मेरे कुंवारे लंड ने चिकने लड़के की सील तोड़ी- 1

Gay chikne ladke ki chudai – मैं 21 साल का था, गांव से नया-नया शहर आया था। ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था, बस सीधा-सादा लड़का, जिसका नाम राजू है। मेरी कद-काठी अच्छी थी, चौड़ी छाती, गठीला बदन और 5 फुट 10 इंच की हाइट। चेहरा सांवला, लेकिन आंखों में एक तेज था, जो लोगों को अपनी तरफ खींच लेता था। गांव में खेतों में मेहनत करने की वजह से मेरी ताकत और स्टैमिना दोनों जबरदस्त थे। शहर में आकर मुझे एक बड़े अपार्टमेंट में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिल गई थी। साथ में कैम्पस में ही एक छोटा सा कमरा भी दे दिया गया था, जिसमें मैं रहता था।

नौकरी शुरू हुए अभी एक महीना ही हुआ था। धीरे-धीरे मैं शहर के माहौल में ढलने लगा था। मेरी ड्यूटी में रात को 11 बजे के बाद पूरे कैम्पस, छत और बेसमेंट का चक्कर लगाना शामिल था, ताकि सबकुछ ठीक हो, ये चेक कर सकूं। मैं रात को अपनी वर्दी में, डंडा लिए, पूरे अपार्टमेंट में गश्त लगाता। मेरी आवाज में एक रौब था, जो मेरी सख्त शक्ल और गठीले बदन की वजह से और बढ़ जाता था।

एक रात, जब मैं बेसमेंट में चक्कर लगा रहा था, तो मुझे एक कोने से कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। जैसे कोई धीरे-धीरे सिसक रहा हो या कोई बात कर रहा हो। मैंने सोचा, शायद कोई गलत काम हो रहा है। मैं दबे पांव उस तरफ बढ़ा, ताकि कोई मुझे देख न ले। कोने में पहुंचा तो मैंने जो देखा, उससे मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं। एक कमसिन सा लड़का, जिसकी उम्र कोई 18-19 साल रही होगी, वहां एक मवाली टाइप के आदमी के साथ था। वो लड़का, जिसका नाम बाद में मुझे पता चला कि नील है, दिखने में बिल्कुल चिकना था। गोरा-चिट्टा चेहरा, पतली कमर, और मुलायम सी त्वचा, जैसे कोई लड़की हो। उसका कद मुझसे थोड़ा छोटा, शायद 5 फुट 6 इंच, और बाल बेतरतीब से बिखरे हुए। वो मवाली, जिसका नाम मुझे नहीं पता था, एक गंदा सा आदमी था। 30-35 साल का, दाढ़ी बढ़ी हुई, और कपड़े मैले-कुचैले। उसकी आंखों में हवस साफ दिख रही थी।

वो मवाली लड़के को दीवार से सटाकर उसके गालों और गर्दन पर चूम रहा था। उसका एक हाथ नील की कमर पर था, और दूसरा उसकी गांड को जोर-जोर से दबा रहा था। नील का चेहरा लाल हो रहा था, और वो थोड़ा छटपटा रहा था, जैसे उसे ये सब पसंद भी था और नहीं भी। मवाली ने अब अपनी हरकतें और बढ़ा दीं। उसने नील को पीछे से जकड़ लिया और अपनी पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को नील की गांड पर रगड़ने लगा। “आह… साले, कितनी मुलायम गांड है तेरी,” वो भद्दी आवाज में बोला, और नील के निप्पल्स को शर्ट के ऊपर से मसलने लगा। नील के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली, “उह…”, लेकिन वो उस आदमी को अपने होठों को चूसने से रोक रहा था।

“चल, भोसड़ी के, मेरा लंड चूस,” मवाली ने गंदी गाली देते हुए अपनी पैंट की जिप खोली और अपना लंड बाहर निकाल लिया। उसका लंड कोई 6 इंच का रहा होगा, मोटा और सख्त, जिसकी नसें फूली हुई थीं। नील ने डरते हुए कहा, “नहीं… मैंने तुम्हें ये सब करने के लिए नहीं बुलाया था। प्लीज, मुझे जाने दो।” उसकी आवाज में डर था, लेकिन वो चिल्ला नहीं रहा था, शायद डर की वजह से या शर्मिंदगी की वजह से।

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मवाली ने उसकी बात अनसुनी कर दी। उसने नील के बाल पकड़े और उसे जबरदस्ती घुटनों पर बिठा दिया। “चल, मुँह खोल, वरना सूखा लंड ही तेरी गांड में पेल दूंगा,” वो चिल्लाया। नील की आंखों में आंसू आ गए। वो माफी मांगते हुए बोला, “अंकल, प्लीज, मुझे छोड़ दो।” लेकिन मवाली ने उसकी एक न सुनी। वो नील के मुँह में जबरदस्ती अपना लंड डालने ही वाला था कि मैंने अपना डंडा जमीन पर जोर से पटका और उनकी तरफ बढ़ गया।

“साले, उसके बाल छोड़!” मैंने अपनी भारी आवाज में चिल्लाते हुए कहा। मेरी आवाज सुनकर मवाली की हालत खराब हो गई। उसकी आंखों में डर साफ दिख रहा था। नील ने मौका पाते ही खुद को छुड़ाया और मेरे सीने से लिपट गया। उसका शरीर कांप रहा था, और वो मेरी वर्दी को कसकर पकड़े हुए था। मैंने मवाली को घूरते हुए कहा, “भाग यहाँ से, वरना डंडा तेरी गांड में घुसा दूंगा।” वो मवाली नील को धमकी देता हुआ, “साले, तुझे बाद में देखूंगा,” कहकर भाग खड़ा हुआ।

जब वो चला गया, तो मैंने नील को देखा। वो अभी भी डर से कांप रहा था, लेकिन अब थोड़ा रिलैक्स लग रहा था। मैंने उससे पूछा, “तू कौन है? और यहाँ क्या कर रहा था?” उसने धीमी आवाज में बताया, “मेरा नाम नील है। मैं इसी अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 304 में रहता हूँ। मेरे मम्मी-पापा आज पार्टी में गए हैं, देर रात आएंगे।”

मैंने गुस्से में उससे कहा, “तेरे मम्मी-पापा घर पर नहीं हैं, और तू यहाँ बेसमेंट में ये गंदा काम कर रहा था? ये सब क्या चल रहा था?” नील ने हकलाते हुए कहा, “नहीं… वो आदमी जबरदस्ती कर रहा था।” मैंने उसकी बात काटते हुए कहा, “झूठ मत बोल। कोई बिना बुलाए इस कैम्पस में दीवार फांदकर नहीं आ सकता। तूने ही उसे बुलाया होगा।” नील ने थोड़ा झिझकते हुए माना, “हां, मैंने उसे बुलाया था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि वो मेरे साथ ऐसा करेगा।”

मैंने गुस्से में उससे कहा, “मैंने सब देखा है। पहले तू ही उससे लिपट रहा था, उससे चुम्मियां करवा रहा था। फिर जब उसने जबरदस्ती शुरू की, तो तू इधर-उधर मदद मांगने लगा। अच्छा हुआ मैं आ गया, वरना वो साला तेरा मुँह चोद देता। बता, तू अच्छे घर का लड़का होकर ऐसी गंदी हरकतें क्यों कर रहा था? मैं ये सब तेरे मम्मी-पापा को बताता हूँ।”

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नील ने अचानक अपना रुख बदला। वो मुस्कुराते हुए बोला, “अब तुम क्या बताओगे? वो आदमी तो भाग गया। यहाँ तुम और मैं ही हैं, कोई और नहीं। और यहाँ कोई कैमरा भी नहीं है।” उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा चौंका। वो आगे बोला, “अगर तुमने मेरे पापा को बताया, तो वो बस यही पूछेंगे कि मैं इतनी रात को बेसमेंट में क्या कर रहा था। और कहीं ऐसा न हो कि वो तुम पर ही शक करें।”

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उसकी बात सुनकर मैं ठिठक गया। मुझे अपनी नौकरी की चिंता हुई। ये नौकरी मेरे लिए बहुत जरूरी थी। अगर नील के पापा को कुछ गलत लगा, तो वो मुझे निकाल सकते थे। मैंने सोचा, ये लड़का तो सही बोल रहा है। बड़े लोग क्या सोचेंगे, क्या नहीं, इसका कोई ठिकाना नहीं। कहीं वो मुझे ही उल्टा दोषी न ठहरा दें। मैंने उससे कहा, “ठीक है, अब जा।”

लेकिन नील गया नहीं। उसने कहा, “मुझे तुम्हारी मदद चाहिए।” मैंने हैरानी से पूछा, “कैसी मदद, बे?” उसने बताया, “मेरे मम्मी-पापा जॉब करते हैं। मैं कई सालों से अकेला रहता हूँ। घर पर कोई नहीं होता। धीरे-धीरे मुझे प्यार की जरूरत महसूस होने लगी। लेकिन मेरे मम्मी-पापा का स्वभाव इतना सख्त है कि यहाँ कोई मुझसे दोस्ती नहीं करता।”

मैं उसकी बातें सुन रहा था। वो आगे बोला, “एक दिन स्कूल जाते वक्त मुझे वो मवाली मिला। उसने मुझे अपनी बातों में फंसा लिया। उसने मुझे गंदे चित्र दिखाए, मोबाइल पर कुछ अश्लील वीडियो भेजे। मैं उसकी तरफ आकर्षित हो गया।” मैंने पूछा, “फिर क्या हुआ?”

नील ने बताया, “वो मुझे सुनसान गलियों में ले जाता था। मेरे शरीर को सहलाता, मुझे अपनी बाहों में लेता। मुझे उसके तने हुए लंड का अहसास होता था। धीरे-धीरे वो मेरी गांड को सहलाकर मुझे इतना उत्तेजित कर देता था कि मेरा मूड बन जाता था। आज मुझे लगा कि एक बार उससे अपनी गांड में डलवा ही लूं।”

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उसकी बोल्ड बातें सुनकर मैं थोड़ा हैरान हुआ। वो बोला, “हां, मैंने ही उसे बुलाया था। मुझे लगा था कि वो मुझे प्यार करेगा, और मैं उससे लंड डलवाकर मजा लूंगा। लेकिन वो दारू पीकर आया था। मुझे उसके साथ अच्छा नहीं लगा। और फिर तुमने सब देख लिया।”

मैंने पूछा, “तो अब तुझे मेरी मदद किस लिए चाहिए?” उसने कहा, “कल जब मैं स्कूल जाऊंगा, तो वो अपने दोस्तों के साथ मुझे परेशान करेगा।” उसकी बात सुनकर मुझे उस पर दया आ गई। मैंने पूछा, “तू स्कूल कब जाता है?” उसने कहा, “सुबह साढ़े दस बजे।” मैंने कहा, “ठीक है, तू अब अपने घर जा। मैं उसका हिसाब कर लूंगा।”

अगले दिन, जब नील स्कूल के लिए निकला, तो मैंने उसे दूर से देखा। वो पैदल जा रहा था, और कुछ दूरी पर वही मवाली अपने तीन-चार बदमाश दोस्तों के साथ उसका इंतजार कर रहा था। नील का चेहरा डर से सफेद पड़ गया था। वो कांप रहा था, जैसे उसका गला सूख गया हो। जैसे ही वो मवाली नील की तरफ गालियां बकते हुए बढ़ा, मैं अचानक उसके सामने खड़ा हो गया।

मैंने उससे कहा, “क्या है, साले? बच्चे को क्यों परेशान कर रहा है?” मेरी चौड़ी छाती और गठीला बदन देखकर वो सब ठिठक गए। मैंने धमकाते हुए कहा, “इस लड़के ने अपने बाप को तेरे बारे में सब बता दिया है। और इसके बाप का दोस्त थाने का सब-इंस्पेक्टर है। वो तुम सबको ढूंढ रहा है। तुझे पहचानने के लिए इसके बाप ने मुझे भेजा है।” मेरी बात सुनकर वो सब डर के मारे भाग खड़े हुए।

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उसके बाद नील को किसी ने परेशान नहीं किया। एक दिन मैं दिन की ड्यूटी पर था, तो नील मेरे लिए खीर लाया। खीर इतनी स्वादिष्ट थी कि मैंने उससे पूछा, “ये तूने बनाई?” उसने हंसते हुए कहा, “नहीं, मम्मी ने बनाई थी। मैं तो बस लाया हूँ।” मैंने पूछा, “अब कोई तुझे छेड़ता तो नहीं?” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं, अब कोई परेशान नहीं करता। तुमने उस दिन मेरी बहुत मदद की।”

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उसके बाद नील का आना-जाना मेरे पास बढ़ गया। वो कभी खाना, कभी मिठाई, तो कभी तीज-त्यौहार पर कुछ पैसे दे जाता। मैं भी उससे अब खुलने लगा था। एक रात, जब मैं चौकी पर बैठा था, नील फिर से आया। मैंने मजाक में पूछा, “अबे, इतनी रात को फिर क्या? आज फिर किसी को बुलाया है क्या?” वो हंसते हुए बोला, “नहीं, आज मैं तुम्हारे लिए कुछ स्पेशल लाया हूँ।”

उसने मेरे सामने एक विदेशी ब्रांड की शराब की बोतल रख दी। वो कोई महंगी स्कॉच थी, आधी भरी हुई। मैंने हैरानी से पूछा, “अबे, तुझे कैसे पता कि मैं शराब पीता हूँ?” उसने बताया, “मुझे मालूम है। एक दिन साफ-सफाई वाली बाई ने तुम्हारी चौकी से कुछ छोटी-छोटी शराब की बोतलें निकाली थीं।” मैंने हंसते हुए कहा, “हां, उस दिन मैं टॉयलेट गया था। लेकिन तू ये बोतल कहाँ से लाया?”

उसने कहा, “मेरे पापा भी पीते हैं। कल उनके दोस्त आए थे, और वो ये बोतल छोड़ गए।” फिर उसने एक टिफिन और पेप्सी की बोतल मेरे सामने रख दी। टिफिन में गर्म-गर्म चिली चिकन था। मैंने हैरानी से कहा, “अबे, तू तो पूरी तैयारी करके आया है!” वो हंस पड़ा। मैंने पूछा, “ये चिली चिकन कब बनाया?” उसने कहा, “सुबह का बना है, मैंने बस गर्म किया है।”

मैंने उसका शुक्रिया अदा किया और कहा, “चल, अब तू जा।” लेकिन वो उदास हो गया। उसने कहा, “मैं यहीं बैठ जाऊं क्या?” मैंने उसकी मासूमियत भरी आंखों में देखा और हंसते हुए कहा, “ठीक है, बैठ जा।” वो मेरे पास बैठ गया, और हम दोनों बातें करने लगे।

इस कहानी के अगले हिस्से में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे नील और मेरे बीच की नजदीकियां बढ़ीं और उसकी गांड की सील टूटी। आप अपने विचार जरूर साझा करें।

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कहानी का अगला भाग: मेरे कुंवारे लंड ने चिकने लड़के की सील तोड़ी- 2

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