आवारा माँ के भोसड़े में मेरा लौड़ा

मैं, शिव कुमार पाठक, उम्र 28 साल, एक कपड़े की दुकान चलाता हूँ। मेरी माँ, शीला देवी, 40 साल की हैं, पर उनकी जवानी देखकर कोई कह नहीं सकता कि वो इतनी उम्र की हैं। गोरी-चिट्टी, भरा हुआ बदन, 36 साइज़ के मम्मे, और गोल-मटोल चूतड़ जो किसी का भी ध्यान खींच लें। मेरे पिताजी का 6 साल पहले देहांत हो गया था, और तभी से माँ की ज़िंदगी में कुछ बदलाव आए, जो मुझे बाद में पता चले। मैं एक साधारण सा लड़का, मध्यम कद, चौड़ी छाती, और मेरे लौड़े का साइज़ 7 इंच, जो मुझे हमेशा गर्व देता है। मेरे चाचा और चाची भी हमारे साथ रहते हैं, पर वो अपनी दुनिया में मस्त रहते हैं।

उस दिन दोपहर के 12 बजे थे। सूरज आग उगल रहा था, और सड़कें सूनी थीं। मैं अपनी कपड़े की दुकान पर था, जब एक सप्लायर आया। उसे 1 लाख रुपये की पेमेंट करनी थी, और मैं चेकबुक दुकान पर भूल गया था। मैंने अपनी पल्सर स्टार्ट की और तेज़ी से घर की ओर निकल पड़ा। घर पहुँचते ही मैंने घंटी बजाई। एक बार, दो बार, फिर तीन बार। पर माँ, शीला देवी, दरवाज़ा खोलने नहीं आईं।

“माँ? माँ? कहाँ हो?” मैंने ज़ोर से आवाज़ लगाई और दरवाज़े पर मुक्के मारे।

कोई जवाब नहीं। मैंने सोचा, शायद माँ कहीं बाहर गई हों। फिर मुझे याद आया कि सीढ़ियों के पास गमले के नीचे डुप्लिकेट चाबी रखी होती है। मैंने चाबी निकाली, दरवाज़ा खोला, और अंदर दाखिल हुआ। घर में सन्नाटा था। मैंने हाल, किचन, बाथरूम—हर जगह देखा, पर माँ कहीं नहीं थीं। आखिरकार, मैं उनके बेडरूम की ओर गया। जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला, मेरी साँसें थम गईं। मेरी माँ, शीला देवी, पूरी तरह नंगी, हमारे कॉलोनी के सिक्योरिटी गार्ड, रमेश, के साथ बिस्तर पर थी। रमेश, 35 साल का एक हट्टा-कट्टा मर्द, जिसका लौड़ा शायद 8 इंच का था, माँ को दोनों टाँगें खोलकर पेल रहा था।

“आह्ह… आह्ह… और ज़ोर से, रमेश! मेरी चूत को फाड़ दे!” माँ सिसक रही थी, उनकी आवाज़ में मस्ती और चुदास भरी थी।

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रमेश गचागच माँ को ठोक रहा था। उसका लौड़ा माँ की गीली चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ माँ के मम्मे उछल रहे थे। “ले, शीला, तेरी चूत कितनी टाइट है! पूरा लौड़ा ले!” रमेश गरज रहा था।

मैं दरवाज़े के पीछे छिप गया, मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। एक तरफ गुस्सा था कि कोई मेरी माँ को मेरे ही घर में चोद रहा है। दूसरी ओर, माँ को इस तरह नंगी, चुदते हुए देखकर मेरा लौड़ा तन गया। उनकी गोरी चमड़ी, पके हुए मम्मे, और गीली चूत देखकर मेरा दिमाग़ घूम गया। माँ सचमुच गज़ब की माल थी। मैं चुपके से चेकबुक उठाया और दुकान वापस चला गया।

पूरी रात माँ का वो चुदाई वाला दृश्य मेरे दिमाग़ में घूमता रहा। मैंने सोचा, ये क्या हो रहा है? मेरी सगी माँ, जो मुझे इतनी प्यारी थी, कॉलोनी के मर्दों के साथ चुदाई कर रही है? मैंने रात में ही सिक्योरिटी गार्ड रमेश के घर का रुख किया। उसे देखते ही मेरा खून खौल गया। मैंने उसका कॉलर पकड़ा और चांटे जड़ने शुरू कर दिए।

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“साले, मेरी माँ को चोदेगा? मेरे घर में घुसकर मेरी माँ की इज़्ज़त लूटेगा?” मैं चिल्लाया।

रमेश ने मेरे हाथ झटके और कहा, “अरे, शीला को संभाल! वो तो कॉलोनी की रंडी है! उसने ही मुझे बुलाया था। पूरी कॉलोनी के मर्द उसकी चूत का मज़ा ले चुके हैं!”

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उसके शब्दों ने मुझे झकझोर दिया। उसने मुझे दो-तीन घूंसे मारे, मेरे होंठ से खून बहने लगा। हमारी कुछ देर हाथापाई हुई, फिर मैं हारकर वापस आ गया। मैंने पड़ोसियों से पूछताछ की। सबने यही बताया कि माँ हर दोपहर किसी न किसी मर्द को घर बुलाती है और अपनी चूत की आग बुझाती है। ये सुनकर मेरा दिल टूट गया, पर साथ ही मेरे मन में कुछ और ही विचार आने लगे।

घर लौटकर मैंने माँ से सीधे बात की। “माँ, ये सब क्या है? तुम सिक्योरिटी गार्ड को घर क्यों बुलाती हो? तुम क्या कर रही थी उससे?”

माँ ने बिना शर्माए कहा, “बेटा, मेरी चूत में बहुत खुजली होती है। जब कोई मर्द मुझे 2-3 घंटे चोद देता है, तो कुछ दिन शांति मिलती है। पर फिर 3-4 दिन बाद चूत फिर गीली हो जाती है, और मुझे किसी का लौड़ा चाहिए होता है।”

उनके शब्द सुनकर मैं हैरान था, पर मेरा लौड़ा फिर तन गया। मैंने कहा, “माँ, आज से तुम्हारी चूत की खुजली मैं दूर करूँगा। तुम्हें किसी और मर्द की ज़रूरत नहीं। मैं तुम्हें चोदूँगा!”

अगले दिन सुबह मैं और चाचा दुकान पर थे। चाचा, 45 साल के, मेरे पिताजी के बड़े भाई, हमेशा दुकान संभालने में मेरी मदद करते हैं। मैंने चाचा से कहा, “चाचा, मुझे कुछ ज़रूरी काम है, मैं घर जा रहा हूँ।”

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“अरे, आकाश, अभी तो 12 ही बजे हैं। क्या काम है?” चाचा ने पूछा।

“बस, चाचा, आधे घंटे में लौट आऊँगा,” मैंने कहा और पल्सर स्टार्ट कर घर की ओर निकल गया। माँ को पता था कि मैं आज आऊँगा। मैंने घर में घुसते ही माँ को देखा। वो एक लाल साड़ी में थीं, जिसके नीचे से उनके गोरे मम्मे और गहरी नाभि साफ दिख रही थी। वो 30 की लग रही थीं, बिल्कुल चोदने लायक माल।

मैंने माँ को बाहों में कस लिया। “माँ, मैं आ गया। अब तुम्हें किसी और मर्द की ज़रूरत नहीं।”

माँ मुस्कुराईं, “बेटा, मैं जानती थी तू आएगा। अगर तू न आता, तो मुझे फिर किसी को बुलाना पड़ता।”

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मैंने माँ को गोद में उठाया और उनके बेडरूम में ले गया। उसी बिस्तर पर, जहाँ वो सिक्योरिटी गार्ड से चुद रही थीं। मैंने माँ को बिस्तर पर पटका और अपनी शर्ट उतार दी। मेरी चौड़ी छाती और बालों से भरा सीना देखकर माँ की आँखों में चुदास जागी। मैंने माँ के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। हम माँ-बेटे एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरी जीभ उनके मुँह में। मैं उनके होंठों को इमरान हाशमी की तरह चूस रहा था, और वो सनी लियोन की तरह सिसक रही थीं।

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maa bete ki chudai

“आह्ह… बेटा… कितना मज़ा दे रहा है,” माँ सिसककर बोलीं।

मैंने उनकी साड़ी का पल्लू खींचा, और धीरे-धीरे उनकी साड़ी उतार दी। अब वो सिर्फ़ लाल ब्लाउज़ और पीले पेटीकोट में थीं। मैंने उनका ब्लाउज़ खोला, और उनकी ब्रा के हुक खोल दिए। बाप रे! माँ के 36 साइज़ के मम्मे बाहर निकल आए। गोरे, गोल, और निप्पल्स भूरे और तने हुए। मैंने उनके मम्मों को दोनों हाथों से दबाया।

“उफ्फ… आकाश… और ज़ोर से दबा!” माँ सिसक रही थीं।

मैंने उनके निप्पल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। मेरे दाँत उनके मुलायम मम्मों को हल्के-हल्के काट रहे थे। “आह्ह… ऊई… बेटा… कितना मज़ा आ रहा है!” माँ की सिसकियाँ बढ़ती गईं। मैंने उनका पेटीकोट खींचकर उतार दिया। माँ ने आज चड्ढी नहीं पहनी थी। उनकी चूत पूरी गीली थी, और उसका भोसड़ा साफ दिख रहा था। मैंने अपनी जीन्स और अंडरवियर उतार दिया। मेरा 7 इंच का लौड़ा तनकर खड़ा था।

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माँ ने मेरे लौड़े को देखा और बोली, “बेटा, ये तो तेरे बाप से भी मोटा है!”

मैंने माँ की टाँगें चौड़ी कीं और उनकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। उनकी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया। “आह्ह… ऊई… बेटा… और चाट… मेरी चूत को खा जा!” माँ चिल्ला रही थीं। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत की गहराई में डाली, और उनके दाने को चूसने लगा। माँ की सिसकियाँ अब चीखों में बदल गईं।

“आकाश… अब बस… चोद दे मुझे… मेरी चूत में खुजली हो रही है!” माँ गिड़गिड़ाई।

मैंने अपना लौड़ा उनकी चूत पर रखा और एक धक्का मारा। मेरा पूरा लौड़ा उनकी गीली चूत में समा गया। “आह्ह… ऊई… माँ… कितनी टाइट है तेरी चूत!” मैंने कहा और धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ माँ के मम्मे उछल रहे थे। “घप… घप… घप…” मेरे लौड़े और उनकी चूत के टकराने की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।

“चोद बेटा… और ज़ोर से… मेरी चूत को फाड़ दे!” माँ चिल्ला रही थीं।

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मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ लिए और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। मेरे लौड़े का हर धक्का उनकी चूत की गहराई में जा रहा था। “आह्ह… ऊई… माँ… ले मेरा लौड़ा… ले रंडी!” मैं गालियाँ बक रहा था, और माँ को मज़ा आ रहा था।

“हाँ बेटा… गाली दे… मुझे रंडी बोल… चोद मुझे!” माँ सिसक रही थीं।

मैंने उनकी टाँगें और चौड़ी कीं और उनकी चूत में गहरे धक्के मारने लगा। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लौड़ा आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उनके मम्मों को फिर से दबाया, उनके निप्पल्स को काटा, और उनकी चूत को ठोकता रहा। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। मेरा माल उनकी चूत में भर गया।

मैंने कपड़े पहने और दुकान वापस चला गया। रात को मैंने माँ को अपने कमरे में बुलाया। चाचा-चाची अपने कमरे में सो रहे थे। माँ ने कहा, “बेटा, अब मेरी गाँड़ में खुजली हो रही है।”

“चल माँ, तेरी गाँड़ का इलाज करता हूँ,” मैंने कहा। मैंने माँ को पूरा नंगा किया और उन्हें कुतिया की तरह झुकाया। उनकी गोल-मटोल गाँड़ देखकर मेरा लौड़ा फिर तन गया। मैंने उनकी गाँड़ पर थूक लगाया और अपना लौड़ा उनकी टाइट गाँड़ में डाल दिया। “आह्ह… ऊई… बेटा… धीरे… तेरी माँ की गाँड़ फट जाएगी!” माँ चिल्लाई।

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मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “घप… घप… घप…” मेरे लौड़े की आवाज़ उनकी गाँड़ में गूँज रही थी। माँ सिसक रही थी, “आह्ह… बेटा… और ज़ोर से… मेरी गाँड़ मार!” मैंने स्पीड बढ़ा दी और उनकी गाँड़ को 2 घंटे तक ठोका। आखिर में मैं उनकी गाँड़ में ही झड़ गया। जब मैंने लौड़ा निकाला, तो उनकी गाँड़ का छेद 3 इंच चौड़ा हो गया था।

माँ की खुजली शांत हो गई थी। मैंने उनसे पूछा, “माँ, अब कैसा लग रहा है?”

“बेटा, तूने मेरी चूत और गाँड़ दोनों की आग बुझा दी,” माँ मुस्कुराकर बोलीं।

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