैर धोने चले गए।
वापस आए, तो शीला सब्जियां काट रही थी। उसकी मोटी चूचियां चोली फाड़कर बाहर आने को बेताब थीं। दोनों भाइयों की नजरें उसकी चूचियों पर टिकी थीं। शीला ने उनकी नजरें पकड़ लीं, और उसे मजा आने लगा। वो खड़ी होकर बोली, “चलो भैया, मैं खाना बनाती हूँ। आप दोनों रसोई में मेरे पास रहो।” वो अपनी गाँड मटकाती हुई चली, और दोनों भाई उसके पीछे चल पड़े। रसोई में शीला खाना बनाने लगी। दोनों उसके पास सटकर खड़े हो गए। शीला ने देखा कि दोनों उसकी चूचियों को भूखे भेड़ियों की तरह देख रहे हैं। उसने अपनी चोली का एक बटन खोलते हुए कहा, “भैया, यहाँ बड़ी गर्मी है। आप चाहो तो बाहर चले जाओ।” दोनों बोले, “नहीं-नहीं, तू आराम से खाना बना, हम यहीं हैं।” वो उसकी चूचियों को प्यासी नजरों से देखने लगे।
शीला मुस्कुराते हुए बोली, “इतने दिनों बाद अपनी बहन को देख रहे हो, इसलिए दूर जाने का मन नहीं कर रहा, है ना?” बिल्ला और रवि ने उसके गाल चूमते हुए कहा, “हमारी रानी बहना कितनी सयानी हो गई है! अब शायद तुझे हम याद भी नहीं आते होंगे, जीजा जी मिल गए हैं ना!” शीला बोली, “नहीं भैया, जीजा जी तो बाद में हैं। पहले तो आप दोनों हैं, जिनसे मैं प्यार करती हूँ। आपकी गोद में तो मैं दिन-रात खेली हूँ। आपको कैसे भूल जाऊंगी?” रवि बोला, “वो तो पहले की बात थी, जब तेरी शादी नहीं हुई थी। अब तू जीजा जी को पा गई है। क्या अब भी हमारी गोद में बैठेगी?” वो अपने लंड को हल्के से मसलने लगा। शीला उनके लुंगी में तने लंड देखकर सिहर गई। उसने अपनी चूत का पानी घाघरे से पोंछते हुए कहा, “हाँ भैया, आज भी आप मुझे गोद में बुलाओ, तो मैं अपनी प्यारे भैया की गोद में चढ़कर बैठ जाऊंगी। फिर आप अपनी बहन से जितना चाहे प्यार कर लेना। और मैं ये भी जानती हूँ कि आप अब मुझसे पहले से ज्यादा प्यार करने लगे हो!” वो रवि के सीने से चिपक गई। रवि का खड़ा लंड उसकी चूत पर टकराया। शीला का लहसुन का दाना उसके लंड के टोपे से रगड़ खा गया।
तभी बिल्ला से रहा न गया। वो शीला के पीछे से उसकी गाँड से सट गया। उसका मोटा लंड उसकी गुदा से टकराया। शीला दो मोटे लंड की चुभन से सिहर गई। दोनों भाई ने उसे आगे-पीछे से चिपका लिया और बोले, “मेरी प्यारी बहना, तू आज भी अपने भाइयों को कितना चाहती है!” शीला की चूत से पानी बहकर उसकी जांघों पर रिसने लगा। तभी बाहर किसी ने दरवाजा खटखटाया। तीनों अलग हो गए। शीला ने दरवाजा खोला, तो उसका पति रमेश आ चुका था। दोनों भाई अपने जीजा से मिले और बैठकर बातें करने लगे। रवि ने शीला को कुछ दिन के लिए गाँव ले जाने की बात कही। रमेश बोला, “साले साहब, आज रात हमारे साथ रुकिए। दारू-सारू पीते हैं। सुबह हम आपको और शीला को बस में बिठा देंगे।” बिल्ला बोला, “बिल्कुल ठीक जीजा जी, वैसे भी आज पहला मौका है आपके साथ बैठने का। मजा आ जाएगा!” रमेश शराब की बोतल लेने चला गया। फिर तीनों की बैठकी जम गई। बीच-बीच में शीला नमकीन और चिप्स लाती रही। रात 12 बजे तक तीनों दारू पीते रहे। रमेश नशे में टल्ली हो गया और लड़खड़ाते हुए बोला, “अच्छा साले साहब, मैं सोने जा रहा हूँ। आप लोग चलते रहो।” वो अपने कमरे में चला गया।
Agla part kab laa rhe ho??