अजब परिवार की गजब चुदाई

सभी लंड और चूत के दीवानों को मेरा प्रणाम। मैं सचिन, 19 साल का एक बाइसेक्सुअल लड़का, आपके लिए एक तड़कती-भड़कती इन्सेस्ट कहानी लेकर आया हूँ, जिसमें मेरे नाना-नानी और मेरे बीच की हवस भरी दास्तान है। मेरा लंड 7.5 इंच का है, जो हर पल चुदाई के लिए तड़पता रहता है। मेरे नाना 65 साल के, 5 फुट के हट्टे-कट्टे मर्द हैं, जिनका बालों भरा सीना और मरदाना जोश देखकर कोई भी लंड खड़ा हो जाए। नानी 60 साल की हैं, मस्त फिगर वाली, रंडी जैसी हसीना, जिनकी भारी-भरकम चूचियाँ और मोटी गांड किसी को भी पागल कर दें। ये कहानी मेरे नाना के घर की है, जहाँ मैं अपनी मौसी की शादी में गया था। लेकिन वहाँ मुझे वो सुख मिला, जो जन्नत में भी नहीं मिलता।

मेरे साथ मेरी माँ, 40 साल की, मेरा छोटा भाई, 18 साल का, दो मौसियाँ (एक 45 साल की, जिसकी शादी हो चुकी थी, और दूसरी 38 साल की, अविवाहित), और 23 साल का मामा था। नाना का घर छोटा था, इसलिए रात को मैं नाना-नानी के साथ एक ही बिस्तर पर सो रहा था। माँ, भाई, मौसी और मामा दूसरे कमरे में सोए थे। ठंड बहुत थी, और मेरी पैंट में 7.5 इंच का लंड तंबू बनाकर खड़ा था। “उफ्फ… कितनी ठंड है…” मैंने मन ही मन सोचा। नाना मुझसे चिपक कर लेटे थे, और उनकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं। मैं हवस की आग में जल रहा था, और मेरे दिमाग में शैतानी सूझने लगी।

मैंने धीरे-धीरे अपनी गांड उनके लंड पर रगड़नी शुरू की। “क्या कर रहा हूँ… अगर नाना को गुस्सा आ गया तो?” मेरे मन में डर था, लेकिन हवस ने डर को दबा दिया। नाना का 9 इंच का मूसल मेरी गांड की दरार को छू रहा था। मैंने महसूस किया कि उनका लंड तनकर लोहे की रॉड जैसा हो गया था। “उफ्फ… नाना का लंड… कितना बड़ा है…” मेरे मुँह में पानी आ गया। मन कर रहा था कि अभी चूस लूँ, लेकिन डर था कि कहीं नाना गुस्सा न कर बैठें। मैंने सोने का नाटक करते हुए उनके लंड को दो-तीन बार हल्के से छुआ। वो 9 इंच का घोड़ा मेरी उंगलियों में थरथराने लगा। “सचिन… तू जाग रहा है ना, हरामी?” नाना ने धीरे से कान में फुसफुसाया। मैं शरम से लाल हो गया और हल्का सा सिर हिलाया। “हाँ… नाना… थोड़ा… डर लग रहा है…” मैंने सिसकारते हुए कहा।

मैंने मौका देखकर एक हाथ नानी की चूची पर रख दिया। उनकी चूचियाँ मुलायम और भारी थीं, जैसे रस भरे तरबूज। “नानी… अगर जाग गईं तो?” मैंने सोचा, लेकिन मेरी हवस ने मुझे रोकने नहीं दिया। मैंने उनके निप्पल को हल्के से मसला, और अपनी गांड को नाना के लंड पर और जोर से रगड़ा। नाना अब खुलकर खेल में आ गए। उन्होंने मेरी पैंट पूरी तरह नीचे खींच दी। “चल, रंडी के बच्चे… अब तुझे असली मजा देता हूँ…” नाना ने हवस भरी आवाज में कहा। उन्होंने मेरी एक चूची को जोर से दबाया। “आह्ह… नाना… धीरे… दर्द हो रहा है…” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। मैं समझ गया कि आज मेरी गांड की खैर नहीं।

नाना ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों पर जोरदार चुंबन शुरू कर दिया। उनकी जीभ मेरे मुँह में साँप की तरह घुस रही थी। “उम्म… नाना… उफ्फ… कितना जोश है तुममें…” मैं सिसकारते हुए बोला। दस मिनट तक वो मेरे होंठ, गर्दन और चूचियों को चूसते रहे। “आह्ह… नाना… चूसो… और जोर से…” मेरी चूचियाँ उनकी चुसाई से गीली और लाल हो गई थीं। उनकी मूंछें मेरी त्वचा पर गुदगुदी कर रही थीं। “सचिन… तू कितना गर्म है… उफ्फ…” नाना ने सिसकारते हुए कहा। उधर, नानी शायद जाग चुकी थीं, लेकिन चुपके से सब देख रही थीं। “ये हरामी क्या कर रहे हैं…” नानी ने मन ही मन सोचा, लेकिन उनकी साँसें तेज हो रही थीं।

नाना ने मुझे उल्टा किया और मेरा 7.5 इंच का लंड मुँह में ले लिया। “आह्ह… नाना… उफ्फ… क्या चूसते हो…” मैं सिहर उठा। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी। फिर मैंने भी उनके 9 इंच के लंड को चूसना शुरू किया। हम 69 की पोजीशन में एक-दूसरे के लंड चूस रहे थे। “चप… चप… स्स्स…” कमरे में चुसाई की आवाजें गूँज रही थीं। नाना ने मेरी गांड चाटनी शुरू की। उनकी जीभ मेरे टाइट छेद पर साँप की तरह रेंग रही थी। “आह्ह… नाना… ये क्या… उफ्फ… स्वर्ग में हूँ…” मैं सिसकारियों के साथ हवस में डूब गया। मेरी गांड उनकी जीभ से गीली हो रही थी, और गुदगुदी मुझे पागल कर रही थी। “सचिन, तेरी गांड की गंध… उफ्फ… कितनी मस्त है…” नाना ने हवस भरी आवाज में कहा।

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नानी अब पूरी तरह जाग चुकी थीं। वो चुपके से हमारी गे चुदाई का तमाशा देख रही थीं। उनकी आँखों में हवस की चमक थी। दस मिनट की चुसाई के बाद नाना मेरे मुँह में झड़ गए। उनका गर्म, गाढ़ा माल मेरे गले से उतर गया। “उम्म… नाना… कितना माल है तुममें…” मैंने हँसते हुए कहा, और सारा माल गटक लिया। “हरामी… तू तो बड़ा चुदक्कड़ है…” नाना ने हँसते हुए कहा। फिर मैं सीधा लेट गया। हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। नाना ने अपने लंड का टोपा मेरी गांड के टाइट छेद पर सेट किया। “नाना… धीरे… डर लग रहा है…” मैंने शरमाते हुए कहा। “चुप, रंडी के बच्चे… अब तुझे जन्नत दिखाता हूँ…” नाना ने हवस भरी मुस्कान के साथ कहा। नानी सब चुपके से देख रही थीं।

नाना ने एक जोरदार झटका मारा, और उनका लंड का टोपा मेरी गांड में घुस गया। “आह्ह… उफ्फ… नाना… मार डाला…” मैं चीखने वाला था, लेकिन नाना ने मेरा मुँह दबा दिया। मेरी आँखों से आँसू निकल आए। दर्द से मेरी गांड जल रही थी। “रंडी के बच्चे, चुप रह… अभी मजा आएगा…” नाना ने कहा। थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ, और मैंने नाना को इशारा किया। अब नाना ने मेरी गांड की चुदाई शुरू की। “पच… पच… पच…” उनके लंड के धक्कों की आवाज कमरे में गूँज रही थी। “आह्ह… नाना… चोदो… और जोर से… फाड़ दो मेरी गांड…” मैं सिसकार रहा था। मेरा लंड फिर से तन गया था, और मैं हवस में डूबा हुआ था।

नाना मेरे लंड को एक हाथ से सहला रहे थे और मेरी गोटियों को मसल रहे थे। “सचिन, तेरी गांड कितनी टाइट है… उफ्फ… मजा आ रहा है…” नाना हवस में डूबे हुए थे। वो कभी मेरे मुँह में थूक देते, और मैं उसे चाट लेता। “उम्म… नाना… और थूको…” मैंने सिसकारते हुए कहा। उनकी चुसाई से मेरी चूचियाँ लाल हो गई थीं। मैंने नानी की चूचियाँ पकड़ रखी थीं और उन्हें जोर-जोर से दबा रहा था। “आह्ह… सचिन… धीरे… उफ्फ…” नानी की हल्की सिसकारी निकली। नाना ने मुझे देखा और हवस में खड़े हो गए। उनका बालों से भरा सीना और 9 इंच का लंड सलामी दे रहा था। “देख, हरामी… अब तुझे और इस रंडी को चोदता हूँ…” नाना ने गर्जना की।

नाना ने मेरे बाल पकड़े और मुझे खड़ा किया। “चल, रंडी के बच्चे… अब तुझे असली मजा देता हूँ…” उन्होंने मेरे गाल पर दो जोरदार थप्पड़ मारे। “चटाक… चटाक…” मेरे गाल लाल हो गए। फिर मुझे नीचे लिटाकर अपनी बालों से भरी गांड मेरे मुँह पर रख दी। मैं उनकी गांड का छेद चाटने लगा। “उम्म… नाना… क्या गंध है… उफ्फ…” मैं हवस में डूबा हुआ था। एक हाथ से मैं नानी की चूची दबा रहा था। नाना को पता था कि नानी सब देख रही है। अचानक वो खड़े हुए और नानी का गला पकड़कर उनके गाल पर रपट मारने लगे। “चटाक… चटाक…” नानी की आँखों से आँसू छलक गए। “क्या रंडी, तमाशा देख रही है?” नाना ने गुस्से में कहा। नानी ने सिसकते हुए जवाब दिया, “मेरे पोते को अकेले मजा मत दो… मेरी चूत की गर्मी भी मिटाओ… चोदो मुझे…” उनकी आवाज में हवस और बेबसी थी।

नाना ने नानी को जोर से किस किया और उनका पल्लू खींच दिया। नानी का ब्लाउज फट गया, और उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ बाहर लटकने लगीं। “उफ्फ… नानी… क्या माल हो तुम…” मैंने उनकी एक चूची पकड़ी और जोर से मसली। “आह्ह… सचिन… धीरे… उफ्फ…” नानी सिसकारी। नाना ने मुझे डॉगी स्टाइल में लिया और मेरी गांड में अपना लंड पेलना शुरू किया। “पच… पच… पच…” धक्कों की आवाज कमरे में गूँज रही थी। “आह्ह… नाना… फाड़ दो… उफ्फ…” मैं चीख रहा था। नानी ने अपना ब्लाउज उतार दिया और पूरी नंगी हो गई। उनकी चूचियाँ देखकर मेरा लंड और तन गया। नानी ने मेरे मुँह में अपना थूक डाला और अपनी बालों से भरी बगल मेरे मुँह पर रगड़ दी। “चाट, रंडी के बच्चे… मेरी बगल चाट…” नानी ने हवस भरी आवाज में कहा। मैं उनकी बगल की जंगली गंध में खो गया। उनकी काली मस्सों वाली बगल को मैं जीभ से चाट रहा था। “उम्म… नानी… क्या गंध है… आह्ह…” मैं सिसकार रहा था।

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नाना ने मेरी गांड में अपना गर्म माल छोड़ दिया। “आह्ह… सचिन… ले मेरा माल…” उनका गर्म माल मेरी गांड से बह रहा था। नानी ने मेरी गांड से निकलता माल चाट लिया और फिर मुझ पर मूतने लगी। “छर… छर…” उनका मूत बिस्तर को गीला कर रहा था। “नानी… ये क्या… उफ्फ… कितना गर्म है…” मैं सिसकार रहा था। नाना का लंड अभी भी मेरी गांड में था, और वो मेरे अंडों पर थप्पड़ मार रहे थे। “चटाक… चटाक…” “आह्ह… नाना… और मारो… उफ्फ…” मैं हवस में डूबा हुआ था।

नानी ने नाना के गले में दुपट्टा बाँध दिया, जैसे कुत्ते का पट्टा। नाना ने दुपट्टा खींचा और नानी का मुँह मेरी गांड के पास लाए। मेरी गांड की गंध से नानी और गर्म हो गई। “उम्म… सचिन… तेरी गांड की खुशबू… उफ्फ…” नानी ने मेरी गांड चाटनी शुरू की। मैं नानी की चूचियाँ दबा रहा था, और नाना मेरी। फिर मैंने और नानी ने मिलकर नाना का लंड दो बार चूसा। “चप… चप… स्स्स…” चुसाई की आवाज कमरे में गूँज रही थी। नाना निढाल होकर लेट गए, लेकिन नानी की गर्मी अभी बाकी थी।

मैंने नानी को किस करना शुरू किया। उनका बदबूदार मुँह मुझे और गर्म कर रहा था। “उम्म… नानी… तुम कितनी हवसी हो…” मैंने उनके बूब्स को जोर से नोचा। “सचिन… चोद दे मुझे… मेरी चूत फाड़ दे…” नानी सिसकार रही थीं। मैंने उनकी बालों से भरी काली चूत को दो हिस्सों में बाँटा और अपनी जीभ से उनकी दरार को कुरेदने लगा। “आह्ह… सचिन… उफ्फ… चाट… और चाट…” नानी सिहर रही थीं। उनकी चूत की गंध मुझे पागल कर रही थी। मैंने उनकी चूत पर सात-आठ जोरदार चमट मारे। “चटाक… चटाक…” उनकी चूत लाल हो गई, और मूत की धार निकलने लगी। मैंने उनका मूत पी लिया और बाकी उनके बदन पर छिड़क दिया। “सचिन… तू कितना गंदा है… उफ्फ…” नानी ने हँसते हुए कहा। नाना ये सब देखकर अपना लंड हिला रहे थे। “हाँ बेटा… मार इस रंडी को…” नाना ने कहा।

मैंने नानी की चूत में दो उंगलियाँ डालीं और उनका जायजा लिया। फिर मैंने अपना 7.5 इंच का लंड उनकी चूत पर सेट किया। हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे। मैं अपनी नानी को चोदने वाला था, उस छेद को, जहाँ से मेरी माँ इस दुनिया में आई थी। “नानी… तैयार हो?” मैंने हवस भरी आवाज में पूछा। “हाँ… चोद दे… फाड़ दे मेरी चूत…” नानी ने सिसकारते हुए कहा। मैंने उनके गाल पर तीन-चार थप्पड़ जड़े। “चटाक… चटाक…” नाना ने नानी का मुँह अपनी गांड में घुसा दिया। “चोद बेटा… फाड़ दे इस रंडी की चूत…” नाना ने कहा। मैंने नानी की चूत पर एक जोरदार चमट मारा और एक झटके में आधा लंड अंदर घुसा दिया। “आह्ह… उफ्फ… सचिन… मार डाला…” नानी चिल्ला रही थीं, लेकिन नाना की गांड ने उनकी आवाज दबा दी।

मैंने चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी। “पच… पच… फच… फच…” चुदाई की आवाज कमरे से बाहर जा रही थी। शायद मामा की नींद खुल गई थी, क्योंकि बगल के कमरे से हल्की आवाज आ रही थी। मैंने नानी की चूत में लंड अंदर-बाहर किया। “आह्ह… सचिन… और जोर से… फाड़ दे…” नानी सिसकार रही थीं। उनकी चूत का पानी मेरे लंड के साथ बाहर टपक रहा था। मैं उनकी गांड, पीठ और गालों पर थप्पड़ मार रहा था। “चटाक… चटाक…” उनकी चूत लाल हो चुकी थी। नानी नाना की गांड और लंड चूस रही थीं। फिर हमने पोजीशन बदली। नाना नीचे से नानी की चूत चाट रहे थे, और मैं ऊपर से उनके बूब्स निचोड़ रहा था। “आह्ह… धीरे… उफ्फ… सचिन… मार डाला…” नानी रो रही थीं, लेकिन हम रुकने वाले नहीं थे।

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नाना ने नानी की चूत में लंड डाला और उनकी गांड में दो उंगलियाँ घुसा दीं। नानी को दर्द हुआ, और उनकी उंगलियाँ टट्टी से भर गईं। मैंने सजा के तौर पर उनकी चूत के बाल उखाड़े और थप्पड़ मारे। “चटाक… चटाक…” नानी रो रही थीं। मैंने और नानी ने एक-एक उंगली चाट ली और फिर किस करने लगे। पंद्रह मिनट बाद नाना ने चुदाई जारी रखी, और मैंने नानी की गांड में आधा लंड डाल दिया। “आह्ह… सचिन… नाना… छोड़ दो… उफ्फ…” नानी दर्द से चीख रही थीं। हमने पोजीशन बदली। मैं नाना का लंड चूस रहा था, नानी मेरा टट्टी से भरा लंड चूस रही थीं, और नाना नानी के माल, खून और टूटे बालों से भरे छेद साफ कर रहे थे।

नाना ने नानी की गांड में दो उंगलियाँ और आधा लंड डाल दिया। “आह्ह… नाना… मार डाला…” नानी तड़प रही थीं। उनकी गांड से खून निकलने लगा। हमने उनकी गांड को माफ किया, लेकिन चूत अभी और बजने वाली थी। मैंने नाना को किस करना शुरू किया और अपनी चूचियाँ पिलाईं। नानी ने मेरी गांड चाटकर गीली कर दी। मैंने नानी की चूत में लंड डाला और चुदाई शुरू की। “पच… पच… फच…” चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं। नाना ने पीछे से मेरी गांड में लंड डाला। “आह्ह… नाना… धीरे… उफ्फ…” मुझे दर्द हुआ, लेकिन मेरा मुँह नानी की बगल में था, इसलिए आवाज दब गई। नाना मेरी चूचियाँ मसल रहे थे और मेरी मुठ मार रहे थे।

नाना ने मेरी गांड में अपना माल छोड़ दिया। “आह्ह… सचिन… ले मेरा माल…” उनका गर्म माल मेरी गांड से बह रहा था। मैंने नानी को और जोर से चोदा। “पच… पच… फच…” नानी भी चुदाई का मजा ले रही थीं। “सचिन… चोद… और जोर से… फाड़ दे…” नानी सिसकार रही थीं। नाना ने खड़े होकर अपना लंड नानी के मुँह में दिया और मूत से भर दिया। “छर… छर…” नानी ने मूत पिया और मेरे साथ शेयर किया। नाना ने बाकी मूत हम दोनों पर बरसाया। मैंने आखिरकार नानी की चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया। “आह्ह… नानी… ले मेरा माल…” मैं सिसकारते हुए बोला। नानी भी तीन-चार बार झड़ चुकी थीं।

मैंने उठकर एक ग्लास में मूत किया और नाना-नानी पर फेंक दिया। हम तीनों मूत से गीले होकर एक-दूसरे के बदन को रगड़ रहे थे। फिर एक और चुदाई का राउंड चला, और हम थककर सो गए। लेकिन सुबह मुझे पता चला कि मामा और मौसी हमें चुपके से देख रहे थे। नानी ने बताया कि नाना के स्पर्म डेड हैं, वो चोद सकते हैं, लेकिन बाप नहीं बन सकते। नानी ने तीन बच्चे तीन अलग-अलग मर्दों से चुदकर पैदा किए हैं, और नाना ये सब जानते हैं, लेकिन चुप रहते हैं। मामा और मौसी मुझे अजीब नजरों से देख रहे थे। अगली कहानी में और मजा आएगा, तब तक हिलाते रहो।

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