माँ चुदी मेरे फेसबुक फ्रेंड से

हेलो दोस्तों, मेरा नाम विक्रम है। मैं फरीदाबाद का रहने वाला हूँ और एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखता हूँ। मेरी उम्र 22 साल है, मैं दिखने में साधारण हूँ, गेहुँआ रंग, मध्यम कद-काठी, और कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ पापा के छोटे-मोटे बिजनेस में उनकी मदद करता हूँ। मेरे घर में मैं, मेरी माँ सपना, और मेरे पापा हैं। पापा का अपना छोटा सा हार्डवेयर का बिजनेस है, जिसके चलते वो अक्सर सुबह से शाम तक दुकान पर ही रहते हैं। मेरी माँ एक हाउसवाइफ हैं, उनकी उम्र 48 साल है, लेकिन वो दिखने में अब भी काफी आकर्षक हैं। उनका फिगर 36-34-38 है, गोरा रंग, लंबे काले बाल, और एक ऐसी मुस्कान जो किसी का भी दिल जीत ले। माँ आमतौर पर साड़ी या नाइटी पहनती हैं, और उनके हाव-भाव में एक अजीब सी सादगी और आकर्षण का मेल है। ये कहानी मेरी माँ और मेरे फेसबुक फ्रेंड राहुल की है, जो मेरे लिए एक अनचाहा लेकिन सच्चा अनुभव बन गया।

ये बात करीब तीन महीने पुरानी है। मैंने कुछ महीने पहले फेसबुक पर राहुल से दोस्ती की थी। राहुल 24 साल का है, लंबा, गोरा, और जिम जाने वाला लड़का, जो हमेशा टाइट टी-शर्ट और जीन्स में रहता है। वो हमारे घर से बस 5 किलोमीटर दूर रहता था, और धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी हो गई। वो अक्सर मेरे घर आने लगा, और मैंने उसे अपने माँ-पापा से मिलवाया। राहुल का स्वभाव मजाकिया था, और वो बिना किसी झिझक के माँ से हल्की-फुल्की छेड़खानी भरे मज़ाक करता था। माँ भी उसकी बातों पर हँस देती थीं, और मुझे लगता था कि ये बस उसका दोस्ताना अंदाज है। लेकिन धीरे-धीरे राहुल का मेरे घर आना-जाना बढ़ गया। कई बार वो तब भी घर आ जाता जब मैं नहीं होता था। कभी-कभी माँ को मार्केट में मिलता तो उनकी मदद कर देता, जैसे सामान उठाने में या बाइक पर घर छोड़ने में। माँ ने मुझे बाद में बताया कि उन्होंने राहुल को अपना फोन नंबर दे दिया था, ताकि जरूरत पड़ने पर वो संपर्क कर सके। मुझे तब तक कुछ गलत नहीं लगा।

एक दिन की बात है, मैं दोपहर को पापा के साथ दुकान पर था। घर पर माँ अकेली थीं। उस दिन बारिश की वजह से माँ घर का काम जल्दी-जल्दी निपटा रही थीं। माँ ने उस दिन एक पतली सी नीली नाइटी पहनी थी, जो गीली होने की वजह से उनके बदन से चिपक रही थी। तभी दरवाजे की घंटी बजी। माँ ने गीले हाथों को नाइटी पर पोंछते हुए दरवाजा खोला। सामने राहुल खड़ा था, उसकी शर्ट बारिश में हल्की गीली थी, और वो अपने चिर-परिचित अंदाज में मुस्कुरा रहा था। माँ ने थोड़ा हैरान होकर कहा, “अरे राहुल, तू इस वक्त? कुछ काम था क्या?” राहुल ने हँसते हुए कहा, “नहीं आंटी, बस आपसे मिलने का मन किया तो चला आया। बारिश में भीग गया हूँ, थोड़ा रुक जाऊँ?” माँ ने उसे अंदर बुलाया और बोलीं, “बैठ, मैं बस नहाकर आती हूँ। तू चाय पिएगा ना?” राहुल ने हामी भरी और सोफे पर बैठ गया।

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माँ अपने रूम में गईं, कपड़े उठाए, और बाथरूम की ओर बढ़ीं। उनकी नाइटी अब भी गीली थी, और उनके कर्व्स साफ नजर आ रहे थे। राहुल की नजर माँ पर टिकी थी, और वो चुपके से बाथरूम के पास गया, शायद ये उम्मीद में कि उसे कुछ दिख जाए। लेकिन बाथरूम का दरवाजा मजबूती से बंद था, और कोई झिरी या खिड़की नहीं थी। निराश होकर वो वापस सोफे पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद माँ की आवाज आई, “राहुल, जरा सुन!” राहुल फट से बाथरूम की ओर गया। माँ ने हल्का सा दरवाजा खोला और बोलीं, “मैं जल्दी-जल्दी में तौलिया भूल गई। मेरे बेड पर पड़ा है, जरा लाकर दे दे।” राहुल ने माँ के बेडरूम से तौलिया उठाया और बाथरूम के पास जाकर बोला, “लो आंटी, तौलिया।” माँ ने दरवाजा हल्का सा और खोला, सिर्फ अपना हाथ और चेहरा बाहर निकाला। राहुल ने तौलिया पकड़ाते वक्त जानबूझकर माँ का हाथ पकड़ लिया और हल्का सा खींच दिया। माँ का संतुलन बिगड़ा, और वो थोड़ा आगे आ गईं। उनकी छाती का ऊपरी हिस्सा नजर आ गया, और उनके गीले बूब्स साफ दिखे। माँ ने गुस्से में चिल्लाकर कहा, “राहुल, ये क्या बदतमीजी है?” राहुल ने हँसते हुए कहा, “अरे आंटी, मज़ाक था, सॉरी!” माँ ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और नहाने लगीं।

नहाने के बाद माँ ने एक हल्की गुलाबी मैक्सी पहनी और बाहर आईं। राहुल चुपचाप सोफे पर बैठा था, जैसे कुछ हुआ ही न हो। माँ ने उसे देखा और बोलीं, “चाय पिएगा?” राहुल ने हाँ में सिर हिलाया। माँ किचन में चाय बनाने चली गईं। राहुल भी उनके पीछे किचन में आ गया और बोला, “आंटी, सॉरी, मैंने मज़ाक में ऐसा कर दिया।” माँ ने हल्की सी मुस्कान दी और बोलीं, “कोई बात नहीं, लेकिन आगे से ध्यान रखना।” राहुल को लगा जैसे माँ का गुस्सा ठंडा हो गया है। उसकी हिम्मत बढ़ी, और वो बोला, “आंटी, एक बात बोलूँ? आपके बूब्स इतने मस्त हैं कि मेरा मन तो बस पीने को कर रहा था।” माँ का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उन्होंने चाय का बर्तन पटका और चिल्लाईं, “राहुल, ये क्या बेहूदगी है? निकल बाहर मेरे घर से!” राहुल ने माफी माँगी, लेकिन माँ ने उसे धक्का देकर दरवाजे तक ले गईं और बाहर निकाल दिया।

राहुल बाहर खड़ा रहा, उसने कई बार घंटी बजाई, लेकिन माँ ने दरवाजा नहीं खोला। उसने माँ को फोन किया, पर माँ ने कॉल रिसीव नहीं किया। निराश होकर राहुल जैसे ही जाने को मुड़ा, तभी दरवाजे के खुलने की आवाज आई। माँ दरवाजे पर खड़ी थीं। उनकी आँखों में गुस्सा था, लेकिन चेहरे पर एक अजीब सी बेचैनी भी थी। उन्होंने कहा, “अंदर आ, बात करनी है।” राहुल थोड़ा डरा हुआ, थोड़ा उत्साहित, अंदर आ गया। माँ ने उसे चाय का कप थमाया और दोनों सोफे पर बैठ गए। माँ ने गहरी साँस ली और बोलीं, “राहुल, तू मेरे बेटे का दोस्त है। तुझे ऐसी बातें शोभा नहीं देतीं। तूने ऐसा क्यों किया?” राहुल ने हिम्मत जुटाई और बोला, “आंटी, सच कहूँ तो आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं। मैं आपको चाहता हूँ। इसीलिए मुझसे रहा नहीं गया।” माँ ने उसकी तरफ देखा, उनकी साँसें तेज थीं। वो बोलीं, “राहुल, मैं तेरे से 20 साल बड़ी हूँ। तुझे शर्म नहीं आती?” राहुल ने बिना डरे कहा, “आंटी, अगर मैं विक्रम का दोस्त न होता, तो क्या आप मुझे मौका देतीं?” माँ चुप हो गईं। उनकी चुप्पी ने राहुल को हौसला दिया।

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राहुल धीरे से माँ के पास सरक गया और उनके कंधे पर हाथ रखा। माँ ने उसका हाथ हटाने की कोशिश नहीं की। राहुल ने धीरे से माँ का चेहरा अपनी ओर किया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। माँ ने पहले हल्का सा विरोध किया, लेकिन फिर वो भी राहुल को किस करने लगीं। उनके होंठ एक-दूसरे से टकरा रहे थे, और कमरे में सन्नाटा था, सिर्फ उनकी साँसों की आवाज गूँज रही थी। राहुल ने धीरे से माँ की मैक्सी के ऊपर से उनके बूब्स दबाए। माँ की साँसें और तेज हो गईं, उन्होंने एक हल्की सी सिसकारी भरी, “उह्ह…” राहुल ने उनकी मैक्सी के कंधे से नीचे सरकाई, और अब माँ सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थीं। उनकी गोरी त्वचा चमक रही थी, और राहुल की आँखें उनके बदन पर टिकी थीं। उसने माँ को बेड पर लिटाया और उनकी गर्दन, कंधों, और फिर बूब्स पर किस करने लगा। उसने माँ की ब्रा उतार दी, और उनके 36 साइज के बूब्स आजाद हो गए। राहुल ने उनके निप्पल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। माँ ने उसके सिर को अपने सीने में दबाया और बोलीं, “राहुल… आह्ह… ये गलत है…” लेकिन उनकी आवाज में वो गुस्सा नहीं था, बल्कि एक अजीब सी तड़प थी।

राहुल ने माँ की पैंटी पर हाथ फेरा, वो पहले से ही गीली थी। उसने धीरे से पैंटी उतारी और माँ की चूत को देखकर पागल सा हो गया। उसने अपनी जीभ से माँ की चूत को चाटना शुरू किया। माँ की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… राहुल… उह्ह…” वो अपने कूल्हे हिलाने लगीं। राहुल ने अपनी उंगलियाँ भी इस्तेमाल की, और माँ की चूत को और गीला कर दिया। माँ ने तड़पते हुए कहा, “राहुल… बहुत साल हो गए… मेरे साथ ऐसा कोई नहीं करता…” राहुल ने चौंककर पूछा, “आंटी, अंकल नहीं करते?” माँ ने आँखें बंद करते हुए कहा, “वो अब बूढ़े हो गए हैं… उनकी ताकत नहीं रही। मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन…” उनकी आवाज में दर्द और चाहत का मिश्रण था।

राहुल ने अपने कपड़े उतारे। उसका 7 इंच का लंड पूरी तरह खड़ा था। उसने माँ के मुँह के पास अपना लंड लाया और बोला, “आंटी, इसे चूसो।” माँ ने हिचकते हुए कहा, “मुझे ये नहीं आता, राहुल।” राहुल ने हँसकर कहा, “आंटी, जैसे लॉलीपॉप चूसते हैं, वैसे ही चूस लो।” माँ ने हल्की सी हँसी दी और उसका लंड मुँह में ले लिया। राहुल ने 69 की पोजीशन में आकर माँ की चूत चाटना शुरू किया, और माँ उसके लंड को चूस रही थीं। कमरे में “आह्ह… उह्ह…” की आवाजें गूँज रही थीं। पाँच मिनट बाद राहुल ने माँ के मुँह में ही झड़ गया, और माँ भी राहुल के मुँह में झड़ गईं। राहुल ने माँ की चूत का सारा पानी पी लिया और बोला, “आंटी, मेरा पानी भी पी जाओ।” माँ को पहली बार ऐसा करने में अजीब लगा, लेकिन उन्होंने राहुल की बात मान ली और उसका सारा माल पी लिया।

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राहुल ने फिर से माँ को किस करना शुरू किया। उसने पूछा, “आंटी, कैसा लगा?” माँ ने शर्माते हुए कहा, “पहली बार था… लेकिन अच्छा लगा।” राहुल ने अपनी जेब से कंडोम निकाला और बोला, “आंटी, ये आपके लिए ही रखा था।” माँ ने हँसकर कंडोम उसके लंड पर चढ़ाया। राहुल ने माँ को बेड पर लिटाया, उनकी टाँगें फैलाईं, और अपने लंड को उनकी चूत पर सेट किया। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड माँ की गीली चूत में समा गया। माँ चिल्लाईं, “आह्ह… राहुल… धीरे… बहुत साल हो गए…” राहुल ने माँ को किस किया और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ माँ की सिसकारियाँ बढ़ रही थीं, “उह्ह… आह्ह… राहुल…” कमरे में “थप-थप” की आवाज गूँज रही थी। राहुल ने धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ाई, और माँ की चूत को और जोर से चोदने लगा। माँ ने अपने नाखून राहुल की पीठ में गड़ाए और चिल्लाईं, “राहुल… और तेज… आह्ह…” दस मिनट बाद राहुल और माँ एक साथ झड़ गए। राहुल ने कंडोम में ही झड़ा, और माँ की चूत से उनका पानी बह रहा था।

राहुल थोड़ी देर तक माँ के ऊपर लेटा रहा, उसका लंड अभी भी उनकी चूत में था। फिर उसने अपना लंड निकाला और माँ के मुँह में साफ करने को दिया। माँ ने उसे चाटकर साफ किया, और राहुल ने माँ की चूत को जीभ से साफ किया। दोनों थककर बेड पर लेट गए। माँ ने राहुल को गले लगाया और बोलीं, “राहुल, ये गलत है… लेकिन मुझे बहुत अच्छा लगा।” राहुल ने हँसकर कहा, “आंटी, अब तो ये हमारा राज़ है।” दोनों ने कपड़े पहने, और राहुल अपने घर चला गया। अब जब भी मौका मिलता है, राहुल मेरे घर आता है और माँ के साथ चुदाई का मज़ा लेता है।

दोस्तों, आपको मेरी माँ की ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा कुछ अनुभव किया? कमेंट में जरूर बताएँ!

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