मेरा नाम ललित है, और आज मैं तुम्हें अपनी जिंदगी की वो हॉट कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो आज से एक साल पहले की है। ये मेरे लिए एक ऐसा सुखद अनुभव था, जो मैंने आज तक किसी से शेयर नहीं किया। ये कहानी बिल्कुल सच्ची है, और मेरे दिल के इतने करीब है कि इसे बताते वक्त मैं उस पल को फिर से जी रहा हूँ। बात तब की है जब मैं 19 साल का था, इंटर का एग्जाम देकर भोपाल अपने भैया के साले के घर घूमने गया था। उनका नाम राजेश था, और वो सरकारी नौकरी में थे। उनके घर में वो, उनकी पत्नी, और उनकी छोटी बहन जाह्नवी रहती थी। मैं उनसे ज्यादा घुला-मिला नहीं था, क्योंकि मैं थोड़ा शर्मीला लड़का हूँ। बातचीत ज्यादा नहीं होती थी, बस औपचारिक हाय-हैलो तक सीमित थी।
मैं भोपाल दोपहर के वक्त उनके घर पहुँचा। गर्मी का दिन था, और रास्ते की थकान ने मुझे थका दिया था। खाना खाकर मैं उनके गेस्ट रूम में सो गया। जब नींद खुली, तो शाम हो चुकी थी। मैंने देखा कि घर में सन्नाटा था। भाभी कहीं गायब थीं, और भैया ड्यूटी पर थे। मैंने मुंह-हाथ धोया और बाहर निकलने की सोची। तभी मुझे अपने चप्पल नहीं मिले। मैं इधर-उधर ढूंढने लगा, पर कहीं नहीं दिखे। थोड़ा परेशान होकर मैंने सोचा, “अरे, ये चप्पल कहाँ गायब हो गए?” तभी मेरी नजर जाह्नवी पर पड़ी, जो किचन में बैठकर सब्जी काट रही थी। वो हल्के से मुस्कुरा रही थी, जैसे कोई शरारत कर रही हो।
मैंने तुरंत समझ लिया कि दाल में कुछ काला है। मैंने उससे पूछा, “जाह्नवी, मेरे चप्पल तुमने छुपाए हैं ना?” वो बोली, “मुझे क्या पता? तू ढूंढ ले!” उसकी आवाज में एक शरारती अंदाज था, और वो फिर से मुस्कुराई। मैंने कहा, “नहीं, मुझे पूरा यकीन है, ये तेरा ही काम है।” वो हंसते हुए बोली, “अच्छा, तो ढूंढ ले ना!” मैं उसके पास गया। वो एक टाइट नाइटी पहने थी, जिसमें उसकी फिगर साफ दिख रही थी। मैंने देखा कि उसने मेरा एक चप्पल अपनी गोद में दबा रखा था। मैंने कहा, “दे दे, प्लीज! मुझे बाहर जाना है।” वो बोली, “खुद ले ले, अगर हिम्मत है तो!” उसकी आँखों में एक चमक थी, जैसे वो मुझे छेड़ रही हो।
मैंने हंसते हुए कहा, “अच्छा, देखता हूँ!” और उसके पीछे गया। जैसे ही मैंने चप्पल निकालने की कोशिश की, उसने और जोर से दबा लिया। उसकी नाइटी का गला थोड़ा नीचे खिसक गया, और उसकी चुचियाँ आधी बाहर झांक रही थीं। गोल, टाइट, और इतनी मस्त कि मेरी नजरें वहीं अटक गईं। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैंने पहली बार किसी लड़की को इतने करीब से देखा था। मैंने चप्पल के लिए उसका हाथ पकड़ा, और वो मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी। हम दोनों हंस रहे थे, लेकिन उसकी पसीने की खुशबू और उसकी कजरारी आँखें मुझे पागल कर रही थीं। उसका चेहरा लाल हो गया था, और मेरे लंड में हलचल होने लगी थी।
वो अचानक उठकर भागी और अपने कमरे में चली गई। मैं भी उसके पीछे दौड़ा। वो पलंग के पास खड़ी थी, चप्पल अब भी उसके हाथ में था। मैंने उसे पकड़ लिया और कहा, “अब तो दे दे!” वो बोली, “नहीं दूँगी!” मैंने हंसते हुए कहा, “अच्छा, फिर देख!” और मैंने उसकी चुची को हल्के से दबा दिया। उसकी चुचियाँ इतनी टाइट थीं कि मेरे हाथों में समा नहीं रही थीं। वो बोली, “इससे क्या होगा?” उसकी आवाज में अब शरारत के साथ-साथ एक अजीब सी उत्तेजना थी। मैंने फिर से दबाया, और वो बोली, “कुछ भी नहीं हुआ!” लेकिन उसकी साँसें तेज हो रही थीं। मैंने तीसरी बार और जोर से दबाया। उसकी आँखें बंद होने लगीं, और चप्पल उसके हाथ से फिसलकर नीचे गिर गया।
मैंने पूछा, “भाभी कहाँ हैं?” वो बोली, “वो रात को आएँगी। भैया के साथ सुनार के पास गई हैं, कुछ बनवाने।” उसकी आवाज काँप रही थी। मैंने हिम्मत करके उसकी चुची पर फिर से हाथ रखा। वो चुप रही, बस उसने अपना सिर झुका लिया। मैंने पूछा, “बुरा तो नहीं लगा?” वो बोली, “नहीं…” उसकी आवाज इतनी नरम थी कि मैं समझ गया कि वो भी अब उसी आग में जल रही थी, जिसमें मैं था। मैंने उसे अपने करीब खींचा, और वो मेरे गले लग गई। मैंने उसके होंठों पर किस किया, और वो भी मुझे जोर से किस करने लगी। उसकी साँसें गर्म थीं, और उसका जिस्म मेरे जिस्म से चिपक रहा था।
मैंने उसे कसकर गले लगाया और उसकी चुचियों को जोर-जोर से दबाने लगा। वो “आह्ह…” करके सिसक रही थी। मैंने उसे पलंग पर लिटा दिया। उसकी नाइटी को मैंने धीरे-धीरे ऊपर उठाया। उसने काली ब्रा और पैंटी पहनी थी। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, और उसने नाइटी को सिर के ऊपर से निकाल दिया। उसकी गोल-गोल, टाइट चुचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने आज तक ऐसी खूबसूरत चुचियाँ नहीं देखी थीं। निप्पल गुलाबी और तने हुए थे। मैंने उन्हें अपने हाथों में लिया और जोर-जोर से दबाने लगा। वो अपने दाँतों से होंठ काट रही थी और “उम्म… आह्ह…” की आवाजें निकाल रही थी। मैंने उसके गाल, गर्दन, और चुचियों पर किस करना शुरू किया। मेरी जीभ उसके निप्पल पर घूमने लगी, और वो पागल सी होने लगी।
मैंने धीरे से उसकी पैंटी में हाथ डाला। उसकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने उंगली डालने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने उसकी पैंटी को नीचे खींचा और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। “आह्ह… ऊह्ह… ललित… क्या कर रहा है…” वो सिसक रही थी। उसकी चूत की खुशबू मुझे और पागल कर रही थी। मैंने अपनी जीभ को और गहराई तक चलाया, और वो “ओह्ह… बस कर… प्लीज… नहीं तो पागल हो जाऊँगी…” कहने लगी। उसकी आवाज में एक अजीब सी बेचैनी थी।
मैंने अपना लंड बाहर निकाला। मेरा 7 इंच का लंड पूरा तन चुका था। मैंने उसे उसकी चूत पर रगड़ा। वो बोली, “ललित… धीरे… मैंने कभी नहीं किया…” उसकी आवाज में डर और उत्तेजना दोनों थे। मैंने थोड़ा थूक लगाया और धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत में डाला। “आह्ह… मर गई… दर्द हो रहा है…” वो चीख पड़ी। मैंने देखा कि मेरे लंड पर खून लगा था। वो कुंवारी थी, और मैं उसका पहला मर्द था। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। “उह्ह… आह्ह… ललित… धीरे…” वो कराह रही थी। मैंने उसकी चुचियों को दबाते हुए धक्के तेज किए। “फच… फच…” की आवाज कमरे में गूंज रही थी।
वो अब नॉर्मल हो चुकी थी। उसकी सिसकियाँ अब “आह्ह… और जोर से… ललित… चोद मुझे…” में बदल गई थीं। मैंने उसे डॉगी स्टाइल में किया, फिर उसे अपनी गोद में बिठाकर चोदा। उसकी चुचियाँ मेरे मुँह के पास उछल रही थीं, और मैं उन्हें चूस रहा था। “आह्ह… ऊह्ह… ललित… कितना मस्त है…” वो बार-बार कह रही थी। मैंने उसे मिशनरी पोजीशन में लिटाया और जोर-जोर से चोदने लगा। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और सख्त हो रहा था। “फच… फच… फच…” की आवाजें और उसकी सिसकियाँ कमरे में गूंज रही थीं।
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करीब 20 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदा। आखिरकार, मैं झड़ने वाला था। मैंने पूछा, “कहाँ निकालूँ?” वो बोली, “बाहर… प्लीज…” मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी चुचियों पर झड़ गया। वो हाँफ रही थी, और उसका चेहरा लाल हो चुका था। मेरे लंड में हल्का दर्द हो रहा था, क्योंकि ये मेरा पहला अनुभव था। वो भी थक चुकी थी, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
हम दोनों कुछ देर तक चुपचाप लेटे रहे। फिर वो बोली, “ललित… ये बात किसी को मत बताना…” मैंने हंसते हुए कहा, “तू भी तो नहीं बताएगी ना?” वो मुस्कुराई और बोली, “पागल…” उस रात के बाद ये मेरा जिंदगी का सबसे यादगार अनुभव बन गया। जाह्नवी की वो शरारत, उसकी चुचियाँ, उसकी चूत, और वो पागलपन भरा सेक्स आज भी मेरे दिमाग में ताजा है।
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वो ऐसी चुदाई की जिंदगीभर मेरे लंडको भुला ना सकी