हाय उर्वशी जी, आप आजकल कैसी हैं? क्या कर रही हैं? आपकी कहानी “भैया की मालिश बहन की चुदाई” पढ़कर तो ऐसा लगा जैसे कोई सच्ची बात दिल से दिल तक उतर गई। बिल्कुल वही हुआ जो मेरे साथ हुआ। मैं जानता हूँ कि बहन को चोदना तो दूर, उसे छूना भी गलत है। मगर ज़िंदगी में कभी-कभी हालात और वक़्त ऐसे मोड़ पर ला खड़ा करते हैं कि इंसान का जोश और जज़्बात काबू से बाहर हो जाते हैं। खासकर भाई, जो जवानी की आग में जल रहा होता है, वो बहन को देखकर कंट्रोल खो बैठता है। और फिर बहन, जो खुद एक जवान लड़की होती है, वो क्या करे? चुपके से, धीरे-धीरे, वो भी उस आग में शामिल हो जाती है, हिस्सा लेने लगती है, और फिर दोनों एक-दूसरे के साथ बह निकलते हैं।
एक बात तो पक्की है, कोई भी लड़की, चाहे वो कोई भी हो, अगर एक बार लंड की ठसक और चुदाई का मज़ा चख ले, तो उसका मन बार-बार उसी आग में जलने को करता है। कभी हँसते हुए, कभी आँखों में शरारत भरी मुस्कान लिए, कभी अजीब से अंदाज़ में तिरछी नज़रों से देखकर वो उकसाती है। फिर ये सिलसिला शुरू हो जाता है, जो रुकने का नाम ही नहीं लेता।
मेरी छोटी बहन रीना, उस वक़्त 18 साल की थी। जवान, हसीन, और बदन में वो ताज़गी जो किसी को भी दीवाना बना दे। उसकी माहवारी शुरू हो चुकी थी, और वो अब पूरी तरह से औरत बन चुकी थी। मैं 22 का था, तगड़ा, पुष्ट, और जवानी की आग में तप रहा था। उस ज़माने में ना लैपटॉप था, ना मोबाइल, ना ही इंटरनेट की दुनिया। मगर भांग की दुकानों पर पतली-पतली किताबें, रंगीन तस्वीरों वाली, और चुदाई की कहानियाँ बिकती थीं। मैं चुपके से एक हफ्ते के लिए किराए पर ले आता, रात को छुप-छुपकर पढ़ता, तस्वीरें देखता, और जवानी की आग में और तड़प उठता। मुझे क्या पता था कि रीना भी चुपके से उन किताबों को पढ़ लेती थी।
बाद में उसने खुद बताया, “भैया, मैं भी वो किताबें पढ़ती थी। तस्वीरें देखकर मन करता था कि कोई मुझे भी…” उसकी बात सुनकर मेरे होश उड़ गए। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी छोटी बहन के मन में भी ऐसी आग सुलग रही थी।
एक दिन घर में हम दोनों अकेले थे। मम्मी-डैडी फिल्म देखने गए थे। बोले थे, “रात 12 बजे से पहले नहीं आएँगे।” उस ज़माने में रात के शो में फिल्म खत्म होने के बाद थ्री एक्स, यानी ब्लू फिल्म, 45 मिनट तक चलती थी। मैं ये बात जानता था। बातों-बातों में मैंने रीना से कहा, “मम्मी-डैडी तो 1 बजे तक आएँगे।” रीना ने तपाक से जवाब दिया, “नहीं, 12 बजे आ जाएँगे।” फिर मैंने हँसते हुए ब्लू फिल्म का ज़िक्र छेड़ दिया। रीना ने मासूमियत से पूछा, “भैया, ये ब्लू फिल्म क्या होती है?”
मैंने हँसते हुए, कुछ टूटी-फूटी बातें बताईं। वो बोली, “वही ना, जो तुम किताबें लाते हो?” मैं तो जैसे सन्न रह गया। मेरी छोटी बहन को सब पता था! मैंने खुद को संभाला और प्यार भरे, सेक्सी अंदाज़ में उसे समझाने लग गया। बातों-बातों में मैंने उसका हाथ पकड़ा, धीरे से उसकी बाँहों को सहलाया। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो भी कुछ चाह रही थी। मेरे बार-बार छूने से वो भी गर्म होने लगी। उसका चेहरा लाल हो गया, साँसें तेज़ चलने लगीं।
वो बोली, “भैया, ये सब करने से कुछ होगा तो नहीं ना?” मैं तो पहले से ही चोदने के मूड में था। मैंने कहा, “अरे, कुछ नहीं होगा। बस मज़ा आएगा।” यही सब समझाते-समझाते मैं उसकी चूची तक पहुँच गया। उसकी सलवार-कुर्ती के ऊपर से उसकी चूचियाँ इतनी नर्म थीं कि मेरा लंड पैंट में तन गया। मैंने धीरे से उसकी चूत की तरफ हाथ बढ़ाया। उसकी चूत पहले से ही गीली थी, जैसे वो भी इस पल का इंतज़ार कर रही थी। मैंने कहा, “रीना, अगर करना है तो कपड़े खोलो।”
वो शरमाते हुए बोली, “पहले तुम खोलो ना।” मैंने झट से अपनी शर्ट और पैंट उतार दी। जैसे ही मैं नंगा हुआ, मेरा लंड देखकर रीना की आँखें फट गईं। उसने डरते हुए छूकर कहा, “बाप रे, इतना बड़ा, इतना मोटा! भैया, ये कैसे घुसेगा? नहीं, छोड़ो, ये तो मुश्किल है।” मगर मेरे अंदर की आग अब बेकाबू थी। मैंने उसकी सलवार की डोरी खींच दी, और उसकी सलवार नीचे गिर गई। मैंने उसे अपनी बाँहों में चिपका लिया, उसकी चूची पर मुँह रखकर रगड़ा।
रीना ने बिना विरोध के अपना कुर्ता भी उतार दिया। अब उसकी नर्म, गोरी, चिकनी चूत मेरे सामने थी। मेरा लंड कुलांचे मारने लगा, जैसे बस अब अंदर घुसने को बेताब हो। मैंने तेल की शीशी उठाई, अपने लंड पर तेल लगाया, और फिर उसकी बुर में उँगली से तेल लगाया। रीना थोड़ा सिहर गई, बोली, “भैया, डर लग रहा है।” मैंने उसे चूमते हुए कहा, “कुछ नहीं होगा, बस थोड़ा मज़ा आएगा।”
मैंने धीरे से लंड सेट किया और हल्का सा दबाया। लंड थोड़ा फंस गया। मैंने देखा कि रीना की साँसें तेज़ हो रही थीं। मैं निश्चिंत था, घर में कोई नहीं था, और अभी सिर्फ़ साढ़े नौ बजे थे। हमारे पास ढेर सारा वक़्त था। मैंने उसे किताब की बातें बताकर और गर्म किया। फिर एक जोरदार धक्का मारा, “गप्प!” मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। रीना जोर से चिल्लाई, “आआह्ह! भैया, निकालो, दर्द हो रहा है!” वो मुझे धकेलने लगी, मगर मैंने उसे पकड़ लिया और चुप कराया।
थोड़ी देर रुककर मैंने उसे सहलाया, चूमा, और धीरे-धीरे धक्के देने शुरू किए। “फच-फच” की आवाज़ गूँजने लगी। रीना की सिसकियाँ, “आह्ह… ओह्ह… उफ्फ…” कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उससे गंदी बातें शुरू कीं, “रीना, कैसा लग रहा है? मज़ा आ रहा है ना?” वो शरमाते हुए बोली, “भैया, धीरे करो… आह्ह… बहुत बड़ा है।” मैंने हँसकर कहा, “अब तो पूरा अंदर है, अब बस मज़ा ले।”
लगभग एक घंटे तक मैंने उसे चोदा। “थप-थप, फच-फच” की आवाज़ें, उसकी सिसकियाँ, “आह्ह… ओह्ह… भैया…” और मेरी गंदी बातें, “रीना, तेरी चूत कितनी टाइट है, मज़ा आ रहा है!” कमरे में गूँज रही थीं। जब मेरा माल निकला और उसकी चूत में बहने लगा, वो मुझे सीने पर धकेलने लगी। मैंने कहा, “थोड़ा रुको, अभी और मज़ा बाकी है।” वो हँसते हुए बोली, “पूरा अंदर घुस गया था, भैया! क्या चीज़ है!” मैंने कहा, “पता नहीं चला? तो फिर से कर लें?” वो शरमाकर बोली, “नहीं बाबा, आज बस। जब मौका मिलेगा, तब।”
इस तरह हमारे बीच चोदने-चुदवाने का सिलसिला शुरू हो गया। ये कई सालों तक चला। रीना को चुदाई का ऐसा चस्का लगा कि वो पिल्स खाने लगी। हर रात वो मेरे बिस्तर पर आती, चुदवाए बिना उसका मन नहीं मानता था। अगर मैं नहीं चोदता, तो वो नाराज़ होकर कहती, “क्या बात है, भैया? नाराज़ हो या कोई और मिल गई?” मैं हँसकर उसे चिपका लेता और फिर से चुदाई शुरू हो जाती।
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