सेक्सी टीचर को स्कूल में पेला

मेरा नाम सौरभ है। मैं एक सरकारी स्कूल में शिक्षामित्र की नौकरी करता हूँ। मैं ऐसा मर्द हूँ कि जिस्म में हवस की आग हमेशा धधकती रहती है। गोरी हो या काली, हर लड़की मेरी नजर में माल ही लगती है। मेरी आँखों में इतनी वासना भरी है कि कोई भी औरत मुझे बहन नजर नहीं आती। मेरे चुदाई के किस्से पूरे शहर में मशहूर हैं। ऐसा ही एक गर्मागर्म किस्सा हाल ही में मेरे साथ हुआ, जो मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ।

उस स्कूल में, जहाँ मैं नौकरी करता हूँ, अपर्णा नाम की एक खूबसूरत लड़की भी मेरे साथ काम करती थी। जब से उसने स्कूल जॉइन किया, मेरा दिल और दिमाग दोनों उसकी जवानी पर अटक गए। अपर्णा जवान थी, उसका जिस्म ऐसा कि देखते ही लंड खड़ा हो जाए। उसकी उम्र कोई 25 साल की होगी, और वो कुंवारी थी। वो हमेशा सलवार सूट पहनकर आती, जो उसके जिस्म को और भी उभारता था। उसका फिगर था 34-32-36, यानी मस्त चूचियाँ, पतली कमर और भारी-भरकम गांड। उसके रसीले दूध हमेशा दुपट्टे के पीछे छुपे रहते, लेकिन फिर भी उनकी शक्ल साफ दिखती। उसे देखते ही मेरा लंड तन जाता, और मन करता कि बस अभी उसे पकड़कर चोद दूँ।

कुछ दिनों में हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि मैं शादीशुदा था। इस वजह से अपर्णा मेरी बातों में जल्दी नहीं फंस रही थी। फिर भी, वो मुझे पसंद करती थी। जब वो नए-नए कपड़े पहनकर आती, मैं तारीफ करने से नहीं चूकता।

“अपर्णा, आज तो तू कमाल की लग रही है!” मैं बोलता।

“थैंक्स!” वो बस इतना कहकर शरमा जाती और सिर झुका लेती।

समय बीतता गया, और हमारी दोस्ती और गहरी हो गई। हम दोनों को स्कूल में गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम मिला था। लेकिन जब भी मुझे मौका मिलता, मैं बाथरूम में जाकर अपर्णा के नाम की मूठ मार लेता। उसकी चूचियों और गांड का ख्याल मेरे दिमाग में घूमता रहता।

एक दिन तो गजब हो गया। मैं बाथरूम में था, दरवाजा बंद करना भूल गया। पैंट खोलकर, 8 इंच का लंड हाथ में लिए, मैं अपर्णा के नाम की मूठ मार रहा था। “अपर्णा! तेरी चूत दे दे, प्लीज! तू कितनी मस्त माल है! मैं तेरी चूत चूस-चूसकर चोदूँगा! बस एक बार हाँ कर दे!” मैं जोश में बड़बड़ा रहा था। तभी अपर्णा को पेशाब करने की जरूरत पड़ी। उसने बाथरूम का दरवाजा खोला और मुझे इस हाल में देख लिया। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं, और वो भाग खड़ी हुई।

मैं शर्मिंदगी से पानी-पानी हो गया। समझ नहीं आ रहा था कि अब उससे क्या बोलूँ। कई दिन तक हमारी बात नहीं हुई। फिर धीरे-धीरे वो खुद ही बात करने लगी। एक दिन उसने मुझसे पूछा, “सौरभ, उस दिन तू मेरे नाम की मूठ मार रहा था, ना?”

मैंने शर्माते हुए कहा, “हाँ…”

“मजा आया था?” उसने शरारत से पूछा।

“बहुत!” मैंने जवाब दिया।

उसके बाद हमारी दोस्ती फिर से गहरी हो गई। अब मुझे लगने लगा कि अपर्णा भी मुझसे चुदवाने के मूड में है। एक दिन वो स्टोर रूम में कुछ काम से गई। वहाँ कोई नहीं आता था, क्योंकि वहाँ बच्चों के लिए सरकारी किताबें रखी होती थीं। मैं चुपके से उसके पीछे गया और उसे पीछे से कमर से पकड़ लिया।

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“सौरभ, ये क्या कर रहा है?” अपर्णा चौंककर बोली।

“आज तेरे नाम की मूठ नहीं मारूँगा, तुझे सचमुच चोदूँगा!” मैंने जोश में कहा और उसे अपनी बाहों में कस लिया। मैंने पीछे से उसके गले, गाल और कानों पर चूमना शुरू कर दिया। अपर्णा को मजा आने लगा। वो सिसकने लगी, “आह्ह… स्स्सी… आह्ह… हा हा…”

“सौरभ, स्कूल में ये सब मत कर! कोई बच्चा देख लेगा तो नौकरी चली जाएगी!” उसने डरते हुए कहा।

“बच्चे पढ़ रहे हैं। आज तेरी चूत चोदकर ही रहूँगा। तेरी जवानी का सारा रस पी जाऊँगा!” मैंने हवस भरे लहजे में कहा।

मैंने उसे अपनी ओर घुमाया और उसके कंधों को पकड़ लिया। अपर्णा कुंवारी थी, उसे ये सब अजीब लग रहा था। वो आँखें चुराने लगी, “नहीं… नहीं…” कहने लगी। लेकिन मैंने उसे कसकर पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने कॉपर ब्राउन लिपस्टिक लगाई थी, जो उसे और भी सेक्सी बना रही थी। मैं उसके रसीले होंठ चूसने लगा। उसकी लिपस्टिक मेरे मुँह पर लग गई, लेकिन मुझे परवाह नहीं थी। मैंने उसे खूब चूमा, उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसे और करीब खींच लिया।

अपर्णा अब शरम छोड़कर मेरा साथ देने लगी। “आय लव यू, सौरभ… आय लव यू…” वो बहकते हुए बोली।

मैंने भी कहा, “आय लव यू, अपर्णा!” और फिर चुम्मा-चाटी का दौर शुरू हो गया। मेरे जिस्म में गर्मी दौड़ने लगी। मेरा 8 इंच का लंड तन गया। अपर्णा भी अब मुझे चूमने लगी, मेरे गालों पर चुम्मियाँ लेने लगी। उसकी 34 इंच की चूचियाँ मेरे सीने से रगड़ रही थीं। मेरे हाथ उसकी पीठ से नीचे सरकते हुए उसकी 36 इंच की मस्त गांड पर पहुँच गए।

मैंने उसकी पजामी के ऊपर से उसकी नर्म-मुलायम गांड को दबाना शुरू किया। वो सिसकने लगी, “आय… आय… स्स्सी… ऊह्ह… ओह्ह…” मैंने उसकी गांड को खूब मसला, गोल-गोल घुमाकर दबाया। उसकी गांड इतनी मुलायम थी कि मेरा लंड और सख्त हो गया।

“साली, अपने संतरे दबाने दे!” मैंने जोश में कहा।

अपर्णा ने शरमाते हुए अपने दुपट्टे को हटाया। मैंने उसके 34 इंच के दूध पर हाथ रख दिया और जोर-जोर से दबाने लगा। वो फिर से सिसकने लगी, “उई… उई… आह्ह…” स्टोर रूम में कोई भी बच्चा कभी भी आ सकता था, लेकिन मेरी हवस इतनी बढ़ चुकी थी कि मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था।

मैंने कोशिश की कि उसके सूट के ऊपर से उसकी चूचियाँ बाहर निकाल लूँ, लेकिन उसका सूट इतना टाइट था कि दूध बाहर नहीं आए। मेरी वासना और भड़क गई। मेरा बायाँ हाथ नीचे सरक गया और उसकी चूत पर पहुँच गया। उसने पजामी पहनी थी, मैंने उसकी चूत को पजामी के ऊपर से सहलाना शुरू किया। अपर्णा ने मेरे कंधे का सहारा लिया और अपने पैर फैला दिए। मैंने जल्दी-जल्दी उसकी चूत को रगड़ना शुरू किया। वो सिसकने लगी, “आय… आय… आह्ह… स्स्सी… हा हा…”

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उसकी आवाजें मुझे और पागल कर रही थीं। मैंने और जोर से उसकी चूत रगड़ी। अपर्णा खड़े-खड़े जन्नत में पहुँच गई। उसने अपने पैर और फैलाए और मेरे कंधे को कसकर पकड़ लिया। मैं अब उसकी चूत चाटने वाला था। तभी एक छोटा बच्चा स्टोर रूम में आ गया।

“सर जी, बच्चे हल्ला कर रहे हैं!” उसने कहा।

“चल, सबको चुप करवाओ, मैं आता हूँ!” मैंने उसे भगाया।

बच्चा चला गया, और मैं फिर से अपर्णा की चूत रगड़ने लगा। 10 मिनट तक मैंने उसकी चूत को पजामी के ऊपर से सहलाया। फिर मैं नीचे बैठ गया और उसकी पजामी की डोरी खोल दी। पजामी नीचे सरक गई, फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी।

“जान, सीधे खड़ी रह, बुर चाटने दे!” मैंने कहा।

अपर्णा ने मेरी बात मानी और पैर फैलाकर खड़ी हो गई। मैंने तुरंत अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया और चाटना शुरू कर दिया। स्टोर रूम में अंधेरा था, कोई बल्ब नहीं था, जिससे हमें कोई देख नहीं सकता था। मैंने उसकी चूत को जीभ से चाटना शुरू किया। उसका नमकीन स्वाद मेरी जीभ पर चढ़ गया। मैं सुपड़-सुपड़ करके उसकी चूत चूसने लगा। अपर्ण Chudai Kahani

अपर्णा खड़े-खड़े सिसकने लगी, “आऊ… आऊ… हम्म… आह्ह… स्स्सी… हा हा…” उसकी काली-घुंघराली झांटों की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मेरी नाक उसकी झांटों में डूबी थी। मैंने उसकी चूत को उंगली से खोला और जीभ अंदर तक डाल दी। 12-13 मिनट तक मैंने उसकी चूत चूसी। तभी बाहर से किसी पेरेंट्स की आवाज आई, “मास्टर साहब? मास्टर साहब?”

शायद कोई बच्चे की फीस जमा करने आया था। मजबूरन मुझे रुकना पड़ा। हमने जल्दी से कपड़े ठीक किए और बाहर निकल आए। लेकिन अब मेरे मुँह में खून लग चुका था। मैं अपर्णा की चूत का स्वाद चख चुका था, अब उसे चोदना बाकी था।

कुछ दिन बाद मौका मिल ही गया। उस दिन स्कूल में बच्चे बहुत कम आए थे। इंटरवल हुआ तो मैंने अपर्णा को इशारा किया। वो स्टोर रूम में चली गई और मैं भी पीछे-पीछे गया। अंदर जाते ही दरवाजा बंद कर लिया।

“चल अपर्णा, जल्दी कपड़े उतार!” मैंने कहा।

स्टोर रूम में एक बड़ी-सी मेज थी, उसी पर आज चुदाई होने वाली थी। अपर्णा ने अपनी सलवार-कमीज उतारनी शुरू की। मैंने भी अपनी शर्ट और पैंट उतार दी। वो मेज पर लेट गई। मैंने अपना कच्छा उतारा और उस पर लेट गया। अपर्णा ने अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। मैं पहली बार उसकी नंगी चूचियाँ देख रहा था। मैंने उन्हें हाथ में लिया और जोर-जोर से दबाने लगा।

वो सिसकने लगी, “उंह… उंह… हम्म… आह्ह… आय… आय…” मैंने उसके रसीले संतरों को कसकर दबाया। उसकी चूचियाँ कड़ी और मस्त थीं, जैसे किसी ने पहले कभी नहीं छुआ हो। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसकी निपल्स काले और रसीले थे। मैं उन्हें काट-काटकर चूस रहा था।

वो सिसक रही थी, “उ… उ… आ… आ… स्स्सी… ऊँ… ऊँ…” मैं एक हाथ से उसकी चूची दबाता, और दूसरी को मुँह में लेकर चूसता। अपर्णा मुझे गाय की तरह दूध पिला रही थी। मैंने खूब चूसा, उसकी चूचियाँ लाल हो गईं।

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“चल, मेरा लंड चूस! मुँह में ले ले!” मैंने कहा।

वो मेज से उतरी और नीचे बैठ गई। मैं जमीन पर खड़ा था। उसने मेरा 8 इंच का लंड पकड़ा और फेटने लगी। “चूस, बेटा! अच्छे से चूस! मुझे खुश कर दे!” मैंने कहा।

अपर्णा की हवस अब जाग चुकी थी। उसने मेरे लंड को जोर-जोर से फेटा और अपनी चूचियों पर रगड़ा। मेरा लंड और मोटा हो गया। फिर उसने उसे मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। मैं सिसकने लगा, “हूँ… हूँ… ऊँ… स्स्सी… हा हा…” वो किसी रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थी। मैंने उसके सिर को पकड़ा और उसके मुँह में लंड से चोदना शुरू किया। वो मेरी गोलियों को हाथ से सहलाने लगी। मेरी गोलियाँ कड़क हो गईं। उसने मुझे 15 मिनट तक चूसा, मेरे रोंगटे खड़े हो गए।

“चल, मेज पर लेट!” मैंने कहा।

वो लेट गई। मैंने उसकी चूत देखी, उसने आज झांटें साफ की थीं। उसकी चूत प्यारी और क्यूट लग रही थी। मैंने मुँह लगाकर चाटना शुरू किया। वो चिल्लाने लगी, “मम्मी… मम्मी… स्स्सी… हा हा… ऊँ… ऊँ…” मैं उसकी चूत की कली-कली चूस रहा था। उसकी चूत के लाल होंठों को मैंने चबाया, जिससे वो और सिसकने लगी।

“चाट सौरभ! मेरी भोसड़ी को और चाट! मजा दे दे!” वो रंडी की तरह बड़बड़ाने लगी।

मैंने उसकी चूत को और जोश से चाटा। “अब लंड डाल दे! मेरी बुर को कुचल दे!” उसने कहा।

मैंने अपना लंड हाथ में लिया और फेटकर और सख्त किया। फिर उसकी चूत के छेद पर रखा और धीरे से अंदर डाल दिया। वो चिल्लाई, “आआआ… ईईई… ओह्ह… आय… आय… मम्मी…” मैंने उसके पैर मेज पर फैलाए और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। सटासट… सटासट… धकाधक… मेरी ट्रेन उसकी चूत में चलने लगी। वो मस्ती से चुदवाने लगी। मैंने कमर आगे-पीछे करके लंबे-लंबे धक्के मारे।

उसकी सिसकियाँ मुझे और जोश दिला रही थीं, “आह्ह… ऊँ… स्स्सी…” मेरी कमर नाच रही थी, उसकी चूत फट रही थी। अपर्णा मेज पर आगे-पीछे होने लगी। मैंने उसकी उंगलियाँ अपनी उंगलियों में फंसाईं और धीरे-धीरे, प्यार से चोदता रहा। आखिर में मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।

कुछ देर बाद हम स्टोर रूम से बाहर आए। अब अपर्णा मुझसे बिना संकोच के स्कूल में चुदवाती है।

क्या आपको मेरी और अपर्णा की चुदाई की कहानी पसंद आई? नीचे कमेंट में बताएँ कि आपको क्या सबसे ज्यादा गर्म लगा और अगली बार किस तरह की कहानी चाहिए!

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