सेक्सी भाभी की रसीली चूत चोदा

Dost ki Biwi ki chut chudai – मैं 26 साल का एक नौजवान हूँ, एक मल्टीनेशनल कंपनी में मार्केटिंग डिपार्टमेंट में मैनेजर के तौर पर काम करता हूँ। मेरा नाम राज है। मेरे मामा का लड़का, महेश, जो मुझसे उम्र में थोड़ा छोटा है, उसकी शादी हो चुकी है। वो मेरे घर के पास ही रहता है। उसकी बीवी का नाम जया है। जया की उम्र करीब 24 साल होगी, लेकिन वो दिखने में एकदम सीधी-सादी मगर बेहद सेक्सी है। उसका साड़ी पहनने का तरीका, खासकर जब उसकी नाभि दिखती है, मुझे हमेशा उकसाता है। मैं उसे भाभी की जगह जया कहकर बुलाता हूँ, क्योंकि वो मुझे दोस्त की तरह लगती है। जया का फिगर 34-26-34 का है, एकदम कर्वी और आकर्षक। उसकी चाल, उसका हँसना, सब कुछ ऐसा है कि नजर हटाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन मैंने एक बात नोटिस की कि जया हमेशा उदास-सी रहती थी। उसकी आँखों में एक अजीब-सी खामोशी थी, जो मुझे बार-बार खटकती थी। मैंने सोचा, इसके पीछे की वजह जाननी चाहिए।

एक रात मुझे किसी काम से महेश के घर जाना पड़ा। मैंने अंदर जाकर महेश को आवाज़ लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। तभी मुझे उनके बेडरूम से कुछ आवाज़ें सुनाई दीं। बेडरूम का दरवाजा बंद था, लेकिन अंदर से आवाज़ साफ आ रही थी। मैंने कान लगाकर सुनना शुरू किया। जया रोते हुए महेश से कह रही थी, “हर रोज़ तुम पीकर आते हो और सो जाते हो। आज एक साल हो गया, तुमने मुझे छुआ तक नहीं। मैं भी औरत हूँ, इस भूख को कैसे बर्दाश्त करूँ?” मैं समझ गया कि इन दोनों के बीच पति-पत्नी वाला रिश्ता लगभग खत्म हो चुका था। फिर मैंने महेश की आवाज़ सुनी, “देखो, अगर तुम बर्दाश्त नहीं कर सकतीं, तो तलाक लेकर चली जाओ। या फिर तुम्हें छूट है, किसी और के साथ सो जाओ। बोलो तो मैं तुम्हारे लिए मर्द ढूंढ लाऊँ?” ये सुनकर मेरा दिमाग सन्न रह गया। मैं चुपके से वहाँ से निकल गया और घर आकर जया की हॉट फिगर के बारे में सोचने लगा। उसका गोरा रंग, गहरी आँखें, और वो कातिलाना नाभि मेरे दिमाग में बार-बार घूम रही थी।

अगले दिन शनिवार की छुट्टी थी। सुबह जब मैं उठा, तो बालकनी में खड़े होकर देखा कि महेश अपनी वैन लेकर कहीं टूर पर जा रहा था। मैं नहा-धोकर तैयार हुआ और महेश के घर चला गया। मुझे पता था कि महेश घर पर नहीं है, लेकिन मैंने अनजान बनते हुए महेश को आवाज़ लगाई। जया बाहर आई, उसने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी, जिसमें उसकी नाभि साफ दिख रही थी। उसने कहा, “महेश तो काम पर गए हैं।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, जया। मैं तुमसे मिलने आया हूँ।” उसने मुझे ड्राइंग रूम में बिठाया और बोली, “आप बैठो, मैं चाय और नाश्ता लाती हूँ।”

जया चाय और नाश्ता लेकर आई। मैंने कहा, “जया, अपनी चाय भी ले आओ, साथ में पीते हैं।” उसने वैसा ही किया और मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई। उसकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा सरक गया था, और उसकी क्लीवेज की झलक मुझे बेकाबू कर रही थी। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “जया, अगर बुरा न मानो तो एक बात पूछूँ?” उसने उदास चेहरे और धीमी आवाज़ में कहा, “पूछो।” मैंने कहा, “मैं कई दिनों से देख रहा हूँ, तुम हमेशा उदास रहती हो। कोई बात हो तो मुझे बता सकती हो। मैं तुम्हारा दोस्त हूँ। शायद बात करने से तुम्हारा मन हल्का हो जाए।”

ये सुनते ही जया की आँखें भर आईं। वो रोते हुए बोली, “मैं क्या बताऊँ, राज? जिसे बताना था, वो ही मेरी इच्छाओं को, मेरी कमजोरी को नहीं समझता। फिर कोई और मेरे लिए क्या करेगा?” मैं उसके पास गया, खड़े-खड़े उसकी पीठ पर हाथ रखा और उसे सांत्वना देने लगा। मेरे हाथ उसकी मुलायम पीठ पर घूम रहे थे, और मैं धीरे-धीरे गर्म होने लगा। मेरा लंड धीरे-धीरे टाइट होने लगा। जया रोते-रोते मेरी कमर से लिपट गई। उसका हाथ अनजाने में मेरे लंड को छू गया। उसे इस बात का एहसास हुआ, तो वो फौरन पीछे हट गई, लेकिन उसकी आँखों में एक चमक थी। वो हल्का-सा मुस्कुराई और किचन में चली गई। मैं भी अपने काम पर निकल गया, लेकिन मेरा दिमाग जया के उसी स्पर्श में अटक गया।

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रात को मैं फिर से उनके घर गया। महेश टीवी देख रहा था, और जया किचन में खाना बना रही थी। जया आज थोड़ी ताजा और खुश लग रही थी। मेरे लिए पानी लाते वक्त उसने मेरी तरफ देखकर हल्की-सी स्माइल दी। मैंने महेश से कहा, “यार, आज कोई प्रोग्राम नहीं है?” महेश बोला, “नहीं यार, मेरे दोस्त आज नहीं हैं।” मैंने कहा, “तो चल, आज हम दोनों घर पर ही पीते हैं, अगर जया को कोई दिक्कत न हो।” जया ने किचन से आवाज़ लगाई, “मुझे क्या फर्क पड़ता है? बस लिमिट में पीना।”

जया की इजाजत मिलने के बाद महेश खुशी-खुशी बोतल लाने चला गया। मैंने जया से कहा, “जया, मुझे महेश का कोई कुर्ता-पायजामा दे दो, मैं रिलैक्स होकर पीना चाहता हूँ।” उसने मुझे महेश का कुर्ता-पायजामा दिया। मैं अंदर रूम में चेंज करने गया। दरवाजा बंद था, लेकिन मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है। मैंने नजर घुमाई तो देखा जया मुझे चुपके से देख रही थी। मैंने जानबूझकर अपने कपड़े उतारे और सिर्फ अंडरवियर में खड़े होकर आईने में खुद को देखने लगा। मैंने अपने लंड को हल्का-सा सहलाया, ताकि जया की नजर उस पर पड़े। थोड़ी देर बाद मैंने कपड़े पहने और बाहर आ गया। जया मुझे देखकर मुस्कुराई और बोली, “थक गए हो आज?” मैंने कहा, “हाँ, थोड़ा-सा।”

खाना बनने के बाद जया मेरे बगल में सोफे पर बैठ गई। मैं सोफे पर लेटकर टीवी देख रहा था। उसने मेरे पैर अपनी गोद में लिए और दबाने लगी। मैंने चौंककर कहा, “ये क्या कर रही हो, जया?” वो बोली, “तुम्हारी थकान उतर जाएगी।” मैंने कहा, “महेश देख लेगा तो क्या सोचेगा?” वो तपाक से बोली, “तुम मर्द सब एक जैसे हो। अपनी ही पड़ी रहती है। मेरी खुशी की किसी को परवाह नहीं।” मैंने कहा, “देख, अगर महेश लंबे समय के लिए बाहर गया हो और तुम कुछ करो, तो कोई दिक्कत नहीं। लेकिन अभी वो कभी भी आ सकता है।” वो मेरी तरफ देखकर हँसी और दूसरी तरफ बैठ गई।

महेश के आने के बाद हम पीने बैठे। मैंने तीन पेग के बाद रुक गया, लेकिन महेश पाँच-छह पेग पीकर नशे में चूर हो गया। हमने खाना खाया और महेश को बेडरूम में सुला दिया। उसे बेड पर लिटाते वक्त जया का साड़ी का पल्लू सरक गया। मैं उसकी छाती के उभारों को देखने लगा। उसने मुझे पकड़ लिया और मुस्कुराते हुए बोली, “क्या देख रहे हो?” मैंने कहा, “कुदरत का ये करिश्मा, सबसे खूबसूरत चीज़।” वो हँस पड़ी और बोली, “शर्म नहीं आती ऐसी बातें करते और देखते हुए?” मैंने जवाब दिया, “शर्म तो मुझे तब भी नहीं आई, जब तुम मुझे नंगा देख रही थी। तो मैं क्यों न देखूँ?”

वो मेरे पास आई, मेरी छाती पर हाथ रखकर बोली, “राज, हम एक-दूसरे के लिए क्यों प्यासे रहें? महेश ने मुझे आज तक छुआ नहीं। मैं अभी भी कुँवारी हूँ। आज मुझे सुहागरात मनानी है, तुम्हारे साथ। मुझे सुहागन बना दो, मेरी प्यास बुझा दो, प्लीज।” मैंने कहा, “जया, मैं भी यही चाहता हूँ, लेकिन महेश? उसे पता चला तो?” वो बोली, “देखा, फिर मेरी खुशी कोने में रह गई। राज, उसने मुझे कहा है कि मैं किसी और से संबंध रख सकती हूँ। प्लीज, आज रात मुझे चोदो। इतना चोदो कि मेरी उम्र भर की भूख मिट जाए।”

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इतना कहते ही उसने मेरे कुर्ते के बटन खींचकर तोड़ दिए और मेरी छाती को चूमने लगी। फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं भी गर्म हो चुका था। उसने धीरे-धीरे नीचे की ओर जाना शुरू किया, मेरे पायजामे का नाड़ा खोला और मेरा लंड बाहर निकाल लिया। वो उसे चूमने और चाटने लगी। मैंने कहा, “जया, इसे चूसो।” वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैंने अपना कुर्ता उतार फेंका, और उसने मेरा पायजामा खींचकर मुझे पूरा नंगा कर दिया। मैं बार-बार महेश की तरफ देख रहा था, कहीं वो जाग न जाए। लेकिन जया तो मेरे लंड को चूसने में मस्त थी। मैंने सोचा, अगर उसे फिक्र नहीं, तो मुझे क्यों?

मैंने जया को उठाया और उसके होंठों को चूसना शुरू किया। फिर उसकी साड़ी खींचकर फेंक दी। मैंने उसे बेड पर धकेल दिया। वो पीठ के बल बेड पर गिरी। मैंने उसकी नाभि पर चूमना शुरू किया। वो सिसकियाँ ले रही थी, “आआआह्ह… राज, चूमो, चाटो मुझे… मसल दो, आज मुझे कुचल दो… जो करना है, करो, बस चोदो मुझे… फक मी, राज, फक मी…” मैंने उसका ब्लाउज़ और ब्रा एक साथ फाड़ दी। उसका पेटीकोट खींचकर फेंक दिया और उसकी पैंटी भी उतारकर उसे पूरा नंगा कर दिया। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों को चूसने लगा। वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डालकर साथ दे रही थी, साथ में सिसकियाँ भी ले रही थी, “आआआह्ह… राज… और चूसो… आआह्ह…”

मैं उसकी सुडौल गर्दन को चाटने लगा। वो मेरी पीठ पर अपने नाखून चुभा रही थी। मेरी नजर महेश पर गई, वो गहरी नींद में सो रहा था। और यहाँ मैं उसकी बीवी को नंगा करके बेरहमी से चोदने की तैयारी कर रहा था। जया मुझे अपने अंदर दबा रही थी। मैं उसकी गर्दन से होते हुए उसके पेट पर आया, फिर उसकी चूत को चाटने लगा। वो चिल्ला रही थी, “आआआह्ह… राज, चाटो मेरी चूत… आज तक किसी ने मेरी चूत नहीं चाटी… आज इसे मर्द की जीभ और लंड का स्वाद मिलेगा… उंगलियाँ डाल-डालकर अब तक इसे सँभाला था… प्लीज, राज, और चाटो… आआआह्ह…” उसकी चूत से चिकना पानी बहने लगा, जिसे मैं चाट गया। उसकी चूत उस पानी से पूरी तरह भीग चुकी थी।

थोड़ी देर बाद जया ने मुझे धक्का दिया और खुद मेरे ऊपर आ गई। उसने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। वो उसे अंदर-बाहर कर रही थी। दस मिनट तक वो नहीं रुकी। मैं झड़ने वाला था। मैंने कहा, “जया, मेरा पानी छूटने वाला है। मुँह से निकालकर हाथ से करो।” लेकिन वो नहीं मानी और बोली, “राज, आज मुझे तुम्हारा माल चखना है। मैं इसे पीना चाहती हूँ।” उसने फिर से मेरे लंड को मुँह में लिया और तेजी से अंदर-बाहर करने लगी। मैं झड़ गया। उसका मुँह मेरे माल से भर गया।

हम दोनों थोड़ी देर शांत रहे, एक-दूसरे को देखते रहे। फिर मैंने उसकी छाती पर हाथ फेरना शुरू किया। वो फिर से सिसकने लगी, “आआआह्ह… राज… कुछ करो… मेरी आग बुझाओ… आआआह्ह…” उसने मेरा लंड हाथ में लिया और उस पर बैठने लगी। मैंने उसे धक्का देकर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और एक जोरदार धक्का मारा। वो चिल्ला उठी, “ओह माँ… मर गई… आआआह्ह…” मैं रुक गया और उसे देखने लगा। वो बोली, “डालो, और डालो… मेरे दर्द को मत देखो… मेरी आग बुझाओ, राज… मेरा पूरा लंड मेरी चूत में डाल दो, भले ही फट जाए…”

मैंने फिर एक और धक्का मारा। मेरा 7 इंच का लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। वो चिल्ला रही थी, “आआआह्ह… ओह माँ… और करो… जोर से करो…” मैं बेरहमी से धक्के मारने लगा। उसकी चूत से खून निकल रहा था। मेरा लंड खून से सन गया था, लेकिन मैं रुका नहीं। मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था। मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी, और वो चिल्ला रही थी, “आआआह्ह… चोदो… फक मी, राज… फक मी… मेरी चूत फाड़ दो…” मैंने कहा, “हाँ, मेरी रंडी… आज से तुझे मैं ही चोदूँगा…”

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लगभग 40 मिनट तक मैं उसे बेरहमी से चोदता रहा। वो चार बार झड़ चुकी थी। मैं अब झड़ने वाला था। मैंने पूछा, “बाहर निकालूँ या अंदर?” वो बोली, “मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। अंदर ही डालो।” मैं उसकी चूत में झड़ गया। फिर मैं उसके ऊपर ही लेट गया। वो मेरे बालों में हाथ फेर रही थी। 15-20 मिनट बाद मैंने फिर से उसके होंठ चूमे। धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। फिर बोला, “अब पीछे की बारी।” वो बोली, “मतलब?” मैंने कहा, “अब मैं तुम्हारी गांड मारूँगा।” वो बोली, “बहुत दर्द होगा, राज।” थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली, “कोई बात नहीं। मैं सह लूँगी। तुमने मेरी प्यास बुझाई है, मेरी एक और चाहत पूरी कर रहे हो। मैं दर्द सह लूँगी। मेरी गांड मारो, उसे भी फाड़ दो।”

मैंने अपने लंड पर क्रीम लगाई, उसे घोड़ी बनाया और उसके गधे के छेद पर लंड रखा। मैंने एक जोरदार धक्का मारा। सुपारा अंदर घुस गया। वो जोर से चिल्लाई, “आआआह्ह… मर गई…” उसकी आँखों में आँसू आ गए थे। फिर भी मैंने दूसरा धक्का मारा और पूरा लंड उसकी गांड में घुसा दिया। वो चिल्ला रही थी, “मर गई… माँ… और जोर से मारो, राज… मेरी गांड फाड़ दो… आआआह्ह…” मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा। 15-20 मिनट बाद मैं उसकी गांड में झड़ गया।

रात के 3:30 बज चुके थे। चार घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद हमने अपने-अपने कपड़े पहने और सो गए। मैं उठकर दूसरे रूम में चला गया। सुबह जब उठा, तो महेश बाहर बैठा था। जया चाय बना रही थी और गुनगुना रही थी। वो खुश थी। मैं काम पर जाने के लिए तैयार हुआ। महेश अपनी वैन लेकर निकला और बोला, “चलो, तुम्हें छोड़ देता हूँ।” वैन में बैठते ही महेश ने कहा, “थैंक यू, यार।” मैंने पूछा, “किस लिए?” वो बोला, “मेरी घर की इज्जत बच गई, और जया भी खुश हो गई।” मैंने कहा, “तुम्हें पता चल गया? कैसे?” वो बोला, “कल मैं पिया हुआ था, नींद में था, लेकिन इतनी गहरी नींद में नहीं कि जया चिल्लाए और मुझे पता न चले। लेकिन दोस्त, मुझे इस बात का कोई अफसोस नहीं। जब चाहे, जया के साथ सेक्स करो। मुझे कोई दिक्कत नहीं। वन्स अगेन, थैंक्स।”

मैं कुछ नहीं बोला। स्टेशन पर उतरकर ऑटो लिया और वापस घर आ गया। जया को गले से लगाया और हम बेडरूम में चले गए। उस दिन हम पूरा दिन बेडरूम में रहे। अब जब भी हमारा मन होता है, हम सेक्स करते हैं। घर के हर कोने में—किचन में, ड्राइंग रूम में, बाथरूम में, सीढ़ियों पर। तो प्लीज, मुझे मेल करके बताइए कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी। और हाँ, अगर किसी मैरिड, विधवा, तलाकशुदा या अविवाहित लड़की को सेक्स पार्टनर की जरूरत हो, तो मुझे मेल कर सकती हैं।

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