बेटी, तेरी चूत तो किसी कच्ची कली जैसी है

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम आरोही है। मेरे घर में मेरे पापा, मम्मी और मेरा एक बड़ा भाई है। ये कहानी उस वक्त की है जब मैं 18 साल की थी। मेरी मम्मी का एक ऑपरेशन हुआ था और वो हॉस्पिटल में भर्ती थीं। मैं दिनभर हॉस्पिटल में रहती और रात को पापा के साथ घर लौट आती।

ऐसी ही एक सर्द रात थी। शाम के 8 बजे मैं और पापा हॉस्पिटल से निकले। पापा ने एक ऑटो रोका और हम दोनों पीछे बैठ गए। मैं मम्मी की हालत सोचकर थोड़ा रोने लगी।

“बेटी, रो मत! आजकल ऑपरेशन तो आम बात है। तेरी मम्मी जल्दी ठीक होकर घर आ जाएगी,” पापा ने मेरे कंधों पर हाथ रखते हुए कहा।

उनका हाथ मेरे कंधों पर था, और मुझे थोड़ा अजीब लगा, पर मैंने कुछ नहीं कहा। हम घर पहुंचे। सर्दी की वजह से हम गर्म पानी से नहाते थे। पापा ने कहा, “बेटी, जरा गर्म पानी तैयार करके बाथरूम में ला।” मैंने गैस पर पानी चढ़ाया और गर्म करके बाथरूम की ओर गई।

जब मैं बाथरूम में पहुंची, तो मेरी सांसें थम गईं। मेरा 50 साल का बाप बिल्कुल नंगा खड़ा था। वो शीशे के सामने अपनी झांटें कैंची से काट रहा था। मैंने ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा था। मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं। मैंने जल्दी से पानी का लोटा बाहर रखा और भाग आई। मन में बस यही चल रहा था कि क्या ये बूढ़ा सठिया गया है? उसे जरा भी शर्म नहीं?

तभी पापा की आवाज आई, “बेटी, जरा इधर तो आ!” मैं हैरान थी, डर रही थी, पर किसी तरह हिम्मत करके गई। बाथरूम में पापा का विशाल शरीर देखकर मैं और चौंक गई। उनके सीने और सिर पर सफ़ेद बाल थे, और उनका शरीर किसी पहलवान जैसा था।

“बेटी, जरा मेरी गोलियों के बाल काट दे। देख, कितने बड़े हो गए हैं,” पापा ने बेशर्मी से कहा।

मैं शर्म से पानी-पानी हो गई। मेरे पैर कांपने लगे, और मैं जमीन पर बैठ गई। कैंची हाथ में ले ली, पर मेरी नजर उनके उस विशाल लंड पर पड़ी, जो किसी काले मोटे लोहे जैसा था। मुझे उसे हटाना था ताकि उनकी गोलियों तक पहुंच सकूं। मैंने जिंदगी में पहली बार अपने बाप का लंड देखा था। मन में सवाल उठा, क्या मम्मी हर रात इसी से चुदवाती होंगी? उनकी तो गांड फट जाती होगी!

मैंने डरते-डरते उनके लंड को हाथ से ऊपर उठाया। 250 ग्राम का वो मोटा लंड छूने से मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ गई। थोड़ा अजीब, थोड़ा अच्छा भी लगा। मैंने कैंची से उनकी गोलियों की झांटें काटनी शुरू की। काम खत्म हुआ, तो मैं उठने लगी, लेकिन पापा ने मेरा हाथ पकड़ लिया।

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“ये क्या पापा? मेरा हाथ क्यों पकड़ा?” मैंने गुस्से से पूछा।

“बेटी, तू तो जानती है, 15 दिन से तेरी मम्मी हॉस्पिटल में है। मुझे चूत चाहिए। अपनी चूत दे दे, बेटी!” पापा ने निर्लज्ज होकर कहा।

मैं गुस्से से तिलमिला उठी। “पापा, ये क्या बदतमीजी है? आपको शर्म नहीं आती?” मैं चिल्लाई।

“शर्म कैसी, बेटी? तू अब जवान हो गई है, चोदने लायक। कुछ दिनों में तेरे कई बॉयफ्रेंड बन जाएंगे, जो तेरी चूत फाड़ देंगे। फिर इसमें शर्म कैसी?” पापा ने बेशर्मी से जवाब दिया।

मैं गुस्से से जल उठी और मैंने उनके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। फिर अपने कमरे में भागकर रोने लगी। रात के 10 बजे पापा मेरे लिए कॉफी और ऑमलेट-ब्रेड लाए। वो रोने लगे, माफी मांगने लगे। “बेटी, मैं गलत था, मुझे माफ कर दे,” वो बार-बार कह रहे थे। वो मेरे पापा थे, चाहे जैसे भी हों, इसलिए मैंने उन्हें माफ कर दिया। मैंने कॉफी पी और ऑमलेट खा लिया।

लेकिन कुछ देर बाद मेरा सिर चकराने लगा। मुझे लगा जैसे मैंने कोई नशा कर लिया हो। मेरे शरीर में कमजोरी छा रही थी। बाद में मुझे पता चला कि पापा ने कॉफी में नशीली गोली मिला दी थी। वो नहाकर मेरे कमरे में आए और दरवाजा बंद कर लिया। फिर उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए।

मैं कुछ कहना चाहती थी, लेकिन मेरी आवाज नहीं निकल रही थी। मेरी आंखों के सामने सब धुंधला था। पापा ने मेरा नीला सलवार-सूट उतार दिया। मेरी ब्रा और पैंटी भी निकाल दी। मैं अपने बाप के सामने पूरी तरह नंगी थी। मैं अभी-अभी जवान हुई थी। मेरे मम्मे छोटे-छोटे अनार जैसे थे। मुझे अभी तक माहवारी भी शुरू नहीं हुई थी। हां, मैं कभी-कभी अपनी चूत में उंगली डालकर हस्तमैथुन जरूर करती थी।

पापा मेरे ऊपर लेट गए। उनके 75 किलो के वजन से मैं दब रही थी। “आह्ह…” मैं कराह उठी, पर मेरी आवाज दबी थी। पापा ने मेरे मम्मों को मुंह में लिया और चूसने लगे। “ओह्ह… पापा, ये क्या कर रहे हो?” मैं मन ही मन चिल्ला रही थी, पर शरीर साथ नहीं दे रहा था। शुरू में मुझे बहुत बुरा लगा, मैं उनका मुंह नोचना चाहती थी, लेकिन नशे की वजह से कुछ कर नहीं पाई।

लेकिन कुछ देर बाद मुझे अजीब सा मजा आने लगा। “आह्ह… ओह्ह…” मेरी सांसें तेज हो रही थीं। पापा मेरे काले निप्पल्स को चबा रहे थे, जैसे कोई भूखा शेर मांस नोच रहा हो। “बेटी, तेरे दूध तो तेरी मम्मी से भी रसीले हैं,” वो बेशर्मी से बोले। मेरे जिस्म में आग लग रही थी। फिर उन्होंने मेरे होंठों को चूमना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे मुंह में थी, और मैं कुछ न कर सकी।

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वो मेरे पेट पर आए, मेरी नाजुक पसलियों को चूमने लगे। फिर मेरी नाभि में जीभ डालकर चाटने लगे। “उह्ह… पापा, ये गुदगुदी हो रही है,” मैं मन में सोच रही थी। मुझे मजा भी आ रहा था। अब मैं शायद अंदर से चाहने लगी थी कि वो और आगे बढ़ें।

पापा मेरे पेट के हल्के-हल्के रोएंदार बालों को चूमते हुए मेरी चूत तक पहुंच गए। “वाह, बेटी! तेरी चूत तो मक्खन-मलाई जैसी है। तेरी मम्मी की भी ऐसी थी जब वो नई-नई आई थी। आज तुझे मैं औरत बना दूंगा!” वो हरामी बोले और मेरी चूत को चूसने लगे। “आह्ह… ओह्ह… पापा, ये क्या!” मैं मचल उठी। मेरे पैर हवा में उठ गए।

पापा ने अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी और ऊपर-नीचे करने लगे। “उह्ह… आह्ह…” मेरी सिसकारियां निकल रही थीं। मैंने अपने घुटने मोड़ लिए और पैर खोल दिए, ताकि पापा को मेरी चूत चूसने में आसानी हो। वो मेरी बुर को ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई प्यासा पानी पी रहा हो।

फिर वो फ्रिज से आइसक्रीम लाए। “ये क्या, पापा?” मैं डर गई जब उन्होंने ठंडी आइसक्रीम मेरी चूत में भर दी। “आह्ह… उह्ह… मेरी बुर जम जाएगी!” मैं कराह उठी। लेकिन पापा ने मेरी चूत से आइसक्रीम चाटना शुरू कर दिया। “मम्म… कितनी मस्त चूत है, बेटी,” वो बोले और मेरी चूत को चाट-चाटकर साफ कर दिया।

फिर उन्होंने अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रखा। “नहीं, पापा, ये बहुत बड़ा है!” मैं डर गई, पर वो नहीं रुके। “धप्प!” एक जोरदार धक्के के साथ उनका लंड मेरी चूत में घुस गया। “आआह्ह… मम्मी!” मैं चीख पड़ी। मेरी चूत में खून निकलने लगा। “पापा, ये खून?” मैंने डरते हुए पूछा।

“डर मत, बेटी। पहली बार हर लड़की को खून निकलता है। तेरी मम्मी को भी निकला था। बस थोड़ी देर में तुझे जन्नत का मजा आएगा,” पापा ने कहा और मुझे हचक-हचक पेलने लगे। “धप्प… धप्प… थप्प…” उनके हर धक्के के साथ मेरी चूत खिंच रही थी। “आह्ह… ओह्ह… पापा, धीरे!” मैं कराह रही थी।

पापा ने मुझे नॉन-स्टॉप कूटा। “बेटी, तेरी चूत तो किसी कच्ची कली जैसी है। मैं इसे फूल बना दूंगा,” वो गंदी बातें करते हुए मुझे पेल रहे थे। मेरे सामने अंधेरा छा रहा था। “थप्प… थप्प…” उनके धक्कों की आवाज कमरे में गूंज रही थी। मुझे दर्द और मजा दोनों मिल रहे थे।

कुछ देर बाद पापा बिस्तर से उतरे। उन्होंने मुझे बिस्तर के किनारे खींच लिया और मेरी टांगें हवा में उठा दीं। मेरी चूत उनके सामने खुलकर नंगी थी। “वाह, बेटी, तेरा भोंसड़ा तो अब फूल बन गया!” वो बोले और खड़े-खड़े मुझे पेलने लगे। “धप्प… धप्प…” उनके गहरे धक्कों से मेरी चूत फट रही थी। “आह्ह… ओह्ह… पापा, बस करो!” मैं चिल्ला रही थी, पर वो रुके नहीं।

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“बेटी, तू इतनी हसीन है कि मैं कैसे किसी और को तुझे चोदने दूं? घर का माल घर में ही रहना चाहिए,” वो हरामी बोले और मुझे ढाई घंटे तक पेलते रहे। “थप्प… थप्प…” उनकी पेलाई की आवाज और मेरी सिसकारियां “आह्ह… उह्ह…” कमरे में गूंज रही थीं।

मैं डर गई थी। मेरी चूत इतनी फट गई थी कि लग रहा था जैसे कोई बोतल भी उसमें चली जाए। पापा ने मेरा नीला दुपट्टा मेरे मुंह पर डाल दिया ताकि मैं अपनी चूत का हाल न देखूं। “बेटी, बस मजा ले,” वो बोले और धका-धक पेलते रहे।

नशे का असर अब खत्म हो चुका था। मैं होश में थी। पापा ने आखिरकार अपना माल मेरे मुंह पर छोड़ दिया। कई पिचकारियां मेरे चेहरे पर गिरीं। मैंने उनकी मलाई को जीभ से चाट लिया। फिर मैं उठकर शीशे के सामने गई। मेरे मम्मों पर पापा के दांतों के निशान थे। मेरी चूत खून से लथपथ थी। “बाप रे, मेरे बाप ने मेरी चूत को भोंसड़ा बना दिया!” मैंने सोचा।

पापा ने मुझे बाथरूम में बुलाया। “बेटी, मुझे नहला दे,” वो बोले। मैंने उनके शरीर पर साबुन मलना शुरू किया। नहलाते-नहलाते हम फिर गर्म हो गए। पापा ने मुझे बाथरूम के फर्श पर कुतिया बना दिया। “आह्ह… पापा, अब गांड?” मैं डर गई। लेकिन वो नहीं रुके। “धप्प… थप्प…” उन्होंने मेरी गांड में अपना लंड पेल दिया। “आआह्ह… मम्मी!” मैं चीख पड़ी। मेरी गांड फट गई थी। “बेटी, अब तू पूरी औरत बन गई,” वो बोले और मेरी गांड मारते रहे।

इस तरह मेरे बाप ने मुझे चोद-चोदकर औरत बना दिया। ये रात मेरी जिंदगी की सबसे यादगार और डरावनी रात थी।

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