सौतेले बाप ने बेटी की चूत खुजलाई लंड से

मैं अपने घर की इकलौती बेटी थी। मेरा नाम शालिनी पांडे है। अमीर परिवार से होने की वजह से बचपन से ही लाड़-प्यार में डूबी रही। इस लाड़ ने मुझे जिद्दी बना दिया था। मैं हर काम अपनी मर्जी से करती थी। उस वक्त मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं पता था, लेकिन कॉलेज में आने तक चूत, लंड और चुदाई जैसे शब्द मेरे लिए नए नहीं रहे। मेरी जवानी की आग धीरे-धीरे सुलग रही थी, और मैं उसकी गर्मी को महसूस करने लगी थी।

पिछले साल मेरे पापा ने शेयर मार्केट में सारा पैसा डुबो दिया था। नुकसान बर्दाश्त न कर पाने की वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली। इस सदमे से मम्मी टूट गई थीं, लेकिन कुछ ही महीनों बाद उन्होंने अपने पुराने कॉलेज फ्रेंड से शादी कर ली, जो पेशे से डॉक्टर थे। मेरे नए सौतेले पापा, संजय, जवान और हट्टे-कट्टे थे। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे कभी-कभी असहज कर देती थी।

मैं उस वक्त 19 साल की थी, जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी। मेरा रंग हल्का गुलाबी, चेहरा मासूम और जिस्म ऐसा कि कॉलोनी के लड़के मुझे देखते ही अपने लंड पर हाथ फेरने लगते। “शालिनी रानी, पानी पियोगी?” कहकर वो गंदे इशारे करते। मैं बस मुस्कुरा देती, जिससे उनकी हवस और भड़क जाती। मिनी स्कर्ट और चश्मे में जब मैं अपनी एक्टिवा पर कोचिंग के लिए निकलती, तो लड़के मेरे पीछे बाइक लिए पड़े रहते। उनमें से एक लड़का, रजत, जो मेरे स्कूल का था, मुझे बहुत पसंद था। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती हुई, और मैं उसे लाइन देने लगी।

मैं तब भी पूरी तरह से नासमझ थी। मेरे सीने पर छोटे-छोटे उभार अभी-अभी उभरे थे। मेरी पतली कमर और हल्की-सी उभरी चूतड़ों ने जवानी की पैंटी में कदम रखा था। रजत और मैं दिल्ली के पार्क में मिलते। वो मुझे झाड़ियों के पीछे ले जाकर मेरी अधपकी चूचियों को दबाता, मसलता और कभी-कभी मुँह से चूस लेता। मैं सिहर उठती, “आह्ह… रजत…” मेरी सिसकारियाँ निकल पड़तीं। वो मेरी सफेद शर्ट खोल देता या नीली स्कर्ट ऊपर करके मेरी चड्डी में हाथ डाल देता। मैं आँखें बंद करके बस सिसकारियाँ भरती रहती।

एक दिन हम स्कूल के खाली क्लासरूम में पीछे की सीट पर बैठे थे। टैब पर एक ब्लू फिल्म चल रही थी। उसमें एक जवान लड़की को कुतिया बनाकर एक काला, मोटा लंड वाला आदमी वाइल्ड होकर चोद रहा था। मैं हैरान थी कि इतनी छोटी-सी चूत में इतना बड़ा लंड कैसे समा रहा है। मेरे जिस्म पर सिर्फ खुली हुई सफेद शर्ट और नीली स्कर्ट थी। रजत मेरी चूचियों को मसल रहा था, और मैं गर्म हो रही थी। उसने अपनी जींस की जिप खोली, और उसका गोरा, मोटा लंड बाहर निकल आया। मैंने पहली बार असल में लंड देखा था। डर और उत्सुकता दोनों हो रहे थे।

“डरती क्यों है, शालिनी बेबी?” रजत ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया। उसकी साँसें गर्म थीं, और मेरी आँखों में देखते हुए उसने कहा, “प्यार से करूँगा।” मैंने डरते हुए कहा, “रजत, अगर क्लास में कोई आ गया तो? हमें स्कूल से निकाल देंगे!” उसने हँसते हुए कहा, “कुछ नहीं होगा। बस इसे पकड़, सहला, मजा आएगा।” उसने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया। मैंने धीरे-धीरे उसे सहलाना शुरू किया। उसका लंड तुरंत तन गया। “शालिनी, मुँह में ले ना, यार!” उसने कहा।

“पागल हो गए हो? क्लास में?” मैंने मना किया, लेकिन वो नहीं माना। “आई लव यू, शालिनी,” कहते हुए उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया। मैं पिघलने लगी। “रजत, ये गलत है…” मैंने कहा, लेकिन वो मेरे कंधों पर हाथ रखकर बोला, “तू जवान हो रही है, और मैं तुझसे और प्यार करना चाहता हूँ।” उसने मेरे गाल पर किस किया, और मैं शर्मा गई।

“किसी को पता चल गया तो?” मैंने डरते हुए कहा। “कुछ नहीं होगा,” उसने भरोसा दिलाया। मैं पहले से ही गर्म थी। उसने अपना लंड मेरे होंठों पर रख दिया। मैंने डरते हुए चारों तरफ देखा और उसका सुपारा जीभ से चाटना शुरू किया। तभी रजत ने मेरे बाल पकड़े, मेरा मुँह खोला और अपना पूरा लंड मेरे गले तक उतार दिया। “उम्म… खों… खों…” मेरी आवाजें निकल रही थीं। उसका 7 इंच का मोटा लंड मेरे गले में था, और मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे।

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वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को चोदने लगा। “आह, शालिनी, चूस… और जोर से!” वो कहता रहा। मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन उसकी हवस रुकने का नाम नहीं ले रही थी। मैं समझ गई थी कि आज मेरी चूत की सील टूटने वाली है। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मैं सिसकारियाँ भर रही थी, “आह… रजत… धीरे…” उसने मेरे मम्मों पर हाथ रखा और कहा, “इनका रस पीना चाहता हूँ, शालिनी!”

उसने मेरी शर्ट ऊपर की, ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को मसला। मैं चुदास में डूब गई। “आह्ह… रजत… उईई…” मैं सिसकारी। उसने मेरी स्कर्ट खींच दी, ब्रा उतारी और मेरे गुलाबी निप्पलों को चूसने लगा। “हाय… रजत… और चूसो…” मैं बेकाबू हो रही थी। उसने मेरी लाल पैंटी उतारी और मेरी गोरी, बिना बालों वाली चूत देखकर बोला, “वाह, शालिनी! क्या मस्त चूत है! इतनी चिकनी, गुलाबी!”

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वो मेरी जांघों को चूमने लगा, मेरी चूत को सहलाने लगा। “आह… रजत… हाय…” मैं सिहर रही थी। उसने मेरी चूत की फांकों को चूसा, और मैं कई बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत का पानी उसके हाथों पर था। फिर उसने अपने कपड़े उतारे। उसका लंड लोहे की तरह तना हुआ था। “रजत, ये तो बहुत बड़ा है… मेरी चूत में नहीं जाएगा!” मैंने डरते हुए कहा।

“फिकर मत कर, मेरी जान,” उसने कहा और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा। मेरी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया। “आह… रजत… उईई…” मैं तड़प रही थी। उसने हल्का-सा झटका मारा, लेकिन उसका लंड अंदर नहीं गया। “थोड़ा दर्द होगा, फिर मजा आएगा,” उसने कहा। मैंने कहा, “प्लीज, धीरे करना!” उसने एक जोरदार झटका मारा, और उसका आधा लंड मेरी चूत की सील तोड़ता हुआ अंदर घुस गया। “आह… रजत… मैं मर गई… निकालो… प्लीज!” मैं चीख पड़ी। मेरी चूत से खून निकल रहा था।

वो मेरे होंठ चूसने लगा और लंड को अंदर डाले रखा। “थोड़ा सहन कर, मेरी जान,” उसने कहा। पांच मिनट बाद उसने धीरे-धीरे झटके मारने शुरू किए। “आह… रजत… अब मजा आ रहा है…” मैं सिसकारी। मैं दो बार झड़ चुकी थी, और वो मेरे होंठ चूसते हुए मुझे चोदता रहा। “छप… छप… छप…” चुदाई की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। दस मिनट बाद उसने अपना सारा माल मेरी चूत में छोड़ दिया। मेरी चूत खून और पानी से लथपथ थी।

इस तरह रजत ने मेरी पहली चुदाई की। एक दिन जब घर पर कोई नहीं था, मैंने रजत को बुलाया। हम बेडरूम में चुदाई के खेल में डूबे थे। “आह… रजत… और जोर से… उईई…” मैं सिसकार रही थी। तभी दरवाजे से किसी के आने की आहट हुई। मम्मी ने हमें देख लिया। मैं सिर्फ मोजे और खुली शर्ट में थी। मम्मी ने रजत को थप्पड़ मारे और गालियां दीं। मैं वॉशरूम में भाग गई।

शाम को पापा को सब पता चल गया। उन्होंने मुझे गले लगाया और कहा, “अभी बच्ची है।” इस घटना के बाद रजत कहीं चला गया। मम्मी की वजह से मैंने उसे खो दिया, लेकिन मेरी जवानी अब 36-27-38 के फिगर में ढल चुकी थी। पापा की मौत के बाद मम्मी को मेरा घर में रहना पसंद नहीं था। हमारी लड़ाईयाँ बढ़ गई थीं। शायद मैं उनके नए वैवाहिक जीवन में खलल डाल रही थी।

मम्मी और नए पापा का कमरा ऊपर था, और मैं नीचे बैठक में सोती थी। मेरे चूतड़ भारी और उभरे हुए थे। टाइट ब्लू शॉर्ट्स में मेरी चूतड़ों की दरार देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। पापा की नजरें मेरे चूतड़ों पर अटकती थीं। वो कभी-कभी मेरे चूतड़ों पर हाथ मारकर अपनी भड़ास निकाल लेते। “मेरी सेलेना गोम्स!” कहकर वो हंस देते। मैं भी कामुक मुस्कान दे देती, जिससे मम्मी चिढ़ जाती थीं।

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मुझे मम्मी से बदला लेना था। मैं पापा के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ करती। रात को डिनर के बाद मम्मी और पापा अपने कमरे में चले जाते। मैं अकेली कम्प्यूटर पर पोर्न देखती। एक रात मैं बोर होकर छत पर चली गई। ठंडी हवा में घूमकर नीचे आई, तो मम्मी के कमरे से सिसकारियाँ सुनाई दीं। “आह… संजय… और जोर से…” मैं समझ गई कि मम्मी चुद रही थीं।

खिड़की थोड़ी खुली थी। मैंने दबे पांव देखा। मम्मी घोड़ी बनी थीं, और पापा उनकी गोरी गांड चोद रहे थे। “छप… छप… आह…” उनकी आवाजें गूंज रही थीं। पापा मम्मी के बोबे मसल रहे थे। मेरी चूत गीली हो गई। मैंने अपने मम्मों को सहलाया और सिहर उठी। पापा ने मम्मी के चूतड़ों पर वीर्य की पिचकारी मारी। मैं चुपके से नीचे चली गई।

बिस्तर पर लेटकर मैंने अपनी चूत में उंगली डाली। “आह… उईई…” मैं सिसकारी और झड़ गई। मुझे मम्मी से बदला लेने की तरकीब मिल गई थी। सुबह पापा चाय लेकर आए। “गुड मॉर्निंग, मेरी बेबी! मजा आया क्या?” मैं घबरा गई। क्या पापा ने मुझे रात को देख लिया था?

“जी, क्या?” मैंने पूछा। “बाद में बताऊँगा। तुम्हारी मम्मी दो दिन के लिए नानी के घर जा रही हैं। घर संभालना है।” “हम लड़कियाँ यही तो करती हैं,” मैंने तंज कसा। “बस यही और मैं हूँ, संभाल लेगी?” पापा ने मजाक किया। मैंने बिस्तर से पांव उठाए, तो मेरी स्कर्ट ऊपर हो गई, और मेरी नंगी चूत पापा को दिख गई। मैंने जानबूझकर ऐसा किया। पापा मुझे घूरने लगे।

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“पापा, ऐसे क्या देख रहे हो?” मैंने पूछा। “सुबह-सुबह अच्छी चीजों के दर्शन शुभ होते हैं,” उन्होंने कहा। मैं मन ही मन मुस्कुराई। शाम को मैंने टाइट रेड मिनी स्कर्ट और काली टॉप पहनी। पापा के साथ डिस्को गई। वहाँ एक नशे में धुत आदमी ने कहा, “तेरी गर्लफ्रेंड बड़ा माल है!” पापा ने कहा, “ये मेरी बेटी है।” मैंने स्माइल दी और डांस करती रही।

रात 2 बजे हम घर लौटे। मैं निराश थी कि कुछ हुआ नहीं। मैंने बिना पैंटी की छोटी फ्रॉक पहनी और बिस्तर पर लेट गई। मैंने पोर्न मूवी चालू की और उंगली करने लगी। “आह… उईई… हाय…” मेरी सिसकारियाँ निकल रही थीं। तभी पापा अंदर आ गए और मुझे देख लिया। मैं डर गई और कपड़े ठीक करने लगी।

“सॉरी, पापा! प्लीज मम्मी को मत बताना,” मैंने गिड़गिड़ाई। “टेंशन मत ले, मैं कुछ नहीं बताऊँगा। ये तो हर लड़की करती है,” उन्होंने कहा। मैंने पूछा, “पापा, आपकी गर्लफ्रेंड थी शादी से पहले?” “नहीं,” उन्होंने कहा। “आप भी तो मम्मी के न होने पर लंड हिलाते होंगे?” मैंने हँसते हुए पूछा। “हाँ, हिलाकर शांत होता हूँ,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा।

“पापा, आप ब्लू फिल्म देखते हैं?” मैंने पूछा। “हाँ, तू मेरे साथ देखेगी?” उन्होंने कहा। मैंने हिचकते हुए कहा, “हम बाप-बेटी हैं।” “तू मेरी सगी बेटी थोड़े है। बस देखेंगे,” उन्होंने कहा। मैं मान गई। पापा ने लैपटॉप पर एक हॉट पोर्न मूवी चालू की। मूवी देखते हुए वो अपना लंड हिलाने लगे। “पापा, ये क्या?” मैंने कहा। “तू भी तो फिन्गरिंग कर रही थी। चाहे तो अब भी कर,” उन्होंने कहा।

मैं गर्म हो चुकी थी। मैंने अपनी जांघें खोलीं और चूत में उंगली डाल दी। “आह… उईई…” मैं सिसकारी। पापा ने कहा, “चूसेगी?” मैंने शर्माते हुए मना किया, लेकिन फिर उनका मोटा, 7 इंच का लंड पकड़ लिया और चूसने लगी। “आह… मेरी बेबी… चूस… और जोर से!” पापा बोले। मैंने उनके लंड को जीभ से चाटा, सुपारे को चूसा और पूरा मुँह में लिया। “उम्म… खों… खों…” मेरी आवाजें निकल रही थीं। जब उनका पानी निकला, मैंने उसे पी लिया।

“पापा, अपनी मासूम बेटी को चोद दो! फक मी!” मैंने बेशर्मी से कहा। पापा पागल हो गए। उन्होंने मुझे बाहों में लिया और मेरे होंठ चूसने लगे। “आह… पापा… उईई…” मैं सिसकारी। वो मेरी चूचियों को मसलने लगे। हम 69 की पोजीशन में आए। मैं उनका लंड चूस रही थी, और वो मेरी चूत को जीभ से चोद रहे थे। “आह… पापा… और चूसो… उईई…” मैं तड़प रही थी।

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“पापा, अब चोद दो! मेरी चूत प्यासी है!” मैं चिल्लाई। “कमीने, जैसे मम्मी को रंडी की तरह चोदते हो, वैसे मुझे चोदो!” मैं बेकाबू थी। पापा ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा। सुपारा गीली चूत पर रगड़ा। “आह… पापा… डाल दो… उईई…” मैं सिसकारी। उन्होंने एक जोरदार झटका मारा, और सुपारा अंदर गया। “आह… पापा… मर गई…” मैं चीखी।

उन्होंने एक और झटका मारा, और आधा लंड अंदर घुस गया। “ले, रंडी की औलाद! मेरा लंड ले!” पापा बोले। मैं दर्द से तड़प रही थी। “पापा, निकालो… मैं मर जाऊँगी!” मैं गिड़गिड़ाई। वो मेरे होंठ चूसने लगे और रुक गए। पांच मिनट बाद मेरा दर्द कम हुआ। उन्होंने फिर झटका मारा, और पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। “आह… उईई… पापा… मर गई…” मैं चीखी।

“छप… छप… छप…” चुदाई की आवाजें गूंजने लगीं। पापा मेरे मम्मों को मसलते हुए चोदने लगे। “आह… पापा… और जोर से… उईई…” मैं सिसकारी। मैं दो बार झड़ चुकी थी। पंद्रह मिनट बाद पापा ने अपना माल मेरे मुँह में डाला। हम बिस्तर पर लेट गए। आधे घंटे बाद पापा फिर तैयार थे। उनका लंड मेरे चूतड़ों की दरार पर रगड़ रहा था। “पापा… आह… क्या कर रहे हो?” मैंने कहा।

“बेबी, कोल्ड क्रीम और तौलिया लाओ,” उन्होंने कहा। मैं समझ गई कि वो मेरी गांड मारना चाहते हैं। मैं क्रीम और तौलिया लेकर आई। पापा मेरे पीछे आए और मेरी चूचियों को मसलने लगे। “आह… पापा… और दबाओ… उईई…” मैं सिसकारी। उन्होंने मुझे कुतिया बनाया। लंड मेरी गांड की दरार पर रखा और क्रीम लगाकर सुपारा अंदर डाला। “आह… पापा… मेरी गांड फट गई… उईई…” मैं चीखी।

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“शालिनी, तेरी मम्मी में वो बात नहीं जो तुझमें है!” पापा बोले। उनका लंड मेरी गांड में गहराई तक जा रहा था। “छप… छप… आह…” आवाजें गूंज रही थीं। उन्होंने मेरी चूत में उंगली डाली और दाने को मसला। “आह… पापा… और चोदो… उईई…” मैं बेशर्म हो चुकी थी।

पापा ने लंड बाहर निकाला और मेरी चूत को निशाना बनाया। “ले, मेरी जान! तेरी चिकनी चूत में मेरा लंड!” उन्होंने झटका मारा। “आह… पापा… मर गई… उईई…” मैं सिसकारी। उनका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। “पापा, मेरी चूचियाँ मसलो… खींच डालो!” मैं चिल्लाई। वो मेरी चूचियों को बुरी तरह मसलने लगे। “छप… छप… छप…” चुदाई की आवाजें तेज हो गईं।

मैं चरम पर थी। “आह… पापा… बस… मेरा माल निकला… उईई…” मैं झड़ गई। पापा ने लंड बाहर निकाला और मेरे चूतड़ों और पीठ पर वीर्य की पिचकारी मारी। “शालिनी, तूने मुझे मस्त कर दिया!” उन्होंने कहा। मैंने उन्हें फिर बिस्तर पर खींच लिया। मम्मी दस दिन तक बाहर रहीं, और मैं अपनी चूत और गांड पापा से चुदवाती रही।

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