मैं एक 26 साल का जवान, रोमांटिक मिजाज का लड़का हूं। मेरा लंड 7 इंच लंबा और 1 इंच मोटा है, जो किसी भी चूत को जन्नत की सैर कराने के लिए काफी है। दोस्तों, ये चूत क्या चीज है, भगवान ने इसे जन्नत का दरिया बनाया है, जिसमें डूबकर ही जिंदगी का असली मजा मिलता है। जिंदगी के मोड़ भी कमाल के होते हैं, जहां लंड और चूत का मिलन होता है, वही असली कहानी शुरू होती है। मैं सभी भाभियों, चाचियों और लड़कियों को अपने खड़े लंड से प्रणाम करता हूं और सभी लंडधारी भाइयों को खड़े लंड का नमस्कार। ये कहानी मेरी और मेरी पड़ोसन भाभी की है, जो एक हुस्न की मलिका हैं। उनके बूब्स, उनकी मटकती गांड, हर वो चीज जो देखने वाला बस देखता रह जाए और मन ही मन भगवान से प्रार्थना करे कि काश ये हसीना अभी बाहों में आ जाए, इसके चुचे चूस लूं, इसकी गांड में लंड पेल दूं।
दिव्या भाभी का रंग गोरा-चिट्टा, बिल्कुल चिकनी त्वचा, आहहह! उनके हुस्न को देखकर कोई भी पागल हो जाए। पड़ोस में रहने की वजह से उनके घर आना-जाना तो था ही, और अच्छी जान-पहचान भी थी। पड़ोसी ही तो पड़ोसी के काम आता है, दोस्तों। जब भी भाभी से मिलता, हंसी-मजाक चलता रहता। कभी-कभी नॉनवेज मजाक भी हो जाता, जिसमें मैं उनके कूल्हों को हल्के से छू लेता, और वो भी मुझे छू लेती थीं। देवर-भाभी का रिश्ता कैसा होता है, ये तो आप सब जानते ही हैं। हर बार मिलने पर मन में बस एक ही ख्वाहिश होती—काश, भाभी को चूम लूं, बाहों में भर लूं, और ले चलूं कहीं दूर, जहां सिर्फ मैं और भाभी हों, और मैं उनके हुस्न का भोग करूं। उनकी चूत को चूसूं, उसका रस पियूं, उनके चुचे दबाऊं, चूस-चूसकर पूरा खा जाऊं। बस, भाभी के हुस्न में पूरी तरह समा जाऊं। दोस्तों, कहते हैं ना कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। ऐसा ही एक मौका मुझे मिला, जब मैंने भाभी की चुदाई की, उनकी चूत का रस पिया।
एक बार मेरे मम्मी-पापा को किसी वजह से नानी के घर जाना पड़ा। मेरी परीक्षा की वजह से मैं घर पर ही रुक गया। घर में अकेला था, तो मम्मी ने पड़ोस की दिव्या भाभी से मेरे लिए खाना बनाने को कह दिया। मैं दिनभर पढ़ाई में डूबा रहा। शाम को जब भाभी खाना बनाने आईं, तो मैं उन्हें देखता ही रह गया। लाल रंग की साड़ी में वो कयामत ढा रही थीं। उनके होंठ, उनके उठे हुए चुचे, वो लाल साड़ी—सब कुछ ऐसा कि मेरी आंखें उन पर अटक गईं। भाभी ने जब देखा कि मैं उन्हें घूर रहा हूं, तो मुस्कुराते हुए बोलीं, “देवर जी, क्या हुआ? कहां खो गए?” मैं होश में आया और बोला, “भाभी, आप तो आज बिल्कुल अप्सरा लग रही हो!” और मैंने आंख मार दी।
भाभी हंसते हुए बोलीं, “हट, अकेले में फ्लर्ट करने लगे। आंटी को आने दे, फिर बताती हूं!”
मैंने कहा, “नहीं भाभी, सच्ची! लाल साड़ी में आप बिल्कुल जन्नत की हूर लग रही हो।”
भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा जी, बताओ क्या खाना है?”
मैंने मस्ती में कहा, “जो भी आप प्यार से खिलाओ, मैं खा लूंगा। वैसे अभी तो दूध पीने की इच्छा है!” और फिर से आंख मार दी।
भाभी ने अपने चुचे ऊपर करते हुए, हंसते हुए कहा, “अच्छा जी, बड़ी मस्ती सूझ रही है आज!” और किचन में चली गईं।
मैं पीछे से उनके मटकते चूतड़ देखता रहा। मेरा लंड खड़ा हो गया। तुरंत बाथरूम में गया, मुठ मारी, और बाहर आया। थोड़ी देर में भाभी ने खाना बना लिया और बोलीं, “देवर जी, खाना खा लो।” मैंने कहा, “आप भी मेरे साथ खा लो।” उन्होंने थोड़ा खाया और बोलीं, “बाकी मैं घर जाकर खा लूंगी। तुम्हारे लिए इतना ही बनाया है, कहीं तुम भूखे न रह जाओ। वरना मुझे दूध पिलाना पड़ेगा!” और हंसने लगीं।
मैंने तपाक से कहा, “तो पिला दो ना भाभी!”
आप यह Padosi chudai ki kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
वो बोलीं, “अच्छा जी, कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?”
मैंने कहा, “है, पर आपके जैसे चुचे उसके कहां!”
भाभी हंसते हुए बोलीं, “ये तो तुम्हारे भैया के झूठे हैं। कहीं और मुंह मारो, और कल की परीक्षा की तैयारी करो। फिर देखते हैं!” और आंख मारते हुए चली गईं।
उस रात मैं परीक्षा की तैयारी में व्यस्त रहा और सो गया। अगले दिन सुबह मैंने घर की चाबी भाभी को दी और परीक्षा देने चला गया। दोपहर को लौटा, तो भाभी के घर की घंटी बजाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। शायद वो घर पर नहीं थीं। मैं अपने घर आया, तो देखा कि दरवाजा खुला था। मतलब भाभी खाना बनाने आई थीं। मैंने डोरबेल बजाई। भाभी ने दरवाजा खोला। आज वो लाल सलवार-सूट में थीं। उनके होंठों पर नशीली मुस्कान थी, और वो इतनी सेक्सी लग रही थीं कि मैं फिर से उन्हें घूरने लगा।
भाभी बोलीं, “देवर जी, इतना मत देखो, नजर लग जाएगी। देखो, तुम्हारा पैंट में तंबू खड़ा हो रहा है!” और हंसते हुए उन्होंने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से हल्के से छू लिया। मैं तो जैसे सातवें आसमान पर पहुंच गया। दरवाजा बंद करके मैं उनके पीछे-पीछे अंदर चला गया। अचानक मैंने पीछे से भाभी को पकड़ लिया और चिपक गया। मैंने कहा, “भाभी, आज तो मेरी मन्नत पूरी कर दो। मुझे अपने दूध पिला दो!”
भाभी हंसते हुए बोलीं, “देवर जी, देखो तो, तुम्हारा लंड मेरे चूतड़ों में घुस रहा है। इसे काबू में रखो, चूतड़ों में दूध थोड़े ना मिलता है, मेरे राजा!” और उन्होंने पीछे हाथ करके मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़कर सहला दिया। इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने भाभी को घुमाया और उनके होंठों को चूमने लगा। साथ ही उनके कुर्ते के ऊपर से उनके चुचे दबाने लगा। भाभी भी पूरा साथ दे रही थीं। ऐसा लग रहा था कि वो भी सेक्स के लिए उतनी ही प्यासी थीं, जितना मैं।
हमारे होंठ एक-दूसरे से मिले, और मैं उनके मुंह में जीभ डालकर चूसने लगा। कभी वो मेरे मुंह में जीभ डालतीं। मैं उनके चूतड़ों को दबा रहा था, बीच-बीच में हल्के से थप्पड़ भी मार रहा था। “आहह… उहह…” भाभी की सिसकारियां निकल रही थीं। मैंने अपना हाथ उनकी सलवार के ऊपर से उनकी चूत पर रखा, तो वो जगह पूरी गीली थी। मैंने उंगलियां गीली करके सूंघी—क्या गजब की खुशबू थी! भाभी की चूत का रस खट्टा-नमकीन, जैसे कोई नशीला अमृत।
हम दोनों बेडरूम में पहुंचे। मैंने भाभी का कुर्ता और सलवार उतार दी। वो सफेद ब्रा और पैंटी में थीं। उनके गोरे चूतड़, उनकी चूत का उभार पैंटी पर साफ दिख रहा था। मैंने उनकी पैंटी के ऊपर से ही चूत पर मुंह रख दिया और चूसने लगा। भाभी की पैंटी उनके चूत के रस से भीग चुकी थी। मैं उनकी चूत और चूतड़ों की खुशबू ले रहा था। भाभी सिसकारियां ले रही थीं, “आहह… ह्म्म… उहह…”
अचानक भाभी चिल्लाईं, “अबे मादरचोद, बहन के लंडे, रंडी की औलाद! बस चूसेगा ही मेरी चूत, या इसका भोसड़ा भी बनाएगा? साले हरामी, अपना लंड निकाल, देखूं कितना दम है इसमें! मुझे तड़पा मत, मेरे राजा, मेरी चूत में लंड पेल दे!”
मैंने कहा, “साली रंडी, तेरे में तो हवस की आग लगी है। थोड़ा रुक, मेरी दिव्या रांड। मुझे तेरे हुस्न को भोगना है। पहले तेरी ये गांड मारूंगा!”
आप यह Padosi chudai ki kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मैंने उनकी ब्रा खींचकर फाड़ दी। उनके मखमली चुचे मेरे सामने थे। मैं भूखे शेर की तरह उन पर टूट पड़ा। चूसने लगा, काटने लगा। भाभी और उत्तेजित हो गईं। वो गालियां देने लगीं, “मादरचोद, भड़वे की औलाद, तेरी मां को कुत्तों से चुदवाऊं! चूस मेरे चुचे, इनका रस निकाल! पी ले इन्हें, बड़ा दूध पीने का शौक था ना!”
भाभी ने मुझे धक्का देकर नंगा कर दिया। मेरा लंड पकड़कर मुंह में ले लिया। जैसे ब्लू फिल्म में देखते हैं, वैसे ही वो मेरे लंड को चूस रही थीं, जैसे उसे काटकर खा जाएंगी। मैंने भी उनके गले तक लंड डाल दिया, उनकी सांस रुक गई। जब मैंने लंड निकाला, तो उनकी लार बाहर आई। मैंने उनकी लार को उनके मुंह पर लगाकर चाट लिया। उनके पूरे जिस्म को कुत्ते की तरह चाटने लगा।
भाभी चिल्लाईं, “चाट साले कुत्ते, चाट! आह… उह…”
मैंने उनकी पैंटी उतार दी। भाभी की चूत पूरी शेव्ड थी, चिकनी और फूली हुई। जैसे ही मैंने जीभ उनकी चूत पर लगाई, दो-तीन मिनट में ही उनकी चूत से रस की धार निकलने लगी। मैंने उस नमकीन अमृत को पूरा गटक लिया। थोड़ा रस मुंह में भरकर भाभी के मुंह में डाल दिया। वो भी उसे जीभ फेरते हुए निगल गईं और मेरे मुंह को चाटकर अपनी चूत का रस साफ कर दिया।
मैंने कहा, “भाभी, पहले मुझे तुम्हारी गांड मारनी है। तुम्हारी गांड का छेद इतना चिकना है, क्या लगाती हो इसमें?”
भाभी बोलीं, “साले हरामी, सबको मेरी गांड ही दिखती है! तेरे भैया ने मेरी गांड मार-मारकर इसे ऐसा बना दिया। वो साला गांडू है, मेरी चूत प्यासी रह जाती है। मादरचोद, पहले मेरी चूत की आग बुझा, फिर चाहे गांड मार या चाट!”
वो बोलीं, “चल, मैं मूत के आती हूं, मेरे कुत्ते। तूने तो मेरी चूत को निचोड़ लिया। देख, कितनी लाल हो गई है!” और हंसने लगीं।
मैंने उन्हें पकड़ लिया और कहा, “भाभी, यहीं मेरे मुंह में मूतो। मैं तुम्हारी चूत का मूत पीना चाहता हूं। मुझे अपना गुलाम बना लो। मैं तुम्हारी चूत और गांड की रोज मालिश करूंगा, चमकाकर रखूंगा। तुम कहो, तो मैं पानी की जगह सिर्फ तुम्हारी चूत का मूत पियूंगा!” मैं नीचे लेट गया, मुंह खोल लिया।
भाभी मेरे मुंह पर चूत टिकाकर बैठ गईं और मूतने लगीं। गालियां देती हुई बोलीं, “ले, साले गटर के कीड़े! तुझे मेरी गांड का छेद पसंद है ना? तो इसका गु भी खा ले, हरामी!” मैंने उनका गरम-गरम मूत पी लिया और उनकी चूत और चूतड़ चाटने लगा।
मैंने कहा, “साली दिव्या रांड, तू इतनी कामुक है कि कोई भी तुझे देखकर हवसी हो जाए!” मैंने उनकी गांड के छेद को काट लिया। भाभी की सिसकारी निकल गई। वो तुरंत 69 की पोजीशन में आ गईं। पांच मिनट में ही भाभी अकड़ने लगीं। वो मेरे मुंह पर चूत पटक रही थीं और मेरा लंड चूस रही थीं। उनकी चूत से फिर लावा फूट पड़ा। मैंने उसे पूरा पी लिया। इतनी देर की चुसाई से मैं भी उनके मुंह में झड़ गया। भाभी ने मेरा पूरा माल पी लिया और लंड चाटकर साफ कर दिया।
आप यह Padosi chudai ki kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
हम दोनों दस मिनट तक उसी अवस्था में पड़े रहे। अचानक भाभी ने मेरे सोए हुए लंड को मुंह में लेकर जोर से काटा और बोलीं, “अबे, अभी तो तुझे मेरी फुद्दी में गोता मारना है, इसका भोसड़ा बनाना है!” उन्होंने मेरे लंड को फिर से खड़ा कर दिया।
हम दोनों उठे। मैंने भाभी को बेड पर लिटाया, उनके दोनों पैर कंधों पर रखे, और उनकी चूत पर लंड रगड़ने लगा। भाभी उत्तेजित होकर चिल्लाईं, “मादरचोद, अब चोद डाल! फाड़ दे मेरी चूत को! इसे अपने लंड की रानी बना दे!”
मैंने निशाना सेट किया और एक झटके में आधा लंड उनकी चूत में पेल दिया। भाभी जोर से चीखीं, “बहन के लंडे, मैं कहीं भागी थोड़े जा रही हूं! थोड़ा आराम से पेल! मैंने कहा था ना, मेरी चूत कम और गांड ज्यादा मारी गई है!”
मैं थोड़ा रुका, उनके होंठ चूमने लगा, और धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर में मैंने पूरा लंड उनकी चूत की जड़ तक ठोक दिया। उनकी चूत वाकई टाइट थी, जैसे भैया ने सिर्फ उनकी गांड ही मारी हो। भाभी भी पूरा साथ दे रही थीं। “आह… उह… गच-गच…” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। हम दोनों पसीने से तर-बतर थे।
भाभी चिल्लाईं, “चोद, मादरचोद! फाड़ दे इस चूत को! इसे भोसड़ा बना दे! मुझे रांड बना दे, मेरे राजा! गली के कुत्तों से, गधों से चुदवा दे!”
मैं 27 मिनट तक उसी पोजीशन में भाभी को चोदता रहा। इस बीच वो दो बार और झड़ गईं। मैंने पूछा, “मेरी दिव्या रांड, मेरा भी निकलने वाला है। बोल, कहां निकालूं?”
भाभी बोलीं, “आह… उह… मेरे राजा, मेरी चूत में ही निकाल दे! इसकी प्यास बुझा दे!”
मैंने जोर-जोर से शॉट मारे और उनकी चूत में ही झड़ गया। मैं उनके ऊपर गिर गया। थोड़ी देर बाद मैं उठा, तो देखा उनकी चूत लाल होकर सूज गई थी। मैंने उनकी चूत को चूमा और लंड-चूत के मिश्रित रस को उनके मुंह में डाल दिया। भाभी ने उसे पूरा पी लिया और मुझे गले लगाकर बोलीं, “आज मुझे जन्नत मिल गई। अब जब भी मौका मिले, मुझे चोदते रहना!”
भाभी उठीं और बाथरूम की ओर गईं। उनकी जांघें कांप रही थीं, वो लड़खड़ाकर चल रही थीं। मैं भी उनके पीछे बाथरूम गया। हमने साथ में शावर लिया, एक-दूसरे को चूमा, सहलाया। फिर साथ में खाना खाया। तब तक शाम के 4 बज चुके थे।
भाभी बोलीं, “सुन, मेरे राजा, मैं चलती हूं। मेरी सास बाजार से आने वाली होगी।” और वो अपने घर चली गईं।
आप यह Padosi chudai ki kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
उन तीन दिनों में मैंने भाभी की गांड भी मारी। चुदाई का दौर खूब चला। अब जब भी मौका मिलता है, मैं भाभी की चुदाई करता हूं। कभी उनका गुलाम बनकर, कभी सेवक बनकर, कभी कुत्ता बनकर। उनकी चूत का गोल्डन रस और मूत पीना मेरी आदत बन गई है। भाभी को भी अब मेरे लंड का मूत पीने में मजा आता है।
क्या आपको ये कहानी पसंद आई? नीचे कमेंट करके बताएं कि आपको इस कहानी में सबसे ज्यादा क्या मजा आया और आगे ऐसी कौन सी कहानी पढ़ना चाहेंगे!
Very nice story maza aa gaya