Papa ne bitiya ko chod diya : कहानी का पिछला भाग: शैतान बेटी के जाल में फंस गया बाप – भाग 2
अगले दिन हम सुबह उठे और अपनी नित्यकर्म से फारिग हुए. पापा ड्राइंग रूम में सोफे पर ही बैठे थे और आजकल जैसे की उनकी मनपसंद पोषाक ही एक पतली सी लुंगी / लुंगी हो गई थी और एक कमीज, वो ही पहने थे.
मैंने नाश्ता बनाया और उनके पास ले जाकर बैठ गयी.
पापा थोड़ा असहज सा अनुभव कर रहे थे. शायद उन्होंने पहली बार सरेआम मेरी चूत को चाटा था तो थोड़ा शर्म या असहजता महसूस कर रहे थे.
पर मैं तो बहुत खुश थी की पापा ने हम दोनों बाप बेटी के पूरे होशोहवास में मेरी चूत को चाटा था और मेरे सामने ही अपना मुठ मारा था.. मुठ मारने के बाद पापा ने अपना सारा माल मेरी की कच्छी में निकाल दिया था. और उस वीर्य से लथपथ कच्छी को वो मेरे कमरे में ही छोड़ कर चले गए थे.
वो पैंटी मैंने सुबह नहाते समय धोई थी. धोने से पहले मैंने जी भर के पापा के वीर्य को सूंघा और चाटा था.
पापा का वीर्य सूख चूका था पर फिर भी मैंने उसका स्वाद लिया.
पापा का वीर्य मेरे को बहुत अच्छा लगा था. लगता भी क्यों नहीं वो मेरे अपने पापा का माल जो था. किसी गैर का थोड़े ही था.
मैं तो उस वीर्य को अपनी चूत के अंदर महसूस करने को मरी जा रही थी. खैर जब बात इतनी दूर तक आ चुकी है तो असली चुदाई को भी कितनी देर लगेगी.
मैं तो सोच रही थी कि आज क्या करूँ जो पापा को पटाने का कार्यक्रम आगे बढ़े और यहाँ पापा रात वाली बात से ही हिचकिचा रहे थे.
मैंने सोचा की कुछ बोलके या करके वातावरण को थोड़ा सामान्य किया जाए. और पापा को महसूस करवाया जाये की मैं रात वाली घटना से नाराज नहीं बल्कि खुश हूँ.
यह सोच कर मैं पापा को बोली
“पापा! रात में आप ने मेरे रेशेस को बिलकुल ठीक कर दिया है. आप तो सचमुच कमाल हैं. मुझे तो पता ही नहीं था कि रेशेस का ऐसा इलाज भी होता है.”
पापा खुश हो गए की उनकी बेटी रात वाली घटना से खुश है. तो वो भी बोले
“सुमन! क्या तुम ठीक हो गयी हो. देख लो यदि थोड़ी बहुत रेशेस रह भी गयी हैं तो मैं उन्हें आज ठीक कर दूंगा. आखिर तुम मेरी प्यारी बेटी हो, तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है. मेरे मुंह की लार तो चीज ही क्या है. कहो तो आज भी मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा.”
मैं समझ गयी की पापा को मेरी चूत चाटने में अच्छा लगा है तो दोबारा से वही मौका ढूंढ रहे हैं और इधर मैं तो तैयार थी ही, यह मौका कैसे जाने देती.
तो मैं बोली
“पापा! अभी तो आप को ऑफिस भी जाना है, मुझे भी रेशेस थोड़ी ही रह गयी हैं. तो आप ऐसा करें कि शाम तो डिनर के बाद फिर आप रात की तरह करना. और हो सके तो थोड़ा ज्यादा अच्छे से कर देना.”
अब “अच्छे से कर देना” का मतलब तो पूर्ण चुदाई ही हो सकता था और पापा इस तरह के इशारे अच्छी तरह से समज सकते थे. आखिर वो कोई बच्चे तो थे नहीं.
वो भी मुस्कुरा पड़े और हाँ में सर हिला दिया.
मैं उसी तरह अपने कम कपड़ों यानि सी स्कर्ट जो मेरी चूतड़ों तक को मुश्किल से ढक पा रही थी और थोड़ा भी झुकने से जिस से मेरी पैंटी तक नज़र आ जाती थी और ऊपर बिना ब्रा के वही टाइट सी टी शर्ट पहन रखी थी जिस से मेरे चलने पर हिलते हुए मुम्मे साफ़ दीखते थे और मेरी छाती के निप्पल जो पापा की याद में बिलकुल बेर की तरह कसे हुए थे दिख रहे थे. पहन रखी थी,
जब मैं घर के काम काज से इधर उधर घूमती तो पापा को पूरा जन्नत का नजारा दिखाई देता था जो पापा के लण्ड को बैठने का मौका ही नहीं दे रहा था. और यही मैं चाहती थी की पापा उत्तेजित ही रहें ताकि मेरी चुदाई ही उनके दिमाग में छाई रहे और हमारा बाप बेटी का काम हो जाये.
खैर नाश्ता करके पापा ऑफिस चले गए और मैं भी फ्री हो कर लेट गयी और अपने अगले कदम के बारे में सोचने लगी.
उधर पापा का भी यही हाल था. वो भी मेरी चुदाई के लिए कोई बहाना या अगला कदम ही सोच रहे थे.
आग तो हम बाप बेटी में दोनों ओर जोर की लगी हुई थी न।
पापा ऑफिस में तो चले गए पर उन्हें ध्यान अपनी बेटी का ही रहा. हो बस रास्ते में भी यही सोचते रहे कि कैसे वो अपनी बेटी की जवानी का पूरा लुत्फ़ उठा सकते हैं. वो अपनी बेटी की चूत पर रगड़ कर अपने लण्ड का पानी निकाल चुके थे और अपनी बेटी की चूत को चूस चूस और चाट कर उसका रस निकाल चुके थे पर असली काम अभी बाकि था. जब तक वो अपनी बेटी की चूत में अपन लौड़ा नहीं डाल लेते उनका जीवन सफल कैसे हो सकता था?
उन्होंने अपनी बेटी का नाम सुमन बहुत सोच समझ के रखा था क्योंकि वाकई में उसका पूरा बदन गुलाब की पतियों की तरह एकदम कोमल था।
सुमन की सुडोल गांड उसे सपने मैं भी साफ नजर आती थी। जिस पर पानी की बूंदे फिसल रही थी,,,,,,, पापा की पैंट में हलचल सी मचने लगी,,, उनकी यादों में बस उनकी बेटी ही थी.
ऑफिस में भी मेरे पापा बस मेरी चुदाई के बारे में ही सोच रहे थे.
सुमन ने अपने पापा के तन बदन में आग लगा दी थी अपनी खूबसूरत मत मस्त जवानी की आंच से उसे पिघला दी थी,,,, पापा का मन पूरी तरह से बहक गया था,,, वह ऑफिस में पहुँच गए और काम करने लगे पर उनका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था.
पापा का के मन में अपनी बेटी की जवानी की मादकता पापा के तन बदन में लहरा रही थी,,,
पैंट में उनका लंड बगावत पर उतर आया था
घर से लेकर ऑफिस तक बिल्कुल भी शांत नहीं बैठा था उसी तरह से टनटनाकर खड़ा था मानो कि दुश्मन को ललकार रहा हो,,, पापा को जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए उन्होंने बाथरूम में जाकर अपनी पैंट में से लण्ड को निकाल कर पेशाब करना शुरू कर दिया अपने खड़े लंड को देखकर अनायास ही उनके मन में ख्याल आ गया कि काश वह अपने लंड को अपनी बेटी सुमन की बुर में डाल सकते तो कितना मजा आता। अपने मन में यही सोचते हुए वे पेशाब कर रहे था.
वो सोच रहे थे कि उनकी बेटी की बुर एकदम संकरी होगी उसे चोदने का बहुत मजा आएगा,,,अपनी सगी बेटी को चोदने के ख्याल से ही पापा के तन बदन में आग लगने लगी उनकी उत्तेजना बढ़ने लगी उनसे रहा नहीं जा रहा था अपने आपको संभाले नहीं जा रहा था,,,,,,वह अपने मन में यही सोच रहे थे कब उनकी बेटी की वो जमकर चुदाई करेंगे क्योंकि बिना चोदे उनकी गर्मी शांत होने वाली नहीं थी.
उनकी ख्यालों में दिलो-दिमाग पर केवल उनकी बेटी छाई हुई थी उसका तन बदन उनकी तन बदन में आग लगा रहा था उसके बारे में गंदा सोचने पर मजबूर कर रहा था धीरे-धीरे लंड को सहलाते हुए उनकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी.
पापा ने अपने अनुभव से यह सीखा था कि अपने हाथ से हिला कर पानी निकाल देने पर भी संतुष्टि बिल्कुल भी नहीं मिलेगी बल्कि प्यास और ज्यादा बढ़ जाएगी, जब तक वह अपने लंड को किसी बुर में डाल देते तब की उनके लण्ड की गर्मी शांत होने वाली नहीं थी.
वह सुमन को भोगना चाहते, आपसी वासना की आग में बंद हो चुका था, बेटी का रिश्ता उनकी आंखों के सामने धुंधलाता नजर आ रहा था,,, बार बार उनकी आंखों के सामने सुमन का नंगा बदन ही नजर आ रहा था,,,,
उसकी खूबसूरत चिकनी पीठ के साथ-साथ उसकी खूबसूरत गांडबार-बार उन्हें अपनी बेटी के बारे में ही सोचने पर मजबूर कर दें रही थी,,,।
यही सब सोचकर वह पूरी तरह से उत्तेजित थे।
बस इसी तरह किसी तरह दिन निकल गया और पापा घर आ गए. घर में मैं अपने पापा की कब से इन्तजार कर ही रही थी, व्ही छोटे छोटे कपडे जिस से मेरी जवानी पापा को दिखती रहे वही पहन रखे थे.
उधर पापा भी तो मेरी ही चुदाई के ख्यालों में गम थे. अतः अपनी बेटी को देखकर पापा की सांसो की गति तेज होने लगी वैसे भी सुबह से वे अपनी बेटी को ही याद करके उत्तेजित हुआ जा रहे थे और ऐसे में अपनी आंखों के सामने ही अपनी बेटी को देखकर उनकी तन बदन में हलचल सी होने लगी. उनका लण्ड जो थोड़ा बहुत ढीला हो भी गया था मेरे को देखते ही फिर से खड़ा हो गया.
पापा ने कपडे बदल लिए और वही एक लुंगी और शर्ट पहन ली. हम रात को खाना खा रह थे. मैंने मटन चावल बनाया था जो पापा को बहुत पसंद था. मम्मी अक्सर जब भी उनका चुदाई करवाने का मन होता था तो पापा के लिए यही बनाती थी, आज मटन चावल देख कर पापा का मन और भी चुदाई के लिए तड़पने लगा.
पापा अपने लौड़े को सहलाते हुए (अब पापा मेरे सामने बेशर्मी से अपना लौड़ा सेहला लेते थे. इतना कुछ हम बाप बेटी के बीच हो चूका था. तो लौड़ा सहलाने की शर्म तो जा ही चुकी थी,) मेरे से बोले
“अरे सुमन आज तुमने मटन चावल बनाया है. इसे देख कर तो तुम्हारी मम्मी की याद आ गयी,”
मैं समझ गयी थी की कोनसी याद आयी है, पर बात का सिरा पकड़ते हुए बोली
“कोई बात नहीं पापा। मम्मी नहीं है तो क्या हुआ, मैं हूं ना, मम्मी की सारी कमी पूरी कर दूंगी।”
(अचानक ही अपनी जबान से निकले हुए शब्दों को संभालते हुए बोली,,)
मेरा मतलब है कि आपके भूखा रहना नहीं पड़ेगा मैं आपके लिए आपका मनपसंद खाना बनाई हुं,,,,
अपनी बेटी की बात सुनकर पापा बोले
“तेरी मम्मी होती तो बात कुछ और होता”
मैं अपने पापा के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी.
“क्यों पापा ऐसा क्यों कह रहे हैं आप, मैं भी तो सब कुछ कर सकती हूं जो मम्मी कर सकती है,”
मैं चालाकी से अपनी बात का रुख बदलते हुए बोली इस तरह से बात करने में मेरे तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी क्योंकि मुझे मालूम था कि पापा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके हैं तभी तो उनका लंड पूरी तरह से खड़ा था.
पापा भी समझदार थे वो बात को आगे बढ़ाते हुए बोले
“बात खाना खिलाने की नहीं है सुमन,,,, तू नहीं समझेगी।”
मैं “अरे वाह ऐसी कौन सी बात है पापा जो कि मैं नहीं समझ सकती मैं भी बड़ी हो गई हूं. मैं भी वो सब कर सकती हूँ जो मम्मी कर सकती है. आप एक बार बोलिये तो सही.”
मैंने पापा को खुला ऑफर दे दिया. पापा भी यही चाहते थे. उन्होंने कहा
“सुमन! बड़ी तो तू हो गई है लेकिन अपनी मम्मी जैसी तू मेरी सेवा नहीं कर पाएगी।”
मैं – “नहीं पापा अब तो आप गलत बोल रहे हो,,,, मुझसे बोल कर तो देखो मैं आपकी हर तरह से सेवा करूंगी, जो भी और जिस तरह की भी सेवा मम्मी कर सकती थी. आप एक बार बोलो तो सही क्या तकलीफ है? शायद मैं उसे मम्मी से भी अच्छी तरह से कर सकूं.”
(अपनी बेटी की बात सुनकर पापा के तन बदन में उत्तेजना के शोले धड़कने लगे अपने मन में यही सोच रहे था कि काश अमिन उनकी बेटी न होती तो अभी मुझे ठोक देते. मेरी बातों को सुनकर पापा का मन कर रहा था कि बिना कुछ बोले बस अपनी बति को को पटक कर उसकी चुदाई कर दे लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत अभी उनमे शायद आयी नहीं थी क्योंकि मैं उनकी बेटी थी और जिसे उन्होंने प्यार से पाल पोस कर बड़ा किया था,,,, इसलिए वह अपने जज्बातों को संभालते हुए बोले,,)
“नहीं-नहीं सुमन तू रहने दे तू मेरी पहले ही इतनी सेवा कर रही ही, वही बहुत बड़ी बात है, चल अच्छा तू खाना खा ले ”
(इतना कहते हुए पापा अपनी भावनाओं पर काबू करके खाना खाने लगे।
पापा की नजर सीधे टी शर्ट में से झांकती मेरी दोनों चूचियों पर गया,,, अपनी बेटी की दोनों गोलाइयो को देखकर पल भर में ही पापा की सारी भावनाएं पसीना बनकर उनके माथे से टपकने लगी उनकी आंखों के सामने वह सब कुछ पल भर में चलचित्र की तरह आगे पीछे दौड़ने लगा जिस नजारे को देखकर वह अपनी बेटी की तरफ आकर्षित हुए थे। वो मेरा झुक कर झाड़ू लगाना और झाड़ू लगाते समय कुर्ती में से झांकती उसकी दोनों गोलाइयों को पहली बार देखकर पापा की आंखों में वासना की चमक ऊपस आई थी,,, झुकने की वजह से वो मेरी गोला कार गांड का अद्भुत आकार ले लेना,अनजाने में ही अपनी बेटी को पेशाब करते हुए देखना उसकी नंगी गांड को देखकर उसकी जवानी पर फिसल जाना और उसे नहाते हुए देखना यह सब दृश्य किसी चलचित्र की तरह पापा की आंखों के सामने घूमने लगा और उनकी आंखों में वासना की चमक नजर आने लगी.
पापा के मन में कुछ और चल रहा था वह तुरंत,, दर्द से कराहने की आवाज लिए,लेट से गए और उनके मुंह से एक आह निकली।
आहहहहहहह,,,,,,,
“क्या हुआ पापा ”
मैं तुरंत अपने पापा की तरफ देखने लगी, मेरे को अभी पापा की इस चाल का पता नहीं था.
“सुमन बेटी! आज सुबह से मेरी जांघों में बहुत दर्द हो रहा है, इसीलिए ही तो कह रहा था कि तेरी मम्मी यहाँ होती तो अच्छा था”
मैं बोली
“तो क्या हुआ पापा जो मम्मी नहीं है। मैं हूँ न आप बस बोलो क्या करना है मैं कर दूंगी,”
पापा बोले
“जांघों पर थोड़ा मालिश करना था,,, सरसों के तेल की ताकि थोड़ा आराम मिले”
(दर्द से कराहने का नाटक करते हुए पापा बोले)
“कोई बात नहीं पापा मैं मालिश कर देती हूं लेकिन सरसों का तेल?”
(आश्चर्य से अपने पापा की तरफ देखते हुए मैं बोली)
“हां अंदर पड़ा है सीसी में. तुम ऐसा करो की थोड़ा तेल एक कटोरी में लेकर मेरे कमरे में आ जाओ. तब तक मैं वहां जा कर लेटता हूँ.”
मुझे लग रहा था. की कुछ तो होगा. अभी तक तो पापा बिलकुल ठीक थे. अभी खाना खा कर अचानक से जांघों में दर्द कैसे हो गया. जरूर कुछ न कुछ गड़बड़ तो जरूर है, खैर मैं तो खुद किसी गड़बड़ की इन्तजार में थी, ताकि चुदाई की बात कुछ आग बढ़ सके. तो मुझे तो क्या एतराज हो सकता था.
पापा की बात सुनकर मैं अपनी गांड मटकाते हुए किचन के अंदर चली गई और मुझे जाता हुआ देख कर पापा की लार टपक रही थी क्योंकि मैं अपनी गांड को भरपूर मटका कर चल रही थी,
मैं अपने पापा की बातों से उनके इरादों को भाप गई थी. और मैं तो त्यार थी ही,
इसलिए किसी भी तरह से इस मौके को जाने नहीं देना चाहती थी।
पापा ने अपनी लुंगी के नीचे एक काफी बड़े साइज की वी शेप अंडरवियर पहन ली थी (उन्होंने पहले ही शायद तैयारी कर रखी थी,),
आज मैं पापा की इस चाल से कुछ नया अनुभव करना चाहती थी इसलिए अपने होठों पर मादक मुस्कान लिए और तेल की शीशी हाथ में लिए मैं अंदर प्रवेश कर गई और जैसे ही मैं पापा के पास गई पापा से रहा नहीं गया और वह अपनी लुंगी के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ कर मसल दिए।
मैं पापा को सरेआम और पूरी बेशर्मी से अपना लौड़ा मसलते देख कर वासना से गनगना गयी और मेरी चूत गीली हो गयी, उसमे खूब पानी आ गया.
मुझे लग रह था की जिस तरह हम बाप बेटी का यह पटाने का खेल धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है और पापा मेरी चूत को भी चाट चाट कर उसका पानी चाट चुके हैं, तो कुछ न कुछ तो हो कर ही रहेगा. मैं भी अब ज्यादा देर नहीं होने देना चाहती थी, क्योंकि मम्मी को गए हुए काफी दिन हो चुके थे और वो कभी भी वापिस आ सकती थीं तो मेरी कोशिश थी कि मम्मी के आने से पहले पहले मैं पापा से चुदवा लूँ क्योंकि एक बार मम्मी आ गयी और पापा को मम्मी की चूत मारने को मिल जाएगी तो फिर शायद वे मेरी ओर उतना ध्यान ना भी दें.
खैर मैं हाथ में तेल की कटोरी लिए, पापा के तने हुए लण्ड को जो उनकी लुंगी और ढीली सी अंडरवियर के नीचे से उछल कूद मचा रहा था,म को देखते हुए पापा के पास उनके जांघों के करीब बैठ गयी. और पापा को कहा
“पापा, मैं तेल ले आयी हूँ. बताइये कहाँ कहाँ दर्द है और मालिश करनी है. देख लेना आज मैं मम्मी से भी बढ़िया मालिश करूंगी और इतनी अच्छी की आप मम्मी को भूल ही जायेंगे. ”
यह कह कर मैंने पापा की लुंगी खुद ही खोल कर साइड में कर दी, अब पापा केवल अंडरवेअर में ही लेटे थे और कमरे में ट्यूब लाइट की रौशनी में सब कुछ दिखाई दे रहा था.
आज कुछ न कुछ तो होना चाहिए.
बस इसी आशा में मैंने तेल में उँगलियाँ डुबोई, और भगवान् को याद करके, पापा की नंगी जांघ पर रख दी.
मैंने सोचा की आज जो होगा देखा जायेगा, बस कुछ हो जाये.
मैं – “पापा बताइये ना कहाँ दर्द हो रहा है. मैं वहीँ पर तेल से मालिश कर दूँगी.”
पापा बोले -“यहां दोनों जांघों मैं बहुत दर्द हो रहा है,. सुमन! यहाँ पर ही मालिश कर दो. नीचे पैरों या घुटने आदि पर मालिश की जरूरत नहीं है। ”
(पापा इधर उधर मालिश करवाने में टाइम खराब नहीं करना चाहते थे. वो सीधे असली जगह के पास से ही शुरू करना चाहते थे. ताकि जल्दी से हम अपनी मंजिल पर पहुँच सकें. और हम बाप बेटी की मालिश की असली मंजिल कोनसी है, यह हम दोनों ही जानते थे, तो बेकार में टाइम क्यों खराब करना। )
अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ें हुए ही पापा अपनी हथेली अपनी दोनों जांघों पर रख कर बोले।
मैं -“कोई बात नहीं पापा मैं मालिश करके आपके दर्द को गायब कर दूंगी। मैंने आप की लुंगी तो खोल दी है, पर लेकिन आप एक काम करो कि दोनों टांगों को फैला लो तब अच्छे से मालिश कर पाऊंगी।”
(मेरी बात सुनते ही पापा थोड़ी सोच में पड़ गए क्योंकि वह जानते थे कि दोनों टांगों को फैलाते ही उसकी अंडरवियर में बना तंबू, उनकी बेटी सुमन की आंखों के सामने नजर आने लगेगा, वह पहले थोड़ा हिचकी चाह रहे थे लेकिन फिर पापा ने अपने मन में सोचा कि अगर कुछ पाना है तो कुछ ठोस कदम उठाना ही पड़ेगा जो होगा देखा जाएगा यह मन में सोच कर पापा ने अपनी दोनों टांगों को सीधा खटिया पर फैला लिया और ऐसा करने पर उनकी अंडरवियर खुंटे की शक्ल में खड़ी की खड़ी रह गई,,,, मेरी नजर उस पर पडते ही मेरी चूत कुल बुलाने लगी,,,, में तिरछी नजरों से अपने पापा के खुंटे को देख रही थी,, और पापा भी पूरी तरह से बेशर्मी दिखाते हुए अपने लण्ड को ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहे थे बल्कि पापा के तो मन में ऐसा हो रहा था कि वह उसे खोलकर दिखाएं। खैर पापा ने सोचा की जब यह सब हो ही रहा है तो खोल कर दिखने का भी मौका आएगा ही.
अब मेरे से बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था,,,में सरसों के तेल को अपनी हथेली पर गिराने लगी, सरसों के तेल की धार को देखकर पापा का लंड उबाल मार रहा था,,,,
आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी
मैं सरसो के तेल को अपनी हथेली में गिरा ली थी,,,मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आज क्या आने वाला है लेकिन इतना आभास हो चुका था कि जो भी होने वाला था बहुत ही अच्छा होने वाला था,,,
पापा ने भी कभी सोचा नहीं था कि वह अपनी भावनाओं को इस कदर अपने अंदर बदल देगा और वह भी अपनी बेटी के प्रति,,,पापा की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी लुंगी के अंदर उनका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,पापा यह बात अच्छी तरह से जानते थे कि उनकी बेटी एकदम जवान खिली हुई थी और शादी की उम्र हो चुकी थी ऐसे में उसका मन भी मचलता होगा चुदवाने को करता होगा इसलिए पापा को अपनी सोच पर पूरा विश्वास था कि अगर एक बार वह सुमन को बहकाने में सफल हो गए तो वह अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच का रास्ता आराम से तय कर लेंगे और फिर तो हमेशा मजे ही मजे हैं.
में अपने पापा की उठी हुई अंडरवियर की तरफ देखकर सरसों के तेल को अच्छे से अपनी पापा की जांघों पर लगाने लगी और मालिश करने लगी,,,
कोमल हथेली और उंगली का स्पर्श पाते ही पापा के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे,,, सांसो की गति तेज हो गई और एक अद्भुत सुख की प्राप्ति उन्हें अपनी दोनों टांगों के बीच के बीच हो रही थी,
पापा को अपने अद्भुत औजार में झटके आ रहे थे,,,, पापा काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहे थे,,,,
अपने पापा की जांघों की मालिश करते समय मेरे तन बदन में भी अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, में धीरे धीरे आहिस्ता आहिस्ता अपने पापा के लंड की तरफ बढ़ना चाहती थी,,, और मुझे पूरा विश्वास था कि मैं अपनी हथेली उंगलियों का कमाल दिखाकर वहां तक जरूर पहुंच जाउंगी।
मैं मालिश करते करते हुए अपने पापा की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी जवाब में पापा भी मुस्कुरा रहे थे,,,हम दोनों के बीच की यह मुस्कुराहट असीम आनंद की अनुभूति करा रही थी,,, दोनों संपूर्ण रूप से निश्चिंत थे,,, क्योंकि दोनों जानते थे कि यहां कोई आने वाला नहीं था। घर में हम दोनों बाप बेटी ही तो थे.
मैं – “कैसा लग रहा है पापा,,,?”
(मैं अपनी हथेली का कमाल दिखाते हुए पापा की तरफ देख कर बोली)
पाप- “थोड़ा थोड़ा आराम महसूस हो रहा है लेकिन थोड़ा ऊपर की तरफ कुछ ज्यादा दर्द हो रहा है. जब तुम्हारा हाथ मालिश करते हुए ऊपर जांघों के जोड़ की तरफ आता है तो काकाफी अच्छा और आराम महसूस हो रहा है.”
(पापा भी अपने मन में यही चाहते थे कि उनकी प्यारी बेटी उनके लण्ड की तरफ आगे बढ़े उसके मुसल जैसे लंड को देखकर उसे छुने के लिए पकड़ने के लिए व्याकुल हो जाए,,,मैं भी तो अपने पापा की मन की इच्छा को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि मैं भी अपने पापा की छेड़खानी अपनी मम्मी के साथ दीवार के छेद में से देख चुकी थी और मैं ह अच्छी तरह से जानती थी कि दिन में चरित्रवान बने रहने वाला उसका पापा रात को किस कदर मम्मी के जिस्म से खेलने के लिए व्याकुल हो जाता है तड़प उठता है,,,, पापा की व्याकुलता मेरी चूत में हलचल को बढ़ा रही थी,,,)
मैं – “कोई बात नहीं पापा आज मेरे हाथों का कमाल देखना। आपके सरे बदन का सारा दर्द आ जाता रहेगा।”
पापा – “यही देखने के लिए तो तुम्हें मालिश करने के लिए बोला हूं,,,, क्योंकि तुम्हारी मम्मी बड़ी अच्छे से करती थी. पर आज क्योंकि तुम्हारी मम्मी नहीं है तो तुम ही मालिश कर रही हो.”
मैं- “मैं भी अच्छे से करूंगी पापा। आप यकीन रखिये मैं मम्मी से भी अच्छी तरह से करुँगी. ”
पापा- “क्या तुम पहले कभी इस तरह की मालिश की हो?”
मैं – “नहीं नहीं,,,, पहली बार आपकी ही कर रही हुं.”
पापा- “तो देखना ठीक से करना। कोई कसर न रह जाये। ”
(अपने लंड के इर्द-गिर्द खुजलाने के बहाने से वह मेरी तरफ की अंडरवियर को हल्का सा हटाना चाहते थे ताकि उनकी बेटी उनके लंड को देख सकें और ऐसा हुआ भी बातों ही बातों में खुजलाने के बहाने वह अपनी अंडरवियर को हल्के से दूसरी तरफ खींच दिया था जिससे पापा के लंड का जड़ वाला हिस्सा बड़ी साफ तौर पर मुझे नजर आने लगा. मेरी दोनों टांगों के बीच इस दृश्य को देखकर कंपन सी होने लगी, भले ही मैं कई बार अपने पुराने बॉयफ्रेंड के मजबूत लण्ड से चुदवाने का सुख प्राप्त कर ली थी लेकिन पापा का लौड़ा तो उस से कहीं बड़ा और मोटा था. सब से बड़ी बात की पापा का लण्ड कम से कम 8 इंच लम्बा था और मेरे बॉयफ्रेंड का लगभग 6 इंच. तो पापा के लौड़े का तो कोई मुकाबला ही नहीं था. सबसे बड़ी बात तो यह थी की यह लण्ड मेरे को नसीब हो सकता था जबकि मेरा बॉयफ्रेंड अब मेरे जीवन से जा चूका था. तो मेरे पास तो अब अपनी जवानी का आनंद लेने के लिए पापा ही एक सहारा थे.)
मैं-“आप चिंता मत करो पापा, मैं मम्मी की कमी महसूस होने नहीं दूंगी इस समय मैं आपकी ऐसी मालिश करूंगी कि जिंदगी भर याद रखेंगे आप.”
पापा -“मैं भी यही चाहता हूं सुमन, मेरे बदन में बहुत दर्द हो रहा है,,, बस थोड़ा उपर की तरफ मालिश कर दो, वही सारा दर्द इकट्ठा हो गया है.”
(गरम आहे भरता हुए पापा बोले, अपने पापा की बात सुनकर मुझे उनकी मंशा पूरी तरह से साफ हो चुकी थी जो कि मैं अच्छी तरह से समझ गई थी,अपने पापा की हरकत और उनकी बातों को सुनकर मेरे गाल सुर्ख लाल होने लगे जो की मेरे चेहरे को और ज्यादा खूबसूरत बना रहे थे।
मैं शरमाते हुए बोली-” ठीक है पापा। मैं ऐसा ही करती हूँ.
( इतना कहकर मैं और ज्यादा सरसों का तेल अपनी हथेली पर गिरा कर जांघो के ऊपर लगाकर मालिश करने लगी और अपने पापा की बात मानते हुए अपनी दोनों हथेली को पापा की दोनों जांघों पर रखकर उसे अंडरवियर के अंदर अपनी हथेली को सरकाने लगी थी.
मेरी इस मदहोश कर देने वाली हरकत पापा के तन बदन में आग लगा रही थी पापा को ऐसा लग रहा था कि जैसे मालिश करने वाली उनकी बेटी नहीं बल्कि कोई रंडी अपनी हरकतों से उसे उकसा रही है. मेरी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी बेड पर अपनी गांड रख कर बैठी हुई थी.
मेरी नजरें अपने पापा के लंड की जड़ की तरफ गड़ी हुई थी,,, पापा की अनुभवी आंखें मेरी नजरों को अच्छी तरह से जान गई थी वह मन ही मन खुश हो रहे थे जो कुछ वो मुझे दिखाना चाह रहे थे वह उनकी बेटी बड़ी उत्सुकता से देख रही थी.
मेरे लिए भी यह पहली मर्तबा था जब मैं बेहद नजदीक से अपने पापा के लंड का दीदार कर रही थी,,,,मैं अपने पापा के लंड को छुना चाहती थी उसे अपनी उंगलियों से स्पर्श करना चाहती थी,,,, मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी और इसीलिए पापा भी उत्सुक थे वह भी चाहते थे कि उनकी बेटी मालिश करते हुए लंड को पकड़ ले ताकि उसके बाद के कार्यक्रम को वह शुरू कर सके.
मैं मालिश करते हुए बोली – “अब कैसा लग रहा है पापा,,,?”
पापा -“बहुत अच्छा लग रहा है बेटी। अभी तक तो तुम अपनी माँ की तरह ही कर रही हो आगे देखते हैं. बस इसी तरह से मालिश करती रहो। ”
मैं -“हां पापा आपको एकदम आराम हो जाएगा।”
(इतना कहते ही मैंने अपनी उंगलियों को आगे बढ़ाया और देखते ही देखते मेरी उँगलियाँ अब अपने पापा की टांगों के बीच उनके लंड के पास पहुंचने लगी,,,, मेरी उंगलियां पापा के लंड से दो अंगूल दूर ही थी,,, पापा को इसका आभास हो गया था, लंड की एेंठन बढ़ती जा रही थी,,,,और इधर मेरी चूत भी पानी पानी हो रही थी,, पापा को लग रहा था कि उनकी बेटी की उंगली उनके लंड पर अब छुई कि तब छुई. पर मैं थी की देर कर रही थी. और अपनी ऊँगली चाहे उनके लंड की जड़ के पास ही फेर रही थी पर लंड पर नहीं लगा रही थी, पापा की उत्तेजना इस से बहुत बढ़ती जा रही थी,
मैं – “पापा मम्मी की तरह कर रही हु ना?”
पापा – “हां अभी तक तो ठीक कर रही हो लेकिन आगे देखते हैं तुम अपनी मम्मी की तरह कर पाती हो कि नहीं।”
मैं -“जब ना कर पाऊं तो बताना।”
(उत्सुकता और उत्तेजना का मिश्रण मेरे चेहरे पर साफ नजर आ रहा था मैं भी अब अपने आप को रोक नहीं पा रही थी, मेरी चूत पानी पानी हो चुकी थी और दो इंच की दूरी पर मेरे सपनों का खजाना एक झण्डे की तरह ऊपर को मुंह किये हुए खड़ा हुआ था,,,, जिसे पकड़ने के लिए मैं उतावली हुए जा रही थी,,,, आखिरकार अपनी हिम्मत को बढाते हुए मैं अपनी उंगलियों को थोड़ा और आगे सरकाई और फिर मेरी उंगलियां दोनों तरफ से एक साथ पापा के लंड की जड़ पर स्पर्श होने लगी पापा के लिए यह मौका काफी था वह इसी मौके की तलाश में था जैसे ही उसकी उंगलियों का पोर,, लंड की जड़ों में स्पर्श हुई,,,, पापा जानबूझकर अपने मुंह से हल्की सी चीख की आवाज निकालते हुए बोले)
आहहहहह,,, मां,,,,,,ओहहहहहहहहह,,,,, बहुत दर्द कर रहा है,,,,।
मैं- “क्या हुआ पापा, क्या हुआ इतनी जोर से क्यों चिल्ला रहे हो?”
पापा -“बहुत दर्द हो रहा है सुमन”
मैं- “लेकिन अभी तो आराम हो रहा था,”
पापा – “हां लेकिन जहां तुम्हारी उंगली स्पर्श हुई है वहां बहुत तेज दर्द हो रहा है.”
मैं – “कहां पर स्पर्श हुई हैं मेरी उँगलियाँ? मुझे भी बताओ मैं अच्छे से मालिश कर दूंगी।”
(मैं तो अच्छी तरह से जानती थी जो कुछ भी हो रहा था इसमें दोनों की सहमति थी बस दोनों अनजान बनने का नाटक कर रहे थे. मैं अच्छी तरह से समझ गई थी मेरे और मेरे पापा के के मन में कुछ और चल रहा था)
पापा- “अरे वहीं पर जहां पर अभी अभी तुम्हारी उंगली छुकर गुजरी है”
मैं- “क्या यहां?”
(मैं जानबूझकर अपनी उंगली को इधर-उधर घुमा कर बता रही थी)
पापा -“नहीं थोड़ा टांगों के जोड़ की तरफ.”
मैं पापा को छेड़ते हुए अपनी ऊँगली को टांग पर रखते हुए बोली – “यहां?”
पापा- “नहीं नहीं सुमन थोड़ा ऊपर कि तरफ.”
(पापा दर्द से कराहने का नाटक करते हुए बोले )
मैं फिर से -“यहां पर?”
पापा -” नहीं। थोड़ा और ऊपर की तरफ बीच में उंगली लाओ.”
(मैं तो अच्छी तरह से जानते थे कि पापा मुझे उनका लण्ड पकड़ने के लिए बोल रहे थे लेकिन मैं चाहे तैयार थी पर पापा को छेड़ने के लिए जानबूझकर अनजान बन रही थी क्योंकि मैं जानती थी कि उसके पापा मुझे सीधे तो लौड़ा पकड़ने को कह नहीं सकते थे तो कब तक मैं यह छेड़खानी वाला खेल खेलती रहती तो अपने पापा की बात मानते हुए इस बार और अपने दोनों हाथों की उंगलियों का स्पर्श अपने के लंड पर अंडरवियर के अंदर से कराते हुए बोली,,,,)
“यहां पर?”
पापा अपने लंड की जड़ में अपनी बेटी की ऊँगली लगते ही बोले -“आहहहहह,,,,,, हां सुमन यहीं पर,,,,औहहहह बहुत दर्द हो रहा है,,”
(मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करु जबकि पापा पूरी तरह से इशारा कर चुके थे लेकिन फिर भी,,,मैं अपने पापा की नजर में एक संस्कारी लड़की थी जो मर्यादा से और संस्कारों से घिरी हुई थी, इस तरह से खुलकर अपने पापा के लंड पर मालिश करना उसके लिए उचित नहीं था इसलिए मैं असमंजस में पड़ गई थी,,, मैं सोचने लगी थी और उठी हुई पापा की अंडरवियर की तरफ देख रही थी जहां से लंड की जड़ एकदम साफ नजर आ रही थी, लंड की जड़ की मजबूती और गोलाई को देखकर,,,, मेरी बुर बर्फ की तरह पिघल रही थी,,, पापा अपनी बेटी की तरफ देख रहे थे,मेरी असमंजसता को पापा अच्छी तरह से समझ रहे थे इसलिए वह बोले,,,)
“क्या हुआ सुमन क्या सोच रही हो मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,।”
मैं – “लेकिन पापा,,,,,,”
पापा -“लेकिन क्या सुमन?”
मैं हिचकिचाने का नाटक करते हुए -“मेरी उंगली तो,,,,”
(इसे आगे कहने की हिम्मत अभी मुझमे नहीं थी इसलिए अपने शब्दों को मैं वही रोक दी)
पापा-” हां मैं जानता हूं सुमन तुम्हारी उंगली मेरे उस पर छु रही है,,,लेकिन मुझे उसी जगह पर बहुत दर्द हो रहा है मुझे वहां पर मालिश की बहुत जरूरत है इसीलिए तो कह रहा था कि तुम्हारी मम्मी होती तो मुझे कोई चिंता करने की जरूरत नहीं थी।”
मैं -“तो क्या मम्मी,,, उसी जगह पर मालिश कर देती?”
पापा – “हाँ. तो और नहीं तो क्या?, मैंने इसीलिए तो मैंने बोला था,,,,, और तुम कहती हो कि मम्मी की कमी पूरी कर दूंगी,,,, तभी तो मैं कह रहा था कि तुम से नहीं होगा अपनी मम्मी की तरह ”
(मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैं जानती थी कि इस तरह का मौका बार-बार आने वाला नहीं था अगर एक बार मैं अपने पापा के साथ चुदवा लेती हूँ तो घर में ही उसे मर्दों वाला साथ मिल जाएगा और मेरी बुर कभी प्यासी नहीं रहेगी,,, उसकी प्यास हमेशा बुझती रहेगी और रोज-रोज संभोग कला में नयापन महसूस करेगी,,,, इसलिए मैं बोली,,,)
“पापा! क्या सच में ज्यादा दर्द कर रहा है?”
(अपने पापा की बात सुन कर मैं पूरी तरह से निश्चिंत हो गई थी कि मेरे पापा सच में आज मेरे साथ चुदाई करने का सपना देख रहे थे,,,जो कि अगर मैं भी आगे बढ़ूंगी तो यह सपना हकीकत में बदल जाएगा जैसा कि मैं खुद चाहती थी, मुहे इस तरह से ख्यालों में खोया हुआ देखकर पापा फिर से बोले )
“तुझे विश्वास नहीं होता है तो अंडरवियर हटा कर देख क्या हालत हुई है,”
मैं – “पापा क्या मैं?”
(अपने पापा की बात पर एकदम से आश्चर्य का नाटक करते हुए मैं बोली,,,)
पापा-“और नहीं तो क्या? यहाँ और कौन है तेरे सिवा? पगली,,,,”
मैं हिचकिचाने का नाटक करते हुए -“लेकिन पापा। मैं कैसे इसे देख सकती हूँ. कोई देखेगा तो क्या कहेगा आखिर आप मेरे पापा हैं. मैं आप के उस को कैसे देखूं?”
(साला यहाँ रात को हम दोनों बाप बेटी की कामलीला देखने कौन आने वाला था. पर मैं तो पापा को पटाने का कार्यक्रम चल रही थी ताकि पापा की उत्तेजना पूरी तरह से बढ़ जाये. )
पापा – “सुमन! यहाँ घर में हम दोनों बाप बेटी के सिवा है ही कौन? अरे किसी को कानों कान खबर नहीं पड़ेगा, वैसे भी यहां पर देखने वाला कौन है?”
(पापा पूरी तरह से इस कोशिश में जुटा हुए थे कि उनकी जवान बेटी सुमन किसी भी तरह से मान जाए और उनके लंड को अपने हाथ से पकड़ ले बस उसके बाद का रास्ता वह खुद तय कर लेंगे )
पापा -“क्या सोच रही हो सुमन? क्या तुम मुझे इसी तरह से दर्द में देखना चाहती हो?”
मैं – “नहीं नहीं पापा। मैं आपकी बेटी हूँ तो आपको दर्द में कैसे देख सकती हूँ?”
पापा-“तो फिर क्या सोच रही हो? अंडरवियर हटा कर देख लो उसकी हालत को.”
(अपनी पापा की बात सुनकर मैं अपने मन में सोचने लगी कि अब ज्यादा देर तक सती सावित्री बने रहने में कोई भला नहीं है और मेरे पापा भी यही चाहते हैं तो मैं क्यों ना नूकुर कर रही हूँ. जब दोनों बाप बेटी एक ही चीज चाहते हैं तो एक बार जब मैं अपनी जवानी अपने पापा के हाथों में सौंप दूँगी तो पापा के हाथों से मेरी जवानी और ज्यादा निखर जाएगी,,,,इस लिए मैं अपने मन में ठान ली कि जो होगा देखा जाएगा और मैं अपना हाथ आगे बढ़ा कर कांपती उंगलियों से अपने पापा की अंडरवियर को पकड़ कर,,,उसे एक तरफ कर दी.
और अगले ही पल मेरी आंखों के सामने पापा का लहराता हुआ लंड नजर आ गया,,,,,, मेरी आंखों में चमक आ गई थी आज पहली बार मैं अपने पापा के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,,मैं लंड को देख रही थी और पापा अपनी बेटी की खूबसूरत चेहरे के बदलते हाव भाव को देख रहा था उसकी अनुभवी आंखें अपनी बेटी की आंखों में आई चमक को साफ तौर पर देख रही थी,,, पापा की आंखों में बासना की चमक बढ़ने लगी थी,,, अपनी बेटी की जवानी देख कर उसके अंदर हवस आ गई थी,,, अब पीछे कदम हटाना दोनों के बस में नहीं था,,,,
उत्तेजना के मारे पापा का लंड लार टपका रहा था जोकि उसके लिंग के छोटे से छेद में से अमृत रस की एक बुंद बनकर उसके लंड की संपूर्ण लंबाई को नाप ते हुए उसकी जड़ को भिगो रहे थे,,,,)
पापा :- देख रही है सुमन,,,,(अपनी अंदरूनी शक्ति से अपने लंड को आगे पीछे बिना छुए हिलाते हुए) देख कर सब इधर-उधर हो रहा है इसे बहुत दर्द हो रहा है,,,
मैं :- इसे शांत करने का इलाज क्या है पापा,,,,
पापा :- इसे शांत करने का इलाज सिर्फ तेरे पास है,,,
मैं :- मेरे पास,,,,(सुमन अपने पापा के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी बस अनजान बनने का नाटक कर रही थी)
पापा :-मेरा मतलब है कि तू इसकी मालिश करेगी तो अपने आप शांत हो जाएगा,,,,
मैं :- क्या सच में ऐसा होगा यह नीचे बैठ जाएगा,,,,
पापा :-हां यह नीचे बैठ जाएगा तब इसे पूरा आराम मिल जाएगा,,,, तू करेगी ना मालीश,,,,
मैं :- हां पापा करूंगी लेकिन मालिश क्या पूरे,,,,, मतलब इस सारे।….. यानि सबकी करनी पड़ेगी,,,(अपने पापा के सामने लंड शब्द कहने में मुझे शर्म आ रही थी इसलिए मेरी शर्म को दूर करते हुए पापा बोले )
पापा :-हां सुमन पूरे लंड पर तेल की मालिश करनी होगी,,,
(यह पहला मौका था जब पापा अपनी बेटी के सामने गंदे शब्दों का प्रयोग कर रहे थे,,, ऐसा वह समझ रहे थे लेकिन मैं इससे भी ज्यादा गंदी गंदी बातें अपने पापा मम्मी दोनों के मुंह से सुन चुकी थी लेकिन यह सब पापा को नहीं मालूम था और मैं भी अपनी पापा के मुंह से लंड शब्द सुनकर पूरी तरह से ऊतेजना से गदगद हो गई थी,,,।)
मैं :- लेकिन पापा आप मेरे पिता हैं. मैं आपके लण्ड की मालिश कैसे कर सकती हूँ. (कामवासना की गर्मी में मेरे भी मुंह से लण्ड शब्द निकल गया पर हम दोनों बाप बेटी में से किसी ने भी इस पर कोइ इतराज नहीं किया. ) पापा कोई देख लेगा तो,,,
पापा :-अरे पगली यहां कौन देखने वाला है,,,,, कोई नहीं देखेगा,,,, यहां पर ऐसे भी कौन है,,,,।
(पापा अपनी बेटी को समझाने की पूरी कोशिश कर रहे थे वैसे भी मैं सबको समझ गई थी बस ना समझने का नाटक कर रही थी मेरी निगाह बार-बार अपने पापा के खड़े लंड पर जो कि आसमान की तरफ आंख उठा कर देख रहा था, की तरफ बार-बार चली जा रही थी,,,, पापा को तो मौका मिल ही गया था अपने बेटी के सामने अपने नंगे पन का प्रदर्शन करने का, तभी तो उनके मन में अपनी बेटी के ही प्रति वासना ने जन्म लिया,,,, पापा अपनी लुंगी को अपनी कमर से तो पहले हे अलग कर चुके थे और उनकी चड्डी मैं खुद उतार चुकी थी तो अब पापा कमर के नीचे पूरी तरह से नंगे थे। पापा के लण्ड को हाथ में लेने से मैंने बहुत खुश थी और मैं डामाडोल हो रही थी,,,,बुर से निकल रहे काम रस की वजह से मेरी चड्डी र गीली हो चुकी थी,,,।)
पापा :-अब सोच क्या रही हो सुमन,,,,, मालिश करो मुझे दर्द से छुटकारा दो,,,,
(मैं अच्छी तरह से जानती है कि पापा किस दर्द की बात कर रहे हैं,,,जब तक पापा के लण्ड से उनका गर्मागर्म माल निकल नहीं जाता पापा को आराम कहाँ मिल सकता था. तो मैं भी बात मानते हुए सरसों के तेल की कटोरी वापस उठा ली और इस बार वह तेल को अपनी हथेली पर ना गिरा कर सीधे सीसी से तेल की धार को लंड की धार पर गिराने लगी,,,, पापा पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबता चला जा रहे थे, वो अपनी खूबसूरत बीवी के साथ ना जाने कितनी बार बार वर्षों से चुदाई करता चला आ रहे थे लेकिन आज मेरी वजह से जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव उनके अपने बदन में हो रहा था इस अनुभव का अहसास उन्हें कभी नहीं हुआ था,,, और ना तो आज तक उन्होंने इस तरह की मालिश करवाई थी,,,,, देखते ही देखते पापा का लंड सरसों के तेल में पूरी तरह से डूब गया,,,,सरसों के तेल की कटोरी बेड के नीचे रखते हुए बोली,,,)
मैं :- अब,?
पापा :-अब क्या मालिश करो,,,,
मैं :- मतलब कि कैसे,? पापा मुझे इसकी मालिश करना नहीं आता. मैंने पहले कभी अपने पापा के इस अंग की मालिश कहाँ की है. आपने कभी कहा ही नहीं. सदा मम्मी से ही मालिश करवा लेते थे. आपकी कोई बेटी भी है, शायद यह तो आपको कभी ख्याल भी नहीं आया होगा. अब मैं इसकी मालिश कैसे करूँ.?
(अब पापा मेरे साथ यह सेक्स का खेल तो पहली बार खेलने जा रहे थे तो पहले मेरे को कहाँ से यह मौका देते. पर काम की अग्नि में जब कोई इंसान अँधा हो जाता है तो उसका यही हाल होता है जो अभी हम दोनों बाप बेटी का था.)
पापा :-तुम्हें सब कुछ सिखाना पड़ेगा दोनों हाथ से इसी तरह से तो की जाती है मालिश। ऐसा करो की पहले अपने एक हाथ में लण्ड की जड़ से पकड़ लो और फिर दूसरा हाथ पहले हाथ के ऊपर लौड़े पर रख लो। इस तरह काफी हिस्सा तुम्हारे हाथ में आ जायेगा. फिर पूरे लौड़े की लम्बाई में लण्ड की जड़ से लेकर ऊपर सुपारे तक मालिश करो. तुम्हारी मम्मी भी ऐसे ही मालिश करती है.
(पापा अपनी जवान बेटी को अपने लौड़े की मालिश करना सीखा रहे थे और मैं भी किसी अच्छे और आज्ञाकारी बच्चे की तरह सीख रही थी. अब हम दोनों ही खुल कर गंदे और खुले लण्ड लौड़ा आदि शब्दों का प्रयोग कर रहे थे.)
मैं :- ठीक है पापा,,,
पापा :-कर लोगी ना,,,, देखो तुमने मुझसे वादा की हो की मुझे तुम्हारी मम्मी की कमी महसूस नहीं होने दोगी,,,,
मैं :- बिल्कुल नहीं पापा मम्मी से भी अच्छी तरह से मालिश करूंगी,,,,
पापा :-तो देर किस बात की है शुरू हो जाओ ताकि जल्द से जल्द मैं इस दर्द से निजात पा सकूं,,,,
मैं :- ठीक है पापा,,,,
(और इतना कहने के साथ ही मैं अपने कांपते हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी पापा के लण्ड को दोनों हाथों से थाम ली और उसे हल्के हल्के मालिश करने लगी मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है, मैं अपनी पापा की चुदाई भले ही देखा करती थी लेकिन कभी सोची नहीं थी कि इस तरह से मैं अपने पापा के लंड की मालिश कर पाऊँगी,,,,, उत्तेजना से मेरी बुर का हाल बुरा था,,,. धीरे-धीरे मैं अच्छे से मालिश करने लगी थी पापा के लंड की मोटाई अपनी पूरी हथेली महसूस कर रही थी उसके लंड की गर्मी से मेरी गर्म बुर पिघल रही थी,,,,,,, पापा का पूरा वजूद मस्ती के सागर में गोते लगा रहा था वह पूरी तरह से सातवें आसमान में उड़ता हुआ महसूस कर रहे थे,,, वह कभी सोचे नहीं थे कि उनकी बेटी उन्हें इतना मजा देगी,,,,आज वह अपनी बेटी के हाथों की हरकत को अपने तने हुए लण्ड पर महसूस करके अपनी खूबसूरत बीवी को भूल चुके थे,,,,, रिश्ते नातों को वह एक तरफ रख कर मर्द और औरत का खेल खेल रहे थे अपनी ही बेटी के साथ. ।
अपने पापा के लंड की मालिश करने में मेरे को और ज्यादा मजा आ रहा था,,,, मैं अपनी दोनों हथेली को ऊपर नीचे करके अपने पापा के लंड को पकड़े हुए थी अपने मन में यही सोच रही थी कि मेरे पापा का भी लंड लाजवाब है,,,। मैं अपने मन में यही सोच रही थी कि,,, यहीं लंड मेरी मम्मी की बुर में जाता है वह कितना मस्त हो जाती हैं,,, कितने मजे लेने कर इसी लंड को अपनी बुर में लेती है,,,, जरूर पापा मम्मी को पूरी तरह से मजा देते हैं,,,, और यही मजा मैं खुद लेना चाहती थी,,,, और इस समय मैं पूरी तरह से हकदार भी थी,,,,।
पापा का लंड पूरी तरह से सरसों के तेल में सना हुआ था,, सरसों का तेल पाकर पापा का लंड और ज्यादा बलवान हो गया था,,,, पापा को अपने ऊपर पूरी तरह से विश्वास था वह अच्छी तरह से जानते थे कि अगर उनकी बेटी उनके लिए अपनी दोनों टांगे खोल देगी तो वह अपने लंड से उसे पूरी तरह से मस्त कर देंगे,,,, और अभी तक अपनी बेटी की सहमति को देखते हुए उन्हें विश्वास हो गया था कि उनकी बेटी जरूर उन्हें आज मस्त कर देगी,,,, मेरे हाथों में पापा को जादू सा महसूस हो रहा था,,,, इसलिए उनके मुंह से ना चाहते हुए भी हल्की-हल्की मस्ती भरी सिसकारी की आवाज फुट पड रही थी जिसे सुनकर मैं और ज्यादा मस्त हुई जा रही थी,,,,।
पापा :-आहहहहहहह आहहहहहह ओहहहहहहह,,, सुमन तुम्हारे हाथों में तो जादू है,,,,
मैं :- क्यों पापा,,,,,
पापा :-बहुत आराम मिल रहा है,,,,
मैं :- मैं कहती थी ना मम्मी से भी अच्छा मालिश करूंगी,,,, मैं कर तो रही हूं ना,,,मम्मी भी ऐसे ही करती है न? क्या मेरी मालिश ठीक है?,
पापा :-हां सुमन तुम अपनी मम्मी से भी अच्छा कर रही हो,,,, ऐसा आराम तो मुझे कभी नहीं मिला,,,,,आहहहहहहह,,,,,,
(सरसों के तेल में सना हुआ पापा का लंड और ज्यादा चमक रहा था मैं उत्तेजना के मारे पापा के लंड को अपनी हथेली में जोर जोर से दबा दे रही थी,,,, मुसल जैसे लंड को अपनी हथेली में पकड़ कर मैं अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी, मेरी बुर कुल बुला रही थी उसे अपने अंदर लेने के लिए,,,, मेरा मन कर रहा था कि अपनी स्कर्ट उतार कर अपने पापा के लंड पर अपनी बुर को रख दूँ और उसे अपने अंदर ले लूँ,,,, और शायद मेरा यह करना मेरे पापा को जरा भी हैरानी महसूस नहीं होने देता क्योंकि उनका भी दिल यही चाहता था लेकिन इस तरह की हिम्मत करने कि उन्हें अभी जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी, मैं नहीं चाहती थी कि पापा को किसी भी प्रकार की भनक हो की मैं खुद इस खेल को खेलना चाहती हूँ,,, इसलिए मैं अपने पापा के लंड की मालिश करते हुए बोली,,,।
मैं:- पापा वैसे अगर बुरा न मानो तो एक बात पूछूं? आपने इससे ऐसा कौन सा काम कर दिए थे पापा की जो आपला यह इतना ज्यादा दर्द कर रहा था,,,,,
(मैं मुस्कुराते हुए अपने पापा के लंड की मालिश करते हुए बोली,,)
पापा :- क्या बताऊं सुमन जाने दे बताने जैसा नहीं,, है. कुछ बातें अपनी बेटी से नहीं बताई जा सकती,
(साला अपनी बेटी के हाथ में अपना लौड़ा दे रखा है, और उस से मालिश के बहाने से मुठ मरवाई जा रही है, पर नखरे तो देखो पापा के की अभी भी कह रहे हैं की “कुछ बातें अपनी बेटी से नहीं बताई जा सकती.”)
मैं:- क्यों पापा बताने जैसा क्यों नहीं है. ऐसा कोनसा कारण है आपके इस में दर्द हो जाने का की आप बता नहीं पा रहे?
पापा :- अरे नहीं सुमन! वह कुछ और बात है तुझसे कहा नहीं जाता,,,
मैं:- वाह पापा,,,, आप मुझसे अपने इसकी मालिश करवा रहे हो और बता नहीं पा रहे हो,,,,
पापा :- नहीं बेटी ऐसी बात नहीं है. मैं बता तो दूँ लेकिन तू मेरे बारे में गलत समझेगी तो,,,. बस इसी लिए नहीं बता रहा हूँ.
मैं:- नहीं समझूंगी गलत. आप बताइये तो सही.,,, अगर ऐसा कुछ होता तो मैं मालिश नहीं करती चली जाती,,,,,
पापा :- तो बता दु किस वजह से मेरा लंड दुख रहा है,,,,।
(पापा पूरी तरह से बेशर्म बन चुके थे अपनी बेटी के सामने लंड शब्द कहने में उन्हें जरा भी झिझक महसूस नहीं हो रही थी क्योंकि वह जल्द से जल्द अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच के खजाने को पा लेना चाहते थे,,,,, अब यह कामवासना की आग तो दोनों तरफ बराबर से लगी हुई थी पापा बताने के लिए मचल रहे थे और मैं सुनने के लिए तड़प रही थी,,,।)
मैं:- हां पापा बताओ ना,,,, इतना दर्द क्यों होता है?
(मैं अपने पापा के लंड के सुपाड़े पर बराबर से तेल लगाकर मसलते हुए बोली,,, जिससे पापा की आह निकल गई,,,. मुझे लगा की पापा को मेरा उनके लंड के सुपाडे पर तेल मलना अच्छा लगा है. तो मैंने पापा के लौड़े की चमड़ी को नीचे को सरकाया जिस से उनका सुपाड़ा बाहर आ गया. फिर मैंने अपनी तेल से भरी हुई ऊँगली फिर से उनके सुपाड़ी पर फेरनी शुरू कर दी. पापा को बहुत मजा आ रहा था. वो आह आह की आवाज निकाल रहे थे. मैंने अपने नाखून से उनके सुपाडे के छेद पर खुरचना शुरू कर दिया. जैसे नाखूनों से खुजली करते है. पापा के लिए यह हमला सहन करना बहुत मुश्किल था. उन्होंने झट से अपनी चूतड़ ऊपर उठा दी ताकि मेरे हाथ में उनके लंड का अधिकतम हिस्सा आ जाये. उनके मुंह से अब बात नहीं बल्कि सिसकारियां निकल रही थी.मैं तो बात को आगे बढ़ाना चाहती थी ताकि कुछ अलग हो सके. तो उनके लण्ड के सुपाडे को छेड़ कर फिर से लौड़े को पकड़ कर मालिश करना शुरू कर दी. पापा थोड़े सहज हुए और बोले )
पापा :- तू जिद कर रही हो तो बता देता हूं,,, वो क्या है मेरा कि तुम्हारी मम्मी को धीरे धीरे से करवाना पसंद नहीं है, वो सदा ही जोर जोर से और तेज तेज करवाना चाहती है मुझसे। बस इसी से मेरे इस में कभी कभी ज्यादा करने से दर्द हो जाता है.
(मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा, मैं समझ गई थी कि पापा किस बारे में बात कर रहे हैं,, फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,)
मैं:- धीरे धीरे मैं कुछ समझी नहीं पापा,,,,
पापा :- अरे पगली इसीलिए तो कह रहा था कि तू नहीं समझेगी। यह बड़ों की बातें हैं. तुम्हारे समझ से ऊपर की चीज है यह.
मैं:- अरे ऐसे कैसे नहीं समझूंगी मैं भी बड़ी हो गई हूं शादी करने लायक हो गई हुं,,, आखिरकार मम्मी भी तो एक औरत है और मैं भी एक औरत हम तो भला एक औरत एक औरत की बात क्यों नहीं समझेगी,,,,
(मेरी बातें सुनकर पापा हंसने लगे वह अपने मन में यही सोच रहे थे कि उसकी बेटी कितनी भोली है जबकि वह नहीं जानते थे था कि उनकी बेटी सारे खेल खेल चुकी है,,,,)
पापा :- हां पगली मैं जानता हूं तू अब बड़ी हो गई है,,, लेकिन अभी भी तू उन सब बातों को समझने लायक नहीं है,,,,
मैं:- क्या पापा समझाओगे तो क्या नहीं समझूंगी। मैं अब इतनी भी छोटी नहीं हूँ.
(उत्तेजना के मारे मैं अपने पापा के लंड को कस के अपनी मुट्ठी में दबाकर ऊपर की तरफ खींचते हुए बोली मेरी यह हरकत पापा की उत्तेजना को बढ़ा रही थी)
पापा :- समझ तो तु जाएगी,,,, लेकिन मुझे डर है कहीं तो कहीं यह बात किसी को बता ना दे, खासकर कहीं अपनी मम्मी को ना बता दे. वो पता नहीं बात को क्या समझेगी
मैं:- नहीं नहीं पापा मैं समझदार हूं बेवकूफ थोड़ी हूं जो किसी को भी यह सब बात बता दुं,,,
पापा :- मतलब तू सच में बड़ी हो गई है,,,
मैं:- और क्या,,,(मैं इतराते हुए बोली,,)
पापा :- अच्छा ठीक है तू कहती है तो मैं बता देता हूं,,,,, तेरी मम्मी को धीरे-धीरे से करवाना पसंद नहीं है,,,,, सुमन! करवाना तो तू समझती है न. जवान है तो समझती हो होगी.
मैं:- नहीं पापा मैं कुछ समझी नहीं. आप शर्माओ मत जरा खुल कर बताओ, क्या करवाना पसंद नहीं है धीरे धीरे से
(समझ तो मैं पहले से ही गयी थी, बल्कि पापा के थोड़ा शर्माने और हिचकिचाने से ही समझ गयी थी. पर मजा लेने और पापा की शर्म उतारने के लिए झूठ मूठ के नखरे कर रही थी.)
पापा :- अरे धीरे करवाना मतलब वो वो।.. क्या कहते हैं कि।…. तेरी मम्मी को धीरे धीरे से चुदवाने में मजा नहीं आता. वो तेज तेज चुदाई चाहती है जिस से मेरा लौड़ा छिल जाता है या दर्द हो जाता है. पर तेरी मम्मी है कि मानती ही नहीं. हमेशा कहती रहती है, और तेज चोदो और तेज छोड़ो. सुमन! अब तू ही बता मैं भी क्या करू? अब समझ में आया,,,,
(इस बार पापा एकदम खुलकर बातें करने लगे और अपने पापा के मुंह से चुदाई वाली बात सुनकर मैं उत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी,,,, पापा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,,,)
(पापा का इतना खुल कर बोलना मेरे लिए भी हैरानी वाली बात थी. चाहे हम दोनों बाप बेटी चुदाई चाहते ही थे, पर फिर भी भारतीय समाज में बाप बेटी में सीधे सीधे चुदाई जैसे शब्द बोलना थोड़ा अजीब सा तो लगता ही है,)
जवाब में मैं बोली कुछ नहीं बस हल्के से शरमा गई उसका इस तरह से शर्माना देखकर पापा की उत्तेजना बढ़ने लगी पापा का लण्ड मेरी हथेली में कस्ता चला जा रहा था,,,, अपने पापा के मुंह से चुदवाना शब्द सुनकर मैं कुछ ज्यादा ही जोर से अपने पापा के लंड को दबाना शुरु कर दी थी,,,,मैं अंदर ही अंदर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने पापा के लंड को लेने के लिए मेरी बुर बार-बार कामरस छोड़ रही थी,,,,।
पापा :- लगता है तू सब कुछ समझ गई,,,, अरे पगली,,, तेरी मम्मी अपनी बुर में मेरा लंड धीरे धीरे से अंदर बाहर नहीं बल्कि एकदम रफ्तार से अंदर बाहर लेना पसंद करती है और इसी चक्कर में मेरा लंड दर्द करने लगता है,,,,
(इस बार तो अपने पापा के मुंह से एकदम खुले शब्दों में लंड और बुर शब्द सुनकर मेरी बुर ने अमृत की बूंद टपका दी मेरी चूत की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,, अपने पापा से नजर मिलाने की ताकत मुजमे नहीं थी लेकिन अपनी प्रतिक्रिया मैं अपने पापा के लंड को जोर जोर से दबा कर दे रही थी मेरी हथेली का कसाव अपने लंड पर महसूस करके पापा इतना तो समझ गए थे कि उनकी बेटी भी मजा ले रही है उसका भी मन करने लगा है,,,,)
पापा :- अब तो तुझे समझ में आ गया होगा ना,,,
(दूसरी तरफ शर्म के मारे मुंह करके मैं मुस्कुराते हुए बोली)
मैं:- हां पापा,,,, पर आप तो बिलकुल ही बेशर्म हो रहे हैं. कोई बाप अपनी बेटी से ऐसी बातें करता है भला? वैसे मुझे लगता है कि आप झूठ बोल रहे हैं. आपका यह (अब मैं शर्म से फिर लौड़ा शब्द न बोल पाई) तो इतना लम्बा और इतना मोटा है, कि मम्मी इसे अपनी उस में कैसे ले पाती होंगी. मुझे तो यह अंदर घुसाना ही मुश्किल लगता है, ऊपर से आप कह रहे हैं की मम्मी तो तेज तेज अंदर बाहर करवाती हैं.
पापा :- अरे सुमन! तू नहीं समझेगी. जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती. अब मैं तुझे कैसे समझाऊं? असल में औरत की चूत बहुत लचकीली होती है. जितना मर्जी मोटा या बड़ा लण्ड हो अंदर चला ही जाता है. तुम्हारी मम्मी को शादी के कुछ दिन बाद तक तो थोड़ी मुश्किल होती थी. पर अब तो रोज रोज लेने से तेरी मम्मी की वो काफी खुली और ढीली हो गयी है, तो अब तो तेरी मम्मी को बिलकुल भी दिक्कत नहीं होती.
मैं:- पापा आप झूट बोल रहे हो. रोज रोज मम्मी कैसे आपके साथ वो सब कर सकती है? कोई भी औरत हो, महीने मैं वो वाले 3 -4 दिन तो ऐसे होते ही हैं की कुछ नहीं हो सकता.
पापा :- सुमन! अब तुम मेरी बेटी हो तो मैं तुम्हे कैसे बताऊँ। असल में माहवारी के दिनों में भी तुम्हारी मम्मी से बिना करवाए रहा नहीं जाता. उन दिनों में वो पीछे से करवाती है.
(मैं एकदम से पापा की बात नहीं समझी. मुझे लगा की पापा घोड़ी बना कर चुदवाने की बात कर रहे हैं. तो मैं बोली)
मैं:- पापा पीछे से भी कैसे?
पापा :- अरे सुमन! पीछे से का मतलब हैं कि पीछे वाले छेड़ में, स्पष्ट शब्दों में बोलूं तो तेरी मम्मी उन दिनों में गांड मरवा लेती है. पर एक भी दिन बिना करवाए नहीं रह पाती. और गांड में भी तेज तेज की करवाती है.
(मैं तो शर्म से पानी पानी हो रही थी. ऐसी गन्दी गन्दी और खुली बातें अपने ही पापा से करके मेरी चूत में तो जैसे पानी की बाढ़ ही आ रही थी, मेरा मन कर रहा था की अभी या तो पापा मुझे लिटा कर मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दें या मैं ही अपनी चूत में उँगलियाँ डाल कर कुछ तो अपनी तस्सली कर लूँ. पर पापा सामने देख रहे थे और कमरे में लाइट जल रही थी तो मैं ऊँगली भी नहीं कर सकती थी, )
मैं:- पापा कुछ तो सोच कर बोलो. मुझे तो शर्म आती है, आपकी बातों से. और ऊपर से झूट तो देखो. आपका यह हथियार तो इतना बड़ा है कि आगे वाले छेद में ले पाना भी किसी औरत को बहुत मुश्किल होगा, ऊपर से पीछे वाले छेद में तो यह जा ही नहीं सकता. वहां तो एक ऊँगली की जगह भी नहीं होती और आप झूठमूठ पीछे के छेद में इसे घुसाने की बात करते हैं.
पापा :- बेटी! तेरी अभी शादी नहीं हुई है. तू भी बाद में समझ जाएगी. औरतों को तब तक मजा नहीं आता. जब तक कस कस कर ना जाये. और थोड़ा दर्द न हो. तुम्हारी मम्मी को तो शुरू में थोड़ी मुश्किल लगती थी, और पीछे लेने में दर्द भी होता था. पर उसे पीछे से बहुत अच्छा लगता है की क्या बताऊँ. और अब तो उसे इसकी आदत हो गयी है, अब तो बिना तेल लगवाए भी आराम से ले लेती है. तेरी मम्मी तो उम्र में बड़ी है, पर दो तीन बार के बाद में तो तुम्हारे जैसी लड़की भी इसे आराम से ले लेगी.
(मुझे काफी अजीब सा लग रहा था. इतनी खुली बात चीत पापा के साथ पहली बार हो रही थी, तो मैं बात को थोड़ा बदलते बोली )
मैं:- पापा मम्मी को जोर-जोर से क्यों मजा आता है,,,,
पापा :- पता नहीं क्यों हो सकता है सभी औरतों को जोर-जोर से ही मजा आता हो,,,,, तूने भी तो कभी,,,,, मजा ली होगी,,,,
(इस बार पापा अपने सारे पत्तों को खोल देना चाहते थे इसलिए अपनी बेटी से गांड में चुदाई वाली बात कर रहे थे, मैं भी अपने पापा के मुंह से इस तरह से खुले शब्दों में बातें सुनकर मेरी बुर फुदकने लगी थी यह बात सच है कि मैं भी मजा ले चुकी थी लेकिन अपने पापा से खुलकर कैसे कह देती इसलिए मैं अनजान सा बनते हुए बोली।
मैं:- नहीं नहीं पापा मैंने आज तक ऐसा वैसा कुछ कि नहीं किया हूं.
पापा :- पर तुम्हारी माँ को तो दोनों छेदों का अच्छी तरह से मजा लिए बिना और मेरे इस मुसल की मालिश किये बिना उसे नींद ही नहीं आती.
(अब मैं सोच रही थी कि बात तो खुल कर हो रही है, अब कुछ और मजा कैसे लिया जाये, तो पापा की इस बात में मुझे एकदम से एक आईडिया आया. और मैं बात को पलटते बोली )
मैं:- पापा! एक दिन मम्मी बता रही थी कि जब मैं छोटी थी तो मैं बहुत तंग करती थी. सोती भी नहीं थी तो मम्मी मेरी मालिश करती थी और मुझे झट से नींद आ जाती थी. मम्मी मुझे बता रही थीं कि जब इंसान की मालिश की जाये तो उसे नींद आ जाती है. क्या सच में ऐसा है? क्या मेरे मालिश करने से आप को भी नींद आ रही है?
(मेरे से मम्मी की ऐसी कोई बात नहीं हुई थी. मैं तो बस एक आईडिया पर काम कर रही थी, ताकि पापा से मजे ले सकूं. पर पापा को कैसे पता चल सकता था की मैं सच बोल रही हूँ या झूट. पर पापा को इतना तो लगा कि मैं कोई शरारत करना चाहती हूँ, इसीलिए मैं उन्हें सुलाना चाह रही हूँ. पापा मेरी चाल तो नहीं भांप पाए पर कुछ तो अच्छा ही होगा, यह सोच कर उन्होंने भी मेरी चाल में फंसने का दिखावा करके बोला )
पापा :- हाँ बेटी! यह सच है. किसी भी इंसान की अच्छी मालिश की जाये तो उसे नींद आ जाती है. मुझे भी नींद आ रही है. तुझे बुरा ना लगे इसलिए मैं सो नहीं रहा. क्योंकि जब मैं एक बार सो जाऊं तो कितना भी शोर मचे, या मुझे हिलाया जाये मेरी नींद नहीं टूटती. तुम्हारी मम्मी तो कहती है कि मेरे सर पर तो परमाणु बम्ब भी फेंक दिया जाए तो भी मेरी नींद नहीं टूटती. इसीलिए मैं अपनी नींद को टाल रहा हूँ.
मैं:- अरे तो क्या है पापा. आप को यदि नींद आ रही है तो आप सो जाईये, मैं आप की अच्छी सी मालिश कर दूँगी, और फिर आपको जगा दूँगी, नींद आ रही है तो टालिए मत.
(पापा समझ रहे थे, कि “अच्छे से मालिश” का कुछ अच्छा सा ही मतलब होगा तो वो भी तैयार हो गए और बोले )
पापा :- ठीक है बेटी. जब मालिश हो जाये तो मुझे जगा देना. अब मैं सोने लगा हूँ.
यह कह कर पापा ने झूठमूठ आँखें बंद कर ली, और सोने का नाटक करने लगे. मेरे से रुका रहना बहुत मुश्किल लग रह था तो बस एक मिनट तक ही मैं मुश्किल से रुकी रह पायी और बोली
मैं:- पापा पापा सो गए क्या?
(पापा चुप रहे और नींद का बहाना करते रहे। मैंने फिर एक दो बार उन्हें आवाज़ दी पर पापा ने कोई जवाब नहीं दिया. मैं समझ रही थी कि क्या हो रहा है. आखिर एक ही मिनट में कोई इतना गहरा कैसे सो सकता है,)
तो मैंने पापा का लौड़ा जो अपने हाथ में पकड़ा हुआ था को हिलाते बोली
मैं:- हाय पापा। आपका यह लण्ड कितना बड़ा मोटा और प्यारा है. कितनी खुशकिस्मत है मेरी मम्मी जो इससे मजे लेती है. मेरा तो मन कर रहा है, कि मैं भी इस से आनंद लू. कब वो समय आएगा जब मैं भी इसे अपने अंदर ले पाउंगी. कल पापा ने मेरी चूत को चाट और चूस कर इतना मजा दिया था. खैर अभी पापा सो रहे हैं तो मैं भी आज पापा के लौड़े को चूस कर देखती हूँ. बस ईश्वर से यही प्रार्थना है की जब तक मैं पापा का लौड़ा चूसती हूँ, पापा की नींद न टूटे.
(पापा तो जाग ही रहे थे. वो समझ गए कि यह नींद के बहाने का क्या कारण था. उन्हें भी बहुत मजा आने वाला था. मैं जानती थी की अब जब तक मैं पापा का लण्ड चूसती हूँ पापा उठने वाले नहीं हैं. यह हम दोनों बाप बेटी के बीच में अनकहा मामला था. )
अब मेरे सो भी रुका नहीं जा रहा था. तो मैंने पापा के लौड़े के चमड़े को नीचे की तरफ खींच कर पापा का सुपाड़ा नंगा किया. सुपाड़ा तेल से तर होने के कारण चमक रहा था। पापा का सुपाड़ा एक बड़े से आलूबुखारे जैसा लाल और गोल गोल था. मन कर रहा था की झट से उसे अपने मुंह में ले लू. यह दिन के लिए मैं कितने समय से तरस रही थी. आज न जाने कितनी मन्नन्ते मानने के बाद यह समय आया था कि मैं पापा के जानते हुए उनके लण्ड को चूसने जा रही थी. ख़ुशी से मेरा मन धाड़ धाड़ बज रहा था. मेरी चूत बहुत गीली हो गयी थी. मैंने पापा के सुपाडे को साफ़ करने के लिए पापा की लुंगी उठाई, और साफ़ करने थी, कि मेरे मन में आया कि क्यों न पापा का लण्ड अपनी कच्छी से साफ़ करून, ताकि पापा का प्रीकम उस पर लग जाये और जब फिर मैं उसे पह्नु तो पापा का लैंड रस मेरी चूत पर लगे. लुंगी से साफ़ करके उसे खराब क्यों करना.
यह सोच कर मैंने अपनी पैंटी उतारी और जहाँ पर मेरी चूत का पानी लगा था, खास उस जगह को पापा के लण्ड के सुपाडे पर रख कर उसे अच्छी तरह से साफ़ किया और तेल और प्री कम साफ़ होने से सुपाड़ा बिलकुल क्लीन हो गया.
मैंने अपनी पैंटी एक साइड में रख दी और, पापा के लौड़े को जड़ में से एक हाथ से पकड़ लिए और फिर झुक कर अपनी जीभ शिश्नमुंड पर रखी।
ज्योंही मैंने अपना मुंह पापा के लौड़े पर रखा, तो नींद में होने का बहाना करते पापा से भी रहा नहीं गया और उनके मुंह से जोर की सिसकारी निकल गयी, जिसे मैंने और पापा ने नजरअंदाज कर दिया. वैसे भी हम दोनों जानते थे कि यह तो नाटक ही है.
लौड़े पर जीब फेरने में मुझे इतना अच्छा लगा कि बता नहीं सकती. वैसे भी पहली बार अपने प्यारे पापा का लौड़ा चूसने जा रही थी.
पापा का लण्ड बहुत मोटा था. तो जब मैंने सुपाडे को मुंह में लेने के लिए मुंह खोला तो मुझे पूरा मुंह खोलना पड़ा. तब भी मुश्किल से पापा का सुपाड़ा मुंह में आ पाया. मैंने बुदबुदाते हुए से कहा
आह पापा! आपका लण्ड कितना मोटा है. सुपाड़ा तक मुंह में नहीं आ रहा. तो यह लौड़ा मेरी चूत में कैसे जा पायेगा. पापा आपकी सुमन की चूत तो इसे सहन नहीं कर पायेगी या फिर पक्का फट कर टुकड़े टुकड़े हो जायेगी. पापा ध्यान रखना अपनी प्यारी बेटी की नाजुक चूत का। फाड् कर बुरा हाल न कर देना कहीं बेचारी का. एक ही चूत है आपकी बेटी के पास. फट मैं क्या मुंह लेकर, मेरा मतलब क्या चूत लेकर अपने ससुराल जा पाऊँगी?
यह कह कर मैंने, लौड़ा मुंह में ले लिया. पापा ने भी अपने आप नीचे से अपनी कमर ऊपर उठा कर मेरे मुंह में लण्ड का झटका मारा तो उनका लण्ड लगभग दो इंच तक मेरे मुंह में घुस गया.
मुझे डर लगा की कहीं पापा ने और जोर से झटका मारा तो उनका लण्ड तो मेरे मुंह को पार करके हलक में ही घुस जायेगा. तो मैंने बचने के लिए, पापा के लौड़े को नीचे जड़ से पकड़ लिया ताकि कम से कम ४ इंच लौड़ा तो बाहर रहे.
फिर मैंने भगवन लंडराज का नाम लेकर पापा के सुपाडे पर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और पापा के सुपाडे के छेद में अपनी जीभ की नोक घुसानी शुरू कर दी.
अब तो पापा जोर जोर से आह आह कर रहे थे.
मुझे भी लण्ड चूसने में बहुत मजा आ रहा था. एक तो यह मेरे पापा का प्यारा लण्ड था दुसरे पापा का लौड़ा था ही इतना स्वादिष्ठ कि क्या बताऊँ.
अब पापा ने भी अपना हाथ मेरे सर पर रख लिया था और उसे जोर से नीचे दबा कर कोशिश कर रहे थे कि अधिक से अधिक लण्ड मेरे धकेल सकें.
मैं तो खुद पूरा लण्ड मुंह में लें लेना चाहती थी पर पापा का लौड़ा था ही इतना बड़ा की पूरा तो मुंह में आ ही नहीं सकता था. यदि पापा जोर से अंदर धकेल देते तो उनका लौड़ा इतना लम्बा था कि शर्तिया मेरे पेट से होकर नीचे चूत से बाहर निकल आता. अतः मैंने नीचे से लौड़े को पकडे रखा और जीतना अधिक से अधिक हो सकता था. उतना मुंह में लेकर चूसती रही.
मेरी अपनी चूत में जबरदस्त आग लगी हुई थी. तो मैंने अपने दुसरे हाथ की एक ऊँगली पूरी अपनी चूत में घुसा ली और उसे अंदर बाहर करने लगी. पर चूत की आग इतनी भड़क गयी थी कि एक ऊँगली से क्या होना था. मैंने दूसरी ऊँगली भी डाल दी फिर तीसरी भी घुसा ली. मन तो कर रहा था की पूरा हाथ ही अपनी चूत में घुसा लूँ, पर मेरी चूत में भी इतनी जगह नहीं थी. तो मैं करती भी तो भी क्या करती, बस मन मार कर तीन उँगलियों से ही तेज तेज अपनी चूत को चुदती रही. और ऊपर पापा के लौड़े को जोर जोर से चूसती रही.
पापा मेरे बहुत ही अच्छे थे. उन्होंने इतना सब होने पर भी बिलकुल आँख नहीं खोली और नींद में सोये होने का बहाना किये अपना लण्ड चुसवाते रहे अपनी बेटी से. भगवान् ऐसे अच्छे पापा हर जवान लड़की को दें.
खैर मेरे मुंह से अपनी लार निकल कर पापा के लौड़े को गीला कर रही थी. जिसका फ़ायदा यह हो रहा था कि मेरा मुंह पापा के लण्ड के इतना मोटा होने पर भी आसानी से फिसल रहा था और मैं उसे चूस रही थी.
मेरी चूत की आग मेरी उँगलियों से तेज हो रही थी. अपने आप मेरी उँगलियों की स्पीड बढ़ गयी और उधर पापा के लौड़े पर मेरे मुंह की स्पीड भी बढ़ गयी. पापा का भी स्खलन बहुत पास ही था. उनकी भी सांसे अब बहुत तेज हो गयी थी, उनका दिल इतनी तेजी से धड़क रहा था की मुझे डर लग रहा था की हार्ट अटैक न आ जाये.
पापा का लौड़ा भी लोहे की तरह सख्त हो गया था. अचानक पापा के लंड ने फैलना शुरू कर दिया, मैं समज गयी कि पापा का काम तमाम होने ही वाला है.
अब पापा नीचे से अपनी कमर ऐसे तेज तेज उठा कर मेरे मुंह को चोद रहे थे जैसे चूत को चोद रहे हों.
मेरा अपना भी बस होने ही वाला था.
मैं पापा के साथ ही झड़ना चाहती थी.
अचानक पापा ने एक आह की आवाज़ के साथ अपनी कमर इतनी ऊपर उठा दी कि उनका लण्ड मेरे हलक तक घुस गया. फिर इससे पहले की मैं थोड़ा ऊपर होकर उनके लण्ड से बच पाती, उनके लंड ने एक बड़ी सी पिचकारी अपने गरमा गर्म माल की मेरे मुंह में छोड़ी. पापा का पहला शॉट इतना जबरदस्त था कि वो सीधा मेरे गले से होता हुआ, मेरे पेट में चला गया.
तब तक मैं कुछ संभल गयी थी और अपना मुंह थोड़ा ऊपर कर लिया. और मैंने अपनी गालोँ को कस लिया जैसे किसी चीज का रस चूसते हैं. पापा का लौड़ा अपना माल छोड़ता रहा और मैं उसे पीती रही. मजाल है कि पापा के उस कीमती माल की मैंने एक भी बूँद बाहर बेकार जाने दी हो.
सारा माल मैं पी गयी.
इधर पापा का ज्योंही माल मेरे मुंह में छूटा, तो मेरी चूत ने भी भरभरा कर हार मान ली. मेरी उँगलियों की स्पीड अपने आप इतनी तेज हो गयी थी कि जैसे बिजली से चल रही हों. मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया.
मेरे मुंह से अपने आप सिसकारियों की आवाज निकलने लगी. मैं चिल्ला पड़ी.
मैं :- पापा मर गयी मैं. हो गया काम आपकी बेटी का. पापा आपकी बेटी की चूत देखो कितने आंसू बहा रही है? झड़ रही है आपकी बेटी, अब कब अपने लण्ड का यह रस अपनी बेटी की चूत में डालोगे? तरस रही है पापा आपकी सुमन आपके लण्ड के लिए. चोद लो अपनी बेटी को मम्मी के आने से पहले पहले.
मैं काफी देर तक ऐसे ही पागलों की तरह बड़बड़ाती रही.
मैं इतना थक गयी थी की पापा के ऊपर ही ढेर हो गयी और लगभग पांच मिनट तक ऐसे ही बेहोश की तरह लेटी रही.
फिर जब थोड़ी ताकत शरीर में आयी. तो मैं उठी और अपनी पैंटी से अपनी चूत को अच्छी तरह से साफ़ किया और पापा के भी लौड़े को साफ़ किया.किया।
और उसे फिर से पापा की अंडरवियर में डाल दिया. फिर मैंने पापा को आवाज दी
मैं :- पापा पापा. सो रहे हो क्या? मालिश हो गयी है। (मालिश तो हो ही गयी थी. सिर्फ पापा की ही नहीं इधर बेटी की चूत की भी हो चुकी थी )
पापा ने भी भी नाटक करते हुए की जैसे नींद से उठ रहे हों, धीरे से अपनी आँखें खोली और प्यार से मुझे देखते हुए बोले
पापा :- सुमन! कितनी देर सोता रहा मैं. बड़ी जोर की नींद आयी. देखा मैंने कहा था न कि मुझे ऐसी नींद आती है की कुछ भी हो जाये, नींद नहीं टूटती. हो गयी है क्या मालिश?
मैंने भी नाटक को आगे बढ़ते हुए कहा
मैं :- हाँ पापा. मालिश हो गयी है. अब रात बहुत हो गयी है. आप भी सो जाईये. मैं अपने कमरे में जा रही हूँ.
(असल में मैं तो आज ही चुदवाने का मन था. पर पापा का लौड़ा चूस कर मैं इतना थक गयी थी कि मैंने सोचा की कल ताजा दम हो कर प्यार से और पूरी तस्सली से चुदवा लूंगी. आखिर बाप बेटी की पहली चुदाई है. जरा ढंग से होनी चाहिए. उधर पापा का भी बहुत माल निकला था मेरे मुंह में तो वो भी बहुत थक चुके थे और शायद उन्होंने भी सोचा कि जब बाप बेटी के बीच इतना कुछ हो ही गया है, तो चुदाई भी बहुत दूर नहीं है तो उन्होंने भी मेरी बात का ही समर्थन किया और बोले
पापा :- ठीक है बेटी. इतनी बढ़िया मालिश के लिए बहुत धन्यवाद्. सच में तुमने अपनी माँ से भी कहीं अच्छी तरह से मालिश की है. ऐसी मालिश तो आज तक तेरी माँ ने भी नहीं करी. अब तुम भी सो जाओ कल मिलते हैं.
मैं पापा को बाय करके अपने कमरे में आ गयी. और कल होने वाली मिलन के बारे में सोचते हुए लेट गयी. पर मेरे को क्या मालूम था कि कल क्या होने वाला था. कुछ ऐसा जो हम बाप बेटी ने भी नहीं सोचा था.
अगले दिन क्या हुआ यह मैं आपको बाद में बताती हूँ. अभी तो नींद आ रही है.
अगले दिन सुबह हम लोग उठे और अपनी दिनचर्या से निवृत हुए.
नाश्ता वगैरह करने के बाद मैं और पापा सोफे पर बैठे हुए टीवी देख रहे थे.
मैं अपने वही शार्ट स्कर्ट और टी शर्ट में थी. जब से मम्मी गयी थी मैंने ब्रा और पैंटी पहनना तो लगभग छोड़ ही दिया था.
क्योंकि मेरी कोशिश थी कि किसी भी तरह मम्मी के आने से पहले पहले पापा से चुदवा लूँ. ताकि फिर यह सिलसिला चलता रहे.
मुझे मालूम था की मम्मी को भी चुदाई बहुत पसंद है तो जब वो आ जाएँगी तो पापा को चुदाई के लिए तरसना नहीं पड़ेगा तो हो सकता है कि फिर पापा मेरी तरफ उतना ध्यान न भी दें.
मैंने पापा को थोड़ा छेड़ने का सोचा और पूछा
मैं :- पापा चाय पिएंगे या दूध ला दूँ?
पापा:- नहीं बेटी! अभी तो नाश्ते के साथ चाय पी थी तो अभी कोई इच्छा नहीं है.
मैं :- तो पापा दूध ले लीजिये (यह कहते हुए मैंने अपनी छाती थोड़ी आगे को कर दी जैसे बोल रही हूँ कि यह दूध ले लो)
पर पापा का ध्यान तो टीवी पर था तो उन्होंने गौर नहीं किया और मना कर दिया.
मैं :- पापा क्या बात है. आप को मेरा दूध पसंद नहीं है क्या?
(यह कह कर मैंने फिर से अपने मुम्मे आगे को किये तो अब पापा की नज़र मेरे मुम्मों पर पड़ी. वो समझ गए. )
पापा अपने लन्ड को अपनी लुंगी के ऊपर से ही सहलाते हुए बोले
पापा:- सुमन! मुझे तो तुम्हारा ही दूध पसंद है. तुम्हारा दूध भला कैसे मना कर सकता हूँ मैं. मैं तो खुद तेरा दूध पीने की सोच रहा था.
पापा के सीधा ही बोल देने से मैं शर्मा गयी. तो पापा बात को थोड़ा संभालते हुए बोले.
पापा:- सुमन! तू कहे तो अभी तेरा दूध पी लेता हूँ. जा तू किचन से ले आ.
मैं :- पापा! दूध आप को गर्म पसंद है या ठंडा?
पापा:- अरे बेटी! दूध तो मुझे ताजा ही पसंद है. यदि ताजा दूध पीने को मिल जाये तो क्या बात है. बचपन में मैं गावं में गाय के थनो से ताजा ही दूध पीता था. वो भी क्या दिन थे जब मुंह लगा कर सीधे दूध चूस चूस कर पीता था. बस अब तो वो यादें ही रह गयी हैं. बहुत मन करता है कि कोई मौका मिले तो थन को मुंह में ले कर और खूब चूस चूस कर दूध पिउन. पर कोई मौका ही नहीं बनता।
(पापा ने यह बात मेरी छाती को देखते और अपने लौड़े को पूरी बेशर्मी से सहलाते हुए कही. उनका लण्ड हमारी बातों से खड़ा होने लग गया था. उनकी लुंगी में उसका उभार साफ़ दिख रहा था. जिस को देख कर मेरी चूत में भी गीलापन आने लगा था.)
पापा को मैं फिर छेड़ते हुए बोली
मैं:- पापा! अब इतना ताजा दूध, कि आप सीधे ही अपना मुंह लगा कर चूस पाएं, मैं कहाँ से लाऊ? मेरे पास तो फ्रिज का ही दूध है.
पापा:- अरे बेटी इंसान चाहे तो क्या प्रबंध नहीं हो सकता. तू चाहे तो मेरी इच्छा पूरी कर सकती है. मैं ताजा दूध पी सकता हूँ.
(मुझे समझ नहीं आ रहा था की बात को कैसे घुमाऊं क्योंकि पापा तो शायद अभी मेरी चूची चूसने का सोचे बैठे थे, इधर ब्रा न पहनी होने के कारण मेरे निप्पल जो पापा की सेक्सी बातें सुन कर टाइट हो गए थे, साफ़ साफ़ दिख रहे थे पापा को, जिन्हे देख कर पापा का लण्ड और भी कसता जा रहा था. )
मैं:- पापा! अब मैं ताजा दूध कहाँ से लाऊँ? बाजार जान पड़ेगा. चलो ऐसा करते हैं की बाजार चलते हैं. मेरा भी कई दिन से कुल्फी या चॉकोबार खाने का मन हो रहा है. आप भी चॉकोबार खा लेना।
पापा:- नहीं सुमन! चॉकोबार भी भला कोई खाने की चीज है. यह तो अच्छी तरह से चूसने वाली चीज है. यदि चॉकोबार को अच्छी तरह चूसा जाये तो ही उसका असली मजा आता है,
(यह बात बोलते बोलते पापा ने फिर से अपना लंड सेहला दिया. मैं तुरंत समझ गयी कि पापा किस चॉकोबार को चूसने की बात कर रहे है. मैं तो गनगना गयी की आज पापा पूरे मूड में हैं. हर बार बात को घुमा कर वहीँ ले आते हैं. लगता है आज मेरी चूत का उद्घाटन समारोह कर ही देंगे पापा. यही बात सोच कर मेरी चूत पानी छोड़ने लगी. मैं तो खुद यही चाह रही थी, सोचा आज तो कुछ हो ही जाए। तो बात को आगे बढ़ाते हुए बोली )
मैं:- पापा! मेरा मतलब भी चॉकोबार को चूसने का ही था. भला चॉकोबार को कोई चूसे बिना उसका मजा कैसे ले सकता है. आप मुझे चॉकोबार दे, मैं उसे खूब अच्छी तरह से चूस कर मजा लूंगी. पर आप क्या लेंगे?
पापा:- सुमन! मुझे कुल्फी या चॉकोबार नहीं बल्कि मुझे तो आइसक्रीम ही पसंद है. आइसक्रीम में जीभ डाल कर चाट चाट कर उसे खाने में जो मजा है वो किसी और चीज में कहाँ?
(यह कहते हुए पापा की नजरें मेरी चूत की तरफ थी. मैं भी जवान थी तो समझ गयी की पापा किस आइसक्रीम को चाटने की बात कर रहे हैं. मैं तो न जाने कब से अपनी यह आइसक्रीम पापा को चटवाने को तैयार थी. तो मुस्कुराते हुए बोली.)
मैं:- पापा! आप आइसक्रीम को कैसे चाटेंगे?
पापा:- बेटी! मैं तो आइसक्रीम की कटोरी में पूरी जीभ डाल कर उसे अच्छी तरह से इधर उधर घुमा कर, आइसक्रीम का मजा लेता हूँ. जब तक मैं पूरी जीभ आइसक्रीम में नहीं डाल लेता, मुझे आइसक्रीम चाटने में मजा नहीं आता. तुम मुझे आइसक्रीम दे दो फिर देखना तेरे पापा कैसे अच्छे से आइसक्रीम चाटते हैं.
(इन दो अर्थी बातों से हम दोनों बाप बेटी की वासना खूब बढ़ गयी थी, मैं भी मुस्कुराते बोली)
मैं:- पापा! ठीक है फिर, आप मुझे चॉकोबार चूसने को देंगे और मैं आपको आइसक्रीम चाटने को दूँगी.
पापा:- सुमन! तुम एक चीज और देखना। मैं न चॉकोबार को तुम्हारी आइसक्रीम में पूरा डाल कर तुम्हे दूंगा. फिर तुम जब उसे चूसोगी तो तुम्हे चॉकोबार के साथ साथ तुम्हे अपनी आइसक्रीम का भी मजा आएगा. जब चॉकोबार पर आइसक्रीम लगी होगी तो फिर उसे चूस कर देखना. ठीक है?
(मैं समझ गयी कि पापा मेरी चूत में लण्ड घुसा कर उसपर मेरी चूत का रस लगा कर मुझे चुसवाने का सोचे बैठे है. इतनी सीधी पर दो अर्थी बात से मेरी चूत में तो घमासान होने लगा. पापा का भी लौड़ा खूब सख्त हो गया था. मुझे लगा कि पापा अभी ही मुझे चोद देंगे. तो मैं बात को थोड़ा टालते बोली )
मैं:- ठीक है पापा। मैं जरा कपडे बदल कर आती हूँ. फिर हम बाज़ार चलते हैं. चॉकोबार और आइसक्रीम ले आते हैं.
यह कह कर मैं अपने कमरे में चली गयी. मैं असल में ब्रा पैंटी पहनना चाहती थी ताकि जब पापा मुझे खुद अपने हाथों से नंगी करेंगे और मेरी ब्रा और कच्छी अपने हाथों से उतारेंगे तो कितना मजा आएगा. यह सोच कर मैंने के लम्बी की स्कर्ट पहन ली और नीचे ब्रा और पैंटी भी पहन ली। यह कपडे तो मैंने पापा से अधिक मजा लेने के लिए पहने थे, पर यह भगवान् ने मुझे बचा लिया. यह सब क्या था. यह आपको मैं अभी बताती हूँ.
मैं आ कर सोफे पर पापा के साथ सट कर बैठ गयी.
मैं कुछ बोलने ही वाली थी कि बाहर की घंटी बजी. मेरा तो ग़ुस्से से बुरा हाल हो गया. यह साला इस टाइम कौन आ गया.
पापा मुझे बोले
पापा :- बेटी! जा जरा दरवाजा खोल कर देख तो कौन है?
मैं गुस्से में भुनभुनाती हुई दरवाजे के पास गयी और ज्योंही दरवाजा खोला तो जैसे एकदम मेरे तो सर पर एटमबम ही गिर गया.
बाहर दरवाजे पर मम्मी और नानी खड़े थे.
जीवन में पहली बार मुझे अपनी माँ को देख कर बहुत बुरा लगा. मम्मी तो मुझे बिलकुल अपनी सौतन या दुश्मन लग रही थी,
मैं हकला कर बोली
मैं :- मम्मी! आप? आप अचानक से कैसे. बताया भी नहीं.
तब तक पापा भी उठ कर दरवाजे पर आ गए थे. पर वे सयाने थे उन्होंने अपनी भावनाएं अपने चेहरे पर नहीं आने दीं, जबकि ग़ुस्सा तो उन्हें भी बहुत आया था. उधर मम्मी मेरा उड़ा हुआ मुंह देख कर बोली
मम्मी:- अरे सुमन! क्या हुआ मुझे देख कर ख़ुशी नहीं हुई. मैं तो तेरी नानी को भी साथ लायी हूँ. मुझे लगा की तेरी पढ़ाई खराब हो रही होगी. खाना बनाने में दिक्कत होगी और मैं तुम को सरप्राइज देने के लिए अचानक आ गयी,
मैंने बात को संभाला और मुस्कुराते हुए बोली
मैं :- मम्मी! मुझे तो आपको और नानी को देख कर बहुत अच्छा लगा है. वो तो मैं आपके एकदम आने और सरप्राइज देने से हैरान हो गयी थी.
(इधर मैं मन ही मन भगवान् का लाख लाख शुक्र मना रही थी की एक मिनट पहले ही मैंने अपनी वो छोटी सी स्कर्ट बदल कर यह लम्बी स्कर्ट पहल ली थी और पैंटी भी पहन ली थी. वरना तो अभी हम बाप बेटी का भांडा ही फुट जाता.पापा का भी लण्ड मम्मी को देख कर सिकुड़ गया था और ढीला हो चूका था. )
खैर यह माँ का घर था तो मैं उन्हें अंदर आने से तो रोक नहीं सकती थी, तो एक साइड हो कर माँ और नानी को सोफे पर बिठाया और पानी ला कर दिया.
चॉकोबार चूसने और आइसक्रीम चाटने का तो प्रोग्राम ही चौपट हो गया था. पर हम बाप बेटी कर भी क्या सकते थे.
लेकिन कोई प्लान के बारे में मैं सोच रही थी और आखिरकार दिमाग में एक प्लान आ ही गया।
मैंने सोच लिया कि इस प्लान को आज ही मौका दूंगी … मैं ज्यादा दिन इंतजार नहीं करूंगी।
क्योंकि जब तक नानी हैं तब तक मम्मी का ध्यान उनकी तरफ ज्यादा रहेगा, हमारे और पापा मेरे पास पूरा टाइम रहेगा अपना काम करने का!
अब मैं शाम होने का इंतजार करने लगी।
शाम को पापा ऑफिस से करीब 6 बजे तक आ गए और रोज की तरह चाय वगैरह पी कर टीवी देखने बैठ गए।
बाहर छोटा सा लॉन था, मम्मी और नानी शाम में अक्सर वही बैठ जाती थी.
मैं भी वही उनके साथ बैठ जाती थी.
इधर-उधर की बात करते-करते करीब 7 बज गए.
मम्मी और नानी दोनों अंदर आ गई और मम्मी रात के खाने की तैयारी करने लगी।
मैं ऊपर अपने कमरे में आकर पढ़ने लगी और 8 बजे का इंतजार करने लगी।
जैसे-जैसे टाइम पास आ रहा था … मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी।
हालांकि मुझे डर नहीं लग रहा था बस चूंकि अभी तक तो सब कुछ नींद का बहाना कर के हो रहा था.
मगर आज जो मेरा प्लान था उसमें ना तो आंख बंद करने का नाटक करना था और ना ही नींद में सोने का नाटक … जो कुछ भी होना था, वह खुलकर होना था।
इसलिए थोड़ी सी घबराहट और एक्साइटमेंट हो रही थी।
खैर … 8.30 बजने वाले थे और मैंने तैयारी शुरू कर दी।
मैंने घुटनों तक की स्कर्ट पहन ली जो मैं अक्सर घर में पहनती थी और ऊपर टी-शर्ट डाल लिया।
मैंने अंदर पैंटी और ब्रा दोनों नहीं पहनी।
जब 8.30 बज गए तो स्कूटी की चाभी उठाई और कमरे से निकल कर नीचे आ गई।
नीचे मम्मी रसोई में थीं और पापा अभी भी टीवी देख रहे थे.
पापा रोज की तरह लुंगी और कुर्ता पहनने हुए थे.
मैंने नीचे जाते ही मम्मी से कहा- मम्मी, मुझे एक ज़रूरी किताब लेने अभी मार्केट जाना है।
इस पर मम्मी हल्का सा नाराज़ होते हुए बोली- इस समय कौन सी किताब की ज़रूरत पड़ गई तुम्हें?
मैंने कहा- अरे मम्मी, अभी फोन आया है एक दोस्त का कि कल एक प्रैक्टिकल होना है कॉलेज में! हमें जाना जरूरी है और मेरे पास उसकी किताब नहीं है। तो वह मुझे अभी लेनी होगी. अभी 8.30 बज रहे हैं, दुकानें खुली होंगी।
मम्मी बोली- ठीक है, अकेली मत जाओ, पापा को भी साथ लेती जाओ।
मैं तो बस यही चाह रही थी कि मम्मी खुद बोलें कि पापा के साथ जाओ.
उधर पापा भी हमारी बातें सुन रहे थे।
मैं बोली- ठीक है।
और ये कहकर रसोई से बाहर निकाल कर स्कूटी की चाबी पापा को देते हुए उनसे बोली- पापा, मेरे साथ मार्केट चलिये … एक बुक लेनी है।
पापा बोले- ठीक है, चलो!
यह कह कर वे अपने कमरे की तरफ जाने लगे।
मैंने कहा- कहां जा रहे हैं?
तो वे बोले- अरे कपड़े चेंज कर लूं!
मैंने कहा- जितनी देर में आप कपड़े चेंज करेंगे, उतनी देर दुकान बंद हो जायेगी। ऐसे ही चलिये, रात में कौन देख रहा है।
दरअसल मेरा प्लान ही था पापा को लुंगी में ले चलने का!
पापा बोले- ठीक है, चलो।
फिर हम दोनों बाहर आ गये।
मैंने पापा को स्कूटी की चाभी दी।
स्कूटी स्टार्ट होने पर मैं पीछे बैठ गई, मैं उनके पीछे ऐसे बैठी कि मेरी चूची उनकी पीठ से चिपक गई।
कॉलोनी की सड़क में थोड़े गड्ढे थे तो उनमें जैसे ही स्कूटी जाती तो मैं थोड़ा जानबूझकर झटके के साथ पापा की पीठ पर अपनी चूचियों को पूरा चिपका देती और अपना हाथ उनकी जाँघ पर रख देती थी।
खैर … जैसे ही हम कॉलोनी से निकल कर मेन रोड पर आये तो मैंने पापा से कहा- पापा, मैं स्कूटी चलाऊँ आप पीछे बैठ जाइये।
पापा पहले थोड़ी हिचकिचायें और बोले- अरे, मैं चल रहा हूँ ना!
मुझे लगा कि वे मेरी चूचियां जो उनकी पीठ से चिपकी थी उनका मजा नहीं छोड़ना चाह रहे थे.
मगर मेरा प्लान कुछ और था।
मैंने कहा- प्लीज पापा मैं चलाऊंगी।
पापा फिर बोले- अरे देर हो रही है, स्पीड में चलकर ले चलूंगा ताकि दुकान बंद होने से पहले पहुंच जाएं।
शायद पापा को अभी भी लग रहा था कि मैं किताब लेने के लिए ही आई हूं.
मगर मैं ज़िद करने लगी।
इस पर पापा बोले- ठीक है, लो तुम्ही चलाओ।
ये कह कर वे स्कूटी से उतरने लगे.
उससे पहले ही मैं तेजी से स्कूटी से उतर गई और उनसे बोली आप मत उतरिए, पीछे खिसक जाइए मैं आगे बैठ जाऊंगी।
वे थोड़े हिचकिचा रहे थे, बोले- नहीं, तुम बैठी रहो, मैं उतर कर पीछे आ जाता हूं।
मगर तब तक मैं उतर चुकी थी और आगे आते हुए बोली- आप खिसक जाएं पीछे!
पता नहीं क्यों … पापा थोड़े नर्वस हो रहे थे पीछे खिसकने में!
मगर मेरे जिद करने पर वे स्कूटी पर बैठे बैठे ही पीछे खिसक गए।
मैं आगे आकर स्कूटी की सीट पर जानबूझ कर अपने कमर को ऊपर उठाए हुए थोड़े पीछे खिसक कर ऐसे बैठी कि मेरी गांड पापा के लंड से चिपक जाए।
मगर मैं जैसे ही इस तरह बैठी तो मैं सारा माजरा तुरंत समझ गई कि पापा क्यों पीछे बैठने में हिचकिचा रहे थे।
दरअसल शायद पापा लुंगी के नीचे अंडरवियर नहीं पहने थे और मेरी चूचियों को अपनी पीठ पर चिपकाने से वे उत्तेजित हो गई थी और उनका लंड खड़ा हो गया था।
क्योंकि जैसे ही मैं अपनी गांड उठाकर पीछे होकर बैठी तो उनका खड़ा लंड मेरी गांड में छूने लगा था।
मैंने सोचा कि चलो मेरा थोड़ा काम आसान हो गया।
मैं स्कूटी चलाने लगी।
पापा का लंड मेरी गांड पर चिपक रहा था और मैं भी जानबूझ कर अपनी गांड को उनके लंड पर और जोर से दबा रही थी.
मैंने स्कूटी की स्पीड एकदम धीमी कर रखी थी और आराम से मजे लेकर चल रही थी।
रात की ठंडी हवा में अपने पापा के लंड को गांड पर महसूस करते हुए स्कूटी चलाने में अलग ही मजा आ रहा था।
मेरी गांड से सटकर पापा का लंड शायद और भी खड़ा हो गया था क्योंकि मुझे पहले से ज्यादा उसकी चुभन महसूस हो रही थी।
एक जगह रास्ते में स्पीड ब्रेकर आया तो मैंने जल्दी चलते हुए हल्का सा अपनी गांड को सीट से ऊपर उठाया और फिर धीरे से अपने कमर को पीछे कर ऐसी बैठी कि पापा का लंड अब मेरी गांड के नीचे आधा दबा हुआ था.
हल्का सा भी झटका लगने पर मैं अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ देती थी।
रास्ते में रेलवे ओवरब्रिज के ऊपर चढ़ने के बजाये मैं उसके नीचे से स्कूटी ले जाने लगी।
तो पापा चौंकते हुए बोले- अरे ओवरब्रिज से क्यों नहीं चल रही हो बेटा. नीचे तो अंधेरा होगा और हो सकता है ट्रेन का टाइम होने से गेट भी बंद हो।
दरअसल मार्केट हमारी कॉलोनी से थोड़ी दूरी पर था बीच में एक रेलवे का ओवरब्रिज भी था जिसके पार करने के बाद कुछ दूर पर मार्केट शुरू होती थी. ओवरब्रिज के नीचे से मुश्किल से कोई इक्का-दुक्का ही आता जाता था। वही रात में क्योंकि अंधेरा बहुत होता था इसलिए कोई नहीं जाता था।
मैं थोड़ा हंसती हुई बोली- तो क्या हुआ पापा, थोड़ा इंतजार कर लेंगे. कौन सी जल्दी है।
असल में मैं पापा को एहसास दिलाना चाह रही थी कि मैं बुक लेने नहीं कुछ और करने आई हूं.
पापा बोले- और शॉप बंद हो गई तो?
मैं बोली- अरे मेरा तो स्कूटी से घूमने का मन था तो मैं चली आई. कौन सा मुझे कोई किताब लेनी है।
पापा बोले- अरे यार, तो पहले क्यों नहीं बोला? मैं टेंशन में था कि कहीं शॉप बन्द न हो जाए।
इस पर मैं थोड़ा कमेंट करते हुए बोली- हां टेंशन तो मैं महसूस कर रही हूं।
अब मैंने थोड़ा मजे लेना शुरू कर दिया था।
मेरा इशारा उनके खड़े लंड की तरफ था.
पापा समझ गए कि मेरा इशारा किधर है।
तो वे भी थोड़ा मजे लेते हुए बोले- अरे तो तुम्हें तो दे रही हो वह टेंशन!
इस पर हम दोनों थोड़ा हंस दिए।
अब मैं और पापा धीरे-धीरे खुलने लगे थे। वो समझ गए कि आज कुछ तो अच्छा होने वाला है, मैं कुछ शरारत करने वाली हूँ. पर वो क्या है यह तो पापा अभी तक समझ नहीं पाए थे. पर क्योंकि वे भी मुझे चोदने को तरस रहे थे तो उन्होंने भी सोचा की जो भी होगा अच्छा ही होगा. वैसे भी मेरी गांड में लण्ड लगा कर उन्हें मजा आ रहा था. और अगर हम दोनों फ्लाई ओवर से जाते तो वहां तो बहुत लोग और भीड़ होती है. तो वहां तो पापा मेरी गांड में लंड रगड़ने का मजा नहीं ले पाते तो उन्होंने भी नीचे के पुराने रास्ते से जाने का सोच. क्योंकि उस रास्ते से टाइम कोई आता ही नहीं था. तो पापा ने सोचा कि वहां रास्ते में उन्हें मेरी गांड में लण्ड रखने का मौका मिलेगा.
स्कूटी लेकर जैसे ही मैं ओवरब्रिज के नीचे रेलवे क्रॉसिंग के पास पहुंची तो देखा कि गेट बंद था।
शायद कोई ट्रेन आने वाली थी।
मैं तो बस यही चाह रही थी।
मैंने कहा- ओह … गेट तो बंद है.
पापा बोले- कोई नहीं, थोड़ा इंतज़ार कर लेते हैं.
मैं बस हल्का सा मुस्कुरा कर चुप रही।
फिर मैं स्कूटी को ओवरब्रिज के ठीक बीच में एक पिलर के पास लेकर चली गई और ठीक उसके पीछे डबल स्टैंड पर स्कूटी को खड़ा कर दिया। यहाँ पर कुछ झाड़ियां भी थी. तो उनकी ओट में स्कूटर खड़ा कर देने से वो छुप गया. अब यदि कोई आ भी जाता तो उसे हम दिखाई दे ही नहीं सकते थे.
यह मेरे प्रोग्राम और मेरी चाल के लिए बहुत ठीक था. पापा चुप थे और बस मुझे देख रहे थे. वे अभी तक भी मेरी चाल नहीं समझ पाए थे.
बाहर की तरफ थोड़ी बहुत चाँद की रोशनी आ रही थी मगर यहाँ अँधेरा था और जगह भी ऐसी थी कि कोई अचानक से गुजर भी गया तो हम दोनों को नहीं देख सकता थे। हम दोनों वापस उसी तरह स्कूटी पर बैठ गए थे। पापा का लंड अभी भी मेरी गांड से सटा हुआ था।
रात के सन्नाटे में महौल एकदम सेक्सी हो रहा था … सच कहूं तो मेरी चूत पनियाने लगी थी.
अचानक मैंने बैठे-बैठे आगे झुक कर अपने सिर को स्कूटी पर आगे हेडलाइट पर रख दिया और अपनी गांड को थोड़ा जानबूझ कर उठा दिया।
अब पापा का लंड मेरी गांड से सटा नहीं था मगर स्कर्ट के नीचे मेरी चूत ठीक पापा के लंड के सामने थी।
पापा अब तक समझ गए थे कि आखिर मैं क्यों आई हूं।
वे भी कुछ देर रुके रहे फिर थोड़ा खिसक कर मेरी गांड के पास आ गये और अपने लंड को स्कर्ट के ऊपर से ही मेरी गांड से सटा कर बैठ गये।
मैं समझ गयी कि पापा गर्म हो रहे हैं और अपनी बेटी की गांड में लैंड लगाने का मौका ढूंढ रहे हैं. हम दोनों बाप बेटी के बीच इतना कुछ हो चूका था की पापा की हिम्मत बढ़ गयी थी. पापा ने मुझे थोड़ा आगे होने को कहा. मैं जानती थी कि पापा चाहते हैं की मैं जब आगे होने के लिए अपने चूतड़ उठाऊं तो कुछ शरारत कर सकें तो मैंने अपनी गांड थोड़ी ऊपर उठाई. पापा ने झट से मेरी स्कर्ट पीछे से ऊपर कर दी. अब मेरी गांड बिलकुल नंगी थी बस मेरी छोटी सी पैंटी मेरी गांड पर थी. पापा ने भी अब तक होंसला करके अपना लण्ड अपनी अंडरवियर से बाहर निकाल लिया था और उसे अच्छे से मेरी गांड पर लगा दिया.
मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी जो मेरे पापा ने भी रात के सन्नाटे में साफ साफ सुनी.
वे जानते थे कि मैं इस सब के लिए तैयार हूँ. तो उन्होंने मेरी गांड और मेरे नंगे चूतड़ों पर अपना लौड़ा घिसना शुरू कर दिया. उनके लण्ड अब तक बिलकुल सख्त हो चूका था और मुझे अपने चूतड़ों पर गर्म गर्म महसूस हो रहा था।
हम दोनों बाप बेटी को बहुत मजा आ रहा था.
मैंने तो आज ठान ही लिया था कि इससे पहले कि पापा रात को मम्मी को चोद लें मैं अपना काम तमाम करवा लेना चाहती थी.
15-20 सेकंड तक ऐसे ही रहने के बाद मैं अचानक उठी और स्कूटी से उतरते हुए बोली- पापा मुझे पेशाब लगी है।
पापा बोले- यहां पास में कर लो, अंधेरा है, कोई देखेगा नहीं!
और बोले- ज्यादा दूर मत जाना।
मैंने कहा- ठीक है पापा!
और फिर मुश्किल से 4-5 कदम आगे बढ़ कर स्कर्ट उठाई और बैठ कर पेशाब करने लगी।
मैं जानबूझकर पास में ही पेशाब करने लगी. मैंने अपनी पैंटी नीचे करके पेशाब करने की बजाए अपनी पैंटी पूरी ही उतार दी और पापा को देते हुए कहा
“पापा यह मेरी पैंटी जरा पकड़ लीजिये मैं पेशाब कर लूँ. कई बार अँधेरे में ठीक से दिखाई नहीं देता तो पेशाब करते हुए पैंटी गीली हो जाने का डर रहता हैं. अब हम लड़कियों के पास आप पुरषों जैसे पेशाब करने की पाइप तो है नहीं जो ऐसा खतरा न हो की पैंटी गीली हो जाएगी. ”
पापा मुस्कुरा पड़े. और मेरी पैंटी ले ली। मैं पेशाब करने के लिए उनके पास में ही दूसरी ओर मुंह करके बैठने लगी और ऐसा करते हुए मैंने अपनी स्कर्ट पीछे से पूरी उठा कर बैठी. जिस से पापा को चाँद की रौशनी में मेरी गांड चांदी की तरह चमकती हुई दिखाई दे रही थी. मैं अपनी टांगें पूरी तरह से खोल कर पेशाब करने को बैठी ताकि इस पोज़ में मेरी चूतड़ खूब खुल जाएँ और पापा को अच्छे से सब कुछ दिखाई दे.
पापा को अपने सामने जन्नत का साक्षात् नजारा दिखाई दे रहा था.
पापा मेरी उतारी हुई पैंटी को अपनी नाक पर रख कर सूंघने लगे और उनकी नजरें मेरी नंगी गांड पर ही थी.
रात के सन्नाटे में चूत से पेशाब की निकल रही छरछराहट दूर तक जा रही थी जो पापा को भी साफ सुनाई दे रही थी।
पेशाब कर के उठने के बाद मैं स्कर्ट से चूत को पौंछते हुए पापा के पास आकर खड़ी हो गई।
फिर अचानक मैंने नाटक करते हुए हल्का सा चिल्लाते हुए बोली- ऊऊऊ ऊइइइइइ इइ इइइइ इइइ!
और तेजी से अपनी स्कर्ट को थोड़ा सा उठा कर ऐसे झाड़ने लगी जैसे कोई कीड़ा घुस गया हो।
पापा को तो लग रहा था जैसे इसी के इंतजार मैं बैठे थे।
वे तेजी से स्कूटी से उतर कर मेरे सामने आकर खड़े हो गए और स्कर्ट की तरफ देखते हुए पूछे- क्या हुआ बेटा … कुछ काट लिया क्या?
मैंने कहा- नहीं पापा, मुझे लगा कि स्कर्ट में कोई कीड़ा घुस गया था. मगर निकल गया है शायद!
पापा ने तुरंत कुर्ते की जेब से मोबाइल निकाला और उसकी टॉर्च जलाते हुए स्कर्ट पर देखने लगे और बोले- अरे रुको बेटा, देखने दो कहीं अभी निकला न हो तो!
शायद पापा तो इसी बहाने कुछ और करना चाह रहे थे।
हालांकि मैं भी मन ही मन यही चाहती थी।
मैं इतनी चुदासी हो चुकी थी और मेरी चूत में इतनी कुलबुलाहट हो रही थी कि बस चाह रही थी या तो उंगली डाल कर चूत का पानी निकाल दूं या फिर पापा का लंड पकड़ कर चूत से रगड़ लूँ।
फिर भी मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा- अरे रहने दीजिए पापा … हो सकता है निकल गया हो।
आज यहाँ रात के अँधेरे में बाप बेटी के बीच कुछ होने की भूमिका बन चुकी थी.
पापा अब कहां मानने वाले थे … वे मेरे कंधों को पकड़ कर पीछे स्कूटी का सहारा देकर खड़ा करते हुए बोले- तुम आराम से खड़ी हो जाओ. मैं मोबाइल से ठीक से देख लेता हूं कि कीड़ा निकला या नहीं!
मैं समझ गई कि पापा इसी बहाने मेरी चूत देखना चाह रहे हैं।
मैंने मन में सोचा कि मतलब आग उधर भी उतनी ही लगी है।
फिर मैंने भी ज्यादा नाटक नहीं किया और स्कूटी का टेक लेकर खड़ी हो गई।
पापा ने लुंगी को अपने घुटनों तक ऊपर उठा लिया और मेरे आगे घुटनों के बल बैठ गये।
वे मुझसे इतना सट कर बैठे थे कि अगर मैं थोड़ा सा भी अपने कमर को आगे कर देती तो मेरी चूत स्कर्ट के ऊपर से ही उनके मुंह से सट जाती।
इसके बाद उन्होंने पहले तो स्कर्ट के ऊपर ही देखने का नाटक किया और फिर धीरे से एक हाथ से मेरी स्कर्ट को ऊपर उठाते हुए मुझसे बोले की- बेटा, जरा इसे पकड़ो तो … मैं देख लूं कि कहीं अंदर तो नहीं बैठा है।
मैंने स्कर्ट को नीचे से पकड़ कर धीरे करके पूरा ऊपर उठा दिया।
अब मेरी पाव रोटी जैसी फूली नंगी चूत पापा के मुंह के ठीक सामने थी।
पापा भी मोबाइल की रोशनी में मेरी चूत को निहारे जा रहे थे।
तभी मैंने पापा से कहा- पापा, प्लीज मोबाइल का टॉर्च बंद कर दीजिए कोई देख लेगा। हाथ से छूकर देख लीजिए कि कीड़ा बैठा तो नहीं है।
एक तरीके से मैं पापा को अपनी चूत को छूने और सहलाने का इशारा कर रही थी।
पापा भी समझ गए कि मैं क्या चाह रही हूं और वे भी यहीं चाह रहे थे।
उन्होंने मोबाइल का टॉर्च बंद कर अपने कुर्ते की जेब में रख लिया और फिर अपने हाथों को मेरी जाँघ पर आगे-पीछे और ऊपर-नीचे फेरने लगे।
धीरे-धीरे जाँघों को सहलाते हुए वे उन्होंने अपना हाथ मेरी चूत पर रख दिया।
जैसे ही पापा ने अपना हाथ को चूत पर रखा, मेरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई।
मेरा चेहरा कामुकता से लाल हो रहा था; शरीर एकदम गर्म हो गया था।
मैं इतनी चुदासी हो रही थी कि मैंने स्कर्ट को हाथ से छोड़ दिया.
अब पापा का सिर मेरी स्कर्ट के अंदर था।
फिर मैंने अपनी दोनों जांघों को फैलाते हुए अपनी कमर को हल्का सा आगे कर दिया।
अब मेरी चूत पापा के मुंह के इतने पास थी कि मैं उनकी गर्म-गर्म सांसों को अपनी चूत पर महसूस कर रही थी।
पापा भी मेरा इशारा समझ गए।
पापा ने अपनी गर्दन मेरी स्कर्ट में से बाहर निकाली और बोले.
“बेटी लगता है कोई कीड़ा था. दिखाई तो दे नहीं रहा है. पता नहीं लग रहा कि अभी भी यहीं है या निकल गया. यदि अब कोई दिक्कत नहीं है तो ठीक है वर्ना अच्छे से चैक करना पड़ेगा. ”
मैं अब भला उन्हें कहाँ छोड़ने वाली थी, तो बोली
“पापा कीड़ा तो लगता है की यहीं है क्योंकि अभी भी दर्द हो रहा है. आप अच्छे से चेक कर लीजिये कहीं इधर उधर न हो. ”
अब मैंने पापा को आराम से “इधर उधर” चेक करने की इजाजत खुद ही दे दी थी तो पापा ने आराम से मेरी चूत पर कीड़ा ढूंढने के बहाने से अपनी उँगलियाँ फेरी. पापा ने मेरी चूत की दोनों फांकों को चौड़ा करके खोला और चूत के दरार के अंदर भी अपनी ऊँगली घुमाई. मैं तो जन्नत में थी, इतना मजा आ रहा था की क्या बताऊँ. चूत तो बहुत गीली हो गयी थी और ख़ुशी के आंसू बहा रही थी,
पापा को भी यह मौका अच्छा लग रहा था. अँधेरे में हम किसी को दिखाई भी नहीं दे सकते थे और ओट में भी थे. तो पापा बोले
“बेटी सुमन! लगता है कि जब तुम पेशाब कर रही थी तो कीड़ा तुम्हारी पेशाब वाली जगह यानि तुम्हारी चूत में घुस गया है, इसे मैं ऊँगली से निकालने की कोशिश करता हूँ. ”
यह कह कर पापा ने बिना मेरा उत्तर सुने अपनी एक ऊँगली मेरी चूत में घुसा दी, और कीड़ा निकालने के बहाने से उसे अंदर बाहर करने लगे.
मुझे बहुत मजा आ रहा था. आज पहली बार पापा मेरे होशोहवाश में मेरी चूत में ऊँगली कर रहे थे और मैं आराम से खड़ी अपनी चूत में पापा से ऊँगली करवा रही थी.
पर मैंने सोचा की हमारे पास ज्यादा समय नहीं है जो ऊँगली करवाती रहूं. पापा का मुंह मेरी चूत के पास ही है तो कुछ और करती हूँ. यह सोच कर मैंने पापा के सर पर अपने हाथ रख कर पापा के सर को अपनी चूत की तरफ खींचा और पापा को बोली
“पापा आप की ऊँगली के शायद नाखून बड़े हैं और मेरे अंदर चुभ रहे हैं. कुछ नरम चीज से कीड़ा निकालने की कोशिश करिये. ”
पापा उनके सर को आगे खींचने से समज गए कि मैं चूत चटवाना चाहती हूँ तो वे बोले
“सुमन बेटी! अब कोई नरम चीज और तो कोई है नहीं. मैं अपनी जीभ को तुम्हारे पेशाब के छेद में डाल कर उसके अंदर से कीड़ा निकालने की कोशिश करता हूँ. ”
यह बोल कर पापा ने चूत को सहलाना छोड़ कर अपने दोनों हाथों को स्कर्ट के अंदर से ही पीछे ले जाकर मेरी गांड पर रख दिया और अपने मुंह को आगे कर मेरी चूत को चूम लिया।
मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया.
इसके बाद पापा अपने दोनों हाथों को दोबारा आगे लेकर आएं और मेरी उंगलियों से मेरी गीली हो चुकी चूत की दोनों फाँकों को फैला दिया और जीभ से चूत को चाटने लगे।
मेरे मुंह से हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी।
मैं भी अपने कमर को हल्का-हल्का हिलाते हुए चूत चटवाने लगी।
चूत चाटते-चाटते पापा बीच-बीच में अपनी जीभ को मेरी चूत में घुसा कर हिलाने लगते थे।
मुझे तो होश ही नहीं था.
तभी पापा ने चूत चाटना छोड़ अपना सिर स्कर्ट से बाहर निकाल लिया और अपने हाथ स्कर्ट के ऊपर मेरी कमर पर ले जाकर रख दिये।
मैंने महसूस किया जैसे वे कुछ ढूंढ रहे हो।
अभी मैं कुछ समझ पाती … तभी पापा को वे मिल गया जिसे ढूंढ रहे थे।
पापा ने मेरी स्कर्ट के हुक खोल दिया जिससे मेरी स्कर्ट एक झटके में नीचे गिर गई।
मैंने भी अपना पैर उठा कर स्कर्ट को पैरों से बाहर कर दिया।
पापा ने खुद ही एक हाथ से उसे उठाकर मेरी स्कर्ट को स्कूटी पर रख दिया।
अब मैं कमर के नीचे से पूरी नंगी थी और मेरी चूत पापा के मुंह के ठीक सामने थी।
इसके बाद मैंने भी अपनी जाँघों को और फैला दिया और उन्हें चूत चाटने की पूरी जगह दे दी।
पापा ने हाथ से मेरी चूत के दोनों फांकों को फैला दिया और अपने मुँह को मेरी दोनों गोल चिकनी जाघों के बीच लाकर जीभ निकाल कर मेरी चूत को चाटने लगे।
कुछ देर बाद वे चूत चाटने हुए ही अपने दोनों हाथ को पीछे लेजाकर मेरी गांड को सहलाने और दबाने लगे।
मैंने अभी तक ऐसा सिर्फ पॉर्न मूवी में देखा था कि कैसे बाप अपनी बेटी की चूत चाटता है और बेटी अपने बाप से चूत चटवाती है।
मगर आज मेरे ही पापा मेरे सामने घुटनों के बाल बैठ कर अपनी बेटी की चूत चाट रहे थे।
यह सोच कर मैं इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि … चूत चटवाते हुए मुश्किल से 2-3 मिनट हुए होंगे कि मुझे ऐसा लगा कि मेरे शरीर का सारा खून चूत की तरफ जा रहा है; मेरी चूत की नसें एकदम फटने वाली हैं।
मैं तेजी से कमर हिलाने लगी और मेरे मुंह से तेज सिसकारियां निकलने लगीं- आआ आआआ आआह हहह हह हहह!
फिर अचानक मेरा शरीर एकदम अकड़ गया और मेरे मुँह से तेज़ सिसकारी निकली- आआ आआ आह हह हहह!
और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैंने एक्साइटमेंट में पापा का मुंह अपनी जांघों के बीच जोर से दबा लिया था … पापा बिना मुंह हटाये मेरी चूत का सारा पानी जीभ से चाट गये।
मैं तेजी से हांफ रही थी … हल्की ठंडी हवा में भी मेरे माथे पर पसीने की बूंदें आ गई थीं।
उधर पापा अभी भी नीचे बैठे रहे और कुछ देर के लिए … उन्होंने अपना मुंह मेरी चूत से हटा लिया ताकि मैं अपनी सांस पर काबू कर लूं।
जब उन्हें लगा कि मैं थोड़ा नॉर्मल हूं गई हूं … तो उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरी जांघों को फैला कर फिर से मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया।
मैं तो जैसे आसमान में उड़ने लगी थी।
मुझे इतना मजा आ रहा था कि मदहोशी में मैंने आंख बंद कर ली और पापा के सिर को पकड़ कर अपनी कमर हिला-हिला कर दोबारा से चूत चटवाने लगी।
करीब 2 मिनट की चूत चटाई से मुझ पर दोबारा चुदाई का नशा चढ़ने लगा।
मेरी चूत भर भर पानी छोड़ रही थी जिस से कि मेरी चूत के पानी से चूत और फिर भी चिकनी हो गई थी पापा ने अपनी एक उंगली मेरी चूत के ऊपर रख दी मेरी चूत चिकनी होने के कारण उनकी उंगली एकदुम सटाक से मेरी चूत के अंदर चली गई जिसे वो मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे, क्योंकि चूत में तो पापा की ऊँगली थी तो पापा ने अपनी जीभ मेरी भगनासा पर रख दी, ज्योंही पापा की जीभ मेरे चने के दाने पर लगी, मैं तो आनंद से उछल पापा का सर अपनी चूत पर जोर से दबा दिया.
अब मेरी चूत में पापा की ऊँगली घूम रही थी और मेरे स्वर्ग के बटन यानि मेरी भगनासा पर पापा की जीभ। ऐसा डबल हमला मेरे पर कभी नहीं हुआ था. मैं तो जैसे आसमान में उड़ रही थी. कीड़ा निकलने के नाम पर हम बाप बेटी आज एक दुसरे के होश में और जानकारी में मजे कर रहे थे.
जोश में मैं अपने आपको काबू में नहीं रख पा रही थी और बोली, “पापा, कीडा निकला या नहीं., प्लीज जल्दी कुछ करो ना। नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगी। प्लीज”
पर पापा कहा मनाने वाले थे मुझे स्कूटी के सहारे खड़ा किया पापा का हाथ ने मेरी चूत पर अपना पूरा कब्ज़ा जमा रखा था और वो मेरी चिकनी चूत बड़े प्यार से सहला रहे थे और पापा खुद नीचे बैठ गए ते और अपने दोनों हाथ उन्होंने अब मेरी गांड पर रख दिए और फिर उन्होंने अपने होठ मेरी भगनासा पर रख दिए और जीभ निकल कर भगनासा को चाटने लगे और कभी मेरी भगनासा पर अपने दांत गड़ा देते मस्ती के कारण अब मुझे से बर्दाश्त करना मुश्किल था.
मैं तड़प रही थी और चिल्ला रही थी
“हाए मां, उफ कितनी गर्म है आपकी जीभ? आ आ उई”
मैं बुरी तरह से सिसकारियां निकलने लगीसी सी आह आह उई मां उई उई उफ पापा ने अपनी लपलपाती हुई जीभ मेरी चूत में अंदर तक घुसा दी और जीभ से चोदने लगे.
मस्ती मैं भी पूरी तरह से गरम हो गई थी तो मैंने आगे को होकर झट से पापा के सर को अपने हाथों में थाम लिया मैं पापा के बालो, मैं अपनी उंगली घुमाते पापा को अपनी चूत पर दबाने लगी मुझे पापा के होठों से अपनी चूत की तेज सुगंध और उसके तीखे नमकीन स्वाद का एहसास हो रहा था.
पापा के हाथ मेरी दोनों चूतड़ों पर थे जिसे वो बड़े ही जोर से दबा रहे थे और सहला रहे थे. मैं इतनी गरम हो उठी थी कि मुझ से अपने आप को कंट्रोल करना मुश्किल ही नहीं नामुकिन था मस्ती, मेरे मुंह से निकला है
“पापा जी आप ने तो मुझे पागल कर दिया ही, कृपया जल्दी से कुछ करो नहीं तो मर जाऊंगी। कितना चाटेंगे कब से ऐसे चाट रहे ही जैसे वहा रसमलाई रखी हो. कीड़ा निकला या नहीं? अब बस कीजिए ना.”
मेरे मुंह से आवाजें निकल रही थी. शायद पापा भी सिसकारियां ले रहे हों पर क्योंकि उनका मुंह तो मेरी चूत पर था तो कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.
थोड़ी देर में फिर मेरा शरीर अकड़ने लगा. दूसरी बार से मेरा निकलने वाला था.
अचानक से मेरा शरीर फिर अकड़ गया और मेरी चूत ने पापा के मुंह पर ही अपना अमृत छोड़ना शुरू कर दिया.
मैं आह आह आह चिल्ला रही थी और पापा ने अपना मुंह मेरी चूत के बिलकुल छेद पर रख लिया था और पापा मेरी चूत से निकलने वाले रस के एक एक कतरे को पी गए. पापा ने चाट चाट कर मेरी चूत बिलकुल साफ़ कर दी.
मैं जोर से हांफ रही थी.
पापा उठ कर खड़े हुए. उन का लौड़ा इतना सख्त हो गया था कि चांदनी में भी साफ़ साफ़ उनकी लुंगी में से दिखाई दे रहा था.
मैंने अपना मजा तो ले लिया था, चाहे थोड़ा ही सही, पर अब पापा की भी बारी थी.
मैंने पापा से पूछा.
“पापा आप ने तो अपनी पूरी जीभ अंदर तक डाल कर कीड़ा निकलने की कोशिश की है. क्या कीड़ा निकला?”
पापा मुझे बोले
“बेटी सुमन! अब अँधेरा तो इतना है कि कुछ दिखाई नहीं देता. क्या तुम्हारी दर्द या खुजली ख़तम हुई या नहीं. यदि ठीक हो गयी है तो कीड़ा निकल गया होगा वरना कीड़ा अंदर ही होगा. और फिर उससे छुटकारा पाने का कुछ और इलाज सोचना पड़ेगा. ”
अब आप लोग खुद ही समझ सकते हो कि मैं कैसे कह सकती थी कि सब ठीक हो गया है. और पापा भी यह जानते थे, इसीलिए तो उन्होंने पूछा था.
तो मैं अपनी चूत को सहलाते बोली
“पापा! अभी भी अंदर खुजली हो रही है. लगता है कीड़ा काफी अंदर चला गया है. और निकला नहीं है. अब क्या करना होगा?”
पता तो हम दोनों बाप बेटी को था ही कि क्या करना होगा. पर मैं जानबूझ कर अनजान सा बन रही थी.
पापा बोले
“बेटी लगता है कीड़ा काफी अंदर तक घुस गया है. मेरी जीभ जितनी लम्बी है, उतनी साड़ी मैंने तुम्हारी चूत में डाल कर कोशिश कर ली है. पर लगता है कीडा निकला नहीं. है. अब तो लगता है की उसे अंदर ही कूट कूट कर मारना पड़ेगा, वरना वो अंदर काटता रहेगा और तुम्हे कोई जहर भी चढ़ सकता है. अब जीभ से कुछ लम्बा डंडा तुम्हारी चूत में डाल कर उसे अंदर कूटना पड़ेगा ताकि वो अंदर ही मर जाये और फिर वो तुम्हारी पेशाब के साथ निकल जायेगा. ”
मैं सब समझ गयी थी, पर अनजान बनते बोली
“पापा अब लम्बा सा डंडा कहाँ मिलेगा. यहाँ तो झाड़ियां ही है, उन के डंडे तो ठीक नहीं हैं, और वैसे भी उनसे मेरे अंदर छिल सकता है. अंदर डालने के लिए तो कोई नरम चीज चाहिए. वो कहाँ पे मिलेगी?”
जानते तो हम दोनों ही थे. कि क्या चीज होगी वह, पर आखिर थे तो हम बाप बेटी ही ना, तो मैं कैसे सीधे ही बोल देती कि पापा अपना लौड़ा डाल दो अपनी बेटी की चूत में। तो अनजान बनने का नाटक कर रही थी,
पापा बोले
“बेटी! एक बार ऐसे ही तुम्हारी मम्मी की चूत में भी कीड़ा घुस गया था. तो जीभ से नहीं निकला था. आखिर में मैंने अपने लौड़े को तुम्हारी माँ की चूत में डाला और कीड़े को अंदर ही कूट कूट कर मार दिया. आदमी का लण्ड नरम भी होता है तो उस से न तो अंदर छिल जाने का डर है और मेरा लंड तो पूरे आठ इंच लम्बा और खूब मोटा है, तो यदि तुम कहो तो मैं तुम्हारी चूत में इसे डाल कर कीड़े को मार देता हूँ. पर तुम आखिर मेरी बेटी हो इसलिए जब तक तुम हाँ नहीं कहोगी मैं तुम्हारी चूत में इसे नहीं घुसाउँगा। ”
अब मैं तो मरी जा रही थी पापा का लंड अपनी चूत में लेने को. यह साड़ी कोशिश तो इसी के लिए थी, मैंने मन ही मन भगवान् का शुक्रिया किया कि आखिर वो समय आ ही गया जब पापा अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ने वाले थे. तो मैं अपनी ख़ुशी छुपाने की कोशिश करते बोली
“पापा! अब आप यह सब न सोचो. कोई बात नहीं. आप मेरा इलाज करो और कीड़े को मार दो. नहीं तो अगर उसने अंदर काट लिया तो मुश्किल हो जाएगी.”
पापा ने भी अब देर करना उचित नहीं समझा और उठ कर खड़े हो गए और झट से अपनी लुंगी खोल दी.
अब पापा ने सिर्फ अंडरवियर पहना था. उस के अंदर पापा का गधे जैसा लौड़ा, जिस के लिए उनकी बेटी ना जाने कब से तरस रही थी फुंकारें मार रहा था.
लण्ड इतना झटका मार रहा था कि अंडरवियर में से भी साफ़ दिखाई दे रहा था.
मैंने देखा कि पापा ने अपने कुर्ते को अपने कमर से ऊपर उठा कर खोंस लिया है।
मेरी निगाह नीचे गई तो अँधेरे में भी उनका खड़ा लंड साफ दिख रहा था। पापा ने मेरे कन्धों पर हाथ रख कर उन्हें नीचे दबाया. मैं समझ गयी कि पापा मुझे बैठने का इशारा कर रहे हैं. मैं पापा के बिलकुल सामने बैठ गयी।
पापा का अंडरवियर में तना हुआ लौड़ा बिल्कुल मेरी आंखो के सामने मेरे मुंह के करीब था. जो मेरी गरम सांसो से उनके अंडरवियर मैं और भी उछलकूद मचा रहा था। मैंने अपनी आंखें ऊंची करके स्माइल करते हुए पापा की आंखें देखीं पापा के अंडरवियर की इलास्टिक मैं अपनी अंगुली डाल दी और पल भर में पापा के अंडरवियर को नीचे खींच दिया।
जैसे ही मैंने पापा के अंडरवियर को नीचे किया, उनका काला लम्बा मोटा लंड हवा में किसी मस्त सांड की तरह झूमता मेरी आँखों के सामने था। मुझे आज उनका लंड कल रात के मुकाबले और फिर भी मोटा लग रहा था।
मैंने अपने हाथ पापा के लंड पर रख दिए जैसे ही मेरा मुलायम नरम हाथ पापा के लंड पर पड़ा मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैंने कोई गरम रॉड पकड़ ली जिससे मेरा हाथ जल जाएगा।
मैं मस्ती मैं पापा के लंड को अपने हाथ से सहलाने लगी जैसे ये मेरा सब से मनपसंद खिलोना हो मैं नीचे बैठी पापा के लंड को सहला रही थी।
फिर पापा ने मुझे कहा
“बेटी सुमन! मेरा लौड़ा तुम्हारी चूत के हिसाब से काफी बड़ा है, और मोटा भी. इसे मैं जब कीड़े को मारने के लिए तुम्हारी चूत में डालूंगा तो हो सकता है तुम्हे दर्द हो. यहाँ हमारे पास कोई तेल आदि भी नहीं है जिस से तुम्हारी चूत और मेरे लंड को थोड़ा चिकना कर सकें तो तुम एक काम करों कि अपने पापा के लण्ड को मुंह में ले कर थोड़ा चूस दो ताकि वो गीला हो जाये, तुम्हारी चूत तो पहले ही मेरे चाटने से गीली हो गयी है. लण्ड भी गीला होगा तो आसानी होगी. क्या पापा का लण्ड चूस दोगी?”
अँधा क्या चाहे दो आँखें. और सुमन क्या चाहे- पापा का लण्ड।
मैंने पापा के लण्ड को हाथ में पकडे पापा की तरफ देखा और शर्म के कारण मेरे मुंह से हाँ तो नहीं निकल सकी और मैंने हाँ में गर्दन हिलाते हुए, पापा के लण्ड को अपनी तरफ खींचा और अपना मुंह भी आगे किया.
तभी पापा ने अपना एक हाथ बढ़ाया और मेरे कंधे पर रख कर धीरे से बोले- इसे मुंह में लो बेटा!
पापा की आवाज उत्तेजना में हल्का सा कांप रही थी ऐसा लग रहा था जैसे नशे में बोल रहे हों।
वैसे मैं तो खुद भी यही चाह रही थी।
मैं पापा के सामने घुटनों के बल बैठ गई और उनके लंड की चमड़ी को पूरा पीछे खींच कर सुपारे को मुंह में भर कर चूसने लगी।
मैंने लंड चूसते हुए हुए ऊपर देखा तो पापा अपने एक हाथ को अपनी कमर पर रखे हुए थे और मुझे देखते हुए अपनी कमर को हल्का-हल्का हिलाते हुए मजे से लंड चुसवा रहे थे।
उनका एक हाथ मेरे सिर पर था जिसे वे हल्का सा अपने लंड पर दबा रहे थे.
मुझे लग रहा था कि वे भी शायद अपनी किस्मत पर फूले नहीं समा रहे होंगे कि उनकी 19 साल की मस्त जवान बेटी आधी नंगी बैठी अपने ही बाप का लंड चूस रही है।
जिस तरह पापा अपने कमर हिलाने की स्पीड बढ़ा कर लंड मेरे मुंह में तेजी से आगे पीछे कर रहे थे … मुझे लग रहा था कि वे जल्दी ही झड़ने वाले हैं.
मैं भी लंड के सुपारे को तेजी से अपने सर आगे पीछे कर चूसने लगी थी।
अभी मुश्किल से 2 मिनट भी नहीं हुए थे कि उनके मुंह से हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी और वे तेजी से अपनी कमर को हिलाने लगे.
आआआ आहह हहह … बेटा आआ … और फिर अचानक उनका शरीर एकदम अकड़ गया और उनके मुँह से तेज सिसकारी निकली- आआआ आआह हह हहह!
और दो-तीन तेज झटके देते हुए मेरे मुंह में अपने लंड का सारा पानी निकाल दिया।
मैंने भी लंड का सारा नमकीन पानी पी लिया।
पापा खड़े-खड़े तेजी से हांफ रहे थे … उनका लंड एकदम ढीला हो गया था.
मगर मैंने अभी भी पापा के लंड को मुंह से नहीं निकाला था और उनके ढीले हो चुके लंड को भी मुंह में लेकर चुपचाप उसी तरह घुटनों की बल बैठी रही।
मैं जान रही थी कि अगर मैं इस तरह पापा के झड़ जाने के बाद खड़ी हो गई तो आज चूत में लंड लेने का सपना अधूरा रह जाएगा और फिर चूत चुदवाने के लिए मुझे दोबारा कोई दूसरा प्लान बनाना पड़ेगा।
वहीं मेरी चूत में फिर से खुजली शुरू हो चुकी थी जो अब लंड से ही शांत होने वाली थी।
इसीलिए जब पापा थोड़े नॉर्मल हुए तो मैंने उनके ढीले पड़ चुके लंड को दोबारा चूसना शुरू कर दिया.
पापा भी मजे से दोबारा कमर हिला-हिला कर लंड चुसवाने लगे.
उधर ट्रेन आने में भी टाइम लग रहा था।
करीब 2 मिनट तक लंड चुसाई के बाद ही पापा का लंड दोबारा होकर टाइट खड़ा हो गया।
फिर कुछ देर और लंड को चूसने के बाद मैंने लण्ड को मुंह से निकाला और उसे हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी और खड़ी हो गई।
मैं अभी तक लंड को हाथ से पकड़े हुई थी।
मेरी चूत एकदम पनिया चुकी थी और मुझ पर दोबारा मदहोशी छाने लगी थी.
अब काफी देर हो रही थी. मैं ज्यादा समय नहीं लेना चाहती थी क्योंकि एक तो घर में मम्मी और नानी थी और फिर हम सिर्फ किताब खरीदने का बहाना कर के आये थे तो कितनी देर लगा सकते थे आखिर,
तो मैंने पापा को कहा
“पापा! अब तो आप का लौड़ा गीला हो गया है. प्लीज देर न लगाएं और इसे जल्दी से मेरे अंदर डाल कर कीड़े को मार दें.”
पापा समझ गए की उनकी बेटी चुदाई के लिए तैयार है. तो उन्होंने कहा
“सुमन! यहाँ और कोई जगह तो है नहीं तो ऐसा करो की तुम स्कूटर पर हाथ रख कर घोड़ी बन जाओ और मैं पीछे से तुम्हारी चूत मैं लण्ड घुसाता हूँ. ”
मैं तो आज चुदवाने की पूरी तैयारी कर के आई थी तो मैंने मुस्कुराते हुए स्कूटर की डिग्गी खोली और उस में से एक चादर निकाल कर एक साइड में बिछा दी.
पापा तो हैरान हो गए. वो मुझे पूछे
“अरे बेटी! यह क्या तुम चुदाई के लिए चादर तक ले के आयी हो?”
मैंने अनजान सा बनते हुए कहा
“पापा! यह चादर तो कई दिन से इस में पड़ी थी. मुझे याद आया तो निकाल ली। ”
पर पापा समझदार थे वो समझ गए की उनकी बेटी आज चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयारी कर के आयी है. यह तो पापा के लिए ख़ुशी की बात थी.
चादर पर हम बाप बेटी आराम से अपनी पहली चुदाई कर सकते थे.
पहले तो शायद पापा ने घोड़ी बना कर फटाफट चुदाई का सोचा था पर जब उन्होंने मेरे पास चादर तक का इंतजाम देखा तो उन्होंने भी अब पूरे मजे ले कर चोदने का सोचा और बोले
“बेटी ऐसा करो, कि तुम अपनी यह टी शर्ट भी उतार दो फिर आराम से कीड़ा मारने की कोशिश करते हैं.”
मैं तो चुदाई करवाने की सोच रही थी तो हैरानी से पूछा
“पापा कीड़ा तो मेरी चूत में घुसा है, और उसे आपने अपने इस हथियार से मारना है, और मेरी स्कर्ट आप खोल चुके हैं और अपनी लुंगी भी उतार चुके हैं तो फिर मेरी टी शर्ट क्यों खोलनी है.?”
पापा अपनी शर्ट खोलते बोले
“सुमन! ऐसा है की तुम अभी छोटी हो. और मेरा लण्ड बहुत मोटा है, इसे अंदर करने के लिए जोर लगाना पड़ेगा. यदि मैं तुम्हारी चूचिया चाटूँगा तो अपने आप मेरा लौड़ा सख्त हो जायेगा और आराम से घुस जायेगा. और नंगे बदन से कीड़ा मरवाने में तुम्हे अच्छा भी बहुत लगेगा. ”
मैं समझ गयी कि पापा पूरा नंगा करके मुम्मे चूसते हुए मुझे चोदना चाहते हैं. तो मैंने ख़ुशी से अपनी टी शर्ट उतार दी. अब हम दोनों बाप बेटी पूरे नंगे थे।
पापा ने मुझे नंगा देखा और मुस्कुरा पड़े. मुझे बहुत शर्म आयी और मैंने अपना चेहरा नीचे झुका लिया.
पापा ने प्यार से अपनी एक ऊँगली मेरी ठोड़ी के नीचे रख कर मेरा चेहरा ऊपर किया और मेरी आँखों में देखा.
मैं चाहे खुदा पापा से चुदवाने को मरी जा रही थी पर अब जब चुदाई का असली टाइम आया तो शर्म आ रही थी,
मैंने आँखें बंद कर ली. पापा मुझे प्यार से बोले
“सुमन! शर्मा क्यों रही है. मेरी तरफ देख तो सही. ”
मैंने अपनी आँखें खोली. सामने पापा मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे.
मुझे इतनी शर्म आयी की मैंने झट से आगे बढ़ कर पापा को आलिंगन में ले लिया और अपना चेहरा उनकी नंगी छाती में छुपा लिया.
और पापा के अकड़े हुए लौड़े को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए कहा
“पापा! मुझे अजीब सा लग रहा था. प्लीज मुझे तड़पाओ मत और जल्दी से इस को मेरे अंदर घुसा दो ताकि मेरी तकलीफ जल्दी से ठीक हो सके। ”
पापा ने अपना एक हाथ मेरी नंगी चूची पर रख दिया और उसे मसलने लगे.
पापा ने मुझे थोड़ा अलग किया और मेरी दोनों चूचिओं को देखने लगे मुझे शर्म तो आ रही थी पर क्या करती।
पापा कुछ देर मेरी इन नंगी चुचियों को देखते रहे और फिर उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी चुचियों पर रख दिए और मेरी चुचियों को अपनी मुट्ठी में भर कर पहले धीरे-धीरे और फिर से जोर-जोर से मसलने लगे। मुँह से तो “सी सी आह आह उई मां उई उई उफह्हह्हह्हह्ह मर गई, दर्द हो रहा है, मर गयी” की आवाजें निकलने लगी.
मैं चीखी “सी सी आह आह उई मां उई उई उफ बाबू बोली आई लव यू बाबू आराम से करो मुझे बहुत दर्द हो रहा है” तो पापा ने मेरी गुलाबी निप्पल को अपनी दोनों उंगली मैं दबा कर जोर-जोर से मसलने लगे।
मैं दर्द से और कुछ मजे से चिल्ला रही थी पर मुझे उस दर्द मैं भूलभुलैया का एहसास हो रहा था कुछ देर इसी तरह मेरे निप्पल और चुचियों को मसलने के बाद पापा झुके और उन्हें ने अपना मुंह मेरी चुची पर लगा दिया.
और मेरे गुलाबी निप्पल को अपने दांतों के बीच दबा लिया पापा अब मेरे निपल्स को अपने दांतों के बीच दबा कर खिंचने लगे और कभी मेरी पूरी चुची जितनी पापा के मुँह में आ सकती थी उसे दबा कर ऐसे चूसने लगे मर्द जब चुची चुस्ता ही तो इतना मजा आता है ये मुझे आज पता चला था, मेरा पुराना बॉय फ्रेंड तो साला चूत के ही पीछे पड़ा रहता था बस,
पापा बारी बारी से बदल कर मेरी दोनों चुचियों को चूस रहे थे जबकी मेरा हाथ पापा के सर पर था.
और मैं अपने पापा अपनी चुचिया चुसवाते उनके सर के बालो में अपनी उंगली फिर रही थी। पापा तो मेरी चूचियों को ऐसे चूस रहे थे वो मेरी चूची ना हो कर कोई मीठा रसीला आम हो अब तो पापा मेरी दोनों चूचियों को अपने हाथो मैं दबा कर बारी से अपने होठों पर दबा कर चूसने लगे मेरे चूची को अपने दांतो से खींचने लगे.
मैं तो बस मैं ठे दर्द से आअह्ह्ह्हह्ह्ह्ह है कर रही थी और मस्ती मैं अपने हाथ पापा के बालो मैं चला रही थी और कभी उनको अपनी चुचियों पर भींच रही थी। पापा अपने होठों का जोश मेरी चुचियों पर कर रहे थे जिस से मेरी चूत भी बे हिसाब पानी छोड़ रही थी, अब पापा ने इसी तरह चूसते चूसते मुझे चादर पर लिटा लिया. और खुद भी साथ में लेट कर मेरे मुम्मे चूसते रहे.
उस समय मैं इतनी चुदासी हो चुकी थी कि मुझे ऐसा लग रहा था कि अगर पापा कुछ देर करते और इसी तरह मेरी चुचियों से खेलते रहे तो कहीं मुझ से अपने ऊपर कण्ट्रोल ख़त्म न हो जाये और मैं खुद ही उनको चोदने के लिए ना बोल दूं इसलिए मैंने अपनी दोनों बाहें फैला दीं, चादर को कस कर अपने दोनों हाथों से थाम लिया।
पर अब मुझ से कंट्रोल करना मुश्किल लग रहा था, जिसका सबूत मेरी गांड अब मूव हो कर खुद ऊपर नीचे हो रही थी। पापा की बार मेरी चूची चुस्ते ऊपर उठ कर मेरे होठों को चूसने लगते तो मेरी साँसें तेज चलने लगती और मैंने पापा को अपनी बाहो में कस लिया और आलिंगन में कामुक आवाज बोली
“पापा! क्या कर रहे है बस कीजिए ना.”
मैं चादर पर किसी मछली की बहुत तड़प रही थी और चादर पर अपनी दोनों बाहें फैला अपनी मुट्ठी मैं चद्दर को भींच कर कस कर चिल्ला रही थी “आआआह्हह्हह्ह जीइइइइइइइ ये क्या कर रही है है गुदगुदी हो रही है आआआआह्हह्हह्ह धीरेईईईईईई रुक जइए ना बुस्भिकिजीईईईईईईईईईईईईई रुक जाइए ना बस भी कजिए आआआआआआह्हह्हह्ह.”
पर पापा वो अब कहां रुकने वाले थे। मैं भी पापा का जोश बढ़ाने के लिए उनका साथ दे रही थी और पापा मेरे ऊपर चढ़े अपने मुँह को मेरे मुँह में डाले मेरी चुचियों को दबा रहे थे. कुछ देर इसी तरह मेरी चूचियां चूसते रहे।
मैं काम उत्तेजना में “सी आह आह उई मां उई” करने लगी और बोली
“पापा मुझे कुछ हो रहा है प्लीज कुछ करो.”
पापा ने कहा
“क्या करूं, मैं तो तैयार ही हूँ. बताओ न क्या करें?”
मैं बोली
“मुझे शर्म आती है प्लीज करो ना.”
पापा बोले
“जब तक खुलकर नहीं बोलोगी तो मजा भी नहीं आएगा और मैं भी नहीं करूंगा।”
तो मैं बोली
“पापा अब रहा नहीं जाता। जल्दी से अपना यह हथियार मेरी चूत में डाल दो। मेरा कीड़ा मार दो, ठोक दो उसे मेरे अंदर ही, मुझे चोदो।”
पापा बोले
“सुमन! क्या कहा? जरा और खुलकर बोल मुझे सुनाई नहीं दिया.”
वो मुस्कुरा रहे थे।
मैं बोली
“मुझे चोदो पापा, मेरे अंदर का कीड़ा मार दो. अपना लंड मेरी बुर में डाल और अपनी सुमन की चूत में घुसा हुआ कीड़ा निकाल दो अपनी बेटी को प्यार से चोदना, दर्द मत देना, मेरे पापा आई लव यू।”
मुझे पता नहीं लग रहा था की कामवासना की आग में जल रही मैं कह क्या रही हूँ. दिमाग काम ही नहीं कर रहा था. कीड़ा निकालने के बहाने से पापा को चोदने का अवसर दे रही थी, पर बीच में चुदाई शब्द भी मेरे मुंह से निकल रहा था.
मैं तो जैसे पागल ही हो रही थी. पापा का गधे जैसा मोटा लंड मैंने अपने हाथ में पकड़ लिया।
हे राम क्या शाही लंड था पापा का और मेरा एक हाथ अपनी चूत पर चला गया
मेरी चूत पानी छोड़ रही थी, और अपनी चूत को सहलाने लगी
सब से बड़ी बात उनकी टांगों के बीच किसी शेर की तरह दहाड़ता लंड जिसकी तो मेरी दीवानी हो चुकी थी मेरी नज़र पापा के घोड़े जैसे लंड पर टिक गयी.
आंखो के सामने मुझे मेरे पापा ही पापा दिखायी दे रहे थे। उनका वो मजबूत गठेला शरीर, मजबूत कंधे, उनका चौड़ा सीना और सीना के घने बाल और सब से बड़ी बात उनकी टांगों के बीच किसी शेर की तरह दहाड़ता लंड जिसकी तो मेरी चूत दीवानी हो चुकी थी.
सच मेरे पापा का क्या शाही लंड था अब इस शाही लंड पर मेरा नाम लिखा था आज मेरी चूत की आग को पापा अपने उसी शाही लंड से चूत के अंदर डालकर मेरी चूत के अकड़ को ठंडा कर रहे होंगे.
मेरे अंदर भयानक आग लगी हुई
सोचने लगी कि पापा मुझे कैसे और किस पोजीशन में चोदेंगे। और मैं पापा का साथ कितना दूंगी
आज मैंने विशेष तौर पर चूत की सफाई की थी. मेरी चूत जहां पहले थोड़े सी रेशमैं जुल्फी थी वहां अब सफाचट मैदान बन चुका था। अब मेरी पिच पापा के द्वारा बल्लेबाज़ी करने के लिए पूरी तरह से तैयार करा दी
अब कुछ ही मिनट की बात है पापा किसी भंवरे की तरह मेरी जवानी का रस चूस कर मुझे कलीसे फूल बनाने वाले यानी पापा मेरी नथ उतारने वाले थे जिस तरह मेरे पापा से मिलन को बेकरारी थी उसी तरह मेरी चूत भी अपने लिंग महाराज से मिलने को बेकरार थी.
सुबह से मेरी चूत पापा के लंड के स्वागत के लिए पलकें बिछाईं थी मेरी चूत मेरी हल्की हल्की सुरसुराहट हो रही थी सुबह से..
पापा ने अपनी नज़र मेरे चेहरे पर गड़ा दी। पापा ने अपना हाथ मेरे चेहरे पर रख और मेरा चेहरा उठा कर बोले, मेरी आँखों ने देखा तो मैंने शर्म और डरे से पापा की आँखों से देखा तो पापा बोले।
“सुमन! आज तो तुम बिना कपड़ों के बिलकुल एकदम स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो। ”
पापा बोले
” हम दोनोमैं शर्म का क्या काम, मेरी बेटी। मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ. अगर तुम भी मुझसे प्यार करती हो तो मेरी आंखो में देख कर बोलो।”
तो मैंने पापा की आंखो मैं देख कर कह
“पाप मुझे शर्म आती है. पर पापा आई लव यू.”
और तेजी से ये बोल कर अपना मुंह पापा की छाती में छुपा लिया और पापा ने मुझे अपनी बाहों में समेट लिया और मुझे सहलाने लगे।
मेरे पापा के सीने से चिपकी हुई थी अलग ही दुनिया मेरी थी। कुछ देर इसी तरह मुझे अपने सीने से चिपकाया रहने के बाद पापा ने फिर से मेरा चेहरा हाथ में लिया, अब मेरे होंठ पापा के होंठों के बिल्कुल पास थे पापा की गरम सांसे मेरे चेहरे पर पड रही थी कि पापा ने अपने होठों को मेरे होठों की और बढाया ही था.
मैं शर्म से मुंह घुमा
पापा ने फिर से अपने होठों को मेरे होंठों की और बड़ा दिया। मैं अब पापा को रोक नहीं सकती थी पापा ने अपने होठों से मेरे होठों को लॉक कर दिया.
और मेरे उपर वाला होंठअपने होंठों मैं दबा कर चूसने लगे तो मैं भीपापा के होंठों को चूसने में उनका साथ देने लगी।
पापा के इस तरह मेरे होठों को चूसने से मेरे होठों एक दम बिना लिपस्टिक के गुलाभी हो गए. लेकिन पापा था जो आज ही मेरे होठों का सारा रस निचोड़ लेना चाहते था पापा ने फिर से मेरे होठों को अपने होठों से पकड़ लिया.
मेरी नाक पापा की नाक से और पापा की जीभ मेरी जीभ से लड़ रही थी कि तभी पापा ने मेरी जीभ को अपने होठों पर दबा कर खींच लिया और जीभ को चूसने लगे मेरी सांसे और भी तेज चलने लगी थी.
जिस तरह से पापा मेरे होठों को मेरी जिह्वा को चूस रहे थे मेरी जान गई थी कि आज की रात पापा मेरे बदन के हर अंग को ऐसे ही चूसेंगे। मेरा कच्ची कली से फूल बनने का वक्त आ गया था। पापा तो मेरे होठों का सारा रस ही चूस जाना चाहते हो।
पापा इतनी मस्ती और अच्छी तरह से मेरे होठों का रस चूस रहे थे जैसा कोई भंवरा किसी कलीका रस चूस रहा हो। पापा के दवारा इस तरह अपने होठों का रस चूस रही थी। और मैंने अपनी दोनो बहे पापा के गले मिल डाल दी। मेरे और पापा दोनों के होंठबुरी तरह से चिपके हुए थे।
पापा मेरे होंठको चूस रहे थे और उनके कठौर हाथ मेरी पीठ सहला रहे थे
आज मुझे एक नया ही एहसास हो रहा था कि पूरे बदन मेरी गुदगुदी सी हो रही थी। मेरे प्यारे पापा ने अपनी जीभ मेरे मेरे मुँह में डाल दी अब उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी तो उनको ने मेरी जीभ को अपने होठों पर दबा लिया और मेरी जीभ को चूसने लगे।
यहाँ सिर्फ हमारे चुम्बनो की आवाज ही गूंज रही थी। मेरे और पापा के होंठएक दूसरे के होठों से ऐसे चिपके थे कि जैसे उनको फेविकोल से चिपका दिया हो। पापा मेरे होठों को बुरी तरह से चूस रहे थे और मैं उनकी बांहों मैं मचल रही थी मस्ती से पागल हो रही थी
मेरे से अब सहन करना मुश्किल हो रहा था. मैंने अपने हाथ में पकडे हुए पापा के लण्ड को अपनी चूत पर टिका दिया. पापा का लण्ड बहुत गर्म था.
मेरी चूत से भी बहुत पानी चू रहा था. चूत इतनी गीली हो गयी थी कि लौड़ा बिना तेल या किसी चिकनाई के भी घुस सकता था.
मैं पापा के लण्ड के सुपाडे को अपनी चूत की दरार में रगड़ने और घिसने लगी.
पापा समझ रहे थे कि उनकी बेरी बहुत प्यासी हो चुकी है. वो शायद इसी समय का इन्तजार कर रहे थे. क्योंकि वो जानते थे कि उनका लण्ड बहुत मोटा और बड़ा है. मैं अपने पापा से पहली बार चुदने वाली हूँ तो मैं उनका लौड़ा सहन नहीं कर पाऊँगी.
इसीलिए पापा चाहते थे कि मेरी वासना हद से ज्यादा बढ़ जाए और चूत बिलकुल गीली हो जाये तो ही चुदाई करनी चाहिए उन्हें.
उस समय तो पापा का लंड किसी पागल सांड की तरह दिख रहा था जो किसी लहलहाते खेत के पास खड़ा हो कर उस खेत को उजाड़ने के लिए तैयार हो। पापा मेरी दोनों टांगों के बीच थे और उनका घोड़े के जैसा लंड मेरे तालाब में उतर कर मेरे तालाब की गहराई को मापने के लिए मचल रहा था।
पापा का घोड़े के लंड जैसा लंड मेरे तालाब की गहराई में उतर कर ये देखना चाहता था कि मेरे तालाब में कितना पानी है।
मैं उनके लैंड के सुपाडे को चूत में रगड़ रही थी. और पापा ने मेरी दोनों टांगों को अपने हाथ से पकड़ कर पूरी तरह से खोल दिया.
पापा के लंड का सुपाड़ा अपनी नई नवेली रानी के साथ चुम्मा चाटी कर रहा था उसे बेहला फुसला रहा था। पापा के लौड़े का गरम गरम स्पर्श अपनी चूत पर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरी चूत पर कोई गरम गरम लोहे की रॉड रख दी हो.
मैं बुरी तरह से डर भी रही थी क्योंकि अब मेरी चूत का बाजा बजने वाला था.
तभी पापा ने हल्का सा धक्का मारा। भला मेरे जैसी कमसिन कच्ची कली और मैं पापा का बांस जैसा हथियार इतनी आसान से कहा जाता, पापा ने फिर से अपने लंड को मेरी चूत पर रख कर धक्का मारा पर इस बार भी वो मेरी चूत मैं ना जा कर एक साइड की ओर मुड़ गया.
तो पापा मेरी तरफ देख शैतानी से मुस्कुराते हुए बोले
“सुमन! यह एक मेहमान तुम्हारी चौखट पर आया खड़ा है. बेचारे की नजर कमजोर है और उसकी एक ही आँख है. इसलिए वो तुम्हारे घर में नहीं जा पा रहा. तुम उसे थोड़ा रास्ता बता डौगी ताकि वो अंदर आ सके?”
मैं भी पापा को शरारत से बोली
“पापा! आप के मेहमान का मेरे घर के अंदर स्वागत है. उसे अंदर भेज दीजिये मैं तो उसका कब से इन्तजार कर रही हूँ..”
पापा बोले
“बेटी! तुम एक काम करो कि उसको पकड़ कर घर के दरवाजे पर रखो मैं उसे धक्का दे कर अंदर भेज देता हूँ. तुम अपने हाथ से पकड़कर अच्छे से लगा कर रखो मैं धक्का मारता हूं। ठीक है?”
तो मैंने शर्माते हुए पापा से कहा,
“जी पापा! आपका यह मेहमान तो बहुत मोटा है, ये अंदर नहीं जाएगा।”
तो पापा बोले
“सुमन! तुम ऐसे पकड़ कर गेट पर रखो तो सही. यह अंदर चला जाएगा।( फिर पापा मेरी आंखो में देख मुस्कुराहट से बोले), चला जाएगा सब औरतों के अंदर चला जाता है तो क्या तुम्हारे अंदर नहीं जाएगा रही बात मोटे की जितना मोटा है उतना ही तो मजा देता है। तुम अंदर तो आने दो इसे.”
मैं पापा के लौड़े की मोटाई से थोड़ा सा डरी थी कि ये 9 इंच का और इतना मोटा मेरे अंदर कैसे जायेगा.”
मैं पापा के गले लग कर कान में बोली
“पापा प्लीज़ आराम से चोदना, मेरी रसभरी चूत केवल 19 साल की है, मैं आपके लण्ड के हिसाब से तो कली हूं, मेरे प्यारे पापा आपका लंड बहुत मोटा और लम्बा है इस कच्ची रसभरी मासूम कली को मसल कर बर्बाद न करना,”
पापा ने मेरे होंठों को अपने मुंह में भर लिया और कहा
“बेटा तुम बिलकुल भी चिंता न कर. एक बार इसे अंदर करने दे फिर इस मज़े को तू जीवन में कभी नहीं भूलेगी, थोड़ा सा दर्द होगा पर उसे झेल जा सुमन.”
फिर मैंने होंसला करते हुए पापा के लण्ड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसके सुपाडे को अपनी चूत के छेद पर रख दिया. पापा का सुपाड़ा मोटे टमाटर जैसा था उसने चूत को पूरा ढक लिया था मैं मचलने लगी, पापा ने थोड़ा सा लंड का दबाव चूत पर दिया.
पापा का लण्ड चूत में नहीं जा रहा था, मैं कसमसाने लगी लंड बाहर छिटक जा रहा था।
पापा ने कहा
“सुमन! लण्ड का सर थोड़ा मोटा है. इसलिए अंदर नहीं घुस रहा. तुम एक करो कि मैं तुम्हारी टाँगे उठाकर अपने कन्धों पर रख लेता हूँ, तुम थोड़ा थूक अपनी चूत और मेरे लौड़े पर लगा दो. इस से थोड़ी चिकनाई हो जाएगी.
पापा ने मेरी टांगें अपने कन्धों पर रख ली. अब मैं बिलकुल फस गयी थी. चाह कर भी हिल नहीं सकती थी. खैर जो होगा देखा जायेगा सोच कर मैंने थोड़ा थूक अपनी उँगलियों में लेकर अपनी चूत के छेद पर लग लिया और थोड़ा पापा के सुपाडे पर लगा दिया। फिर मैंने लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत की कसी हुई दरार में घिसने लगी।
जब चूत खूब चिकनी हो गई.तो पापा ने मेरी चूत पर अपने सुपाड़े को दबाया. सुपाड़ा छोटे से मुलायम छेद को फ़ैलाने लगा, चूत की दीवारें साइड में खुलने लगी. और मैं दर्द से कसमसाने लगी. पापा से भी अब रुकना मुश्किल हो रहा था तो उन्होंने मेरी चूत में कस कर एक धक्का मारा. पर चूत पापा के लण्ड के हिसाब से इतनी छोटी थी की आधा सुपाड़ा ही अंदर घुस पाया.
मैं चिल्लाई ” आ आ सी सी पापा आराम से. सी सी आह आह उई मां उई उई उफपापा आराम से करो बहुत दर्द हो रहा है आ आह। ”
पापा मेरे ऊपर लेट गये और मेरी बालों में उंगलियां डाल कर सहलाने और किस करने लगे.
मेरी तो आँखों में आंसू आ गए थे.
फिर पापा मेरी चूची को मुंह में भर कर चूसने लगे, जिस से मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने पापा की आंखों में देखा। पापा ने शरारत से मुझे आँख मार दी. मैं तो शरमा गई.
पापा ने पूछा “कैसा लग रहा है?”
मैं हल्के से मुस्कुरा दी पापा ने पूछा “अब और डालूं अंदर?”
मैंने शरमाते हुए हाँ में इशारा किया और मैंने पापा के लण्ड को पकड़ कर धीरे से अंदर की तरफ दबाया तो सुपाड़ा धीरे धीरे रास्ता पकड़ कर अंदर जाने लगा मेरी चूत का छेद धीरे-धीरे फैलने लगा।
मुझे दर्द होने लगा. “सी सी आह आह उई मां उई उई उफपापा आराम से करो बहुत दर्द हो रहा है आ आह.”
मेरी आँखों में से आंसू बहने लगे. मेरी आंखों फैलने लगी, मैं मुठ्ठी में चादर भींच कर दर्द को सहने लगी, पापा ने लंड धीरे से बाहर निकाल लिया और फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ाया। मुझे फिर से दर्द हुआ। पापा मेरे ऊपर ही लेट गए और आराम से बोले
“सुमन! तुम्हारी चूत में पहली बार चोद रहा हूँ तो दर्द हो रहा है. पर तुम कोई चिंता न करो. तुम मेरी बहुत ही प्यारी बेटी हो. मैं तुम्हे दर्द देने का तो सोच भी नहीं सकता. बहुत ही आराम से चोदुँगा तुम्हे. ताकि तुम्हे अच्छा भी लगे और मजा भी आये. और तुम्हारा कीड़ा भी मर जाये. ”
(इतना कुछ होने पर भी हम अभी भी कीड़े को मारने का नाटक कर रहे थे. आखिर चाहे हम दोनों की मर्जी से चुदाई हो रही थी, पर आखिर थे तो हम बाप बेटी ही न, तो थोड़ा नाटक भी चलना ही था..)
मैं बोली “आई लव यू पापा, आप मुझे कितने आराम से चोद रहे हो फिर भी दर्द हो रहा है.”
पापा ने कहा “सुमन! तुम्हारी चूत में पहली बार है इसलिए दर्द हो रहा है. थोड़ी देर बाद बहुत मजा आयेगा आज के बाद सिर्फ मज़े ही मज़े हैं. बस आज थोड़ा सा दर्द सहन कर लो अपने पापा के लिए..”
मैंने पापा को चूमते हुए कहा
“पापा आप के लिए तो मैं जान भी दे सकती हूँ. दर्द तो क्या चीज है,”
पापा खुश हो गए और पापा ने लंड धीरे से बाहर निकाल लिया और फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ाया। अब उनका सुपाड़ा थोड़ा और अन्दर जा चुका था.
पापा ने फिर लंड बाहर निकाल कर फिर हल्के से धक्का लगाया अब लंड 2 इंच घुस चूका था लंड की मोटाई से रसभरी चूत का छेद बहुत फैल कर, पापा के लंड पर कस गया था.
मैं धीरे-धीरे चीख रही थी “सी सी आह आह उई मां उई उई उफ पापा, आराम से करो मैं मर जाऊंगी उई मां आ बहुत दर्द हो रहा है आ आह.”
मैं पीछे खिसकने लगी.और बोली- “आआ ह्ह्ह पापा… आराम से डालो, मुझे दर्द हो रहा है मैं मर जाऊंगी पापा सी सी आ आह आ उई मां आराम से करो >’
पापा मेरी चूचियों को सहलाने लगे और निप्पल को दांतों और जीभ से कुरेदने लगे जिससे मैं वो दर्द को सहन कर लूँ.
पापा के मेरी चूची चूसने से मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो पापा ने मेरी आंखों में देख कर पूछा
“कैसा लग रहा है?”
मैं हल्के से मुस्कुरा दी बोली “हाय पापा बहुत ही अच्छा लग रहा है. आई लव यू, बस आप आराम से करो मुझे बहुत दर्द हो रहा है.”
पापा ने मुस्कुराते हुए पूछा “सुमन! अब और अंदर डालूं?”
मैंने शरमाते हुए हाँ में गर्दन हिलाई और मुस्कुरा कर पापा को चूमने लगी.
फिर पापा ने धीरे से अंदर की तरफ दबाया तो लण्ड लगभग दो इंच और अंदर घुस गया।
मैं जोर से चीखी “सी सी आह आह उई मां उई उई उफ पापा। आराम से करो मुझे बहुत दर्द हो रहा है.”
पापा तो अनुभवी जानते थे कि मैं पहली मोटा लण्ड ले रही हूँ तो चाहे दर्द तो होना ही है.
इसलिए पापा ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और मेरे मुंह को बंद करते हुए एक जोर का धक्का मारा। धक्का इतना जोरदार था कि पापा का लौड़ा आधा अंदर घुस गया. मेरी तो चीख निकल गयी. मेरी चीख इतनी तेज थी कि यदि पापा ने मेरे मुंह को बंद न किया होता तो शायद घर तक मेरी मम्मी को भी सुनाई दे जाती और मम्मी दौड़ के यहाँ आ जाती और पापा पूछती कि अपनी बेटी को इतने जोर से क्यों चोद रहे? पर यहाँ तो कोई नहीं था.
मैं रोती रही और मेरे आंसू बहते रहे. पापा मेरे आंसुओं को प्यार से चूमते और चाटते रहे.
थोड़ी देर बाद पापा ने पुछा
“सुमन! बेटी, कुछ दर्द कम हुआ क्या? आई लव यू बेटी, थोड़ा सा बर्दास्त करो तभी तुमको मजा आएगा।”
मैं सिसकते हुए बोली “आहहह.. आ ह ह् आऊ.. आ …आऊच सी ….सी.. पापा बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फट जायेगी, मैं मर जाऊंगी प्लीज़ रुक कर करो।
मैंने पूछा शोना अब करूं तो वो शरमाते हुए बोली बाबू आराम से करना मैंने लंड को पकड़ कर उसकी चूत में लगा कर धीरे से अंदर दबा कर धक्का लगाया तो सुपाड़ा आराम से अंदर घुस गया दूसरी बार में एक इंच और अंदर घुस गया अब मैंने उसे पकड़ कर एक जोर का झटका मारकर 3इंच अंदर घुसा दिया।
वो बेचारी एकदम से कांप गई और दर्द से सिहर गई. दर्द से सिर इधर-उधर करने लगी मैंने एक बार रुक कर उसके होटो को किस किया और बोला आई लव यू बेटू जानू थोड़ा सा बर्दास्त करो तभी तुमको मजा आएगा वो सिसकते हुए बोली आहहह.. आ ह ह् आऊ.. आ …आऊच सी ….सी.. पापा बहुत दर्द हो रहा है मेरी चूत फट जायेगी मैं मर जाऊंगी प्लीज़ रुक कर करो।”
पापा रुक कर मेरी चूचियों को पीने लगे और एक हाथ से निप्पल मसलने लगे जिससे मुझे थोड़ा सा आराम आया. मेरी चूत में पानी निकलने लगा जिससे चिकनाहट बढ़ गई 1 मिनट बाद पापा ने मेरी आंखों में देखा और धीरे से कहा
“बेटी! कैसा लग रहा?”
मैं मुस्कुराते हुए बोली
“पापा आई लव यू आई लव यू पापा पर आपने तो मेरी जान ही निकाल दी, अब दर्द कम है और हल्की सी गुदगुदी हो रही है.”
पापा ने पूछा “अब और करूं?”
मैं बोली “नहीं पापा इतना ही रहने दो. आज इतना ही ठीक है. अगली बार चाहे पूरा अंदर कर लेना। वैसे पापा अभी कितना अंदर है? ”
पापा कहा
“खुद ही हाथ लगा कर देख लो.”
मैंने हाथ लगा कर देखा और बोला कि अभी तो केवल 5 इंच घुसा है अभी 3 इंच बाहर है.
तभी पापा ने मेरी चूचियाँ मुंह में ले कर चूसने शुरू कर दी. अब दो ही मिनट में मेरा दर्द ख़तम हो मैं धीरे धीरे सिसकारियां मारने लगी.
अनुभवी पापा समझ गए की अब मौका है. उन्होंने साइड में पड़ी मेरी पैंटी उठा कर मेरे मुंह पर रख दी और जब समझ पाती, उन्होंने अपने चूतड़ों को कस कर अपनी पूरी ताकत लगा कर शायद अपने जीवन का सबसे तगड़ा धक्का मारा।
मेरी चूत बेचारी तो उस धक्के को सहन नहीं कर पायी और उसने लौड़े को रास्ता दे दिया. पापा का लण्ड अपने रस्ते की सारी रुकावटों को तोड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस गया. पूरा लौड़ा मेरी चूत में घुस गया और पापा की जांघें मेरे चूतड़ों से आ कर मिल गयी जैसे दो प्रेमी आपस में गले मिल रहे हों.
मेरे फिर से चीख निकल गयी और इतना दर्द हुआ कि मैं बता नहीं सकती.
मैंने अपने नाखून पापा की नंगी पीठ में घड़ा दिए और दर्द के मारे इतनी जोर से उनकी पीठ में नाखून मारे कि पापा की पीठ में खून निकल आया.
मैंने अपने मुंह में भरी अपनी पैंटी को निकाल फेंका और रोने लगी. मैं चिल्लाते हुए बोल रही थी.
“ओह पापा! मैं मर गयी. पापा चुद गयी आपकी सुमन. फट गयी मेरी चूत, चीथड़े चीथड़े हो गयी है. अरे माँ कोई तो बचा लो मुझे, फाड् दो पापा ने अपनी बेटी की नाजुक सी चूत। घुसा दिया पापा ने घोड़े जैसा लण्ड मेरी कमसिन मुनिया में. हाय मैं क्या करूँ, बचा लो कोई मुझे, पापा निकाल लो अपना लौड़ा, मुझे नहीं चुदवाना आपसे। ”
रोते रोते मेरी आँखें आंसू बहा रही थी और मैं पापा को लौड़ा निकालने की बिनती कर रही थी. पर आज पहली बार पापा मेरी मुश्किल से बेखबर लग रहे थे. उनपे तो मेरे आंसुओ या मेरे रोने का जैसे कोई असर ही नहीं हो रहा था.
पापा काफी देर ऐसे ही मेरे ऊपर लेटे रहे और मैं रोती रही. पापा का लण्ड उसी तरह पूरा मेरी चूत में घुसा रहा.
पापा मुझे प्यार से बोले
“सुमन बेटी! सॉरी कि तुम्हे इतना दर्द हुआ. पर जितना दर्द होना था हो चूका. मेरा लौड़ा तुम्हारी चूत की लिए बड़ा है तो जब भी पहली बार अंदर जाता, तो दर्द तो होना ही था. इसलिए मैंने आज पूरा डाल ही दिया,अपने बाप को माफ़ कर दो. हाथ लगा कर देख लो सारा लौड़ा चला गया है. तुम्हारी चूत ने पूरा ले लिया है अंदर. बस अब मजे ही मजे हैं. साला कीड़ा तो अंदर मर ही गया होगा. यदि कहीं बच भी रहा होगा तो अभी मैं उसे अंदर ठोक ठोक कर मार दूंगा. ”
मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर चेक किया, पापा का पूरा लौड़ा मेरी प्यारी चूत को पूरा फैला कर घुसा हुआ था. और पापा के दोनों टट्टे (बॉल्स) मेरी गांड से ऐसे चिपके पड़े थे जैसे फेविकोल से चिपका दिए गए हों.
मैं भी कोई पहली बार तो चुदा नहीं रही थी, तो जानती थी की काम हो गया है. मेरी इतने दिनों की तपस्या सफल हो गयी है. भगवान् ने मुझे पापा के लण्ड का प्रशाद दे दिया है. वो हो गया है जिस के लिए मैं (और पापा भी) कब से तड़प रहे थे और कोशिश कर रहे थे. और आखिर मैं अपने पापा से चुदवाने में कामयाब हो ही गयी थी.
धीरे धीरे मेरा रोना कम हो गया. पापा जान रहे थे कि मेरा दर्द थोड़ा काबू में आ रहा है.
अब पापा ने थोड़ा लण्ड बाहर खींच कर दोबारा डालना चाहा पर मेरी चूत तो दर्द के कारण सूख गयी थी.
पापा ने लौड़ा बाहर कोशिश करी तो मेरी चूत पापा के लण्ड से इस तरह चिपक गयी थी किं लण्ड के साथ मेरी चूत का मांस भी बाहर को आने लगा.
इससे मुझे फिर दर्द होने लगा और मैंने पापा को कहा
“हाय पापा बाहर नहीं निकालिये. अंदर ही रहने दीजिये। ”
पापा मेरी आँखों में देख कर मुस्कुराते बोले
“सुमन! तुम भी अजीब हो. अभी रो रो कर चिल्ला रही थी कि पापा बाहर निकाल लो अब निकाल रहा हूँ तो निकालने नहीं दे रही हो। ”
मैं भी शरारत से मुस्कुराते बोली
“पापा! मेरी मर्जी है. मैं चाहे निकालने को बोलू या अंदर डालने को. आप को क्या? मेरे घर में पहली बार यह मेहमान आया है. तो इतनी जल्दी क्या है. थोड़ी देर तो इसे अंदर रहने दो. ”
पापा भी हंस पड़े.
थोड़ी देर पापा ऐसे ही पड़े रहे और मेरी छातियां चूसते रहे. अब मेरा दर्द काम हो गया था. मुम्मे चूसे जाने और दर्द ख़त्म हो जाने से मेरी चूत में फिर से गीलापन आ गया था. और मेरा मन कर रहा था कि अब पापा चुदाई शुरू कर दें. पर पापा थे की जैसे चुदाई भूल ही गए थे और ऐसे अपना लण्ड डालें पड़े थे जैसे उनका अपना लौड़ा नहीं बल्कि किसी और का लौड़ा उनकी बेटी की चूत में हो.
मैं परेशान हो रही थी. जल्दी से चुदाई करवाना चाहती थी. मैंने पापा को कहा
“पापा! बस भी कीजिये, अब कुछ करो ना, मैं मरी जा रही हूँ. अब रहा नहीं जाता. अपना काम चालू करो.”
पापा समझ रहे थे की चुदाई का समय आ गया है पर मुझे छेड़ते हुए बोले
“क्या करूँ बेटी? कुछ बताओगी तो ही कुछ करूंगा ना.”
अब मैं एक बेटी कैसे अपने बाप को कहती कि पापा अपनी बेटी की चुदाई शुरू कर दो. आखिर वो मेरे पापा थे.
मैंने अपनी गांड ऊपर को धक्का देते हुए पापा को इशारा किया, पर पापा छेड़खानी के मूड में थे तो उसी तरह पड़े रहे और बोले
“सुमन! क्या चाहती हो. मुंह से बोलो ना, मैं समझा नहीं. ”
अब आखिर मैं बेशरम हो कर, पर आँखें मूँद कर बोल ही पड़ी
“पापा! बहुत हो गया, अब और मत सताओ, बस जल्दी लण्ड को अंदर बाहर करना शुरू कर दो. चोद दो अपनी बेटी को पापा, अब रहा नहीं जा रहा. जल्दी और जोर से चोदो अपनी सुमन को.”
पापा मुस्कुरा पड़े और फिर मुझे छेड़ा
“सुमन! अभी तो तुम कह रही थी कि मेरा मेहमान तुम्हारे अंदर आया है. तो बाहर न निकालो, अब अंदर बाहर करने को कह रही हो. ”
मैं भी आँखें खोल कर पापा को प्यार से छेड़ते हुए बोली
“मेरा शरीर है और मेरा घर है. मैं मेहमान को अंदर ही रखूँ या अंदर बाहर करुँ, आप को क्या? मेरी मर्जी है, मेहमान ने अंदर काफी देर आराम कर लिया है अब उसे कहो कि कुछ काम शुरू करे। ”
पापा भी मुस्कुरा पड़े.
पापा ने भी अब देर करना उचित ना समझा और थोड़ा सा अपना लण्ड खींच कर फिर से अंदर धकेल दिया.
मुझे हल्का सा दर्द हुआ, मैंने अपनी आँखें बंद कर ली, पापा मेरी हालत जानते थे, पर उन्होंने रुका नहीं और लगभग 2 इंच लौड़ा खींच कर जोर से दोबारा अंदर धकेल दिया. फिर लगभग 3 इंच लण्ड निकल कर डाला, मैं अपने दांत भींचे चुप चाप लेती रही. पापा मेरी तरफ देखते हुए आँख के इशारे से हे पूछे क्या ठीक सो हो रहा है? और मैंने गर्दन ही हिला कर उन्हें चालू रहने का इशारा किया.
पापा हर बार पिछली बार से थोड़ा सा अधिक लण्ड बाहर खींचते और जोर से अंदर ठोक देते, इस तरह करते करते थोड़ी ही देर में मेरी छूट में उनका पूरा लौड़ा आराम से अंदर बाहर हो रहा था. अब पापा अपने लण्ड के टोपे तक लौड़े को बाहर निकाल लेते और फिर एक जोरदार धक्के से अंदर धकेल देते.
अब मेरी चूत में बहुत कम दर्द हो रहा था. जितना भी दर्द था वो सहन करने योग्य था, तो अब में भी आराम से चुदाई के मजे ले रही थी.
पापा ने मेरी टांगें पूरी खोल ली और पूरी तेजी से चोदने लगे।
उनका लंड रेल के पिस्टन की तरह 100 की स्पीड से अंदर बाहर हो रहा. था. मुझे बहुत ही मजा आ रहा था.
मैं आनंद में सिसकियाँ ले रही थी और चिल्ला रही थी,
“पापा! और जोर से करो, चोद दो पापा अपनी बेटी को, जोर जोर से चोदो अपनी सुमन को पापा. फाड़ दो मेरी चूत को। बहुत प्यासी है यह पापा, इस निगोड़ी ने मुझे बहुत परेशान किया है, टुकड़े टुकड़े कर दो मेरी चूत के आज। आह आह आह पापा, चोद लो अपनी बेटी की प्यारी सी मुनिया. ”
मुझे पता नहीं चल रह था की आनंद में मैं क्या क्या बोल रही थी. मेरे दिमाग में तो बस पापा से चुदाई ही चल रही थी.
वो मेरे मम्मो पर झुक गए और उनको चूसने लगे। दूसरे हाथ से मम्मो को मसलने लगे। उन के ऐसा करने से मेरे जिस्म में मस्ती सी फैलने लगी। इधर मेरी चूत अंदर ही अंदर उनके लंड को ऐसा दबा रही थी जैसे उसका रस निकाल लेना चाहती हो। सच में अगर कोई लड़का, अनुभवहीन आदमी चुदाई कर रहा होता तो मेरी चूत की गर्मी से वो अब तक झड चुका होता।
लेकिन ये पापा थे जो मेरी चूत की गर्मी को बर्दाश्त करते हुए अब तक टिके हुए थे। मेरी चूत से गरम गरम पानी निकल केर नीचे चादर को गीकर रहा था।
मैं अपनी कमर हिलाने लगी। मेरे मूह से कराह निकल रही थी । मुझे दर्द तो हो रहा था लेकिन इतना नहीं कि मैं बर्दाश्त न कर सकूं।
एक बार फिर पापा मेरे मम्मो का रस निचोड़ने लगे। मुझे काफी राहत मिल रही थी। कुछ देर इंतजार के बाद उन्हें ने हल्के हल्के धक्के मारने शुरू कर दिए।
वो किसी भी लड़की को खुश करने में माहिर थे। एक मंझा हुआ खिलारी, जो चुदाई का लुत्फ ना सिर्फ खुद उठा रहा था बल्कि मुझे भी दे रहा था। आहिस्ता-आहिस्ता चुदाई करते हुए वो मेरे जिस्म को चूस रहे थे, मैं भी उन के सर के बालों में हाथ फेरते हुए आनंद ले रही थी, आहें भर रही थी।
मैंने अपने पापा के पूरे चेहरे पर चुम्मो की बरसात कर दी। इस सारे वक्त में मेरी आंखें बंद थीं।
पापा :- मजा आया बेटी?
मैं:- (सर हां मुझे हिला केर) ह्ह्ह्म्म्म्म….
पापा :- तो आंखें खोल के बोलो ना…
मैं:- (ना मुझे सर हिला केर) उउन्नन्नहहुउउउ….
पापा :- अब मैं इतना बुरा हूँ? कि तुम मुझे देखती भी नहीं.
मैं:- (फोरन आंखें खोल केर) खबरदार! ख़ुद को आइन्दा बुराँ नहीं कहना आप ने..आप तो मेरे सब से प्यारे पापा हो.!
पापा :- मुझे तो ऐसा ही लगा, क्यू कि के तुम ने अब तक अपनी आंखें बंद रखी थीं।
मैं:- अगर आप मुझे अच्छा ना लगे होते तो आप को अपना जिस्म जो मेरा सब से ज्यादा कीमती चीज है नहीं देती। आज के बाद ये बात अपने ज़ेहन में ना लाइयेगा ।
पापा :- तो आँखों से आँखें मिला के बोलो ना अपने पापा को कि ” चोदो ना मेरे पापा ताकि पापा को भी मजा आये।.
मैं:- मुझे शर्म आती है.
पापा :- किस से? मुझसे?
मैं:- हां!
पापा :- मुझसे कैसी शर्म। अब तो मैं तुम्हारी चूत में अपना पूरा लंड डाल कर चुदाई कर रहा हूँ। और तुमने तो खुद अपना हाथ से चेक करके देख लिया है कि सारा लौड़ा अंदर जा चूका है. तो अभी भी शर्म बाकि है क्या?.
मैं कुछ नहीं बोली.
पापा :- अच्छा! अब मुझे समझ. जब तक मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड पूरा डाल के धक्के नहीं मारता रहता, तब तक तुम्हारी शर्म पूरी तरह खत्म नहीं हो सकती।
मैं:- अब ऐसी बात नहीं है.
पापा :- तो क्या पूरा लंड ना डालूँ?
मैं:- मैने ये भी तो नहीं कहा.
पापा :- तो क्या करूँ न? बोलो….!
मैं:- (उन के कान में) मेरी चूत में अपना सारा तो डाल दिया है और अब और भी जो बाकि रह गया है वो भी कर लो कहीं कल आप यह ना कह सको कहो कि कुछ कसर रह गई। कि मेरी सुमन ने मुझे इस ढंग से चोदने से मना कर दिया. जो करना है दिल खोल के कर लो।
मुझे खुद को पता नहीं कि ये लफ्ज कैसे मेरे मुंह से निकल गए शायद चुदाई का ही नतीजा था. । लेकिन इन का नतीज़ा ये हुआ के पापा ज़ोर ओ शोर से मेरी चुदाई करने लगे। उन्होंने मेरी दोनों टांगें हवा में उठा के पूरी तरह से खोल दीया और अपना लंड मेरी चूत में अंदर बाहर होता देखने लगे ।
उन की इस तरह चुदाई से मैं दो बार झर चुकी थी। लेकिन इधर वो मजा से मेरी चूत मार रहे थे । उन के तेज़ ढक्को से मेरे मम्मे हिल रहे थे। कभी वो उनसे खेलते तो कभी मेरी कमर पकड़ कर तेज़ झटके मारते।
इतनी देर और इतनी तेज चुदाई से तो मेरी चूत में जलन होने लगी। कुछ देर मैंने बर्दाश्त किया। लेकिन फिर मैं उनको रोकने की कोशिश करने लगी। तब उन्हें ने अपने धक्के रोके या मुझसे वजह पूछी। तो मैने उनको बता दिया.
पापा :- बस इतनी सी बात? मुझे पहले बता देना था. इसका तो असां सा इलाज है मेरे पास।
मैं:- वो क्या?
पापा :- बस देखती जाओ।
ये कह कर पापा ने अपना लंड बाहर निकाल लिया. और अपने लंड के सुपाडे को चूत के छेड़ पर रगड़ने लगे. मेरी चूत को थोड़ा आराम मिलने लगा। कुछ देर पहले तक मेरी चूत टाइट थी, उसका छेद भी छोटा सा था लेकिन अब उसका छेद कुछ बड़ा दिखायी दे रहा था। उसकी वजह थी पापा का मूसल। जिस ने पता नहीं कितने अंदर तक मेरी चूत को खोल दिया था। मैं इन्ही ख्यालो में खोई हुई थी के पापा के लंड से पेशाब की धार निकल कर मेरी चूत पर गिरने लगी। मुझे इस से दर्द होने लगा। जाहिर है जब एक जख्मी चुत पर नमकीन पानी डालेंगे तो क्या होगा ।
मेरी कराह सुनने के बावज़ूद पापा नहीं रुके। बल्कि अब तो उन्होंने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत में फिट कर दिया और पेशाब करने लगे । मुझे बहुत अजीब लग रहा था. गरम गरम पेशाब मुझे अपने अंदर तक महसूस हो रहा था। कुछ ही देर में मेरी चूत पूरी तरह उन के पेशाब से भर गई। मेरे अंदर तक कुछ देर दर्द हो रहा था, लेकिन फिर हमें दर्द के ख़तम होने के बाद मुझे मजा आया।
मेने अपनी टांगें पापा की कमर के गिर्द लपेट दी और उनको अपनी तरफ खींचने लगी। उनके लिए ये सिग्नल था कि वो दोबारा से मेरी चुदाई करें। और उन्होंने भी ऐसा ही किया. वो ताबड़ तोड़ धक्के लगा कर मेरी चूत को खोलने लगे. जब पापा अपना लौड़ा बाहर को निकालते तो मेरी चूत से पेशाब भी बाहर निकलने लगता और जब पापा फिर धक्का मार कर लौड़ा अंदर डालते तो पेशाब रुक जाता है। ये एक अजीब सी सनसनी थी, जिस को लफ़्ज़ों में नहीं बताया जा सकता। सिर्फ महसस ही कर सकते हैं.. मस्ती में एक बार फिर मेरी आंखें बंद हो गयी ।
कुछ देर बाद पापा ने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी चूत पर झुक गये। अभी भी उनका कुछ पेशाब मेरी चूत के अंदर था।
वो मेरी चूत के अंदर तक ज़बान डाल कर चाटने लगे । उनको इस बात से ज़रा भी फर्क नहीं पड़ता था कि उन्होंने ही थोड़ी देर पहले मेरी चूत में पेशाब किया था।
मेरी आंखें थी और मैं नीम बेहोसी की हालत में थी,
फिर पापा ने लण्ड बाहर निकाल लिया और मुझे खड़ा कर दिया और मेरी दोनों टांगों के नीचे से हाथ डाल कर मुझे अपनी गॉड में उठा लिया।
और पापा नीचे से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे। इस पोजीशन में उन के धक्के का सब से ज्यादा असर मेरी चूत के दाने पर हो रहा था।
उन के धक्के की वजह से मेरी चूत बार बार पानी छोड़ रही थी। आप यकीन करें या ना करें, अगले 3 मिनट में झरने की कगार पर पहुँच गई।
उन की चुदाई से मेरी टांगें कांप रही थी, मेरा पूरा जिस्म ख़राब था। मैं बेहाल हो के उन की छाती पर गिर गई.
मेरे मुंह से आआह्ह्ह… निकल रही थी । इस पोजीशन में उनका लंड अपनी पूरी जड़ तक मेरी चूत में जा रहा था। वो इसी तरह मुझे उछालते हुए चोद रहे थे और मैं उनके गले में अपने बाज़ू डाले अपनी चूत में अंदर बाहर होते लंड को मजा ले रही थी। मेरी चूत का पानी नीचे बहता हुआ पापा के लंड और उनकी गेंदों को गीला करता हुआ नीचे चादर पर गिर रहा था।
मेरे शरीर में अब अजीब ही हलचल होने लगी थी. मैं समझ गयी की मेरा काम होने वाला है.
मैंने पापा के गले में डाली हुई अपनी बाहें कस ली और पापा के कान में हौले से कहा
“पापा! मुझे कुछ हो रहा है. मैं मर जाउंगी कुछ कीजिये ना. मुझे कुछ अलग सा लग रहा है. और साथ ही अपनी स्पीड भी तेज करें। ”
पापा अनुभवी थे तो समझ गए कि मेरा होने वाला ही है. खुद पापा का भी स्खलन नजदीक ही था. तो पापा ने फिर से मुझे चादर पर लिटा दिया पर लिटाते समय भी उन्होंने ध्यान रखा कि उनका लौड़ा मेरी चूत से निकल न जाये.
फिर पापा ने जो स्पीड पकड़ी कि मैं आप सब को क्या बताऊं. इतनी जोर जोर से पापा ने चोदना शुरू किया कि मेरी तो अंदर तक साड़ी नसें ही हिलने लगी.
मेरे मुंह से आह आह की आवाजें अपने आप निकल रही थी और मैं चिल्ला रही थी
“पापा! तेज और तेज. बस मैं गयी अरे मेरे पापा में मर गयी. पापा चुद गयी आपकी बेटी अपने बाप से. पापा अपना माल डाल दो अपनी सुमन के अंदर.”
मैं बेख्याली में ना जाने क्या क्या बोल रही थी.
अचानक मैंने अपनी टाँगें अपने पापा की पीठ पर जोर से कस ली और चिल्लाई
“पापा! मैं गयी। मेरा हो गया पापा। हे भगवान् हो गया मेरा.”
और इसके साथ ही मेरी चूत ने अपना पवित्र पानी पापा के लण्ड पर छोड़ना शुरू कर दिया.
पापा के साथ यह मेरी पहली चुदाई थी तो मेरा इतना माल निकला कि मैं जैसे बेहोश ही हो गयी. मुझे कुछ भी होश न रहा बस अपने पापा की बाँहों में झड़ती रही.
उधर पापा के लण्ड पर जब मेरा पानी लगा तो पापा के भी मुंह से एक चीख जैसी निकली और उन्होंने फटाफट 5 – 6 धक्के मार कर अपना लैंड मेरी चूत में अंदर तक घुसेड़ दिया. और पापा का लौड़ा खुद ब खुद फूलने लगा और फिर उसके छेद से पापा के वीर्य की पिचकारियां छूटने लगी.
पापा ने पहली बार अपनी बेटी चोदी थी तो उनका इतना वीर्य निकला कि मेरी चूत भर गयी और इतना मोटा लौड़ा घुसा होने पर भी उनका गाढ़ा गाढ़ा माल मेरी चूत से बाहर आने लगा.
पापा भी निढाल हो कर मेरे ऊपर ही गिर गए. हम दोनों अपनी पहली चुदाई से इतना थक गए थे कि काफी देर तक हम दोनों बाप बेटी एक दुसरे की बाँहों में लेटे रहे.
पर घर भी तो जाना था. तो कुछ देर के बाद पापा उठे और मुझे भी उठाया. हम दोनों बहुत खुश थे जैसे जीवन में कुबेर का खजाना मिल गया हो।
पापा ने मुझे पूछा “सुमन! मजा आया?”
मैं:- “पापा बहुत मजा आया लेकिन अभी बहुत दर्द हो रहा है.”
पापा ने बोला “कोई बात नहीं. अभी घर जाते हुए रास्ते में तुम्हे दर्द की गोली ले दूंगा. घर जा कर दूध के साथ ले लेना सब ठीक हो जायेगा. ”
फिर पापा ने एक बार फिर से मुझे चूमा और एक आखिरी बार फिर से मेरी चूत को चाटा। फिर पापा ने मुझे घुमा दिया और मेरी चूत को पीछे से भी चाटा। पापा ने मेरी गांड के छेद पर भी अपनी जीभ घुमाई.
गांड के छेद पर जीभ लगते ही मैं उछाल पड़ी. पापा को मेरी गांड शायद अच्छी लगी. उनके मन में मेरी गांड भी मारने का ख्याल आया. वो कुछ सोच रहे थे.
अब चुदाई तो हो चुकी थी. अब सब हो जाने के बाद मुझे पापा से शर्म जैसी आ रही थी.
चाहे हमने कुछ भी कर लिया था पर आखिर थे तो वो मेरे पापा ही,, शायद पापा का भी यही हालत थी,
पापा मुझे बोले
“बेटी सुमन! तुम्हारी चूत में जो कीड़ा घुसा था वो तो मेरे लण्ड से तो पक्का मर गया होगा. पर तुम्हारी गांड का छेद भी तो चूत के छेद के बिलकुल पास में ही है. मुझे डर है कि कहीं कीड़ा तुम्हारी गांड के छेद में न घुस गया हो. यदि ऐसा हो गया तो सारी मेहनत बेकार हो जाएगी. मैं ऐसा करता हूँ कि एक बार अपने लण्ड से तुम्हारी गांड के छेद में भी कीड़े की ठुकाई कर देता हूँ. ताकि कोई खतरा न रह जाये., तुम्हारा क्या ख्याल है.?”
मैं समझ गयी कि अब पापा मेरी गांड मारने का भी प्लान बना रहे हैं. पर मैं तो डर गयी. क्योंकि पापा का लौड़ा इतना बड़ा था कि चूत में लेने में ही नानी याद आ गयी थी. यदि पापा ने मेरी गांड में इसे घुसा दिया तो मैं तो पक्का मर ही जाऊगी।
पर मुझे एक अजीब सी सनसनी हो रही थी कि जब पापा मेरी गांड मारेंगे तो कैसा लगेगा.
तो मैंने सोचा कि जो होगा देखा जायेगा अब चूत तो मरवा ही ली है तो गांड भी मरवा ही लेंगे.
पर अब टाइम काफी हो गया था. घर में मम्मी और नानी इन्तजार कर रहे होंगे. हम पहले ही बहुत लेट हैं तो कोई बहाना बना देंगे. पर गांड मारने का अभी समय नहीं है.
तो मैं बोली
“पापा! आप ठीक कहते हैं. हो सकता है की कीड़ा गांड में घुस गया हो. क्योंकि दोनों छेद बिलकुल पास पास ही तो हैं. पर अभी बहुत टाइम हो गया है. घर चलते हैं. गांड का कीड़ा मारने का कोई सोचते हैं.”
पापा खुश हो गए कि उनकी बेटी गांड मरवाने को तैयार है. वो मुझे समझाते हुए बोले
“सुमन! हम एक काम करते हैं कि घर जाते हुए, दूकान से नींद की गोलियाँ ले जायेंगे. तुम रात को सोते समय अपनी मम्मी और नानी दोनों के दूध में इन्हे मिला देना. दोनों सो जाएंगी तो मैं रात में तुम्हारे कमरे में आ कर तुम्हारी गांड का कीड़ा भी मार दूंगा जैसे अभी चूत का मारा है. रात में हमारे पास खुला टाइम होगा, और क्योंकि मेरा लौड़ा तुम्हारी गांड के लिए बहुत बड़ा है तो हमें बहुत तेल लगा कर तुम्हारी गांड मारनी पड़ेगी. घर में भी होगा. ठीक है न तो आज रात का प्रोग्रमम पक्का है न तुम्हारी गांड के कीड़े को मारने का?”
पापा बहुत चालू थे. वो कीड़े का बहाना बना कर मेरी गांड का भी भुर्ता बना देना चाहते थे. मैं तो तैयार थी ही. तो मैंने शर्माते हुए हां में गर्दन हिलाई. पापा भी बहुत खुश हो गए.
मैंने देखा तो चादर हम दोनों बाप बेटी के माल से बिलकुल भर गयी थी,खैर मैंने उसे तह करके स्कूटर में रखने लगी. तो पापा ने पूछा
“सुमन! अब घर जा कर किताब के लिए क्या बहाना बनाना है?”
तो मैंने मुस्कुराते हुए स्कूटर की डिग्गी में से किताब (जो मैं पहले ही छुपा कर लायी थी) निकाली और पापा को दिखाई. पापा मेरी चलाकी देख कर मुस्कुराने लगे और हंस कर बोले
“मेरी बेटी तो बहुत शैतान और चलाक है. सारी तैयारी पहले ही कर के आयी थी..”
मैं भी हंस पड़ी और पापा से कहा.
“पापा चलो भी. अभी रास्ते में नींद की गोलियां भी तो लेनी हैं. ”
पापा भी मुस्कुरा रहे थे. उन्होंने स्कूटर स्टार्ट किया और हम घर की ओर चल पड़े.
हम दोनों बाप बेटी बहुत ही खुश थे. खुश होते भी क्यों नहीं आखिर मेरी इतने दिन की मेहनत आज रंग लायी थी और मैं अपने मकसद यानि अपने प्यारे पापा से चुदवाने में सफल हो ही गयी थी.
दुसरे चाहे अब मम्मी और नानी आ चुकी थी पर अब मुझे उतनी चिंता नहीं थी क्योंकि मैं जानती थी कि मम्मी तो अब उम्र में काफी ज्यादा हो चुकी हैं और पापा इतने सालों से उनकी चूत मार मार कर ढीली कर चुके हैं, तो अब जब उन्हें उनकी बेटी की जवान चूत मिल रही है तो क्यों वे बूढी और ढीली चूत को पसंद करेंगे? अब तो हम बाप बेटी की चुदाई चालू ही रहने वाली थी. जब भी मौका मिलेगा तो हम आपस में मजे ले ही लिया करेंगे.
खैर हम घर को जा रहे थे. पापा स्कूटर चला रहे थे और मैं उनके पीछे बैठी थी बिलकुल पापा से चिपक कर. और मेरी दोनों छातियां पापा की पीठ में घुसी हुई थी. सड़क क्योंकि ज्यादा अच्छी नहीं थी तो स्कूटर के धक्कों से मेरी चूचियां पापा की पीठ में घिस रही थी. कुछ मैं जान बूझ कर भी अपनी छातियां पापा की पीठ में रगड़ रही थी. पापा को भी मजा आ रहा था. थोड़ी ही देर मैं हम मुख्य सड़क पर पहुँचने वाले थे तो तब तक तो मैं मुम्मे रगड़ने का मजा लेती रहना चाहती थी. पापा भी शायद इसी लिए जानबूझ कर स्कूटर धीरे चला रहे थे.
मेरी चूत में अभी भी दर्द हो रहा था. पापा के मोटे लण्ड से पहली चुदाई थी, तो चूत का तो कबाड़ा ही कर दिया था पापा ने.
तभी पापा मुझे बोले
“सुमन! मेरी जांघों में खुजली हो रही है. मेरे हाथ स्कूटर पर हैं तो थोड़ा खुजला देगी क्या?”
मैं समज रही थी कि पापा मुझे लौड़े पर हाथ फेरने का इशारा दे रहे हैं. मैं भी मुख्य सड़क पर आने से पहले लौड़े का मजा लेना चाहती थी. असल में अब लौड़े को हाथ से छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था. मन तो कर रहा था कि बस पापा का लण्ड मेरी चूत में ही घुसा रहे, या कम से कम हाथ में तो रहे ही. ताकि मैं उसे मसलती रहूं.
मैंने पापा की टांग पर हाथ रखा और छेड़ते हुए बोली
“पापा! यहाँ खुजली हो रही है क्या?”
पापा:- नहीं बेटी थोड़ा ऊपर।
मैं हाथ को उनकी जांघों के जोड़ के पास ले जाकर फिर मजाक किया
मैं:- पापा यहाँ है क्या?
पापा से भी अब दूरी सहन नहीं हो रही थी. तो वो साफ़ साफ़ बोले
“सुमन! मेरे लण्ड पर खुजली हो रही है. अभी हम लोग थोड़े अँधेरे में हैं तो लुंगी के अंदर और अंडरवियर में हाथ डाल कर थोड़ा खुजली कर दो और सेहला दो. मुख्य सड़क पर लोग होंगे तो तुम खुजली नहीं कर पाओगी.
मैंने भी देर करना उचित न समझते हुए, झट से अपना हाथ पापा की लुंगी के अंदर डाल दिया और फिर उनके अंडरवियर के साइड से अंदर घुसाया. पापा का लौड़ा तो अपनी बेटी के हाथों के इन्तजार में कब से खड़ा था और मेरे हाथों की राह देख रहा था.
मेरे उँगलियाँ लगती ही लौड़े ने ख़ुशी से झटका मार कर स्वागत किया. मैंने भी तुरंत अपनी हथेली में लौड़े को कस लिया। और पापा के लौड़े को मुठ मारने के अंदाज में सहलाने लगी.
पापा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी. मैं समझ रही थी कि पापा को बहुत अच्छा लग रहा है. और अच्छा तो मेरे को भी बहुत लग रहा था.
तो मैंने अपना दूसरा हाथ, जिस से मैंने पापा को पकड़ा हुआ था, को दूसरी साइड से लुंगी में डाल दिया और अपने हाथ में पापा के टट्टे (बॉल्स) पकड़ लिए और उन्हें सहलाने और उनके नीचे अपने नाखूनों से खुजली जैसे करने लगी.
पापा और बेटी चलती स्कूटर पर मजे ले रहे थे. मैं प्यार से धीरे धीरे पापा का लौड़ा सेहला रही थी और टट्टे मसल रही थी.
एक बार तो मेरा मन हुआ कि पापा को बोलती हूँ कि स्कूटर तो कहीं साइड में खड़ा कर लें और मैं पापा का लौड़ा चूस कर मजा ले लेती हूँ पर फिर सोचा कि अभी पापा मुझे चोद के आ रहे हैं और अभी घर जा कर रात में मेरी गांड भी मारनी है, तो अभी लौड़ा चूसने को रहने देती हूँ ताकि पापा को भी थोड़ा आराम मिल सके. तो मैंने वो प्रोग्राम अभी स्थगित कर दिया और पापा के लण्ड को सिर्फ सहलाती ही रही.
इसी तरह चलते चलते थोड़ी देर में दवाइयों की दूकान आ गयी.
पापा ने स्कूटर रोक दिया, और मैंने पापा को कहा कि जा कर नींद की गोलियों का पूरा पत्ता ले आएं और कुछ दर्द कम करने की गोलियां भी ले लें.
पापा मुझे बोले
“बेटी! तू पैसे ले जा और जा कर खरीद ले. क्योंकि देख तो सही मेरा लण्ड कितना टाइट हो चूका है. मैं इस तरह लुंगी में तम्बू बनाये हुए कैसे जा सकता हूँ?”
मैं मुस्कुरा पड़ी और हँसके पूछा
“पापा यह आप का लौड़ा कभी बैठेगा भी या सदा ऐसे ही खड़ा रहेगा?”
पापा भी हँसे
“सुमन! अब तो यह तेरी गांड मार कर ही ढीला होगा. अब जा जल्दी से दवा ले आ.”
मैंने जा कर दवाई खरीदी और हम बाप बेटी घर को चल दिए.
घर जाने तक मैंने फिर पापा का लण्ड नहीं पकड़ा, एक तो हम उसे थोड़ा ढीला होने का समय देना चाहते थे क्योंकि घर में मम्मी और नानी थे और दुसरे अब मुख्य सड़क पर भीड़ भी काफी थी.
खैर हम घर आ गए और अपने अपने कमरे में चले गए. मैं पहले से ही छुपा कर ले जाई हुई किताब निकाल ली थी जिस से मम्मी को कोई शक भी नहीं हुआ. वैसे भी हम दोनों बाप बेटी थे तो मम्मी को शक करने का कोई कारण भी नहीं था. हालाँकि उन्हें क्या पता था की हम बाप बेटी किताब लाने के बहाने से क्या काण्ड करके आ रहे हैं.
रात का मुझे बहुत बेसब्री से इन्तजार था. आज राज को मेरी गांड की सील टूटने वाली थी. वो भी मेरे अपने पापा के लौड़े से. मैंने चूत तो फिर भी कई बार मरवाई थी पर गांड कभी नहीं. मैं बहुत खुश थी कि आज मेरी सील मेरे अपने बाप के हाथों (वैसे सही शब्द तो है के बाप के लौड़े से ) टूटने वाली थी.
मैं किचन में जा कर खाना बनाने लगी, गोली भी खा ली।
मम्मी और नानी ड्राइंग रूम में बैठे बातें कर रहे थे. पापा भी उनके पास बैठे टीवी देख रहे थे. मै किचन में डिनर की तैयारी कर रही थी ।
पापा से अब मेरे से दूर नहीं रहा जा रहा था तो वो पानी पीने के बहाने से उठ कर आ गए और किचन के दरवाजे पर हाथ रख के खड़ा हो गये और अपने कंधे दरवाजे पर टिका लिये ।
और अपनी बेटी को खाना बनाती हुई को निहारने लगे । अपने पापा को अपनी ख़ूबसूरती निहारते देखकर मै मन ही मन ख़ुश हुई । फिर पापा की तरफ देखकर बो ली, “पापा, मैंने आज आपके लिये स्पेशल डिनर बनाया है । जितना ज्यादा खा सकते हो, खा लेना । आज रात आपको बहुत एनर्जी की जरुरत पड़ने वाली है ।”
मेरी कामुक बातें सुनकर पापा का लंड अपनी नींद से उठ गया । वो मेरे आकर पीछे गांड से चिपक के मुझे आलिंगन करते हुए मेरा चुम्बन लेने लगे ।
पापा प्यार से मेरे कान में बोले
“तुम्हारे लिये मेरे पास पहले से ही बहुत एनर्जी है बेटी । अगर तुमने मुझे एक्स्ट्रा एनर्जी दे दी तो फिर तुम मुझे झेल नहीं पाओगी और फिर एक हफ्ते तक बेड से उठ नहीं सकोगी, और अगर उठ भी गयी तो लंगड़ा लंगड़ा के चलोगी ।”
जोर से ठहाका लगाते हुए पापा बोले ।
उनकी इस गुस्ताखी पर, मेंने अपने निचले होंठ को दातों में दबाते हुए, शरारत से पापा के पेट में अपनी कोहनी मार दी ।
मेने कहा “पापा! मुझे यह मोटा लौड़ा अपनी गांड की पूरी गहराई में चाहिये… पूरा जड़ तक… फिर मैं आपको सिखाऊँगी कि एक्स्ट्रा एनर्जी क्या हे और मुझे कैसी चुदाई पसंद है… मुझे जोरदार और निर्मम चुदाई पसंद है… कोई दया नहीं …सिर्फ वहशी चुदाई…आज अपनी बेटी को खुश कर देना. बस अब माँ के पास जा कर बैठो, उन्हें शक न हो जाए. ”
पापा ने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरा और अपनी एक ऊँगली मेरी गांड के सुराख पर रख कर उसे वहीँ रगड़ने लगे. मैं समझ रही थी कि पापा से रात होने तक का इन्तजार नहीं हो रहा है. मुझे ख़ुशी थी कि एक बार की ही चुदाई से मेरे पापा मुज पर कितने लट्टू हो गए हैं.
मुझे डर लगा कि वासना के जोर में पापा अभी मेरी गांड में ऊँगली ना घुसेड़ दें, उनकी ऊँगली सूखी थी और मेरी गांड बिलकुल टाइट. वैसे भी अभी पास में ही ड्राइंग रूम में मम्मी और नानी भी थे, तो कभी भी किसी के भी आ जाने का डर था. तो मैंने अपना हाथ पीछे ले जा कर अपनी गांड पर घूमती पापा की ऊँगली हटा कर पापा को जाने और रात का इन्तजार करने को कहा. पापा फिर से मुझे एक बार चूम कर और मेरे चूतड़ों पर प्यार से हाथ फेर कर चले गए.
फिर रात में हमने खाना खाया. थोड़ी देर टीवी देखा और बातें करते रहे.
हम दोनों बाप बेटी से तो रहा नहीं जा रहा था. तो पापा मुझे बोले
“सुमन! एक काम करो, तुम्हारी मम्मी और नानी भी दूर से आयी हैं और थक गयी होंगी, तुम जा कर दूध गर्म करके ले आओ. सब दूध पी लेंगे. इस से नींद भी अच्छी आती है.”
मम्मी दूध पीना तो शायद नहीं चाहती थी, पर नानी के कारण चुप रही, मैं भी पापा की चाल समझ गयी और इससे पहले कि मम्मी कुछ और बोले तुरंत उठ कर किचन में गयी और दूध गर्म किया.
फिर मैंने दो गिलासों में नींद की दो दो गोलियां मिला दी, ताकि माँ और नानी को खूब नींद आये. एक गिलास मैंने पापा के लिए लिया. अपना गिलास मैंने जान बूझ कर नहीं रखा ताकि कहीं मम्मी या नानी उसे न उठा लें.
मैं दूध ले कर सबसे पहले पापा के पास गयी और सही वाला गिलास उन्हें दे दिया, फिर मैंने नींद की दवा वाले दूध के गिलास मम्मी और नानी को दिए.
पापा ने पूछा “तुम्हारा दूध?’
तो मैंने दूध पीने से मना कर दिया, पर फिर पापा के जोर देने किचन में जा कर अपने लिए भी दूध ले आयी और पीने लगी.
(पापा जानते थे कि मुझे दूध की ताकत की आज रात ज्यादा जरूरत पड़ने वाली है. )
थोड़ी देर में नानी बोली कि शायद वो रास्ते के सफर से थक गयी हैं और उन्हें नींद आ रही है. मम्मी ने भी नींद आने की बात कही।
तो हम सब अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए.
लगभग आधे घंटे के बाद पापा ने मम्मी को आवाज दी और हिला कर उठाने की कोशिश की पर मम्मी पर तो नींद की गोलियों का असर हो चूका था और वो बेहोश थी. फिर पापा ने नानी के कमरे में जा कर चेक किया, पर नानी भी सारे गधे घोड़े बेच कर सो रही थीं.
पापा खुश हो गए और मेरे कमरे में आ गए.
मैं तो जाने कब से पापा का इन्तजार कर ही रही थी.
तो आखिर मेरी गांड के उद्धघाटन का शुभ महूर्त भी आ ही गया था. वो भी मेरे अपने प्यारे पापा के हाथों (मतलब उनके लौड़े के द्वारा)
मेंने काले रंग की ड्रेस पहनी थी जो मेरी मांसल जांघों के सिर्फ ऊपरी भाग को ढक रही थी । पापा ने उसको देख कर होंठ गोल करके सिटी बजायी ।
“बेटी, इस ड्रेस में तुम कितनी सेक्सी लग रही हो! ये ड्रेस तुम्हारे बदन से बिलकुल चिपकी हुई है और ढकने के बजाये तुम्हारे खूबसूरत जिस्म के सारे उभारों और कटावों को दिखा रही है । ”
अपनी तारीफ सुनकर मेने शरारती मुस्कान के साथ पापा के सामने एक चक्कर गोल घूमकर हर तरफ से ड्रेस में अपना बदन दिखाया । फिर पापा के पास आकर उसको अपने आलिंगन में भर लिया और अपनी बड़ी बड़ी चूचियां पापा की छाती में दबा दी । अपने रसीले होंठ पापा के होठों पर रख दिये । दोनों एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे और एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे । पापा चुम्बन लेते हुए ही अपने हाथ नीचे ले जा कर मेरी बड़ी लेकिन मक्खन जैसी मुलायम गांड को अपने हाथों में दबा कर मसलने लगे ।
फिर ड्रेस के अंदर हाथ घुसाकर गांड की दरार के बीच से मेरी मखमली चूत के होठों को सहलाने लगे । मै थोड़ा और पापा से चिपक गयी ।
“आपको माँलूम है पापा, आज हमारे इस नए रिश्ते की शुरुआत हो रही है ”
“अच्छा! कौन सा रिश्ता बेटी?”
“पापा यही डॉक्टर और मरीज का. मेरी गांड में कीड़ा घुस गया था तो पहले तो आपने मेरी चूत में लण्ड घुसा कर उसे मारना चाहा, और फिर जब लगा कि शायद वो कीड़ा मेरी गांड में ना घुस गया हो तो अब आप मेरी गांड में भी अपना लौड़ा घुसा कर उसे मारने की कोशिश करेंगे. यह डॉक्टर और मरीज का ही तो रिश्ता हुआ न. भगवान् ऐसा डॉक्टर बाप हर जवान बेटी को दे, ताकि जब भी उसको कोई भी कीड़ा सताये तो उसके पापा उसका इलाज कर सकें. मैं तो इसी रिश्ते की बात कर रही थी. आप और किस नए रिश्ते की बात कर रहे थे?”
मैं यह कह कर शरारत से मुस्कुरा पड़ी. पापा भी समझ रहे थे कि मैं हम बाप बेटी में जन्मे इस सेक्स के सम्बन्ध की बात कर रही हूँ. पर मेरी इस शरारत भरी बात पर वो सिर्फ मुस्कुरा कर रह गए.
पापा मुझे चूमते हुए बोले
“हाँ बेटी सुमन! यह तो है. हम दोनों में आज से यह एक न्य रिश्ता पैदा हुआ है तो कुछ सेलि ब्रेशन होना चाहिए । बताओ आज अपने पापा को क्या गिफ्ट देने वाली हो?”
मेरे खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों के बीच प्यार से पकड़कर पापा बोले । मै कुछ पल सोचती रही । फि र अचानक मै पापा से अलग हो कर उनकी तरफ पीठ करके कुछ दूर खड़ी हो गयी । थोड़ा कमर झुका कर पापा की तरफ अपनी गांड बाहर को निका लकर धीरे से अपनी ड्रेस ऊपर को उठाने लगी । अंदर मैंने मैचिंग कलर की काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी । जिसमें पीछे से सिर्फ एक पतली डोरी थी और दोनों चूतड खुले हुए नग्न थे । फिर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,
“आज रात ये तोहफा है आपके लिये पापा! अपनी बेटी की उस मक्खन जैसी मुलायम, बड़ी गांड को देखकर पापा होठों पर जीभ फिराते हुए मुस्कुरा पड़े, “ऐसा तोहफा यदि मिल जाये तो और क्या चाहिए किसी इंसान को? आज रात मुझे बहुत मज़ा आने वाला है बेटी, कसम से! बेटी, हम लोग बिस्तर में चलें?”
पापा ने मेरी काम वासना लिप्त चेहरा देख कर शरारत से पूछा. मेरे हाँ में गर्दन हिलाते ही ही पापा ने मुझे प्यार से वस्त्रहीन कर दिया ।
अब मै अपने बिस्तर में निवस्त्र लेटी पापा को कपड़े उतारते हुए देख रही थी. पापा भी निवस्त्र हो कर मेरे साथ बिस्तर में लेट गए. हम दोनों एक दुसरे को आलिंगन में भर कर खुले मुंह से चूमने लगे. पापा ने मेरे गुदाज़ चूतड़ों को मसलते हुए मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर मेरे सारे मुंह के अंदर सब तरफ घूमा दी. मैंने भी अपने जीभ पापा की जीभ से भीड़ा कर उनके मीठे मुंह के स्वाद का आनंद लेने लगी. पापा मुझे चित लिटा कर मेरी मुलायम बड़ी चूचियों को अपने मूंह से उत्तेजित करने लगे. पापा ने मेरे चूचुक अपने मूंह में भर कर उनको पहले धीरे-धीरे फि र ज़ोर से चूस-चूस कर मेरी सिसकारी निकाल दी. पापा ने मेरे गोल भरे हुए पेट को चूमते हुए मेरी गीली चूत के ऊपर अपना मूंह रख कर अपनी जीभ मेरी चूत के द्वार के अंदर डाल दी. मेरी ज़ोर की सिसकारी ने पापा को भी उत्तेजि त कर दिया. पापा ने मेरी चूत और भगनासा को अपनी जीभ और मुंह से चूस कर मेरी वासना को चरम सीमा तक पहुंचा दिया. पापा ने अपनी खुरदुरी जीभ से मेरे क्लीटोरिस को चाट कर मुझे बिलकुल पागल सा कर दि या । उनकी एक उंगली अहि स्ता से मेरी गीली मचलती चूत में फिसल कर अंदर चली गयी । उन्होंने अपनी उंगली को टेड़ा कर के मेरी चूत के सुरंग के आगे की दीवार को रगड़ने लगे । उनकी जीभ और उंगली दोनों ही मुझे एक बरा बर का आनंद दे रहीं थीं।
अचानक पापा ने अपने होंठों में मेरी भगनासा को भींच कर अपनी उंगली से तेजी से मेरी चूत की दीवार को रगड़ना शुरू कर दि या । मैं ज़ोर से सिसक उठी। मैं अब झड़ने के लिए व्याकुल थी। यदि पापा मेरे क्लिटोरि स अपने दाँतों से चबा भी डालते तो मैं कोई शिकायत नहीं करती ।
“आह.. पापा…आंह…ऊम्म्म्म…हं..हं.. आ..आ…आह्ह्ह मेरी चू..ऊ..ऊ…त आह्ह.मैं आने वाली हूँ,”
मेरी सिस्कारियों ने पापा को मेरे सन्निकट स्खलन की घोषणा कर दी. पापा का तो और ही प्रोग्राम था तो पापा ने मेरी चूत चूसना रोक दिया.
मैं वासना के अतिरेक से बिलबिला रही थी। पापा ने मेरी दोनों भरी -भरी गोल जांघें उठा कर फैला दीं. फिर पापा ने अपना मूंह मेरी गांड के ऊपर रख उसको प्यार से चूमा. मेरे मूंह से घुटी-घुटी सिसकारी निकल पड़ी. पापा की जीभ शीघ्र ही मेरी गांड के छेद को तड़पाने तरसाने लगी.
मेरी गांड का छल्ला बारी -बारी से खुलने और कसने लगा. पापा ने मेरी गांड के सुराख को अपनी जीभ से चूम कर मेरी वासना को और भी प्रज्ज्वलित कर दिया. पापा की जीभ की नोक आखिरकार मेरी गांड के अंदर दाखिल हो गयी. मेरी सिस्कारियों ने पापा को मेरी गांड को और भी चूसने-चूमने का नि मंत्रण भेजा.
मेरी गांड स्वतः पापा के मूंह से चिपकने का प्रयास करने लगी. पापा ने जैसे पहले मेरे स्खलन से बिलकुल पहले अपनी जीभ हटा ली थी उसी तरह अब अचानक से मेरी गांड के सुराख पर से अपना मूंह हटा लिया. मेरी वासना की अनबुझी आग ने मेरे मस्तिष्क को पागल कर दिया. मैं पापा के सामने गिड़गिड़ाने लगी,
“पापा मुझे इतना क्यों तरसा रहा हो? मेरी चूत झाड़ दे. प्लीज़. मेरा पानी निकाल दो पापा। आप की बेटी आप से विनती कर रही है. ”
मैं अपने चूतड़ पलंग से उठा कर अपनी गांड और चूत पापा के मुंह के पास ले जा ने का प्रयास कर रही थी। पापा ने अपने तने हुए लंड से मेरी चूत रगड़ी और मेरे पेट पर अपने हाथ से प्यार से सहलाते बोले,
“बेटी मुझे तुम्हारी गांड मारनी है. वरना तुम्हारी गांड में घुसा कीड़ा कैसे मरेगा?”
“पापा, मुझे बहुत दर्द होगा? प्लीज थोड़ा अपनी बेटी का ध्यान रखना. मैं कहीं दर्द से मर ही ना जाऊँ ”
पापा ने भी गौर किया कि मैंने दर्द कम से कम करने को कहा था पर गांड मरवाने से मना तो नहीं किया. पापा जानते थे कि इस वक़्त मैं पापा की हर शर्त मान लेती. मेरी वासना की संतुष्टी की चाभी पापा का महाकाय लंड था. मेरी छोटी सी गांड के अंदर पापा के विकराल लंड के जाने के विचार से ही मैं सि हर गयी ।
पापा ने आश्वासन दिया,
“बेटी दर्द तो होगा. दर्द तो चूत मरवाने में भी हुआ था. पर अब तुम देखो तो चूत मरवा कर कितनी खुश थी. इसी तरह गांड में भी थोड़ा दर्द तो होगा, पर एक बार सहन कर लो फिर सारी उम्र मजे ही मजे हैं. ”
यह कह कर पापा मेरे दोनों उरोज़ों को हलके हलके सहलाने लगे और फिर मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा.
फिर पापा ने एक शीशी निकाली जिस में नारियल का तेल था. पापा ने ढेर सा तेल मेरी गांड पर लगा दिया, और फिर काफी तेल ले कर अपने एक हाथ की हथेली में रखा और दुसरे हाथ की ऊँगली से मेरी गांड के छेद के अंदर डालने लगे. फिर अपनी ऊँगली को पहले धीरे और फिर तेज तेज मेरी गांड में अंदर बाहर करने लगे. पापा मेरी गांड के छेड़ को अपने बड़े और मोटे से लण्ड के लिए तैयार कर रहे थे.
थोड़ी देर बाद पापा ने मेरी गांड में एक ऊँगली और बढ़ा दी यानि अब मेरी गांड में पापा की दो उँगलियाँ अंदर बाहर हो रही थी और पापा मेरी गांड को दो उँगलियों से चोद रहे थे. मैंने अपना सर नीचे झुका कर तकिये पर रख लिया और आँखें बंद करके गांड में उँगलियों की चुदाई का मजा लेने लगी. थोड़ी ही देर में जो भी थोड़ा बहुत दर्द उँगलियों से हो भी रहा था वो ख़तम हो गया और मेरी गांड अंदर बाहर से तेल से बिलकुल सन गयी और चिकनी और फिसलन भरी हो गयी. पापा जानते थे कि अब मैं उनसे अपनी गांड मरवाने को बिलकुल तैयार हूँ.
फिर पापा ने अपनी उँगलियाँ मेरी गांड से बाहर निकाली और अपने गधे जैसे मोटे और लम्बे लण्ड का सुपाड़ा मेरी गांड के छेड़ पर रख दिया.
पापा का सुपाड़ा बहुत गर्म था. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे पापा ने कोई जलता हुआ अंगारा मेरी गांड के सुराख पर रख दिया हो. मेरी तो मजे से आह निकल गयी. पापा गांड मारने को बिलकुल तैयार थे.
मैं समझ गयी कि वो समय आ ही गया. और मन ही मन फिल्मो के उस मशहूर गीत को गुनगुनाने लगी जिसके बोल थे.
“जिसका मुझे था इन्तजार, जिसके लिए दिल था बेकरार, वो घड़ी आ गयी आ गयी.”
मैंने अपना दांत भींच लिया दर्द को सहन करने के लिए, पर पापा मेरी गांड के छेद पर अपने लौड़े के सुपाडे को रगड़ते हुए बोले
“बेटी,जब तक खुद मुझसे अपनी गांड मारने को नहीं कहोगी तब तक मैं कुछ भी नहीं करूँगा,”
मैं क्या कहती. मुझे एक तरफ तो वासना का जोर था जो मुझे फटाफट गांड मरवाने को कह रहा था और दूसरी तरफ मोटे लण्ड और जीवन में पहली बार गांड मरवाने का डर। क्या करूँ.
आखिर वासना ने डर पर विजय पा ली और मैंने प्यार से पापा को कहा
“पापा मेरी गांड मार लें पर प्लीज़ मुझे बहुत दर्द नहीं करना ।”
पापा ने निर्ममता से उत्तर दिया,
“देखो सुमन! तुम मेरी बेटी हो इसीलिए मैं झूट तो नहीं बोलूंगा. पहली बार गांड मरवाने जा रही हो और मेरा लौड़ा भी खूब बड़ा है इसलिए बेटी दर्द तो होगा ही और उसे तुम्हे सहना ही पड़ेगा । पर मुझसे जितना हो सकेगा उतना प्रयास मैं ज़रूर करूंगा ।”
मैंने भी अपनी गर्दन को हाँ में हिला कर पापा को लौड़ा डालने की इजाजत दे दी और लण्ड को अंदर करने को कहा। मेरा भय और वासना से कम्पित शरीर अब पापा की कृपा के उपर निर्भर था।
पापा ने अपना लंड के सुपाडे को मेरे गीली चूत में घिसा कर मेरे यौ न-रस से लेप लिया. पापा ने फिर वो नारियल के तेल की शीशी उठा कर खूब सा तेल अपने लण्ड पर डाल लिया और अपने हाथों से अपने पूरे लौड़े को तेल से भर लिया. अब पापा का विशाल और विकराल लण्ड तेल से ऐसे चमक रहा था जैसे शनिवार को शनि की मूर्ती तेल डालने से चमक रही होती है. पापा ने अपना विशाल लंड मेरी गांड के छोटे तंग छल्ले के ऊपर रख कर दबाया बोले
“बेटी, अपनी गांड पूरी ढीली छोड़ दो. जब मैं अपना लंड अंदर की तरफ डालूँ तो तुम अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर पीछे की तरफ ज़ोर लगाना इस से मेरे लौड़े को अंदर घुसने में आसानी होगी और तुम्हे भी अच्छा लगेगा. ”
मैंने वासना में जलते अपने शरीर से परेशान हो कर पापा के सुझाव को ठीक से समझे बिना अपना सर हिला कर समर्थन दे दिया. पापा ने मुझे अपने बड़े हाथों से जकड़ कर मुझे बिस्तर पर दबा दिया. पापा ने अपने विशाल लंड के विकराल सुपाड़े को मेरी नन्ही सी गांड के छिद्र पर दबाना शुरू कर दिया । मेरी तंग कसी गांड का छल्ला पापा के लंड के प्रविष्टी के रास्ते में था। मेरी गांड की कसी हुई चमड़ी ने पापा के भी भीमकाय लण्ड के आक्रमण को पीछे धकेलने का निरर्थक प्रयास किया । पापा के विशाल लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छोटे से छेद को खोलने के लिए बेचैन था. मैंने पापा के कहने के अनुसार अपनी गांड काको ढीला छोड़ दिया। पापा ने मुझे ऐसे करते देखा तो पापा ने हचक कर एक ज़ोर से धक्का लगाया. पापा के,उस छोटे सेब जितने बड़े लंड के सुपाड़े ने मेरी गांड के छिद्र को बेदर्दी से चौड़ा कर दिया और किसी बिन बुलाये मेहमान की तरह जबरदस्ती अंदर घुस गया.
मेरे गले से निकली दर्द भरी चीख से कमरा गूँज उठा. पापा ने मौका देख कर अपने लोहे जैसे सख्त मोटे लंड की तीन इंच मेरी गांड में बलपूर्वक ठूंस दीं. मैं दर्द से बिलबिला कर चीख पड़ी. मेरे नाखून पापा की बाँहों में गड़ गए. मैंने पापा की बाँहों की खाल से अपने नाखूनों से खरोंच कर खून निकाल दिया. पापा मेरी स्थिति समझते थे तो पापा ने एक बार भी उफ तक नहीं की. मेरी चीख रोने में बदल गयी. मेरी आँखों से आंसूं बहने लगे. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि किसी ने मेरी गांड के ऊपर चाक़ू चला दिया हो. मैं सुबक-सुबक कर रो रही थी.
पापा बेदर्दी से मेरी गांड में अपने अमानवीय विशाल लंड की एक इंच के बाद दूसरी इंच मेरी दर्द से बिलखती गांड की गहराइयों में डालते रहे जब तक उसका पेड़ के तने जितना मोटा लंड जड़ तक मेरी गांड में नहीं समा गया
मेरी गांड में उठे भयंकर दर्द से मैं बिलबिला उठी. मेरा शरीर पानी से बाहर निकली मछली के समान तड़प रहा था. पापा के विशाल शरीर ने मेरे थरथराते हुए शरीर को अपने नीचे कस कर दबा लिया. मैं सुबकियां और हिचकी मार मार कर रो रही थी.
“नहीं.हीं..नहीं.हीं..पापा..मेरी गांड फट गयी..ई…अपना लंड बाहर निकाल.लो…आ..आ..ये. मैं मर जा ऊंगी, मेरे पापा मैं तो आपकी इतनी प्यारी बेटी हूँ आप मुझे इतना दर्द दे रहे हो. आज आप अपनी सुमन की बात क्यों नहीं मान रहे. मेरी गांड में बहुत दर्द है. मेरी गांड फट गयी प्लीज निकल लो अपना मूसल मेरे अंदर से. फिर कभी मार लेना अपनी बेटी की गांड आज बक्श को मुझे. मैं मर जाउंगी.”
मैं सुबक सुबक कर हिचकियों के बीच में से बड़ी मुश्किल से बोल पा रही थी,
मुझे हुंह….नहीं आन्नंह….मरवानी अपनी गांड।”
पापा ने अपने मुंह से मेरा मुंह दबोच लिया और बेदर्दी से मेरे रोने की उपेक्षा कर मेरी गांड अपने लंड से मारने लगे. मेरी घुटी-घुटी चीखों और सिस्कारियों की आवाज कमरे की दीवारों से टकरा कर मेरे कानों में गूँज रहीं थी. पापा ने अपने विशाल लंड की आधी लम्बाई अंदर बाहर कर मेरी गांड की चुदाई शुरू कर दी. पापा की बेरहमी ने मुझे दर्द से व्याकुल कर दि या । मेरे आंसूओं ने मेरे चेहरे को बिलकुल भिगो दिया। मुझे पता नहीं कि कितनी देर तक मैं रो रो कर अपनी गांड फटने की दुहाई देती रही पर पापा का विशाल लंड मेरी मेरी गांड को निरंतर चोदता रहा. मेरे आंसूओं ने मेरा चेहरा गीला कर दिया. थोड़ी देर में मेरी नाक तक बहने लगी. मेरी सुबकिया मेरे दर्द की कहानी सुना रहीं थीं। पर पापा ने मेरा मुंह अभी भी अपने मुंह से दबा रखा था. पापा ने मेरी गांड मारना एक क्षण के लिए भी बंद नहीं किया. मैं न जाने कितनी देर तक दर्द से बिलबिलाती हुई पापा के विशाल शरीर के नीचे दबी सुबकती रही। और पापा बिलकुल भी रुके बिना मेरी गांड मारते ही रहे.
मैं गांड फटने के दर्द से रो रही थी और चिल्ला रही थी.
“अरे पापा मर गयी मैं. बहुत दर्द हो रहा है पापा. मुझे नहीं मरवानी अपनी गांड आपसे. पापा फट गयी गांड आपकी सुमन की. चीथड़े उड़ गए आप के लण्ड से उसकी गांड के. ओह भगवान् कोई तो बचा ले मुझे. मम्मी तुम क्यों बेहोश पड़ी हो नींद की गोली खा कर. देखो आकर इधर आपकी बेटी की गांड मार ली उसके पापा ने. अरे नानी तुम ही बचा लो अपनी नातिन को. गांड नहीं बचेगी आज मेरी. पापा बक्श दो मुझे, मुझे नहीं चुदवाना अपनी गांड को। चूत में ही चोद लो जितना चोदना है अपनी बेटी को.”
इस तरह मैं रोटी चिल्लाती रही और पापा बीना कुछ भी बोले, मेरी गांड पर लेटे रहे. उनका पूरा लण्ड मेरी गांड के अंदर था. बस वो धीरे धीरे लण्ड को अंदर बाहर करते रहे.
मुझे लगा कि एक जनम जितने समय के बाद मेरी सुबकियां थोड़ी हल्की होने लगीं,मुझे बड़ी देर लगी समझने में कि मैंने रोना बंद कर दिया था। मेरा हिचकियाँ ले कर सुबकना भी बंद हो गया था। जब पापा को लगा कि मैंने रोना बंद कर दिया था तो उन्होंने मेरा मुंह मुक्त कर मेरे आंसू को चाट कर साफ़ करने लगे. पापा की जीभ मेरे चेहरे को प्यार से साफ़ कर रही थी.
पापा का लंड अभी भी मेरी गांड के अंदर-बाहर जा रहा था. मुझे वि श्वास नहीं हुआ कि मेरी गांड अब पापा के लंड को बिना तीव्र पीडा के संभाल रही थी. पापा ने मेरे होंठों को अपने मूंह में भर कर ज़ोर से चूसा. पापा ने मेरे दोनों बगलों में अपने हाथ से गुदगुदी करके मुझे हंसा दिया. मेरा दर्द अब काफी कम हो गया था. दर्द तो था लेकिन सहन करने योग्य था तो मैं रो या चिल्ला नहीं रही थी.
“बेटी, अब कितना दर्द हो रहा है?”
पापा के चेहरे पर शैतानी भरी मुस्कान थी. मैं शर्मा गयी,
“पापा मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था आप कितना बेदर्द हैं. एक क्षण भी आप ने अपना लंड को मेरी गां ड मारने से नहीं रोका। मालूम है मुझे कितनी तकलीफ थी. मैं तो मरने वाली थी. कोई बाप ऐसे होते हैं क्या जो अपनी ही बेटी की गांड का इस तरह बेदर्दी से भुर्ता बना दें?”
“बेटी, ऐसा दर्द तो सिर्फ पहली बार ही होता है. मुझे लगा कि जितनी जल्दी तुम्हारी गांड मेरे लंड की आदी हो जाये तुम्हारा दर्द उतनी ही जल्दी कम हो जायेगा.”
पापा ने प्या र से मेरी नाक की नोक को अपने दाँतों से काटा. मैंने पापा की बाँहों पर गहरे खरोंचो को प्यार से चूम कर खून चाट लिया,
“सॉरी पापा, मैंने आपकी बाहें खरोंच डाली.”
पापा ने मुस्कुरा कर मुझे प्यार से चूम लिया । पापा ने मुझे चूम कर फिर से मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. मेरी गांड अब पापा के विशाल लंड के अनुकूल रूप से चौड़ी हो गयी थी. पापा का बड़ा सा अमानवीय लंड मेरी गांड के छेद को रगड़ कर अंदर बाहर हो रहा था । मेरी गांड मानों सुन्न हो चुकी थी। मेरी गांड का दर्द पूरा तो ठी क नहीं हुआ पर मुझे अब उस दर्द से कोई बहुत परेशानी नहीं हो रही थी। पापा अपने भीमाकार लंड को अविरत मेरी गांड के भीतर-बाहर करते रहे ।
उन्होंने अपने आकर्षक कसे हुए कूल्हों का इस्तमाल कर अपनी बेटी की गांड का मरदन निर्ममता से करना शुरू कर दिया । पापा अपने बड़े से लंड के सुपाड़े को छोड़ कर पूरा लौड़ा बाहर निकालने के बाद एक भीषण धक्के से उसे पूरा वापस मेरी गांड में ठूंस रहे थे । उसके जोरदार धक्कों से मेरी पूरा शरीर हिल रहा था। मेरी सिसकियाँ उनके मुंह में संगीत सा बजा रहीं थी। मैं अपनी गांड में पापा के लंड के हर धक्के को अपनी सिसकारी से स्वागत कर रही थी. पापा ने मेरी गांड की चुदाई की गति बड़ा दी. पापा अपना लंड सिवाय मोटे सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकाल कर एक भयंकर ठोकर से मेरी गांड की भीतरी गहराइयों में ठूंस रहे थे. कमरे की हवा मेरी गांड की मधहोश सुगंध से भर गयी. पापा का लंड मेरी गांड को चौड़ा कर आराम से अंदर बाहर जा रहा था.पापा ने मेरी दोनों चूचि यों को मसलना शुरू कर दि या. मेरी सिस्कारियां अब अविरत मेरे मूंह से उबल रहीं थीं. पापा बहुत देर से मेरी गांड मार रहे थे.
अचानक मेरी सिसकारी मेरे दर्द भरे यौन चरमोत्कर्ष के तूफ़ान से और भी ऊंची हो गयी. पापा का मोटा लंड अब मेरी गांड में रेल के इंजन की गति से अंदर बाहर हो रहा था.
पापा मेरे मुंह को चूमते हुए मेरी गांड मार रहे थे. पापा की चुदाई ने मेरी गांड को मथ कर मेरे कामोन्माद को परवान चड़ा दिया. मैं एक जोरदार सिसकारी के साथ अपने आनंद की पराकाष्ठा पर पहुँच गयी. मेरा सारा शरीर कामुकता की मदहोशी में अकड़ गया. पापा का लंड मेरी गांड में झटके मार कर फूल पिचक रहा था. मैं पापा के लण्ड पर झड़ रही थी और मेरी आँखे मादक चरम-आनंद की उन्मत्तता से बंद हो गयीं. पापा का लण्ड अभी भी उसी तरह सख्त था मेरे स्खलन के कारण पापा ने गांड मारनी रोक दी ताकि मैं अपने झड़ने का मजा ले लू। पापा और मैं बड़ी देर तक उसी तरह आनंद से एक दुसरे की बाँहों में लेटे रहे.
थोड़ी देर बाद पापा ने मेरी गांड में से अपन लौड़ा बाहर निकाल लिया। मेरे नथुने मेरी गांड की खुशबू से भर गए. पापा ने प्यार से मेरी सूजी गांड को चाट कर साफ़ किया. पापा की जीभ मेरी बेदर्दी से चुदी थोड़ी ढीली खुली गांड में आसानी से अंदर चली गयी. मेरी गांड साफ़ कर पापा बोले
“बेटी, अब मैं तुम्हारी फिर से पीछे से ही गांड मारूंगा. इस पोज़ में ही गांड मारने का सबसे ज्यादा आनंद आता है.”
मैं अब गांड मरवाने के आनंद की कामुकता से प्रभावित हो गयी थी. मैं पलट कर घोड़ी की तरह अपने हाथों और घुटनों पर हो गयी. पापा का तना हुआ लंड मेरी गांड के रस से पूरा गीला हो गया था. मैंने जल्दी से पापा के लंड तो अपने मूंह और जीभ से चाट कर साफ़ किया. मुझे अपनी गांड और पापा के रस का मिला -जुला स्वाद अत्यंत अच्छा लग रहा था.
पापा ने फिर से अपना लंड मेरी गांड में पीछे से हौले-हौले अंदर डाल दिया. मेरी गांड इतनी देर में फिर से तंग हो गयी थी. पर मुझे इस बार बहुत थोड़ा दर्द हुआ. पापा ने मेरी गांड को शीघ्र तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया. हमारा कमरा बेटी बेटे के बीच इस गांड -चुदा ई से उपजी मेरी सिस्कारियों से भर गया. पापा के हर भीषण धक्के से मेरा शरीर फिर से कांप उठा । उनकी बलवान मांसल झांगें हर धक्के के अंत में मेरे कोमल मुलायम भरे भरे चूतड़ों से टकरा रहीं थीं. हमारे शरीर के टकराने की आवाज़ कमरे में ‘ थप्पड़ ‘ की तरह गूँज रही थी।
मैं पापा के अपनी गांड पर पड़ रहे धक्क्कों के जोर से कराह उठी और बोल पड़ी-
“ओह … पापा इतनी जोर से न मारो … आपका लौड़ा तो मेरे बहुत अंदर तक जा रहा है. मेरी बात सुन कर शायद उन्हें ख़ुशी हुई और उन्हें भी अपनी मर्दानगी पर गर्व हुआ,
वो बोल पड़े – “मजा गया बेटी। आज अपनी बेटी की ही गांड मार कर जो आनंद आ रहा है वो तुम्हारी माँ की गांड सैंकड़ों बार मार कर भी नहीं मिला। ”
पापा के धक्कों से मैं यह तो समझ गयी थी कि उन्हें बहुत मजा आ रहा और उसका जोश साफ झलक रहा था. जिस प्रकार से वो ताकत लगा रहे थे. मुझे लग रहा था कि पापा के लण्ड को अंदर ही अपनी गांड से कस के जकड़ लूँ. मेरी गांड धक्कों के बढ़ते रफ्तार से और अधिक गीली होती जा रही थी. अब तो फच फच जैसी आवाजें मेरी गांड से निकलनी शुरू हो गयी थीं.
जैसे जैसे संभोग और धक्कों की अवधि बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे हम दोनों की सांसें तेज़ और जोश आक्रामक रूप लेता जा रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे वो मुझे ऐसे ही धक्के मारते रहे, कभी न रुके. वो भी शायद यही चाह रहे थे. उस मौसम में भी अब हम दोनों के पसीने छूटने लगे थे. मुझे उनका लिंग मेरी गांड के भीतर तपता हुआ लोहा महसूस हो रहा था.
जिस प्रकार मैं झुकी हुई थी और पापा मुझ पर दोनों टांगें फैला कर चोद रहे थे, उससे धक्के बहुत मजेदार लग रहे थे. जैसे जैसे मेरी चरम सुख की लालसा बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे मैं अपने चूतड़ ऊपर करती जा रही थी. मेरे चूतड़ पीछे से पूरी तरह से उठ जाने की वजह से उनका लिंग अब हर धक्के पे मेरे पूरा अंदर तक जा रहा था और मेरी कामोतेजना का अब ठिकाना ही नहीं रहा और मैं कराहने और सिसकने लगी. उत्तेजना में मैंने किसी तरह एक हाथ पीछे ले जाकर पापा के चूतड़ को पकड़ना चाहा और पापा को अपनी गांड पर कस कर खींच लिया ताकि पापा का लंड मेरी गांड में जितना हो सके उस से भी ज्यादा अंदर तक घुस जाये. पापा भी मेरी हालत समज रहे थे कि उनकी बेटी को अपने बाप से गांड मरवाने में बहुत मजा आ रहा है.
इससे पापा और उत्तेजि त हो उठे और एक जोर का झटका दे मारा
पापा हाँफने लगे थे और उन्होंने रुक रुक के धक्के देने शुरू कर दिए थे. कोई 20 मिनट के संभोग के बाद पापा ने मुझसे पूछा-
“बेटी सुमन! जब तुम झड़ने वाली होगी तो मुझे बता देना.”
मैंने भी उत्तर दिया – “हाँ पापा! बस मेरा काम तमाम होने वाला है. बस आप तेज़ी से धक्के मारते रहो, रुकना मत.”
हम दोनों मस्ती में पूरी तरह खो चुके थे और हम दोनों को बहुत मजा आ रहे थे. जैसे जैसे संभोग की अवधि बढ़ती गयी, वैसे वैसे मैं थकती जा रही थी. वही पापा की भी मस्ती चरम पर पहुंचने को थी. मैं काफी थक गयी थी और मेरी गांड में भी अब जलन होने लगी थी पर गांड मरवाने का मजा था कि बढ़ता ही जा रहा था. मैं इस हाल में भी अपने जोश और दम को कम नहीं होने दे रही थी. अब तो मेरे पसीने छूटने लगे थे, तभी पापा ने जोश से मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और गोली की तेजी और स्पीड से मेरी गांड मारने लगे. मैं समज गयी कि पापा का भी पूरा होने ही वाला है. वैसे भी हम दोनों बाप बेटी लगभग आधे घंटे से गांड की चुदाई कर रहे थे.
मैं बस कसमसाती हुई कराहने लगी. मैं मस्ती के सागर में पूरी तरह डूब चुकी थी और अब किना रे तक जाना चाहती थी.
मैं बोली – “उम्म्ह… अहह… हय… या ह… ओह्ह पापा और जो र से चोदो मुझे, मैं झड़ने वाली हूँ. होने ही वाला है काम तमाम आपकी सुमन का। आप भी मेरे साथ ही झड़ना। ”
बस फिर क्या था, मेरी ऐसी बातें पापा के कानों में किसी वियाग्रा की गोली की तरह काम कर गयी.
तभी पापा ने अपना हाथ नीचे ले जा कर अपनी दो उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं और मेरी चूत को भी अपनी उँगलियों से चोदना शुरू कर दिया.
अब यह दुहरा हमला सहन करना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया. इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ. अब तक गांड में घुसे लण्ड से होने वाला दर्द तो महसूस हो ही नहीं रहा था और इधर चूत में से अलग काम शुरू हो गया.
पापा के धक्के रेलगाड़ी की रफ़्तार से हो रहे थे और हर धक्के से मेरा शरीर आगे पीछे हिल रहा था. पापा को चूत की उँगलियाँ हिलाने की जरूरत ही नहीं पड़ रही थी. शरीर हिलने से हर झटके के साथ अपने आप चूत में उँगलियाँ अंदर बाहर हो रही थी.
मेरी चूत को यह सब सहन करना संभव नहीं था. मैं चिल्ला रही थी
“पापा! और तेज और तेज, स्पीड बढाइये मेरा होने वाला है.”
पापा ने भी फिर जोरदार और अपनी पूरी ताकत से मुझे धक्के मारने शुरू किए. मैं भी धक्कों की मार से बकरी की तरह मिमियाने लगी और फिर मेरी नाभि में झनझनाहट सी शुरू हो गयी. अभी 5-10 धक्के उन्होंने और मारे कि उस झनझनाहट की लहर मेरी नाभि से उतरता हुआ गांड तक चला गया. मैं और जोरों से सिसियाने और कराहते हुए अपनी चूतड़ उछालने लगी. मेरे मुँह से ‘आह ओह्ह इह..’ जैसी आवाजें निकलने लगीं. मेरी गांड से मुझे लगा कि कुछ तेज़ पिचकारी सी छूटने को है और मेरा बदन मेरे बस में नहीं रहा.
मैं झड़ने लगी और मेरी गांड से पानी की धार तेज़ी से रिसने लगी. मुझे ऐसे देख और मेरी हरकतें और चरम सुख की प्राप्ति की कामुक आवाज सुन पापा भी खुद को ज्यादा देर न रोक सके. वो भी गुर्राते और हाँफते हुए तेजी से मेरी गांड में झटके पे झटके मारते हुए एक के बाद एक पिचकारी मारने लगे, उनके लिंग से 4 बार तेज़ वीर्य की पिचकारी मैंने मेरी गांड के बिलकुल अंदर तक में महसूस की जो कि आग की तरह गर्म थी. उनके धक्कों के आगे मैं भी पूरी तरह झड़ कर शांत होने के लिए गांड को पापा के लैंड पर चिपकाये घोड़ी बनी खड़ी रही. पर पापा का लौड़ा मेरी गांड में वीर्य की धारें मारने से तब तक नहीं रुका जब तक उन्होंने वीर्य की आखिरी बूंद मेरी गांड की गहरा ई में न उतार दी.
इधर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। आज गांड और चूत दोनों की जबरदस्त और इकठी ही रगड़ाई हो गयी थी और मेरा और पापा का भी इतना माल निकला था कि हमारे सम्मिलित स्खलन के बाद पापा मेरे चूतड़ों पर ही गिर पड़े और और हाँफते हुए सुस्ताने लगे. उन्होंने मेरी गांड को अपने वीर्य से लबालब भर दिया था.
थोड़ी देर बाद पापा का लौड़ा नरम हो गया और पापा ने उसे मेरी गांड से बाहर निकाल लिया. मेरी गांड का छेद पूरी तरह खुल गया था और अंदर दो इंच तक तो लाल लाल मांस दिखाई दे रहा था. पापा जानते थी की असली काम हो चूका है तो अब साड़ी जिंदगी मजे ही मजे हैं.
अब चुदाई तो पूरी हो चुकी थी पर सब कुछ हो जाने के बाद अब मुझे पापा को देखने से शर्म आ रही थी, पहले तो चुदाई और वासना के नशे में कुछ पता ही नहीं चल रहा था. पर आखिर थे तो वो मेरे पापा ही. मैं सोच रही थी कि कैसे अब मैं अपने पापा को आँख मिला सकुंगी. शायद यही हाल मेरे पापा का भी था.
पापा ने मुझे पूछा
“सुमन बेटी! अभी तुम्हारी गांड और चूत में कीड़े के दर्द का क्या हाल है? (मैं तो भूल ही चुकी थी कि हमने कीड़े के बहाने से ही तो चुदाई के मजे लिए हैं). दर्द ख़त्म हुआ है या फिर से उसे ठीक करना पड़ेगा.?”
मैं समझ रही थी कि क्योंकि मम्मी और नानी तो नींद की गोलियां खा कर सो रही हैं तो पापा शायद एक बार और मेरी चुदाई करना चाहते हैं. पर आज हे पहली बार मेरी चूत में पापा का इतना मोटा लण्ड घुसा था और आज ही गांड का भी उद्धघाटन हो गया था. तो अब मेरी चूत और गांड दोनों का ही बहुत बुरा हाल हो गया था. तो मैं तो अब कोई और राउंड चुदाई का सहन नहीं कर सकती थी, पर पापा के साथ इस सम्बन्ध को आगे भी चालु रखना था तो बोली
“पापा कीड़ा तो चाहे पिछले छेद में घुस गया था या अगले छेद में. वो तो आपके इस मूसल जैसे हथियार से पक्का मर गया होगा. पर अंदर अभी भी थोड़ी बेचैनी सी है. शयद कीड़े के जहर का कोई असर है. पर जब आपके लौड़े से माल की पिचकारी अंदर आयी तो उस से बहुत आराम मिला. आपके वीर्य ने एक दवा या मलहम का काम किया है. लगता है कि आपका वीर्य उस जहर का अच्छा इलाज है. तो आप एक काम करेंगे, कि मेरी चूत और गांड में अपने लंड का यह मरहम मेरे को देते रहें तो आने वाले समय में भी जहर फैलने का कोई खतरा नहीं होगा.
पापा तो मेरी बात से खुश हो गयी कि मैंने उन्हें चुदाई की पक्की इजाजत दे दी है. वो प्यार से मेरे को चूमते हुए बोले
“सुमन बेटी! तुम मेरी बहुत ही प्यारी बेटी हो. मैं भला कैसे तुम्हे किसी तकलीफ में देख सकता हूँ. तुम बिलकुल भी चिंता न करो. आदमी के लण्ड का माल एक बहुत ही अच्छा एंटीसेप्टिक होता है. किसी भी जखम पर यह सब से बढ़िया मलहम है. और सब से अच्छी चीज यह है कि जैसे तुम्हारी चूत या गांड में बहुत अंदर तक कीड़े के जहर का खतरा है, तो मेरा आठ इंच का लौड़ा तुम्हारी चूत गांड में पूरे अंदर तक मलहम लगा देगा. दुसरे चुदाई करवाने का औरतों को एक फ़ायदा होता है कि चुदाई से चूत का रास्ता साफ़ होता रहता है तो मासिक धर्म में कोई दिक्कत नहीं होती. इसी तरह रोज गांड मरवाने से कभी भी कब्ज का खतरा नहीं रहता. तो ऐसे करंगे कि अभी तो घर में तुम्हारी मम्मी होती है, पर ज्योंही कोई मौका मिलेगा मैं तुम्हारी गांड या चूत मार लिया करूँगा. ठीक है?”
मैंने पापा को चूमते हुए कहा
“पापा! थैंक यू। आप दुनिआ के सबसे अच्छे पापा हैं. आप मेरी दिक्कत की इतनी चिंता कर रहे हैं. आप जब भी मौका मिले मेरी चूत या गाँड़ में अपने लौड़े के मलहम लगा दिया करना. यह हम दोनों बाप बेटी का राज रहेगा. अब रात बहुत हो गयी है. आप जा कर सो जाएँ ताकि सुबह आराम से उठें और किसी को शक न हो। ”
पापा मुझे प्यार से चूम कर चले गए और मैं भी पापा की चुदाई के सपने देखती सो गयी.
उस दिन के बाद हम बाप बेटी का सेक्स सम्बन्ध चल रहा है. किसी को कोई शक भी नहीं हुआ, जब भी मौका मिलता है हम अपने अपने जिस्म की भूख मिटा लेते हैं. हर रोज मेरी गांड या चूत की चुदाई तो पक्की है ही. कभी कभी तो दोनों की चुदाई एक ही दिन में हो जाती है.
तो फ्रेंड्स इस तरह हम बाप बेटी सेक्स भरी जिंदगी के शुरूर ओ मस्ती में डूब कर जिंदगी के हसीन लम्हों को अपने आगोश मे लेकर लज़्जतो के सफ़र पर चल रहे हैं।
THE END – कहानी समाप्त हो गयी, मुझे पता है काफी गलतियां होंगी, यह मेरी पहली कहानी थी, मुझे माफ़ करना मेरी गलतियों के लिए, लेकिन आपसे एक निवेदन है, निचे कमेंट करके जरूर हौसला बढ़ाये।
Ahhhhh……. Super hot story Suman, kash mai bhi etna himmat krke papa se chudwa paati, kai baar maine papa mummy ki chudai dekh kar chut me ungli kiya hai.
Bahut hi shandar kahani, padkar maza aya , bahut dino baad itni shandar kahani padne ko mili hai, really very nice
Sahi kaha, kaha se ho