xxx wife sex story हमारी ट्रेन की वह रात मेरे और रानी के लिए एक ऐसी याद बन गई, जो न भूलने वाली थी, न ही भूलना चाहते थे। रानी, मेरी 26 साल की गोरी, भरे-पूरे बदन वाली पत्नी, जिसका फिगर 34-28-36 था, उसकी टाइट चूत और गांड को दो मजदूरों ने उस रात ऐसा खोला कि वह एक हफ्ते तक ठीक से चल भी नहीं पाई।
कहानी का पिछला भाग: मेरी पत्नी को दो मजदूरों ने ट्रेन में चोदा- 1
मैं, अजय, 28 साल का, औसत कद-काठी वाला मर्द, जिसका 4.5 इंच का लंड रानी को पहले तो खुश करता था, लेकिन अब उन मोटे, तगड़े लंडों के सामने कुछ भी नहीं लगता था। ट्रेन की उस घटना के बाद हम घर लौट आए, लेकिन रानी की चूत और गांड में सूजन इतनी थी कि वह बिना पैंटी के लेटी रहती थी। उसकी चाल लंगड़ाती थी, और जांघें फैलाकर चलती थी, जैसे हर कदम में उसे दर्द की याद आ रही हो।
मैं उसे देखकर हंस देता, और वह शरमाकर कहती, “यह सब तुम्हारी वजह से हुआ, अजय! तुम्हीं तो मुझे पॉर्न दिखाकर ऐसी फंतासियाँ बताते थे। अगर तुम न बोलते कि मुझे दो मर्दों से एक साथ चुदवाना है, तो मैं यह सब सोचती भी नहीं।” उसकी बात में गुस्सा कम, शरारत ज्यादा थी। मैं हंसकर टाल देता, लेकिन मन में एक अजीब सी उत्तेजना थी। उस रात का नजारा मेरी आँखों के सामने बार-बार घूमता था—रानी की साड़ी कमर तक उठी हुई, उसकी चूत और गांड में दो मोटे लंड एक साथ पेलते हुए, और उसकी सिसकारियाँ, “आह्ह… ऊह्ह… धीरे…”।
एक हफ्ते बाद, जब रानी की चूत और गांड की सूजन कुछ कम हुई, मैंने उसे बिस्तर पर चोदने की कोशिश की। उस रात वह सिर्फ एक पतली सी नाइटी पहने थी, जिसके नीचे कुछ भी नहीं था। मैंने उसे बाहों में लिया और उसकी चूत पर हाथ फेरा, लेकिन वह तड़प उठी, “आह्ह… अभी भी दर्द है, अजय।” मैंने हंसकर कहा, “चल, अब तो बता, उस रात क्या हुआ था। पूरी कहानी सुना, रानी।” वह शरमाई, लेकिन फिर मुस्कुराकर मेरे सीने पर सिर रखकर बोलने लगी। उसकी जुबानी यह कहानी सुनकर मेरा लंड फिर से तन गया।
रानी की जुबानी:
“अजय, जब मैं उस बर्थ पर चढ़ी, तो रामू ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे सहारा दिया। तुम्हें अंधेरे में दिखा नहीं, लेकिन उसके मजबूत, खुरदुरे हाथों का स्पर्श मेरे बदन में बिजली सी दौड़ा गया। पहली बार किसी गैर मर्द ने मुझे ऐसे छुआ था। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई, और मैं शरमा रही थी। मैं उनके बीच में बैठ गई। रामू और गोपाल दोनों मेरे बगल में थे, और उनकी मर्दानी खुशबू मुझे बेचैन कर रही थी। ठंड का मौसम था, लेकिन उनकी गर्म साँसें मेरे बदन को गरम कर रही थीं।
जब तुम सो गए, रामू ने मुझसे बात शुरू की। वह बोला, ‘भाभी जी, तुम तो बहुत माल लग रही हो। इतनी सेक्सी औरत मैंने आज तक नहीं देखी।’ मैंने शरमाकर कहा, ‘अरे, चुप करो, कोई सुन लेगा। मेरे पति यहीं हैं।’ लेकिन मेरी आवाज में शरम के साथ-साथ एक अजीब सी उत्तेजना थी। रामू ने मेरी बात को भांप लिया। वह और करीब आ गया और बोला, ‘सच कह रहा हूँ, भाभी। तुम्हारी साड़ी में तुम्हारी कमर और गांड… हाय… कयामत ढा रही हो।’ मैंने हंसकर कहा, ‘बस करो, कितना मक्खन लगाओगे!’ लेकिन मेरे बदन में गर्मी बढ़ रही थी।
गोपाल भी चुप नहीं रहा। वह मेरे दूसरी तरफ से चिपक गया और धीरे से मेरी कमर पर हाथ रख दिया। उसका स्पर्श मेरे बदन में आग लगा रहा था। मैं कुछ बोल पाती, उससे पहले रामू ने अपनी पैंट नीचे सरकाई और अपना मोटा, 8 इंच का काला लंड मेरी कमर पर टच करवाने लगा। अजय, तुम्हारा लंड तो उसके सामने कुछ भी नहीं था। उसका लंड इतना मोटा और गर्म था कि मेरी साँसें रुक गईं। मैंने धीमी आवाज में पूछा, ‘यह क्या कर रहे हो?’ वह हंसकर बोला, ‘भाभी, तुम्हारी फिगर देखकर मेरा ईमान डोल गया।’
मैंने भी शरारत में कहा, ‘ईमान डोला या कुछ और?’ इतना सुनते ही उसने मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। मैं सिहर उठी। उसका लंड पत्थर जैसा कड़क था, और मेरी हथेली में गर्मी भर रहा था। मैंने उसे धीरे-धीरे हिलाना शुरू किया। तभी गोपाल ने मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरी चूचियाँ दबानी शुरू कीं। ‘आह्ह…’ मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। मेरी 34C की चूचियाँ उसके खुरदुरे हाथों में मसल रही थीं, और मेरे निप्पल कड़क हो गए थे।
गोपाल ने मेरी साड़ी के अंदर हाथ डाला और मेरी चूत के दाने को रगड़ने लगा। ‘ऊह्ह… क्या कर रहे हो…’ मैंने सिसकारी ली, लेकिन मेरी आवाज में विरोध कम, मज़ा ज्यादा था। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। रामू ने कहा, ‘भाभी, ऐसे खुले में करेंगे तो कोई देख लेगा। तुम मेरे ऊपर आ जाओ, गोपाल चादर डाल देगा।’ मैंने मना किया, ‘नहीं, मेरे पति को पता चल जाएगा।’ लेकिन रामू ने मेरी कमर पकड़कर मुझे अपनी गोद में खींच लिया और बोला, ‘एक बार लेकर देखो, अपने पति को भूल जाओगी।’
उसकी बात ने मुझे तुम्हारी फंतासी याद दिला दी, अजय। तुम हमेशा कहते थे कि मुझे दो मोटे लंडों से एक साथ चुदवाना है। मेरे बदन में आग लग चुकी थी, और मैंने हल्के से हामी भर दी। रामू ने कहा, ‘पहले हम तुम्हारी चूत और गांड चाटेंगे।’ मैंने पूछा, ‘वह कैसे?’ उन्होंने मुझे बीच में लेटने को कहा। मैं करवट लेकर उनके बीच लेट गई। रामू मेरी चूत की तरफ था, और गोपाल मेरी गांड की तरफ। उनके मोटे, तगड़े लंड मेरे चेहरे के सामने थे, और उनकी गर्म खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी।
रामू ने मेरी साड़ी ऊपर उठाई और मेरी पैंटी को जांघों तक सरका दिया। उसने मेरी मोटी गांड को जोर से मसला और एक चांटा मारा। ‘आह्ह…’ मेरी सिसकारी निकल गई। फिर उसने मेरी पैंटी पूरी उतार दी। गोपाल ने मेरी गांड के छेद पर अपनी नाक घुसेड़ी और गहरी साँस ली। ‘हाय… क्या कर रहे हो…’ मैंने सिसकारी ली। रामू ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया, और उसकी जीभ मेरे चूत के दाने पर रगड़ रही थी। ‘आह्ह… ऊह्ह…’ मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। गोपाल ने मेरी गांड के छेद में अपनी जीभ डाल दी, और मैं तड़प उठी।
मैंने उनके दोनों लंड अपने हाथों में लिए और उन्हें चूसना शुरू किया। उनके लंड के टोपे लाल और गर्म थे, और उनमें से एक तीखी, मर्दानी खुशबू आ रही थी। मैंने रामू का लंड मुँह में लिया और उसे चूसा। ‘आह्ह… भाभी, क्या चूसती हो…’ रामू ने सिसकारी ली। गोपाल का लंड मेरे गाल पर रगड़ रहा था। मैंने बारी-बारी से दोनों के लंड चूसे, और उनकी सिसकारियाँ मेरे कानों में मज़े दे रही थीं।
रामू ने मेरी चूत में दो उंगलियाँ डाल दीं, और गोपाल ने मेरी गांड के छेद में एक उंगली। ‘आह्ह… धीरे…’ मैं तड़प उठी। दर्द और मज़े का मिश्रण मेरे बदन को झकझोर रहा था। रामू की जीभ मेरी चूत को चाट रही थी, और गोपाल की जीभ मेरी गांड के छेद को। ‘आह्ह… हाय… क्या कर रहे हो…’ मैं सिसकार रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी और दुनिया में चली गई हूँ। मैंने कभी नहीं सोचा था कि दो गैर मर्द मेरी चूत और गांड को एक साथ चाटेंगे।
करीब 10 मिनट तक यह चाटना-चूसना चला। फिर रामू ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया। उसने अपने 8 इंच के मोटे लंड को मेरी चूत पर सेट किया और टोपा रगड़ने लगा। ‘आह्ह… धीरे…’ मैंने सिसकारी ली। उसने मेरी कमर पकड़ी और एक जोरदार झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत में ठूंस दिया। ‘आआह्ह… हरामी… कुत्ते… मेरी चूत फट गई…’ मैं चिल्लाने को हुई, लेकिन उसने मेरा मुँह दबा लिया। मेरी चूत में जलन हो रही थी, लेकिन उसका गर्म लंड मेरे अंदर गहराई तक था। ‘फच-फच…’ लंड के अंदर-बाहर होने की आवाज गूंज रही थी।
मैं अभी रामू के लंड को बर्दाश्त कर ही रही थी कि गोपाल मेरे पीछे आ गया। उसने अपने 7 इंच के लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड के छेद पर सेट किया। ‘नहीं… वहाँ नहीं… आह्ह…’ मैंने विरोध किया, लेकिन वह नहीं माना। उसने धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी टाइट गांड में धकेला। ‘आआह्ह… मर गई…’ मैं दर्द से चिल्ला उठी। मेरी गांड का छेद इतना टाइट था कि पहले कभी उंगली भी नहीं गई थी, और अब उसमें 7 इंच का मोटा लंड घुस रहा था। गोपाल ने धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर ठूंस दिया। ‘थप-थप…’ उसकी जांघें मेरी गांड से टकरा रही थीं।
दोनों मजदूर अब मेरी चूत और गांड को एक साथ पेल रहे थे। ‘आह्ह… ऊह्ह… धीरे… तुम दोनों मुझे मार डालोगे…’ मेरी सिसकारियाँ दबी हुई थीं, क्योंकि रामू ने मेरा मुँह दबा रखा था। उन्होंने चादर ओढ़ ली, ताकि कोई देख न ले। रामू ने मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिए और मेरी चूचियों को आजाद कर दिया। उसने मेरे निप्पल को मुँह में लिया और काटने लगा। ‘आह्ह… मत काटो…’ मैं सिसकार रही थी। गोपाल ने भी एक हाथ आगे बढ़ाया और मेरी दूसरी चूची को मसलने लगा। ‘हाय… तुम दोनों भूखे भेड़िए हो…’ मैंने दबी आवाज में कहा।
वे दोनों हंसते हुए बोले, ‘हाँ, भाभी, तू तो कड़क माल है। तेरी चूत और गांड इतनी टाइट हैं, लगता है तेरे पति ने तुझे कभी सुख दिया ही नहीं। अब हम तुझे असली मज़ा देंगे।’ उनकी गंदी बातें मुझे और गर्म कर रही थीं। ‘फच-फच… थप-थप…’ उनकी चुदाई की आवाजें ट्रेन के सन्नाटे में गूंज रही थीं। मैं कई बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत और गांड अब उनके लंडों के साथ तालमेल बिठा रही थीं। मैंने भी अपनी गांड हिलानी शुरू की, ताकि उनके लंड और गहरे जाएँ। ‘आह्ह… और जोर से… ऊह्ह…’ मैं अब खुलकर मज़े ले रही थी।
करीब 20 मिनट तक यह सिलसिला चला। दोनों के लंड मेरी चूत और गांड को रगड़-रगड़ कर चोद रहे थे। अचानक रामू ने एक जोरदार धक्का मारा और मेरी चूत में अपना गर्म माल छोड़ दिया। ‘आह्ह… कितना गर्म है…’ मैंने सिसकारी ली। गोपाल भी नहीं रुका और उसने मेरी गांड में अपना रस भर दिया। ‘ऊह्ह…’ मेरी साँसें तेज थीं, और मेरा बदन थरथरा रहा था। दोनों मुझसे अलग हुए, और मैंने अपनी साड़ी और पैंटी ठीक की। मेरी चूत और गांड से उनका माल बह रहा था, और मुझे चलने में दर्द हो रहा था।
अजय की बात:
रानी की यह कहानी सुनकर मेरा लंड पत्थर की तरह कड़क हो गया। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी नाइटी ऊपर उठाई। उसकी चूत अभी भी लाल थी, और उसका छेद चौड़ा हो चुका था। मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला और पेलना शुरू किया। ‘फच-फच…’ मेरे लंड की आवाज गूंज रही थी, लेकिन रानी के चेहरे पर वह मज़ा नहीं था, जो उस रात था। कुछ ही मिनट में मैं उसकी चूत में झड़ गया। मैंने पूछा, ‘कैसा लगा?’ वह हंस दी और बोली, ‘अजय, सच कहूँ, तुम्हारा लंड अब कुछ खास नहीं लगता। उन दोनों के मोटे लंडों ने मेरी चूत और गांड को ऐसा खोला कि अब तुम्हारी नूनी कुछ छोटी सी लगती है।’
मैं हंस पड़ा, लेकिन कहीं न कहीं मुझे जलन भी हो रही थी। फिर भी, यह देखकर सुकून था कि रानी अब खुलकर अपनी सेक्स लाइफ एन्जॉय कर रही थी। मैंने उसकी गांड भी मारी, लेकिन उसका छेद अब इतना चौड़ा था कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। उन मजदूरों ने मेरी पत्नी की गांड को गड्डा बना दिया था।
अब हम दोनों अपनी सेक्स लाइफ में खुश हैं। रानी ने उस रात के बाद किसी और के साथ सेक्स नहीं किया, लेकिन मैंने उसे पूरी छूट दे रखी है। अगर भविष्य में कुछ होता है, तो वह जरूर अपनी कहानी लिखेगी। दोस्तो, मेरी बीवी की इस बैड वाइफ डर्टी स्टोरी पर आप क्या सोचते हैं? अपने विचार जरूर बताएँ।