उदयपुर जाते हुए स्लीपर बस में गर्लफ्रेंड की चुदाई

Sleeper Bus Mein BF GF Ki Chudai हैलो दोस्तों, मेरा नाम कुणाल शर्मा है। मैं 26 साल का हूँ और जयपुर का रहने वाला हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच है, रंग गोरा और बॉडी फिट है। मैं एकदम मस्तमौला और थोड़ा शरारती किस्म का लड़का हूँ, जिसे ज़िंदगी को खुलकर जीना पसंद है। मेरी गर्लफ्रेंड का नाम शिखा है। वो 23 साल की है, एकदम दूध सी गोरी, फिगर 34-28-36 का, जिसे देखकर किसी का भी मन डोल जाए। उसके चूचे इतने टाइट और गोल हैं कि बस देखते ही मुँह में पानी आ जाए। उसकी गांड इतनी उभरी हुई है कि हर कदम पर लचकती है। कुल मिलाकर, शिखा का फिगर इतना कातिलाना है कि कोई उसे एक बार देख ले, तो बस उसी पल उसकी चुदाई का ख्याल मन में आ जाए।

ये कहानी मेरी और शिखा की उदयपुर ट्रिप की है, जिसमें हमने स्लीपर बस में ऐसी चुदाई की कि आज भी याद करके लंड खड़ा हो जाता है। मैंने शिखा को पहले भी कई बार चोदा था, लेकिन उसकी चुदाई की भूख कभी कम नहीं होती थी। मैं जब भी उससे चुदाई की बात करता, वो फट से राजी हो जाती। उसका बस एक ही फंडा था- चुदाई में मज़ा आना चाहिए, चाहे कहीं भी हो।

एक दिन मैंने उससे कहा, “जानू, कहीं घूमने चलते हैं। वहाँ खूब मस्ती करेंगे।” वो तुरंत तैयार हो गई और बोली, “जहाँ तेरा मन हो, वहाँ ले चल। मैं तो तेरे साथ कहीं भी चुदने को तैयार हूँ।” उसकी ये बात सुनकर मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके रसीले होंठ चूमने लगा। कुछ देर तक हम एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे। फिर वो बोली, “क्या, यहीं खुले में चोदेगा मुझे?” मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ, अगर मेरा बस चले तो तुझे अभी सड़क पर ही चोद दूँ।” वो ज़ोर से हँसी और बोली, “अरे, अपनी गर्लफ्रेंड को सरेआम रुसवा करेगा क्या?”

हमारी ऐसी ही मस्ती भरी बातें चलती रहीं। फिर उसने पूछा, “बता, कहाँ चलना है और कितने दिन का प्लान है?” मैंने कहा, “एक हफ्ते का मूड है।” वो बोली, “अरे यार, घर पर एक हफ्ते के लिए क्या बहाना बनाऊँ?” मैंने पूछा, “तो फिर कितने दिन का बोल सकती है?” उसने सोचा और बोली, “ज़्यादा से ज़्यादा तीन दिन। वो भी मुझे एग्जाम का बहाना बनाना पड़ेगा।” मैंने कहा, “ठीक है, तू परमिशन ले, फिर बता।”

वो थोड़ी देर सोचने लगी और बोली, “सोमवार से बुधवार तक एग्जाम का बोलूँगी। रविवार की शाम को निकल सकते हैं और गुरुवार की शाम तक वापस आ जाएँगे।” मैंने हामी भर दी और नेट पर ट्रिप की तलाश शुरू कर दी। मुझे उदयपुर की ट्रिप ठीक लगी। मैंने शिखा से पूछा, तो उसने फट से हाँ कह दी। मैंने कहा, “घर पर बात कर और फाइनल बता।” उसने कहा, “रात को मैसेज करती हूँ।”

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रात को उसका मैसेज आया कि सब फाइनल है। मैंने फटाफट टूर की बुकिंग कर ली। दो स्लीपिंग बर्थ बुक कीं, जो एक ही केबिन में थीं। रविवार की शाम को शिखा बस स्टैंड पर आ गई। उसने टाइट जीन्स और लाल रंग का टॉप पहना था, जिसमें उसके चूचे एकदम उभरे हुए लग रहे थे। मैं उसे देखते ही पागल हो गया।

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शाम 7 बजे हम जयपुर से उदयपुर के लिए स्लीपर बस में चढ़ गए। बर्थ पर सामान रखते हुए मैंने शिखा के कान में फुसफुसाया, “आज तुझे चलती बस में चोदूंगा।” वो हँसी और बोली, “मुझे कोई टेंशन नहीं। चाहे तो खुले में चोद ले।” उसकी ये बिंदास बात सुनकर मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों पर चूमने लगा।

बस को चले हुए अभी आधा घंटा ही हुआ था कि बाहर अंधेरा छा गया। हम दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए। मैंने धीरे से उसका टॉप ऊपर किया और उसके चूचों को ब्रा के ऊपर से सहलाने लगा। वो सिसकारी भरने लगी, “आह… कुणाल, क्या कर रहा है?” मैंने कहा, “बस, तेरा माल चेक कर रहा हूँ।” वो हँसी और मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगी।

मैंने उसकी ब्रा के हुक खोले और उसके गोरे, टाइट चूचे आज़ाद कर दिए। बाहर से आती हल्की रोशनी में उसके चूचे चमक रहे थे। मैंने एक चूचे को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह… ओह… कुणाल, और ज़ोर से चूस,” वो सिसकारी। मैंने उसकी जीन्स का बटन खोला और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से रगड़ने लगा। उसकी पैंटी पहले ही गीली हो चुकी थी। उसने मेरे पजामे में हाथ डाला और मेरे लंड को मसलने लगी। मेरा 7 इंच का लंड एकदम तन गया था।

मैंने उसकी जीन्स और पैंटी नीचे सरकाई। उसकी चिकनी, गुलाबी चूत मेरे सामने थी। मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिए और चाटने लगा। “आह… उफ… कुणाल, ये क्या कर रहा है… आह,” वो सिसकार रही थी। उसकी चूत का रस इतना स्वादिष्ट था कि मैं उसे चाटता रहा। उसने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाया और बोली, “और चाट… आह… मज़ा आ रहा है।” मैंने उसकी चूत की फांकों को चूसा और अपनी जीभ अंदर तक डाल दी। वो तड़प रही थी, “आह… ओह… बस कर… अब और नहीं… आह।”

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हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैं उसकी चूत चाट रहा था और वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी। उसका गर्म मुँह मेरे लंड पर जादू कर रहा था। “उम्म… कुणाल, तेरा लंड कितना मोटा है… आह,” वो चूसते हुए बोली। मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और चाटता रहा। करीब 15 मिनट बाद हम दोनों एक-दूसरे के मुँह में झड़ गए। उसका रस मेरे मुँह में था और मेरा वीर्य उसके मुँह में। वो सारा वीर्य निगल गई और बोली, “तेरे माल का टेस्ट गज़ब है।”

थोड़ी देर बाद बस एक ढाबे पर रुकी। हमने खाना खाया और वापस अपनी बर्थ पर आ गए। मैंने पर्दे लगाए, लेकिन खिड़की खुली छोड़ दी ताकि हवा आए। बस जैसे ही चली, मैंने शिखा की चूचियों को फिर से मसलना शुरू किया। वो बोली, “कुणाल, तू रुकता क्यों नहीं? अभी तो झड़ा है।” मैंने कहा, “जानू, तेरी चूत का नशा उतरता ही नहीं।” वो हँसी और मेरे लंड को पजामे के ऊपर से सहलाने लगी।

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मैंने उसका टॉप और ब्रा फिर से उतार दी। अब वो सिर्फ़ जीन्स में थी। मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरू किया और एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा। वो गर्म होने लगी और बोली, “आह… कुणाल, तू मुझे पागल कर देगा… चोद दे अब।” मैंने उसकी जीन्स और पैंटी पूरी तरह उतार दी। उसकी चिकनी चूत चमक रही थी। मैंने उसकी टांगें फैलाईं और उसकी चूत पर लंड रगड़ने लगा।

“आह… कुणाल, अब डाल दे… और मत तड़पा,” वो कराह रही थी। मैंने लंड का सुपारा उसकी चूत पर सेट किया और एक ज़ोरदार झटका मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। “आह… मर गई… कुणाल, धीरे… बहुत दर्द हो रहा है,” वो चीखी। मैंने उसका मुँह दबाया और कहा, “चुप साली, पूरी बस को बता देगी क्या?” वो हँसी और बोली, “साले, तूने एक बार में पूरा पेल दिया।”

मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। उसकी चूत इतनी गीली थी कि लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। “फच… फच…” की आवाज़ पूरे केबिन में गूंज रही थी। बाहर से आती रोशनी में उसकी चूचियाँ हिल रही थीं, जो मुझे और उत्तेजित कर रहा था। वो सिसकार रही थी, “आह… कुणाल, और ज़ोर से… चोद मुझे… आह… मज़ा आ रहा है।” मैंने उसकी चूचियों को मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा।

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करीब 15 मिनट बाद वो अपने चरम पर थी। उसने मेरी पीठ पर नाखून गड़ा दिए और बोली, “आह… और ज़ोर से… चोद… मैं झड़ने वाली हूँ… आह।” उसका शरीर अकड़ गया और वो “आह… उफ… मर गई…” कहते हुए झड़ गई। उसकी चूत से पानी निकल रहा था, जिससे लंड और आसानी से अंदर-बाहर होने लगा। “फच… फच…” की आवाज़ और तेज़ हो गई।

मेरा अभी बाकी था। मैंने उसे पलटा और घोड़ी बनने को कहा। वो बोली, “पीछे नहीं, वहाँ दर्द होगा।” मैंने हँसकर कहा, “अरे चूतिया, चूत में ही पेलूँगा, गांड में नहीं।” वो हँसी और घोड़ी बन गई। उसकी उभरी हुई गांड देखकर मेरा लंड और तन गया। मैंने उसकी गांड पर एक चपत लगाई और लंड उसकी चूत पर सेट किया। एक ज़ोरदार झटके में लंड फिर से उसकी चूत में घुस गया।

“आह… कुणाल, धीरे… मर जाऊँगी,” वो चीखी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और धीरे-धीरे धक्कों की स्पीड बढ़ाई। वो अपनी गांड पीछे करके लंड को पूरा अंदर ले रही थी। “आह… ओह… चोद… और ज़ोर से… आह,” उसकी सिसकारियाँ मुझे और जोश दिला रही थीं। करीब 10 मिनट तक मैंने उसे घोड़ी बनाकर चोदा। फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गई और लंड अपनी चूत में सेट करके ऊपर-नीचे होने लगी।

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उसकी चूचियाँ मेरे मुँह के सामने हिल रही थीं। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह… कुणाल, तू मुझे मार डालेगा… आह… मज़ा आ रहा है,” वो सिसकारी। पाँच मिनट बाद वो फिर से झड़ने वाली थी। मैं भी अपने चरम पर था। मैंने उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया और वो भी मेरे साथ झड़ गई। हम दोनों एक-दूसरे से चिपककर लेट गए।

रात के 2 बजे मेरी आँख खुली। शिखा मेरी तरफ गांड करके सो रही थी। उसकी गांड इतनी मस्त थी कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने धीरे से उसकी चूची दबाई और एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो जाग गई और बोली, “कुणाल, तू रुकता क्यों नहीं?” मैंने कहा, “जानू, तेरी चूत का जादू है, जो मुझे सोने नहीं देता।” वो हँसी और मेरे लंड को सहलाते हुए मुँह में ले लिया।

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मैंने उसे अपनी गोद में बिठाया और उसकी चूत में लंड डाल दिया। हम इतने चिपके हुए थे कि हमारे बीच हवा भी नहीं गुजर सकती थी। बस तेज़ रफ्तार से चल रही थी। तभी रास्ते में कई ब्रेकर आए, जिससे वो मेरे लंड पर अपने आप उछलने लगी। “आह… ओह… कुणाल, ये क्या हो रहा है… आह,” वो सिसकारी। बाहर से आती रोशनी और दूसरी गाड़ियों को देखकर हमें लग रहा था कि कोई हमें चुदाई करते देख रहा है। ये सनसनी हमें और उत्तेजित कर रही थी।

20 मिनट तक हम उसी पोजीशन में चुदाई करते रहे। वो फिर से झड़ गई, लेकिन मेरा अभी बाकी था। मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी टांगें फैलाकर लंड उसकी चूत में डाल दिया। “आह… कुणाल, और ज़ोर से… चोद मुझे… आह,” वो चिल्लाई। मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। वो अपनी गांड उठाकर मेरा लंड पूरा अंदर ले रही थी। 20 मिनट बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया और वो भी मेरे साथ झड़ गई।

चुदाई के बाद हमने अपने कपड़े ठीक किए और एक-दूसरे की बाहों में सो गए। आगे की कहानी में मैं बताऊँगा कि उदयपुर में अगले तीन दिन हमने कैसे चुदाई की मस्ती की।

आपको मेरी और शिखा की ये चुदाई की कहानी कैसी लगी? ज़रूर बताइए।

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