Indian lesbian sex story – दोस्तों, मैं अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ। ये मेरा पहला अनुभव है अपनी कहानी को आप सबके सामने लाने का, तो कृपया मेरी गलतियों को बताइए और मेरा मार्गदर्शन करें ताकि मैं इसे और बेहतर ढंग से पेश कर सकूँ। आपके सुझाव और हौसला-अफजाई का मुझे इंतज़ार रहेगा। मेरा नाम सुनीता है। मैंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर ली है और अब बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही हूँ। मैं और मेरा छोटा सा परिवार एक छोटे से कस्बे में रहता है। मेरा परिवार बहुत छोटा है, जिसमें मेरे पिता, माँ, मेरा छोटा भाई और मैं, बस यही चार लोग हैं। मेरे दादाजी का देहांत मेरे बचपन में ही हो गया था। मेरे पिता एक मेहनती किसान हैं, और हमारा फार्म पूरे इलाके में जाना-पहचाना है। पिताजी पढ़े-लिखे किसान हैं और नई तकनीकों से खेती करने में विश्वास रखते हैं। मेरी माँ भी मेहनती गृहिणी हैं, जो घर के कामों के साथ-साथ खेतों में भी मदद करती हैं।
मेरा छोटा भाई मुझसे कुछ साल छोटा है। ये कहानी तब शुरू होती है जब मेरा दसवीं का रिजल्ट आया था, जिसमें मुझे 85% अंक मिले थे। इससे माँ और पिताजी बहुत खुश थे। हमारे गाँव में दसवीं के बाद पढ़ाई की सुविधा नहीं थी, और पिताजी चाहते थे कि मैं खूब पढ़ूँ। बहुत सोच-विचार के बाद फैसला हुआ कि मुझे आगे की पढ़ाई के लिए मामा जी के यहाँ भेजा जाए। मेरे मामा जी शहर में रहते थे। उनकी शादी माँ से पहले हो चुकी थी, लेकिन वो अभी तक बेऔलाद थे। मामा जी और मामी जी मुझे और मेरे भाई से बहुत प्यार करते थे। मैं पिताजी के साथ शहर आ गई। मामा जी का बहुत बड़ा मकान था, जिसमें सिर्फ़ वो दो लोग रहते थे। मामा जी ने कहा, “अच्छा हुआ तू यहाँ आ गई, अब हमारे घर में थोड़ी रौनक आएगी।” उन्होंने मेरे लिए ऊपर वाला कमरा ठीक कर दिया ताकि मेरी पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो। शुरू-शुरू में मुझे घर की बहुत याद आती थी।
लेकिन फिर मैं ये सोचकर खुश हो जाती थी कि जल्द ही मेरा भाई भी यहाँ आने वाला है। दोस्तों, उस वक़्त तक मैं सेक्स के बारे में पूरी तरह अनजान थी, लेकिन मेरे शरीर में बदलाव शुरू हो चुके थे। मेरी छाती का उभार बढ़ने लगा था, जो अब छोटे संतरे की तरह दिखता था, लेकिन मैं अभी ब्रा नहीं पहनती थी। मैं अंदर सलवार-समीज़ पहनती थी। मेरी कांख में भी कुछ बाल उगने शुरू हो गए थे, और वैसे ही मेरी चूत पर भी बाल आने शुरू हो गए थे। लेकिन शहर आने के कुछ दिनों बाद मेरी जानकारी बढ़ने लगी, क्योंकि मेरी क्लास की लड़कियों की छाती मेरे से बड़ी थी, और वो बहुत फैशन करती थीं। उनमें से एक लड़की थी रिया, जो मेरे घर के पास ही रहती थी। उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। रिया मेरे घर पढ़ाई करने आने लगी, और कभी-कभी मैं उसके घर जाती।
एक दिन रिया मेरे घर पढ़ाई करने आई। हम ऊपर मेरे कमरे में पढ़ाई करने बैठे थे। मैं कुर्सी पर थी, और रिया टेबल के सहारे बैठी थी। तभी अचानक मैं खड़ी हुई, और उसी वक़्त रिया भी सीधी होने लगी। हम दोनों एक-दूसरे से टकरा गए, और मेरी कोहनी रिया की छाती से जा टकराई। रिया चिल्लाई, “उई माँ, मर गई!” मैंने तुरंत कहा, “सॉरी रिया, बहुत ज़ोर से लगी क्या?” रिया अपनी छाती पर हाथ रखकर बैठ गई। मैंने फिर पूछा, “बहुत दर्द हो रहा है क्या?” मैंने उसकी छाती पर हाथ रखा। रिया ने तुरंत मेरा हाथ अपने सीने पर दबाया और लंबी साँसें लेने लगी। मुझे लगा शायद मालिश करने से उसे राहत मिलेगी, इसलिए मैंने उसकी छाती को धीरे-धीरे मसलना शुरू किया। रिया ने अपनी आँखें बंद कर लीं और मेरा दूसरा हाथ पकड़कर अपने दूसरे स्तन पर रख दिया, फिर मेरे हाथों को ज़ोर से दबाने लगी। मैंने भी अनजाने में उसके स्तनों को मसलना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद जब मैं रुकना चाहा, तो रिया बोली, “प्लीज़ सुनीता, रुक मत यार, और ज़ोर से दबा!” उसने अपना टॉप थोड़ा खिसकाकर मेरे हाथों को अपने टॉप के अंदर डाल दिया। उसने अंदर न तो समीज़ पहनी थी, न ब्रा। अब उसकी नंगी चूचियाँ मेरे हाथों में थीं। मैं थोड़ा रुक गई, तो रिया फिर बोली, “प्लीज़ यार सुनीता, दबा इन्हें, और ज़ोर से दबा!” मैं फिर से दबाने लगी। दोस्तों, अब मुझे भी अजीब सा मज़ा आने लगा था। रिया तो अपनी आँखें बंद करके पूरी मस्ती में झूम रही थी। मैंने महसूस किया कि रिया के निप्पल खड़े होने लगे थे। जब उसने आँखें खोलीं, तो उसकी आँखें गुलाबी लग रही थीं। अचानक उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे होठों पर अपने होंठ रखकर चूमने लगी। मैं एकदम से कसमसाई और बोली, “ये क्या पागलों जैसी हरकत कर रही हो रिया, छोड़ मुझे!” मैंने ज़बरदस्ती उसे अपने से अलग किया।
आप यह Lesbian Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
रिया बोली, “प्लीज़ यार सुनीता, फिर से दबा दे, देख मैं कैसे जल रही हूँ, मेरा बदन कैसे तप रहा है!” इतना कहते ही उसने मेरे हाथ फिर से अपने टॉप के अंदर डाल दिए। मैंने महसूस किया कि उसका बदन भट्टी की तरह तप रहा था। मैं घबरा कर बोली, “अरे, तेरा बदन तो बहुत ज़्यादा गर्म लग रहा है, बुखार है क्या तुझे?” रिया बोली, “हाँ मेरी जान, मुझे ये जवानी का बुखार चढ़ा है, प्लीज़ जल्दी से इसे ठंडा कर दे!” वो फिर से मेरे हाथों को अपनी छाती पर दबाने लगी। मैंने कहा, “रिया, रुक, मैं मामी से कोई दवा लाती हूँ!” मैंने फिर से अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन रिया ज़बरदस्ती मेरे हाथ पकड़ते हुए बोली, “हाय रे भोली डॉक्टर, मेरी दवा तो तेरे ही पास है!” मैंने कहा, “मैं समझी नहीं, ये तू क्या बोल रही है?” रिया बोली, “मैं सब समझाती हूँ मेरी भोली सुनीता रानी, तू बस इन्हें दबाती जा!” अब मैंने भी हथियार डाल दिए और उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया।
मेरे लिए भी ये एक नया अनुभव था। मुझे भी अब कुछ-कुछ अच्छा लगने लगा था। रिया ने फिर से मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे होठों पर चुम्बन जड़ दिया। रिया बोली, “क्या तूने अभी तक ऐसा कभी नहीं किया?” मैंने कहा, “ऐसा यानी? मैं समझी नहीं।” रिया बोली, “मेरी भोली बन्नो, क्या तूने आज तक किसी को चुम्बन नहीं दिया?” मैंने कहा, “छी, गंदी कहीं की!” तभी रिया ने मुझे अपने से अलग किया और दरवाज़े की ओर भागी। उसने दरवाज़े की कुंडी अच्छे से बंद की और फिर भागकर मेरे पास आई। मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मैं बोली, “ये क्या कर रही हो रिया, तूने दरवाज़ा क्यों बंद किया? तुझे क्या हुआ?” रिया ने बड़े प्यार से मेरी ओर देखा और बोली, “क्योंकि आज मैं अपनी प्यारी बन्नो को जवानी का मस्ती भरा खेल सिखाने वाली हूँ!” मैंने कहा, “जवानी का मस्ती भरा खेल? ये क्या है?” ये सुनते ही उसने फिर से अपने होंठ मेरे होठों से जोड़े और मेरी उभरती छाती को अपने कोमल हाथों से दबाना शुरू कर दिया।
जैसे ही रिया के हाथ मेरी छाती से मिले, मुझे भी एक अजीब सा आनंद महसूस हुआ। मुझे नशा सा होने लगा था। रिया ने मेरे निचले होंठ पर अपनी जीभ फेरना शुरू किया। जल्द ही उसके कोमल हाथ मेरे टॉप के अंदर जाने की कोशिश करने लगे। मुझे ये सब थोड़ा अजीब भी लग रहा था, लेकिन न जाने क्यों मैंने उसे रोका नहीं। मेरे ऐसा न रोकने से जल्द ही उसके हाथ मेरे टॉप के अंदर थे, लेकिन उन हाथों की मंज़िल कुछ और थी। उसने थोड़ी मेहनत करके मेरी समीज़ के अंदर हाथ डालकर मेरी छोटी-सी चूची को छू लिया। उफ्फ, मेरी तो साँसें जैसे थम सी गईं। एक पल के लिए मुझे लगा जैसे मैं हवा में हूँ, उड़ रही हूँ। रिया ने मुझे ज़मीन पर उतरने का मौका ही नहीं दिया। वो मेरी चूचियों को ज़ोर से दबाने लगी। दोस्तों, ये मेरी ज़िंदगी का पहला ऐसा अनुभव था। मैं एक अजीब सा मीठा-सा दर्द महसूस कर रही थी, जो मैंने पहले कभी नहीं महसूस किया था।
रिया ने तो जैसे मुझे पागल करने की ठान ली थी। उसने मेरे निप्पलों को अपनी चुटकियों में भरकर मरोड़ा। स्स्सी… स्स्सी… मेरी तो जैसे जान ही निकल गई। मैं चीखना चाहती थी, लेकिन चीख नहीं सकी, क्योंकि मेरे होंठ तो रिया ने अपने होठों से बंद किए हुए थे। लेकिन हुआ यूँ कि मेरा मुँह थोड़ा खुल गया, और रिया ने इसका फायदा उठाते हुए अपनी जीभ मेरे होठों के अंदर सरका दी। अब उसकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी। मुझे एक अजीब सा मज़ा आ रहा था। मैंने अपनी जीभ से रिया की जीभ को धकेलना चाहा, लेकिन मेरी इस कोशिश से मेरी जीभ रिया के मुँह में चली गई। अब रिया मेरी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। मेरे निप्पल अब पूरी तरह सख्त हो गए थे। रिया का उन्हें दबाना, मरोड़ना और मेरे होठों को चूसना जारी था। उसका ऐसा करना मुझे पूरी तरह पागल कर रहा था। न जाने कितनी देर तक हम ऐसे ही रहे। अचानक रिया ने चुम्बन तोड़ा और अपने हाथ खींचकर अलग खड़ी हो गई।
मुझे लगा जैसे उसने मुझे आसमान से उठाकर सीधा ज़मीन पर पटक दिया। मैं रिया की ओर असमंजस भरी नज़रों से देखने लगी। रिया मुझे देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रही थी। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। रिया धीमे कदमों से मेरे पास आई और मेरी पीठ सहलाते हुए मुझे पलंग की ओर ले गई। फिर उसने मेरे कंधों से पकड़कर मुझे नीचे बिठाया। मैं एक नई-नवेली दुल्हन की तरह शरम से लाल हो गई। रिया ने धीरे से पूछा, “सुनीता मेरी जान, कैसा लगा?” मैं तो शरम से मरी जा रही थी। मैंने अपना चेहरा रिया की छाती में छुपाना चाहा। उसने मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर एक और चुम्बन जड़ दिया और फिर पूछा, “मेरी भोली रानी, कैसा लगा ये खेल?” मैंने मुस्कुराकर नीचे देखा। रिया बोली, “देख सुनीता, अगर तू जवानी का ये खेल सीखना चाहती है, तो शरम छोड़ और मुझे बता कि तुझे ये खेल कैसा लगा।” मैंने कहा, “क्या, कैसा लगा?”
आप यह Lesbian Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
रिया बोली, “ओह, तो तुझे अच्छा नहीं लगा? ठीक है, मैं अपने घर चली जाती हूँ।” मैं घबरा गई और तुरंत उसका हाथ पकड़कर उसे ज़बरदस्ती नीचे बिठाते हुए बोली, “रिया, मैंने ऐसा तो नहीं बोला यार!” ये सुनते ही उसने फिर से मेरा चेहरा पकड़ा और एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया। फिर बोली, “तो तुझे जवानी का मस्ती भरा खेल सीखना है?” इस बार मैंने जवाब में खुद को समर्पित करते हुए रिया के होठों पर अपने होंठ रख दिए। रिया ने खुशी के मारे मुझे अपने सीने से लगा लिया और बोली, “चल मेरी जान, अब इस खेल की शुरुआत करते हैं।” रिया ने कहा, “देखो सुनीता, इस खेल के कुछ नियम हैं, उनका पालन कड़ाई से करना होगा। पहला, मेरी सारी बातें बिना हिचकिचाए माननी होंगी। दूसरा, अभी कोई सवाल नहीं पूछना। बाद में सारे सवालों के जवाब तुझे खुद ही मिल जाएँगे।” फिर रिया ने हँसते हुए मेरे निप्पलों को मरोड़ा, “स्स्स्स… स्स्स्स… हाय, मेरी तो जान ही निकल गई!” फिर रिया ने मेरे टॉप को नीचे से पकड़ा और एक झटके में उसे निकाल दिया।
अब मैं सिर्फ़ समीज़ में बैठी थी। दोस्तों, इससे पहले मैं किसी के सामने सिर्फ़ समीज़ में नहीं गई थी। मुझे शरम आ रही थी। मैंने अपनी छाती को अपने हाथों से ढकना चाहा, लेकिन रिया ने मुझे ऐसा करने नहीं दिया। रिया बड़े प्यार से मेरे रूप को देख रही थी। मैंने शरमाकर अपनी नज़रें नीचे कर लीं। रिया ने मेरी ठोड़ी पकड़कर मेरा चेहरा ऊपर किया और बोली, “मेरी जान, शरमाना छोड़ और मेरी आँखों में आँखें डालकर देख।” मैंने उसकी आज्ञा का पालन करते हुए उसकी आँखों में देखा। रिया मेरी ओर तारीफ भरी नज़रों से देख रही थी। फिर उसने मेरी समीज़ को नीचे से पकड़ा। मैं उसका इरादा भाँप गई और उसके हाथ पकड़ लिए। लेकिन उसने भी ज़ोर लगाकर समीज़ को ऊपर की ओर खींचना शुरू किया और बोली, “मेरी जान, अब तो तू मेरी सारी शर्तें मान चुकी है, तो अब ये शरमाने का नाटक छोड़ दे।” ये सुनकर मैंने अपने हाथ ढीले छोड़ दिए।
रिया ने एक झटके में मेरी समीज़ को मेरे शरीर से अलग कर दिया। अब ऊपर से मैं पूरी तरह नंगी थी। मैंने देखा, मेरी छोटी-सी संतरे जैसी चूचियाँ फूल गई थीं, और मेरे गुलाबी निप्पल पूरी तरह कठोर हो चुके थे। मैंने पहले कभी अपने आप को इतनी गौर से नहीं देखा था। इधर रिया अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करके मेरे सौंदर्य का रसपान कर रही थी। जब मेरी नज़र उससे मिली, तो वो प्यार से मुस्कुरा दी। फिर रिया ने भी एक ही पल में अपना टॉप निकाल फेंका। उसने टॉप के नीचे कुछ नहीं पहना था। टॉप के निकलते ही उसके बड़े-बड़े संतरे जैसे चूचे मेरी आँखों के सामने उछल पड़े। मैं भी बड़ी गौर से उसके दोनों चूचों को देखने लगी। मन ही मन मैं अपनी और उसकी चूचियों की तुलना करने लगी। रिया की रंगत साँवली थी, जबकि मैं गोरी-चिट्टी थी। मेरा रंग ऐसा था जैसे दूध में हल्का केसर मिला हो। रिया के निप्पल जामुनी थे, जबकि मेरे गुलाबी। लेकिन उसके चूचे मेरी चूचियों से डेढ़ गुना बड़े थे। मुझे इस तरह हस्त-पस्त देखकर रिया हँस दी और बोली, “मेरी जान, माल पसंद आया कि नहीं?” मैं बस शरमाकर मुस्कुराई। रिया ने मेरा हाथ पकड़कर अपने चूचों पर रखा और बोली, “सुनीता रानी, ये सब तेरे लिए है, इन्हें चूम।”
मैं तो जैसे हिप्नोटाइज़ हो गई थी। मेरा सिर अचानक ही उसकी छाती पर झुका, और मेरे लरजते हुए होठों ने उसके निप्पलों को छुआ। रिया ने एक लंबी सिसकारी भरी, “स्स्स्सी…” उसने मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाया। फिर तो जैसे मैं पागल हो गई। मैं उसके निप्पलों को अपने मुँह में लेकर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी, जैसे मैं उन दो संतारों को खा जाना चाहती थी। बीच-बीच में मेरे दाँत उन कोमल चूचों पर लग जाते, जिससे रिया ज़ोर से सिसक उठती। जब मैं एक चूची को चूसती, तो दूसरी चूची को बेदर्दी से दबाती रहती। बीच में जब मैंने अपनी आँखें उठाकर देखा, तो रिया अपनी आँखें बंद करके सिसक रही थी। तकरीबन 15 मिनट चूसने के बाद उसने मुझे रोका। मेरे रुकते ही मेरा चेहरा ऐसा था जैसे किसी बच्चे से उसका पसंदीदा खिलौना छीन लिया हो। मेरे रुकते ही रिया ने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और बाज़ की तरह मुझ पर टूट पड़ी। उसका पहला हमला मेरे होठों पर था।
इस बार उसने मेरे निचले होंठ को अपने होठों के बीच लेकर चूसना शुरू किया। मैंने अपना मुँह खोलते हुए उसकी जीभ को आमंत्रित किया। उसने भी मेरी बात रखते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह के अंदर सरका दी। लेकिन अब झटका खाने की बारी उसकी थी। मैं उसकी जीभ चूसने लगी। इस बीच हमारे हाथ एक-दूसरे के चूचों का मर्दन कर रहे थे। करीब 5 मिनट तक हमारी जीभें आपस में यूं ही लड़ती रहीं। फिर इस चुम्बन को तोड़ते हुए रिया मेरे चूचों की ओर बढ़ चली। पहले उसने मेरी ठोड़ी को चूमा, फिर मेरी गर्दन पर चुम्मियों की झड़ी लगा दी। जैसे ही उसकी नज़र मेरे निप्पलों पर पड़ी, उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरे चूचों पर एक लंबा चटकारा लगाया। रोमांच के कारण मेरी तो जान ही निकल गई। रिया ने मेरे चूचों को अपने मुँह में ऐसा भरा जैसे वो उन्हें खा जाना चाहती हो। बीच-बीच में वो मेरे चूचों को बेदर्दी से काट भी रही थी। उसके काटने पर एक अजीब सा दर्द उठता।
आप यह Lesbian Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
फिर अचानक रिया नीचे सरक गई और मेरी नाभि को चूमना शुरू किया। “स्स्सी… स्स्सी… रिया मेरी जान, और करो… स्स्सी…” वो बीच में मेरे चूचों पर हमला करती, फिर मेरी नाभि पर। करीब 20 मिनट बाद उसने मेरा एक लंबा चुम्बन लिया और पूछा, “क्यों मेरी जान, मज़ा आया कि नहीं?” अब मैं भी थोड़ा खुल गई थी। मैं बोली, “हाँ मेरी रिया रानी, बहुत मज़ा आया।” ये मेरी ज़िंदगी का पहला सेक्स अनुभव था। आज मैंने उस रंगीन दुनिया में पहला कदम रखा था। फिर रिया ने घड़ी की ओर देखा और बोली, “सुनीता, अब मुझे घर जाना चाहिए, वरना मेरे घरवाले ढूंढते हुए आ जाएँगे।” मैंने कहा, “पर रिया…!” रिया बोली, “मुझे पता है सुनीता, तुझे बहुत कुछ पूछना है, लेकिन अभी नहीं। मैं तुझे सब कुछ बताऊँगी, लेकिन बाद में। क्योंकि अब तो हम एक ही खेल के पार्टनर हैं।” मैंने पूछा, “फिर कब आएगी?” रिया बोली, “बहुत जल्दी आऊँगी मेरी जान, तुझसे ज़्यादा जल्दी तो मुझे है, क्योंकि तेरा मखमली बदन मुझे सोने नहीं देगा।”
इतना कहकर रिया अपनी किताबें समेटने लगी। जाते-जाते वो मुझसे कसकर लिपट गई और मेरे होठों पर एक कड़क चुम्मा दे दिया। फिर दरवाज़े की कुंडी खोलकर बाहर निकल गई। रिया के चले जाने के बाद न जाने मैं कितनी देर वहीँ बैठी रही। फिर नीचे से मामी की आवाज़ आई, “सुनीता बेटा, शाम होने को है, हाथ-मुँह धोकर नीचे आ जा।” मैं हर रोज़ शाम को मामी जी के साथ आरती करती थी। मैं बाथरूम जाकर फ्रेश हो गई और नीचे पूजा घर की ओर चल दी। लेकिन आज पूजा घर में भी मेरा मन नहीं लग रहा था। मामी ने भी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, शायद उन्होंने सोचा होगा कि मैं स्कूल या अपने घर के बारे में सोच रही हूँ। मैं फिर से अपने कमरे में आई, लेकिन मेरा मन कहीं नहीं लग रहा था। सामने किताब खुली थी, लेकिन आँखों के सामने रिया की बड़ी-बड़ी चूचियाँ ही आ रही थीं। मैं अभी भी रिया के होठों की नमी अपने होठों पर महसूस कर रही थी। तभी मामी की आवाज़ आई, “सुनीता बेटा, तेरा फोन है।”
मुझे लगा रिया का फोन है। मैं भागकर नीचे फोन के पास गई और बोली, “हाय रिया!” लेकिन दूसरी तरफ से आवाज़ आई, “हैलो बेटा सुनीता, मैं तेरी माँ बोल रही हूँ।” ये सुनते ही मैं वास्तव में लौट आई। पढ़ाई का बहाना बनाकर मैंने जैसे-तैसे माँ से बात खत्म की। आज न जाने मेरा मन रिया के सिवा कुछ और सोच ही नहीं रहा था। मैं फोन रखकर ऊपर पहुँची ही थी कि नीचे फिर से फोन बज उठा। फिर से मामी की आवाज़ आई, “सुनीता बेटी, तेरा फोन है।” मैं फिर से नीचे गई, फोन उठाया और बड़े अनमने मन से बोली, “हैलो, कौन बोल रहा है?” तभी उधर से रिया की खनकती आवाज़ आई, “हैलो सुनीता, वो कल वाले अर्जेंट प्रोजेक्ट की तैयारी के लिए मैं तेरे घर आ रही हूँ। मैं आज रात को वहीं सो जाऊँगी, और सुबह वहीं से हम कॉलेज जाएँगे।” मैं सुनती रही कि वो क्या बोल रही थी, पहले समझ नहीं आया। फिर मैं समझ गई कि उसने घर आने का कोई बहाना बनाया है। मैं बोली, “हाँ रिया, मैं तो तेरी राह देख रही थी कि तू कब आएगी।” उसने बताया कि वो खाना खाकर 9 बजे तक पहुँचने वाली है।
मैं तो खुशी के मारे दीवानी हो गई थी। मैं भागते हुए किचन में गई और मामी से बोली, “मामी, जल्दी से खाना लगा दो, बाद में मुझे पढ़ना है।” मामी ने मेरे इस बदले रूप को देखा तो हँसते हुए बोलीं, “बैठ बेटा, मैं अभी खाना परोसती हूँ।” खाना खाते-खाते मैंने मामी से कहा, “मामी जी, मेरी सहेली रिया है न, वो रात को यहाँ आने वाली है।” मामी बोलीं, “इतनी रात को?” मैंने कहा, “हाँ मामी, हमें कल एक अर्जेंट प्रोजेक्ट देना है, इसलिए काफी देर तक पढ़ना पड़ेगा।” मामी बोलीं, “तो फिर रिया से बोल कि वो यहीं सो जाए।” मामी से परमिशन मिलते ही मैं खुशी से झूम उठी। मैंने फटाफट खाना खत्म किया और ऊपर की ओर भागी। मैंने घड़ी देखी, अभी आधा घंटा बाकी था। सचमुच दोस्तों, वो आधा घंटा मुझे बहुत लंबा लगा। रिया 9 बजे से पहले पहुँच गई। मामी रिया को लेकर ऊपर आईं और हमसे थोड़ी देर बातें करके नीचे जाने लगीं। जाते-जाते मामी बोलीं, “बेटा, रात को चाय चाहिए क्या?” मैंने कहा, “नहीं मामी, रात को चाय पीने से हमें नींद नहीं आएगी।” फिर मामी ने हमें गुड नाइट बोला और चली गईं।
मामी के जाते ही मैं रिया से लिपट गई और उसे चूमने लगी। लेकिन रिया ने मुझे झटक दिया। मैं बोली, “रिया, अब सहा नहीं जाता, प्लीज़ आओ न मेरी जान!” रिया बोली, “सुनीता, जल्दबाज़ी मत कर, मामी को नीचे जाने दे, क्योंकि तेरी इस जल्दबाज़ी से हमारी पोल खुल जाएगी।” ये सुनते ही मैं एकदम ज़मीन पर आ गई। मैंने कहा, “सॉरी यार, मेरे ध्यान में ही नहीं आया।” फिर मैंने नोटिस किया कि रिया कुछ ज़्यादा ही सजी-संवरी थी। उसका चेहरा चमक रहा था, शायद उसने फेशियल करवाया था। वो अपनी किताबों के साथ एक छोटा सा बैग भी लाई थी। मैंने पूछा, “क्यों री, फेशियल किया है क्या?” रिया बोली, “हाँ रे, मैं तो बहुत सी तैयारी के साथ आई हूँ।” मैंने कहा, “कैसी तैयारी?” रिया बोली, “पहले वैक्सिंग की, फिर फेशियल, और फिर स्पेशल बाथ लेकर आई हूँ।” अब मेरे ध्यान में आया कि रिया बहुत चिकनी लग रही थी। मैंने पूछा, “और इस बैग में क्या है?” रिया ने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा, “इसमें मेरा नाइट ड्रेस, कल के लिए कपड़े और कुछ खास चीजें हैं।” मैंने कहा, “खास चीजें?” रिया बोली, “सब बताऊँगी मेरी रानी, थोड़ा सब्र कर।” मैं बोली, “प्लीज़ यार रिया, अब इतना मत तड़पा, बता न अब!”
आप यह Lesbian Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
रिया हँसते हुए दरवाज़े की ओर बढ़ी और दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर पलटकर अपनी बाहें फैला दीं। मैं दौड़कर उसके पास पहुँची और उसे जोर से भींच लिया। अब हम पागलों की तरह एक-दूसरे को चूमने लगीं। रिया ने मेरे होठों को चूसते हुए मेरी गर्दन पर चुम्मियाँ देना शुरू किया, उसकी गर्म साँसें मेरे कानों तक पहुँच रही थीं। मैं गुदगुदी और उत्तेजना से सिहर उठी। उसने मेरे टॉप के ऊपर से ही मेरी चूचियों को हल्के-हल्के दबाया, फिर धीरे-धीरे मेरे टॉप को ऊपर खींचा। मैंने उसे रोका नहीं, बस शरमाकर उसकी आँखों में देखने लगी। रिया ने मेरी समीज़ भी उतार दी और मेरी नंगी चूचियों को देखकर बोली, “हाय मेरी जान, तेरी ये छोटी-छोटी चूचियाँ कितनी प्यारी हैं।” उसने मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में लिया और जीभ से चाटना शुरू किया। मैं सिसक उठी, “स्स्सी… रिया… धीरे…” लेकिन वो मेरे निप्पल को चूसते हुए हल्का-हल्का काटने लगी। मेरे शरीर में बिजली-सी दौड़ रही थी।
रिया ने मेरी पजामी का नाड़ा खींचा और उसे नीचे सरका दिया। अब मैं सिर्फ़ पैंटी में थी। उसने मेरी जाँघों को सहलाया और मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को हल्के-हल्के छुआ। मैं शरम और उत्तेजना से काँप रही थी। रिया ने मेरी पैंटी को धीरे-धीरे नीचे खींचा और मेरी चूत को देखकर बोली, “वाह सुनीता, तेरी ये गुलाबी चूत तो फूल की तरह है।” उसने मेरी चूत की पंखुड़ियों को अपनी उँगलियों से फैलाया और हल्के-हल्के मसलना शुरू किया। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… रिया… ये क्या कर रही हो…” उसने मेरी चूत पर अपनी जीभ फेरना शुरू किया, धीरे-धीरे मेरे क्लिट को चाटते हुए। मैं उत्तेजना से कमर उचकाने लगी। रिया ने एक उंगली मेरी चूत में सरका दी और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगी। “स्स्सी… हाँ… और कर… उफ्फ…” मैं पागल हो रही थी। उसने मेरी चूत को चाटते हुए दो उँगलियाँ डाल दीं और उन्हें घुमाने लगी। मेरी चूत का रस उसके हाथों पर लग रहा था। वो बोली, “तेरी चूत का रस कितना मीठा है मेरी जान, मैं इसे पूरा चाट जाऊँगी।”
मैंने उसके सिर को अपनी चूत पर दबाया और वो और जोर से चाटने लगी। मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं, “स्स्सी… आह्ह… रिया… चाट मेरी चूत… और जोर से…” रिया ने मेरे क्लिट को अपने दाँतों से हल्का-सा काटा, जिससे मैं झटके से उछल पड़ी। फिर वो ऊपर सरकी और मुझे चूमते हुए बोली, “अब मेरी बारी, सुनीता रानी।” हमने पोजीशन बदली। मैंने रिया की जालीदार काली ब्रा और पैंटी उतारी। उसकी साँवली चूत बिल्कुल चिकनी थी, जैसे दबा-रोटी। मैंने उसकी चूत को चूमा और अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। रिया सिसक उठी, “हाँ… सुनीता… चूस मेरी चूत… और जोर से…” मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाली और घिसने लगी, साथ ही उसके क्लिट को चूस रही थी। रिया की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… हाँ… मेरी जान… और कर…”
हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए, एक-दूसरे की चूत को चाटते हुए। मैं उसकी चूत का रस चूस रही थी, और वो मेरी चूत में उँगलियाँ डाल रही थी। “स्स्सी… रिया… तेरी चूत कितनी रसीली है…” मैं बोली, और वो जवाब में, “हाँ मेरी बन्नो, चाट मेरी बुर… और जोर से…” हमारी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, लेकिन हम सावधान थे कि आवाज़ बाहर न जाए। रिया ने मेरी कांखों को सूँघा और चाटा, बोली, “तेरी बगलों की खुशबू तो जन्नत है, सुनीता।” मैंने भी उसकी कांखों को चाटा, उनकी मादक खुशबू मुझे दीवाना कर रही थी। हमने एक-दूसरे के निप्पलों को चूसा, चूचियों को मसला, और चूत को उँगलियों से एक्सप्लोर किया। रिया ने मेरी चूत में दो उँगलियाँ डालकर तेजी से अंदर-बाहर की, और मैंने उसकी चूत के दाने को जीभ से रगड़ा। हम दोनों कई बार ऑर्गैज्म के करीब पहुँचे, लेकिन रिया ने रोक लिया, बोली, “अभी नहीं मेरी जान, पूरी रात बाकी है।”
हमारी ये फोरप्ले लंबी और उत्तेजक थी। रिया कभी मेरी गर्दन पर चुम्मियाँ देती, कभी मेरी जाँघों को सहलाती, तो कभी मेरे निप्पलों को चुटकी में लेकर मरोड़ती। मैं भी उसकी चूचियों को दबाती, उसकी चूत को चाटती, और उसकी कांखों की खुशबू में खो जाती। हम दोनों के शरीर पसीने और रस से चिपक रहे थे। रिया ने मेरे चेहरे पर लगे अपने रस को चाटा और मुझे चूमते हुए बोली, “सुनीता, तू मेरी जिंदगी का सबसे हसीन तोहफा है।” मैं शरमाकर उससे लिपट गई। हमारी ये रात ऐसी थी जैसे कोई सपना, जिसमें हर पल नया और उत्तेजक था। पढ़ते रहिए, क्योंकि कहानी अभी जारी रहेगी। दोस्तों, कृपया इस कहानी को पढ़ने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट्स में ज़रूर लिखें। आपके कमेंट्स और वोट्स मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं। धन्यवाद!
आप यह Lesbian Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।