मेरे बॉयफ्रेंड ने दो बाबाओं से चुदवा दिया

Guru baba sex kahani दोस्तो, मैं सोनम, 27 साल की, 34-30-36 के फिगर वाली, भरे-भरे चूचों और उभरी हुई गांड की मालकिन, फिर से अपनी चुदाई की कहानी लेकर हाज़िर हूं। मेरी सहेली रिया, 26 साल की, 32-28-34 के फिगर वाली गोरी और हसीन लड़की है। मेरा बॉयफ्रेंड महेश, 29 साल का, लंबा, कसरती बदन और 7 इंच के मोटे लंड वाला मर्द, जो मुझे हर बार नई मस्ती देता है।

मेरी पिछली कहानी(जंगल में बाबा ने चोदा, बॉयफ्रेंड देख रहा था) में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने जंगल में एक बाबा से अपनी चूत चुदवायी थी। उसका 7 इंच का मोटा लंड मेरी चूत में ऐसा घुसा कि मैं उसकी दीवानी हो गयी। बाबा ने बताया था कि उनके उस्ताद का लंड उससे भी बड़ा है। ये सुनकर मेरी चूत में खुजली मच गयी थी, और मैंने ठान लिया कि उस्ताद के लंड का मजा भी लूंगी। अब आगे की कहानी सुनिए, जिसमें मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे दो बाबाओं से चुदवा दिया।

उस दिन जंगल में बाबा की चुदाई के बाद मैं घर पहुंची। मेरा बदन अभी भी गर्म था, और चूत में हल्की सी जलन थी। रात को मैं व्हाट्सएप पर महेश से चैट कर रही थी। हम दोनों गंदी-गंदी बातें कर रहे थे, और मेरी चूत फिर से गीली होने लगी थी। तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। मैंने सोचा, इतनी रात को कौन हो सकता है? दरवाजा खोला तो सामने एक भिखारी खड़ा था। वो 35-40 साल का रहा होगा, दुबला-पतला, लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने खाना मांगा। मैंने उसे खाना दे दिया, लेकिन मेरी चूत की चुदास अब उस्ताद के लंड के लिए मचल रही थी। मैंने भिखारी से कहा, “बाद में आना।” वो चला गया, और मैं वापस महेश से चैट करने लगी।

महेश ने पूछा, “इतनी देर बाद जवाब क्यों दिया?” मैंने बताया, “एक भिखारी खाना मांगने आया था।” वो हंस पड़ा और बोला, “अरे, भिखारी से याद आया। बाबा के उस्ताद के पास कब चलना है?” उसने जैसे ही उस्ताद का नाम लिया, मेरी चूत में फिर से सनसनी दौड़ गयी। मैंने लिखा, “तू बता, कब चलें?” उसने तुरंत जवाब दिया, “कल सुबह 8 बजे।” मैंने हां कहा और चैट बंद हो गयी। मैं बिस्तर पर लेट गयी और बाबा की चुदाई को याद करने लगी। मेरी चूत इतनी गीली थी कि मैंने उंगलियां अंदर डालकर रगड़ना शुरू कर दिया। “आह्ह… बाबा… उस्ताद…” सिसकारते हुए मैं झड़ गयी और सो गयी।

सुबह महेश ठीक 8 बजे मेरे घर पहुंच गया। मैंने एक टाइट नीली कुर्ती और लेगी पहनी थी, जिसमें मेरी चूचियां और गांड और भी उभर रही थीं। महेश की नजरें मेरे बदन पर टिक गयीं। वो बोला, “सोनम, तू तो आज मार ही डालेगी।” मैं हंस दी और हम जंगल की ओर निकल पड़े। जंगल में पहुंचते ही बाबा की झोपड़ी दिखी। हम अंदर गए तो बाबा नाश्ता बना रहे थे। वो 50-55 साल के थे, लंबे, दुबले, लेकिन तगड़े। उनकी सफेद दाढ़ी और भगवा धोती उन्हें एक अलग ही रौब दे रही थी।

हमने बाबा को प्रणाम किया। बाबा ने मुझे देखते ही मुस्कराया, और उनकी आंखों में वही चुदास भरी चमक थी। उन्होंने हमें बैठने को कहा और चाय दी। फिर पूछा, “कैसे आना हुआ?” महेश ने कहा, “बाबा, आपका धन्यवाद करने आए हैं।” बाबा हंस पड़े और बोले, “धन्यवाद की क्या बात? इंसान ही इंसान के काम आता है।” महेश ने मुझे आंख मारी और बोला, “मैं गाड़ी से सामान लाता हूं, जो हम आपके लिए लाए हैं।” मैंने कहा, “हां, जाओ।”

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महेश के जाते ही बाबा मुझ पर लपक पड़े। उन्होंने मुझे अपनी बांहों में खींच लिया और मेरे होंठों को पागलों की तरह चूसने लगे। उनकी दाढ़ी मेरे चेहरे पर गुदगुदा रही थी, लेकिन उनके होंठों का स्वाद मुझे गर्म कर रहा था। “आह्ह… बाबा…” मैं सिसकार उठी। उनके हाथ मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरी चूचियों पर चले गए। वो मेरे चूचों को जोर-जोर से मसलने लगे। मेरी चूत गीली होने लगी थी। मैंने बिना वक्त गंवाए अपनी लेगी नीचे खींच दी और घोड़ी बन गयी। मेरी गांड बाबा के सामने थी, और मेरी पैंटी मेरी चूत को बमुश्किल ढक रही थी।

बाबा ने भी देर नहीं की। उन्होंने अपनी धोती उठाई और अपना 7 इंच का मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ा। “आह्ह… बाबा… डाल दो…” मैं सिसकार रही थी। बाबा ने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। “आह्ह…” मेरी चीख निकल गयी। बाबा ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और तेज़ी से धक्के मारने लगे। “पट-पट… थप-थप…” की आवाज़ झोपड़ी में गूंज रही थी। मैं चुदाई के मजे में डूब गयी। “आह्ह… बाबा… और जोर से… चोदो मेरी चूत को…” मैं सिसकार रही थी।

कुछ मिनट बाद बाबा झड़ गए। उनका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। मैं घूमी और उनके लंड को चाटकर साफ कर दिया। उसका स्वाद मुझे और गर्म कर रहा था। मैंने अपनी लेगी और पैंटी ठीक की और पूछा, “बाबा, आपके उस्ताद कहां रहते हैं?” बाबा ने मुस्कराकर कहा, “वो उस पहाड़ी के पीछे की झोपड़ी में रहते हैं।” मैंने कहा, “कब जाऊं उनके पास?” बाबा ने पूछा, “क्या काम है?” मैंने शरमाते हुए कहा, “उनसे चुदवाना है।” बाबा हंस पड़े और बोले, “परसों सुबह जल्दी आ जाना। मैं कल उनके पास जा रहा हूं, सब बता दूंगा। लेकिन तू अकेली आना।” मैंने कहा, “ठीक है, बाबा।”

महेश बाहर खड़ा ये सब सुन रहा था। वो सामान लेकर अंदर आया और बाबा को सामान देकर हम निकल गए। रोड पर आते ही महेश बोला, “सोनम, बाबा तो तेरा दीवाना हो गया है।” मैं हंस दी और बोली, “अब उस्ताद की बारी है। परसों चलते हैं।” महेश ने कहा, “लेकिन बाबा ने तो तुझे अकेले आने को कहा।” मैंने कहा, “उसकी परवाह मत कर। हम दोनों ही जाएंगे।”

परसों सुबह हम जल्दी निकल पड़े। महेश ने गाड़ी को झोपड़ी से काफी पहले रोक दिया, और हम पैदल चल दिए। थोड़ी देर बाद उस्ताद की झोपड़ी दिखी। महेश झाड़ियों में छिप गया ताकि बाबा उसे न देखें। मैं झोपड़ी में गयी। वहां बाबा और उनके उस्ताद थे। उस्ताद 60 साल के आसपास थे, लंबे, मजबूत, और उनकी सफेद दाढ़ी उनके चेहरे को और रौबीला बना रही थी। उनकी आंखों में एक गहरी चुदास थी। बाबा ने मुझे देखते ही कहा, “आ जा, बैठ जा।” मैं उस्ताद की ओर देखने लगी।

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बाबा ने कहा, “उस्ताद जी, ये वही कन्या है, जिसके बारे में मैंने बताया था।” उस्ताद ने मुझे ऊपर से नीचे तक घूरा और बोले, “इसका जिस्म तो बहुत गर्म है।” बाबा ने हंसकर कहा, “हां, बहुत गर्म है।” उस्ताद ने अपनी धोती जांघ तक उठाई और बोले, “आ जा, मेरी जांघ पर बैठ।” मैं उनकी जांघ पर बैठ गयी। उनका एक हाथ मेरी गांड पर फिसलने लगा, और दूसरा मेरी चूचियों पर। वो मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरे चूचों को मसलने लगे। मेरी चूत गीली होने लगी।

बाबा ने कहा, “आज से तू हम दोनों की रांड है।” मैंने हां में सिर हिलाया। उस्ताद बोले, “मेरी रांड, नंगी हो जा।” मैंने अपनी नीली कुर्ती उतारी और लेगी नीचे खींच दी। अब मैं सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थी। उस्ताद ने कहा, “क्या मस्त जिस्म है तेरा!” मैं शरमाकर हंस दी। मैंने अपनी ब्रा खोली, और मेरी चूचियां आज़ाद हो गयीं। मैंने उन्हें हिलाया तो उस्ताद का लंड उनकी धोती में तन गया। फिर मैंने पैंटी उतारी और पूरी नंगी होकर नीचे बैठ गयी।

बाबा ने इशारा किया, और मैं घुटनों के बल उस्ताद के पास गयी। मैंने उनकी धोती और लंगोट खोली। उनका 9 इंच का काला, मोटा लंड मेरे सामने था, जैसे कोई अजगर हो। मैंने बिना वक्त गंवाए उसे मुंह में लिया और चूसने लगी। “आह्ह… उस्ताद जी…” मैं सिसकार रही थी। उस्ताद मेरी चूचियों को मसल रहे थे, और बाबा मेरे पीछे आ गए। बाबा ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरी चूत की फांकों पर फिसल रही थी, और मैं सिसकार उठी, “आह्ह… बाबा… और चाटो…”

कुछ देर बाद उस्ताद ने कहा, “अब मैं पीछे आता हूं। तू बाबा का लंड चूस।” मैंने बाबा का 7 इंच का लंड मुंह में लिया, और उस्ताद मेरी चूत पर अपना मोटा लंड रगड़ने लगे। उनका लंड इतना मोटा था कि मेरी चूत की फांकें खुल गयीं। “आह्ह… उस्ताद जी… डाल दो…” मैं सिसकार रही थी। उस्ताद ने मेरी चूत पर लंड सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… मम्मी… मर गयी…” मैं चीख पड़ी। उनका 9 इंच का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ आधा अंदर घुस गया।

मैंने कहा, “उस्ताद जी… निकालो… बहुत मोटा है… मेरी चूत फट जाएगी…” लेकिन उस्ताद ने मेरी एक न सुनी। उन्होंने हल्के-हल्के धक्के मारने शुरू किए। कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हुआ, और मुझे मजा आने लगा। मैं उनकी चुदाई का साथ देने लगी। “आह्ह… उस्ताद जी… और चोदो… मेरी चूत को फाड़ दो…” मैं सिसकार रही थी। उस्ताद के धक्कों से मेरी चूचियां उछल रही थीं, और “पट-पट…” की आवाज़ झोपड़ी में गूंज रही थी। मैं दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन उस्ताद का लंड अभी भी तना हुआ था।

उस्ताद ने पूछा, “मेरा माल चूत में लेगी या मुंह में?” मैंने कहा, “मुंह में।” मैं घूमी और उनके लंड को चूसने लगी। कुछ ही पलों में उनका गर्म माल मेरे गले में पिचकारी की तरह गिरा। मैंने सारा माल पी लिया। फिर बाबा ने भी मुझे चोदा, और मैंने उनका माल भी पी लिया। थोड़ी देर बाद उस्ताद ने मुझे एक काला शरबत पिलाया। उसकी गंध तीखी थी, लेकिन उसे पीते ही मेरे बदन में नई ताकत आ गयी।

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अब दोनों ने फिर से मुझे चोदना शुरू किया। बाबा मेरी चूत में लंड पेल रहे थे, और उस्ताद मेरी चूचियों को चूस रहे थे। दोपहर के 3 बज चुके थे, और मैं चार-चार बार चुद चुकी थी। मैंने कहा, “उस्ताद जी, अब मैं चलती हूं।” उस्ताद बोले, “एक बार दोनों से एक साथ चुद ले।” मैं समझ गयी कि वो मेरी गांड मारना चाहते हैं। मैंने कहा, “उस्ताद जी, गांड में बहुत दर्द होगा।” वो बोले, “पगली, मजा भी बहुत आएगा। मेरे पास औषधि है।”

उस्ताद ने मुझे वही शरबत फिर से पिलाया। मेरे बदन में मस्ती छा गयी। मैंने उस्ताद का लंड अपनी चूत में लिया और ऊपर-नीचे होने लगी। “आह्ह… उस्ताद जी… कितना मोटा है…” मैं सिसकार रही थी। तभी बाबा ने पीछे से मेरी गांड पर थूक लगाया और एक झटके में अपना लंड पेल दिया। “आह्ह… बाबा… मर गयी…” मैं चीख पड़ी। मेरी गांड जैसे फट गयी थी। बाबा ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और उस्ताद मेरी चूत में लंड पेल रहे थे।

कुछ देर बाद उस्ताद बोले, “अब मैं तेरी गांड मारूंगा।” दोनों ने जगह बदली। बाबा ने मेरी चूत में लंड डाला, और उस्ताद ने मेरी गांड पर थूक लगाकर एक झटके में अपना 9 इंच का लंड पेल दिया। “आह्ह… उस्ताद जी… फट गयी मेरी गांड…” मैं रोने लगी। मेरे आंसू निकल आए, लेकिन दोनों को कोई रहम नहीं था। वो मुझे धकापेल चोदते रहे। कुछ देर बाद दर्द कम हुआ, और मुझे मजा आने लगा। “आह्ह… बाबा… उस्ताद जी… चोदो अपनी रांड को… दोनों छेदों में पेलो…” मैं सिसकार रही थी।

करीब 15 मिनट बाद दोनों ने मेरे मुंह पर अपना माल छोड़ दिया। मैंने उनकी उंगलियों से उनका माल चाटा और दोनों के लंड चाटकर साफ किए। मैं थककर गद्दे पर लेट गयी। घड़ी में 4 बज चुके थे। मैंने कहा, “बाबा जी, उस्ताद जी, अब मैं चलती हूं।” मैंने दोनों को अपना नंबर दिया और बोली, “जल्दी फोन ले लो, हमारा मिलना-जुलना चलता रहेगा।”

मैं बाहर निकली और थोड़ी दूर जाकर रुकी। महेश झाड़ियों से निकला और मुझे किस करते हुए बोला, “सोनम, तूने तो कमाल कर दिया।” मैंने हंसकर पूछा, “फिल्म बनायी?” वो बोला, “हां, पूरी वीडियो बना ली।” हम दोनों गाड़ी की ओर चल दिए।

दोस्तो, मेरी गुरु बाबा सेक्स कहानी आपको कैसी लगी? अपने मैसेज और कमेंट्स में जरूर बताएं। आपकी राय से मुझे और मस्त कहानियां लिखने की प्रेरणा मिलेगी।

कहानी का अगला भाग: बॉयफ्रेंड के नौकर से चुदवाया

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