मेरी मम्मी कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली गई थीं। अब घर पर सिर्फ मैं, मंजूलिका सिंह, और मेरे पापा ही थे। पिछले चार महीनों से पापा मुझे घूर-घूर कर देख रहे थे। उनकी नजरें मेरे जिस्म पर इस तरह टिक रही थीं, जैसे वो मेरे कपड़ों के पार मेरे नंगे बदन को देख रहे हों। मैं अच्छी तरह जानती थी कि पापा अब मुझे कसके चोदना चाहते थे। मेरी कुंवारी चूत को वो जोरदार तरीके से बजाना चाहते थे। ये बात बिल्कुल साफ थी। उस दिन मम्मी चली गईं। रात हो गई। मेरे मन में एक अजीब सा डर और उत्साह मिश्रित था। मुझे शक हो गया था कि आज की रात मेरे लिए बहुत भारी होने वाली है। आज रात मैं जरूर चुद जाऊंगी।
दोस्तों, मैं अब 23 साल की जवान माल बन चुकी थी। मेरा गोरा रंग, मेरी पतली 28 इंच की कमर, और मेरे 36 इंच के भरे हुए बूब्स किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर देने के लिए काफी थे। मैं किसी भी मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तैयार थी। पिछले कुछ दिनों से मेरे अंदर भी चुदवाने की तीव्र इच्छा जाग रही थी। मेरे मन में एक आग सी जल रही थी, जो हर रात मुझे बेचैन कर देती थी। मैंने कई बार पापा को मम्मी को चोदते हुए देखा था। रात के अंधेरे में उनकी सिसकारियाँ, मम्मी की चीखें, और बिस्तर की चरमराहट मेरे कानों में गूंजती थी। उन आवाजों ने मेरे अंदर की वासना को और भड़का दिया था।
रात के दस बजे मैंने पापा के लिए खाना तैयार किया। मैंने एक हल्की सी पिंक टी-शर्ट और काले शॉर्ट्स पहन रखे थे। टी-शर्ट मेरे बूब्स पर कसके चिपकी थी, जिससे मेरी चूचियों का आकार साफ दिख रहा था। शॉर्ट्स मेरी जांघों को आधा ढक रहे थे, और मेरे गोल-मटोल पुट्ठे उनमें से झांक रहे थे। मैं थाली में खाना सजाकर पापा के कमरे में गई। पापा बिस्तर पर बैठे थे, सिर्फ एक ढीली बनियान और पायजामा पहने हुए। उन्होंने थाली को एक किनारे रख दिया और मुझे अपनी गोद में खींच लिया।
“पापा! ये आप क्या कर रहे हैं?” मैंने हैरानी और थोड़ी झिझक के साथ पूछा, हालाँकि मेरे मन में पहले से ही एक अंदाजा था।
“मंजूलिका बेटी! आज मैं तुम्हें एक गुप्त विद्या सिखाने जा रहा हूँ। इसे सीखकर तुम्हें परम आनंद मिलेगा। बहुत मजा आएगा,” पापा ने गंभीर और गहरी आवाज में कहा, उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
“पापा! इस विद्या का नाम क्या है?” मैंने उत्सुकता से पूछा, मेरे दिल की धड़कन तेज हो रही थी।
“बेटी, इसे चुदाई की महाविद्या कहते हैं। आज मैं तुम्हें ये सिखाऊंगा। तुम्हें खूब ऐश मिलेगी। बस जो मैं कहूँ, वो करती जाओ। मना मत करना, बेटी!” पापा ने कहा, उनकी आवाज में एक अजीब सा अधिकार था।
मैं 23 साल की जवान माल थी। मेरा रंग इतना गोरा था कि लोग मुझे दूध की तरह साफ कहते थे। मेरी मम्मी भी बहुत खूबसूरत थीं, और मैंने उनकी खूबसूरती को बखूबी विरासत में लिया था। मेरे लंबे, काले बाल मेरी कमर तक लहराते थे, और मेरी 36 इंच की चूचियाँ मेरे जिस्म का सबसे आकर्षक हिस्सा थीं। मैंने कई बार पापा को मम्मी को चोदते देखा था, और हर बार मेरे मन में एक अजीब सी सनसनी दौड़ जाती थी। आज मेरा भी मन चुदवाने का था।
पापा ने मुझे अपनी गोद में बिठा रखा था। उनकी मजबूत बाहों में मैं पूरी तरह समा गई थी। धीरे-धीरे वो मेरे कान, गले, और पीठ पर चूमने लगे। उनकी गर्म साँसें मेरे गले पर पड़ रही थीं, और मुझे गुदगुदी सी हो रही थी। मैं हल्का सा हिल रही थी, और मेरे मुंह से हल्की सी “उम्म…” की आवाज निकल रही थी। पापा के हाथ मेरी टी-शर्ट पर इधर-उधर घूमने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरे बूब्स के आसपास मंडराने लगीं, और फिर उन्होंने मेरे 36 इंच के बूब्स को टी-शर्ट के ऊपर से हल्के-हल्के दबाना शुरू कर दिया।
“पापा… ये आप क्या…?” मैंने झिझकते हुए कहा, लेकिन मेरे शब्द अधूरे रह गए।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“मंजूलिका, अगर इस चुदाई की महाविद्या को सीखना है, तो प्लीज मुझे टोकना मत। जो मैं करता हूँ, करने दे। लास्ट में मजा न आए तो तुम कहना,” पापा ने कहा, उनकी आवाज में एक अजीब सा आत्मविश्वास था। मैं चुप हो गई। उनके हाथ अब मेरी चूचियों को मसल रहे थे, और मुझे एक अजीब सा नशा चढ़ रहा था।
पंद्रह मिनट तक पापा मेरी चूचियों को टी-शर्ट के ऊपर से मसलते रहे। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स को हल्के-हल्के छू रही थीं, और मेरी साँसें तेज हो रही थीं। मुझे अब इस चुदाई की विद्या में गहरा इंटरेस्ट आने लगा था। मेरी चूत में एक अजीब सी गीलापन महसूस हो रहा था। पापा ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लिया और मेरे गुलाबी होठों को चूमना शुरू कर दिया। उनकी जीभ मेरे होठों पर फिर रही थी, और मैं भी धीरे-धीरे उनके होठों को चूसने लगी। हम दोनों एक-दूसरे में खो रहे थे।
“पापा… ये गलत तो नहीं…?” मैंने हल्की सी झिझक के साथ पूछा, लेकिन मेरी आवाज में वासना साफ झलक रही थी।
“बेटी, इसमें गलत क्या है? ये तो प्रेम का सबसे खूबसूरत रूप है। आज तू मेरी रानी है,” पापा ने कहा और फिर से मेरे होठों को चूसने लगे।
पापा ने मुझे हुक्म दिया, “मंजूलिका, अब अपने कपड़े उतार दे।” मैंने एक पल के लिए झिझका, लेकिन फिर उनकी आँखों में देखा। उनकी नजरों में वासना के साथ-साथ एक अजीब सा प्यार था। मैंने धीरे-धीरे अपनी पिंक टी-शर्ट उतारी। मेरी काली ब्रा में मेरे 36 इंच के बूब्स उभरे हुए थे। फिर मैंने अपने शॉर्ट्स भी उतार दिए। अब मैं सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थी। पापा ने भी अपनी बनियान और पायजामा उतार दिया। उनका 10 इंच का मोटा लंड खड़ा था, और उसे देखकर मेरी चूत में और गीलापन आ गया।
पापा ने मुझे फिर से गोद में बिठा लिया। मैंने अपनी दोनों टांगें उनकी कमर के इर्द-गिर्द लपेट दीं। मेरी पतली 28 इंच की कमर उनकी 40 इंच की कमर से चिपक गई। पापा ने मुझे अपनी बाहों में कस लिया। घर में हम दोनों के सिवा कोई नहीं था। आज रात पापा मुझे चोदकर बेटीचोद बनने वाले थे। मैं भी चुदवाने के मूड में थी, इसलिए मैंने भी पापा को अपनी बाहों में जकड़ लिया। हम दोनों बिस्तर पर बैठे थे, और पापा मेरे नंगे जिस्म को नीचे से ऊपर तक सहला रहे थे। उनकी उंगलियाँ मेरी पीठ पर, मेरे पुट्ठों पर, और मेरी जांघों पर फिसल रही थीं।
“ओह मंजूलिका बेटी! तू कितनी मस्त माल बन गई है। मैं तो जान ही नहीं पाया। आज रात मैं तेरी चूत का भोग लगाऊंगा और तुझे सेक्स की विद्या का पूरा ज्ञान दूंगा,” पापा ने कहा, उनकी आवाज में एक अजीब सी भूख थी।
“पापा… आज मेरा भी आपसे चुदवाने का बहुत मन है। आज रात आप मुझे चोदकर मेरी चूत का रास्ता बना दो,” मैंने कहा, मेरी आवाज में वासना और बेशर्मी साफ झलक रही थी।
पापा ने मेरे गुलाबी होठों को फिर से चूसना शुरू कर दिया। उनकी जीभ मेरे मुंह में थी, और मैं भी उनके होठों को चूस रही थी। हम दोनों एक-दूसरे में पिघल रहे थे। मैं उनके चौड़े सीने को सहला रही थी, और उनके हाथ मेरे नंगे जिस्म पर फिसल रहे थे। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी। पापा गरम हो गए थे। उन्होंने मुझे अपने सीने से कसके लगा लिया और पागलों की तरह मेरे गले, कंधों, और चूचियों को चूमने लगे। मेरे 36 इंच के बूब्स उनकी छाती से दब रहे थे, और मुझे एक अजीब सा नशा चढ़ रहा था।
“मंजूलिका… तू आज मेरी रंडी है,” पापा ने कहा, उनकी आवाज में एक अजीब सी ताकत थी।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“हाँ पापा… आज मैं आपकी रंडी हूँ। मुझे चोदो, जितना मन करे चोदो,” मैंने बेशर्मी से कहा।
पापा ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। मेरे बूब्स आजाद हो गए, और वो उन्हें देखकर पागल हो गए। उन्होंने मेरे बाएँ मम्मे को मुंह में भर लिया और चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं “उई… उई… उई… माँ… ओह्ह्ह माँ… अहह्ह्ह…” की सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत में खलबली मच रही थी। पापा मेरे पुट्ठों को सहला रहे थे, उनकी उंगलियाँ मेरे गोल-मटोल चूतड़ों को मसल रही थीं।
“पापा… आह्ह… ये क्या कर रहे हो…?” मैंने सिसकारते हुए कहा, लेकिन मेरे शब्दों में विरोध नहीं, बल्कि मस्ती थी।
“बेटी, बस चुप रह। ये चुदाई की विद्या का पहला पाठ है। तुझे आज रात जन्नत दिखाऊंगा,” पापा ने कहा और मेरे दायीं चूची को चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स को चाट रही थी, और मैं “आह्ह… ओह्ह… सी सी सी…” की आवाजें निकाल रही थी। मेरी चूत से रस टपक रहा था। पापा 20 मिनट तक मेरी चूचियाँ चूसते रहे। मेरी 36 इंच की चूचियाँ अब 40 इंच की लग रही थीं, इतनी फूल गई थीं।
“मंजूलिका… बोल, पापा मेरी चूत फाड़ दो,” पापा ने हुक्म दिया।
“पापा… मेरी चूत कसके फाड़ दो,” मैंने उनकी बात दोहराई।
“बोल, मैं रंडी हूँ, छिनाल हूँ,” पापा ने कहा।
“हाँ पापा… मैं तुम्हारी रंडी हूँ, छिनाल हूँ। जितना मन करे, मुझे चोद लो,” मैंने बेशर्मी से कहा।
हम दोनों गंदी-गंदी बातें करने लगे। पापा मेरी आँखों में देख रहे थे, और मैं उनकी आँखों में। हमारी नजरें एक-दूसरे को चोद रही थीं। पापा ने फिर से मेरे होठों को चूसना शुरू किया। उनके हाथ मेरे चूतड़ों पर थे, और वो उन्हें जोर-जोर से मसल रहे थे। मेरी पैंटी अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
पापा ने मुझे हल्का सा उछाला और मेरी पैंटी उतार दी। अब मैं पूरी तरह नंगी थी। उन्होंने मेरी चूत के छेद पर अपना 10 इंच का मोटा लंड रखा। मेरी साँसें रुक गईं। पापा ने मेरे दोनों पुट्ठों को कसके पकड़ा और एक जोरदार धक्का मारा। मेरी चूत की सील टूट गई। “आह्ह्ह… माँ…” मैं चीख पड़ी। पापा का लंड मेरी चूत में गहरे तक घुस गया था। दर्द और सुख का एक अजीब सा मिश्रण मेरे जिस्म में दौड़ रहा था।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
पापा मुझे गोद में बिठाकर चोदने लगे। उनकी कमर मेरी कमर से टकरा रही थी, और हर धक्के के साथ मेरी चूत से “पट-पट” की आवाज आ रही थी। मैं “हूँउउउ… हूँउउउ… ऊँ… ऊँ… सी सी सी…” की सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी आँखों से आंसुओं की बूँदें निकल रही थीं, लेकिन पापा ने उन्हें चाट लिया। “मेरी बहादुर बेटी… बस थोड़ा और,” पापा ने कहा और तेजी से मुझे चोदने लगे।
मेरी चूत से खून बह रहा था, जो बिस्तर की चादर पर लग गया। पापा ने मेरे होठों को फिर से चूसना शुरू किया और घप-घप मुझे चोदने लगे। मैंने अपने दोनों हाथों से पापा को कसके पकड़ रखा था। मेरे 36 इंच के बूब्स हर धक्के के साथ उछल रहे थे। पापा ने मेरे दोनों पैरों को स्टैंड की तरह खोल दिया और खुद थोड़ा पीछे हट गए। अब वो लंबे और गहरे धक्के मार रहे थे। मैं “आह्ह… ओह्ह… पापा… धीरे…” चीख रही थी, लेकिन मेरे शब्दों में सुख की पुकार थी।
पापा ने मुझे 35 मिनट तक चोदा। हर धक्के के साथ मेरी चूत रवां हो रही थी। फिर उन्होंने मेरी चूत में माल छोड़ दिया। उनका गर्म माल मेरी चूत में भर गया, और मैं “आह्ह्ह…” की लंबी सिसकारी लेते हुए शांत हो गई। पापा का लंड 10 मिनट तक मेरी चूत में रहा। जब उन्होंने उसे निकाला, तो उनका माल मेरी चूत से बहने लगा। पापा ने उसे अपने हाथ में लिया और मेरे मुंह में डाल दिया। “पी ले, मेरी रानी,” पापा ने कहा। मैंने सारा माल पी लिया।
हम दोनों लेट गए। “कैसी लगी चुदाई की विद्या, मंजूलिका?” पापा ने पूछा।
“सुपरहिट, पापा!” मैंने हँसते हुए कहा।
कुछ देर तक हम प्यार भरी बातें करते रहे। फिर मैं पापा के ऊपर चढ़ गई। उनका लंड अब नरम हो गया था, लेकिन मैंने उसे हाथ में लिया और फेंटना शुरू किया। धीरे-धीरे वो फिर से खड़ा हो गया। मैंने उसे मुंह में लिया और चूसने लगी। मेरी जीभ उनके लंड के सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थी। पापा “आह्ह… मंजूलिका… और तेज…” सिसक रहे थे। मैंने 18 मिनट तक उनका लंड चूसा।
पापा ने मुझे सीधा लिटा दिया और फिर से मेरी चूत में लंड डाल दिया। मेरी चूचियाँ डिस्को डांस कर रही थीं। पापा मेरी कमर पकड़कर मुझे चोद रहे थे। मैं “उ उ उ… अअअअ… सी सी सी… ऊँ… ऊँ…” की आवाजें निकाल रही थी। 20 मिनट बाद पापा ने फिर से मेरी चूत में माल छोड़ दिया।
फिर पापा ने मुझे कुतिया की तरह घुमाया। मैं अपने घुटनों और हाथों के बल थी, मेरे गोल-मटोल पुट्ठे हवा में थे। पापा मेरे पुट्ठों को सहलाने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरे चूतड़ों के बीच की दरार में फिसल रही थीं। “मंजूलिका, तेरी गांड तो कुंवारी है,” पापा ने कहा, उनकी आवाज में एक अजीब सी लालच थी।
“हाँ पापा, मैंने इसे आपके लिए बचाकर रखा। कई लड़कों ने मुझे गांड चोदने का ऑफर दिया, लेकिन मैंने मना कर दिया,” मैंने बेशर्मी से कहा।
पापा ने मेरे पुट्ठों को चूमना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे चूतड़ों पर फिसल रही थी, और मुझे सुरसुरी सी हो रही थी। फिर उन्होंने मेरे पुट्ठों को चौड़ा किया और मेरी गांड के छेद पर जीभ लगाई। “उई… पापा…” मैं सिसकारी, मेरे जिस्म में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई। पापा ने मेरी गांड को चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे छेद के चारों ओर गोल-गोल घूम रही थी। मैं “आह्ह… ओह्ह… सी सी सी…” की आवाजें निकाल रही थी। मेरी गांड में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी, और मुझे एक हल्का सा दबाव महसूस हुआ। अचानक मेरी गांड से एक हल्की “पट” की आवाज आई, जैसे हवा निकल रही हो। मैं शरमा गई, लेकिन पापा ने हँसते हुए कहा, “अरे बेटी, ये तो नेचुरल है। तू बस मजा ले।”
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
पापा ने मेरी गांड को और जोर से चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे छेद के अंदर तक जा रही थी, और मैं “उम्म… आह्ह…” सिसक रही थी। मेरी गांड अब गीली हो चुकी थी। पापा ने अपनी उंगली मेरी गांड में डाली। मैं “आह्ह… पापा… धीरे…” चीखी। उनकी उंगली मेरे छेद को चौड़ा कर रही थी, और मुझे दर्द के साथ-साथ एक अजीब सा सुख मिल रहा था। पापा ने दूसरी उंगली भी डाल दी, और अब वो मेरी गांड को धीरे-धीरे खोल रहे थे। मेरी गांड से फिर से एक हल्की “पट-पट” की आवाज आई, और मुझे थोड़ा शर्मिंदगी महसूस हुई, लेकिन पापा ने कहा, “बेटी, ये सब चुदाई का हिस्सा है। तू बस मजे ले।”
पापा ने अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर रखा। उनका 10 इंच का लंड मेरे छोटे से छेद के लिए बहुत बड़ा लग रहा था। मैंने डरते हुए कहा, “पापा… ये बहुत बड़ा है… दर्द होगा…”
“मंजूलिका, थोड़ा दर्द तो बनेगा, लेकिन बाद में तुझे जन्नत मिलेगी,” पापा ने कहा और धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी गांड में धकेलना शुरू किया। मैं “आह्ह्ह… माँ… पापा… धीरे…” चीख रही थी। मेरी गांड का छेद चौड़ा हो रहा था, और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरे जिस्म को चीर रहा हो। पापा का लंड आधा अंदर गया, और मेरी गांड से फिर से एक जोरदार “पट” की आवाज आई। मैं शरमा गई, लेकिन पापा ने मेरे पुट्ठों को सहलाते हुए कहा, “मेरी रानी, ये सब नॉर्मल है। तू बस रिलैक्स कर।”
पापा ने धीरे-धीरे अपने लंड को और अंदर धकेला। मेरी गांड अब उनके लंड को स्वीकार कर रही थी, लेकिन दर्द अभी भी था। मैं “उई… उई… आह्ह…” सिसक रही थी। पापा ने मेरे पुट्ठों को कसके पकड़ा और धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। मेरी गांड से “पट-पट” और “चप-चप” की आवाजें आ रही थीं। मैं दर्द और सुख के बीच झूल रही थी। पापा का लंड मेरी गांड में गहरे तक जा रहा था, और मुझे एक अजीब सी गर्मी महसूस हो रही थी।
कुछ देर बाद मेरी गांड रवां हो गई। पापा अब तेजी से धक्के मार रहे थे। मेरी गांड से गंदी-गंदी आवाजें आ रही थीं, और मुझे अब दर्द की जगह सुख मिल रहा था। मैं “आह्ह… ओह्ह… पापा… और जोर से…” चीख रही थी। पापा ने मेरे पुट्ठों को थपथपाया और कहा, “मेरी रंडी बेटी, तेरी गांड तो स्वर्ग है।”
पापा ने 30 मिनट तक मेरी गांड चोदी। हर धक्के के साथ मेरी गांड से “पट-पट” और “चप-चप” की आवाजें आ रही थीं। मेरे पुट्ठे उनके धक्कों से लाल हो गए थे। पापा का लंड मेरी गांड में पूरी तरह समा गया था, और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी और दुनिया में हूँ। अचानक मेरी गांड से एक और जोरदार “पट” की आवाज आई, और पापा का लंड थोड़ा गंदा हो गया। मैं शरमा गई, लेकिन पापा ने हँसते हुए कहा, “बेटी, ये तो चुदाई का असली मजा है।” उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड में फिर से डाला और चोदना जारी रखा।
आखिरकार, पापा ने मेरी गांड में माल छोड़ दिया। उनका गर्म माल मेरी गांड में भर गया, और मैं “आह्ह्ह… ओह्ह…” सिसकते हुए लेट गई। पापा मेरे ऊपर लेट गए, और हम दोनों कुछ देर तक चिपके रहे।
दोस्तों, आपको ये चुदाई की कहानी कैसी लगी? अपने विचार नीचे कमेंट में जरूर बताएं।
Key terms for this story: Desi chudai, beti ki chudai, papa beti sex, Hinglish sex story, adult kahani, incest kahani, chudai ki vidya, gaand chudai, Indian adult story, desi sex story, father-daughter fiction, explicit Hindi story, adult comic content, Hinglish erotica, anal sex story