खेल खेल में भैया का लंड पकड़ लिया

मेरा नाम माया मोदनवाल है। मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती हूँ, उम्र 19 साल, और मेरा भाई योगेश, जो 21 साल का है, बहुत ही मस्त और खुले विचारों वाला लड़का है। हम दोनों बचपन से ही एक साथ रहते हैं, खेलते हैं, मस्ती करते हैं। बाहर से देखने वाले को कभी नहीं लगेगा कि हम भाई-बहन हैं; लोग हमें दोस्त समझते हैं। हमारी बॉन्डिंग इतनी स्ट्रॉन्ग है कि हम एक-दूसरे की हर बात शेयर करते हैं। कोई भी बात मैंने अपने भाई से आज तक नहीं छुपाई, और वो भी मुझसे कुछ नहीं छुपाता। हम एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हैं, प्रॉब्लम्स सुनते हैं और उसे सॉल्व करने की कोशिश करते हैं।

एक दिन की बात है, मम्मी-पापा किसी रिश्तेदार की शादी में गए थे। घर में सिर्फ़ मैं और योगेश थे। हम दोनों ने सोचा कि क्यों न थोड़ी मस्ती की जाए। शुरूआत में तो सब नॉर्मल था। मैंने उसका मज़ाक उड़ाया, उसने मेरी टांग खींची। फिर मैंने हँसते हुए उसके पेट में गुदगुदी की। उसने भी बदले में मेरे पेट में गुदगुदी कर दी। मैंने मस्ती में उसके गाल खींच लिए, और उसने भी मेरे गाल पकड़कर हल्का सा खींच लिया। ये मस्ती धीरे-धीरे बढ़ने लगी। हम दोनों घर में इधर-उधर भागने लगे, एक-दूसरे को चिढ़ाने लगे, गुदगुदी करने लगे। हँसी-मज़ाक में हम दोनों ज़ोर-ज़ोर से हँस रहे थे।

इसी मस्ती के बीच, अचानक मेरा हाथ गलती से योगेश के लंड पर चला गया। मैंने जानबूझकर नहीं पकड़ा था, सचमुच गलती हो गई थी। मैं एकदम से रुक गई, मेरी साँसें तेज़ हो गईं। मेरे चेहरे पर शॉक और शर्मिंदगी थी। योगेश ने मेरी तरफ़ देखा और हँसते हुए बोला, “अच्छा, तो तू यहाँ तक पहुँच गई, माया!” उसकी आवाज़ में मज़ाक था, लेकिन उसकी आँखों में कुछ और चमक थी। वो मेरे पीछे भागा। मैं डर और मस्ती के मिक्स्ड इमोशन्स के साथ भागने लगी। मैं किचन की तरफ़ दौड़ी और दरवाज़ा बंद करने की कोशिश की, लेकिन योगेश ने धक्का मारकर दरवाज़ा खोल दिया। मैंने हाँफते हुए कहा, “भाई, गलती से छू गया, मैंने जानबूझकर नहीं किया! प्लीज़, छोड़ दे!”

लेकिन योगेश ने हँसते हुए कहा, “अच्छा, गलती से? मैं सब समझ रहा हूँ!” वो मेरे पास आ गया। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। वो मेरे और करीब आया और अचानक उसने मेरी चूचियों को हल्के से छू लिया। मैं एकदम से शॉक्ड हो गई। मैंने अपने घुटनों से अपनी चूचियों को ढक लिया और ऊपर से हाथ रख लिए। लेकिन योगेश पीछे से आया और किसी तरह मेरी चूचियों को पकड़ लिया। उसने हल्के से दबाते हुए कहा, “देख, तूने मेरा लंड छुआ, मैंने तेरी चूचियाँ छू लीं। बात बराबर!”

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जब वो मेरी चूचियों को दबा रहा था, मुझे उसका लंड अपनी पीठ पर टच करता हुआ महसूस हुआ। वो कड़ा और मोटा था। मेरे शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई। मेरे मन में हल्की सी शर्मिंदगी थी, लेकिन साथ ही कुछ और भी था—एक अजीब सा एक्साइटमेंट। मैंने खुद को संभाला और फिर मस्ती में उसके पीछे भागी। वो भागता हुआ बेडरूम में चला गया। मैंने वहाँ जाकर उसका लंड इस बार जानबूझकर पकड़ लिया।

जैसे ही मेरा हाथ उसके लंड पर गया, वो और सख्त होने लगा। योगेश चुपचाप खड़ा रहा, उसकी साँसें तेज़ हो गईं। मैंने महसूस किया कि उसका लंड मेरे हाथ में बड़ा और मोटा हो रहा था। मेरे अंदर एक अजीब सी गर्मी उठने लगी। मेरे रोम-रोम में उत्तेजना दौड़ गई। मैंने हल्की सी हिम्मत जुटाकर उससे पूछा, “भाई, क्या मैं इसे अंदर से पकड़ लूँ?” वो कुछ नहीं बोला, बस मुझे देखता रहा। उसकी चुप्पी ने मुझे और बोल्ड कर दिया।

मैंने उसके ट्रैकसूट के अंदर हाथ डाला और उसके नंगे लंड को पकड़ लिया। वो गर्म और सख्त था, करीब 7 इंच लंबा और इतना मोटा कि मेरा हाथ पूरा उस पर फिट नहीं हो रहा था। उधर, योगेश ने भी मेरे टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल दिया और मेरी चूचियों को पकड़ लिया। उसने मेरी टी-शर्ट ऊपर खींच दी। मैं सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट में थी। उसने मेरी ब्रा का हुक खोलने की कोशिश की, लेकिन वो नर्वस था, हुक नहीं खुल रहा था। मैंने हँसते हुए उसकी मदद की और ब्रा खोलकर अपनी 34C की चूचियाँ उसके सामने कर दीं।

वो मेरी चूचियों को देखकर पागल सा हो गया। उसने तुरंत मेरी एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई। उसका मुँह मेरी निप्पल पर था, और दूसरी चूची को वो ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था। उसने हँसते हुए कहा, “ये तो कुछ निकल ही नहीं रहा!” मैंने उत्तेजना में डूबते हुए जवाब दिया, “भाई, यहाँ तो कुछ नहीं निकलेगा, पर मेरी चूत में तो तूफ़ान आ रहा है!”

ये सुनते ही योगेश ने मेरी स्कर्ट को एक झटके में नीचे खींच दिया। मेरी पैंटी भी उसने उतार फेंकी। मैं अब पूरी नंगी थी। उसने मुझे बेड पर धकेल दिया। मैं लेट गई और अपनी जाँघें फैला दीं ताकि उसे कोई दिक्कत न हो। वो मेरे पैरों के बीच आया, उसकी साँसें गर्म थीं। उसने मेरी चूत को ध्यान से देखा, जैसे कोई खजाना मिल गया हो। फिर उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। “आह्ह्ह… भाई!” मैं सिसक पड़ी। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिसल रही थी, मेरे क्लिट को चाट रही थी। मैंने उसके बाल पकड़ लिए और अपनी चूत में उसका मुँह दबाने लगी।

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“उम्म… आह्ह… भाई, और ज़ोर से!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। योगेश ने मेरी बात सुनी और अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक डाल दिया। वो मेरे चूत के रस को चाट रहा था, जैसे कोई प्यासा पानी पी रहा हो। मैंने उससे कहा, “भाई, मुझे भी तेरा लंड चूसना है!” वो तुरंत 69 की पोजीशन में आ गया। उसका मोटा लंड मेरे मुँह के सामने था, और उसकी जीभ मेरी चूत को चाट रही थी।

मैंने उसके लंड को अपने मुँह में लिया। उसका स्वाद नमकीन और गर्म था। मैंने धीरे-धीरे उसकी टिप को चूसा, फिर पूरे लंड को अपने मुँह में लेने की कोशिश की। “उफ्फ… माया, तू तो कमाल है!” योगेश ने सिसकारी ली। मैंने उसका लंड और ज़ोर से चूसा, मेरी जीभ उसके लंड के नसों पर घूम रही थी। उधर, वो मेरी चूत को चाट रहा था, मेरे क्लिट को हल्के से काट रहा था। “आह्ह… उह्ह… भाई!” मैं बार-बार झड़ रही थी। मेरी चूत का पानी उसके मुँह में जा रहा था, और वो उसे चाट-चाटकर मज़े ले रहा था।

कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर आ गया। उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू किया। उसका लंड मेरी जाँघों को टच कर रहा था, और मेरी चूचियाँ उसके सीने से दब रही थीं। मैंने अपनी टाँगें और फैला दीं और बोली, “भाई, अब डाल दे! मेरी चूत को और मत तड़पा!” उसने अपना लंड मेरी चूत के छोटे से छेद पर रखा। मैंने उसका लंड पकड़कर सही जगह सेट किया और बोली, “धीरे-धीरे डाल, भाई!”

लेकिन योगेश तो उत्तेजना में पागल हो चुका था। उसने एक ज़ोरदार झटका मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया। “आह्ह्ह!” मैं दर्द से चीख पड़ी। मेरी चूत से हल्का सा खून निकलने लगा। मैंने डरते हुए कहा, “ये क्या कर दिया, भाई?” उसने प्यार से मेरे माथे को चूमा और बोला, “टेंशन मत ले, माया। मैंने पढ़ा है, पहली बार चुदाई में खून निकलता है।” मैं चुप हो गई, लेकिन दर्द अभी भी था।

वो धीरे-धीरे मेरी चूत में लंड अंदर-बाहर करने लगा। “चट… चट…” उसकी हरकतों से मेरी चूत से गीली आवाज़ें आ रही थीं। पहले तो दर्द हुआ, लेकिन धीरे-धीरे वो दर्द एक अजीब से मज़े में बदलने लगा। “आह्ह… उह्ह… भाई, और ज़ोर से!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। वो मेरी चूचियों को मुँह में लेकर चूस रहा था, और साथ ही मुझे चोद रहा था। मैं अपनी चूचियाँ बार-बार उसके मुँह में दे रही थी, जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो।

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“माया, तेरी चूत कितनी टाइट है!” वो बोला और और ज़ोर से धक्के मारने लगा। “पच… पच…” मेरी चूत की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। मैंने अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट लीं ताकि वो और गहराई तक जा सके। “आह्ह… भाई, चोद मुझे! और ज़ोर से!” मैं चिल्ला रही थी। मेरी चूत बार-बार झड़ रही थी, और हर बार वो मेरे रस को अपनी जीभ से चाट लेता था।

करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद योगेश ने एक लंबी सिसकारी ली, “उह्ह… माया, मैं झड़ने वाला हूँ!” उसने अपना सारा माल मेरी चूत में छोड़ दिया। गर्म-गर्म माल मेरी चूत में भर गया, और मैंने भी उसी वक्त तीसरी बार झड़ दिया। हम दोनों हाँफ रहे थे, पसीने से लथपथ थे।

रात भर वो मुझे हर आधे घंटे में चोदता रहा। हर बार वो मेरी चूत को नए तरीके से तृप्त करता। कभी वो मुझे डॉगी स्टाइल में चोदता, कभी मैं उसके ऊपर चढ़कर अपनी चूत में उसका लंड लेती। “आह्ह… उह्ह… भाई, तेरा लंड कमाल है!” मैं हर बार सिसकारियाँ लेती। वो मेरी चूचियों को दबाता, मेरे होंठ चूसता, और मेरी चूत को चाटता।

उस रात के बाद हमारी ज़िंदगी बदल गई। जब भी मम्मी-पापा घर पर नहीं होते, योगेश मुझे चोदने लगता। और जब मुझे चुदाई का मन करता, मैं उसे उकसाती—कभी टाइट टी-शर्ट पहनकर, कभी जानबूझकर अपनी स्कर्ट ऊपर करके। वो तुरंत तैयार हो जाता। अब तो मैं मानो उसकी रखैल बन गई हूँ।

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