हाय दोस्तों, मेरा नाम है शुभम। मेरी उम्र 21 साल है। मेरा लंड 6.5 इंच का है, और जब वो पूरा खड़ा होता है तो मोटा और सख्त हो जाता है। मेरे घर में मैं, मेरी मम्मी और मेरी दो बहनें हैं। मेरी बड़ी दीदी शुभांगी, जो 26 साल की हैं, उनकी शादी हो चुकी है। वो दिखने में बहुत सुंदर हैं, हल्की सी पतली काया, छोटी हाइट, और उनका फिगर 32-24-30 है। उनकी शादी को दो साल हो चुके हैं। मेरी छोटी दीदी श्रृष्टि 23 साल की हैं, और अभी पढ़ाई के लिए बाहर रहती हैं। मेरी मम्मी मीनाक्षी 44 साल की हैं, और वो घर की रौनक हैं। आज मैं आपको अपनी बड़ी दीदी शुभांगी की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो रक्षाबंधन के मौके पर शुरू हुई। ये कहानी थोड़ी नाजुक है, लेकिन मैं इसे पूरी तरह सच और विस्तार से बताऊँगा, ताकि आपको हर पल का अहसास हो।
बात रक्षाबंधन के दिन की है। छोटी दीदी श्रृष्टि पढ़ाई की वजह से बाहर थी, तो वो नहीं आ पाई। बड़ी दीदी शुभांगी अपने पति, यानी मेरे जीजाजी, के साथ आई थीं। राखी का रस्म पूरा हुआ, सबने खूब हँसी-मजाक किया। मम्मी ने दीदी से कहा कि वो दो-तीन दिन रुक जाएँ। जीजाजी को कुछ काम से जाना था, तो मैंने कहा कि मैं दीदी को बाद में उनके घर छोड़ दूँगा। जीजाजी चले गए, और दीदी हमारे साथ रुक गईं। उस रात हम सबने खूब खाना खाया, देर तक बातें कीं, और फिर सो गए।
अगले दिन सुबह मैं नाश्ता कर रहा था। मम्मी ने कहा कि उन्हें अपनी एक पुरानी सहेली के यहाँ जाना है, जो काफी दिनों से मिली नहीं थीं। मम्मी ने दीदी से भी चलने को कहा, लेकिन दीदी ने मना कर दिया। बोलीं, “मम्मी, मैं थोड़ा थक गई हूँ, तुम जाओ, मैं यहीं रहूँगी।” मैंने मम्मी को उनकी सहेली के घर छोड़ दिया और वापस आ गया। घर पहुँचा तो देखा दीदी पड़ोस में चाचा के यहाँ गई थीं। मैंने फोन किया और पूछा, “दीदी, कब आ रही हो?” दीदी बोलीं, “थोड़ा टाइम लगेगा, शुभम। चाचा के यहाँ कुछ काम है।” मैंने सोचा, घर खाली है, क्यों न मौके का फायदा उठाया जाए।
मैं हॉल में सोफे पर बैठ गया। फोन में एक हॉट पोर्न वीडियो चालू की और लंड बाहर निकालकर हिलाने लगा। पूरा मूड में था, आँखें बंद, लंड को धीरे-धीरे सहलाते हुए। मैं इतना खो गया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि दीदी कब घर आ गईं। अचानक दीदी की आवाज आई, “शुभम, ये क्या कर रहा है तू?” मैं चौंक गया। लंड हाथ में था, पैंट नीचे, और दीदी मेरे सामने खड़ी थीं, गुस्से से मुझे घूरते हुए। मैं डर के मारे काँपने लगा। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोलूँ। दीदी ने मेरी हालत देखी, शायद उन्हें लगा कि मैं बहुत डर गया हूँ। वो मेरे पास आईं और बोलीं, “शांत हो जा, डर मत। बैठ जा।” उन्होंने मुझे एक ग्लास पानी लाकर दिया। मैं नीचे से पूरा नंगा था, और अब भी शर्मिंदगी से मरा जा रहा था।
दीदी मेरे बगल में सोफे पर बैठ गईं। मैंने गौर किया कि वो बार-बार मेरे लंड की तरफ देख रही थीं। पहले तो मैं इतना घबराया हुआ था कि ध्यान नहीं दिया, लेकिन फिर अचानक समझ आया। मैंने झट से पैंट पहन ली। हम दोनों चुपचाप बैठे थे। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ। दीदी भी खामोश थीं। थोड़ी देर बाद मम्मी आ गईं। मैं डर रहा था कि कहीं दीदी मम्मी को कुछ बता न दें, लेकिन दीदी ने कुछ नहीं कहा। सब कुछ नॉर्मल रहा।
रात को खाना खाकर मैं अपने कमरे में सोने चला गया। रात करीब 9:30 बजे दीदी का मैसेज आया।
दीदी: क्या कर रहा है?
मैं: कुछ नहीं, लेटा हूँ। नींद नहीं आ रही। और थैंक्स आज के लिए।
दीदी: कोई बात नहीं। वैसे मुझे तेरी थोड़ी मदद चाहिए।
मैं: बोलो दीदी, आप जो कहो, मैं करूँगा। आपने आज मेरी बहुत मदद की।
दीदी: तू गुस्सा तो नहीं करेगा?
मैं: नहीं दीदी, बिल्कुल नहीं।
दीदी: दोपहर को जब से तेरा लंड देखा, तब से उसी के बारे में सोच रही हूँ। वो आधा खड़ा था, फिर भी इतना बड़ा था। पूरा खड़ा होने के बाद कितना बड़ा होगा?
मैं चौंक गया। दीदी ये क्या बोल रही थीं? मैंने थोड़ा हिम्मत करके जवाब दिया।
मैं: दीदी, ये क्या कह रही हो?
दीदी: प्लीज, तेरा लंड पूरा खड़ा करके उसकी पिक भेज ना।
मैंने सोचा, ये मौका है। क्यों न इसका फायदा उठाया जाए?
मैं: दीदी, सच में देखना चाहती हो?
दीदी: हाँ।
मैं: लेकिन दीदी, लंड खड़ा कैसे करूँ? क्यों न तुम ही आकर इसे खड़ा कर दो? पिक से अच्छा रियल में देख लो।
दीदी: हाँ, ये भी ठीक है। रुक, मैं आती हूँ।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि दीदी इतनी जल्दी मान गईं। कुछ ही मिनटों में दीदी मेरे कमरे में आ गईं। उन्होंने दरवाजा बंद करने को कहा। मैंने कहा, “दीदी, दरवाजा लॉक करके आओ।” दीदी ने दरवाजा लॉक किया और मेरे पास बेड पर बैठ गईं। उन्होंने टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने थे, जो उनके फिगर को और उभार रहे थे। दीदी ने कहा, “दिखा ना अपना लंड।” मैंने धीरे से अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दिया। मेरा लंड अभी पूरी तरह खड़ा नहीं हुआ था।
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दीदी: इसे खड़ा कर ना।
मैं: दीदी, ये तो तुम्हारे बस में है कि इसे कैसे खड़ा करना।
दीदी: मतलब कैसे?
मैं: दीदी, अब इतना भोला मत बनो। ये टी-शर्ट और शॉर्ट्स उतार दो।
दीदी थोड़ा शर्माईं, फिर बोलीं, “लेकिन मैं कैसे…”
मैं: दीदी, अगर इसे खड़ा करना है तो ये सब उतारना पड़ेगा। तभी ये खड़ा होगा।
दीदी: ठीक है।
दीदी ने धीरे-धीरे अपनी टी-शर्ट उतारी, फिर शॉर्ट्स। वो अब ब्लैक ब्रा और ब्राउन पैंटी में थीं। उनकी ब्रा से उनके बूब्स का उभार साफ दिख रहा था। मैंने अपनी शर्ट भी उतार दी और अब दीदी के सामने पूरा नंगा खड़ा था। दीदी को ब्रा-पैंटी में देखकर मेरे लंड में हलचल शुरू हो गई। मैंने कहा, “दीदी, शरमा क्यों रही हो? मेरा लंड पकड़ो और हिलाओ।”
दीदी ने थोड़ा हिचकते हुए मेरा लंड पकड़ा। उनकी उंगलियाँ मेरे लंड पर धीरे-धीरे चलने लगीं। मेरा लंड धीरे-धीरे सख्त और पूरा खड़ा हो गया। मैंने कहा, “देखो दीदी, तुम देखना चाहती थी ना मेरा खड़ा लंड?”
दीदी: हाँ यार, तेरा लंड तो बहुत बड़ा है। और इतना मोटा भी।
मैं: तुम्हें पसंद आया?
दीदी: हाँ, बहुत।
मैं: दीदी, इसे मुँह में लो ना प्लीज।
दीदी ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और बोलीं, “तुझे नहीं लगता ये थोड़ा ज्यादा हो रहा है?”
मैं: दीदी, अब इतना सब हो चुका है। मुँह में लेने में क्या दिक्कत? और तुम्हें मेरे मोटे लंड से मजा नहीं चाहिए?
दीदी: (थोड़ा सोचते हुए) हाँ, मजा तो चाहिए।
मैं: तो दीदी, ज्यादा मत सोचो। आज मैं तुम्हें जन्नत की सैर कराऊँगा।
मैंने दीदी को खड़ा किया और उनके होंठों पर किस करना शुरू किया। दीदी ने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया। उनके होंठ नरम और गर्म थे। मैंने किस करते-करते उनकी ब्रा का हुक खोल दिया। उनकी ब्रा नीचे गिरी, और उनके 32 साइज के बूब्स मेरे सामने थे। गोल, टाइट, और हल्के भूरे निपल्स। मैंने उनके बूब्स को हाथों में लिया और धीरे-धीरे दबाने लगा। दीदी की साँसें तेज हो रही थीं। मैंने उनके गले को चूमा, फिर धीरे-धीरे नीचे आते हुए उनके बूब्स चूसने लगा। दीदी के मुँह से हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं, “उम्म… आह्ह…”
मैंने दीदी को बेड पर लिटा दिया। उनके गले, कंधों, और फिर नाभि को चूमते हुए मैं नीचे की तरफ बढ़ा। दीदी की पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैंने उनकी पैंटी को धीरे से खींचकर उतार दिया। उनकी चूत साफ थी, हल्के-हल्के बाल थे, जो कुछ दिन पहले शेव किए गए लग रहे थे। उनकी चूत गीली और गुलाबी थी, जैसे मुझे बुला रही हो। मैंने दीदी के दोनों पैर फैलाए और उनकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। जैसे ही मेरी जीभ उनकी चूत को छूई, दीदी के मुँह से तेज सिसकारी निकली, “आआह्ह… शुभम… उम्म…” मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया, जीभ को अंदर-बाहर करते हुए। दीदी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… उम्म… और कर… आह्ह…” वो अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगीं।
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थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हुआ। दीदी मेरे सामने घुटनों पर बैठ गईं और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। वो धीरे-धीरे चूसने लगीं। मैंने कहा, “दीदी, पूरा मुँह में लो ना।” दीदी बोलीं, “पूरा नहीं आता, उल्टी आ जाएगी।” मैंने कहा, “ठीक है, जितना ले सकती हो, उतना चूसो।” दीदी ने मेरा लंड आधा मुँह में लिया और चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी। मैंने कहा, “दीदी, इसे और गीला कर दो। मैं इसे तुम्हारी चूत में डालूँगा।” दीदी ने मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटकर पूरा गीला कर दिया।
मैंने दीदी को बेड पर लिटाया। उनके दोनों पैर फैलाए और उनके बीच में बैठ गया। मैंने अपनी उंगलियों से उनकी चूत को सहलाया, फिर उस पर थूक लगाया। अपने लंड पर भी थूक लगाया और उसे दीदी की चूत पर सेट किया। धीरे से अंदर धकेला। मेरा आधा लंड उनकी चूत में चला गया। दीदी ने मेरी कमर को पीछे धकेलने की कोशिश की, लेकिन मैं रुक गया। उनकी आँखें सुख के मारे सफेद हो गई थीं। थोड़ी देर बाद मैंने पूछा, “दीदी, पूरा डाल दूँ?” दीदी ने सिर हिलाया और कहा, “हाँ, डाल दे।” मैंने लंड को थोड़ा पीछे खींचा और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा 6.5 इंच का लंड उनकी चूत में समा गया। दीदी के मुँह से तेज चीख निकली, “आआह्ह… शुभम… दर्द हो रहा है…” लेकिन उनकी आँखों में मजे का भाव साफ दिख रहा था।
मैंने दीदी के दोनों हाथ पकड़े और धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ दीदी की सिसकारियाँ तेज हो रही थीं, “आह्ह… उम्म… धीरे कर… आह्ह…” उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। हर धक्के के साथ “थप… थप…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। दीदी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गईं, “आआह्ह… शुभम… और तेज… उम्म…” मैंने और जोर से धक्के मारने शुरू किए। दीदी की चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। अचानक दीदी ने जोर से चीख मारी, “आआह्ह… निकलने वाला है… आह्ह…” और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उनकी बॉडी काँप रही थी।
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और कहा, “दीदी, अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ।” मैं बेड पर लेट गया। दीदी मेरे ऊपर आईं, मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ा और अपनी चूत में सेट करके धीरे-धीरे बैठ गईं। वो ऊपर-नीचे होने लगीं। मैंने उनके बूब्स पकड़े और दबाने लगा। दीदी की सिसकारियाँ फिर शुरू हो गईं, “उम्म… आह्ह… शुभम… कितना मोटा है तेरा लंड…” मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ दीदी की आवाज तेज हो रही थी, “आआह्ह… और जोर से… उम्म…” मेरा पानी भी निकलने वाला था। मैंने कहा, “दीदी, मेरा निकलने वाला है।” दीदी बोलीं, “अंदर मत निकालना।” वो मेरे ऊपर से उतरीं और मेरा लंड हिलाने लगीं। कुछ ही पलों में मेरा पानी निकल गया। मैंने भी दीदी की चूत में उंगली डालकर उनका पानी निकाल दिया।
हम दोनों नंगे ही बेड पर लेट गए, साँसें तेज चल रही थीं। थोड़ी देर बाद दीदी बोलीं, “मैं अपने कमरे में जा रही हूँ।” उन्होंने अपनी ब्रा, पैंटी, टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने और अपने कमरे में चली गईं। उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई करते।
क्या आपको लगता है कि शुभम और शुभांगी का ये रिश्ता और आगे बढ़ेगा? अपनी राय कमेंट में बताएँ।
Hii
Lucknow se koi h