पुताई वाले मजदूर से चुद गई मैं

Painter ke sath ganda sex – gandi chudai ki kahani मेरे प्यारे दोस्तो, मैं पायल हूँ, दिल्ली में अपने मम्मी-पापा के साथ रहती हूँ। मैं 22 साल की हूँ, गोरी, 5 फुट 4 इंच की, भरे हुए चूचे और गोल-मटोल गांड वाली लड़की हूँ। मेरी आँखें बड़ी-बड़ी हैं और होंठ गुलाबी, जो हर मर्द को ललचाते हैं। मैं एक चुदक्कड़ लड़की हूँ, जिसे गंदा सेक्स बहुत पसंद है। अब तक मैं अपने चार बॉयफ्रेंड्स के छोटे-छोटे लंड से चुद चुकी हूँ, पर उनकी चुदाई से मेरी चूत की प्यास नहीं बुझती। मुझे एक मोटा, लंबा लंड चाहिए था, जो मेरी चूत को फाड़ दे, उसकी आग को ठंडा कर दे।
इसीलिए मैंने ऑनलाइन एक रबर का डिल्डो मंगवाया था, 8 इंच लंबा और मोटा, जो देखकर ही मेरी चूत में सनसनी दौड़ जाती थी। जब भी मन करता, मैं उस डिल्डो से अपनी चूत रगड़ती, पर उस मूसल जैसे डिल्डो को पूरा अंदर लेना मेरे लिए मुश्किल था। मेरी चूत फटने सी लगती थी, और मैं हर बार अधूरी रह जाती थी।
ये बात अगस्त के महीने की है। मेरे मम्मी-पापा को एक खास रिश्तेदारी की शादी में जाना पड़ा। मेरा कॉलेज का पेपर था, इसलिए मैं नहीं जा सकी। साथ ही, घर में पुताई का काम भी चल रहा था। त्योहारों का सीजन आने वाला था, और उसके बाद समय नहीं मिलता, इसलिए मैं घर पर ही रुक गई।
उस रविवार की सुबह, मम्मी-पापा जल्दी निकल गए। मैं अपने कमरे में थी, बिस्तर पर लेटी हुई, एक ब्लू फिल्म देख रही थी। स्क्रीन पर एक लड़की जोर-जोर से चिल्ला रही थी, “आह्ह… और जोर से… चोदो मुझे!” मैंने अपनी पैंटी उतारी और डिल्डो को अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू किया। मेरी सिसकियाँ निकल रही थीं, “उम्म… आह्ह…” जैसे-जैसे मैं डिल्डो को अपनी चूत के होंठों पर रगड़ती, मेरी चूत और गीली होती जाती। मैंने अपनी टी-शर्ट भी उतार दी थी, ब्रा तो मैंने पहनी ही नहीं थी। मेरे चूचे हवा में हिल रहे थे, और मैं अपनी उंगलियों से उन्हें मसल रही थी।
तकरीबन दो घंटे बाद, दरवाजे की घंटी बजी। मैंने जल्दी से डिल्डो बिस्तर के नीचे छिपाया, पैंटी और टी-शर्ट पहनी, और दरवाजा खोला। बाहर एक पुताई वाला मजदूर खड़ा था। उसका नाम बाद में पता चला, रमेश। वो 40 साल का हट्टा-कट्टा मर्द था, 6 फुट लंबा, चौड़ी छाती, काली-सी त्वचा, और दाढ़ी-मूंछों वाला चेहरा, जो गंदा-सा लग रहा था। उसकी शर्ट पसीने से भीगी थी, और उसकी पैंट में एक बड़ा-सा उभार दिख रहा था। मेरे चूचे मेरी टाइट टी-शर्ट में बिना ब्रा के साफ दिख रहे थे, और वो मुझे घूर रहा था। उसकी आँखें मेरे चूचों पर अटक गई थीं।
मैंने कहा, “आज मम्मी-पापा घर पर नहीं हैं, तुम कल आना।”
उसने जवाब दिया, “मैडम, कल मुझे दूसरा काम है। अगर आप कहें तो मैं अभी काम शुरू कर दूँ?”
मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा। उसका उभार और बड़ा लग रहा था। मेरे दिमाग में तुरंत ख्याल आया कि अगर इस गंदे-से मर्द से चुदवा लूँ, तो शायद मेरी चूत की प्यास बुझ जाए। मैंने उसके लंड की तरफ देखते हुए कहा, “ठीक है, अंदर आ जाओ, काम शुरू कर दो।”
मैं अपने कमरे में वापस आ गई और टीवी चालू कर लिया। मैंने जानबूझकर एक गंदी पिक्चर लगा दी, जिसमें चुदाई का सीन चल रहा था। बाहर रमेश ने बाहरी कमरे की एक दीवार पर पुताई शुरू कर दी थी। मैं अपने कमरे में थी, पैंटी के ऊपर से अपनी चूत को सहला रही थी। टीवी पर एक सीन आया, जिसमें लड़की चिल्ला रही थी, “आह्ह… लंड डालो… मेरी चूत फाड़ दो!” मेरी चूत फिर से गीली हो गई।
तभी टीवी पर मैनफोर्स कंडोम का विज्ञापन आया, जिसमें सनी लियोनी थी। आवाज इतनी तेज थी कि बाहर रमेश भी सुन रहा था। उसने अपना ब्रश फेंका और मेरे कमरे के दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया। मैंने उसे देखा, पर वो अनजान बनकर टीवी देखने लगा। पिक्चर फिर शुरू हुई, और उसमें चूमाचाटी के सीन आने लगे। लड़का लड़की के चूचे मसल रहा था, और वो सिसक रही थी, “उम्म… आह्ह… और जोर से दबाओ!” मैंने गौर किया कि रमेश की पैंट में उसका लंड खड़ा हो गया था। उसका लंड इतना बड़ा था कि पैंट फटने को तैयार थी। मेरी चूत में आग लग गई थी।
मैंने उससे बात शुरू की, “पुताई के कितने पैसे लेते हो?”
उसने अपने लंड को सहलाते हुए कहा, “दस रुपये फीट, मैडम।”
मैंने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा, “और कुछ काम भी करते हो, या बस पुताई?”
वो हंसते हुए बोला, “आप जो कहें, वो काम कर दूँ। मुझे मेहनत वाले सारे काम आते हैं।”
मैंने उसके लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, “मेहनत का ही काम है। बोल, करेगा?”
उसने मेरी चूत की तरफ देखा और बोला, “बताइए, क्या काम है?”
मैंने साफ-साफ कहा, “मेरी चुदाई करनी होगी।”
ये सुनते ही उसकी आँखें चमक उठीं। वो मेरे पास आया, अपना ब्रश फेंका, और मुझे बाहों में भर लिया। उसने मुझे इतनी जोर से चूमा कि मेरे होंठ दुखने लगे। उसका मुँह पसीने और तंबाकू की गंध से भरा था, पर मुझे उसकी गंदगी में मजा आ रहा था। वो मेरे होंठ चूस रहा था, जैसे कोई भूखा कुत्ता मांस चबा रहा हो। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी, और उसने मेरी टी-शर्ट फाड़ दी। मैं बिना ब्रा थी, तो मेरे चूचे नंगे हो गए। उसने मेरे चूचों को दोनों हाथों से पकड़ा और जोर-जोर से मसलने लगा। “आह्ह… धीरे साले!” मैंने कहा, पर वो रुका नहीं। वो मेरे चूचों को ऐसे खींच रहा था, जैसे उन्हें उखाड़ देगा।
“मैडम, क्या माल हो तुम!” वो बोला, और मेरे एक चूचे को मुँह में लेकर चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर घूम रही थी, और मैं सिसक रही थी, “उम्म… आह्ह… चूस साले… और जोर से!” उसने मेरे चूचे को दाँतों से हल्का-सा काटा, और मैं चिल्ला उठी, “आह्ह… कमीने!”
मैंने उससे कहा, “चल, बाथरूम में चलते हैं। तेरा लंड गंदा होगा, पहले धो लें।” वो हंसा और बोला, “मैडम, मेरा लंड तो तेरा भोसड़ा बना देगा।” हम बाथरूम में गए, और मैंने शावर चालू कर दिया। पानी की बूंदें हमारे शरीर पर गिर रही थीं। वो फिर से मुझे चूमने लगा, और मैंने उसकी पैंट खोल दी। उसका लंड बाहर निकला, और मैं दंग रह गई। 9 इंच लंबा, मोटा, काला लंड, जिसकी नसें फूली हुई थीं। ऐसा लंड मैंने पहले कभी नहीं देखा था। मेरी चूत में सनसनी दौड़ गई।
मैंने उसका लंड पानी से धोया और मुँह में ले लिया। उसका लंड इतना मोटा था कि मेरे मुँह में मुश्किल से आ रहा था। मैंने उसकी टोपी को जीभ से चाटा, और वो सिसकने लगा, “आह्ह… साली… क्या चूसती है तू!” मैं उसके गोटों को सहलाते हुए लंड को गले तक ले रही थी। वो अपनी कमर हिलाकर मेरे मुँह को चोद रहा था। “चूस रंडी… और जोर से… आह्ह… तेरा मुँह तो चूत से भी मस्त है!” वो चिल्ला रहा था। मुझे उसकी गंदी बातें सुनकर और जोश चढ़ रहा था।
मैंने कहा, “साले, मैं रंडी नहीं हूँ, पर तू मुझे रंडी बना दे!” उसने मुझे उठाया और बोला, “अब मेरी बारी है, मेरी माल!” उसने मुझे अपने कंधों पर उठाया, जैसे मैं कोई गुड़िया हो। मेरी चूत उसके मुँह के सामने थी, और वो मेरी चूत चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने पर घूम रही थी, और मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… उफ्फ… चाट साले… मेरी चूत फाड़ दे!” उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं झड़ने वाली थी। “आह्ह… रमेश… मैं गई… उफ्फ!” मेरा रस निकल गया, और उसने सारा रस पी लिया।
मैंने कहा, “अब और मत तड़पा, लंड पेल दे!” उसने मुझे बाथरूम से बाहर लाकर सोफे पर लिटाया। मेरी पैंटी पहले ही उतर चुकी थी। उसने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा और एक झटके में पूरा अंदर पेल दिया। “आह्ह… मर गई साले!” मैं चिल्ला उठी। उसका लंड मेरी चूत को फाड़ रहा था। वो रुका नहीं, और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “चप… चप… चप…” उसका लंड मेरी गीली चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… उफ्फ… और जोर से… चोद साले… मेरी चूत का भोसड़ा बना दे!”
वो हंसते हुए बोला, “मैडम, तेरी चूत तो पहले से भोसड़ा है… अब इसे और चौड़ा कर दूँगा!” उसने मेरे चूचे पकड़े और धक्के मारते हुए चूसने लगा। मेरी चूत में आग लग रही थी, और मैं बार-बार झड़ रही थी। “आह्ह… रमेश… तू तो सांड है… उफ्फ… चोद… और चोद!”
कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया। मैं सोफे पर घुटनों के बल थी, और उसने पीछे से मेरा कमर पकड़ा। उसने अपना लंड मेरी चूत में फिर से पेला, और इस बार और गहरा गया। “आह्ह… मर गई… साले… धीरे!” मैं चिल्लाई, पर वो रुका नहीं। वो मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए चोद रहा था। “पट… पट…” थप्पड़ों की आवाज कमरे में गूंज रही थी। “साली… तेरी चूत तो जन्नत है!” वो चिल्ला रहा था।
हम दोनों 69 की पोजीशन में आए। मैं उसके लंड को चूस रही थी, और वो मेरी चूत चाट रहा था। उसका लंड मेरे मुँह में था, और मैं उसके गोटों को सहला रही थी। “उम्म… आह्ह…” मेरी सिसकियाँ निकल रही थीं। वो मेरी चूत के दाने को चूस रहा था, और मैं फिर से झड़ गई।
कुछ देर बाद हम दोनों झड़ गए। मैंने उसका लंड चूसकर साफ किया, और वो मेरी चूत चाटने लगा। “पायल, तेरा दूध पिलाओ!” उसने कहा, और मेरे चूचों को चूसने लगा। वो मेरे निप्पल्स को ऐसे चूस रहा था, जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो। मैंने कहा, “साले, और जोर से चूस… मेरे चूचे बड़े कर दे!” वो हंसते हुए मेरे चूचों को मसलने लगा।
हमने फिर से चुदाई की। उसने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी टांगें ऊपर उठाकर लंड पेला। “आह्ह… उफ्फ… साले… तेरा लंड तो मेरी जान ले लेगा!” मैं चिल्ला रही थी। वो बोला, “साली, अभी तो शुरुआत है!” उसने मुझे तीन बार और चोदा, हर बार अलग-अलग पोजीशन में। मेरी चूत का भोसड़ा बन गया था। मुझसे चला भी नहीं जा रहा था।
शाम को उसने फिर से मुझे चोदा। मैंने उससे कहा, “साले, तेरा रस मेरे अंदर गया है!” वो हंसा और बोला, “साली, और चुदना है तो बोल!” मैंने कहा, “मुझे लगा तू चला गया!” वो बोला, “ऐसे कैसे चला जाऊँ, तू तो माल है!” उसने फिर से मेरी चूत में उंगली की, और मेरा दाना सहलाने लगा। “आह्ह… साले… और कर!” मैं सिसक रही थी। उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत पर रखा और बोला, “भीख माँग, साली!”
मैंने कहा, “साले कुत्ते, और मत तड़पा… पेल दे!” उसने एक झटके में लंड पेला, और मैं चिल्ला उठी, “आह्ह… मर गई!” वो तेज-तेज धक्के मारने लगा। “चप… चप… चप…” उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। मैं बार-बार झड़ रही थी, “उफ्फ… रमेश… तू तो जान लेगा… आह्ह!”
उस दिन उसने मुझे पांच बार चोदा। मेरी चूत सूज गई थी, और मैं थककर चूर थी। उसने कहा, “रात को भी रंगीन कर दूँ?” मैंने कहा, “नहीं, मुझे आराम चाहिए। कल आना।” वो चला गया।
मैं अपने कमरे में गई, अलमारी से जिन की बोतल निकाली, और चार लंबे घूंट मारे। फिर एक सिगरेट सुलगाई और बाथरूम में पीने लगी। सिगरेट का धुआँ पंखे से बाहर निकल रहा था, ताकि मम्मी-पापा को पता न चले।
अगले तीन दिन तक उसने मुझे हर दिन चोदा। दूसरे दिन उसने मेरी गांड भी मारी, जिसकी कहानी मैं बाद में लिखूँगी।
आप बताइए, मेरी इस चुदक्कड़ कहानी को पढ़कर आपको कैसा लगा?

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