सविता भाभी की नेपाल में चुद गयी

मेरा नाम पुष्कर है। मैं नेपाल सरकार में बड़े ओहदे पर हूँ। मेरी पोस्टिंग नेपाल के मस्त शहर पोखरा में है। सरकारी काम के चक्कर में मुझे बार-बार काठमांडू जाना पड़ता है। मेरे साथ मेरा परिवार है—मेरी रंडी बीवी मधु और हमारी तीन साल की बेटी। मैं 35 का हूँ, और मधु 30 की। मैं एक नंबर का चुदक्कड़ मर्द हूँ। मेरा लंड 8 इंच का है, मोटा, कड़क, और किसी भी चूत को फाड़ने वाला। शादी से पहले मेरी जिंदगी में कई रंडियाँ और जवान लड़कियाँ आईं, और शादी के बाद भी ये सिलसिला थमा नहीं।

चुदाई के मामले में मैं बिल्कुल बिंदास हूँ। शादीशुदा होने के बावजूद मेरे लंड को नई-नई चूतों की तलाश रहती है। किसी को बिस्तर पर पटकने में मुझे जरा भी शरम नहीं। मेरी बीवी मधु भी चुदक्कड़ी में मुझसे कम नहीं। वो हर रात मेरे लंड की सवारी करती है। “आह्ह… पुष्कर, और जोर से पेल… उफ्फ… मेरी चूत में आग लगी है!” वो चिल्लाती है। “फच… फच… फच…” मेरे धक्कों की आवाज कमरे में गूँजती है। मैं एक बार झड़ता हूँ, तो उसकी चूत चार-पाँच बार पानी छोड़ देती है। मधु औरत-मर्द के रिश्तों में थोड़ी पुरानी सोच रखती है, लेकिन मैं तो बिल्कुल खुला दिमाग वाला ठरकी हूँ। फिर भी, हम पति-पत्नी में जबरदस्त पटती है। मुझे लगता था कि हम एक-दूसरे से कुछ नहीं छिपाते। लेकिन जब मधु की चुदक्कड़ सहेली सविता भाभी मेरी जिंदगी में आई, तो मेरे सारे भ्रम टूट गए।

सविता ने मधु के ऐसे गंदे राज खोले कि मैं दंग रह गया। मैं मधु को सीधी-सादी समझता था, ये सोचकर कि उसकी चूत सिर्फ मेरे लंड के लिए तड़पती है। लेकिन सविता ने जब मधु के रंडीपने की कहानियाँ सुनाईं, तो मैं समझ गया कि औरत की चूत का कोई भरोसा नहीं। मुझे इस बात का जरा भी मलाल नहीं कि मधु की चूत में गैर मर्दों के लंड गए, क्योंकि मेरा लंड भी तो कई चूतों का मजा ले चुका है। लेकिन ये बात उसकी सहेली से सुनकर मुझे झटका लगा।

हमारे पड़ोस में एक नेपाली परिवार रहता था। धुमन, 40 साल का एक पतला-सा चूतिया, और उसकी 36 साल की रंडी बीवी सविता। मैं पोखरा में दो साल पहले आया, लेकिन धुमन यहीं का पुराना ठरकी है। उनके कोई बच्चे नहीं, फिर भी वो दोनों अपने चुदक्कड़पने में मस्त रहते हैं। धुमन भी सरकारी नौकरी में है और महीने में 20 दिन काठमांडू में मुठ मारता रहता है। जब हम उनके पड़ोस में आए, तो मधु और सविता की दोस्ती हो गई। सविता को हमारी बेटी से बड़ा प्यार था, शायद इसलिए कि उसकी अपनी कोख सूनी थी। धीरे-धीरे मधु और सविता ऐसी चुदक्कड़ सहेलियाँ बन गईं कि एक-दूसरे की चूत की गर्मी तक बाँटने लगीं।

मैं सविता को सविता भाभी बुलाता था। वो अक्सर हमारे घर आती, और मैं मधु के सामने ही उससे गंदा मजाक करता। “भाभी, तेरी गांड तो ऐसी है कि लंड पैंट फाड़ दे!” मैं हँसते हुए कहता। वो बुरा नहीं मानती, बल्कि चहककर जवाब देती, “भैया, तू भी कम ठरकी नहीं! मेरी चूत को देख ले, तो मुठ मारने लगेगा!” सविता भाभी एकदम गोरी-चिट्टी, भरे बदन वाली मस्त रंडी थी। पहाड़ी औरतों की तरह गोल चेहरा, छोटा कद, और चूचियाँ ऐसी कि लंड तुरंत सलामी दे। मैं हमेशा सोचता कि सविता भाभी की चूत और गांड जमकर मारूँ, और उसे मधु की तरह अपनी पर्सनल रंडी बना लूँ। मेरी फंतासी थी कि दोनों रंडियों को एक साथ बिस्तर पर पटकूँ और उनकी चूत और गांड फाड़ दूँ।

आखिरकार मौका मिल ही गया। ऑफिस से खबर आई कि मुझे अगले दिन काठमांडू जाना है। मैं शाम को घर पहुँचा। सविता भाभी उस वक्त घर पर थी। मैंने मधु और सविता के सामने बता दिया, “कल रात की बस से मुझे 3-4 दिन के लिए काठमांडू जाना है।” सविता भाभी थोड़ी देर बाद अपने घर चली गईं। उस रात मैंने मधु की चूत जमकर रगड़ी। “आह्ह… पुष्कर, और जोर से… उफ्फ… मेरी चूत फाड़ दे… हाय!” मधु चिल्ला रही थी। “फच… फच… फच…” मेरे लंड के धक्कों की आवाज कमरे में गूँज रही थी। उसने पूरे जोश में चुदवाया, क्योंकि अगले कुछ दिन हमें अलग रहना था। “ओह्ह… और पेल… मेरी चूत में आग लग रही है!” वो सिसकार रही थी।

अगले दिन मैं ऑफिस से दोपहर में घर आ गया। मधु ने चहकते हुए कहा, “पुष्कर, तेरे लिए एक धमाकेदार खुशखबरी है। बोल, क्या इनाम देगा?” मैंने हँसकर पूछा, “पहले बता, क्या चक्कर है?” वो बोली, “दिल थाम के सुन। सविता भाभी भी तेरे साथ काठमांडू जाना चाहती है। उसका चूतिया पति वहाँ बीमार है, और वो उसे देखने जाएगी। हाँ, और वो तेरे साथ ही वापस आएगी।”

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मेरा लंड तो खुशी से पैंट में नाचने लगा, लेकिन मैंने अपनी ठरक छिपाते हुए कहा, “इसमें खुशखबरी क्या है? रोज ढेर सारी बसें काठमांडू जाती हैं। ठीक है, तेरी रंडी सहेली है, पड़ोसी है, तो मैं उसे उसके मर्द के पास छोड़ दूँगा। वो खुश, तू खुश, और उसका पति भी खुश, जो वहाँ मुठ मार रहा होगा। लेकिन मेरा क्या? बाद में मत कहना कि मुझे भी मुठ मारनी पड़े।” मधु मेरे पास सटकर हँसी और बोली, “चल ठरकी, मैं कोई जुगाड करूँगी।”

तभी दरवाजे की घंटी बजी। मधु ने खोला तो सविता भाभी थीं। वो अंदर आईं और मुझे देखकर बोलीं, “क्या भैया, गलत टाइम पर तो नहीं आ गई? तू अपनी रंडी बीवी की चूत चोदने की सोच रहा था क्या?” मैंने हँसकर कहा, “नहीं भाभी, तू तो बिल्कुल सही टाइम पर आई। आज रात तेरी चूत का भी इंतजाम हो जाएगा।”

रात 9 बजे हमारी बस खुली। 11 बजे तक बस की लाइट्स बंद हो गईं, और बस पहाड़ी रास्तों पर हिचकोले खाती काठमांडू की ओर बढ़ रही थी। सविता भाभी मेरी बगल वाली सीट पर थी। बस के झटकों से हमारे बदन आपस में रगड़ रहे थे। “उफ्फ… भाभी, तेरी चूचियाँ तो मेरी कोहनी को पागल कर रही हैं,” मैंने मन में सोचा। मेरा लंड पैंट में कड़क हो गया। थोड़ी देर बाद सविता भाभी को नींद आने लगी, और उनका सिर मेरे कंधे पर टिक गया। उनकी भारी चूचियाँ मेरी कोहनी से टकरा रही थीं। “आह्ह… कितनी रसीली हैं,” मैंने सिसकारी भरी।

मैंने हल्के-हल्के अपनी कोहनी उनकी चूचियों पर दबाई। वो सोती रहीं, कोई हरकत नहीं की। मेरी हिम्मत बढ़ गई। आखिर वो मेरी बीवी की चुदक्कड़ सहेली थी। मैं उसे घर में साली साहिबा कहकर छेड़ता था, तो मैंने सोच लिया कि अब तो चूत मारनी है। मैंने अपने हाथ क्रॉस किए और उनकी एक चूची पकड़ ली। वो वैसे ही सोती रहीं। मैंने हल्के-हल्के उनकी चूची दबाई। “उफ्फ… कितनी मुलायम चूचियाँ हैं,” मैंने सोचा।

बस में अंधेरा था, सिर्फ “घर्र-घर्र” की आवाज आ रही थी। मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को तड़प रहा था। मैंने बड़ी मुश्किल से उसे काबू किया। सविता भाभी मेरे कंधे पर सिर रखे सो रही थीं। मैंने हिम्मत जुटाई और अपना हाथ उनकी ब्लाउज में सरका दिया। उनकी भारी चूची को मैंने कसकर पकड़ा। जैसे ही मैंने जोर से दबाया, सविता भाभी बोलीं, “आह्ह… भैया, इतने जोर से मत दबा, चूची दुख रही है!” मैं तो सुनकर पागल हो गया। अपनी ठरक रोक नहीं पाया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। “उफ्फ… भाभी, तू तो पूरी रंडी है,” मैंने कहा।

उन्होंने एक हाथ मेरी पैंट पर मेरे लंड पर रखा और उसे जोर-जोर से मसलने लगीं। “आह्ह… भाभी, ये क्या कर रही है… मेरा लंड तो फट जाएगा,” मैंने सिसकारी ली। मैंने उनकी साड़ी थोड़ी ऊपर उठाई और हाथ अंदर डाला। मेरा हाथ उनकी चूत के घने बालों से टकराया। “हाय… भाभी, तेरी चूत तो तैयार है!” मैंने कहा। जैसे ही मैंने उनकी चूत में उंगली डालने की कोशिश की, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं, “अरे ठरकी, ऐसे नहीं, कोई देख लेगा। पहले चादर ओढ़ ले।” फिर उन्होंने अपनी बैग से एक चादर निकाली और उसे ओढ़ लिया।

मैंने फिर उनकी चूची पर हाथ रखा और ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगा। वो बोलीं, “अरे भैया, ब्लाउज का हुक खोल, चूचियाँ ठीक से मसल, मेरी चूत में आग लग जाएगी।” मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोले। अंदर ब्रा नहीं थी। उनकी चूचियाँ फुदककर बाहर आ गईं। “हाय… क्या मस्त चूचियाँ हैं, भाभी!” मैंने कहा। उन्होंने चादर मेरे ऊपर भी डाल दी। अब हम दोनों एक चादर में लिपटे थे, और बाहर से कुछ पता नहीं चल रहा था।

उन्होंने मेरी पैंट की चेन खोली, जांघिया साइड किया और मेरा लंड आजाद कर दिया। “आह्ह… भाभी, तू तो पूरी रंडी निकली!” मैंने कहा। वो बोलीं, “चुप ठरकी, अब देख मेरे रंडीपने का जलवा।” वो ऐसे लेटीं जैसे नींद में हों, और उनका मुँह मेरे लंड के पास था। अगले आधे घंटे तक वो मेरा लंड चूसती रहीं। “आह्ह… ओह्ह… भाभी, क्या चूस रही है… उफ्फ… मेरा लंड पागल हो रहा है!” मैं सिसकार रहा था। “चप… चप… चप…” उनके चूसने की आवाज गूँज रही थी। आखिरकार मैं उनके मुँह में झड़ गया। “हाय… भाभी, तूने तो सारा माल पी लिया!” मैंने कहा। उन्होंने मेरा सारा रस गटक लिया। फिर मैंने उनकी चूत में उंगली डालकर उनकी आग ठंडी की। “आह्ह… पुष्कर, और जोर से… उफ्फ… मेरी चूत में आग लग रही है!” वो चिल्ला रही थीं। “फच… फच…” मेरी उंगलियों की आवाज गूँज रही थी। हम दोनों चादर में लिपटे सो गए।

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सुबह 4 बजे बस काठमांडू पहुँची। मैंने कहा, “सविता भाभी, किसी लॉज में चलें? थोड़ा चूत-गांड का खेल हो जाए, फिर तू अपने चूतिया पति के पास चली जाना।” वो बोलीं, “चल ठरकी, मेरी चूत भी लंड माँग रही है।” मैंने एक अच्छे होटल में डबल बेड रूम लिया। कमरे में पहुँचते ही सविता भाभी बाथरूम की ओर भागीं। जैसे ही वो दरवाजा बंद करने लगीं, मैं भी उनके साथ घुस गया। वो हड़बड़ाकर बोलीं, “अरे ठरकी, मुझे मूतना है, बाहर निकल!” मैंने कहा, “नहीं रंडी, मैं तेरी गोरी गांड मूतते हुए देखना चाहता हूँ।”

वो रात भर की बस यात्रा से भरी थीं। उन्होंने साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठाया, अपनी फूली हुई गोरी गांड मेरी तरफ की और “स्स्स्स्स्स्स्स…” की आवाज के साथ मूतने लगीं। “हाय… भाभी, तेरी गांड तो लंड के लिए तड़प रही है!” मैंने कहा। मैं गर्म हो उठा। कमरे में आते ही मैंने उनकी साड़ी फेंकी, ब्लाउज खोला, और पेटीकोट खींच दिया। ब्रा और पैंटी तो उन्होंने पहनी ही नहीं थी। मेरे सपनों की रंडी सविता भाभी अब मेरे सामने पूरी नंगी थी। “हाय… भाभी, तू तो जन्नत की रंडी है!” मैंने कहा।

जैसे ही मैंने उनकी चूची पकड़ी, वो बोलीं, “अरे ठरकी, पहले अपने कपड़े तो उतार।” मैं फटाफट नंगा हो गया। मैंने सविता भाभी को चित लिटाया और उनके मुँह के दोनों तरफ घुटने मोड़कर बैठ गया। मेरा लंड उनके मुँह के सामने था, और उनकी रसीली चूत मेरे चेहरे के सामने थी। उन्होंने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं। “आह्ह… भाभी, क्या चूस रही है… उफ्फ… मेरा लंड फट जाएगा!” मैं चिल्लाया। मैंने उनकी चूत में जीभ डाल दी। “फच… फच…” मेरी जीभ की आवाज गूँज रही थी। “आह्ह… पुष्कर, और चाट… मेरी चूत पागल हो रही है… ओह्ह…” वो सिसकार रही थीं।

वो बोलीं, “अब चाटना बंद कर, अपना लंड मेरी चूत में पेल। बस से ही मेरी चूत तड़प रही है।” मैं उनकी टाँगों के बीच आया और उनकी गुलाबी चूत में अपना 8 इंच का लंड एक झटके में पेल दिया। “आह्ह… धीरे ठरकी, मेरी चूत फट जाएगी!” वो चीखीं। मैंने कहा, “सविता भाभी, मैं तेरी चूत मारने का सपना बरसों से देख रहा था। डरता था कि कहीं तू नाराज न हो जाए।” वो बोलीं, “नाराज? अरे, मैं तो तेरे लंड के लिए तड़प रही थी। मधु ने बताया था कि तू घंटों चोदता है। उसकी चूत तो चार-पाँच बार झड़ जाती है। मेरा चूतिया पति तो लंड डालते ही झड़ जाता है। आज मेरी चूत की प्यास बुझा दे।”

मैंने कहा, “आज मैं तेरी चूत और गांड का ऐसा हाल करूँगा कि तू मेरा लंड जिंदगी भर याद रखेगी।” वो बोलीं, “बकवास मत कर, जोर-जोर से पेल। मेरी चूत में लंड डाल!” मैंने चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी। “फच… फच… फच…” मेरा लंड उनकी चूत में पिस्टन की तरह चल रहा था। “आह्ह… और जोर से… उफ्फ… मेरी चूत फाड़ दे… ओह्ह… हाय…” वो चिल्ला रही थीं। “हाँ… और पेल… मेरी चूत की आग बुझा… मैं प्यासी हूँ… आह्ह…” वो तड़प रही थीं। उनकी चूत रस से लबालब थी।

वो सुस्त पड़ गईं, लेकिन मैं उनकी चूत में “फच… फच…” धक्के मारता रहा। उनकी चूत इतनी चिकनी थी कि मेरा लंड बार-बार स्लिप हो रहा था। मैंने लंड उनकी गांड के छेद पर टिकाया। वो बोलीं, “हाय, गांड में मत डाल, दुखेगा!” मैंने कहा, “प्लीज भाभी, एक बार तेरी गांड मारने दे। मधु मुझे अपनी गांड नहीं मारने देती।” मैंने आगे कहा, “मुझे हमेशा से तेरी गोरी गांड मारने का मन था।” वो बोलीं, “अच्छा ठरकी, तुझे मधु की गांड की बात कैसे पता? सुन, पहले मेरी गांड मार, फिर बताती हूँ।”

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मेरा लंड और उनकी गांड दोनों चूत के रस से चশ্লিপ हो चुके थे। मैंने धीरे-धीरे उनका पेटीकोट ऊपर उठाया, उनकी गांड को चूमने लगा। “आह्ह… पुष्कर, क्या कर रहा है… उफ्फ…” वो सिसकारी। फिर मैंने उनका ब्लाउज खोला, उनकी चूचियाँ नंगी कर दीं। “हाय… भाभी, तेरी चूचियाँ तो लंड खड़ा कर देती हैं!” मैंने कहा। मैं उनकी गांड में लंड डालने की कोशिश की। वो बोलीं, “रे ठरकी, धीरे… गांड फट जाएगी!” लेकिन मैंने उनकी चिकनी गांड में लंड पेल दिया। “फच… फच…” 15 मिनट तक मैं उनकी गांड मारता रहा और आखिरकार उनके अंदर झड़ गया। “आह्ह… भाभी, तेरी गांड तो जन्नत है!” मैंने कहा।

वो हाँफते हुए बोलीं, “तुझे मधु की गांड की बात कैसे पता? सुन, एक दिन तू कहीं गया था, मेरा पति भी नहीं था। मुझे अकेले सोने में डर लग रहा था, तो मैं मधु के पास सोने चली गई। रात को मधु ने मेरी चूचियाँ दबाईं, मेरी नींद खुल गई। मैंने कहा, ‘रंडी, ये क्या कर रही है?’ उसने हँसकर कहा, ‘सोच रही हूँ कि मेरा पति तेरी चूत चोदने का ख्वाब क्यों देखता है।’ फिर उसने मेरा पेटीकोट खोल दिया। साड़ी तो मैं पहले ही उतार चुकी थी। पैंटी भी नहीं थी। उसने मेरा ब्लाउज और ब्रा खोल दिया। फिर वो मेरी चूचियाँ चूसने और मसलने लगी।”

“उसके हाथ मेरी चूत पर आए। वो मेरी फुद्दी जोर-जोर से मसलने लगी। मैं भी उसकी चूचियाँ मसलने लगी। उसने कहा, ‘कपड़ों के ऊपर से क्या मजा आएगा, खोलकर मसल।’ मैंने उसका ब्लाउज, ब्रा, और पेटीकोट उतार दिया। अब हम दोनों नंगी होकर एक-दूसरे की चूचियों और चूत से खेल रही थीं। वो मेरी फुद्दी में उंगलियाँ डाल रही थी, और मैं उसकी चूत खोद रही थी। फिर वो मेरी जाँघों के बीच बैठकर मेरी चूत चाटने लगी। हाय… क्या मजा था! मैंने भी उसकी चूत चाटी। हम दोनों 69 पोजीशन में चूत चाटते रहे।”

“फिर उसने दो मोटे बैंगन लाए। एक मेरे हाथ में दिया और दूसरा मेरी चूत में पेलने लगी। मेरी चूत इतनी गीली थी कि बैंगन आसानी से घुस गया। मैंने भी उसके चूत में बैंगन पेला। ‘आह्ह… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे!’ वो चिल्ला रही थी। हम दोनों एक-दूसरे की चूत को बैंगन से चोदते रहे। करीब एक घंटे बाद हम थककर एक-दूसरे की नंगी बाहों में सो गईं। सोने से पहले उसने तेरे लंड और चुदाई के किस्से सुनाए। उसी दिन से मैं तेरे लंड के लिए पागल थी। मधु ने वादा किया था कि वो मुझे तुझसे चुदवाएगी, लेकिन बात टलती रही। आज जाकर मौका मिला।”

मैंने कहा, “कैसी लगी मेरी चुदाई, रंडी?” वो बोलीं, “हाय ठरकी, तेरा लंड तो चूत फाड़ने वाला है। एक बार और चोदेगा मेरी चूत और गांड?” मैंने कहा, “क्यों नहीं, मेरी रंडी!” और हमारी चुदाई फिर शुरू हो गई। “फच… फच… आह्ह… ओह्ह… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे!” कमरा हमारी सिसकारियों और धक्कों की आवाज से गूँज रहा था।

काठमांडू पहुँचते ही मैं सविता भाभी की चूत और गांड में दो बार झड़ चुका था। होटल के कमरे में आए एक घंटा बीत चुका था। चुदाई के बाद मुझे गहरी नींद आ गई। मैं सुबह 9 बजे तक सोता रहा। जब उठा, तो सविता भाभी ड्रेसिंग टेबल पर मेकअप कर रही थीं। उन्होंने लाल साड़ी पहनी थी, जिसके साथ हल्का लाल ब्लाउज था। उनकी ब्रा के पत्ते साफ दिख रहे थे। “हाय भाभी, तू तो आज फिर चुदने को तैयार है!” मैंने कहा।

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