Saheli ke boyfriend se chudai दोस्तो, मेरा नाम सोनम है। मेरी उम्र 27 साल है, और मेरा फिगर 34-30-36 का है, जो मेरे बदन को एकदम कातिलाना लुक देता है। मेरी चूचियां भरी-भरी और गोल हैं, कमर पतली और गांड उभरी हुई, जो चलते वक्त लोगों की नजरें खींच लेती हैं। मैं एक ऐसी लड़की हूं, जो बाहर से भोली दिखती है, लेकिन अंदर से कामुकता का तूफान छिपाए रखती है। ये कहानी मेरी और मेरी सहेली के बॉयफ्रेंड महेश की है, जिसे मैंने अपना चोदू यार बना लिया।
एक दिन मैं अपनी सहेली रिया के घर गयी थी। रिया मेरी बचपन की दोस्त है, 26 साल की, गोरी, लंबी और हसीन। उसका फिगर 32-28-34 है, और वो हमेशा टाइट कपड़ों में अपनी खूबसूरती को और निखार देती है। उस दिन जब मैं उसके घर पहुंची, तो देखा कि उसका एक दोस्त वहां बैठा हुआ था। उसका नाम महेश था। महेश 29 साल का था, लंबा, गोरा, और कसरती बदन वाला। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, और उसका चेहरा इतना आकर्षक था कि कोई भी लड़की उसे देखकर पिघल जाए। उसकी मुस्कान में एक शरारत थी, जो मुझे तुरंत भा गयी।
रिया ने हमारा परिचय करवाया। मैंने महेश से थोड़ी-बहुत बात की, और उसकी आवाज में एक गहरापन था, जो मेरे दिल को छू गया। बातों-बातों में उसने मुझसे मेरा फोन नंबर मांग लिया। मैं थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन उसकी आंखों में कुछ ऐसा था कि मैं मना नहीं कर पायी। मैंने उसे अपना नंबर दे दिया, और उसी दिन से हमारी बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया।
हम रोज़ फोन पर घंटों बातें करने लगे। वो मुझे अपनी जिंदगी के किस्से सुनाता, और मैं उसे अपनी। धीरे-धीरे हमारी बातें पर्सनल होने लगीं। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी गर्मी थी, जो मुझे बेचैन कर देती थी। पता नहीं कब, मैं उससे प्यार करने लगी। एक दिन फोन पर बात करते-करते मैंने अपने दिल की बात कह दी। उसने भी हंसते हुए कहा, “सोनम, मेरे दिल में भी वही है जो तुम्हारे दिल में है।” उस पल मेरे दिल में जैसे तितलियां उड़ने लगीं। हमने एक-दूसरे से अपने प्यार का इजहार किया और मिलने का प्लान बनाया।
पहली बार जब हम मिले, तो एक कॉफी शॉप में घंटों बातें करते रहे। महेश ने मुझे छूने की कोशिश नहीं की, और मैंने भी कोई इशारा नहीं दिया। लेकिन उसकी नजरें मेरे चेहरे पर, मेरे होंठों पर, और कभी-कभी मेरी चूचियों पर रुक जाती थीं। मुझे उसकी ये हरकतें अंदर ही अंदर गुदगुदा रही थीं। दूसरी मुलाकात में उसने मुझे गले लगाया। उसकी बांहों की गर्मी ने मेरे बदन में एक अजीब सी सिहरन पैदा कर दी। मुझे बहुत अच्छा लगा, और मैं धीरे-धीरे उसके साथ खुलने लगी।
अब हम अक्सर मिलने लगे। वो कभी मेरे कंधे सहलाता, कभी मेरी जांघ पर हाथ रख देता, और कभी मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी बांहों में ले लेता। उसका स्पर्श मेरे बदन को गर्म कर देता था। कई बार मैंने उसकी पैंट में तना हुआ लंड देख लिया था। उसका लंड पैंट के अंदर से इतना उभरा हुआ दिखता था कि मेरी चूत में हल्की सी गीलापन होने लगता था। मैं समझ गयी थी कि वो मेरे साथ चुदाई करना चाहता है, लेकिन ना उसने कभी पहल की, ना ही मैंने। हम दोनों बस एक-दूसरे को तड़पाते रहे।
एक दिन हम एक पार्क में बैठे थे। चारों तरफ हरियाली थी, और हल्की ठंडी हवा चल रही थी। महेश ने अचानक पूछा, “सोनम, तुम कभी स्पा गयी हो?” मैंने कहा, “नहीं, ब्यूटी पार्लर तो गयी हूं, लेकिन स्पा में कभी नहीं।” उसने हंसते हुए कहा, “तो इसका मतलब तुमने कभी मसाज भी नहीं लिया?” मैंने जवाब दिया, “हां, कभी नहीं। क्यों, क्या बात है?” वो बोला, “यार, मेरा बदन आज बहुत दर्द कर रहा है। मुझे मसाज की जरूरत है। लेकिन तुम्हें तो मसाज के बारे में कुछ पता ही नहीं।” मैंने हंसकर कहा, “हां, मुझे क्या पता! मैंने तो कभी करवाया ही नहीं।”
उसने फिर कहा, “चलो, फिर आज मेरे दोस्त के रूम पर चलते हैं। वहां मैं तुम्हें मसाज करना सिखाऊंगा, और फिर तुम मेरी मसाज कर देना।” उसकी बात में एक शरारत थी, जो मुझे और उकसा रही थी। मैंने हामी भर दी। वो मुझे अपने दोस्त के रूम पर ले गया। उसका दोस्त उस दिन बाहर गया हुआ था और शाम को आने वाला था। हम दोपहर से पहले ही रूम पर पहुंच गये।
रूम में पहुंचकर हमने थोड़ा रिलैक्स किया। मैंने एक गुलाबी रंग का टाइट सूट और सलवार पहना हुआ था, जिसमें मेरी चूचियां और गांड और भी उभर कर दिख रही थीं। महेश की नजरें बार-बार मेरे बदन पर टिक रही थीं। थोड़ी देर बाद वो बोला, “चलो, अब मसाज करना सिखाता हूं।” मैंने हंसते हुए कहा, “हां, सिखाओ।” वो बोला, “ऐसे सूट-सलवार में कैसे सिखाओगी?” मैंने मजाक में कहा, “तो क्या, बिना कपड़ों के सिखाओगे?” उसने हंसकर जवाब दिया, “मैंने ऐसा तो नहीं कहा, लेकिन पूरे कपड़े रहेंगे तो मसाज का मजा नहीं आएगा। कपड़े उतार लो, सिर्फ ब्रा-पैंटी में रहो।”
मैं थोड़ा शरमायी। मेरे दिल में एक अजीब सी हलचल होने लगी। मैंने कपड़े उतारने से मना कर दिया। वो थोड़ा उदास हो गया और मुंह बनाकर बैठ गया। उसे नाराज़ देखकर मुझे बुरा लगा। मैंने सोचा, पहली बार उसने कुछ करने को कहा है, तो क्यों ना कर दूं। मैंने हिम्मत जुटाई और उसके सामने ही अपनी गुलाबी शर्ट उतार दी। फिर धीरे-धीरे सलवार भी निकाल दी। अब मैं सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थी। मेरी चूचियां ब्रा में कसी हुई थीं, और मेरी पैंटी मेरी चूत को बमुश्किल ढक रही थी। मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, लेकिन साथ ही एक अजीब सा जोश भी था। मैंने अपने कपड़े उठाकर एक तरफ रख दिए।
महेश ने मुझे गद्दे पर पेट के बल लेटने को कहा। मैं लेट गयी, और वो एक तेल की बोतल लेकर आया। उसने पहले मेरे कंधों पर तेल डाला और धीरे-धीरे मसाज करने लगा। उसके गर्म हाथ मेरे कंधों पर फिसल रहे थे, और मेरे बदन में सिहरन दौड़ रही थी। फिर वो मेरी पीठ पर आया, लेकिन मेरी ब्रा के हुक बीच में आ रहे थे। उसने नीचे कमर की ओर मसाज शुरू की। उसके हाथ मेरे कूल्हों तक पहुंच रहे थे, और हर बार जब वो मेरी गांड के पास पहुंचता, मेरी चूत में एक हल्की सी गुदगुदी होने लगती थी।
मुझे मसाज का ये अनुभव पहली बार मिल रहा था, और वो भी एक मर्द के हाथों से। वो फिर से मेरी पीठ पर आया और बोला, “सोनम, ये ब्रा की पट्टी खोल लो, नहीं तो मसाज ठीक से नहीं हो पाएगी।” मैं थोड़ा हिचकिचाई। अपने बॉयफ्रेंड के सामने ब्रा खोलना मेरे लिए नया था। लेकिन उसने कहा, “यार, पीठ की मसाज से बहुत रिलैक्स होता है।” मैंने हिम्मत करके कहा, “तुम ही खोल दो।” उसने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए। मेरी ब्रा की पट्टियां मेरी चूचियों के साइड में लटक गयीं। अब मेरी पीठ पूरी तरह नंगी थी।
उसके हाथ अब मेरी पीठ पर फिसलने लगे। धीरे-धीरे वो मेरी बगलों के पास पहुंचा, जहां मेरी चूचियों का निचला हिस्सा शुरू होता था। उसकी उंगलियां मेरी चूचियों को हल्का-हल्का छू रही थीं। मेरे बदन में एक अजीब सी गर्मी और झुरझुरी होने लगी। कोई मर्द पहली बार मेरी चूचियों को छू रहा था। उसने धीरे-धीरे अपनी पकड़ बढ़ाई, और अब उसकी उंगलियां मेरी चूचियों के आधे हिस्से तक पहुंच रही थीं। वो मेरी चूचियों को हल्के से दबाता और फिर वापस पीठ पर चला जाता। मैं कुछ नहीं बोली, क्योंकि मुझे बहुत मजा आ रहा था।
फिर उसका ध्यान मेरी जांघों पर गया। उसने मेरी जांघों पर तेल डाला और मसाज शुरू की। उसने मेरी टांगें थोड़ी और फैलायीं, और अब उसके हाथ मेरी चूतड़ों के नीचे तक जा रहे थे। उसकी उंगलियां मेरी पैंटी के किनारों को छू रही थीं, और कभी-कभी वो पैंटी के अंदर तक घुस जाती थीं। उसकी उंगलियां मेरी चूत से बस इंच भर की दूरी पर रुक रही थीं। मुझे लग रहा था कि वो मेरी चूत को छूना चाहता है, लेकिन मैंने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। मैं अब तक पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। मेरी चूत गीली होने लगी थी, और मेरे निप्पल्स सख्त होकर मेरी ब्रा को और टाइट कर रहे थे।
अचानक उसने मेरी चूत को हल्के से छुआ। मेरे मुंह से एक हल्की सी सिसकारी निकली, “आह्ह…” मुझे इतना मजा आया कि मैंने खुद को और ढीला छोड़ दिया। उसने फिर से मेरी चूत को सहलाया, और इस बार उसकी उंगलियां मेरी चूत की फांकों पर रुक गयीं। मैंने सोचा, अब जो होगा, होने दो। मैं उसे रोकने वाली नहीं थी। उसने मेरी चूत को और जोर से सहलाना शुरू किया। मेरी सांसें तेज़ हो गयीं। उसने मेरी पैंटी को धीरे-धीरे नीचे खींच दिया। अब मैं सिर्फ अपनी खुली हुई ब्रा में थी, और मेरी चूत और गांड उसके सामने पूरी नंगी थी।
वो नीचे गया और मेरी टांगों को और फैलाकर मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत की फांकों पर फिसल रही थी, और मैं सिसकार उठी, “आह्ह… ओह्ह… महेश… ये क्या कर रहे हो…” उसने मेरी चूत में जीभ डाल दी और उसे चूसने और काटने लगा। मेरे बदन में जैसे आग लग गयी। मैं अपनी चूचियों को खुद ही सहलाने लगी। मेरी चूचियां अब पूरी तरह नंगी थीं, क्योंकि ब्रा मेरे कंधों से नीचे खिसक चुकी थी। मैं सिसकार रही थी, “आह्ह… उह्ह… और करो… आह्ह…” मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और मेरे निप्पल्स सख्त होकर दर्द करने लगे थे।
महेश ने मेरी हालत देखकर समझ लिया कि अब मुझे चुदाई चाहिए। उसने एक मिनट में अपने सारे कपड़े उतार फेंके। उसका लंड देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गयीं। वो करीब 7 इंच लंबा और मोटा था, जिसकी नसें उभरी हुई थीं। वो मेरे ऊपर आ गया और मेरे होंठों को चूसने लगा। उसका लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा था, और मैं उसकी गर्मी को महसूस कर रही थी। मैंने उसे अपनी बांहों में कस लिया और उसका साथ देने लगी।
उसने मेरी चूत पर अपना लंड सेट किया और एक जोरदार झटका मारा। “आह्ह…” मैं दर्द से चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया था। मेरी चूत टाइट थी, और मुझे हल्का सा दर्द हो रहा था। उसने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और मेरे गालों को चूमने लगा। वो मेरी चूचियों को सहलाने लगा, और धीरे-धीरे मेरे दर्द को कम करने की कोशिश करने लगा। कुछ देर बाद जब मैं शांत हुई, उसने धीरे-धीरे लंड को हिलाना शुरू किया।
पहले तो मुझे हल्का सा दर्द हुआ, लेकिन कुछ ही धक्कों के बाद मुझे मजा आने लगा। मैंने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और उसका साथ देने लगी। “आह्ह… महेश… और करो… आह्ह…” मैं सिसकार रही थी। उसने धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब उसका लंड मेरी चूत में तेज़ी से अंदर-बाहर हो रहा था। हर धक्के के साथ मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मैं जोर-जोर से सिसकार रही थी, “आह्ह… उह्ह… चोदो मुझे… और जोर से…”
उसने मेरी चूचियों को जोर से दबाना शुरू किया और मेरे निप्पल्स को अपनी उंगलियों में मसलने लगा। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और हर धक्के के साथ “पच-पच” की आवाज़ आ रही थी। मैंने अपनी टांगें और फैला दीं ताकि उसका लंड और गहराई तक जाए। वो मुझे और जोर से चोदने लगा। “सोनम… तेरी चूत कितनी टाइट है… आह्ह… मजा आ रहा है…” वो सिसकार रहा था।
करीब 10 मिनट तक उसने मुझे ऐसे ही चोदा। इस बीच मैं दो बार झड़ गयी। मेरी चूत से पानी निकल रहा था, और मेरे बदन में एक अजीब सी मस्ती छा गयी थी। आखिरकार, उसने एक जोरदार धक्का मारा और मेरी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया। “आह्ह…” वो मेरे ऊपर लेट गया, और मैं भी उसकी बांहों में निढाल हो गयी। मेरी आंखें बंद थीं, और मेरे चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान थी। पहली बार चुदाई का ये अनुभव मेरे लिए जन्नत जैसा था।
हम कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहे। उसका लंड अभी भी मेरी चूत में था, और मुझे उसकी गर्मी महसूस हो रही थी। थोड़ी देर बाद उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने मुझे फिर से चोदना शुरू कर दिया। इस बार वो और जोश में था। उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया। “आह्ह… महेश… और जोर से…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरी गांड पर हल्के-हल्के थप्पड़ मारने शुरू किए, जिससे मेरी चुदास और बढ़ गयी। “पच-पच… थप-थप…” की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी। इस बार भी मैं एक बार झड़ गयी, और उसने मेरी चूत में फिर से माल छोड़ दिया।
उस दिन के बाद मैं उसके लंड की दीवानी हो गयी। अब वो हफ्ते में तीन-चार बार मुझे अपने दोस्त के रूम पर ले जाता और मेरी चूत की मस्त चुदाई करता। हर बार वो मुझे नए-नए तरीके से चोदता, और मैं हर बार और ज्यादा मस्ती में डूब जाती। एक दिन उसने चलती कार में मुझसे उसका लंड चूसने को कहा। मैं थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर मैंने उसका लंड अपने मुंह में ले लिया। उसका लंड मेरे मुंह में गर्म और सख्त था। मैं उसे जोर-जोर से चूसने लगी, और वो सिसकारने लगा, “आह्ह… सोनम… तू तो कमाल है… और चूस… आह्ह…” मैंने उसकी गोटियों को भी सहलाया, और उसका सारा माल मेरे मुंह में ही निकल गया। मैंने उसे चाट लिया, और मुझे उसका स्वाद बहुत अच्छा लगा।
अब मैं उसके साथ पूरी तरह खुल चुकी थी। वो जो कहता, मैं कर देती। उसकी हर बात में मुझे मजा आता था। मैं उससे प्यार करने लगी थी, और वो भी मेरे लिए पागल था। एक दिन हम कार में घूमने जा रहे थे। रास्ते में एक भिखारी सड़क किनारे बैठा दिखा। महेश ने शरारती अंदाज में कहा, “सोनम, इस भिखारी को तेरी चूचियां दिखाते हैं। बड़ा मजा आएगा।” मैं हैरान हो गयी, लेकिन उसकी बात में एक अजीब सा रोमांच था। मैंने हंसकर हामी भर दी।
उसने कहा, “अपनी कुर्ती और ब्रा उतार दे, और सिर्फ चुन्नी डाल ले। फिर आगे वाली सीट पर लेट जा।” मैंने वैसा ही किया। मैंने अपनी कुर्ती और ब्रा उतार दी और सिर्फ चुन्नी से अपने सीने को ढक लिया। महेश ने गाड़ी उस भिखारी के पास रोकी। उसने भिखारी को पैसे दिखाए, और वो पास आने लगा। जैसे ही वो पास आया, मैंने अपनी चुन्नी हटा दी। मेरी नंगी चूचियां उसके सामने थीं। उसकी आंखें फटी की फटी रह गयीं। वो मेरी चूचियों को घूरने लगा। मैं नीचे-नीचे मुस्करा रही थी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था।
महेश ने मुझसे पूछा, “दबा लूं?” मैंने हंसकर कहा, “हां, दबा लो।” उसने मेरी चूचियों को जोर से दबाया, और भिखारी बस हैरानी से देखता रहा। फिर हम गाड़ी आगे ले आए। महेश ने पूछा, “मजा आया?” मैंने कहा, “हां, बहुत मजा आया।” वो बोला, “ठीक है, अब अपनी लेगी और पैंटी भी उतार दे। घोड़ी बन जा और मेरा लंड चूस। मैं उस भिखारी को तेरी चूत और गांड भी दिखाऊंगा।”
मैंने बिना हिचक अपनी लेगी और पैंटी उतार दी। अब मैं पूरी नंगी थी। मैंने घोड़ी बनकर उसका लंड चूसना शुरू किया। उसका लंड फिर से सख्त हो चुका था। महेश ने गाड़ी उल्टी दिशा में मोड़ी और फिर से भिखारी के पास ले गया। भिखारी ने मेरी चूत और गांड को देखा, और मैं महेश का लंड चूसती रही। महेश ने उसे एक और नोट दिया और मेरी गांड पर हाथ फेरते हुए गाड़ी आगे ले गया।
अब उसने गाड़ी सड़क किनारे एक सुनसान जगह पर रोकी, जहां से जंगल का रास्ता शुरू होता था। मैं उसका लंड चूस रही थी, और वो सिसकार रहा था, “आह्ह… सोनम… तू मेरी रानी है… और चूस… आह्ह…” मैं उसकी गोटियों को सहला रही थी, और मेरी लार उसके लंड से होते हुए उसकी गोटियों तक पहुंच रही थी। उसने मुझे उठने को कहा। मैं उठी, और उसने अपनी पैंट उतार दी।
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कहानी का अगला भाग: जंगल में बाबा ने चोदा
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