Tuition Teacher and Student Sex Story: अजय नाम का एक 22 साल का लड़का हैदराबाद में रहता था। उसकी उम्र भले ही 22 साल थी, लेकिन यह कहानी उन दिनों की है जब वह 18 साल का था। अजय को बचपन से ही सेक्स बहुत अच्छा लगता था और वह इसकी तरफ बहुत आकर्षित था। वह अपने दोस्तों से कहता था कि अगर उससे कोई गलती हो जाए तो उसे माफ कर दें। यह कहानी नंगी बातों से लंड उठाने वालों की नहीं, बल्कि हुस्न के दीवानों के लिए थी। उसकी जिंदगी में एक ट्यूशन टीचर थी, जिसका नाम सुरभि था। यह कहानी उसी के सेक्सी फिगर के इर्द-गिर्द घूमती है।
अजय कभी अपने लंड का साइज नहीं नापता था, क्योंकि उसका मानना था कि लंड साइज से नहीं, ताकत से नापा जाता है। जब वह स्कूल में पढ़ता था, तब उसकी ट्यूशन टीचर सुरभि उसे बहुत अच्छी लगती थी। जब वह उसके पास बैठता था और साइड से उसके ब्लाउज को देखता था, तो उसके बूब्स की झलक साफ दिखती थी। बूब्स का आकार और ब्रा की लाइन देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता था। उसे लगता था कि यह कोई बीमारी है जो उसके साथ हो रही है।
सुरभि एक गदराए शरीर वाली औरत थी, जो उस वक्त 22 साल की थी। उसने लव मैरिज की थी, लेकिन उसकी कोई औलाद अभी तक नहीं हुई थी। उसके छोटे-छोटे बाल थे, आँखें गहरी काली थीं, और रंग बहुत गोरा था। उसके बूब्स बड़े थे, गोल-मटोल नहीं, बल्कि आम जैसे थे। उसकी कमर बहुत पतली थी और खूबसूरत भी। वह हमेशा हरी नेल पॉलिश और हरी लिपस्टिक लगाती थी। उसे बॉडी स्प्रे और परफ्यूम का शौक था, इसलिए उसके शरीर से हमेशा खुशबू आती रहती थी। जब वह नींद से उठती थी, तो भी वह हॉट लगती थी। ट्यूशन क्लास के अलावा वह अपने घर में ब्यूटी पार्लर भी चलाती थी।
जब सुरभि बोलती थी, तो उसकी आवाज बहुत सेक्सी लगती थी। वह धीरे-धीरे और हल्के से बोलती थी। वह कानों में बड़े-बड़े झुमके पहनती थी, नाक में कुछ नहीं पहनती थी, और हर रोज मेकअप करती थी। कभी वह पंजाबी ड्रेस पहनती थी, तो कभी काली साड़ी के साथ छोटा ब्लाउज। उसे म्यूजिक बहुत पसंद था और वह हर रोज रेडियो सुनती थी। उसके घर की हालत कमजोर थी, क्योंकि उसका पति कुछ काम नहीं करता था। घर की सारी जिम्मेदारी उसी पर थी। वह अच्छी फैमिली से थी, लेकिन उसका एक बॉयफ्रेंड था जिसने उसे धोखा दिया था। गुस्से में उसने अपने पति से शादी कर ली थी।
अब कहानी शुरू होती है। अजय उस वक्त छोटा था, लेकिन 18 साल का होने पर उसे सेक्स के बारे में समझ आने लगी। वह दिन-रात इसके बारे में सोचता रहता था—स्कूल बस में, क्लास में, घर में। पढ़ाई में उसका बिल्कुल ध्यान नहीं रहता था। वह बस ट्यूशन जाने के लिए बेचैन रहता था। उसी वक्त सुरभि प्रेग्नेंट थी। उसने अजय को बताया कि यह उसका आखिरी साल है और इसके बाद वह ट्यूशन पढ़ाना बंद कर देगी। यह सुनकर अजय बहुत उदास हो गया। वह रात-रात भर जागता और रोता कि अब क्या होगा। फिर एक दिन उसकी ट्यूशन छूट गई। वह बहुत दुखी और बेचैन हो गया।
फिर एक दिन सुरभि उसके घर आई। उसने कहा कि उसकी हालत बहुत खराब है, उसका पति कुछ काम नहीं कर रहा, इसलिए वह फिर से ट्यूशन शुरू कर रही है। यह सुनकर अजय बहुत खुश हो गया। उसे लगा जैसे सब कुछ मिल गया हो। ट्यूशन फिर से शुरू हो गया, और उसकी सेक्स की जानकारी भी बढ़ने लगी। वह सुरभि से चिपककर बैठता था। दोनों अकेले होते थे। वह उसे पटाने की बहुत कोशिश करता था, लेकिन उनकी उम्र का फर्क सबसे बड़ी रुकावट था। अजय की हालत भूखे शेर जैसी थी—खाना सामने था, लेकिन वह खा नहीं पा रहा था। हर रोज वह सुरभि के नाम की मुठ मारता था और कहता था, “सुरभि, मैं तुमसे प्यार करता हूँ।”
जब सुरभि प्रेग्नेंट थी, तब भी उसका शरीर पहले जैसा ही था। वही स्टाइल, वही फिगर—सब कुछ ठीक-ठाक था। फिर एक साल बाद उसका पति पैसा कमाने के लिए दुबई चला गया। अब जब अजय ट्यूशन के लिए उसके घर जाता था, तो वहाँ सिर्फ सुरभि, उसकी छोटी बेटी और अजय ही होते थे। सुरभि उसे ढाई घंटे तक पढ़ाती थी। अजय उसके बूब्स को देखकर मन ही मन उत्तेजित हो जाता था। अगर उसका लंड खड़ा हो जाता, तो वह उसे हाथ से ढक लेता और ऊपर किताब रख देता।
दिन ऐसे ही गुजरते रहे। अजय का मूड अब सुरभि के साथ शारीरिक संबंध बनाने का था, लेकिन वह बहुत डरता था। फिर सुरभि के पति ने दुबई में अच्छी कमाई शुरू कर दी। वहाँ से पैसे आने लगे। सुरभि का स्टाइल और भी सॉलिड हो गया। उसने ब्रा की जगह कप वाली ब्रा पहनना शुरू कर दिया, अंडरवियर की जगह पैंटी ले ली। उसकी नेल पॉलिश और लिपस्टिक ब्रांडेड हो गईं। बालों में हाइलाइट्स आ गए और सैंडल की जगह हाई हील्स ने ले ली। अब वह एकदम सेक्सी टीचर लगने लगी थी।
एक दिन अजय की क्लास में कृत्रिम वीर्य दान का पाठ आया। साइंस की क्लास में उसने सुरभि से पूछा कि यह क्या होता है। सुरभि ने कहा कि वह अभी इसके लिए छोटा है। अजय ने बहुत जिद की, लेकिन सुरभि नहीं मानी। फिर उसने कहा कि ठीक है। कुछ दिन बाद सुरभि को किसी काम से बाहर जाना था। उसके पास स्कूटर नहीं था। उसने अजय से पूछा कि क्या वह उसे छोड़ देगा। अजय ने कहा कि अगर वह उसे वह लेसन सिखाएगी, तभी वह जाएगा। सुरभि ने कहा, “ठीक है बाबा, मैं तुम्हें सिखाऊँगी, पहले मुझे छोड़ तो दो।” अजय ने उससे वादा ले लिया। फिर वह पहली बार अपनी बाइक पर सुरभि को पीछे बिठाकर ले गया। उसे अपनी सेक्सी टीचर को बाइक पर ले जाना अच्छा लग रहा था।
अजय ने अपनी बाइक और सीट को साफ किया ताकि सुरभि की साड़ी गंदी न हो जाए। रास्ते में उनकी बातचीत चल रही थी। अजय ने पूछा, “टीचर, आप लेसन एकदम साफ समझाएँगी न?” सुरभि ने कहा, “तू अभी बहुत नादान है।” अजय ने कहा कि अब वह बड़ा हो गया है। सुरभि ने हँसते हुए कहा, “हाँ बाबा हाँ, हम तुम्हें सिखा देंगे।” यह कहकर वह अजय से चिपककर बैठ गई। अगले दिन जब अजय उसके घर गया, तो उसने कहा, “टीचर, किताब निकालूँ?” सुरभि ने कहा, “उसमें किताब की क्या जरूरत है? मैं तुम्हें ऐसे ही बता देती हूँ।” अजय ने कहा, “ठीक है।”
सुरभि ने पूछा, “तुम्हें पता है बच्चे कैसे होते हैं?” अजय ने कहा, “हाँ, थोड़ा-थोड़ा पता है।” सुरभि ने कहा, “मुझे बताओ?” अजय ने जवाब दिया, “शादी में सात फेरे लेने के बाद होते हैं।” सुरभि ने कहा, “मुझे उल्लू मत समझो, मैं सब जानती हूँ।” अजय ने कहा, “मुझे शर्म आती है।” सुरभि ने हँसकर कहा, “तो फिर पूछा क्यों? और क्या मुझे ऐसी बातें बताने में शर्म नहीं आएगी?” अजय चुपचाप रह गया। सुरभि ने कहा, “चलो, भोले मत बनो। जितना पता है, उतना बताओ। अब मुझसे क्या शर्माना?”
अजय ने कहा, “लड़का अपने बाथरूम करने की जगह को लड़की के टॉयलेट करने की जगह में डालेगा, तब बच्चा पैदा होगा।” सुरभि जोर-जोर से हँस पड़ी और बोली, “अरे पागल, तुम्हें तो आधी बात ही पता है। देख, तेरे पास जो चीज है, उसे लंड बोलते हैं। और लड़की के पास जो चीज होती है, उसे चूत बोलते हैं। जहाँ से दोनों बाथरूम करते हैं, वो चीज जब एक-दूसरे के अंदर जाती है और लंड से वीर्य निकलकर चूत के अंदर जाता है, तो लड़की प्रेग्नेंट हो जाती है।”
अजय ने पूछा, “तो यह चूत कैसी होती है?” सुरभि ने कहा, “वो तो मैं नहीं बताऊँगी।” अजय ने कहा, “लेकिन आपने मुझसे वादा किया था।” सुरभि ने कहा, “मैंने लेसन समझाने का वादा किया था, चूत दिखाने का नहीं।” अजय ने कहा, “तो ठीक है, लेसन तो समझाओ।” सुरभि ने कहा, “जब यह वीर्य निकलता है, तो डॉक्टर उसे एकत्र करके चूत में डालकर फीमेल को प्रेग्नेंट कर देते हैं। यही होता है कृत्रिम वीर्य दान।”
वह दिन खत्म हो गया। अजय ने उस रात बहुत जोर-जोर से मुठ मारी। सुरभि के मुँह से “चूत” और “लंड” सुनकर उसे बहुत अच्छा लगा। वह अगले दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार करने लगा।
अगले दिन अजय का इंतजार खत्म हुआ। सुरभि ने कहा, “चलो, आज मैं तुम्हें गणित पढ़ाती हूँ।” अजय ने कहा, “लेकिन मेरी तो साइंस में बहुत रुचि है। यह रही साइंस की किताब।” सुरभि ने कहा, “तू क्यों मुझे परेशान करता है? एक तो मेरे पति हैं नहीं, और तू भी।” अजय ने पूछा, “उसमें परेशानी वाली कौन-सी बात है?” सुरभि ने कहा, “कल मुझे उनकी बहुत याद आ रही थी।” अजय ने पूछा, “क्यों?” सुरभि ने कहा, “चलो छोड़ो, मैं नहाकर आती हूँ। ठीक है? तुम बैठकर साइंस का लेसन पढ़ो। कुछ न समझ आए तो मुझे बताना।” यह कहकर उसने हँसते हुए इशारा किया।
जब सुरभि नहाने गई, तो उसने अपनी ब्रा और पैंटी बेड पर रख दी। अजय ने उन्हें हाथ लगाया, सूँघा। उनमें से अजीब-सी स्मेल आ रही थी। वह एकदम लोटपोट हो गया। उसके पसीने छूटने लगे। उसका वीर्य मुठ मारे बिना ही धीरे-धीरे बाहर आने लगा। उसकी पैंट में दाग हो गया। इतना वीर्य पहले कभी नहीं निकला था। उसने वॉशरूम में जाकर उसे साफ किया, लेकिन पानी का दाग रह गया।
सुरभि बाथरूम से बाहर निकली और बोली, “साइंस आ गया?” अजय ने कहा, “हाँ, थोड़ा-थोड़ा।” उस वक्त सुरभि उसे दिख नहीं रही थी, क्योंकि वह बाथरूम के पास ही थी। जब वह बाहर आई, तो उसने एकदम पारदर्शी गाउन पहना हुआ था। उसके अंदर लाल रंग की छोटी पैंटी और ब्रा साफ दिख रही थी। उसके बाल गीले थे। उसने कान और नाक में रिंग पहन रखी थी। नेल पॉलिश पीले रंग की थी, और लिपस्टिक लाल। उसके बूब्स के बीच की दरार साफ दिख रही थी। उसके कूल्हे लचक रहे थे। उसके पैरों में भी पीले रंग की नेल पॉलिश लगी थी।
अजय बस इतना ही देख पाया। उसके लंड ने उसे धोखा दे दिया, और वह एक बार फिर झड़ गया। इस बार बहुत जोर की छूट हुई थी। वह उठा, पैंट साफ की, और सीधे बैग छोड़कर वीडियो गेम खेलने लगा। 15-20 मिनट बाद सुरभि वहाँ आई और उसे अपने रूम में ले गई। उसने पूछा, “क्या तू यह बात किसी को बताएगा?” अजय ने कहा, “नहीं।” सुरभि ने कहा, “आज से हम स्टूडेंट नहीं, फ्रेंड्स।” अजय ने कहा, “अरे पगले, हम तो उस दिन से फ्रेंड्स थे जब तुमने मुझे बाइक से छोड़ा था।” सुरभि ने उससे यह बात किसी को न बताने का वादा लिया।
अगले दिन जब अजय उसके घर गया, तो उसने कहा, “आज साइंस और गणित नहीं। बहुत हो गई पढ़ाई। आप नहाकर आओ।” सुरभि ने कहा, “पैंट में छूट तो नहीं हो जाएगी न?” अजय ने कहा, “आज मैं मुठ मारकर आया हूँ।” सुरभि ने कहा, “वाह, बहुत अच्छा।” फिर वह नहाने चली गई। अजय ने फिर से उसकी पैंटी और ब्रा को सूँघा और मजे लिए। कुछ देर बाद सुरभि बाहर आई। उसने मस्त सेक्सी कपड़े पहने थे—थ्री-पीस। छोटी डोरी वाली ब्रा, छोटी पैंटी, और ऊपर गाउन स्कर्ट टाइप का कुछ था। वह एकदम सेक्सी लग रही थी।
अजय ने कहा, “मेरे पास आओ।” सुरभि ने कहा, “मेरा पर्स खोलो।” अजय ने पर्स खोला, तो उसमें लंड जैसा कुछ था। उसने पूछा, “यह क्या है?” सुरभि ने कहा, “इसे नकली लंड बोलते हैं। यह चूत के अंदर और गांड के अंदर घुसाने की चीज है।” उसने बताया कि पर्स में दवाई भी है। अजय ने पूछा, “यह किसकी दवाई है?” सुरभि ने कहा, “इससे मजा कर सकते हैं और बच्चा भी नहीं होता।” फिर उसने पर्स से एक नंगी तस्वीर वाला पैकेट निकाला और कहा, “यह कंडोम है। इसे लंड पर पहनकर चोदते हैं। इससे भी बच्चा नहीं होता।” उसने पूछा, “क्या अभी कोई और चीज सीखनी है तुझे?” अजय ने कहा, “हाँ, मुझे चूत देखनी है।”
सुरभि ने कहा, “क्या तू देख पाएगा?” अजय ने कहा, “हाँ।” फिर सुरभि ने धीरे-धीरे स्कर्ट उतारी और बोली, “मेरे शरीर को छुओ।” अजय ने धीरे-धीरे उसके शरीर को छुआ। उसे बड़ा मजा आ रहा था। उसने कहा, “आज का दिन मुझे दे दो सुरभि। मेरी डार्लिंग, मैं तेरे लिए पूरी जिंदगी से भूखा हूँ।” सुरभि ने कहा, “मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।” फिर अजय ने अपनी जीभ से उसे चाटना शुरू कर दिया।
अजय ने पहले सुरभि के कान चाटे, उसकी आँखों को चूमा, फिर धीरे-धीरे उसकी गर्दन पर आया। उसने उसके बूब्स दबाते हुए उसकी नाभि को चाटा और कमर को जोर से पकड़कर उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूत को चूमा। सुरभि की जाँघों में जादू था। वे बहुत मुलायम थीं। अजय उन्हें चाटता और दबाता रहा। उसके घुटने एकदम सफेद थे। फिर उसने उसके पैरों को चाटा। इसके बाद उसने सुरभि की ब्रा उतारी। उसके सामने दो आम जैसे बूब्स लटक रहे थे। वे बड़े थे, थोड़े लचीले, और छोटी-छोटी गुलाबी निप्पल्स वाले। अब अजय से रहा नहीं गया।
उसने सुरभि के निप्पल को मुँह में लिया। उसे लगा जैसे वह स्वर्ग में किसी परी के बूब्स चूस रहा हो। थोड़ी देर बाद उसने उसकी पैंटी उतारी। सुरभि की चूत एकदम साफ थी। उसके कूल्हे टाइट थे। अब सुरभि उसके सामने पूरी तरह नंगी खड़ी थी। उसके शरीर पर एक भी दाग या तिल नहीं था। उसके शरीर की खुशबू ने अजय के होश उड़ा रखे थे। फिर अजय ने भी अपने कपड़े उतारे। सुरभि ने उसके लंड से खेलना शुरू कर दिया और बोली, “तेरा लंड तो मुझे मजा दे सकता है।” उसने अपनी जीभ से लंड को हिलाना शुरू किया। अजय ने उसके मुँह में ही छूट कर दी। फिर भी सुरभि चूसती रही। दो बार छूट होने के बाद भी वह नहीं रुकी। जब वीर्य खाली हो गया, तो उसे पता चल गया कि टंकी खाली हो चुकी है।
फिर सुरभि ने अजय के लंड को गीला कर दिया और बोली, “तेरी बारी।” उसने अजय से अपनी चूत चटवाई और कहा, “चूस, जितनी ताकत है उतनी चूस।” उसकी चूत से गम जैसा कुछ निकल रहा था। सुरभि ने कहा, “उसे पी जा।” फिर उसने अपने दोनों पैर ऊँचे कर लिए और बोली, “अब गांड भी चाट और भोसड़ा भी चूस।” अजय ने चूसना जारी रखा। थोड़ी देर बाद सुरभि ने कहा, “अब तेरा लंड मेरी चूत के अंदर जाएगा।” अजय ने पूछा, “क्या मैं कंडोम पहन लूँ?” सुरभि ने कहा, “नहीं, तेरे और मेरे बीच कोई नहीं आना चाहिए।” जब अजय ने उसकी चूत में लंड डाला, तो वह गरम-गरम थी। सुरभि उसका मुँह चाट रही थी। अजय ने उसके बाल जोर से पकड़ रखे थे। सुरभि ने आवाजें निकालना शुरू कर दिया—आहह, आह्ह्ह। “और जोर से डाल मेरे अंदर, और जोर से।”
सुरभि ने अजय की कमर पर नाखून चुभाने शुरू कर दिए। अजय कभी उसके बाल पकड़ता, तो कभी उसके बूब्स। फिर सुरभि ने अपने पैरों को अजय के पैरों के साथ लपेट लिया। जब अजय धक्का मारता, तो वह अपने पैरों से उसे अंदर की ओर खींचती। यह बहुत देर तक चला। अजय की छूट नहीं हो रही थी। सुरभि भी थकने का नाम नहीं ले रही थी, और अजय भी। उनका बदन पसीने से लथपथ हो गया था। थोड़ी देर बाद अजय ने उसे लिप किस किया। सुरभि अब भूखी शेरनी हो गई थी। उसने अजय को काटना शुरू कर दिया। फिर भी अजय को मजा आ रहा था। उसका गरम लंड और सुरभि की गरम चूत का मिलन चल रहा था।
फिर अजय ने अपनी नजर सुरभि के सेक्सी निप्पल्स पर जमाई। वह देखता रहा और धक्के मारता रहा। सुरभि ने कहा, “अब मेरी गांड मार।” वह कुतिया बन गई। अजय ने उसकी गांड को गीला करके अपना लंड अंदर घुसा दिया। अब उसका लंड साथ छोड़ रहा था। उसे बहुत दर्द होने लगा। आखिर में उसने सुरभि की कमर पकड़कर उसकी गांड मारी। फिर छूट हो गई। वह सुरभि से लिपटकर शाम तक सोता रहा। इसके बाद वह अपने घर चला गया।
अब सुरभि अजय के लंड पर बैठकर उसे पढ़ाती थी। दोनों पढ़ाई के साथ-साथ चुदाई के भी बहुत मजे लेते थे।