बचपन की सहेलियों के साथ चोदा चोदी

यह कहानी उस वक्त की है जब मैं, रंजना मालवीय, इंदौर की एक चाल में रहती थी और कॉलेज में पढ़ती थी। मैं 20 साल की थी, और मेरी जिंदगी मस्ती और जवानी के रंगों से भरी थी। हमारी चाल में तीन लड़कियाँ—रवीना, करिश्मा, और काजोल—रहती थीं। ये मेरी बचपन की सहेलियाँ थीं। स्कूल के दिनों से ही हमारा याराना गहरा था। उनके घर आना-जाना, हँसी-मजाक, और छोटी-मोटी शरारतें हमारी रोज की आदत थीं। अब वे 18 साल की हो चुकी थीं, जवानी की दहलीज पर थीं, और उनकी खूबसूरती मेरे दिल को छू जाती थी। रवीना की वो चमकती आँखें, करिश्मा का बिंदास अंदाज, और काजोल की वो नशीली मुस्कान—सब कुछ मेरे मन में हलचल मचाता था।

ये कहानी उस दिन की है जब मेरे और इन तीनों के बीच कुछ ऐसा हुआ, जो मेरे दिल में हमेशा के लिए बस गया। उस दिन मैं घर पर अकेली थी। मम्मी-पापा एक रिश्तेदार के यहाँ गए थे, और घर में सन्नाटा था। मैं अपने कम्प्यूटर पर एक ब्ल्यू फिल्म देख रही थी। स्क्रीन पर चल रही हरकतें मेरे शरीर में आग लगा रही थीं, और मैं खो सी गई थी। तभी अचानक दरवाजे की घंटी बजी। मैं हड़बड़ा गई, जल्दी से फिल्म बंद की, और दरवाजा खोलने दौड़ी। सामने रवीना, करिश्मा, और काजोल खड़ी थीं, तीनों के चेहरों पर शरारती मुस्कान थी।

“रंजना, तू घर पर अकेली क्या कर रही है?” रवीना ने अपनी चिर-परिचित शरारती अंदाज में पूछा, उसकी आँखों में चमक थी।

“कुछ नहीं, बस… कम्प्यूटर पर थोड़ा काम कर रही थी,” मैंने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया। मेरे दिल की धड़कनें तेज थीं, और मैं उम्मीद कर रही थी कि मेरी घबराहट उनके सामने जाहिर न हो।

“आज कॉलेज को छुट्टी है, तो सोचा तुझसे मिलने चले आएं। तू भी तो अकेली है, चल कुछ मस्ती करें!” काजोल ने हँसते हुए कहा। उसकी आवाज में एक नशीली मिठास थी, जो मेरे मन को और बेचैन कर रही थी।

“क्या खेलें?” मैंने पूछा, मन में एक अजीब सी उत्तेजना थी।

“आँख मिचौली!” करिश्मा ने तुरंत जवाब दिया, उसका चेहरा उत्साह से चमक रहा था।

“ठीक है,” मैंने हामी भरी। मेरा घर चाल में सबसे बड़ा था—एक बेडरूम, किचन, और एक बड़ा सा हॉल। खेल के लिए जगह की कोई कमी नहीं थी।

रवीना ने कहा, “राज कौन लेगा?”

“लॉटरी निकालते हैं,” मैंने सुझाव दिया। तीनों ने सहमति जताई। मैंने कागज की पर्चियाँ बनाईं, और काजोल से कहा, “एक पर्ची उठा, जिसका नाम आएगा, वो राज लेगी।”

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काजोल ने पर्ची उठाई, और करिश्मा का नाम निकला। उस दिन तीनों ने स्कूल की ड्रेस पहनी थी, जो वे घर पर भी अक्सर पहनती थीं। करिश्मा ने चॉकलेटी रंग का पेटीकोट और शर्ट पहनी थी, जो उसके गोरे बदन पर गजब ढा रही थी। काजोल ने नीले रंग का कुरता और आसमानी पजामा पहना था, ऊपर से दुपट्टा लिया था, जो उसकी जवानी को और उभार रहा था। रवीना पीले रंग की स्कर्ट और टॉप में थी, जो उसकी फुर्तीली अदाओं को और निखार रहा था। मैं उस वक्त बरमुडा और टी-शर्ट में थी, और अंदर कुछ नहीं पहना था, जो बाद में मेरे लिए मुसीबत बन गया।

“करिश्मा, तेरी बारी है, आँखों पर पट्टी बाँधो,” काजोल ने कहा।

“पट्टी कहाँ है?” मैंने पूछा, थोड़ा नाटक करते हुए।

“अरे, काजोल का दुपट्टा काम आएगा,” रवीना ने हँसते हुए कहा।

काजोल ने अपना दुपट्टा उतारा और करिश्मा की आँखों पर बाँध दिया। खेल शुरू हुआ। हम तीनों इधर-उधर भागने लगे, और करिश्मा हमें पकड़ने की कोशिश करने लगी। मैं शरारत में करिश्मा को छूकर पीछे हट जाती थी। काजोल और रवीना भी यही कर रही थीं। हॉल में हँसी-मजाक और चीख-पुकार का माहौल था।

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अचानक मेरा हाथ करिश्मा के स्तनों पर लग गया। उसका मुलायम, गोल उभार मेरे हाथों में आया, और मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई। लेकिन उसी पल करिश्मा ने मुझे पकड़ लिया। “अब तेरी बारी, रंजना!” उसने हँसते हुए कहा।

अब मेरी आँखों पर पट्टी बँधनी थी। काजोल ने अपना दुपट्टा मेरी आँखों पर बाँधा। पट्टी बाँधते वक्त उसके स्तन मेरी पीठ से छू रहे थे, और मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी दौड़ने लगी। मैंने अपने उत्तेजित शरीर को छुपाने की कोशिश की, लेकिन मन में तूफान उठ रहा था। अब मैं तीनों को ढूँढने लगी, पर मेरा ध्यान बार-बार अपने शरीर की उत्तेजना पर जा रहा था।

अचानक रवीना की आवाज आई, “रंजना, तेरी जेब इतनी फूली हुई क्यों है? कुछ छुपा रखा है क्या?”

मैं घबरा गई। “न… नहीं, कुछ नहीं! ये तो… ककड़ी है, जो मैं रोज खाती हूँ,” मैंने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया।

“अच्छा? मुझे भी चाहिए!” रवीना ने जिद पकड़ ली, उसकी आवाज में शरारत थी।

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“अरे, खेल तो पूरा होने दे!” मैंने टालने की कोशिश की।

“नहीं, अभी दे!” काजोल भी जिद पर अड़ गई, और उसकी आवाज में एक अजीब सी मस्ती थी।

मैंने कहा, “पास मत आना, काजोल, आउट हो जाएगी!”

लेकिन काजोल नहीं मानी। उसने रवीना और करिश्मा से कुछ फुसफुसाया, और फिर बोली, “रंजना, तुझे छूने ही नहीं दूँगी, फिर कैसे आउट करेगी? मैं ककड़ी निकाल लूँगी!”

मैं कुछ समझ पाती, उससे पहले ही करिश्मा और रवीना ने मेरे दोनों हाथ कसकर पकड़ लिए। मैं चिल्लाई, “अरे, ये क्या कर रही हो?”

रवीना बोली, “रंजना, अब तू हमें छू नहीं सकती, क्योंकि तेरे हाथ तो हमारे पास Robot! हैं!”

मैं डर गई। तभी काजोल ने मेरी जेब में हाथ डाला और ‘Lu**! ‘ककड़ी’ खींचने की कोशिश की। लेकिन उसने मेरे उभार को पकड़ लिया। मुझे शर्मिंदगी और उत्तेजना दोनों महसूस हुई। करिश्मा और रवीना ने मुझे कसकर पकड़ा हुआ था, मैं हिल भी नहीं पा रही थी।

“काजोल, ककड़ी निकाल!” करिश्मा ने कहा।

“अरे, नहीं निकल रही!” काजोल ने जवाब दिया, मेरे उभार को जोर से पकड़ते हुए।

“शायद रंजना ने अंदर रखी होगी। उसकी पैंट उतार!” रवीना ने हँसते हुए कहा।

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काजोल थोड़ा शरमा गई, लेकिन रवीना ने कहा, “अरे, शरमाना कैसा? रंजना तो हमारी दोस्त है!”

मैं घबराई हुई थी, क्योंकि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था। काजोल ने मेरी बरमुडा खींचना शुरू किया। मैंने विरोध किया, लेकिन करिश्मा और रवीना ने मुझे कसकर पकड़ा हुआ था। आखिरकार, काजोल ने एक झटके में मेरा बरमुडा नीचे खींच दिया। मेरा नंगा शरीर तीनों के सामने था, और मेरी उत्तेजना साफ दिख रही थी।

तीनों की आँखें फटी की फटी रह गईं। करिश्मा चिल्लाई, “बाप रे! रंजना, तेरा शरीर तो इतना गजब है!”

मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, ये इतना खास नहीं है। तुम तीनों को देखकर तो ये और उत्तेजित हो गया!”

अब मैंने हथियार डाल दिए और खुलकर बात करने लगी। “करिश्मा, काजोल, रवीना, सुनो! मैं तुम तीनों को बहुत चाहती हूँ। तुम्हारी जवानी का रस पीना चाहती हूँ!”

रवीना ने शरारती अंदाज में पूछा, “कौन सा रस, रंजना?”

मैंने हिम्मत जुटाई और कहा, “बुरा मत मानना, साफ-साफ बोलती हूँ। मैंने कई बार तुम्हारे बोबे दबाए हैं, तुम्हारे शरीर को छुआ है। मेरा शरीर हर बार उत्तेजित हो जाता है। अभी तुम्हारे बोबे देखकर इन्हें चूसने का मन कर रहा है, और… तुम तीनों मेरे साथ वो सब करो, जो मैं चाहती हूँ!”

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काजोल ने हँसते हुए कहा, “अरे रंजना, इतनी बिदकने की क्या जरूरत? जो चाहिए, वो बता, हम मदद करेंगी!”

करिश्मा बोली, “और क्या चाहती है, बता?”

मैंने कहा, “मैं तुम तीनों के साथ चुदाई का मजा लेना चाहती हूँ! तुम्हारी चूत में अपनी उंगलियाँ डालना चाहती हूँ, तुम्हें चूमना, चूसना, और पूरी तरह से मजे लेना चाहती हूँ!”

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रवीना ने ताली बजाई। “तो इसमें क्या दिक्कत है? अब तक तूने ऊपरी-ऊपरी मजे लिए, अब असली खेल का मजा लें!”

करिश्मा और काजोल ने भी हामी भरी। “हाँ रंजना, जैसे चाहे हमें चोद! शादी के बाद तो पति चोदेगा, उससे पहले तुझसे सीख लें, तो बाद में आसानी होगी!”

“कैसे शुरू करें?” रवीना ने पूछा, उसकी आँखों में उत्साह और शरारत थी।

मैंने फिर पर्चियाँ डालीं। करिश्मा ने पर्ची उठाई—पहली में काजोल, दूसरी में करिश्मा, और तीसरी में रवीना का नाम आया।

“जैसे पर्ची में नाम आए, वैसे ही चोदूँगी,” मैंने कहा।

तीनों मान गईं। “ठीक है!”

“काजोल, तेरा नाम पहले है, तैयार है ना?” मैंने पूछा।

“हाँ, मैं तैयार हूँ! मुझे क्या करना है?” काजोल ने शरमाते हुए पूछा, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।

“तुझे कुछ नहीं करना, मैं करूँगी। जब जरूरत हो, मैं बोलूँगी। ये खेल ऐसा ही है,” मैंने कहा। “चलो, बेडरूम में चलते हैं।”

करिश्मा ने पूछा, “हम भी आएँ?”

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“हाँ, आ जाओ, देखो कैसे चोदते हैं,” मैंने हँसते हुए कहा।

हम चारों बेडरूम में गए। कमरा छोटा लेकिन आरामदायक था, और बिस्तर पर साफ चादर बिछी थी। मैंने काजोल को बिस्तर पर लिटाया। उसका नीला कुरता और आसमानी पजामा उसे और खूबसूरत बना रहा था। मैंने धीरे से उसके गालों को चूमा, और उसकी साँसें तेज हो गईं। पहली बार ऐसा कुछ हो रहा था, उसकी आँखों में उत्साह के साथ हल्का डर भी था। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे, धीरे-धीरे चूमने लगी। उसकी साँसें गर्म थीं, और मेरे हाथ उसके कुरते के ऊपर से उसके उभरे हुए स्तनों पर चले गए।

“काजोल, तेरे बोबे तो आम जैसे पक गए हैं!” मैंने कहा, उसकी आँखों में देखते हुए।

“तो रस पी ले ना!” उसने शरमाते हुए कहा, उसकी आवाज में मस्ती थी।

मैंने उसका कुरता ऊपर उठाया, और उसकी सफेद ब्रा दिखी। ब्रा के ऊपर से ही उसके निप्पल साफ दिख रहे थे। मैंने धीरे से उसकी ब्रा उतारी, और उसके गोरे, गोल स्तन बाहर आ गए। निप्पल गुलाबी और कड़े थे, जैसे दो छोटे-छोटे मोती। मैं उन पर टूट पड़ी, एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगी, दूसरा स्तन मेरे हाथ में था, मैं उसे जोर-जोर से दबा रही थी। काजोल की सिसकारियाँ शुरू हो गईं, “आह… रंजना… आआहह… और कर… हाय…”

मैंने उसका पजामा खींचा, और उसकी काली पैन्टी सामने आई। मैंने धीरे से उसकी पैन्टी उतारी, और उसकी चूत दिखी—हल्के बालों से सजी, गुलाबी और गीली। मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत पर फिराईं, और वो सिहर उठी। “रंजना… हाय… ये क्या कर रही है… आह…” उसकी आवाज में दर्द और मजा दोनों थे।

मैंने अपनी एक उंगली धीरे से उसकी चूत में डाली, और वो चिल्लाई, “आआहह… रंजना… धीरे…” मैंने धीरे-धीरे अपनी उंगली अंदर-बाहर की, और उसकी सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह… ओह… हाय… और कर… आआहह…” मैंने दूसरी उंगली डाली, और उसकी चूत अब पूरी गीली थी। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया, और वो पागल सी हो गई। “रंजना… हाय… मैं मर गई… आआहह… सी… सी…”

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करिश्मा और रवीना ये सब देख रही थीं, और उनकी साँसें भी तेज हो रही थीं। करिश्मा बोली, “रंजना, अब मुझे भी कुछ हो रहा है… जल्दी कर!”

“ठीक है, करिश्मा डार्लिंग, अब तेरी बारी,” मैंने कहा। काजोल बिस्तर पर लेटी थी, उसकी साँसें अभी भी तेज थीं। मैंने करिश्मा को बुलाया। उसने चॉकलेटी पेटीकोट और शर्ट पहनी थी। मैंने उसके होंठों को चूमा, और वो तुरंत मेरे गले लग गई। मैंने उसका पेटीकोट उतारा, और उसने ब्रा नहीं पहनी थी। उसके स्तन बाहर उछल आए, गोल और सख्त, जैसे दो पके हुए संतरे। मैंने उन्हें दबाना शुरू किया, और वो सिसकारी, “आह… रंजना… जोर से… हाय…”

मैंने उसकी शर्ट खोली, और उसके निप्पल चूसने लगी। करिश्मा की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आआहह… हाय… रंजना… और चूस… सी…” मैंने उसकी पैन्टी उतारी, और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत गीली थी, और उसकी खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डालीं, और वो चिल्लाई, “आआहह… रंजना… हाय… मुझे मार डालेगी… आह…”

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मैंने उसकी चूत को चाटते हुए अपनी उंगलियों की रफ्तार बढ़ाई, और वो पागल सी हो गई। “रंजना… आह… सी… और जोर से… मैं गई…” वो झड़ गई, और उसका शरीर काँप रहा था।

अब रवीना की बारी थी। वो पीली स्कर्ट और टॉप में थी। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसका टॉप उतारा। उसकी ब्रा उतारते ही उसके स्तन बाहर आए, गोल और मुलायम। मैंने उन्हें चूसना शुरू किया, और वो सिसकारी, “आह… रंजना… हाय… और चूस… सी…” मैंने उसकी स्कर्ट और पैन्टी उतारी, और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत टाइट थी, और मैंने अपनी उंगलियाँ डालीं। वो चिल्लाई, “आआहह… रंजना… धीरे… हाय… मैं मर गई…”

मैंने उसकी चूत को चाटते हुए अपनी उंगलियों की रफ्तार बढ़ाई, और वो सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… सी… रंजना… और कर… हाय…” वो भी झड़ गई, और उसका शरीर काँप रहा था।

अब हम चारों एक साथ मस्ती में डूब गए। मैंने काजोल को फिर बुलाया, और उसकी चूत में अपनी उंगलियाँ डालीं। करिश्मा मेरे स्तनों को दबा रही थी, और रवीना मेरे होंठों को चूम रही थी। कमरा सिसकारियों और चीखों से भर गया था—आह… सी… हाय… और जोर से… हम चारों ने दो घंटे तक चुदाई का मजा लिया, एक-दूसरे के शरीर को चूमते, चाटते, और दबाते हुए।

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