पड़ोसनी भाभी मेरे साथ डेट पर गयी, फिर….

मेरा नाम दिव्यांशु है। मैं दिल्ली के एक आम से मोहल्ले में रहता हूँ, जहाँ गलियों में बच्चों की चहल-पहल और शाम को चाय की दुकानों पर गपशप का माहौल रहता है। उम्र 22 साल, इंजीनियरिंग का स्टूडेंट हूँ, और जिम में थोड़ा-बहुत पसीना बहाकर बॉडी को शेप में रखने की कोशिश करता हूँ। मेरा कद 5 फीट 10 इंच, रंग सांवला, और चेहरा ऐसा कि कॉलेज की लड़कियाँ तो ज्यादा भाव नहीं देतीं, पर पड़ोस की भाभियाँ और आंटियाँ कभी-कभी “हैंडसम” कहकर हौसला बढ़ा देती हैं। मेरे फ्लैट के बगल में सुनील भैया और उनकी पत्नी रीना भाभी रहते हैं। दोनों बनारस के हैं, और दिल्ली में पिछले चार साल से सेटल हैं। सुनील भैया 30 साल के, एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं। कद 6 फीट, गठीला बदन, दाढ़ी-मूँछ में बनारसी ठाठ, और बातचीत ऐसी कि सामने वाला दो मिनट में उनका मुरीद हो जाए। रीना भाभी 26 की हैं, और उनका फिगर देखकर किसी का भी दिल धड़क जाए। गोरी-चिट्टी, 5 फीट 5 इंच की हाइट, काले घने बाल जो कमर तक लहराते हैं। उनकी आँखें गहरी और चंचल, बूब्स गोल और टाइट, गांड उभरी और मटकती, और जांघें इतनी चिकनी कि बस छूने का मन करे। साड़ी में उनकी नाभि तो ऐसी दिखती है कि मन करता है, उसे चूमते हुए सारी रात गुजर जाए।

मैं भैया-भाभी से खूब घुलता-मिलता हूँ। सुनील भैया मुझे “दिव्यांशु जी” कहते हैं, जैसे कोई बनारसी अंदाज में ठिठोली कर रहा हो। भाभी मुझे “दिव्यांशु भैया” बुलाकर हल्का-सा छेड़ती हैं। हम तीनों की दोस्ती गजब की है। कभी उनके घर बनारसी खाने का मजा, कभी मेरे फ्लैट में चाय पर गप्पें। भाभी की बनाई मालपुआ और दाल-बाटी खाकर मैं तो उनका कायल हो गया। लेकिन सच कहूँ, भाभी की अदाएँ और खूबसूरती मुझे रातों को सोने ना देती थीं। जब वो साड़ी में अपनी नाभि फ्लॉन्ट करतीं, या चुन्नी सरकने पर उनके बूब्स की क्लीवेज दिखती, तो मेरा लंड तुरंत तन जाता। कई बार बाथरूम में उनकी नाभि, उनकी मटकती गांड, और टाइट बूब्स को सोचकर मूठ मारता। उनकी हर हँसी, हर नजर मुझे बेकरार कर देती थी। क्या करूँ, भाभी की जवानी ही ऐसी थी कि रोक पाना मुश्किल था।

एक दिन की बात है। मैं जिम से लौटा, पसीने से तर, और टाइट टी-शर्ट में मेरे बाइसेप्स थोड़े उभरे हुए थे। भाभी नीचे गलियारे में टहल रही थीं। मुझे देखकर बोलीं, “अरे, दिव्यांशु भैया, क्या बात है? आजकल तो बड़े बॉडीमैन लग रहे हो। जिम में कितना वजन उठा रहे हो?” मैंने हँसकर कहा, “हाँ, भाभी, कोशिश तो कर रहा हूँ। क्या करूँ, कॉलेज में कोई लड़की लिफ्ट नहीं करती, सोचा बॉडी बनाकर मौका मारूँ।” भाभी ने जोर से हँसते हुए कहा, “अरे, बॉडी से क्या होता है? लड़की को पटाने का स्टाइल चाहिए। स्टाइल हो, तो कोई भी फिदा हो जाए।” मैंने मजाक में बोल दिया, “अच्छा, भाभी? तो क्या आप भी फिदा हो सकती हैं?” वो हँस पड़ीं और बोलीं, “क्यों नहीं? बस सही टाइम और सही लड़का चाहिए।” उनकी बात में एक शरारत थी, और मेरे दिल में एक अजीब सी सनसनी दौड़ गई। मैंने सोचा, ये तो मजाक है, लेकिन मन में कहीं एक खयाल जागा कि शायद…

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उसके बाद जब भी भाभी से मिलता, और भैया आसपास ना होते, तो मैं हँसते हुए कहता, “भाभी, डेट पर चलो ना?” वो भी हँसकर टाल देतीं, “जा, बकवास मत कर!” लेकिन उनकी हँसी में एक अलग सी मस्ती थी, जैसे मेरी बातें उन्हें गुदगुदा रही हों। ये मजाक चलता रहा, और मेरे मन में भाभी के लिए हवस बढ़ती गई। मैं रातों को उनके बारे में सोचता, उनकी नाभि को चूमने के खयालों में खो जाता।

फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी दुनिया ही बदल गई। भैया अपनी माँ की तबीयत खराब होने की वजह से बनारस गए थे। उस रात, करीब 8:30 बजे, मेरे दरवाजे पर खटखट हुई। मैं टीवी देख रहा था, सोचा कौन आया होगा। दरवाजा खोला तो भाभी खड़ी थीं। टाइट ब्लू जींस और व्हाइट टॉप में वो किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थीं। लाल लिपस्टिक, काजल से सजी आँखें, और खुले बाल जो उनके कंधों पर लहरा रहे थे। वो बोलीं, “चल, दिव्यांशु, आज डेट पर चलते हैं।” मैं तो सन्न रह गया। मेरे मुँह से बस निकला, “क…क्या, भाभी? सच में?” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “हाँ, बिल्कुल। अब जल्दी तैयार हो, टाइम बर्बाद मत कर।” मैंने कहा, “बस 15 मिनट, मैं अभी आया।”

मैं बाथरूम में घुसा, जल्दी से नहाया, अपनी सबसे अच्छी ब्लैक शर्ट और जींस पहनी, और थोड़ा परफ्यूम लगाया। मन में एक अजीब सा तूफान था—खुशी, घबराहट, और कुछ होने की उम्मीद। भाभी अपनी कार ड्राइव कर रही थीं। रास्ते में बोलीं, “बता, कहाँ जाना है?” मैंने कहा, “चलो, सिटी पार्क होटल में डिनर कर लेते हैं।” वो मान गईं। होटल पहुँचकर हमने एक कोने की टेबल ली, जहाँ लाइट हल्की थी और माहौल थोड़ा रोमांटिक। मैंने मटन करी और नान ऑर्डर किया, भाभी ने पनीर बटर मसाला और तंदूरी रोटी मँगवाई। फिर मैंने एक व्हिस्की का पेग ऑर्डर किया और भाभी से पूछा, “आप क्या लोगी?” वो बोलीं, “मैं वोडका ट्राई करूँगी।” हमने एक-एक पेग लिया, फिर दूसरा, और तीसरा। नशा अब दिमाग पर चढ़ रहा था। मेरे गाल गर्म हो रहे थे, और भाभी की आँखें और चंचल।

मैंने पूछा, “भाभी, आप तो पहले कभी पीती नहीं दिखीं। ये कब से?” वो हल्का सा हँसीं और बोलीं, “जब मन बेचैन हो, तो थोड़ा पी लेना पड़ता है।” मैंने पूछा, “बेचैनी की क्या बात?” वो थोड़ा रुककर बोलीं, “सच बताऊँ, मेरी शादीशुदा जिंदगी वैसी नहीं, जैसी मैंने सोची थी। सुनील को काम से फुर्सत नहीं। और… और वो बेडरूम में भी ज्यादा वक्त नहीं देते। लेकिन मेरे अंदर तो आग सी जलती है।” उनकी बात सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “भाभी, अगर आप कहें, तो मैं उस आग को थोड़ा ठंडा कर सकता हूँ।” वो मेरी तरफ देखकर बोलीं, “हाँ, इसलिए तो तुझसे मिलने आई हूँ। आज रात मुझे वो सब दे, जो मैं तरस रही हूँ।”

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हमने बिल पे किया और होटल से निकले। भाभी ने मेरी बाँह पकड़ी, और मैंने उनकी कमर। उनकी गांड का मटकना मुझे पागल कर रहा था। कार के पार्किंग में अँधेरा था। हम अंदर बैठे, और मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो मेरे बाल पकड़कर मुझे चूमने लगीं। उनकी साँसें गर्म थीं, और वो मेरे गाल, गर्दन, और कंधे चूम रही थीं। मैंने उनके टॉप के अंदर हाथ डाला, उनकी ब्रा के ऊपर से बूब्स दबाए। वो सिसकारी, “आआह… और जोर से, दिव्यांशु…” मैंने उनकी ब्रा का हुक खोलने की कोशिश की, लेकिन नशे में हाथ काँप रहे थे। वो हँस पड़ीं और बोलीं, “रुक, मैं खोल देती हूँ।” फिर वो बोलीं, “मेरी चूत और गांड आज तेरे लिए खुली हैं। जो करना है, कर ले।”

हम भाभी के घर पहुँचे। रात के 11:30 बज चुके थे। दरवाजा लॉक करते ही हम बेडरूम में घुसे। नशे में हम एक-दूसरे पर टूट पड़े। मैंने उनका टॉप उतारा, फिर ब्रा। उनके गोरे बूब्स और गुलाबी निप्पल देखकर मेरा लंड पैंट में तड़पने लगा। भाभी ने मेरी शर्ट के बटन खोले, मेरी जींस उतारी, और मेरा 7 इंच का लंड देखकर बोलीं, “हाय, इतना मोटा! ये तो मेरी चूत को चीर देगा।” मैंने उनकी जींस और पैंटी उतारी। उनकी चूत के आसपास हल्के काले बाल थे, जो उनके गोरे बदन पर और सेक्सी लग रहे थे। उनकी काँख में भी हल्के बाल थे, जिनकी खुशबू ने मुझे और दीवाना किया।

मैं उनके पैरों के बीच बैठा। उनकी चूत को फैलाकर जीभ से चाटने लगा। चूत गीली और गर्म थी, और उसका स्वाद नमकीन। भाभी सिसकार रही थीं, “आआह… उफ्फ्फ… और चाट… मेरी चूत को चूस ले!” वो मेरे सिर को चूत में दबा रही थीं, और कभी कमर उछालकर मेरे मुँह पर चूत मारतीं। मैं उनकी चूत को चूसता रहा, और वो “आआह… ओह्ह…” करती रहीं। फिर हम 69 पोज में आए। भाभी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं, उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी। मैं उनकी चूत चाट रहा था, और उसका पानी मेरे मुँह में आ रहा था।

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15 मिनट बाद भाभी बोलीं, “अब डाल दे, मेरी चूत तरस रही है।” उन्होंने अपने बूब्स मेरे मुँह में डाले, “चूस इन्हें।” मैं उनके निप्पल चूसने लगा, जो सख्त हो चुके थे। मैंने उनकी चूत पर लंड रखा, जो पूरी गीली थी। एक जोरदार धक्का मारा, और “पच…” की आवाज के साथ लंड अंदर गया। भाभी चिल्लाईं, “हाय… कितना मोटा है… धीरे कर!” मैंने धक्के मारना शुरू किया। “पच… पच… पच…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। भाभी गंदी बातें कर रही थीं, “हाँ, और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे… चोद मुझे!”

मैं पहली बार चुदाई कर रहा था, थोड़ा अनाड़ी था। लेकिन भाभी ने मुझे पोजीशन सिखाए। वो मेरे ऊपर चढ़कर उछलने लगीं, फिर डॉगी स्टाइल में बोलीं, “पीछे से डाल!” मैंने उनकी गांड पकड़ी और चूत में लंड पेल दिया। डेढ़ घंटे तक मैं उनकी चूत चोदता रहा। फिर मैंने उनकी गांड की तरफ देखा। वो टाइट थी। मैंने उनकी चूत का पानी लंड पर लगाया और धीरे-धीरे गांड में डालने की कोशिश की। भाभी चिल्लाईं, “आआह… धीरे, मेरी गांड फट जाएगी!” लेकिन मैंने लंड अंदर पेल दिया। “पच… पच…” की आवाज उनकी गांड से आने लगी। वो दर्द और मजा दोनों में सिसकार रही थीं, “चोद… मेरी गांड को भी चोद!”

ये रात सुबह 6 बजे तक चली। हम झड़ते, थोड़ा रुकते, ड्राई फ्रूट्स खाते, और फिर शुरू हो जाते। भाभी हर बार बोलतीं, “और जोर से… मेरी चूत को सूजा दे!” उनकी गंदी बातें मुझे और उत्तेजित करतीं। सुबह हम थककर लेट गए। भाभी मेरे सीने पर सर रखकर बोलीं, “दिव्यांशु, तूने मुझे वो मजा दिया, जो मैंने सालों से नहीं लिया।” मैंने कहा, “भाभी, आपकी जवानी ने तो मुझे मार डाला।” हम हँसे, और थोड़ी देर बातें कीं।

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