Iincest Chudai मेरा नाम सचिन साल्वी है। मैं आगरा में बीटेक के सेकंड ईयर में पढ़ता हूँ। मेरा घर मुंबई में है। मेरे पापा सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और सिंगापुर में जॉब करते हैं। वो हर 6-7 महीने में 2-3 दिन के लिए घर आते हैं। मेरी भाभी विद्या का मुंबई में अपना एक बुटीक है, जहाँ वो अकेले रहती हैं। विद्या भाभी बहुत फ्रैंक और खुली सोच वाली हैं। उनका फिगर कमाल का है – 36 इंच की चूचियाँ, 30 इंच की कमर, और 38 इंच की हिप्स। उनकी हाइट 5 फीट 6 इंच है, वजन 55 किलो, और उम्र अभी 24 साल। विद्या भाभी ज्यादातर साड़ी पहनती हैं, और उनकी गहरी नाभि हमेशा दिखती है, जिसमें एक छोटी-सी चेन लटकती रहती है।
हम दोस्तों ने हॉस्टल में एक दिन एक ब्लू फिल्म की सीडी देखी, जिसका नाम था अमेजिंग रिलेशनशिप। ये फिल्म इन्सेस्ट रिलेशनशिप पर थी, जिसमें एक भाभी अपने देवर और उसके दोस्तों से चुदवाती है। ये देखकर हम सात दोस्तों ने मिलकर प्लान बनाया कि इस सेमेस्टर ब्रेक में हम अपनी-अपनी भाभियों को चोदेंगे। हममें से चार दोस्त आगरा के थे, एक जयपुर का, एक दिल्ली का, और मैं मुंबई का। हमने पहले आगरा वाले दोस्तों की भाभियों को मिलकर खूब चोदा। फिर मेरे दोस्तों ने मेरी विद्या भाभी को चोदने का प्लान बनाया। मैं जानता था कि विद्या भाभी आसानी से मान जाएंगी, क्योंकि उनकी चुदाई 6-7 महीने में बस 1-2 दिन होती है, तो उनकी चूत हमेशा प्यासी रहती होगी।
हम सातों दोस्त मुंबई मेरे घर पहुँचे। मैंने डोरबेल बजाई, लेकिन दरवाजा नहीं खुला। मेरे एक दोस्त ने अपनी अँगुली से दरवाजे के कुंडे को खटखटाया। अचानक दरवाजा खुला, और उसकी अँगुली गलती से विद्या भाभी की नाभि में घुस गई। विद्या भाभी के मुँह से “उई” की आवाज निकली, क्योंकि उनकी नाभि पियर्स्ड है, और उसमें एक चेन लटक रही थी। मेरे दोस्त ने शर्माते हुए अपनी अँगुली निकाल ली। विद्या भाभी ने उस दिन हल्की नीली साड़ी पहनी थी, जो उनकी नाभि से नीचे बंधी थी, और उनकी गहरी नाभि साफ दिख रही थी।
हम सब मेरे कमरे में आए। मेरे दोस्त ने मुझे अपनी अँगुली सूँघने को दी, जिसमें विद्या भाभी की नाभि की महक थी। मेरे दोस्त बोलने लगे, “क्या पटाखा भाभी है रे! तूने कभी इसे चोदा नहीं?” मैंने कहा, “मन तो बहुत करता था, लेकिन मौका कभी नहीं मिला।” थोड़ी देर बाद विद्या भाभी कोल्ड ड्रिंक्स लेकर मेरे कमरे में आईं। कोई उनके गुलाबी होंठों को घूर रहा था, कोई उनकी गहरी नाभि को, तो कोई उनकी तनी हुई चूचियों को। मैंने अपने दोस्तों का परिचय कराया, “ये बाबा, जीतू, विपुल, नितिन, नीतू, चेतन, और अजय हैं।” फिर हमने बातें शुरू कीं। विद्या भाभी ने पूछा, “तुम्हारे एग्जाम कैसे हुए?” मैंने कहा, “हर बार की तरह शानदार। हम यहाँ हॉलिडे मनाने आए हैं।” बाबा ने पूछा, “भाभी, आपका बुटीक कैसा चल रहा है?” विद्या भाभी बोलीं, “इस बार सेल थोड़ी ज्यादा है।” जीतू ने पूछा, “भाभी, आपके बुटीक में क्या-क्या मिलता है?” विद्या भाभी ने जवाब दिया, “ज्यादातर औरतों के सामान – अंडरगारमेंट्स, ज्वेलरी, लेडीज़ गारमेंट्स।”
अगले दिन मुझे और मेरे पाँच दोस्तों को पुणे में कुछ काम से जाना था। बाबा और जीतू विद्या भाभी के साथ घर पर रुक गए। हमने उन्हें ट्रेन में छोड़ा। जाते वक्त मैंने जीतू से कहा, “चुदाई कर देना।” जीतू बोला, “फिक्र मत कर, चूत को फाड़ देंगे।” तीसरे दिन हम पुणे से लौटे, तब विद्या भाभी सो रही थीं। बाबा और जीतू ने बताया कि इन दो दिनों में उन्होंने विद्या भाभी की चूत को जमकर चोदा। फिर उन्होंने पूरी कहानी सुनाई।
उस दिन जब हम उन्हें ट्रेन में छोड़कर आए, बाबा और जीतू घर लौटे। उस दिन बहुत गर्मी थी। विद्या भाभी ने अपनी साड़ी की ज्वेलरी उतार दी, जिसमें उनकी नाभि की चेन भी थी, और किचन में खाना बनाने लगीं। इधर बाबा और जीतू उनकी चुदाई का प्लान बना रहे थे। विद्या भाभी को भी कुछ-कुछ अंदाजा हो रहा था। उन्होंने जीतू को आवाज लगाई, “किचन में ऊपर रखा डिब्बा उतार दो।” जीतू ने कोशिश की, लेकिन डिब्बा नहीं उतरा। उसने कहा, “भाभी, मैं आपको ऊपर उठाता हूँ, आप डिब्बा उतार लें।” विद्या भाभी बोलीं, “ठीक है।” जीतू ने उन्हें पेट की तरफ से उठाया, जिससे उनकी गहरी नाभि जीतू के मुँह के पास आ गई। उनकी नाभि की महक जीतू को पागल कर रही थी। उसने उनके पेट पर अपने होंठ रख दिए और उनकी नाभि को चूम लिया। विद्या भाभी ने अपनी नाभि को अंदर खींच लिया, जिससे जीतू ने उनकी नाभि को चूस लिया। फिर उसने उन्हें नीचे उतारा। विद्या भाभी हँसते हुए बोलीं, “चल बदमाश, अब खाना बनाने दे।”
खाना बनने के बाद वो तीनों सेंटर टेबल पर आए। विद्या भाभी खाना परोसने लगीं, उनके दोनों हाथों में सब्जियों के कटोरे थे। तभी बाबा बोला, “भाभी, आप नींबू नहीं लाईं सलाद में डालने के लिए?” विद्या भाभी हँसते हुए बोलीं, “मेरी नाभि से निकाल लो।” बाबा समझ नहीं पाया। फिर उसने देखा कि उनकी नाभि में नींबू फँसा था। विद्या भाभी बोलीं, “मेरे दोनों हाथों में कटोरियाँ थीं, इसलिए मैंने नींबू अपनी नाभि में फँसा लिया। प्लीज निकाल लो।” बाबा ने नींबू निकालने की कोशिश की, लेकिन वो एयरटाइट हो गया था। उसकी अँगुलियाँ नींबू नहीं निकाल पाईं। जीतू बोला, “भाभी, इधर आइए, मैं चाकू से आपकी नाभि में घुसाकर नींबू निकाल देता हूँ।” जीतू ने चाकू से नींबू निकाल दिया। फिर तीनों खाना खाते हुए बातें करने लगे। विद्या भाभी बहुत खुल गईं और बाबा से बोलीं, “क्यों, आज तक किसी लड़की के जिस्म को छुआ भी नहीं?” बाबा हँसने लगा और बोला, “नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं।” विद्या भाभी बोलीं, “तो फिर मेरी नाभि छूते वक्त तुम्हारे हाथ क्यों काँप रहे थे?” तीनों हँसने लगे।
रात को गर्मी और बढ़ गई। विद्या भाभी ने एसी चालू किया, लेकिन फिर भी गर्मी थी। वो बोलीं, “बहुत गर्मी है, मैं नहाने जा रही हूँ।” वो बाथरूम चली गईं और अपने सारे कपड़े उतार दिए। नंगी होकर अपनी चूत के बाल साफ करने लगीं। मेरे दोनों दोस्त की-होल से सब देख रहे थे। विद्या भाभी के नहाने से पहले वो दोनों नीचे आ गए। फिर विद्या भाभी चेंजिंग रूम में गईं, कॉर्ड वाली ब्रा और पैंटी पहनी, और अपनी नाभि में चेन डाल ली। वो अपनी जवानी को शीशे में देखने लगीं। तभी उनका पैर फिसला, और चीखने की आवाज सुनकर मेरे दोनों दोस्त ऊपर गए। उन्होंने विद्या भाभी को उठाकर ड्रॉइंग रूम में लाया। जीतू ने उनकी कमर पर मूव लगाई, और कुछ देर में वो ठीक हो गईं। फिर विद्या भाभी ने जीतू से फ्रिज से बीयर लाने को कहा। जीतू तीन गिलासों में बीयर डाल रहा था, तभी थोड़ा मिसबैलेंस हुआ, और बीयर विद्या भाभी के गोरे पेट पर गिर गई। बीयर उनकी नाभि में भर गई। विद्या भाभी बोलीं, “जाओ कपड़ा लेकर आओ, वरना मेरी पैंटी में दाग पड़ जाएगा।” जीतू कपड़ा लाने गया, लेकिन बाबा ने उनकी नाभि में भरी बीयर को चूस लिया और चेन को दाँतों से खींचा। विद्या भाभी के मुँह से हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं। जीतू वापस आया, तो विद्या भाभी बोलीं, “अब कपड़े की जरूरत नहीं, बाबा ने मेरी नाभि की बीयर चूस ली।” बाबा बोला, “देखा, तू तो भाभी की नाभि को हाथ से छू पाया, मैंने तो चूम भी लिया और चूस भी लिया।” जीतू बोला, “बेटे, हम भी तेरे उस्ताद हैं, मैंने तो भाभी की नाभि को पहले ही किस कर लिया था।” उनकी बात सुनकर विद्या भाभी हँसने लगीं।
तभी लाइट चली गई। जीतू ने मोमबत्ती जलाई, लेकिन उसे कहीं टिकाने की जगह नहीं थी। बाबा बोला, “इतना अच्छा कैंडल स्टैंड है।” जीतू ने पूछा, “कहाँ है?” बाबा बोला, “भाभी की नाभि में सीधा खड़ा कर दे।” विद्या भाभी बोलीं, “नहीं, मेरी नाभि में वैक्स भर जाएगा।” जीतू बोला, “भाभी, हम साफ कर देंगे।” जीतू ने उनकी नाभि में मोमबत्ती घुसेड़ दी। 20 मिनट बाद लाइट आ गई। विद्या भाभी ने अपनी नाभि से मोमबत्ती निकाली, तो उनकी नाभि वैक्स से भर गई थी। उन्होंने जीतू से कहा, “चलो, मेरी नाभि साफ करो।” जीतू किचन से चाकू लाया और खुरच-खुरच कर उनकी नाभि से सारा वैक्स निकाल दिया। फिर बाबा ने टीवी ऑन किया, तो रेन टीवी पर एक ब्लू फिल्म चल रही थी, जिसमें दो मर्द एक औरत को चोद रहे थे। जीतू बोला, “भाभी, ये तो जन्नत का सुख दे दो।” विद्या भाभी बोलीं, “लो मेरे बच्चों, मैं तो कई सालों से प्यासी हूँ। आज मेरी चूत को फाड़ दो।”
बाबा ने उनकी ब्रा और पैंटी उतार दी। विद्या भाभी उनके सामने पूरी नंगी पड़ी थीं। बाबा उनकी चूचियों को चूसने लगा, और जीतू उनकी चूत को। बाबा कभी उनकी चूचियों की घुंडियों को दाँतों से खींचता, तो विद्या भाभी चीखतीं, “फाड़ दो मेरी चूत, चीर दो इसे।” बाबा उनकी चूचियों को जोर-जोर से मसल रहा था, और जीतू उनकी चूत की कली को दाँतों से खींच रहा था। फिर जीतू ने उनकी चूत में दो अँगुलियाँ डाल दीं और जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा। “आआह्ह्ह… उउउउ… धीरे… मैं मर गई… आआआह्ह्ह… मज़ा आ रहा है…” विद्या भाभी सिसकारियाँ ले रही थीं। फिर जीतू ने उनकी चूत में अपना लंड पेल दिया। विद्या भाभी की जोरदार चीख निकली, “आआआह्ह्ह… उउउउ… बहुत मोटा है रे… धीरे…” जीतू ने अपना लंड उनकी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू किया। “आआआह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह… और ज़ोर से… और गहरा…” विद्या भाभी चिल्ला रही थीं। जीतू ने चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी। विद्या भाभी बोलीं, “ओह्ह्ह… आआह्ह्ह… अब मज़ा आ रहा है… और ज़ोर से चोद… फाड़ दे इस हसीन चूत को… ओउउउईई… तुमने मुझे जन्नत पहुँचा दिया… मैं झड़ गई रे…”
थोड़ी देर बाद बाबा बोला, “भाभी, चलिए।” विद्या भाभी बोलीं, “चल, तू भी चोद।” बाबा ने कहा, “क्या खूबसूरत चूत के दर्शन कराए हैं आपने।” विद्या भाभी बोलीं, “फ्रिज में कुछ रबड़ी रखी है।” जीतू रबड़ी ले आया। बाबा ने अपनी उँगली रबड़ी में डुबोकर विद्या भाभी की चूचियों पर लगाई, उनकी नाभि को रबड़ी से भर दिया, और उनकी चूत पर भी रबड़ी लगा दी। फिर बाबा उनकी चूत को चूसने लगा, और जीतू उनकी चूचियों पर लगी रबड़ी चूस रहा था। बाबा ने उनकी नाभि में भरी रबड़ी में अपनी उँगली घुसाई और उनकी नाभि को कुरेदने लगा। फिर उसने उनकी नाभि को चूस लिया। फिर उनकी चिकनी चूत को चाटा और किस के बहाने दाँत भी गड़ा दिए। विद्या भाभी जोर से मचल उठीं। “आआआह्ह्ह… उउउउ… कितना सताएगा… आआआ… मुझे…” बाबा ने उनकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और अपना तना हुआ लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा। विद्या भाभी बोलीं, “जल्दी अंदर कर…” बाबा ने अपना लंड उनकी चूत में घुसाया और जोर का झटका मारा। “ओआआआ… मम्मी… भाभी… आआआ… उई… आआआ… बहुत बड़ा है रे तेरा… और ज़ोर से झटके मार… बड़ा मज़ा आ रहा है…” बाबा जोर-जोर से झटके मारने लगा, और विद्या भाभी नीचे से अपनी कमर हिलाकर उसका साथ दे रही थीं। “आआआह्ह्ह… मम्मी… क्या बात है… आआआ… और ज़ोर से…” बाबा ने और ज़ोर से झटका मारा। विद्या भाभी चिल्लाईं, “आआआ… उउउम्म… मम्मी… और ज़ोर से… मेरे राजा… भाभी… आआआ… फट गई रे…” बाबा का कम निकलने वाला था। विद्या भाभी बोलीं, “कम को अंदर ही टपका दे, कुछ नहीं होगा।” बाबा ने उनके केस पकड़ लिए और स्पीड तेज कर दी। पाँच मिनट बाद उसका ढेर सारा कम उनकी चूत में निकल गया। फिर पूरी रात बाबा और जीतू ने विद्या भाभी की चुदाई की और रात 2 बजे सो गए।
अगली सुबह बाबा और जीतू ने प्लान बनाया कि वो विद्या भाभी को अपने जानने वालों से भी चुदवाएंगे। जीतू बोला, “भाभी, मेरे एक अंकल अंधेरी में रहते हैं।” विद्या भाभी ने पूछा, “उनकी फैमिली कहाँ है?” जीतू बोला, “वो आगरा में हैं।” विद्या भाभी बोलीं, “तो वो अकेले रहते हैं?” जीतू बोला, “नहीं, उनके तीन दोस्त भी हैं।” बाबा बोला, “मेरा भी एक कजन कांदिवली में अपने दोस्तों के साथ रहता है, वो यहाँ एमबीए कर रहा है।” फिर दोनों बोले, “भाभी, क्या आप हमें वहाँ मिलवा लेंगी?” विद्या भाभी बोलीं, “चलो, आज कहीं एक जगह चलते हैं।” बाबा और जीतू में बहस होने लगी कि विद्या भाभी किसके साथ जाएँगी। विद्या भाभी बोलीं, “टॉस कर लो, जो जीतेगा, उसके साथ जाऊँगी।” जीतू ने टॉस जीत लिया। विद्या भाभी ने गुलाबी रंग की जालीदार साड़ी पहनी, जो उनकी नाभि से नीचे बंधी थी। उनकी नाभि में एक तोतई रंग का मोती घुसा था। बाबा बोला, “क्या भाभी, कमाल लग रही हो।” बाबा ने उनके होंठों का जोरदार चुम्बन लिया और बोला, “जल्दी आना।”
विद्या भाभी के जाते ही बाबा ने अपने कजन को फोन किया, “कल मैं एक भाभी को तेरे रूम पर लाऊँगा। जितने दोस्तों को चूत चाहिए, बता दे।” कुछ देर बाद उसके कजन ने बताया कि कुल चार लोग हैं। बाबा बोला, “ठीक है।” उधर, विद्या भाभी और जीतू शाम 7 बजे जीतू के अंकल के यहाँ पहुँचे। जीतू ने पहले ही अपने अंकल को बता दिया था कि वो एक सेक्सी भाभी की चूत दिलवाएगा। उस दिन संडे था, इसलिए उनके सारे दोस्त घर पर ही थे। जीतू ने परिचय कराया, “ये मेरे अंकल कमल हैं, और ये उनके दोस्त अनिल, अभय, और मोहित।” शाम को 7:30 बजे कोल्ड ड्रिंक्स और स्नैक्स आए। जीतू ने विद्या भाभी की कोल्ड ड्रिंक में हल्की नशीली गोली मिला दी थी। कुछ देर बाद उन्हें मदहोशी छाने लगी। उन्हें शक हुआ, और वो बालकनी में चली गईं। जीतू पीछे-पीछे गया। विद्या भाभी बोलीं, “जीतू, तुमने मेरी कोल्ड ड्रिंक में कुछ मिलाया था? तुम मुझे यहाँ चुदवाने लाए हो?” जीतू हँसने लगा, और विद्या भाभी भी हँस पड़ीं। फिर वो बोलीं, “मेरे राजा, तुमको मेरी चूत का बहुत खयाल है।” फिर वो हँसते हुए जीतू के साथ अंदर आ गईं।
चारों उनके जिस्म को घूर रहे थे, जैसे महीनों से चूत न मिली हो। विद्या भाभी ड्रॉइंग रूम में जाकर ज़मीन पर पड़े बिस्तर पर लेट गईं। वो चारों उनके चारों तरफ बैठ गए। एक ने उनकी साड़ी, पेटीकोट, और ब्लाउज़ उतार दिया। अब विद्या भाभी के जिस्म पर सिर्फ ब्रा और पैंटी थी। जीतू बोला, “अंकल, मैंने कहा था ना, बहुत मस्त भाभी है।” फिर उन्होंने उनकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। दो लोग उनकी चूचियों को मसलने लगे, और एक उनकी चूत को। जीतू बोला, “कमल अंकल, भाभी की नाभि से ये मोती निकाल दो। उनकी नाभि बहुत मस्त और गहरी है, चूसने में बड़ा मज़ा आता है।” कमल अंकल ने उनकी नाभि से मोती निकाला और उनकी नाभि को चूसने लगे। जीतू ने उनकी नाभि को रूहअफ्जा से भर दिया और बोला, “अब चूसो भाभी की नाभि को।” अभय ने उनकी चूत को चूसना शुरू किया और फिर अपना लंड उनकी चूत पर सटा दिया। उसने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया और धक्के मारने शुरू किए। “उउउउ… ओउउउईई… आआआह्ह्ह…” विद्या भाभी की सिसकारियाँ निकल रही थीं। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। अचानक वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा और कुछ देर में उसने अपना सारा कम उनकी चूत में छोड़ दिया।
अब मोहित की बारी थी। उसने उनकी चूत को कपड़े से साफ किया और अपनी जीभ उनकी चूत में डाल दी। “आआआ… ओह्ह्ह… और अंदर… और अंदर… मैं मर जाऊँगी… आआआ…” विद्या भाभी चिल्ला रही थीं। मोहित ने उनकी टाँगें ऊपर उठाईं, नीचे एक तकिया लगाया, और धीरे से अपना लंड उनकी चूत में डाला। उनकी चूत नरम और फूली हुई थी। आधा लंड डालकर उसने पूछा, “ठीक है?” विद्या भाभी बोलीं, “दर्द हो रहा है।” मोहित ने लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। फिर अचानक उसने पूरा लंड घुसा दिया। विद्या भाभी चिल्लाईं, “फट गई रे मेरी चूत… क्या घुसाया है… दूसरी ही बॉल पर सिक्सर दिया रे…” मोहित ने उनकी मस्ती देखकर स्पीड बढ़ा दी। विद्या भाभी बोलीं, “और ज़ोर से डाल… फाड़ दे रे… ऐसा मज़ा तो पहली रात को भी नहीं आया… मेरी चूत का आज भोसड़ा बनेगा… मेरी चूत बहुत टाइट है…” विद्या भाभी खलास हो गईं। थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद वो बोलीं, “आज लगता है मेरी चूत पूरी तरह फट जाएगी।”
फिर अनिल बोला, “भाभी, अब मेरी बारी।” विद्या भाभी बोलीं, “मैं तैयार हूँ।” अनिल उनके दोनों हाथों से उनकी चूचियाँ मसल रहा था और उनके पेट पर लेटकर उनकी नाभि को चूस रहा था। 5-6 मिनट तक नाभि चूसने के बाद उसने उनकी चूत को मसलना शुरू किया। उसने उनकी चूत को इतना मसला कि वो लाल हो गई। विद्या भाभी बोलीं, “चोद दो अब…” उसका तना हुआ लंड उनकी चूत के छेद पर था। “आआआ… मैं मर गई… ये क्या हो रहा है… ओह्ह्ह… अब और नहीं सहन होता… डाल दे राजा…” अनिल ने आधा लंड डाला। विद्या भाभी बोलीं, “बस…” अनिल लंड अंदर-बाहर करने लगा और अचानक पूरा लंड घुसा दिया। “उउउउईई… फट गई… चीर दे…” विद्या भाभी की चूत का पानी छूट गया, और अनिल ने अपनी उँगली उनकी नाभि में घुसाकर मालिश की।
अब कमल अंकल की बारी थी। अनिल और मोहित उनकी चूचियों को मसलने लगे, और कमल अंकल उनकी चूत की मालिश करने लगे। वो उनकी चूत की फाँकों को हाथों से मसल रहे थे। “होओओ… ओह्ह्ह… हाय… ऐसे ही… अब ज़ोर से… और तेज़…” विद्या भाभी की सिसकारियाँ निकल रही थीं। कमल अंकल ने अपना मोटा लंड उनकी चूत पर रगड़ना शुरू किया और फिर चाबुक की तरह मारने लगे। हर बार लंड उनकी चूत से टकराता, तो “पटाक… पटाक…” की आवाज आती। उनकी चूत लाल पड़ गई। विद्या भाभी बोलीं, “डाल दो मेरे राजा… और मत तड़पाओ… चीर दो इस चूत को… फाड़ दो मेरी भोसड़ी को…” कमल अंकल बोले, “भाभी जी, आज आपकी कुतिया को चीर दूँगा।” वो हँसने लगीं और बोलीं, “चूत के नसीब में फटना ही लिखा है… चलो, फाड़ो मेरी बुर को…” कमल अंकल ने अपना लंड उनकी चूत पर रखा, लेकिन वो घुसा नहीं। फिर उन्होंने धीरे से लंड का टोपा घुसाया और पूरी जान से एक झटका मारा। उनका पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया। विद्या भाभी चीखने लगीं। थोड़ी देर में उनका दर्द गायब हो गया, और मज़ा आने लगा। उन्होंने अपनी कमर ऊपर-नीचे करना शुरू किया। कमल अंकल लंड अंदर-बाहर करने लगे। विद्या भाभी ने भी जोरदार धक्के देने शुरू किए। जब लंड उनकी चूत में जाता, वो उसे कसकर पकड़ लेतीं और अपनी चूत को सिकोड़ लेतीं। कमल अंकल ने भी पूरी जान से धक्का मारा। कमरे में चुदाई की आवाज़ गूँज रही थी। “आह्ह्ह… हाँ… मेरे राजा… भाभी… फट गई रे…” कुछ देर बाद ढेर सारा कम उनकी चूत में छूट गया। कमल अंकल उनके ऊपर ही लेटे रहे। फिर वो हटे और बोले, “मजा आ गया मेरी रानी।” विद्या भाभी बोलीं, “मुझे भी बहुत मज़ा आया।”
फिर विद्या भाभी नहाने चली गईं। जीतू भी बाथरूम में गया और उनकी चूचियों और चूत पर साबुन लगाकर खूब मालिश की। फिर उसने उन्हें नहलाया। पानी उनकी चूत पर पड़ रहा था, और उनकी चूत फिर से खिल उठी। जीतू का लंड भी तन गया। विद्या भाभी बोलीं, “कैसे तड़पा रहा है… चल इधर आ…” उन्होंने जीतू का लंड अपनी चूत में लिया। कमल अंकल ने उनकी चूत को काफी खोल दिया था, इसलिए जीतू का लंड आसानी से घुस गया और जल्दी ही झड़ गया। फिर विद्या भाभी और जीतू नहाकर बाहर आए। विद्या भाभी ने कपड़े पहने और सब खाना खाने बैठ गए। खाना खाने के बाद वो जाने को तैयार हुए। कमल अंकल ने उनकी चूचियों को दबाते हुए कहा, “अब जल्दी आना मेरी जान।” विद्या भाभी बोलीं, “हाँ मेरे राजा।” कमल अंकल उनकी नाभि की गोलाई पर उँगली फेरने लगे। विद्या भाभी “उउउ… स्स्स…” करने लगीं और बोलीं, “अब जाने दे प्लीज।” कमल अंकल बोले, “आपकी नाभि का मोती तो लगा दो।” उन्होंने उनकी नाभि में मोती जड़ दिया। विद्या भाभी ने उनके होंठों को चूम लिया और जीतू के साथ घर चली गईं। घर पहुँचते ही दोनों सो गए, क्योंकि वो थक गए थे।
अगली सुबह 12 बजे विद्या भाभी की नींद खुली। वो फ्रेश होने चली गईं। फिर नीचे आईं। उन्होंने नारंगी रंग की साड़ी पहनी थी, जिसका पल्लू पीछे की तरफ डाला था, जिससे उनकी चूचियों की पहाड़ियाँ साफ दिख रही थीं। उनकी गोरी कमर और गहरी नाभि पर एक काला टैटू था, जो उनके मखमली जिस्म को और निखार रहा था। बाबा उन्हें देखकर बोला, “क्या बला की खूबसूरती है।” फिर तीनों ने लंच किया। बाबा बोला, “चलें भाभी?” विद्या भाभी बोलीं, “क्या, तुम भी चुदवाओगे?” बाबा और जीतू हँस दिए, और विद्या भाभी भी हँसने लगीं। बाबा बोला, “भाभी, थोड़ा सा।” विद्या भाभी बोलीं, “थोड़ा या पूरा?” बाबा बोला, “पूरा।” विद्या भाभी बोलीं, “फिर ठीक है।”
बाबा और विद्या भाभी बाबा के दोस्तों के यहाँ पहुँचे। वहाँ मेरे सहित पाँच लोग थे, और सब चूत के लिए बेकरार थे। लिफ्ट से उनके फ्लैट तक पहुँचे। बाबा ने अपना एक हाथ विद्या भाभी की कमर में डाला और अपनी अँगुली उनकी नाभि में घुसा दी। विद्या भाभी को गुदगुदी हुई, और उन्होंने अपनी नाभि को अंदर खींच लिया। हँसते हुए बोलीं, “बाबा, तुम भी ना।” तभी दरवाजा खुला, और दोनों अंदर गए। सब उनकी जवानी को घूर रहे थे। कोई उनकी तनी हुई चूचियों को देख रहा था, तो कोई उनकी नाभि में घुसी अँगुली को। बाबा ने उनकी नाभि से अँगुली निकाल ली और उनकी नाभि की गोलाई पर घुमाने लगा। विद्या भाभी गुदगुदी की वजह से अपने पेट को अंदर-बाहर कर रही थीं। बाबा ने सबका परिचय कराया, “ये मेरा कजन राज, ये राजीव, ये दिनेश, और ये कुमार।” विद्या भाभी ने सब से हैलो किया। राज बोला, “भाभी, क्या जिस्म है आपका।” राजीव बोला, “चूम लो इस गहरी नाभि को।” बाबा बोला, “दोस्तों, ये जवानी का जाम आज शाम आपके लिए।” सब हँस दिए। फिर सबने चिल्ड बीयर पी।
कुमार ने विद्या भाभी की साड़ी, पेटीकोट, और ब्लाउज़ उतार दिया। दिनेश ने उनकी ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियों को चूसना शुरू किया। फिर सब उनके जिस्म से खेलने लगे। धीरे-धीरे वो पूरी नंगी हो गईं। पाँचों ने उन्हें सेंटर टेबल पर लिटा दिया और उनके चारों तरफ खड़े हो गए। कुमार बोला, “लाओ, भाभी की चूत में कितना करंट है, चेक करते हैं।” वो एक 1.5 वोल्ट की बैटरी ले आया। राज ने उनकी नाभि को बीयर से भर दिया। कुमार ने बैटरी का एक तार उनकी चूत में और दूसरा उनकी नाभि में घुसा दिया। तार घुसते ही उनकी चूत और नाभि में हल्का-हल्का करंट लगने लगा। उनकी चूचियों की घुंडियाँ तन गईं। बाबा ने उनकी नाभि की बीयर चूस ली। कुमार उनकी नाभि से खेलने लगा। बाबा और दिनेश उनकी चूचियों को चूसने लगे। राज उनकी चूत को चाट रहा था, और राजीव ने अपना लंड उनके मुँह में दे दिया। बाबा और दिनेश उनकी चूचियों को जोर-जोर से मसल रहे थे, कभी दाँत गड़ा देते, तो कभी घुंडियों को उँगलियों से मसल देते। राज उनकी चूत के होंठों को चूम रहा था और कभी उँगली डाल देता। राजीव का लंड विद्या भाभी बड़े मज़े से चूस रही थीं। कुमार उनकी नाभि को चूस रहा था। फिर राज ने अपना लंड उनकी चूत से सटा दिया और जोर से पेल दिया। “आआआ… भाभी… आआआ… गई…” विद्या भाभी सिसकारियाँ ले रही थीं। राज ने धीरे-धीरे धक्के देना शुरू किया, फिर स्पीड बढ़ा दी। थोड़ी देर बाद उसका पानी छूट गया।
फिर राजीव ने उनकी टाँगें अपनी ओर खींचीं। दिनेश और कुमार ने उनकी टाँगें खोल दीं। उनकी फूली हुई चूत कुमार के लंड से सट गई। उसने पहली बार में ही पूरा लंड उनकी चूत में ठोक दिया। “चीर दे… फाड़ दे मेरी चूत को…” विद्या भाभी चिल्ला रही थीं। बाबा और दिनेश उनकी चूचियों को मसल रहे थे। विद्या भाभी सातवें आसमान पर थीं। “शशश… आआ… क्या बात है… और ज़ोर से लगाओ… बहुत मज़ा आ रहा है…” कुमार पूरी ताकत से लंड अंदर ठोक रहा था। चुदाई पूरी स्पीड पर थी, और कुछ देर बाद कुमार भी झड़ गया। फिर राजीव ने अपना लंड उनकी चूत पर सटाया। जैसे ही उसने घुसाना शुरू किया, विद्या भाभी चीखने लगीं, “ओह्ह्ह… नहीं… मुझे छोड़ दो…” लेकिन बाबा बोला, “राजीव, पूरा लंड घुसा दे, ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा।” राजीव जोर-जोर से चोदने लगा। उनकी चूत से आवाज़ें आ रही थीं, जैसे कोई थप्पड़ मार रहा हो। उनकी गांड काँप रही थी। “आआआ… ओह्ह्ह… मम्मी… मैं मर गई…” राजीव ने उनके केस पकड़ लिए और थोड़ी देर में अपना सारा कम उनकी चूत में छोड़ दिया।
फिर दिनेश ने उनकी टाँगें अपनी ओर खींची। विद्या भाभी बोलीं, “प्लीज, थोड़ी देर रुक जाओ, बहुत दर्द हो रहा है।” लेकिन दिनेश बोला, “बस भाभी, 10 मिनट।” उसने उनकी टाँगें हवा में उठा दीं, और बाबा ने उनकी टाँगें पकड़ लीं। उनकी फूली हुई चूत सिकुड़ गई। दिनेश ने अपना मोटा लंड उनकी चूत पर सटाया। उनकी चूत अभी भी बहुत टाइट थी। बड़ी मुश्किल से उसने अपना लंड पेला। लंड उनकी चूत की खाल को जकड़ते हुए अंदर घुस रहा था। विद्या भाभी चूत को और टाइट कर रही थीं, लेकिन एक तगड़े झटके में पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया। “ओह्ह्ह… शशश… बड़ा दर्द हो रहा है… तुम लोग बेरहम हो… आज मेरी चूत का बैंड बजा दिया… लेकिन मज़ा आ रहा है… और ज़ोर से चोद… फाड़ दे मेरी चूत को…” दिनेश लंड अंदर-बाहर करने लगा। कुछ देर बाद उसका पानी छूट गया।
अब बाबा बोला, “भाभी, अब मैं चोदूँगा।” विद्या भाभी बोलीं, “चल, तू भी चोद ले।” कुमार ने उनकी टाँगें उनके सिर की तरफ करके फैला दीं। उनकी चूत पूरी तरह खुल गई और लाल पड़ गई थी। बाबा ने अपना लंड उनकी चूत पर सटाया और रगड़ने लगा। विद्या भाभी फिर से उत्तेजित हो गईं। वो बोलीं, “पेल दे मेरी योनि में अपना लंड…” बाबा ने अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया। लंड उनकी चूत में अंदर-बाहर होने लगा। विद्या भाभी नीचे से अपनी चूत उछाल-उछाल कर बाबा के लंड को निगल रही थीं। “प्लीज… धीरे… मैं मर गई… आआआ… मज़ा आ रहा है… ओह्ह्ह… और ज़ोर से चोद… फाड़ दे इस हसीन चूत को… कसम से, तूने मुझे मस्त कर दिया…” बाबा जोर-जोर से धक्के मार रहा था। “ओह्ह्ह… तुमने मुझे जन्नत पहुँचा दिया… मैं झड़ गई रे…” बाबा का भी पानी छूट गया।
फिर विद्या भाभी नहाने चली गईं। रात का डिनर 7 बजे कर लिया और सो गईं। अगले दिन 11 बजे उठीं। बाबा का कजन और उसके दोस्त कॉलेज जा चुके थे। वो फ्रेश होने के बाद घर के लिए निकल गए। रास्ते में ब्रेकफास्ट किया और 1:30 बजे घर पहुँचकर फिर सो गए। बाबा जीतू से बोला, “भाभी की चूत फाड़ दी हमने। कल से वो बस रेस्ट ही कर रही हैं। बेचारी की चूत में बहुत दर्द हो रहा है।” मैंने देखा कि विद्या भाभी हमारी बातें सुन रही थीं। वो नीचे आईं और बोलीं, “इसलिए तुम सब यहाँ आए थे?” मैंने कहा, “विद्या भाभी, मैं तुम्हारी चूत को तड़पते हुए नहीं देख सकता था, इसलिए अपने सारे दोस्तों के साथ यहाँ आ गया।” विद्या भाभी बोलीं, “कल तुम सबको चूत मिलेगी।” वो फ्रेश होने चली गईं। हम लोग भी थक गए थे, इसलिए फ्रेश होकर लंच किया और सो गए।
क्या आपको लगता है कि विद्या भाभी अगले दिन फिर से चुदाई के लिए तैयार होंगी? अपनी राय कमेंट में बताएँ।