वासना की आग में रिश्ता भूल गई मैं

Cousin Sister Sex Story: मेरा नाम अंकिता है, और आज मैं आपको अपना वो सच्चा अनुभव सुनाने जा रही हूँ जिसने मेरे दिल और जिस्म को एक ऐसी आग में झोंक दिया, जहाँ रिश्तों की सीमाएँ धुंधली हो गईं। मैं 19 साल की हूँ, थोड़ी मोटी, लेकिन मेरे कर्व्स—40 साइज़ के बूब्स और 39 की भरी हुई गांड—मुझे एक अलग ही आकर्षण देते हैं। मेरी हाइट 5 फीट 2 इंच है, और जब मैं चलती हूँ, तो मेरे शरीर का हर हिस्सा किसी न किसी की नज़र को अपनी ओर खींच लेता है। दोस्तों, ये कहानी मेरे और मेरे चचेरे भैया नितेश के बीच की है—एक ऐसी घटना जिसने मेरे अंदर की सोई हुई वासना को जगा दिया।

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मुझे वो दिन याद है जब मैंने भैया को फोन किया था। मेरी आवाज़ में एक हल्की सी उत्सुकता थी जब मैंने कहा, “भैया, मैं लखनऊ आ रही हूँ, और एक महीने आपके साथ रहूँगी।” उनकी खुशी उनकी आवाज़ में साफ झलक रही थी। भैया 26 साल के हैं, लखनऊ में रहते हैं, और नोएडा में अपना बिजनेस चलाते हैं। उन्होंने कहा कि वो मुझे रेलवे स्टेशन लेने आएंगे। उस दिन जब मैं ट्रेन से उतरी, मेरे हाथ में सामान था, और दिल में एक अजीब सी बेचैनी। जैसे ही मैं बाहर आई, भैया मुझे देखते ही मेरे पास आए। मैंने उनके गले लगते हुए कहा, “भैया, मैं आपको बहुत याद करती थी।” उनकी बाहों की गर्मी ने मुझे अंदर तक छू लिया था।

उन्होंने मुझे और ज़ोर से हग करते हुए कहा, “हाँ, मैं भी तुम्हें बहुत याद करता था।” उनकी आवाज़ में एक गहराई थी, जो मेरे दिल को थोड़ा सा पिघला गई। फिर वो मुझे घर ले आए। घर पहुँचते ही मैं सबसे मिलने में लग गई, लेकिन मेरी नज़र बार-बार भैया पर जा रही थी। वो अपने काम में व्यस्त हो गए थे, पर मैं उनके पास गई और मस्ती करने लगी। उनकी हँसी, उनकी हरकतें—कुछ तो था जो मुझे उनकी ओर खींच रहा था। वो दिन ऐसे ही बीत गया, लेकिन मेरे मन में एक हल्की सी आग सुलगने लगी थी।

रात को सोने का वक्त आया। आंटी ने मेरे लिए दूसरे रूम में बिस्तर लगाया था, पर मुझे भैया के साथ सोना था। बचपन से हम साथ घूमते थे, और अब 5 साल बाद उनसे मिल रही थी। मैंने ज़िद की, “मैं भैया के साथ ही सोऊँगी।” आंटी मान गईं, और भैया के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ गई। मुझे भी अंदर से एक अजीब सी खुशी हुई। इन 5 सालों में मेरा शरीर बहुत बदल गया था—मेरे बूब्स बड़े, गोल और भरे हुए हो गए थे, और मेरी गांड का उभार किसी को भी मदहोश कर सकता था।

मैं फ्रेश होकर उनके पास डबल बेड पर लेट गई। मुझे सूट पहनना पसंद है, पर उस रात मैंने ढीला पजामा और टॉप चुना। टॉप मेरे कर्व्स को हल्के से उभार रहा था, और पजामा मेरी जाँघों को छूते हुए एक अजीब सी सिहरन पैदा कर रहा था। भैया सिर्फ बरमूडा पहनकर सोते हैं—उनका नंगा सीना और मजबूत शरीर देखकर मेरे अंदर कुछ हलचल हुई। जब वो मुझे देख रहे थे, उनकी आँखों में एक चमक थी, जो मेरे जिस्म को गर्म करने लगी।

हम इधर-उधर की बातें करने लगे। उनकी आवाज़ में एक नरमी थी, जो मुझे और करीब खींच रही थी। थोड़ी देर बाद मुझे नींद आने लगी। भैया ने कहा, “तुम सो जाओ, दिन भर की थकी हुई हो।” उनकी बात में एक प्यार था, जो मेरे दिल को छू गया। मैंने “ठीक है” कहा और उन्हें शुभ रात्रि बोलकर सो गई। नींद में मैं खो गई थी, लेकिन रात को कुछ ऐसा हुआ जिसने मेरे होश उड़ा दिए।

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सोते वक्त मेरा टॉप थोड़ा ऊपर खिसक गया था, और मेरी गोरी, मुलायम जाँघें नज़र आ रही थीं। शायद भैया की नज़र वहाँ ठहर गई। मुझे नींद में लगा कि कोई मेरे करीब आ रहा है। अचानक मैंने महसूस किया कि भैया का पैर मेरी जाँघ पर रखा हुआ है—उनकी गर्मी मेरे जिस्म में उतर रही थी। फिर उनका हाथ धीरे से मेरे बूब्स पर आ गया। उनकी साँसें तेज थीं, और मेरे सीने पर उनका स्पर्श मेरे अंदर एक तूफान खड़ा कर रहा था। मैं नींद में थी, लेकिन मेरा शरीर उस छुअन को महसूस कर रहा था।

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धीरे-धीरे उन्होंने मेरे बूब्स को हल्के से दबाना शुरू किया। उनकी उंगलियाँ मेरे नर्म जिस्म पर रेंग रही थीं, और मेरे अंदर एक आग भड़कने लगी। मैं कुछ नहीं बोली, पर जब उन्होंने ज़ोर से दबाया, तो मेरी नींद टूट गई। मैं एक झटके से उठी और गुस्से में चीख पड़ी, “भैया, आप ये क्या कर रहे थे? मैं अभी घरवालों को उठाने जा रही हूँ।” मेरा दिल धक-धक कर रहा था, और आँखों में गुस्सा था, पर कहीं अंदर एक अजीब सी उत्तेजना भी थी।

भैया घबरा गए और मुझसे सॉरी बोलने लगे। उनकी आवाज़ में पछतावा था, पर उनकी आँखों में वो चमक अभी भी थी। मैं गुस्से में थी, लेकिन उनकी माफी ने मुझे थोड़ा शांत किया। फिर मैं उनसे दूर हटकर सो गई। उस रात नींद नहीं आई—मुझे बुरा लग रहा था कि भैया ने ऐसा क्यों किया, पर मेरा शरीर उस छुअन को भूल नहीं पा रहा था।

अगले दिन मैं जल्दी उठी और आंटी के साथ बाहर चली गई। जब लौटी, तो भैया मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रहे थे। वो मुझसे बात करना चाहते थे, पर मैं गुस्से में थी और चुप रही। इसके बाद मैंने गेस्ट रूम में सोना शुरू कर दिया। ऐसा एक हफ्ते तक चला, लेकिन मेरे मन में एक कशमकश चल रही थी—गुस्सा था, पर भैया की वो छुअन मेरे जिस्म में अब भी गूँज रही थी।

एक हफ्ते तक मैं भैया से दूर रही। गेस्ट रूम का बिस्तर ठंडा था, पर मेरा मन और जिस्म अभी भी उस रात की गर्मी को भूल नहीं पाए थे। उनकी उंगलियों का स्पर्श, उनकी साँसों की तपिश—ये सब मेरे अंदर एक अजीब सी बेचैनी पैदा कर रहा था। मैं गुस्से में थी, पर कहीं न कहीं मेरे दिल में उनकी ओर एक अनजानी کشश थी।

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फिर एक रात ऐसा हुआ कि सब कुछ बदल गया। उस दिन भैया देर से घर आए। मैं सो चुकी थी, पर मुझे पता था कि वो थके हुए होंगे। सुबह वो घर की चाबी ले जाना भूल गए थे, और रात को एक बजे मुझे उनका कॉल आया। उनकी थकी हुई, भारी आवाज़ ने मेरे दिल को छू लिया। “अंकिता, दरवाज़ा खोल दो,” उन्होंने कहा। मैं उठी, नींद से भारी आँखें मलते हुए दरवाज़े तक गई। जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला, उनकी थकी हुई शक्ल देखकर मेरा गुस्सा थोड़ा पिघल गया। वो अंदर आए, फ्रेश हुए, और मैंने पूछा, “खाना लगा दूँ?”

उन्होंने मना कर दिया और सीधे अपने रूम में चले गए। मैं उनके पीछे-पीछे गई, पर वो बेड पर लेटते ही सो गए। रात के एक बज रहे थे, और चारों तरफ सन्नाटा था। मैं अपने रूम में लौट आई, पर नींद नहीं आ रही थी। मेरे मन में भैया का चेहरा घूम रहा था—उनकी थकान, उनकी वो आँखें जो मुझसे कुछ कहना चाहती थीं। अचानक मेरे अंदर एक तड़प उठी। मैं उठी और धीरे-धीरे उनके रूम की ओर बढ़ गई।

दरवाजा खुला था। भैया गहरी नींद में थे, उनका नंगा सीना ऊपर-नीचे हो रहा था। मैं उनके पास गई और बेड पर लेट गई। उनकी गर्मी मेरे जिस्म को छू रही थी। मेरे हाथ अपने आप उनकी छाती पर चले गए—उनकी त्वचा की रगों में बहता खून मुझे महसूस हो रहा था। मैंने धीरे-धीरे उन्हें सहलाना शुरू किया। मेरे अंदर एक आग भड़क रही थी, और उनकी नींद में भी उनकी साँसें तेज होने लगीं।

अचानक भैया डर के मारे उठ गए। उनकी आँखों में हैरानी थी। “अंकिता, तुम यहाँ कैसे आई?” उन्होंने पूछा। मैंने उनकी आँखों में देखते हुए कहा, “आप बहुत थके हुए थे, और मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं आपके पास बात करने आई थी, पर आप तो सो गए थे। सोचा आपको उठाकर परेशान न करूँ।” मेरी आवाज़ में एक नरमी थी, एक चाहत थी। भैया ने कहा, “तुम मुझे उठा देती, ऐसी कोई बात नहीं है।”

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फिर मैंने कहा, “लेट जाइए, हम बात करते हैं।” हम दोनों बेड पर लेट गए। मेरे दिल की धड़कनें तेज थीं। मैंने उनसे पूछा, “भैया, आप उस दिन मेरे साथ वो सब क्यों कर रहे थे?” उनकी आँखों में एक पछतावा आया। उन्होंने सॉरी कहा, “मुझे नहीं पता उस दिन क्या हुआ। तुम्हारी बॉडी मुझे अपनी ओर खींच रही थी। मुझसे रहा नहीं गया। सच कह रहा हूँ, अंकिता, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। मेरा कोई इरादा नहीं था कि तुम्हारे साथ ऐसा करूँ।”

उनकी बातें सुनकर मेरा दिल पिघल गया। मैं उनके और करीब गई और अचानक उन्हें हग कर लिया। मेरे बूब्स उनकी छाती से दब गए, और उनकी गर्मी मेरे जिस्म में उतरने लगी। मैंने कहा, “भैया, मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन ये सब करना सुरक्षित नहीं है। अगर मैं प्रेग्नेंट हो गई तो?” मेरी आवाज़ में डर था, पर एक चाहत भी थी।

भैया की आँखें चौड़ी हो गईं। “प्रेग्नेंट? तुम ये सब क्या सोचने लगी हो?” उन्होंने हैरानी से कहा। मैंने शरमाते हुए कहा, “भैया, मुझे भी ये सब करने का बहुत मन करता है। मेरे पास कोई बॉयफ्रेंड नहीं है, और आप मेरे सबसे करीब हो। मैं चाहती हूँ कि आप मेरे साथ ये सब करो। लेकिन मुझे डर है कि घरवालों को पता न लगे, और सेक्स के चक्कर में मैं प्रेग्नेंट न हो जाऊँ।”

भैया ने मुझे समझाया, “ऐसे कोई प्रेग्नेंट नहीं होता।” फिर मैंने कहा, “मैं आपको मेरे साथ सब करने दूँगी, लेकिन चुदाई नहीं। मैं चाहती हूँ कि मेरी शादी के बाद मेरा पति ही मेरी सील तोड़े।” मेरी बात सुनकर भैया ने मुझे और ज़ोर से हग किया। अचानक उनके होंठ मेरे होंठों से टकरा गए। उनकी साँसें मेरे मुँह में घुलने लगीं, और हम 30 मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे। उनकी जीभ मेरी जीभ से खेल रही थी, और मेरा जिस्म पिघल रहा था।

फिर मैंने खुद को उनसे अलग किया। मेरे हाथ काँप रहे थे जब मैंने अपना टॉप और ब्रा उतार फेंकी। मेरे बूब्स उनकी आँखों के सामने थे—बड़े, गोल, और भरे हुए। मैंने उन्हें अपनी ओर खींचा और उनका मुँह अपने एक बूब पर ज़ोर से दबा दिया। भैया मेरे निप्पल को चूसने लगे, उनकी जीभ मेरे जिस्म में आग लगा रही थी। मैंने उनके बालों को पकड़ लिया और सिसकते हुए कहा, “अहह भैया, प्लीज़ धीरे करो… मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूँ… अह्ह्ह… प्लीज़ धीरे…”

उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुए कहा, “काटने में ही तो मज़ा है, मेरी प्यारी बहन। कुछ देर बाद तुम्हें भी मज़ा आएगा।” उनका एक हाथ मेरे दूसरे निप्पल को मसल रहा था, और दूसरा हाथ मेरी गांड में उंगली डाल रहा था। दर्द और मज़ा एक साथ मेरे जिस्म में दौड़ रहे थे। मैं चीख पड़ी, “भैया, अहह… प्लीज़ बाहर निकालो अपनी उंगली… बहुत दर्द हो रहा है।”

फिर भैया ने मेरा पजामा उतार फेंका। मेरी रसभरी चूत उनके सामने थी, पर उस पर झांटों का जंगल था। उन्होंने मुझे बेड पर सीधा लिटाया, मेरे पैर फैलाए, और अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी। मैं सिहर उठी। मेरे हाथ उनके सिर को पकड़कर और आगे खींचने लगे।

भैया की जीभ मेरी चूत में गहराई तक जा रही थी, और मेरे जिस्म में एक तूफान सा उठ रहा था। मैं उनके सिर को और ज़ोर से अपनी ओर खींच रही थी, मेरी साँसें तेज थीं, और मेरी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “आअहह भैया, ये क्या कर रहे हो आप? आईईइ उफ्फ्फ्फ़… बहुत अच्छा लग रहा है,” मैंने सिहरते हुए कहा। मेरी आवाज़ में शर्म, चाहत, और मज़ा सब मिला हुआ था।

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फिर भैया ने मुझे 69 की पोजीशन में ला दिया। उनका 8 इंच का लंड मेरे सामने था—कठोर, गर्म, और मेरे मुँह के लिए तैयार। उन्होंने कहा, “इसे चूसो।” मैंने उनके लंड को अपने नरम होंठों के बीच लिया और ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगी। उनकी गर्मी मेरे मुँह में घुल रही थी, और मैं उनकी हर साँस को महसूस कर रही थी। वो मेरी चूत में उंगली कर रहे थे और मेरे बूब्स को चूस रहे थे। मेरे निप्पल उनकी जीभ से गीले हो गए थे, और मेरा जिस्म उनकी हर छुअन से काँप रहा था।

20 मिनट तक ये सब चलता रहा। जब भैया झड़ने वाले थे, उन्होंने मेरे बालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपने लंड को मेरे मुँह के अंदर तक ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगे। अचानक उनका गर्म वीर्य मेरे गले में उतर गया। मैंने उसे चखा और सिसकते हुए कहा, “आहह भैया, आपका वीर्य तो बहुत स्वादिष्ट है।” मेरी आवाज़ में एक शरारत थी, और मेरे होंठ अभी भी उनकी गर्मी से गीले थे।

भैया ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा, “अब तो तुम्हें रोज मेरा वीर्य पीना है।” फिर वो मुझे फिर से चूमने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और हमारी साँसें एक-दूसरे में घुल रही थीं। उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने को कहा और मेरी चूत को उनके मुँह पर रगड़ने को बोला। मैंने वैसा ही किया—मेरी गीली चूत उनके होंठों से टकरा रही थी, और उनकी जीभ मेरे अंदर तक जा रही थी। 15 मिनट तक उन्होंने मेरी चूत चाटी, और दो बार मेरा पानी उनके मुँह में गया। हर बार जब मैं झड़ती, मेरा जिस्म काँप उठता, और मेरी सिसकियाँ तेज हो जातीं।

फिर हम उठे। हमने एक-दूसरे को साफ किया—उनके हाथ मेरे जिस्म पर फिसल रहे थे, और मेरी उंगलियाँ उनकी त्वचा को सहला रही थीं। इसके बाद हम एक ही कम्बल में नंगे सो गए। उनकी गर्मी मेरे जिस्म को ढक रही थी, और मेरे बूब्स उनकी छाती से चिपके हुए थे। उस रात नींद नहीं आई—बस उनकी साँसों का संगीत और मेरे दिल की धड़कनें थीं।

दोस्तों, ये सब दो हफ्ते तक चलता रहा। हर रात हम एक-दूसरे के जिस्म को छूते, चूमते, और वो सारी हदें पार करते जो रिश्तों में नहीं होनी चाहिए। फिर एक दिन मुझे अपने घर वापस जाना पड़ा। जब मैं कानपुर लौटी, तो मेरे मन में भैया की यादें थीं—उनकी छुअन, उनकी गर्मी, और वो पल जो हमने साथ बिताए। लेकिन जब भी भैया को टाइम मिलता, वो किसी बहाने से कानपुर आते। उनके आने की खबर सुनते ही मेरा दिल तेजी से धड़कने लगता। हर बार वो मेरे साथ एक रात गुज़ारते—हम फिर वही आग में जलते, एक-दूसरे को चूमते, और अपनी वासना को थोड़ा और बढ़ाते।

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ये सब मेरे लिए एक सपना सा था—एक ऐसी दुनिया जहाँ रिश्ते भूल गए, और बस जिस्म की भूख बाकी रह गई। मेरे बूब्स पर उनके दाँतों के निशान, मेरी चूत पर उनकी जीभ की गर्मी—ये सब मेरे साथ कानपुर तक चला गया। और हर बार जब वो जाते, मैं उनकी राह देखती, उस अगली रात का इंतज़ार करती जब वो फिर से मेरे जिस्म को अपने आगोश में ले लेंगे।

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